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Winter Special: चमचमाती मुसकान

त्योहार हों या शादीब्याह, समारोह या कालेज फैस्ट पार्टी हो, युवतियां तैयारी में कोई कोरकसर नहीं छोड़तीं, लेकिन उन्हें अपने कपड़ों, गहनों, केशसज्जा के साथसाथ अपनी मुसकान पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि एक दमकती युवती की सजधज में उस की चमचमाती मुसकान का बड़ा हाथ होता है.

मुसकराता चेहरा न सिर्फ अपनी ओर आकर्षित करता है बल्कि देखने वाले को भी मुसकराने पर मजबूर कर देता है. लेकिन अगर साथ ही दांत भी मोतियों से चमचमाते हों तो मुसकान दोगुनी सुंदर हो जाती है. दांतों की तुलना मोतियों से की जाती है. तो जाहिर है कि उन का चमचमाना अनिवार्य है. चमचमाती मुसकान से लबरेज युवती के आत्मविश्वास के तो क्या कहने. अत: यहां दिए गए टिप्स अपनाएं और चमचमाती मुसकान बिखेरें :

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–       अमेरिकी डैंटल एसोसिएशन की सलाह मानें तो दिन में कम से कम एक बार फ्लौस अवश्य करना चाहिए. इस से तातार यानी दांतों का वह मैल जो ब्रश से नहीं हट पाता, हट जाता है.

–       दिल्ली के पश्चिम विहार में अपना क्लिनिक चला रहे डा. मयूर शाह के अनुसार ऐसा टूथपेस्ट इस्तेमाल करें जिस में फ्लोराइड हो. फ्लोराइड दांतों पर असर करने वाले अम्ल को बेअसर करता है और इनैमल को ठीक रखता है.

–       आप कपड़े, गहनों पर मनचाहे पैसे खर्च कर सकती हैं तो एक मनमोहक मुसकान के लिए इलैक्ट्रिक टूथब्रश खरीदना भी फायदे का सौदा रहेगा. ऐसे ब्रश एक निर्धारित गति से चलने के कारण दांतों को बेहतर साफ करते हैं. कुछ ब्रशों में तो समयावधि निर्धारित करने का भी तरीका होता है जिस से दांत मोती जैसे चमकते हैं.

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–       सख्त नहीं मुलायम टूथब्रश खरीदें. ब्रश को जबड़े से 45 डिग्री के कोण पर रखें. अधिक जोर से न रगड़ें. ब्रश करते समय सारे दांतों पर एकसाथ नहीं बल्कि एक या दो दांतों पर ही ब्रश चलाएं. इस से अत्यधिक प्लाक हटेगा और दांतों के साथ मसूड़े भी स्वस्थ रहेंगे.

–       प्रसिद्ध मेयो क्लिनिक की राय है कि पानी खूब पीएं. पानी शरीर के लिए ही नहीं बल्कि आप के दांतों के लिए भी बेहद गुणकारी होता है. इस से दांत साफ रहते हैं और दांतों की सड़न में कमी आती है.

–       यदि मित्रों व रिश्तेदारों के घर मिलनेजुलने जाएं तो चाय, कौफी, एप्पल साइडर, हौट चौकलेट और कोल्डड्रिंक्स कम ही लें. इन से दांतों पर दाग लग जाते हैं. दांतों की ऊपरी त्वचा का इनैमल कोल्डड्रिंक के कारण नष्ट हो जाता है, जिस से दांत रूखे लगते हैं व नमक कम हो जाता है.

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–       मीठे पर भी काबू रखें. इस से भी दांतों का इनैमल खराब होता है. चिपचिपी मिठाइयां देर तक दांतों पर असर करती हैं.

दक्षिण दिल्ली की डा. चांदना कहती हैं कि खाएंपीएं लेकिन सीमा में रह कर. यदि आप को लगे कि आप अधिक मीठा खा रही हैं तो रात को सोने से पहले दांत साफ अवश्य करें.

–       किसी उत्सव में जाने से पहले आप अपने टूथपेस्ट में एक चुटकी खाने का सोडा मिला सकती हैं. इस से आप की मुसकान चमक उठेगी, लेकिन याद रहे, यह तरीका हफ्ते में एक बार से अधिक न अपनाएं वरना आप के दांतों के इनैमल पर असर पड़ सकता है.

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–       आप नीबू और नमक से भी अपने दांत चमका सकती हैं.

–       सेब या गाजर चबाने से दांतों के दाग स्वत: मिट जाते हैं.

अजय सिंह ने जीता इंडियाज बेस्ट डांसर का पहला खिताब, मिला 15 लाख का इनाम

टाइगर पॉप के नाम से मशहूर अजय सिंह ने रियलिटी शो ‘इंडियाज बेस्ट डांसर’ के विजेता बन गए हैं. बता दें कि गुरुग्राम के रहने वाल हैं. वह अपने डांस स्टाइल से सभी का दिल जीत लेत हैं.

बीते रात को शो की होस्ट भारती सिंह ने और जज मलाइका अरोड़ा , गीता कपूर और टरेंस लुईस ने विनर की घोषणा की. पूरे देश भर के लोगों ने लगभग 3 करोड़ 28 लाख लोगों ने वोट डाला है.

अजय सिंह को सोनी टीवी के बिजनेस हेड दानिश खान से 15 लाख रुपये की धन राशी मिली है. वहीं मारुति सुजुकी की तरफ से ब्रिजा कार भी मिली है.

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बात करें अजय सिंह की कोरियोग्राफर वर्तिका झा की तो उन्हें 5 लाख रुपये के धन राशि से नवाजा गया है. टाइगर पॉप के अलावा श्वता वारियर और मुकुल गैंग को दूसरा स्थान मिला है. वहीं अजय सिंह ने क रिपोर्ट में बात करते हुए बताया कि मैं इस किताब को जीतकर काफी ज्यादा खुश हूं. मुझे यकिन नहीं हो रहा है कि इंडियाज बेस्ट डांसर ने मेरे बचपन का सपना पूरा कर दिया.

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मुझे अपने लोगों से इतना प्यार मिला कि मैं सभी लोगों का अभारी बन गया हूं. बता दें कि इस शो के दौरान जज और होस्ट एक दूसरे की काफी ज्यादा खिंचाई भी करते थें. दोनों के बीच नोक झोंक आम बात होती थी.

