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बनारसी दम आलू घर पर बनाएं

बनारसी दम आलू का नाम एक वैष्णव भोजन में लिया जाता है. वैष्णव खाने में प्याज और लहसून का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता है. बता दें कि दम आलू में छोटे आलू को गोंदकर तला जाता है. और फिर विभिन्न प्रकार के मसाले में पकाया जाता है.

अगर आप तले हुए मसाले को परहेज करते हैं तो उबले हुए आलू में भी बना सकते हैं. यह एक ऐसी डिश है जिसमें काजू और थोड़ी सी क्रीम भी डाली जाती है. बनारसी दम आलू खाने में बहुत ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं.

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तो आइए जानते है बनारसी दम आलू बनाने का आसान तरीका जिसे खाते ही आपके मुंह में भी पानी आ जाएगा.

समाग्री

छोटे आलू

तेल तलने के लिए

जीरा

हिंग

काजू

टमाटर

अदरक

घी

कसूरीमेथी

नमक

ताजी सब्जी

ब्राउन शुगर

पानी

हरी धनिया

विधि

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सबसे पहले आलू को उबाल लें. अब कड़ाही में तेल गर्म करें, सबसे पहले आलू को चारों तरफ से लाल कर लें. आप आलू को लाल होने तक भूलें. आलू को कांटा चम्मच से गर्म कर लें. आलू को पेपर पर निकालकर रख दें.

आलू को अलग रखें और फिर कड़ाही में अब करी बनाने के लिए तैयार करें. एक कड़ाही में तेल गर्म करें, साबूत, लाल मिर्च , कटे हुए टमाटर, इस समाग्री को अच्छे से भूनें. टमाटर के साथ सभी मसाले को मिलाएं.

कड़ाही में टमाटर रखकर भूनें तबतक भूनते रहें. जबतक टमाटर लाल न हो जाए. अब टमाटर में थोड़ा सा घी मिक्स कर दें.

अब कड़ाही में इलायची और कसूरी मेथी डाल दें. और कुछ सेकेंड के लिए डाल दें. अब इसमें सभी मसाले को मिक्स करके डालें.

जब मसाला पक जाए तो एक कप पानी डाल दें. और फ्राई किए हुए आलू को मिक्स करके अच्छे से चलाएं. इसके ऊपर धनिया की पत्ति से सजाकर कर सर्व करें.

सहजन पौष्टिक व लाभकारी

 लेखक-प्रो. रवि प्रकाश मौर्य 

भानु प्रकाश राणा आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने सहजन के बारे में बताया कि सहजन भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक?है और इस में औषधीय गुण हैं. इस में पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं.

पूरा पौधा है काम का सहजन के पौधे का लगभग सारा हिस्सा खाने के योग्य?है. पत्तियां हरी सलाद के तौर पर खाई जाती?हैं और करी में भी इस्तेमाल की जाती हैं. सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है. इस के बीज से तकरीबन 38-40 फीसदी तेल पैदा होता है, जिसे बेन तेल के नाम से जाना जाता है. सहजन का इस्तेमाल घडि़यों में भी किया जाता?है. इस का तेल साफ, मीठा और गंधहीन होता है और कभी खराब नहीं होता है. इसी गुण के कारण इस का इस्तेमाल इत्र बनाने में किया जाता है.

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छाल, पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं. पत्तियों की चटनी बनाने के लिए पौधे के बढ़ते अग्रभाग और ताजा पत्तियों को तोड़ लें. पुरानी पत्तियों को कठोर तना से तोड़ लेना चाहिए, क्योंकि इस से सूखी पत्तियों वाला पाउडर बनाने में ज्यादा मदद मिलती है. सहजन की खेती इस की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश में आसानी से की जा सकती है. पूरे खेत में न लगा सकें, तो खेती की मेंड़ों पर, बगीचों के किनारे, बेकार पड़ी भूमि में लगाएं. प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि सहजन की खेती की सब से बड़ी बात यह है कि यह पौधा सूखे की स्थिति में कम से कम पानी में भी जिंदा रह सकता है.

कम गुणवत्ता वाली मिट्टी में भी यह पौधा लग जाता है. इस की वृद्धि के लिए गरम और नमीयुक्त जलवायु और फूल खिलने के लिए सूखा मौसम सटीक है. सहजन के फूल खिलने के लिए 25 से 30 डिगरी तापमान अनुकूल है. बीजारोपण से पहले 50 सैंटीमीटर गहरा और 50 सैंटीमीटर चौड़ा गड्ढा 3-3 मीटर की दूरी पर खोद लें. सहजन के सघन उत्पादन के लिए एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच की दूरी 3 मीटर हो और लाइन के बीच की दूरी भी 3 मीटर होनी चाहिए. सूर्य की सही रोशनी और हवा को तय करने के लिए पेड़ को पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर लगाएं. पौध रोपण से 8 से 10 दिन पहले प्रति पौधा 8-10 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद डाली जानी चाहिए. सहजन के पौधे को ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए.

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पूरी तरह से सूखे मौसम में शुरुआत के पहले 2 महीने नियमित पानी देना चाहिए और उस के बाद तभी पानी डालना चाहिए, जब इसे पानी की जरूरत हो. अगर सालभर बरसात होती रहे, तो पेड़ भी सालभर उत्पादन दे सकता है. सूखे की स्थिति में फूल खिलने की प्रक्रिया को सिंचाई के माध्यम से तेज किया जा सकता है. कटाईछंटाई पेड़ की कटाईछंटाई का काम पौधारोपण के एक या डेढ़ साल बाद ठंडे मौसम में किया जा सकती है. 2 फुट की ऊंचाई पर हर पेड़ में 3 से 4 शाखाएं छांट सकते हैं. खाने के लिए जब कटाई की जाती है, तो फली को तभी तोड़ लिया जाना चाहिए जब वह कच्चा (तकरीबन एक सैंटीमीटर मोटा) हो और असानी से टूट जाता हो. पुरानी फली (जब तक पकना शुरू न हो जाए) का बाहरी भाग कड़ा हो जाता है, लेकिन सफेद बीज और उस का गूदा खाने लायक रहता है.

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बीज उत्पादन पौधा रोपने के लिए बीज या तेल निकालने के मकसद से फली को तब तक सूखने देना चाहिए, जब तक वह भूरी न हो जाए. कुछ मामलों में ऐसा जरूरी हो जाता है कि जब एक ही शाखा में कई सारी फलियां लगी होती हैं, तो उन्हें टूटने से बचाने के लिए सहारा देना पड़ता है. फसल की पैदावार खासतौर पर बीज के प्रकार और किस्म पर निर्भर करती है. ठ्ठ सहजन की प्रमुख किस्में रोहित -1. (एक साल में दो फसल), कोयंबटूर 2. पीकेएम-1, पीकेएम-2 आदि हैं. पौधा रोपण के बाद इस में फूल आने लगते हैं और 8 से 9 महीने के बाद इस की उपज शुरू हो जाती?है. साल में एक से दो बार इस की फसल होती है. यह लगातार 4 से 5 साल तक उपज देती है.

