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Crime Story: पराया धन, पराई नार पर नजर मत डालो क्योंकि…

एक किराने की दुकान में काम करने वाला पी. राजगोपाल ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह करोड़पति बन जाएगा और उस की कंपनी 21 देशों में कारोबार करने लगेगी. इसका श्रेय वह एक ज्योतिषी को देता है. मगर यही ज्योतिषी एक दिन उस के लिए काल भी बन जाएगा, यह भी उस ने नहीं सोचा होगा.

इस की शुरुआत तब हुई जब एक ज्योतिषी ने उसे तीसरी शादी करने के लिए बोल दिया. एक बार उस ने एक अखबार के पत्रकार से बातचीत करते हुए कहा था, ‘‘मेरी जिंदगी तो ज्योतिष की भविष्यवाणी से बदल गई. उस ने मुझ से कहा था कि तुम एक रेस्टोरैंट खोलो. मैं ने उन का कहा माना और आज जो कुछ हूं ज्योतिषी की ही वजह से.’’

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पी राजगोपाल जैसेजैसे पैसा कमाता गया वैसेवैसे वह अंधविश्वासी और धर्मभीरु भी बनता गया. दौलत की अकड़ में वह खुद को बादशाह मानने लगा था और धीरेधीरे ऐयाश भी हो गया था.

घोर अंधविश्वासी

कहते हैं जब पैसा आता है तो व्यक्ति को घमंड आ जाता है. वह खुद को अच्छा और सामने वाले को नकारा समझने लगता है. राजगोपाल के पास पैसा आया तो खुद को सर्वश्रेष्ठ समझना और सामने वाले को नकारा समझना उस की बङी भूल थी. सब से बड़ी गलती तो उस ने तब कर दी जब वह घोर अंधविश्वासी भी बन बैठा. वह घंटों पूजापाठ करता और माथे पर बड़ा सा तिलक लगाता. ज्योतिषियों से अपना भविष्य पूछता और वह जो कहता वही करता.

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धीरेधीरे जब उस का व्यवसाय बढऩे लगा तो पी राजगोपाल डोसा किंग के नाम से मशहूर होने लगा. उस की कंपनी दक्षिण भारतीय व्यंजन की रैस्टोरैंट चेन सर्वाना भवन देशविदेश में धूम मचाने लगी. फिलहाल कंपनी का कुल राजस्व लगभग 1 करोड़ डौलर से ज्यादा का है और कंपनी में 8 हजार से अधिक लोग काम करते हैं.

दौलत बढ़ा तो राजगोपाल की महत्त्वाकांक्षाएं भी बढ़ गईं. उस ने 2 शादियां कीं और हद की बात यह है कि तीसरी शादी करने की सोची. वह फिर ज्योतिषी के पास गया. शादी की बाबत बात की और भविष्य पूछा. यजमान का दिल तोडऩा उचित नहीं देख ज्योतिष ने भविष्यवाणी कर दी, ‘‘यह तीसरी शादी तुम्हारे लिए लाभकारी है.’’

पतन की शुरुआत

बस यहीं से राजगोपाल का पतन शुरू हो चुका था. दरअसल, तीसरी शादी वह अपनी ही कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी की बेटी से करना चाहता था. एक दिन उस युवती को देखा तो उस को दिल दे बैठा. मगर वह युवती शादीशुदा थी. वह युवती को महंगे से महंगा उपहार भेंट करने लगा.

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उधर युवती के पति संतकुमार को अपनी पत्नी से दूरी बनाने के लिए वह दबाव बनाने लगा. राजगोपाल चाहता था कि संतकुमार अपनी पत्नी से नाता तोड़ ले तो उस के लिए रास्ता साफ हो जाएगा. पर संतकुमार ने इस के लिए साफ मना कर दिया.

इस से बौखला कर राजगोपाल ने 28 सितंबर, 2001 को संतकुमार का अपहरण करवा दिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए युवती और उस के परिवार वालों ने एफआईआर करवा दी. तब अचानक 12 अक्तूबर, 2001 को संतकुमार पुलिस कमिश्नर के औफिस में दिखा और उस ने अपहरण के दौरान अपने साथ हुए बदसलूकी के बारे में बताया.