बिग बॉस 14: जान कुमार सानू ने बिग बॉस को कहा अलविदा, दर्शकों ने दिए थे सबसे कम वोट

सलमान खान जब भी वीकेंड का वार लेकर दर्शकों के बीच आत हैं उस वक्त लोगों की धड़कने बढ़ जाती है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ जब सलमान खान वीकेंड का वार शो लेकर आए तो सबसे पहले उन्होंने लोगों को खूब सारा एंटरटेन किया.

उसके बाद आखिरी में उन्होंने अपना फैसला सुना दिया जिसका सभी को इंतजार होता है. इस बार बिग बॉस का सबसे चर्चित चेहरा जान कुमार सानू को उन्होंने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. सलमान के इस फैसले से घर वाले भी चौक गए.

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बता दें कि जान कुमार सानू के साथ- साथ रुबीना दिलाइक और एजाज खान भी नॉमिनेट किए गए थें. वहीं पिछले हफ्ते की बात करें तो रुबीना दिलाइक, निक्की तम्बोली, कविता कौशिक , एजाज खान, जैस्मिन भसीन को नॉमिनेट किया गया था.

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वहीं आखिरी में तलवार आकर लटकी रुबीना दिलाइक, एजाज खान और जान कुमार सानू के ऊपर बीती रात भाईजान सलमान खान ने एनाउंस करते हुए कहा कि जान कुमार सानू को घर से अलविदा कहना होगा.

भाई जान ने घोषणा करते हुए बताया कि जान कुमार सानू को कम वोट मिले हैं, जिस वजह से उन्हें शो से बाहर जाना पड़ेगा.

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दरअसल, बिग बॉस में एंट्री के साथ ही जान कुमार सानू का नाम विवादों में पड़ने लगा था. कई बार उन्हें घर से बाहर जाने की धमकी भी मिलती रही है. वहीं अपने गलत शब्द की वजह से उन्हें महाराष्ट्र की जनता से मांफी भी मांगनी पड़ी है.

अगर बिना प्यार के शादी हो सकती है, तो बिना पति के मां क्यों नहीं बन सकते?” : आलिया श्रॉफ

9 महीने का सफर एक ऐसा सफर है, जो एक स्त्री और पुरुष जिंदगी का जश्न मनाते हुए तय करते हैं, जो उन्होंने साथ मिलकर शुरू किया था. लेकिन कई औरतें ऐसी हैं, जो किसी साथी के बिना ही एक पैरेंट बनने का चुनाव करती हैं. इसकी वजह अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन मां बनने का अधिकार तो एक औरत को ही होता है, चाहे वो शादीशुदा हो, किसी रिश्ते में हो या फिर हो सिंगल हो! वैसे सिंगल मां बनने का चुनाव बड़ा कठिन होता है, लेकिन यह भी सच है कि महिलाओं को अपने मां बनने का तरीका चुनने और उसे उचित ठहराने के लिए किसी की स्वीकृति की जरूरत नहीं है.

“अगर बिना प्यार के शादी हो सकती है, तो बिना पति के मां क्यों नहीं बन सकते?” यह कहना है आलिया श्रॉफ का, जो सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के नए शो ‘स्टोरी 9 मंथ्स की” का एक प्रमुख किरदार है. यह लाइन सुनकर शायद आप हिल जाएं, क्योंकि टेलीविजन पर अब तक इस तरह का विषय नहीं दिखाया गया है, जिसमें एक नायिका खुद अपनी शर्तों पर मां बनने की इच्छा जाहिर करती है. इसका शीर्षक कुछ ऐसा है, जिसे सुनकर दर्शक इस सफर का हिस्सा जरूर बनना चाहेंगे.

 

आलिया श्रॉफ आज की नारी है, जो इरादों की पक्की, दिल से महत्वाकांक्षी और स्वभाव से एक परफेक्शनिस्ट है! 30 साल की उम्र में वो एक सुशिक्षित और सफल एंटरप्रेन्योर है और उसने बहुत पहले से ही अपनी जिंदगी प्लान कर रखी है. लेकिन रिश्तों के मामले में वो खुद को जाहिर नहीं कर पाती, चाहे उसकी निजी जिंदगी हो या पेशेवर. आलिया बाहर से भले ही सख्त नजर आए, लेकिन उसका दिल सोने जैसा खरा है और लोग वाकई उसके बारे में यह नहीं जानते हैं.

आलिया किसी भी पुरुष से संबंध बनाए बिना ही, यानी आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के जरिए, मां बनने का चुनाव करती है और अपने इस फैसले पर अडिग रहती है. इसके लिए उसने हर इंतजाम कर रखे हैं, लेकिन उसके रास्ते में केवल एक ही अड़चन है और वो है एक सही स्पर्म डोनर! आलिया के अनुसार, उसे अपने जैसे ही किसी परफेक्ट डोनर की तलाश है, लेकिन वो कहते हैं ना, तकदीर का खेल बड़ा विचित्र है और सबकुछ प्लान के मुताबिक नहीं होता!

जब आलिया अपनी मर्जी के हिसाब से मां बनने की योजना में व्यस्त होती है, तभी मथुरा के एक युवा और महत्वकांक्षी लेखक सारंगधर से अचानक उसका आमना-सामना होता है. आलिया और सारंगधर दोनों ही एक नदी के दो अलग-अलग किनारे हैं, जिनके स्वभाव एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. हालांकि लेखक के रूप में अपना करियर बनाने के लिए सारंगधर को आलिया की कंपनी में जॉब मिल जाती है. फिर किस्मत कुछ ऐसी करवट लेती है कि वो आलिया का डोनर बन जाता है! क्या आलिया को अपने डोनर के बारे में कुछ पता चलेगा? आखिर यह ‘स्टोरी 9 मंथ्स की’ आगे क्या मोड़ लेगी? जानने के लिए स्टोरी 9 मंथ्स की आज से , सोमवार से गुरुवार रात 10.30 बजे सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर.

