‘देखिए नंदनजी, मैं ने अपने पिछले विवाह की हर बात शीतल को बता दी है. मैं तलाक के पेपर्स भी फाइल करने वाला हूं. और वैसे भी, पिछले 1-2 सालों से मेरी उस से कोईर् बात नहीं हुई है, आशीष का उत्तर था.
आशीष के हंसमुख स्वभाव ने सभी का मन जीत लिया था. सुरेखा और नंदन ने इस मुलाकात के बाद फौरन ललित को फोन किया. सुरेखा ने कहा, ‘डैडी, देयर इज अ गुड न्यूज. शीतल दी ने एक लड़का पसंद कर लिया है, बहुत अच्छा है, आप की क्या राय है?’
‘बेटी, बहुत अच्छी बात है, लेकिन सबकुछ सोचसमझ लेना चाहिए,’ ललित का नपेतुले अंदाज में उत्तर था. फिर बापबेटी ने काफी देर इस विषय पर बात की.
कुछ वक्त और गुजर गया और महज इत्तफाक की बात कि आशीष का तबादला झांसी में हो गया. सुरेखा के लिए यह बहुत अच्छी खबर थी. जहां एक जोर शीतल व नंदन के मातापिता कुछ भी निर्णय लेने में हिचकिचा सा रहे थे, सुरेखा को पूरा विश्वास था कि उस के डैडी आशीष से मिलने के बाद एकदम सही सलाह और मार्गदर्शन देंगे.
हुआ भी यही. ललित ने आशीष को घर पर बुला कर उस से मुलाकात की और उन की सलाह पर सभी लोग इस बात पर राजी हो गए कि इन दोनों की शादी जल्दी ही कर देनी चाहिए.
ललित ने यह भी प्रस्ताव दे दिया कि विवाह पारीछा में आयोजित हो क्योंकि आशीष स्वयं भी अब झांसी में रहता था और पारीछा बिजली संयंत्र झांसी से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
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