खौफनाक इरादे

संतकुमार के लौट आने से परिवार वालों ने राहत की सांस ली. मगर इस के अगले 6 दिन बाद ही संतकुमार का फिर से अपहरण हो गया. युवती से एकतरफ मुहब्बत में पागल पी राजगोपाल ने उस पर पति से नाता तोड़ शादी करने के लिए दबाव बनाने लगा. युवती नहीं मानी. राजगोपाल ने उसे ढेरों प्रलोभन दिए, रानी बना कर रखने का ख्वाब दिखाया मगर फिर भी वह नहीं मानी तो उस के अगले दिन उस के पति संतकुमार का शव कडाइकोनाल के टाइगर जंगल में पड़ा मिला.

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इस हत्या से इलाके में सनसनी फैल गई. कोई भी पी राजगोपाल के खिलाफ बोलने से डर रहा था. सब मौन थे. लेकिन अपने पति की हत्या से आहत युवती ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पी राजगोपाल को मुख्य आरोपी बताया. इस हत्या मेंं  संलिप्त 5 अन्य लोगों पर भी मुकदमा चलाया गया.

ले डूबा अंधविश्वास

तब साल 2004 में चेन्नई की एक अदालत ने पी राजगोपाल और 5 अन्य लोगों को दोषी ठहराते हुए 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई. मगर युवती इतने भर से नहीं मानी. उस ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील की. यहां 5 साल मुकदमा चलने के बाद न्यायालय ने दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए 55 लाख रुपए का जुरमाना भी लगाया.

तब मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वणा भवन के मालिक पी राजगोपाल सुप्रीम कोर्ट  पहुंचा. मगर सुप्रीम कोर्ट ने भी मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया.

कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई के दौरान भी पी राजगोपाल ने यह माना था कि तीसरी शादी करने के लिए वह ज्योतिषी की शरण में गया था. तब ज्योतिषी ने बताया था कि उस की तीसरी शादी सफल होगी और वह पहले से ज्यादा मजबूत बनेगा और ढेरों पैसा कमाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने जब उस के खिलाफ सजा सुनाई तो वह बारबार रहम की भीख मांग रहा था, बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला दे रहा था.

राजगोपाल की ऐयाशी, दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर रखना और अंधविश्वासी होना ही अंतत: उस को ले डूबा. अब हालांकि सवर्णा भवन कंपनी को उस के 2 बेटे चलाएंगे पर राजगोपाल की बाकी बची जिंदगी सलाखों के पीछे ही गुजरेगी.

मधुमक्खीपालन को बनाएं रोजगार

आज के समय में हर कोई अपनी आमदनी बढ़ाना चाहता?है और नया रोजगार करना चाहता है. किसान खेती से ज्यादा पैदावार लेना चाहते हैं, इसीलिए ऐसी फसलें बोते हैं, जिन से ज्यादा फायदा हो सके. कहने का मतलब यह है कि अगर किसान चाहें तो खेती के साथसाथ कोई दूसरा रोजगार अपना कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं.

मधुमक्खीपालन ऐसा ही रोजगार है, जो किसानों के लिए या दूसरे बेरोजगार लोगों के लिए कमाई का जरीया बन सकता है. मधुमक्खीपालन की ज्यादा जानकारी के लिए हम ने बात की प्रताप सिंह से, जो साल 1990 से इस क्षेत्र में काम कर रहे?हैं. वह सुनीता मक्खीपालन के नाम से शहद उत्पादन करते?हैं. अब तक सैकड़ों लोगों को वे मधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग दे चुके हैं. उन्हें कई बार सरकार व अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है.

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मधुमक्खीपालन की शुरुआत कैसे करें? के जवाब में प्रताप सिंह ने बताया कि पूरे भारत में किसानों के लिए खेती के साथसाथ मधुमक्खीपालन एक बेहतर रोजगार है. अपने खेतों में ही व आसपास के इलाकों में वे इस काम को कर सकते हैं. अच्छा शहद पैदा कर के वे भरपूर आमदनी ले सकते हैं. इस के लिए जरूरी नहीं है कि खुद के पास ही जमीन भी हो, दूसरों के खेतों या बागों में?भी मधुमक्खीपालन किया जा सकता है.