बेस्ट बहू औफ द हाउस

Crime Story: फेसबुक की धोखाधड़ी

फेसबुक के जरीये ना केवल ठगी हो रही है बल्कि इससे हमें भ्रामक तथ्य और जानकारियो मिलती है. ऐसे में फेसबुक कभी किताबों का विकल्प नहीं हो सकती है. ठगी से बचने के लिये जनता को ‘फेसबुक बैन के अभियान’ की तरफ जाना होगा.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में महिला समाजसेवी अपने कामों की फोटो फेसबुक पर पोस्ट करती थी. समाजसेवी के पति डाक्टर है. ऐसे में वह खुद लोगों की मदद के लिये मेडिकल हेल्थ कैंप लगाती थी. फेसबुक के जरीये महिला समाजसेवी की जान पहचान इंग्लैंड में रहने वाले डाक्टर स्टीव से हुई. डाक्टर स्टीव ने महिला समाजसेवी से बातचीत और जानपहचान बनानी शुरू की. डाक्टर स्टीव ने खुद को कोर्डियोलौजिस्ट बताया. समाज सेवा के कामों की तारीफ करते डाक्टर स्टीव ने खुद भी समाजसेवा में जनसहयोग देने की बात कही. इसके लिये डाक्टर स्टीव ने ग्रेट ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड और काफी कुछ विदेशी सामान दिल्ली भेजने की बात महिला समाजसेवी को बताई. इसके बाद कहा कि सामान दिल्ली कस्टम में फंस गया है.

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इसको छुड़ाने के नाम पर ढाई लाख रूपये ठग लिये. महिला समाजसेवी इसके बाद भी ठगी की बात को समझ नहीं पाई और वह डाक्टर स्टीव के जाल में फंसती चली गई. ठगो ने 4 माह में 26 अलगअलग बैंक खातों में लाखो रूपये जमा कराये. इस चक्कर में महिला समाजसेवी ने 87 लाख रूपये बैंक से लोन भी ले लिया. ठग उनको बडी रकम भेजने का झांसा देकर पैसे वसूलते गये. जब तक महिला समाजसेवी को बात समझ आई वह बहुत सारा पैसा गंवा चुकी थी. अंत में मामला एसएसपी एसटीएफ तक पहुंचा तो छानबीन शुरू की गई. छानबीन में पता चला कि नाइजीरिया के ईमो स्टेट उरू वेस्ट निवासी अमरा चुकबू रोलैंड नामक व्यक्ति का नाम सामने आया. घटना के बाद एसटीएफ की लखनऊ और नोएडा टीम ने नई दिल्ली के मोहन गार्डन रमा पार्क टी प्वाइंट आर 50 ग्राउंड से दबोच लिया. अमरा चुकबू रोलैंड ने बताया कि डाक्टर स्टीव कई नाम से लोगों के ठगी करता है. वह वाट्सएप, फेसबुक और सोशल मीडिया के बहुत सारे माध्यमों से लोगों को ठगी करता था. उसने महिला समाजसेवी के साथ ही साथ अन्य लोगों से करीब 70 करोड रूपये ठगे. ठगी की रकम को वह अपने नातेरिश्तेदारों के बैंक खातों में भेज देता था. नाइजीरिया ठग गिरोह देश की राज्यों में भी फैला हुआ है. एसटीएफ ने लखनऊ नाइजीरिया के इस गिरोह की पैरवी करने आये मणिपुर निवासी हांगवीग को पकड लिया. उसके कुछ साथी भगाने में सफल रहे.

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मैसेंजर से होता है संपर्क:

फेसबुक पर ठगी का यह अकेला मामला नहीं है. अशोक कुमार बताते है कि ‘एक दिन रात में करीब 4 बजे मेरी एक महिला मित्र के फेसबुक के मैसेंजर से मैसेज आया कि मैं बहुत मुसीबत में हूं. मेरा फोन और वाट्सएप बंद हो गया है. आप मुझे पेटीएम से करीब से 35 हजार भेज दों.’ अशोक को यह लगा कि उनकी मित्र संकट में है. यह अशोक को पहले पता था कि उनकी मित्र मेरिका गई है. ऐसे में कोई दुविधा वाली बात नहीं थी. अशोक के पेटीएम में 35 हजार रूपया भेज दिया. इसके बाद वह सो गये. सुबह 8 बजे जब वह उठे तो सोचा कि मित्र का हालचाल ले ले तब उनको मैसेंजर पर मैसेज किया तो पता चला कि उनका फेसबुक किसी ने हैक करके अशोक के साथ यह धोखाधड़ी कर ली.

फेसबुक पर धोखाधड़ी करने वालों का एक बड़ा गिरोह है. यह बहुत ही योजना बनाकर काम करता है. साइबर एक्सपर्ट नीलम वैश्य बताती है ‘सबसे पहले यह लोग अपने शिकार को तलाश करते है. इसके बाद उसके फेसबुक प्रोफाइल की रेकी करते है. देखते है सबसे ज्यादा कमेंट किसके है. सबसे करीबी मित्र कौन है. कब कौन कहां जा रहा है. इसके अनुसार अपनी योजना बनाकर लोगों को फंसाते है. अगर अशोक की मित्र के अमेरिका जाने की जानकारी ठगी करने वाले गिरोह को नहीं होती तो वह अशोक का आसानी से नहीं ठग सकते थे.

इमोशनल लगाव:

ठगी करने वाले लोग पहले फ्रेंडशिप लिस्ट में बड़ी चतुराई से जुटते है. अगर पुरूष है तो महिला बनकर और महिला है तो पुरूष बनकर दोस्ती की जाती है. कई बार महिला के साथ महिला और पुरूष के साथ पुरूष बनकर भी दोस्ती का जाल बिछाया जाता है. फेसबुक मैसेंजर के जरीये शुरू होने वाली बातचीत वाट्सएप और कई बार मोबाइल पर भी होने लगती है. बातचीत के झांसे में ‘साम दाम दंड भेद’ सभी का पूरा सहारा लिया जाता है. भावुक बातें, जरूरत से ज्यादा केयर करना, कुछ जोक्स, वीडिया और मैसेज के साथ सैक्सी बातें भी होने लगती है. यही नहीं वीडिया चैट तक होने लगती है. इसके बाद अचानक डिमांड शुरू हो जाती है. आजकल पैसा ट्रांसफर करना इतना सरल हो गया है कि लोग भावुकता में पड़ कर तुरंत पैसा भेज देते है.