साठ पार का प्यार -भाग 1: सुहानी ने कैसा पैतरा अपनाया

सुबहसुबह रजाई से मुंह ढांपे समीर  काफी देर तक जब पत्नी के उठाने का और गरमागरम चाय के कप का इंतजार करतेकरते थक गए तो रजाई से धीरे से मुंह निकाल कर बाहर झांका, ‘अभी तक कहां है सुहानी’ तो जो कुछ नजर आया, उस पर यकीन करना मुश्किल हो गया.

उलटेसीधे गाउन पर 2-3 स्वेटर पहने, मुंह और सिर भी शौल से लपेटे रहने वाली सुहानी आज गुलाबी रंग का चुस्त ट्रैक सूट पहने, ड्रैसिंग मिरर के सामने खुद को कई एंगल से निहारनिहार कर खुश हो रही थी.

‘‘यह क्या कर रही हो सुहानी,’’ समीर हैरानी से पलकें झपकाते हुए बोले.

‘‘ओह, उठ गए तुम. मैं जौगिंग पर जा रही हूं.’’ वह ‘जौगिंग’ शब्द पर जोर डालती हुई मीठी मुसकराहट के साथ आगे बोली, ‘‘मैं ने चाय पी ली, तुम्हारी रखी है, गरम कर के पी लेना.’’

‘‘लेकिन तुम इतने कम कपड़े पहन कर कहां जा रही हो, सर्दी लग जाएगी. वाक पर तो रोज ही जाती हो, आज यह जौगिंग की क्या सूझी,’’ समीर उठ कर बैठते हुए बोले. उन्हें सामने खड़ी सुहानी पर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था.

‘‘डार्लिंग,’’ सुहानी प्यार से उन के गालों पर हलकी सी चिकौटी काटती, दिलकश मुसकराहट बिखेरती हुई बोली, ‘‘पहले सारे किस्सेकहानियों में फोर्टीज की बात होती थी, अब सिक्सटीज की बात होती है. सुना नहीं, ‘लव इन सिक्सटीज?’ ’’

वह थोड़ा सा उन से सट कर बैठती हुई आगे बोली, ‘‘मैं ने सोचा, लव दूसरे से करना जरूरी है क्या, क्यों न खुद से ही शुरुआत की जाए. पहले खुद से, फिर तुम से,’’ उस ने रोमांटिक अंदाज में समीर के होंठों पर उंगली फेरने के साथ उन की आंखों में झांका.

समीर को गले से थूक निगलना पड़ा. 64 साल की उम्र में भी बांछें खिल गईं. मन ही मन सोचने लगे, ‘वैसे तो हाथ ही नहीं आती है…अब उम्र हो गई है, ये है, वो है. बिगड़ी घोड़ी सी बिदक जाती है. आज क्या हो गया.’

‘‘लेकिन इतने कम कपड़ों में तुम्हें ठंड नहीं लगेगी,’’ बुढ़ापे में चिंता स्वाभाविक थी.

‘‘अंदर से सारा इंतजाम किया हुआ है,’’ वह अंदर पहने कपड़े दिखाती हुई बोली, ‘‘ठंड नहीं लगेगी. अब तुम भी रजाई फेंक कर उठ जाओ और चाय गरम कर के पीलो,’’ उस ने फिर एक बार समीर के होंठों को हौले से छूने के साथ मस्तीभरी नजरों से देखा.

समीर को लगा कि शायद सुहानी कहीं मस्ती में उन के होंठों को चूम ही न ले. पर सुहानी का इतना नेक इरादा न था. वह उठ खड़ी हुई.

उस ने एकदो बार अपनी ही जगह पर खड़े हो कर जूते फटकारे. थोड़ी उछलीकूदी.

‘‘यह क्या कर रही हो?’’ समीर की हैरानी अभी भी कम नहीं हो रही थी.

‘‘बौडी को वार्मअप कर रही हूं डियर,’’ कह कर, तीरे नजर उन पर डाल कर, उन्हें खुश करती, 2 उंगलियों से बाय करती, बलखाती हुई सुहानी बाहर निकल गई.

समीर बेवकूफों की तरह थोड़ी देर वैसे ही बैठ कर उस भिड़े दरवाजे को देखते रहे जो अचानक लगे धक्के से अभी भी हिल रहा था. फिर हकीकत में वे रजाई फेंक कर उठ खड़े हो गए.

सड़क पर सुहानी हलकी चाल से दौड़ रही थी. उस का पहला दिन था. एक तय चाल से वाक करना और हलकी चाल से दौड़ना, दोनों बातें अलग थीं. अधिक थकान न हो, इसलिए वह बहुत एहतियात बरत रही थी. समीर को रिटायर हुए 4 साल हो गए थे. रिटायर होने के बाद भी 2 साल तक वे छिटपुट इधरउधर जौब करते रहे, पर 2 साल से पूरी तरह घर पर ही थे. समीर को सेहत का पाठ पढ़ातेपढ़ाते सुहानी थक चुकी थी. समीर सेहत के मामले में लापरवाह थे.

सुहानी अपनी सेहत का पूरा खयाल

रखती थी, रोज वाक पर जाती

थी, खाने में परहेज करती थी. पर समीर के पास हर बात के लिए कारण ही कारण थे. कभी नौकरी की व्यस्तता का बहाना, फिर कभी रिटायरमैंट के

बाद कुछ समय आराम करने का बहाना. 2 साल से हर तरह से खाली होने के बावजूद समीर को सुबह की सैर पर ले जाना टेढ़ी खीर था. वे आलसी इंसान थे. आराम से उठो, सब तरह का खाना खाओपियो, ऐश करो.

समीर का बढ़ता वजन, बढ़ता पेट देख कर सुहानी को चिंता होती. उन का बढ़ता ब्लडप्रैशर, कभीकभी शुगर का बढ़ना उस की पेशानी में बल डाल देता. वह सोच में पड़ जाती कि कैसे समीर को अपनी सेहत पर ध्यान देने की आदत डाले, कैसे समझाए समीर को, कैसे उन का आलसीपन दूर करे.