प्रताप सिंह ने बताया कि किसान खुद ही उन्हें अपने खेतों में मधुमक्खीपालन के लिए बुलाते हैं और उन के रहने व खानेपीने तक की व्यवस्था भी कर देते?हैं,?क्योंकि जिन इलाकों में मधुमक्खीपालन किया जाता?है, वहां की फसलों में 10 से 30 फीसदी तक ज्यादा पैदावार होती है यानी मधुमक्खीपालन के साथसाथ किसानों का भी फायदा होता है.

प्रताप सिंह का मानना?है कि बेरोजगारों के लिए इस से बढि़या और कोई रोजगार नहीं?है. शुरुआत में महज 10 मधुमक्खी बाक्सों से इस काम को किया जा सकता है. 1 बाक्स की कीमत 2000 से 2500 रुपए तक होती?है. इस प्रकार 20000 से 25000 हजार रुपए तक में 10 बौक्स आ जाते?हैं. करीब 5000 रुपए में बाकी का सामान आ जाता है.

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लोन मिलना आसान : मधुमक्खीपालन के लिए सरकार से लोन भी मिलता?है. प्रदेश की सरकारें लोन लेने पर 30 से 45 फीसदी तक की सब्सिडी भी देती हैं. सालभर के बाद ही उन की वापसी की किस्तें शुरू होती है.

लोन हासिल करने के लिए मधुमक्खीपालन का ट्रैनिंग डिप्लोमा या सर्टिफिकेट चाहिए और साथ ही, एक आदमी की गवाही गारंटर के रूप में देनी होती है.

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यहां से लें ट्रेनिंग : कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, नई दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में बना है. इस कृषि संस्थान से भी किसान मधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग ले सकते हैं. यह ट्रेनिंग मुफ्त में दी जाती है. इस की ट्रेनिंग 1 हफ्ते की होती?है. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद संस्थान से सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. कम पढ़ेलिखे लोग भी इस ट्रेनिंग को हासिल कर के अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं. इस संस्थान के फोन नंबर 011-65638199 पर आप इस बारे में जानकारी ले सकते हैं. इस के अलावा किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र भी संपर्क कर सकते हैं.

कम समय में मिले मुनाफा : प्रताप सिंह ने बताया कि इस काम को पूरे साल किया जा सकता है. बरसात के समय में थोड़ा कम उत्पादन होता?है. नवंबर से ले कर जनवरी तक दिल्ली व आसपास के इलाकों में, फरवरी से ले कर अप्रैल तक उत्तर प्रदेश में, मई से ले कर जुलाई तक में देहरादून जैसे पहाड़ी इलाकों में और अगस्त से ले कर अक्तूबर तक राजस्थान जैसे इलाकों में पहुंच कर इस काम को बखूबी अंजाम दिया जा सकता है.

प्रताप सिंह ने बताया कि फसलों के अलावा शीशम, महुआ, सफेदा, आम, जामुन जैसे अनेक पेड़ों से भी शहद उत्पादन किया जाता?है. मधुमक्खीपालन में शहद के अलावा मोम भी प्राप्त होता?है, जिसे कई जगह इस्तेमाल किया जाता?है.

जब प्रताप सिंह से यह पूछा गया कि किस प्रकार का शहद सब से अच्छा माना जाता?है, तो उन्होंने बताया कि फसलों के माध्यम से मिलने वाला शहद ज्यादा अच्छा माना गया है. उस में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होती है.

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बेचना है आसान : शहद की मार्केटिंग के बारे में प्रताप सिंह ने बताया कि इसे बेचना भी आसान है. आयुर्वेदिक दवाओं से ले कर प्यूरी प्रोडक्टों में इस का खूब इस्तेमाल होता है. भारत में जो भी शहद के खरीदार हैं, वे खुद ही पता कर लेते?हैं कि कहांकहां शहद का उत्पादन हो रहा?है. कई बार तो वे खुद ही मधुमक्खी पालक से संपर्क कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि वे दिल्ली में मधुमक्खीपालन कर रहे हैं. कई दूसरे राज्यों में भी उन का मधुमक्खीपालन का काम चल रहा है. पूरे भारत में अलगअलग प्रदेशों में जो भी मधुमक्खीपालक हैं, ज्यादातर वे एकदूसरे से जुड़े होते हैं. जिस को जितने शहद की मांग होती है, उस की मांग वहीं पूरी कर दी जाती है.

