लेखक-राकेश सिंह सेंगर, आलोक कुमार सिंह
विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं. इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपनेआप में सुरक्षित व लाभ देने वाली है.गन्ना फसल उत्पादन कीप्रमुख समस्याएंअनुशंसित जातियों का उपयोग न करना व पुरानी जातियों पर निर्भर रहना. रोगरोधी उपयुक्त किस्मों की उन्नत बीजों की अनुपलब्धता. बीजोत्पादन कार्यक्रम का अभाव. बीज उपचार न करने से बीजजनित व रोगों कीड़ों का प्रकोप अधिक और एकीकृत पौध संरक्षण उपायों को न अपनाना. कतार से कतार कम दूरी व अंतरर्वतीय फसलें न लेने से प्रति हेक्टेयर है. उपज व आय में कमी.
पोषक तत्त्वों का संतुलित और एकीकृत प्रबंधन न किया जाना. साथ ही, उचित जल निकासी व सिंचाई प्रबंधन का अभाव. उचित जड़ प्रबंधन का अभाव. गन्ना फसल के लिए उपयोगी कृषि यंत्रों का अभाव, जिस के कारण श्रम लागत अधिक होना वगैरह.गन्ना फसल ही क्यों चुनें?गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है. अच्छे प्रबंधन से साल दर साल 1,50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता?है. प्रचलित फसल चक्रों जैसे मक्कागेहूं या धानगेहूं, सोयाबीनगेहूं की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त होता है यह निम्नतम जोखिम भरी फसल है, जिस पर रोग व कीट ग्रस्त व विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर होता है. गन्ना के साथ अंतरर्वतीय फसल लगा कर 3-4 माह में ही प्रारंभिक लागत हासिल की जा सकती है.
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गन्ने की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है. सालभर उपलब्ध साधनों व मजदूरों का सदुपयोग होता है. उपयुक्त भूमि, मौसम औरखेत की तैयारीउपयुक्त भूमि : गन्ने की खेती मध्यम से भारी काली मिट्टी में की जा सकती है. दोमट भूमि, जिस में सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल निकास का अच्छा इंतजाम हो और पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है. उपयुक्त मौसम होने पर गन्ने की बोआई वर्ष में 2 बार की जा सकती है.शरदकालीन बोआई : इस में अक्तूबरनवंबर माह में फसल की बोआई करते हैं और फसल 10-14 माह में तैयार होती है. बसंतकालीन बोआई : इस में फरवरी से मार्च माह तक फसल की बोआई करते हैं. इस में फसल 10 से 12 माह में तैयार होती है. नोट : शरदकालीन गन्ना, बसंत में बोए गए गन्ने से 25-30 फीसदी व ग्रीष्मकालीन गन्ने से 30-40 फीसदी अधिक पैदावार देता है.खेत की तैयारीग्रीष्मकाल में 15 अप्रैल से 15 मई के पहले खेत की एक गहरी जुताई करें.
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