ठगी की बातचीत को छोड़ दे तो फेसबुक से हमारी अपनी गोपनियता भंग हो जाती है. हमारी बातें दूसरों तक पहुच आसानी से पहुंच जाती है. इनको सामने रखकर ठगी करने वाले नई नई योजनायें बनाने लगते है. फेसबुक पर तमाम गेम्स ऐसे है जिनको खेलने में हमारी गोपनियता सबसे पहले खत्म होती है. उसे गेम्स के जरीये फेसबुक पर लिखी दूसरी जरूरी बातें दूसरे लोगों तक पहुंच जाती है. सोशल मीडिया के आने से औन लाइन ठगी के मामले बढ़ गये है. पहले जहां बैक के एटीएम और क्रेडिट कार्ड से ही धोखधडी होती थी अब यह काम फेसबुक पर शुरू हो गया है. फेसबुक में एक के सहारे दूसरे के साथ भी ठगी हो जाती है.

ठगों के लिये सरल बात यह है कि इसमें अपना प्रोफाइल बनाना आसान काम है. खुद फेसबुक मैनेजमेंट मानता है अभी भी बहुत सारे फेक प्रोफाइल है. चुनाव के समय फेसबुक ने तमाम फेक प्रोफाइल बंद की थी. इसके बाद भी अभी बहुत सारे फेक प्रोफाइल बने हुये है. ऐसे में ठगी को रोकना सरल काम नहीं है. जो लोग यह सोचते है फेस बुक उसी तरह से टाइम पास का जरीया है जैसे किसी जमाने में पत्र-पत्रिकायें और साहित्यक किताबें थी तो यह गलत तर्क है. किताबों के जरीये कभी पढ़ने वाले से ठगी नहीं होती थी. वह ज्ञान देती थी. एक बार किताबे खरीदने में पैसा लगता था बारबार पैसा नहीं देना पडता था. ऐसे में फेसबुक कभी किताबों का विकल्प नहीं हो सकती है.

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फेसबुक पर ठगी से बचने के टिप्स:

अपनी लोकेशन को शेयर करने की आदत छोड़ दे. इससे अपके विरोधियों को यह पता चल जाता है कि आप किस जगह पर है. ऐसे में वह अपनी सुविधा के अनुसार आपको ठग लेते हैं.

व्यक्तिगत बातें फेसबुक पर शेयर ना करे. इससे आपकी गोपनियता भंग होती है.

फोटो शेयर करते समय यह समझ ले कि किन लोगों को आप फोटो दिखाना चाहते हैं और किसको नहीं फेसबुक पर अनजान लोगों से बातचीत करने समय सावधान रहे. फेसबुक पर आने वाली हर पोस्ट सही नहीं होती. यह ध्यान रखें, बिना सोचे समझे झासें में ना आये.

नवंबर महीने के खास काम

नवंबर महीने का समय गेहूं की बोआई का एकदम सही समय है. बोआई से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराएं और जांच के बाद ही उर्वरकों की मात्रा तय करें. अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद खेत में डालें. बोआई के लिए अपने इलाके की आबोहवा के अनुसार किस्मों का चुनाव करें. बीजों को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करने के बाद ही बोएं. उर्वरकों के लिए प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्रमा नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करें. फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा व नाइट्रोजन की आधी से दोतिहाई मात्रा बोआई के समय खेत में डालें.

*      गेहूं की तरह ही जौ की बोआई का काम 25 नवंबर तक पूरा कर लें. पछेती फसल की बोआई 31 दिसंबर तक की जा सकती है.

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सिंचित इलाकों के लिए आजाद, कैलाश, विजया, करन 795, अंबर, एचडी 2009, डब्ल्यूएच 157, डब्ल्यूएच 283, डब्ल्यूएच 147, डब्ल्यूएच 542 और एचडी 2329 हरियाणा में और पीवीडब्ल्यू 343, पीवीडब्ल्यू 274, डब्ल्यूएच 542, पीवीडब्ल्यू 154, पीवीडब्ल्यू 233, पीवीडब्ल्यू 34, पंजाब में 1 से 25 नवंबर के बीच सिंचित जमीन में लगाई जा सकती है. कठिया (ड्यूरम) गेहूं की बीजाई नवंबर के पहले हफ्ते तक कर दें.

देर से बोआई के लिए आरडी 118, डीएल 88, केदार वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं. बीज प्रमाणित जगह से ही लें और अपने क्षेत्र के हिसाब से रोगरोधक किस्म लगाएं.

दीमक वाली जमीनों के 40 किलोग्राम बीज को 60 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी से उपचारित करें और छाया में सुखा कर बोएं. इस से नाइट्रोजन की कमी पूरी हो जाती है. अच्छी पैदावार के लिए बीजाई बीज उर्वरक ड्रिल से करें और लाइनों में 8 इंच का फासला रखें. पछेती बीजाई में फासला कम कर के 7 इंच कर दें.

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धानगेहूं फसलचक्र वाले क्षेत्रों में जीरो टिल मशीन से बोआई करने से खर्च भी कम आता है और पैदावार भी ज्यादा मिलती?है. इस से खेत में नमी बची रहती?है और बारानी क्षेत्रों में ज्यादा फायदा मिलता?है.

*      सरसों की फसल से घने पौधे निकाल कर चारे में इस्तेमाल करें. पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर रखें. नाइट्रोजन की बची मात्रा बोआई के 25-30 दिनों बाद पहली सिंचाई पर छिटकवां तरीके से दें. झुलसा व सफेद गेरुई बीमारी की रोकथाम के लिए जिंक मैगनीज कार्बामेंट 75 फीसदी वाली दवा की 2 किलोग्राम मात्रा जरूरत के मुताबिक पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

साग के लिए लगाई सरसों पर दवा का इस्तेमाल कम से कम करें और छिड़काव के 15 दिनों बाद ही काटें. चेपा लगने पर 250 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ईसी को 250 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. दूसरा छिड़काव 10 दिनों बाद करें. नवंबर में बीमारियों की रोकथाम के लिए 600 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन एम 45) का 15 दिनों के अंतर पर 3-4 बार छिड़काव करें.

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* गन्ने में 25 दिनों के अंतर पर सिंचाई करते रहें. अगेती व मध्यम पकने वाली किस्में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इन की कटाई की योजना गन्ना मिल की जरूरत के हिसाब से बनाएं. कटाई से पहले खेत में पानी न लगाएं.

* चारे के लिए जई नवंबर महीने में भी लगा सकते?हैं. अक्तूबर में बोई फसल में यूरिया पहली सिंचाई पर नवंबर में डालें. अधिक कटाई वाली फसल में 60 दिनों बाद पहली कटाई कर के सिंचाई करें और यूरिया डाल दें. अक्तूबर में बोई बरसीम व रिजका की पहली कटाई 60 दिनों बाद करें. इस के बाद 30 दिनों के अंतर पर कटाइयां कर सकते हैं.