प्रताप सिंह खरीदारों को भी उन के क्षेत्र के मधुमक्खीपालकों का अतापता देते हैं, ताकि वे अपने नजदीक से ही शहद हासिल कर सकें.

कैसे करें शुद्ध शहद की पहचान : शहद की शुद्धता कैसे पहचानें? इस बारे में प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि शहद पानी से भारी होता है. 750 ग्राम पानी वाले बरतन या बोतल में 1 किलोग्राम शहद आ जाता है. सफेद कपड़े पर अगर किसी चीज का दाग लग जाए, तो शहद को उस दाग पर लगा कर 1 घंटे के लिए छोड़ दें. इस के बाद वह कपड़ा धो दें, तो दाग साफ हो जाएगा. उन्होंने बताया कि 18 डिगरी सेंटीग्रेड के तापमान पर फसल का शहद जम जाएगा. ये कुछ सामान्य सी जानकारियां?हैं, जिन से शहद के असली होने की पहचान आसानी से की जा सकती है. मधुमक्खीपालन के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए किसान प्रताप सिंह के मोबाइल नंबर 09210829294 पर संपर्क कर सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणी, हाथी का त्राहिमाम

छत्तीसगढ़ आजकल दंतैल वन्य प्राणी हाथियों के आगमन से सुर्खियों में है. ऐसा कोई दिन नहीं होता जब छत्तीसगढ़ में हाथी मारा नहीं जाता, मर नहीं जाता, अथवा किसी को मार नहीं देता. अथवा गांव में आकर भय का माहौल पैदा नहीं कर देता या हाईवे पर चलने लगता है.

लगभग 250 हाथियों का अलग-अलग झुंड महासमुंद, रायगढ़ , सरगुजा , कोरबा अंचल में निरंतर भ्रमण कर रहा है इस आगमन से लोग मुसीबत जदा हैं. वहीं हाथी भी अपने रहवास के लिए , स्वच्छंद जीवन के लिए आक्रमक हो गया है. हाथी अगर युवा है तो उसे लगभग एक टन भोज्य के रूप में आहार चाहिए होता है. प्रस्तुत है छत्तीसगढ़ के वन्य प्राणी हाथियों और आम आदमी के संघर्ष पर एक खास रिपोर्ट-

छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणी हाथियों के आगमन से हाथी और ग्रामीण विशेषतः आदिवासियों और राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कोरवा पंडो जनजाति के लोगों का जीवन मुश्किल में है.जंगली हाथी कोरबा, रायगढ़ अंबिकापुर सूरजपुर कोरिया जशपुर, महासमुंद आदि जिलों के गांव में कब आ पहुंचेगी और इनको मार डालेगी यह कोई नहीं जानता. ऐसा कोई गांव नहीं है जहां पर हाथी उत्पात ना मचा रहे हों. इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने कोरबा, रायगढ़, कोरिया जिला का दौरा किया. कोरबा जिला में ग्राम पसान , चोटिया, मोरगा क्षेत्र में आए दिन किसी न किसी की मौत हाथी द्वारा हो रही है.

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वन विभाग अपने नियम कायदों से बंध कर लाठी-डंडे से हाथी को भगाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन वन विभाग भी अपने उत्तरदायित्व से या हाथी को भगाने से असफल साबित हो रहा है.रात्रि के समय वन विभाग का कोई भी कर्मचारी गांव के आसपास नहीं रहता, ग्रामीण आदिवासियों को हाथी के भरोसे छोड़ कर अपने कार्य की इति श्री कर लेते हैं.फिर सुबह उठने पर मौका वारदात पर आकर देखते कि हाथी ने कितना नुकसान किया है जब उनको दिखता है ज्यादा नुकसान हुआ है और उनको फायदा होने वाला है तब वह. मुआवजा प्रकरण बनाते हैं. अन्यथा वन विभाग के कान में जूं भी नहीं रेंगती कि हाथी को नियंत्रित कैसे करें. इसी का परिणाम है कि विशेष जनजाति परिवारों को हाथियों के द्वारा वृहद रूप से नुकसान पहुंचाया जा रहा है. उनके बर्तन, उनके मवेशी, बकरी, उनके परिवार को मारने के लिये हाथी के द्वारा तांडव किया गया.बर्तन को तोड़ा गया, यहां तक कि जो लोग निस्तार के लिए पानी पीते थे हैंडपंप ,उसे भी हाथी ने नुकसान पहुंचा दिया.