इसी कशमकश में डूबतीउतराती सुहानी की नजर एक दिन पत्रिका में छपे एक लेख ‘लव इन सिक्सटीज’ पर पड़ी. वाह, कितना रोमांचक और रोमैंटिक टाइटल है. उस लेख को पढ़ कर पलभर के लिए उसे भी रोमांच हो आया. उस का दिल किया कि थोड़ा रोमांस वह भी कर ले समीर से. पर समीर के थुलथुलेपन को देख कर उस का सारा रोमांस काफूर हो गया.

बात सिर्फ सेहत के प्रति लापरवाही की होती, तो भी एक बात थी, पर घर में दिनभर खाली रहने के चलते समीर को हर छोटीछोटी बात पर टोकने की आदत पड़ गई थी. घर में काम वाली, धोबी, प्रैसवाला, माली सभी समीर के इस रवैए से परेशान रहने लगे थे.

‘ठीक से काम नहीं करती हो तुम, पोंछा ऐसे लगाते हैं क्या, बरतन भी कितने गंदे धोती हो. प्रैस कितनी गंदी कर के लाता है यह प्रैसवाला, लगता है बिना प्रैस किए ही तह कर दिए कपड़े.’’ कभी माली के पीछे पड़ जाते, ‘‘कुछ काम नहीं करता यह माली, बस आता है और फेरी लगा कर चला जाता है. तुम भी इसे देखती नहीं हो…’’

साठ पार का प्यार -भाग 3: सुहानी ने कैसा पैतरा अपनाया

अपना सिर समीर के कंधों पर टिका कर, मदभरी नजरों से समीर की आंखों में देखने लगी. फिर जानलेवा मुसकराहट समीर पर डाल कर सुहानी बाहर निकल गई.

‘बहकने का पूरा सामान है आजकल सुहानी के पास. यह क्या हो गया सुहानी को,’ समीर सोच रहे थे, आखिर इस के पीछे रहस्य क्या है.

सुहानी के मिशन को लगभग एक हफ्ता हो गया था. एक दिन समीर सुबह नहाधो कर अखबार पढ़ने बैठे ही थे कि अचानक बैडरूम से तेज म्यूजिक की आवाज सुन कर चौंक गए. वे उठ कर बैडरूम की तरफ भागे. उन्होंने बैडरूम का भिड़ा दरवाजा थोड़ा सा खोल कर अंदर झांका. सुहानी अंदर नहाने के लिए घुसी थी पर अंदर का दृश्य देख कर उन का दिल किया कि सिर पर हाथ रख कर वहीं बैठ जाएं.

सुहानी तेज म्यूजिक पर जोरजोर से नृत्य कर रही थी. जैसे भी उस से हो पा रहा था, वह हाथपैर मार रही थी. उन्होंने अंदर जा कर म्यूजिक औफ कर दिया.

‘‘यह क्या कर रही हो सुहानी, हाथपैर तोड़ने का इरादा है क्या? तुम तो नहाने जा रही थी?’’

‘‘हां, पर मेरा दिल किया कि थोड़ी देर नाच लूं. उस दिन हंगामा पार्टी में खूब नाचे थे. थोड़ा पसीना निकलेगा, फिर सुस्ता कर नहा लूंगी,’’ सुहानी म्यूजिक औन करती हुई आगे बोली, ‘‘आओ न, तुम भी नाचो.’’ वह समीर को खींचने लगी.

‘‘अरेरेरे, यह क्या कर रही हो, ये सब वाहियात बातें मुझ से नहीं होतीं? तुम्हीं करो. मुझे वैसे भी डांस करना कहां आता है.’’

‘‘डांस न सही, थिरक तो सकते ही हो समीर. थिरकना तो सब को आता है. आओ न, कोशिश तो करो. देखो, कितना मजा आता है…’’

वह आंखों में सारे रहस्यभर कर, चुहलभरे अंदाज में भौंहों को नचा कर आगे बोली, ‘‘तुम्हारी सुरा और सुंदरी से भी ज्यादा मजा है थिरकने में. कर के तो देखो. जिस्म के अंग खुल जाएंगे, दिमाग की तनी नसें ढीली पड़ जाएंगी…’’

उस ने समीर का हाथ खींचा और जबरदस्ती साथ में डांस करने लगी. अपने हाथों से पकड़पकड़ कर उन के हाथपैर इधरउधर फेंकने लगी. कभी गोल चक्कर घुमा देती, कभी कमर और हाथ पकड़ कर दो कदम आगे, दो कदम पीछे डांस करने लगती.

करतेकरते समीर को भी लगा, कुछ मजा आ रहा है. बदन भी थोड़ाबहुत संगीतमय हो रहा था, सुरताल पर सही थिरकने लगा था. वे भी कोशिश करने लगे. थोड़ी देर तो सुहानी जबरदस्ती करती रही, पर थोड़ी देर बाद वे हलकीफुलकी कोशिश खुद भी करने लगे. सुहानी को इतना मस्त देख कर उन का दिल भी कर रहा था कि वे खुद भी उस की मस्ती में डूब जाएं. थोड़ी देर बाद वे थक कर बैठ गए. सुहानी ने म्यूजिक औफ कर दिया.

‘‘क्यों, मजा आया न…’’

समीर को भी लग रहा था. बदन के सारे सैल्स जैसे खुल कर ढीले पड़ गए हों और वे खुद को बहुत खुश व जिस्म में आराम महसूस कर रहे थे.

सुहानी थोड़ी देर सुस्ता कर नहाने चली गई और समीर बैठ कर अखबार पढ़ने लगे.

‘बकवास, कितना बोर अखबार है, रोज एकजैसी खबरें. चाहे आधे घंटे में खत्म कर लो, चाहे 2 घंटे तक चाटते रहो. मैटर नहीं बदलने वाला, वही रहेगा,’ यह बड़बड़ाते समीर ने अखबार एक तरफ पटका और सुहानी के विषय में सोचने लगे.

‘मजे तो सुहानी ले रही है जिंदगी के. उसे देख कर लगता ही नहीं कि वह जीवन के 59 वसंत देख चुकी है.’

फिट है, तो जो पहनती है उस पर फबता भी है. सुंदर लगती है, तो उस का आत्मविश्वास भी बना रहता है खुद पर. सेहत अच्छी है, तो हर तरह के मनोरंजन में हिस्सा भी लेती है. घर के सारे काम भी कर लेती है. सामाजिक कामों में सक्रिय रहती है और अपनी सखीसहेलियों के साथ मस्ती भी कर लेती है.

आजकल समीर का ध्यान घर के नौकरचाकरों से हट कर सुहानी पर केंद्रित हो गया था. इसलिए घर में काम करने वाले राहत महसूस कर रहे थे.