* मसाला फसल धनिया हर जमीन में नवंबर के पहले हफ्ते तक बोई जा सकती है. इस के लिए स्थानीय किस्म के 8 से 10 किलोग्राम बीजों को हलके से मसल कर तोड़ दें, हर हिस्सा एक पूरा बीज होता?है. इस के बाद 20 ग्राम थिराम से उपचारित कर के 1 फुट दूर लाइनों में बोएं. नवंबर के आखिर में हलकी गुड़ाई कर के खरपतवार निकाल दें और सिंचाई करें.

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* सौंफ हलकी दोमट मिट्टी में अच्छी तरह उगाई जा सकती है और नवंबर के पहले हफ्ते में बोई जा सकती है. बीजाई पर यूरिया व सिंगल सुपर फास्फेट डालें और बाकी फूल आने पर. खरपतवार नियंत्रण के लिए 1-2 बार गुड़ाई जरूर करें.

* सोया भी नवंबर के पहले हफ्ते तक लगा सकते?हैं. स्थानीय किस्म के 2 किलोग्राम बीज को 18 इंच दूर लाइनों में 2 ईंच गहरा बोएं.

* मेथी 2 ईंच गहराई में नवंबर के पहले हफ्ते तक बोएं. बीजाई पर 10 किलोग्राम यूरिया और आधा बोरा सिंगल सुपर फास्फेट डालें. खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई समय से करें. चेपा नियंत्रण के लिए 250 मिलीलीटर मेलाथियान 50 ईसी 100 लीटर पानी में?घोल कर छिड़कें. जीरे की बीजाई पूरे नवंबर में हो सकती?है. उन्नत किस्मों में आरएस 1, एमसी 43, गुजरात जीरा 1, आरजेड 19 व आरजेड 209 हैं. इसे सिर्फ आधा इंच गहरा बोएं.

* पहले रोपी हुई फूलगोभी व पत्तागोभी में यूरिया डाल कर निराईगुड़ाई व पौधों पर मिट्टी चढ़ाएं. हलकी सिंचाई 10-15 दिनों बाद करते रहें. कीड़ों से बचाव करें.

* टमाटर की अगस्त में रोपी हुई फसल में फल आ रहे?होंगे हर 10 दिन बाद हलकी सिंचाई करते रहें. फल छेदक व अन्य कीटों से बचाव के लिए 0.1 फीसदी मैलाथियान हर 15 दिनों पर फल तोड़ने के बाद छिड़कें.

* जनवरीफरवरी में टमाटर रोपाई के लिए नवंबर में नर्सरी बोई जा सकती है.

* जुलाई में रोपी बैगन की फसल पर लगे फलों पर यदि फलछेदक का हमला हो तो टमाटर की तरह बचाव करें. यदि पाले से बचाव हो सके तो बैगन की रोपाई नवंबर में भी हो सकती है.

* नीबू, माल्टा, मौसमी व किन्नू के फलों के पकने का समय आ रहा?है. फलों को ध्यान से तोडें व चयन कर के डब्बा भराई करें. ध्यान रहे कि इस से पौधों को नुकसान न होने पाए. बेर के 1 साल वाले पौधों को 250 ग्राम और 2 व 3 साल वाले पौधों को 500 ग्राम व 1 किलोग्राम यूरिया दे कर गुड़ाई करें.

*      अरहर की फसल की 75 फीसदी फलियां पक चुकी हों, तो फसल की कटाई करें. देर से पकने वाली किस्मों पर फली छेदक कीट का हमला होने पर जरूरत के मुताबिक कीटनाशक का खड़ी फसल पर छिड़काव करें.

*      आलू की फसल में सिंचाई की जरूरत हो, तो सिंचाई करें. बोआई किए हुए 35-40 दिन पूरे हो गए हों, तो खड़ी फसल में प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम यूरिया डालें. सिंचाई के बाद गूलों पर मिट्टी चढ़ाएं.

*      चने की बोआई का काम 15 नवंबर तक पूरा करें. बोआई के लिए अच्छी किस्मों जैसे पूसा 256, के 850, पंत जी 114, केडब्ल्यूआर 108, काबुली चने की पूसा 267 व एल 550 वगैरह का इस्तेमाल करें. छोटे व मध्यम आकार के दाने वाली किस्मों के 60 से 80 किलोग्राम व बड़े दाने वाली किस्मों के 80 से 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बोआई के लिए इस्तेमाल करें.

*      मटर, मसूर की बोआई पिछले महीने नहीं की है, तो यह काम 15 नवंबर तक पूरा

कर लें. 1 हेक्टेयर खेत की बोआई के लिए

मटर के 80 से 125 किलोग्राम बीज व मसूर

के लिए 30-40 किलोग्राम बीज इस्तेमाल

करें. पिछले महीने बोई गई फसल में सिंचाई करें. निराईगुड़ाई कर के खरपतवारों को

काबू में करें. फसल पर तना छेदक या पत्ती सुरंग कीट का हमला दिखाई दे, तो उस की रोकथाम करें.

*      आम के बागों को मिलीबग कीट से बचाने के लिए पेड़ों के तनों के चारों तरफ पौलीथिन की 30 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी बांध दें और इस के सिरों पर ग्रीस लगाएं. पेड़ के थालों व तनों पर फौलीडाल पाउडर का बुरकाव करें. बीमार टहनियों को काट कर जला दें.

* लहसुन की फसल में निराईगुड़ाई का काम करें. खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.

*      सब्जी के खेतों की निराईगुड़ाई करें व खरपतवार न पनपने दें. बीमारी व कीट का हमला दिखाई दे, तो कृषि वैज्ञानिकों से पूछ कर कारगर दवा का इस्तेमाल करें.

* नवंबर में फूलों के खिलने का समय है. उन में सिंचाई व गुड़ाई जरूर करते रहें.

मैं एक लड़की से शादी करना चाहता हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं एक लड़की से 8 वर्षों से प्यार करता हूं. वह सुंदर है और मुझे बहुत प्यार करती है. मेरे पिताजी की मृत्यु तब हो गई थी जब मैं ग्रैजुएशन कर रहा था. मैं आज अच्छी जौब करता हूं और ट्यूशन भी पढ़ाता हूं. मेरी गर्लफ्रैंड दूसरी जाति से है. मैं हार्डवर्क कर के पैसे कमा रहा हूं ताकि फाइनैंशियली स्ट्रौंग बन कर उस के पापा से शादी की बात कर सकूं. मुझे गाइड करें कि कैसे मैं उस के पापा को मनाऊं?