जब तलक वन विभाग द्वारा हाथियों के रहवास एवं स्थाई पर्यावरण के साथ उनको जोड़कर कार्ययोजना नहीं बनायी जाएगी तब तक या उत्पात और द्वंद हाथियों एवं वन में रहने वाले निवासियों के मध्य होता रहेगा या तो हाथी इंसान को मारेगा या किसी कारण से हाथी मर गया तो वहां के क्षेत्र रहने वालों को भी संवैधानिक प्रक्रिया से काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इसका जितना जल्दी हो सके निर्णायक निर्णय के साथ हाथी से जान माल की निजात दिलाने का छत्तीसगढ़ शासन को भी प्रयास करना महत्वपूर्ण कार्य है. अन्यथा जंगली जानवरों के साथ आम जनता का संघर्ष लगातार चलता रहेगा.

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यहां है हाथी ही हाथी!

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला के पसान वन परीक्षेत्र अंचल के ग्रामीण आजकल 46 हाथियों के चिंघाड़ से थर्राए हुए हैं. विधायक मोहित राम केरकेट्टा, लोगों से मुलाकात की. यहां जंगली हाथियों ने 11 ग्रामीणों के आशियाने को उजाड़ा है. कोरबा जिला के कटघोरा वन मंडल के पसान रेंज के अंतर्गत बीहड़ वनांचल क्षेत्र में बसे तनेरा सर्किल में रात्रि 46 हाथियों के झुंड ने 11 ग्रामीणों के कच्चे मकान को पुरी तरह तहस-नहस कर उन्हें बेघर कर दिया. और वही ग्रामीण हाथियों की चिंघाड़ से थर्रा उठे हैं.

लगातार हाथियों के आतंक को लेकर ग्रामीणों ने शासन प्रशासन सहित ग्रामीणों के ऊपर आ रही गंभीर समस्याओं को लगातार बताया है. क्षेत्रीय तानाखार विधायक मोहित केरकेट्टा ने पंचायत अडसरा, के आश्रित गांव केंदई में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो बस्ती में पहुंच हाथियों से प्रभावितों से मुलाकात की पिछले लगभग 4 वर्षों से हाथियों का झुंड कटघोरा वन मंडल में विचरण कर रहा है. जिसमें अब तक कई लोगों की जन हानि हो चुकी है, लेकिन आज तक सरकार के उच्च पदों पर बैठे जिम्मेदार जन प्रतिनिधि एवं शासन प्रशासन ने इस घोर समस्या की ओर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया है.

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हाथी प्रभावित अंचल की त्रासदी यहां यह बताना लाजिमी होगा कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में बिजली की समस्या है यहां आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण गजराज वाहन दल सहित वन विभाग की टीम को मौके पर पहुंचने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए, राज्य शासन द्वारा प्रस्तावित लेमरू संरक्षण रिजर्व के गठन के प्रस्ताव का समर्थन हेतु विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के पसान रेंज के विभिन्न ग्राम पंचायतों को नहीं शामिल करने से लेमरू संरक्षण रिजर्व के गठन से वंचित हो गया है.

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इधर कांग्रेस सरकार के जमीनी नेता एवं मंत्री चुप्पी साधे हुए है, जिससे विकासखंड पोडी उपरोड़ा के तानाखार विधानसभा के भोले भाले ग्रामीणों में आक्रोश है. विकासखंड के कुंडा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम विजय वेस्ट खदान जहां जनप्रतिनिधियों द्वारा एसीसीएल प्रबंधन को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है कि हाथी प्रभावित ग्रामों में स्ट्रीट लाइट का सुविधा शीघ्र प्रदान करते हुए जर्जर सड़क का मरम्मत अति शीघ्र कराई जाए. ताकि लोगों को आवाजाही करने में राहत मिल सके. लगातार हाथियों के द्वारा ग्राम बीजाडांड, सुखा बहारा, केंदई पंडो बस्ती के आसपास ग्रामों में हाथियों का लगातार उत्पात जारी है, ग्रामीणों के कच्चे मकान को हाथियों ने तोड़कर घर में रखे चावल,दाल बर्तन, कपड़े, सहित बाडी में उगाए केला,मकाई,व अन्य सामग्री को तहस-नहस कर बर्बाद कर दिया.