बच्चों के साथ भी सुहानी का जुड़ाव अच्छा था बिलकुल दोस्तों जैसा. फोन पर बच्चों से बात करती तो कोई पता नहीं लगा सकता कि बच्चों से बात कर रही है या हमउम्र से. जबकि समीर बच्चों के साथ फोन पर बातचीत में गंभीरता ओढ़े रहते. बच्चे भी उन से सिर्फ मतलब की बात करते, फिर गप मम्मी से ही मारते.

अगले दिन सुहानी ने ऐलान किया कि उस की मित्रमंडली पिकनिक जा रही है. शाम को लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी. समीर चाहे तो पूरे दिन का अपना कोई प्रोग्राम बना सकते हैं.

‘‘तुम पूरे दिन के लिए चली जाओगी, तो मैं क्या करूंगा पूरे दिन अकेले?’’ समीर आश्चर्य से बोले.

‘‘अब क्या करूं डियर, खुद से प्यार करना है तो मेहनत तो करनी ही पड़ेगी न. यों घर में रह कर मैं खुद को सजा

नहीं दे सकती. तुम्हें तो घर में बैठना पसंद है, पिकनिक जाना, पिक्चर देखना, घूमनाफिरना तुम्हें अच्छा नहीं लगता. इसलिए मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहती. पर मैं खुद से प्यार करने लगी हूं, इसलिए खुद की खुशी के लिए जो मुझे पसंद है वह तो मैं करूंगी. अभी तो हमारा शहर से बाहर जाने का प्रोग्राम भी बन रहा है कुछ दिनों का. यह सब तो अब चलता ही रहेगा. तुम अकेले रहने की आदत अब डाल ही लो.

‘‘और फिर, मैं जब खुद खुश रहूंगी तभी तो तुम से…’’ सुहानी ने बात फिर से अधूरी छोड़ दी. समीर के दिल की धड़कन तेज हो गई. सुहानी आजकल तीर सीधे उन के दिल पर छोड़ने लगी थी. अब अकसर यही होने लगा. सुहानी का प्रोग्राम कभी कहीं और कभी कहीं का बन जाता. वह दिनोंदिन और भी खुश होती दिखाई दे रही थी.

कभीकभी समीर को लगता, कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं. कहीं सुहानी इस उम्र में हाथ से तो नहीं निकली जा रही. आम कुरतासलवार और साड़ी पहनने वाली सुहानी इन दिनों अपने कपड़ों में भी तरहतरह के प्रयोग करने लगी थी. कभी कुरती के साथ लहंगा, कभी पैंट्स, कभी प्लाजो, कभी फ्लेयर्स, जो भी शालीन फैशन था अपनाने लगी थी. उस की दोस्ती कालोनी की अपने से कम उम्र की महिलाओं से होने लगी थी. बहू से उस की बातें मेकअप, फैशन, नई फिल्मों, हीरोहीरोइनों व क्रिकेटरों को ले कर होतीं. यह नहीं कि ‘हमारे जमाने में ये होता था…हमारे जमाने में वो होता था.’

खुद से प्यार करना इतना अच्छा होता है क्या? समीर बारबार सोचने के लिए मजबूर हो जाते. सुहानी खुद से प्यार कर के इतनी बदल सकती है तो वे खुद क्यों नहीं.

सुबह नाश्ते में सुहानी समीर के टोस्ट पर मक्खन की मोटी परत लगा रही थी, ‘‘अरे, यह क्या कर रही हो सुहानी. खुद तो सूखा टोस्ट खाती हो और मेरे टोस्ट पर इतना मक्खन लगा रही हो. कितना वजन बढ़ गया है मेरा. तुम नहीं चाहतीं कि मेरा वजन कम हो. कल से फल, दूध, दही, दलिया वगैरह दिया करो, ये घीमक्खन आदि सब बंद.’’

‘‘क्यों?’’ सुहानी हैरानी से बोली हालांकि अंदर से वह खुश हुई जा रही थी, ‘‘तुम्हें तो टोस्ट पर जब तक ज्यादा मक्खन न लगे, मजा नहीं आता, बिना घी की छौंक लगे दाल हजम नहीं होती. परांठा भी एक दिन छोड़ कर देशी घी या मक्खन में बनना चाहिए. पूरीकचौड़ी, पकौड़े भी तुम्हें बहुत पसंद हैं अभी भी.’’

‘‘मैं ने कह दिया न कि अब सब बंद. जो मैं कह रहा हूं वही करो,’’ समीर दिखावटी गुस्से में बोले.

खाने के बाद सुहानी स्वीटडिश ले आई. समीर को खाने के बाद मीठा जरूर चाहिए था. इस के अलावा भी उन्हें मीठा बहुत पसंद था.

‘‘अरे, तुम यह मीठा बनाना जरा कम करो सुहानी. क्यों बनाती हो इतना मीठा, बना देती हो, फिर खाना पड़ता है,’’ समीर सारा दोष उस के सिर पर मढ़ते हुए बोले.

‘‘हां, पर तुम्हें पसंद है, तभी बनाती हूं. नहीं बनाती हूं तो तुम गुड़ या चीनी ही खा जाते हो. पर मीठा तुम्हें जरूर चाहिए खाने के बाद,’’ सुहानी अपनी मुसकान छिपाते हुए बोली, ‘‘तुम्हारे लिए ही बनाती हूं, मैं तो खाती भी नहीं हूं.’’

‘‘वही तो, तुम तो चाहती हो कि तुम दुबलीपतली रहो और मैं फैल कर एक क्ंिवटल का हो जाऊं.’’

सुहानी हतप्रभ हो समीर को देखती रह गई. समीर आगे बोले, ‘‘ऐसे क्या देख रही हो, कल से रोज का मीठा बंद. देखा नहीं था पिछली बार शुगर नौर्मल लिमिट को क्रौस कर गई थी. पर तुम्हें मेरी सेहत का जरा भी खयाल नहीं. और होगा भी कैसे, तुम्हें अपने सैरसपाटे, पिकनिक, सहेलियों से फुरसत मिले तब तो. हां, कभीकभार की बात अलग है.’’

सुहानी अपलक समीर को देखती  रह गई. चित भी मेरी पट भी मेरी. ‘‘ठीक है,’’ वह स्वीटडिश उठाती हुई बोली, ‘‘जैसा तुम कहो. मुझे तो खुद के बाद तुम से ही प्यार करना है.’’ सुहानी तिरछी नजर से समीर को देख रही थी, समीर घायल होतेहोते बचे.

