लेखक-रोहित और शाहनवाज

“सो सो पड़े मुसीबत बेटा, मर्द जवान में,
ओरे भगत सिंह कदे जी घबरा जा, तेरा बंद मकान में
मेरे जैसा कौन जणदे पूत जहान में,
भगत सिंह कदे जी घबरा जा, तेरा बंद मकान में
दुनिया में तेरे गीत सुनूंगी, और कदे ना कदे माँ फेर बनूंगी,
और अगले जनम में फेर जनूंगी, ऐसी संतान मैं,
भगत सिंह कदे जी घबरा जा, तेरा बंद मकान में…”

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन उस पार

शाम के करीब 4:30 बज रहे थे. दिल्ली हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर किसान आन्दोलन में मंच के पास सब कुछ शांत हो गया था. मंच से काफी दूर दूर तक सब हलचल मानों बंद हो गई थी. अचानक से लाउड स्पीकर पर एक धुन बजने लगी. ये मटके के बजने की आवाज थी. मटके के मुह पर काला रबर बंधा था, जो की किसी दुसरे रबर के संपर्क में आने पर ‘टुंग टुंग’ जैसी आवाज निकल रही थी.

मंच पर करीब 5-6 लोग मिल कर मटका बजा रहे थे और एक आदमी हारमोनियम बजा रहा था. ये धुन इतनी प्यारी थी की सिर्फ चुप चाप खड़े हो कर सुनने का मन कर रहा था. उसी बीच मंच पर उपस्थित एक और व्यक्ति, थोड़ी भारी सी आवाज में और हरियाणवी बोली में ऊपर लिखे गीत को गाने लगे.

कोई भी इंसान उस आवाज को सुनता तो यह उस आवाज को सुरीला नहीं कहता. लेकिन जैसे ही गाने में “भगत सिंह कदे जी घबरा जा, तेरा बंद मकान में…” ये लाइन आई तो जितने लोग उस वक्त मौजूद थे उन के अन्दर न जाने कहां से एक ऐसा जोश और ऐसा उमंग भर गया, जो शायद ही अभी शब्दों में बयान करना मुमकिन है.

ये भी पढें- किसान आंदोलनों का डेरा

ऊपर इन लाइन का मतलब समझाते हुए हरियाणा के रोहतक में टिटोली गांव से प्रदर्शन में शामिल हुए रविंदर ने बताया कि, “इस गाने में भगत सिंह की माँ, लोगों को ये मेसेज देना चाहती है कि भगत सिंह को चार दिवारी में बाँध कर नहीं रखा जा सकता है. और उन की माँ ये बताना चाहती है कि उन को गर्व है की उन्होंने भगत सिंह जैसे पूत को जन्म दिया है और अगले जनम में अगर फिर से माँ बनी तो फिर से भगत सिंह जैसे बेटे को जनम देंगी.”

उस वक्त की सब से खास बात ये थी कि वहां मौजूद लोग चुपचाप खड़े हो कर रागिणी सुनने में मगन थे. लेकिन जब भी पंचिंग लाइन (भगत सिंह कदे जी घबरा जा…) आती तो सब एक लय में मंच पर मौजूद रागिणी गाने वाले व्यक्ति की आवाज से आवाज मिला कर गाने लगते. ये बेहद जोशीला माहौल था जिस का साक्षी होने का मौका हमें मिला.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन में यूपी किसानों का अगर मगर

क्या होती है रागिणी?

हर राज्य का अपना कुछ न कुछ कल्चर होता है, गीत होता है, संगीत होता है. उसी तरह से रागिणी भारत में हरियाणा की लोक गीत है. रागिणी में प्रेमियों के जुदाई का दर्द बयान किया जाता है, वीरता और शौर्य का गुणगान किया जाता है, फसल उगने का और कटने की खुशी व्यक्त की जाती है. इसे कही बढ़ कर रागिणी में समाज में चल रहे अस्त व्यस्तता को दिखाया जाता है और सच्चाई को बुलंद आवाज में कह देने की हिम्मत होती है.

इसे गाने के लिए किसी का सुरीला होना जरुरी नहीं है, बल्कि गीत के बोल में इतना दम होना चाहिए कि सुन ने वाले व्यक्ति के दिल और दिमाग में उस के बोल उतर जाए. रागिणी गाने के साथ साथ गाने वाला सांग भी करता है जो कि गीत के बोल पर हल्का फुल्का थिरकना शामिल होता है, जो की माहौल को और अधिक खुशनुमा बनाता है.

ये भी पढ़ें- किसान आन्दोलन के समर्थन में उमड़े किसान

रागिणी को गाने के लिए और उस में धुन बजाने के लिए बहुत अधिक उपकरणों की जरुरत भी नहीं है. कम से कम एक मटका जिस के मुह पर रबर बंधा हो और उसे बजाने के लिए दूसरा रबर ही काफी है. प्रोफेशनल रागिणी गाने वाले लोग अपने पास इकतारा, सारंगी, चिमटा, मंजीरा, दुग्गी, खर्ताल इत्यादि उपकरण भी साथ रखते हैं.

मुख्य रूप से रागिणी गांव देहातों में ख़ुशी के मौको पर गाई जाती है, जैसे की शादी बियाह के मौकों पर. लेकिन यह किसी भी मौके पर गाई जा सकती है.

क्यों गाई गई प्रोटेस्ट में रागिणी?

दिल्ली में चल रहे किसान आन्दोलन की सब से अनोखी बात यह है की प्रदर्शन करने आए ये किसान अपनी मांगों को ले कर बेहद क्रिएटिव है. वें सिर्फ अपनी मांगों को ले कर नारे लगाना नहीं जानते बल्कि अपनी बात अलग अलग माध्यमों के द्वारा जाहिर करना भी जानते हैं. रागिणी उन्ही में से एक माध्यम है.

शाम 4:30 बजे से रागिणी गाना शुरू किया गया था और 4-5 घंटे तक अलग अलग कलाकारों ने किसान आन्दोलन के समर्थन में कई तरह कि रागिणी गा कर सरकार की पोल खोलने का काम किया.

क्योंकि रागिणी में किसानों के द्वारा फसल की उगाई से ले कर कटाई तक हर तरह का वर्णन मिलता है इसीलिए रागिणी ने मुख्य रूप से किसानों की आवाज बुलंद करने का काम किया है.

उस समय मौजूद कलाकारों के द्वारा कई ऐसे गाने गाए गए जो की सरकारी हुकूमत, भ्रष्टाचार, शोषण, उत्पीडन, नौकरशाही, बेरोजगारी इत्यादि न जाने कई तरह की समस्याओं और सरकार को घेरने का काम किया गया. जिस से आन्दोलन कर रहे किसानों के अन्दर एक अलग तरह की ऊर्जा का संचार देखने को मिलता है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...