मर जाना-भाग 1 : आखिर क्या हुआ उन के प्यार का अंजाम

समर गुल ने जानबूझ कर एक अभागे की हत्या कर दी थी. पठानों में ऐसी हत्या को बड़ी इज्जत की नजर से देखा जाता था और हत्यारे की समाज में धाक बैठ जाती थी. समर गुल की उमर ही क्या थी, अभी तो वह विद्यार्थी था. मामूली तकरार पर उस ने एक आदमी को चाकू घोंप दिया था और वह आदमी अस्पताल ले जाते हुए मर गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए समर गुल कबाइली इलाके की ओर भाग गया था.

जब वह वहां के गगनचुंबी पहाड़ों के पास पहुंचा तो उसे कुछ ऐसा सकून मिला, जैसे वे पहाड़ उस की सुरक्षा के लिए हों. सरहदें कितनी अच्छी होती हैं, इंसान को नया जन्म देती हैं. फिर भी यह इलाका उस के लिए अजनबी था, उसे कहीं शरण लेनी थी, किसी बड़े खान की शरण. क्योंकि मृतक के घर वाले किसी कबाइली आदमी को पैसे दे कर उस की हत्या करवा सकते थे. पठानों की यह रीत थी कि अगर वे किसी को शरण देते थे तो वे अपने मेहमान की जान पर खेल कर रक्षा करते थे.

वह एक पहाड़ी पर खड़ा था, उसे एक गांव की तलाश थी. दूर नीचे की ओर उसे कुछ भेड़बकरियां चरती दिखाई दीं. उस ने सोचा, पास ही कहीं आबादी होगी. वह रेवड़ के पास पहुंच कर इधरउधर देखने लगा. गड़रिया उसे कहीं दिखाई नहीं दिया.

अचानक एक काले बालों वाला कुत्ता भौंकता हुआ उस की ओर लपका. उस ने एक पत्थर उठा कर मारा, लेकिन कुत्ता नहीं रुका. उस ने चाकू निकाल लिया, तभी एक लड़की की आवाज आई, ‘‘खबरदार, कुत्ते पर चाकू चलाया तो…’’

उस ने उस आवाज की ओर देखा तो कुत्ता उस से उलझ गया. उस की सलवार फट गई. कुत्ते ने उस की पिंडली में दांत गड़ा दिए थे. आवाज एक लड़की की थी, उस ने कुत्ते को प्यार से अलग किया और उसे एक पेड़ से बांध दिया.

समर गुल एक चट्टान पर बैठ कर अपने घाव का देखने लगा. लड़की ने पास आ कर कहा, ‘‘मुझे अफसोस है, मेरी लापरवाही की वजह से आप को कुत्ते ने काट लिया.’’

समर गुल ने गुस्से से लड़की की ओर देखा तो उसे देखता ही रह गया. वह बहुत सुंदर लड़की थी. उस की शरबती आंखों में शराब जैसा नशा था. लड़की ने पिंडली से रिसता हुआ खून देखा तो भाग कर पानी लाई और उस का खून साफ किया. फिर अपना दुपट्टा फाड़ कर उसे जलाया और समर के घाव पर उस की राख रखी, जिस से खून बंद हो गया. समर गुल उस लड़की की बेचैनी और तड़प को देखता रहा. खून बंद हो गया तो वह खड़ी हो गई.

‘‘कोई बात नहीं,’’ समर गुल ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘कुत्ते ने अपनी ड्यूटी की और इंसान ने अपनी ड्यूटी.’’

‘‘अजनबी लगते हैं आप.’’ लड़की ने कहा तो उस ने अपनी पूरी कहानी उसे सुना दी.

‘‘अच्छा तो आप फरार हो कर आए हैं. मैं बाबा को आप की कहानी सुनाऊंगी तो वह खुश होंगे, क्योंकि काफी दिन बाद हमारे घर में किसी फरारी के आने की चर्चा होगी.’’