‘खानपान और दिनचर्या पर कंट्रोल रखना पति या पत्नी पर एकदूसरे की बस की बात नहीं होती. जबरदस्ती करने या टोकाटाकी करने से झगड़ा होने का पूरापूरा अंदेशा रहता है. यह तभी हो सकता है जब खुद अंदर से ही सोच आ जाए,’ सुहानी ने यह सोचा.

एक दिन समीर से मिलने 2 आदमी आए. समीर अंदर आए, सुहानी से चाय बनाने के लिए कहा. थोड़ी देर बाद दोनों आदमी चले गए.

‘‘कौन थे ये, पहले तो कभी नहीं देखा इन्हें?’’ सुहानी बोली.

‘‘यहां एक संस्था है गोकुल,’’ समीर बोले, ‘‘जो विकलांग लोगों के लिए काम करती है. ये दोनों उसी संस्था के लिए काम करते हैं. मैं सोचता हूं सुहानी, गोकुल संस्था मैं भी जौइन कर लूं. समय भी अच्छा बीतेगा, बिजी भी रहूंगा और एक नेक काम भी होगा. क्यों, तुम क्या कहती हो?’’ समीर ने सुहानी की तरफ देखा.

‘‘मैं क्या कहूंगी, जो तुम ने सोचा, ठीक ही सोचा होगा,’’ सुहानी बोली और मन ही मन सोचा, ‘घर में भी सुखशांति रहेगी, काम वाले भी आराम से काम करेंगे.’

दूसरे दिन जब सुहानी जौगिंग के  लिए तैयार हो कर कमरे से बाहर  आई तो लौबी में समीर को ट्रैक सूट व जूतों से लैस पाया. वह खुशी से भीगी आंखों से समीर को देखती रह गई. वह तो यही सोच रही थी कि समीर अभी भी बिस्तर पर गुड़मुड़ सो रहे होंगे. उस ने ध्यान भी नहीं दिया कि कब समीर उठ कर दूसरे बाथरूम में जा कर तैयार हो कर आ गए.

‘‘समीर तुम? आज इतनी जल्दी कैसे उठ गए?’’ सुहानी करीब आ कर खड़ी हो गई, ‘‘कहां जा रहे हो?’’

‘‘लव इन सिक्सटीज डियर,’’ समीर उसी के अंदाज में उस के गालों पर चिकौटी काट कर होंठों को उंगली से सहलाते हुए बोले, ‘‘मैं ने सोचा कि तुम ही क्यों, मैं क्यों नहीं प्यार कर सकता सिक्सटी में खुद से. खुद से प्यार करूंगा, तभी तो तुम से…’’ कह कर समीर बहकने का नाटक करते हुए उस की तरफ झुक गए.

‘‘ऊं हूं,’’ सुहानी पीछे हटती हुई बोली, ‘‘मुझ से अभी नहीं. पहले खुद से तो ठीक से प्यार करना सीख लो. लेकिन सोच लो, प्यार की डगर बहुत कठिन होती है, फिसलनभरी होती है. बहुत हिम्मत, सब्र व लगन के साथ आगे बढ़ना पड़ता है. फिर चाहे प्यार खुद से करना हो या दूसरे से. कर पाओगे? बीच राह में हिम्मत तो नहीं हार जाओगे?’’

‘‘अब प्यार किया तो डरना क्या, ओखली में सिर दे दिया तो मूसल से क्या डरना. औरऔर…’’

‘‘बस, बस. बहुत हो गए मुहावरे,’’ सुहानी हंसती हुई बोली.

‘‘ओके डार्लिंग, मैं चला,’’ कह कर समीर 2 उंगलियों से स्टाइल से बाय कहते हुए बाहर निकल गए.

अपनी जीत पर मन ही मन मुसकराती सुहानी ने मेन दरवाजे की चाबी घुमाई और दौड़ती हुई समीर की बगल में जा कर कदमताल करती हुई दौड़ने लगी. सुबह का खूबसूरत समां था. पक्षियों का दिलकश कलरव था और सिक्सटीज की उम्र में खुद से प्यार करने का कुछ अलग ही मजा था.

 

साठ पार का प्यार -भाग 2: सुहानी ने कैसा पैतरा अपनाया

कभी सुहानी के ही पीछे पड़ जाते, ‘‘तुम कामवाली को गरम पानी क्यों देती हो काम करने के लिए? गीजर चला कर बरतन धोती है, गरम पानी से पोंछा लगाती है. उस से बिजली का बिल बढ़ता है. कामवाली को सर्दी की वजह से आने में देर हो जाती तो समीर की भुनभुनाहट शुरू हो जाती. रोज देर से आने लगी है, तुम इसे कुछ कहती क्यों नहीं, लगता है इस ने सुबह कहीं काम पकड़ लिया है?’’

पोंछा लगा कर कामवाली कमरे का पंखा चला देती तो वे हर कमरे का पंखा बंद कर के बड़बड़ाते रहते, ‘मैं तो नौकर हूं न, पंखे बंद करना मेरा काम है. सर्दी हो या गरमी, इसे पंखे जरूर चलाने हैं.’

माली से जब वे अपने हिसाब से काम कराने लगते तो उसे कुछ समझ नहीं आता और वह भाग खड़ा होता. जब सुहानी कई बार फोन कर के मिन्नतें करती तब जा कर वह आता. कामवाली डांट खा कर जबतब छुट्टी कर लेती. प्रैसवाला कईकई दिनों के लिए गायब हो जाता. सुहानी को काम करने वालों को रोकना मुश्किल हो रहा था. पर समीर थे कि अपने निठल्लेपन से बाज नहीं आ रहे थे.

काम वाले जबतब सुहानी से साहब की शिकायत करते रहते. सुहानी समीर को कई बार समझाती, ‘इन के पीछे क्यों पड़े रहते हो समीर. तुम अपने काम से काम रखा करो. इन सब को जैसे मैं इतने सालों से हैंडिल कर रही थी, अब भी कर लूंगी. तुम्हारे ऐसे रवैए से ये सब किसी दिन भाग खड़े होंगे.’

पर समीर को तो लगता कि सब सुहानी को बेवकूफ बनाते हैं. उन के कानों पर जूं न रेंगती. उन के पास तो वक्त ही वक्त था इन सब बातों पर ध्यान देने के लिए. सुहानी कई कामों में लगी रहती. कई सामाजिक कामों से भी उस ने खुद को जोड़ रखा था. वह एक लेडीज क्लब की मैंबर भी थी. उसे समीर की इन बेकार की बातों से उलझन होती. वह चाहती, समीर भी अपनी नियमित दिनचर्या बनाएं, ताकि उन की सेहत भी ठीक रहे और वे किसी सामाजिक संस्था से भी जुड़ें जिस से व्यस्त रहें और से उन की मानसिक सेहत भी ठीक रहे.