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जवाब

प्यार इंसान से किया जाता है न कि जाति से. आप अपने परिवार का पालनपोषण अच्छे तरीके से कर सकते हैं, इसलिए डरें नहीं बल्कि हिम्मत जुटाएं. पहले अपने परिवार वालों को इस बात से परिचित कराएं ताकि वे लड़की के पिता से बात कर सकें. आप यकीन मानिए, अगर दोनों परिवार एकदूसरे से संतुष्ट हो गए तो आप को मिलने से कोई नहीं रोक सकता. अगर लड़की के घर वाले न मानें तो आप दोनों अपनी मरजी से विवाह कर सकते हैं. ऐसे विवाह कोर्टमैरिज प्रक्रिया से ही किए जाने चाहिए ताकि बाद में कठिनाई न हो.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

बेस्ट बहू औफ द हाउस-भाग 3: श्रद्धा को ससुराल आकर किस बात का एहसास हुआ

“मम्मी जी, मुझे कमरा खुलाखुला सा अच्छा लगता है. जिन चीजों की जरूरत नहीं, उन्हें हटा रही हूं. आप ही बताइए, नकली फूलों से सजे इस कीमती फ्लौवर पौट के बजाय क्या मिट्टी का यह गमला और इस में मनीप्लांट का पौधा अच्छा नहीं लग रहा? बाजार से खरीदे गए इन शोपीसेज के बजाय मैं ने अपने हाथ की बनाई कुछ कलात्मक चीजें दीवार पर लगा दी हैं. आप कहें तो हटा दूं. वैसे, मुझे तो अच्छी लग रही हैं.

“नहींनहीं, रहने दो. दूसरों को भी तो पता चले कि हमारी छोटी बहू में कितने हुनर हैं,” कह कर सास ने चुप्पी लगा ली.

श्रद्धा ने खुद को अपनी मिट्टी से भी जोड़े रखा था. सुबह उठ कर ऐक्सरसाइज करना, घास पर नंगे पांव चलना, गार्डनिंग करना, कुकिंग करना, वाक करना आदि उस की पसंदीदा गतिविधियां थीं. अमन के कहने पर उस ने स्विमिंग करना और कार चलाना जरूर सीख लिया था मगर दैनिक जीवन में इन से दूर ही रहती. शाम को समय मिलने पर डांस करती तो सुबहसुबह साइकिल ले कर निकल पड़ती. पैसे भले ही कितने भी आ जाएं मगर फालतू पैसे खर्च नहीं करती.

उस की ये हरकतें देख कर अमन के दोनों भाईभाभियां, बहन और मांबाप कसमसा कर रह जाते, पर कुछ कह नहीं पाते क्योंकि श्रद्धा शिकायत के लायक कुछ भी गलत नहीं करती थी.

इधर एक दिन जब दोनों भाभियां सास के साथ किटी पार्टी में जाने के लिए सजधज रही थीं तो सास ने श्रद्धा से भी चलने को कहा. इस पर श्रद्धा ने जवाब दिया, “मम्मी जी, आज तो मैं एक लैक्चर अटैंड करने जा रही हूं. संदीप माहेश्वरी के मोटिवेशनल स्पीच का प्रोग्राम है. सौरी, मैं आप के साथ किटी पार्टी में नहीं आ पाऊंगी.”

श्रद्धा को प्यार और आश्चर्य से देखते हुए सास ने कहा, “दूसरों से बहुत अलग है तू. पर, सही है. मुझे तेरी बातें कभीकभी अच्छी लगती हैं. एक दिन मैं भी चलूंगी तेरे साथ लेक्चर सुनने. पर आज किटी पार्टी का ही प्लान है. मेरी सहेली ने अरेंज किया है न.”

“जी मम्मी, जरूर,”  कह कर श्रद्धा मुसकरा पड़ी.अगले संडे सास भी श्रद्धा के साथ लेक्चर सुनने गई और आ कर बहुत तारीफें कीं.

इसी तरह वक्त गुजरता गया. शुरू में श्रद्धा की आदतों और हरकतों से चिढ़ने और पसंद न करने वाली श्रद्धा की सास, ननद और भाभियां धीरेधीरे उसी के रंग में रंगती चली गईं. अब वे भी अकसर कार अवौयड कर देतीं. घर की पार्किंग में महंगी व आलीशान कारों के साथ अब छोटी कारें भी खड़ी हो गईं. सास और भाभियां कई बार उस के साथ लेक्चर अटेंड करने पहुंचने लगीं. उन्हें भी समझ आ रहा था कि किटी पार्टीज में गहनेकपड़ों का शोऔफ़ करने या बिचिंग करने में समय बरबाद करने के बजाय बहुत अच्छा है नई बातें जानना और जीवन को दिशा देने वाले लेक्चर व सैमिनार अटेंड करना, ज्ञान बढ़ाना, किताबें पढ़ना और कला दीर्घा जैसी जगहों में जाना.

श्रद्धा ने कुछ किताबें और पत्रिकाएं खरीदी थीं और उन्हें अपने कमरे की एक छोटी सी अलमारी में करीने से लगा दिया था. पर धीरेधीरे जब किताबों और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ने लगी तो अमन के कहने पर उस ने घर के एक कमरे को छोटी सी लाइब्रेरी का रूप दे दिया और सारी किताबें व पत्रिकाएं वहां सजा दीं. अब तो परिवार के दूसरे सदस्य भी आ कर वहां बैठते और शांति व सुकून के साथ पत्रिकाएं, किताबें पढ़ते.

श्रद्धा से प्रभावित हो कर घर धीरेधीरे घर का माहौल बदलने लगा था. दोनों भाभियों ने कुक को हटा कर खुद ही किचन का काम संभाल लिया, तो सास ने भी घर के माली का हिसाब कर दिया. अब सासबहू मिल कर गार्डनिंग करतीं. श्रद्धा की देखादेखी भाभियां खुद कपड़े धोने,  प्रैस करने और घर को व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारियां निभाने लगी थीं. तुषिता भी अपने छोटेमोटे सारे काम खुद निबटा लेती.

