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अपना सिर समीर के कंधों पर टिका कर, मदभरी नजरों से समीर की आंखों में देखने लगी. फिर जानलेवा मुसकराहट समीर पर डाल कर सुहानी बाहर निकल गई.

‘बहकने का पूरा सामान है आजकल सुहानी के पास. यह क्या हो गया सुहानी को,’ समीर सोच रहे थे, आखिर इस के पीछे रहस्य क्या है.

सुहानी के मिशन को लगभग एक हफ्ता हो गया था. एक दिन समीर सुबह नहाधो कर अखबार पढ़ने बैठे ही थे कि अचानक बैडरूम से तेज म्यूजिक की आवाज सुन कर चौंक गए. वे उठ कर बैडरूम की तरफ भागे. उन्होंने बैडरूम का भिड़ा दरवाजा थोड़ा सा खोल कर अंदर झांका. सुहानी अंदर नहाने के लिए घुसी थी पर अंदर का दृश्य देख कर उन का दिल किया कि सिर पर हाथ रख कर वहीं बैठ जाएं.

सुहानी तेज म्यूजिक पर जोरजोर से नृत्य कर रही थी. जैसे भी उस से हो पा रहा था, वह हाथपैर मार रही थी. उन्होंने अंदर जा कर म्यूजिक औफ कर दिया.

‘‘यह क्या कर रही हो सुहानी, हाथपैर तोड़ने का इरादा है क्या? तुम तो नहाने जा रही थी?’’

‘‘हां, पर मेरा दिल किया कि थोड़ी देर नाच लूं. उस दिन हंगामा पार्टी में खूब नाचे थे. थोड़ा पसीना निकलेगा, फिर सुस्ता कर नहा लूंगी,’’ सुहानी म्यूजिक औन करती हुई आगे बोली, ‘‘आओ न, तुम भी नाचो.’’ वह समीर को खींचने लगी.

‘‘अरेरेरे, यह क्या कर रही हो, ये सब वाहियात बातें मुझ से नहीं होतीं? तुम्हीं करो. मुझे वैसे भी डांस करना कहां आता है.’’

‘‘डांस न सही, थिरक तो सकते ही हो समीर. थिरकना तो सब को आता है. आओ न, कोशिश तो करो. देखो, कितना मजा आता है...’’

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