सोचतेसोचते सुहानी पार्क में पहुंच गई. रोज वह पास की ही सड़क पर वाक कर लेती थी, पर उस दिन वह घर से थोड़ी दूर पार्क में चली गई थी. वहां हर तरह, हर उम्र के स्त्रीपुरुष थे. कोई दौड़ रहा था, कोई चल रहा था, कोई कसरत कर रहा था.

सुहानी थोड़ी देर बैंच पर बैठ गई.

बस, उसी दिन से सुहानी के दिमाग में एक तरकीब आई समीर को बदलने की. बोलने से तो समीर कभी नहीं मानेंगे, उसे पता था. देखते हैं आगेआगे होता है क्या. सुहानी होंठों ही होंठों में मुसकराई और फिर उठ कर चलने लगी. इस तरह से पूरा घंटा पार्क में बिता कर वह घर वापस आ गई.

‘‘आज तो बहुत देर कर दी, रोज तो आधे घंटे में वापस आ जाती थी,’’ समीर उस के चेहरे को देख कर घूरते हुए बोले.

‘‘आज से पार्क जाना शुरू कर दिया है,’’ सुहानी एक मस्त अंगड़ाई सी ले कर कुरसी पर बैठ कर जूते के फीते खोलती हुई बोली, ‘‘मजा आ गया आज तो, वहां तो बहुत लोग आते हैं हर उम्र के.’’ वह मजे से एक आंख दबा कर आगे बोली, ‘‘फोर्टीज से ले कर सिक्सटीज तक के. इस से ऊपर के भी आते हैं. जल्दी ही नए दोस्त बन जाएंगे, फिर जौगिंग का अपना ही मजा आएगा.’’

वह जूते उठा कर कमरे में चली गई. ‘क्या कह गई थी सुहानी’ समीर उस की कही बात पर मन ही मन अटकलें लगाने लगे. सुहानी यों भी हंसमुख थी. सेहत ठीक थी. बिजी रहने से उस की मानसिक सेहत भी अच्छी रहती थी. पर उस दिन से तो वह और भी खुश व मस्त रहने लगी थी. हर समय गुनगुनाती, हंसतीखिलखिलाती सुहानी को देख कर समीर का ध्यान दूसरी बातों से हट कर सुहानी पर ही केंद्रित हुआ जा रहा था.

वे समझ नहीं पा रहे थे कि सुहानी में इतना बदलाव कैसे आया. सुहानी को दोपहर में खाना खाने के बाद सोने की आदत थी. पर एक दिन सोने के बजाय वह साड़ी प्रैस करने लगी.

‘‘सुहानी, तुम कहीं जा रही हो?’’

‘‘हां,’’ सुहानी साड़ी उठा कर कमरे में तैयार होने चली गई. तैयार हो कर वह जब बाहर निकली तो समीर उसे देख कर चौंक गए.

सुहानी ने यों तो अपनी उम्र को बांध ही रखा था. पर आज तो आलम कुछ अलग ही था. आज तो सुहानी को देख कर उन का दिल भी कुछ खास अंदाज में धड़क गया. स्टाइलिश साड़ी और स्टाइलिश ब्लाउज.

‘‘यह साड़ी कब खरीदी,’’ समीर साड़ी को घूरते हुए बोले, ‘‘मेरे साथ तो कभी नहीं ली?’’

‘‘खरीदी कहां डियर, तुम मुझे इतना चटख रंग कहां लेने देते. वह तो जब पिछली बार पुणे गई थी तो भाभी ने जबरदस्ती दिला दी थी.’’

‘‘तो तुम ने दिखाई क्यों नहीं अभी तक?’’

‘‘मैं ने सोचा कहीं तुम्हें पसंद नहीं आई तो तुम मुझे इस का ब्लाउज भी नहीं सिलवाने दोगे. आज मेरी एक सहेली के घर पर सारी सहेलियां इकट्ठी हो रही हैं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘बस, ऐसे ही. हंगामा पार्टी है.’’

‘‘हंगामा पार्टी? क्या मतलब? बर्थडे पार्टी, रिसैप्शन पार्टी, मैरिज पार्टी, रिटायरमैंट पार्टी तो सुनी हैं. आजकल के युवाओं की तथाकथित ब्रेकअप पार्टी के बारे में भी पढ़ा है, लेकिन यह हंगामा पार्टी क्या होती है?’’

‘‘मतलब,’’ सुहानी किसी नवयौवना की तरह पलकें झपकाती हुई बोली, ‘‘लव इन सिक्सटीज डियर. तेज म्यूजिक पर डांस करेंगे, मस्ती करेंगे, गाना गाएंगे और…’’

‘‘और?’’

‘‘और उस के बाद केक काटेंगे खाएंगेपिएंगे, बस,’’ कहती हुई सुहानी ने हथेलियां एकदूसरे पर झाड़ दीं.

‘‘मैं यहां अकेला बैठा रहूं और तुम अपनी सहेलियों के साथ हंगामा पार्टी करो,’’ समीर झुंझला कर बोले.

‘‘लव इन सिक्सटीज डियर. मजबूरी है, खुद से प्यार करना सीख रही हूं. यह कोई आसान बात नहीं. जब खुद से प्यार करूंगी तभी तो तुम से…’’ सुहानी ने बात अधूरी छोड़ दी और

घर को सजाएं लकड़ी की कलाकारी से

बारीकी से की जाने वाली लकड़ी की नक्काशी को देखते ही खूबसूरती और कलाकारी की बेमिसाल तस्वीर उभरकर आती है.वुड कार्विंग को अमूमन पारम्परिक साज-सज्जा के संदर्भ में देखा जाता है, मगर आज के दौर में इसे कंटेम्पररी और काफी ट्रेंडी माना जा सकता है.थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों और अपने यहां केरल में नक्काशीदार टीक वुड के मकान आम चलन में रहे हैं. हालांकि पूरा मकान ही वुड कार्विंग से सजाना काफी महंगा पड़ता है. इस लग्जरी को बनाने और मेंटेन करने में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है.ऐसे में होम मेकर्स विकल्प के तौर पर पूरे घर की बजाय घर के कुछ खास हिस्सों को ही वुड कार्विंग से सजाते हैं. फिर चाहे, ये हिस्से घर के इंटीरियर में शामिल हों या फिर एक्सटीरियर में, वुड कार्विंग से सजे इन हिस्सों की खूबसूरती देखते ही बनती है.