इस तरह के परिवर्तनों का एक सकारात्मक प्रभाव यह पड़ा कि परिवार के सदस्य अपना ज्यादा से ज्यादा समय एकदूसरे के साथ बिताने लगे. खाना बनाते समय जहां दोनों भाभियों, सास और श्रद्धा को आपस में अच्छा समय बिताने का मौका मिलता, वहीँ घर के सभी सदस्य प्यार से एक ही डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे. खाने की तारीफें होने लगीं. घर की बहुओं को और अच्छा करने का प्रोत्साहन मिलने लगा. वहीं, गार्डनिंग के शौक ने सास के साथ श्रद्धा की बौन्डिंग बेहतर कर दी. अब तुषिता भी गार्डनिंग में रुचि लेने लगी थी. ननद और सास के साथ श्रद्धा इन पलों का खूब आनंद लेती.

इसी तरह शौपिंग के लिए नौकरों को भेजने के बजाय श्रद्धा खुद अमन को ले कर पैदल बाजार तक जाती. मौल के बजाय वह लोकल मार्केट से सामान लेना पसंद करती. फलसब्जियां भी खुद ही ले कर आती. श्रद्धा को देख कर बाकी दोनों भाभियां भी संडे शाम को अकसर अपने पति को ले कर शौपिंग के लिए निकलने लगीं. उन्हें अपने पति के साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिल जाता था.

समय के साथ परिवार के सभी सदस्यों को नौकरों पर निर्भर रहने के बजाय खुद अपना काम करने की आदत लग चुकी थी. घर में प्यार और शांति का माहौल था. व्यापार पर भी इस का बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा. उन का व्यापार चमचमाने लगा था. बड़े बड़े और्डर्स मिलने लगे. दूरदूर तक उन के आउटलेट्स खुलने लगे थे. हर तरह के पारिवारिक, व्यावसायिक और सामाजिक विवाद समाप्त हो चले थे.

श्रद्धाके अच्छे व्यवहार का नतीजा था कि रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ उन के संबंध और भी ज्यादा सुधरने लगे थे. किसी रिश्तेदार या पड़ोसी के साथ घर के किसी सदस्य का विवाद होता, तो श्रद्धा उसे समझाती. उस की ग़लतियों की तरफ ध्यान दिलाती. वह समझाती कि पड़ोसियों और रिश्तेदारों से अच्छे रिश्ते के लिए थोड़ा सब्र कर लेना और एकदूसरे को माफ कर देना भी जरूरी होता है. इस से रिश्ते गहरे हो जाते हैं. श्रद्धा की सोच और उस के व्यवहार का तरीका घर के सभी सदस्यों पर असर डाल रहा था. उन की जिंदगी बदल रही थी.

इसी दौरान एक दिन शाम के समय सास का फ़ोन आया. वह काफी घबराई हुई आवाज में बोली, “श्रद्धा, बेटा तू जल्दी से सिटी हौस्पिटल आ जा. तेरी अलका भाभी का एक्सिडैंट हो गया है. वह तुषिता के साथ स्कूटी पर जा रही थी, तभी किसी ने टक्कर मार दी. अलका को बहुत गहरी चोट लगी है. मैं और तुषिता हौस्पिटल में हैं. तेरे दोनों जेठ आज बिज़नैस के सिलसिले में ग्रेटर नोएडा गए हुए हैं. उन को आने में देर हो जाएगी. अमन भी लगता है मीटिंग में है, फोन नहीं उठा रहा.”

“कोई नहीं मां, आप घबराओ नहीं. मैं तुरंत आती हूं.”श्रद्धा ने तुरंत कैब किया और सिटी हौस्पिटल पहुंच गई. अलका के सिर में गहरी चोट लगी थी. उस का खून काफी बह गया था. उसे तुरंत औपरेट करना था, खून भी चढ़ाना था. श्रद्धा ने डाक्टर से अपना खून देने की बात की क्योंकि उस का ब्लड ग्रुप भी ‘ओ पौजिटिव’ था.

फटाफट सारे काम हो गए. आते समय श्रद्धा अपनी चैकबुक साथ लाई थी. डाक्टर ने 2 लाख रुपए जमा करने को कहा. उस ने तुरंत जमा कर दिए.

शाम तक घर के बाकी लोग भी हौस्पिटल पहुंच गए थे. अलका अभी आईसीयू में ही थी. उसे होश नहीं आया था. अगले दिन डाक्टर्स ने कहा कि अलका अब खतरे से बाहर है, मगर अभी उस के एक पैर की सर्जरी भी होनी है क्योंकि इस दुर्घटना में उस के एक पैर के घुटने से नीचे वाली हड्डी डैमेज हो गई थी. सो, उसे भी औपरेट करना था. आननफानन यह काम भी हो गया. एक सप्ताह हौस्पिटल में रह कर अलका घर आ गई.  मगर अभी भी उसे करीब 2 महीने बैडरैस्ट पर रहना था.

ऐसे समय में श्रद्धा ने अलका की सारी जिम्मेदारियां उठा लीं. उस ने औफिस से 15 दिनों की छुट्टी ले ली. अलका के सारे काम वह अपने हाथों से करती. यहां तक कि उस के बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजना, स्कूल से लाना, पढ़ाना, खिलानापिलाना यह सब श्रद्धा करने लगी. औफिस जौइन करने के बाद भी वह सारी जिम्मेदारियां बखूबी उठाती रही. हालांकि, अब तुषिता भी यथासंभव उस की मदद करती.

धीरेधीरे यह कठिन समय भी गुजर गया. अलका अब ठीक हो गई थी. सारा परिवार श्रद्धा के व्यवहार की तारीफ़ करते नहीं थकता था. उस ने अपने प्यारभरे व्यवहार से सब को अपना मुरीद बना लिया था. सुख और दुख दोनों में ही श्रद्धा ने जिस तरह अपने जीवन में संतुलन बना कर रखा और परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाया था, उस से हर कोई प्रभावित था.

कई महीनों बाद जब अलका पूर तरह ठीक हो गई तो सासससुर ने घर में ग्रैंड पार्टी रखी और उस में अपनी बहू श्रद्धा को ‘बेस्ट बहू औफ द हाउस’ का अवार्ड दे कर सम्मानित किया. घर का हर सदस्य आज मिल कर श्रद्धा के लिए तालियां बजा रहा था.

 

बेस्ट बहू औफ द हाउस-भाग 2: श्रद्धा को ससुराल आकर किस बात का एहसास हुआ

अमन ने अपने घर में श्रद्धा के बारे में बताया, तो सब दंग रह गए कि अमन जैसा शर्मीला लड़का लव मैरिज की बात कर रहा है. यानी, लड़की में कुछ तो खास बात जरूर होगी. अमन के घर में मांबाप के अलावा 2 बड़े भाई, भाभियां और एक बहन तुषिता थे. भाइयों के 2 छोटेछोटे बच्चे भी थे. उन के परिवार की गिनती शहर के जानेमाने रईसों में होती थी. जबकि, श्रद्धा एक गरीब परिवार की लड़की थी. उस ने अपनी काबिलीयत और लगन के बल पर ऊंची पढ़ाई की और एक बड़ी कंपनी में ऊंचे ओहदे तक पहुंची. उस के अंदर स्वाभिमान कूटकूट कर भरा था. वह मेहनती होने के साथ ही जिंदगी बहुत व्यवस्थित ढंग से जीना पसंद करती थी

जल्द ही दोनों के परिवार वालों की रजामंदी मिल गई और अमन ने श्रद्धा से शादी कर ली.शादी के बाद पहले दिन जब वह किचन की तरफ बढ़ी तो सास ने उस से कहा, “बेटा, रिवाज है कि नई बहू कुछ मीठा बनाती है. जा तू हलवा बना ले. उस के बाद तुझे किचन में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बहुत सारे कुक हैं हमारे पास.”

इस पर श्रद्धा ने बड़े प्रेम व आदर के साथ सास की बात का विरोध करते हुए कहा था, “मम्मी जी, मैं कुक के बनाए तरहतरह के व्यंजनों के बजाय अपना बनाया हुआ साधारण मगर हैल्दी खाना पसंद करती हूं. प्लीज, मुझ से किचन में काम करने का मेरा अधिकार मत छीनिएगा.’

उस की बात सुन कर सास को कुछ अटपटा सा लगा और भाभियों ने भी भवें चढ़ा लीं. छोटी भाभी ने व्यंग्य से कहा, “श्रद्धा, यह तुम्हारा छोटा सा घर नहीं है जहां खुद ही खाना बनाना पड़े. हमारे यहां बहुत सारे नौकरचाकर और रसोइए दिनरात काम में लगे रहते हैं.”

श्रद्धा मुसकरा कर किचन में चली गई. उस ने अपने हाथों से पूरा खाना तैयार किया. हलवा भी बनाया. जब श्रद्धा ने खाना परोसा, तो खाना खा कर सब उंगलियां चाटते रह गए. सबों को खाना बहुत पसंद आया. अमन तो उस के खाने की तारीफ करते नहीं थक रहा था. सासससुर ने खुश हो कर उसे नेग भी दिया.

बाद में भी घर में भले ही कुक तरहतरह के व्यंजन तैयार करते रहते मगर वह अपने हाथों का बना साधारण खाना ही खाती और अमन भी उस के हाथ का खाना ही पसंद करने लगा था. अमन को श्रद्धा के खाने की तारीफें करता देख दोनों भाभियों ने भी अपने हाथों से कुछ आइटम्स बना कर अपनेअपने पति को रिझाने का प्रयास किया. फिर तो अकसर ही दोनों भाभियां किचन में दिखने लगी थीं.

श्रद्धा भले ही अपना छोटा सा घर छोड़ कर बड़े बंगले में रहने आ गई थी मगर उस के रहने के तरीकों में कोई परिवर्तन नहीं आया था. उस ने अपने कमरे के बाहर वाले बरामदे में एक टेबलकुरसी डाल कर उसे स्टडीरूम बना लिया था. कंप्यूटर, प्रिंटर, टेबललैंप आदि अपने टेबल पर सजा लिए. अमन के कहने पर एक छोटा सा फ्रिज भी उस ने साइड में रखवा लिया. बरामदा बड़ा था और शीशे की खिड़कियां लगी हुई थीं. वह बाहर का नजारा देखते हुए बहुत आराम से अपना काम करती. जब दिल करता, खिड़कियां खोल कर ताजी हवा का आनंद लेती. बरामदे के कोने में 3 -4 छोटे गमलों में पौधे भी लगवा दिए.

भले ही उस की अलमारियां लेटेस्ट स्टाइल के कपड़ों व गहनों से भरी हुई थीं मगर वह अपनी पसंद के साधारण मगर कंफर्टेबल कपड़ों में ही रहना पसंद करती थी.

शानदार बाथटब होने के बावजूद वह शावर के नीचे खड़ी हो कर नहाती. तरहतरह के शैंपू होने के बावजूद वह मुल्तानी मिट्टी से बाल धोती. कभी भी हेयर ड्रायर या ऐसी चीजों का इस्तेमाल वह न करती.

घर में कई सारी कीमती गाड़ियों के होते हुए भी वह पहले की तरह बस से औफिस आतीजाती रही. बसस्टैंड पर उतर कर 10 मिनट वाक कर के औफिस पहुंचने की आदत बरकरार रखी.

शादी के बाद पहले दिन जब वह बस से औफिस जा रही थी तो तुषिता ने टोका था, “भाभी, हमारे घर में इतनी गाड़ियां हैं. कोई क्या कहेगा कि इतने बड़े खानदान की नईनवेली बहू बस से औफिस जा रही है.”

“तुषि, मैं बस से औफिस मजबूरी में नहीं जा रही हूं बल्कि इसलिए जा रही हूं ताकि मेरी दौड़नेभागने और वाक करने की आदत बनी रहे. बचपन से ही मुझे शरीर को जरूरत से ज्यादा आराम देने की आदत नहीं रही है. वैसे भी, बस में आप 10 लोगों से इंटरैक्ट करते हो. आप की प्रैक्टिकल नौलेज बढ़ती है. इस में गलत क्या है?”

“जी, गलत तो कुछ नहीं,” मुंह बना कर तुषिता ने कहा और अंदर चली गई.श्रद्धा ने अपने कमरे में से तमाम ऐसी चीजें निकाल कर बाहर कर दीं जो केवल शोऔफ के लिए थीं या लग्जरियस लाइफ के लिए थीं. जब श्रद्धा अपने कमरे से कुछ सामान बाहर करवा रही थी तो सास ने सवाल किया था, “यह क्या कर रही हो बहू?”

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