* मोल्डिंगमोल्डिंग हर तरह के वुडन होम डेकोर का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. ये मोल्डिंग कई तरह के होते हैं, जैसे : क्राउन मोल्डिंग, फ्रीज मोल्डिंग और पैनल मोल्डिंग। छत और दीवारों को जोड़ने वाली जगह पर क्राउन मोल्डिंग का प्रयोग किया जाता है. इसी तरह, फ्रीज मोल्डिंग से दीवार के तकरीबन तीन से चार फीट के हिस्से को कवर किया जा सकता है. यह दीवारों को निहायत खूबसूरत लुक देता है. इसी तरह, पेनल मोल्डिंग को दीवार के निचले हिस्से पर यूज किया जाता है. आप जिस भी तरीके से चाहें, लकड़ी को ढालकर इन्हें विभिन्न आकार दे सकते हैं. लकड़ी की कलाकारी से तैयार ये मोल्डिंग घर के इंटीरियर में बहुत सी जगहों पर यूज किए जा सकते हैं, जैसे- कमरे में लगाए गए पिलर्स के ऊपर, दीवारों पर तीन से चार फीट नीचे तक, यही नहीं खिड़कियों के किनारों पर भी. खिड़कियों के ऊपर और नीचे दोनों जगह वुड मोल्डिंग और कार्विंग से इन्हें अट्रैक्टिव बनाया जा सकता है.आजकल वुडन इंटीरियर की बढ़ती मांग को देखते हुए सोलिड वुड की बजाय एमडीएफ का यूज ज्यादा होता है.यह आपके इंटीरियर पर होने वाले खर्च को भी काफी कम कर देता है.साथ ही इस मैटेरियल को पॉलिश के जरिए रीयल वुड का लुक दिया जा सकता है.

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 * फर्नीचर नक्काशीदार वुडन फर्नीचर को आजकल काफी पसंद किया जा रहा है.इसे मार्केट में ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है.टेबल, चेयर्स, बेड, साइड टेबल, डेस्क के किनारे, दरवाजों के किनारे और टेबल पर रखे जाने वाले शो पीसेज भी वुड कार्विंग के हों, तो घर की सजावट में वे चार-चांद लगा देते हैं। घर में झूले या आराम कुर्सी को भी इंटीरियर के लिए रखा जा सकता है. इनके लिए टीक और शीशम के पेड़ों की लकड़ी यूज की जाती है.

किसान आन्दोलन के समर्थन में उमड़े किसान

सितंबर माह में केन्द्र सरकार ने खेती किसानी को लेकर जिस तरह से तीन कानून बनायें उसके विरोध में किसान आन्दोलन करने लगे. केन्द्र सरकार को शुरूआत में यह लग रहा था कि इस आन्दोलन के पीछे किसानो की आड में कांग्रेस पार्टी है. पंजाब में कांग्रेस की सरकार है इस लिये पंजाब के किसान ही आन्दोलन कर रहे है. धीरे धीरे जब किसानों ने लंबे समय तक अपना आन्दोलन जारी रखा और ‘दिल्ली कूच‘ का नारा दिया तब भी केन्द्र सरकार ने किसानों को हरियाणा में ही रोकने का काम किया. दिल्ली में प्रवेष से पहलें किसानों को जिस तरह से परेषान किया गया. उन पर लाठी डंडे चले उसकी देश भर में आलोचना शुरू हो गई.

भाजपा का समर्थन करने वाली ‘ट्रोल सेना‘ ने सोषल मीडिया में इन किसानों को खालिस्तान समर्थक और पाकिस्तान से प्रेरित होने का आरोप लगाते कहा ‘यह समय किसानों को खेत में रहकर अपनी फसल की बोआई करने का है. ऐसे समय में सडको पर आन्दोलन करने वाले यह किसान नहीं है. यह विरोधी दलों के समर्थक है.’ ‘ट्रोल सेना‘ का यह मैसेज वायरल तो हुआ पर जैसे जैसे किसानो पर पुलिस के अत्याचार और परेशान होने की खबरे सोशल मीडिया पर आने लगी यह मैसेज बेकार होने लगा. खुद दिल्ली की केजरीवाल सरकार किसानों के साथ खडी नजर आई. केन्द्र सरकार को यह लग रहा था कि इंडिया किसान कोआर्डिनेषन कमेटी के साथ इस आन्दोलन में राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन जैसे छोटे बडे किसान संगठन पूरे देश से आवाज को उठाने लगेगे.

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भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने फैसला किया है कि हर जिले में उसका संगठन पंजाब-हरियाणा के किसानो साथ है. उत्तर प्रदेश  में जिन जगहो पर किसानों का प्रदर्षन हुआ वहां उसके पीछे किसान यूनियन के ही पदाधिकारी प्रमुख रूप से सामने दिखे. किसान यूनियन भी कई गुटों में बंटी होने के कारण कमजोर दिख रही है. इसके बाद भी हौसलें बुलंद है. किसानों का कहना है कि कम संख्या के बाद भी हमारी आवाज बुलन्द है और केन्द्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देगे. हमारा संगठन जितने लंबे आन्दोलन को कहेगा हम तैयार है.

स्टोरेज से बढेगी मंहगाई और कालाबाजारी: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को घेरने के लिये जब किसानों ने आना शुरू किया तो यहां एक दिन पहले ही धारा 144 लागू कर दी गई थी. किसानों को हाईवे पर ही रोकना शुरू कर दिया गया. मोहनलालगंज में भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला महामंत्री सरदार दिलराज सिंह की अगुवाई में लखनऊ-रायबरेली राजमार्ग को जाम कर दिया गया. इनके साथ मंडल उपाध्यक्ष राजेश  सिंह चैहान, जिला अध्यक्ष सरदार गुरूमीत सिंह, महिला जिला अध्यक्ष माना सिंह इसके साथ किसान रामानंद रावत, बद्री प्रसाद और बाबूलाल पाल जैसे सैकडों किसान मौजूद थे. किसानों ने लखनऊ-सुल्तानपुर राजमार्ग पर गोसाईंगज और लखनऊ-सीतापुर मार्ग पर इंटौजा पर भी जाम लगाकर धरना दे दिया.

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सरदार दिलराज सिंह ने कहा ‘केंद्र  सरकार मंडियों को खत्म कर देना चाहती है. केन्द्र सरकार को देखना चाहिये कि मंडियों को खत्म करने के बाद भी बिहार में किसानों का भला नहीं हुआ. बिहार में 2006 में मंडियो को खत्म कर दिया गया था. अभी तो केवल इस कानून के लागू होने की बात ही हुई है इसका यह असर है कि धान की खरीद बंद हो गई है. धान का समर्थन मूल्य 1868 रूपये सरकार ने रखा है सरकारी खरीद सभी किसानों के धान नहीं खरीद पाती. ऐसे में मजबूर किसान का धान 8 सौ रूपये से लेकर 11 सौ रूपये तक ही है. जब मंडियां बंद हो जायेगी तब सोचिए किसान कितना परेषान होगा.‘

सरदार दिलराज सिंह ने कहा ‘सरकार को चाहिये कि किसानों को राहत देने के लिये हर फसल का न्यूनतम मूल्य तय कर दे. तय मूल्य से कम कीमत में खरीददारी करने वाले को सजा दी जाये. केन्द्र सरकार ने आवष्यक वस्तु अधिनियम में संषोधन करके स्टोरेज की क्षमता को असीमित कर दिया है. जिसके कारण देश के बाजार पर व्यापारियांे का नियंत्रण हो जायेगा. इससे कालाबाजारी और मंहगाई बढेगी. जो भी चीज स्टोर हो सकती है उसकी कीमत को मनचाहे तरीके से बढाने का अधिकार हासिल हो जाता है.‘

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और भी है किसानों के मुददे: कृषि कानून को वापस लेने और उसमें सुधार के अलावा स्थानीय मुददें भी किसान उठा रहे थे. राजेष सिंह चैहान ने कांट्रैक्ट फार्मिग पर सवाल उठाते कहा ‘कांट्रैक्ट फार्मिग‘ देष के हित में नहीं है.‘ भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के जिला अध्यक्ष आशीष  यादव ने गोंसाईगंज कस्बे के पास सडक पर धरना दिया. उनका कहना है ‘पराली के मुददे पर किसानों को पुलिस परेषान कर रही है. जो किसान अपने खेत में नहीं जलाते उनको भी पुलिस परेशान कर रही है. तमाम किसानों को जेल भेजा गया. ऐसे किसानों को तुरंत रिहा किया जाये.’ यही नहीं किसानों ने नहरों में पानी ना आने, धान की सही खरीद ना होने, बिजली का बढा बिल 2020 वापस लेने और हरियाणा के किसानों पर से मुकदमा हटाकर उनको रिहा करने की मांग भी उठाई.

छोटेछोटे  शहरों के किसानों के यह तेवर देखते हुये भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ आरएसएस से जुडे किसान संगठन भी बैकफुट पर आ गये है. भारतीय किसान संघ ने केन्द्र सरकार से कहा कि किसानों की मांगे जल्द से जल्द पूरी की जाये. अगर किसानों की मांग केन्द्र सरकार ने नहीं मानी तो विरोधी दल किसानों का उपयोग करेगे. किसानों का दबाव इस बात पर है कि सरकार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून बना दे. जिससे एक तय कीमत मिलने का भरोसा सभी किसानों को हो जाये.

आदित्य नारायण की शादी में आएंगे सिर्फ 50 मेहमान, यहां होगी शादी

नेहा कक्कड़ के शादी के बाद अब आदित्या नारायण ने भी शादी करने का फैसला ले लिया है. बता दें कि नेहा कक्कड़ और आदित्या नारायण एक साथ रियलिटी शो में भी काम करचुके हैं.

वहीं आदित्या नारायण ने इस बात का खुलासा बहुत पहले कर दिया था कि वह जल्द ही घोड़ी चढ़ने वाले हैं. वह अपनी लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड श्वेता अग्रवाल के साथ शादी के बंधन  में बंधने जा रहे हैं.

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अब आपको आदित्या नारायण और श्वेता अग्रवाल की शादी कब और कैसे होनी है उसकी सारी जानकारी आपको देते हैं. हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आदित्या नारायण अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मंदिर में फेरे लेने वाले हैं. इस बारे में आदित्य ने भी कुछ वक्त पहले खुलासा किया था.

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साथ ही खबर आ रही है कि आदित्या 1 दिसंबर के दिन फेरे लेने वाले हैं. जिसमें सिर्फ 50 लोग ही सम्मिलित होंगे. क्योंकी महाराष्ट्र सरकार ने 50 लोगों से ज्यादा लोगों को आने के लिए मनाही किया है.

इसिलिए सिर्फ करीबी रिश्तेदार और परिजन ही इस शादी में शामिल हो पाएंगे. यह बहुत ही सिमपल मंदिर वाली शादी होगी. जिसके बाद आदित्या के परिवार वाले एक छोटा सा रिसेप्शन देंगे.

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कोविड की वजह से ज्यादा लोगों को बुला नहीं पाएंगे. बता दें कि आदित्या नारायण और श्वेता अग्रवाल बीते कई वर्षों से एक- दूसरे को जानते हैं. खबर है कि यह दोनों पिछले 10 साल से एक-दूसरे को जानते हैं. इन्होंने अपना रिश्ता मीडिया से छुपाकर रखा था.

इनके अफेयर की शुरुआत तब हुई थी जब आदित्या नारायण और श्वेता अग्रवाल फिल्म शोपित को एक साथ डेब्यू किया था.

बिग बॉस 14 के घर से बाहर जाने के बाद इस हाउसमेट को मिस करेंगी पवित्रा, हुई इमोशनल

बिग बॉस 14 के सफर में एक और वीकेंड का वार इंतजार कर रहा है. हर वीकेंड के वार में सलमान खान घर के सदस्यों को घर से बाहर का रास्ता दिखाते हैं. यहीं वजह है कि वीकेंड का वार नाम सुनते ही घरवाले घबरा जाते हैं.

इस सप्ताह भी घर का एक सदस्य घर से बाहर हो जाएगा. वहीं वीकेंड का वार आते ही पवित्रा पुनिया परेशान हो गई हैं. पवित्रा पुनिया को यह डर सता रहा है कि वह इस सप्ताह घर से बेघर हो सकती हैं. तो अब उन्हें बहुत सी चीजों की याद आने लगी है.

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वहीं बात करते हुए पवित्रा पुनिया ने एजाज खान का नाम लिया है. पवित्रा पुनिया ने कह कि वह एजाज खान को बहुत ज्यादा मिस करने वाली हैं. इस बात को कहते हुए पवित्रा इमोशनल हो गई.

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पवित्रा के आंख में आंसू देखते हुए एजाज खान कहते हैं कि यह कहना बहुत ज्यादा मुश्किल होगा कि घर में तुम्हारे अलावा औऱ भी लोग नॉमिनेट हुए हैं किसका जाना तय होगा अभी वक्त बताएगा.

पवित्रा के इस बात से कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं न कहीं पवित्रा भी घरसे बेघर होने वाली हैं. तभी उन्होंने बिना रुके एजाज खान को अपने दिल की बात बता दी.

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हालांकि अभी आगे क्या होने वाला है यह हमें भी पता नहीं है किकौन रहेगा और कौन जाएगा.

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