मलिक नौरोज खान एक जिंदादिल इंसान था. 70-75 साल की उमर होने पर भी स्वस्थ और ताकतवर जवान लड़कों जैसा. बड़ा बेटा शाहदाद खान सरकारी नौकरी में था जबकि छोटा बेटा शाहबाज खान जिसे सब प्यार से बाजू कहते थे, बड़ा ही खिलंदड़ा और नटखट था. वह बहन ही की तरह सुंदर और प्यारा था.

बेटी की जुबानी समर गुल की कहानी सुन कर नौरोज ने सोचा कि इतनी कम उम्र का बच्चा हत्यारा कैसे हो सकता है. फिर भी उस के लिए अच्छेअच्छे खाने बनवाए गए. उसे घर में रख लिया गया. कुछ दिन के बाद समर गुल ने सोचा, कब तक मेहमान बन कर इन के ऊपर बोझ बनूंगा, इसलिए कोई काम देखना चाहिए. उस ने नौरोज खान से बात करना ठीक नहीं समझा. इस के लिए उसे मरजाना से बात करना ठीक लगा. हां, उस लड़की का ही नाम मरजाना था.

अगले दिन सुबह उस ने मरजाना से कहा, ‘‘बात यह है कि मुझे लकड़ी काटना नहीं आता, हल चलाना नहीं आता. मैं ने सोचा कि रेवड़ तो चरा सकता हूं. मुफ्त की रोटी खाते मुझे शरम आती है.’’

‘‘यह काम भी तुम से नहीं होगा, तुम इस काम के लिए पैदा ही नहीं हुए हो. मुझे तो हैरानी है कि तुम ने हत्या कैसे कर दी. तुम ऐसे ही रहो, तुम्हें मुफ्त की रोटी खाने का ताना कोई नहीं देगा.’’

‘‘अगर मुझे सारा जीवन फरारी बन कर रहना पड़ा तो?’’

‘‘मैं बाबा से बात करूंगी, वह भी यही कहेंगे जो मैं ने कहा है.’’ इतना कह कर वह रेवड़ ले कर चली गई और समर गुल उसे जाते हुए देखता रहा.

हकीकत जान कर नौरोज ठहाका मार कर हंसा और समर से बोला, ‘‘फरारी बाबू, मैं ने तुम्हारे लिए काम ढूंढ लिया है. तुम बाजू को पढ़ाया करोगे.’’

यह काम उस के लिए बहुत अच्छा था. अगले दिन से उस ने न केवल बाजू को बल्कि गांव के और बच्चों को इकट्ठा कर के पढ़ाना शुरू कर दिया. शाम के समय चौपाल लगती थी, गांव के सब बूढ़ेबच्चे इकट्ठे हो जाते. समर गुल भी चौपाल पर चला जाता था. वहां कोई कहानी सुनाता, कोई चुटकुले और कोई शेरोशायरी.

यह सभा आधीआधी रात तक जमी रहती थी. रात को लौट कर समर गुल जब दरवाजा खटखटाता तो मरजाना ही दरवाजा खोलती, क्योंकि मलिक नौरोज खान ऊपर के माले पर सोता था.

समर गुल को यहां आए हुए 2-3 महीने हो गए थे, लेकिन मरजाना से उस की बात नहीं हो पाई थी, क्योंकि वह उस से डराडरा सा रहता था.

वह समर से हंस कर पूछती, ‘‘आ गए…’’

जानें स्मार्टफोन और लैपटॉप यूजर्स की 7 बीमारियां और उनसे बचने का तरीका

स्मार्टफोन और लैपटौप की अब आदत सी हो गई है, लेकिन क्या आप को पता है कि रात को सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल को अपने से दूर कर देना चाहिए, अन्यथा हैल्थ से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है? यूसीएलए स्कूल औफ मैडिसिन के डाक्टर डैन सीगल के अनुसार, ‘‘रात में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से नींद से जुड़ी कई बीमारियां घेर लेती हैं. गैजेट्स का इस्तेमाल हमारे काम को आसान बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन अगर आप इन्हें जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो कई बीमारियां भी हो सकती हैं.’’ जानिए, गैजेट्स से होने वाली बीमारियों और उन से बचने के तरीकों के बारे में :

1 कंप्यूटर विजन सिंड्रोम

हमारी आंखों की बनावट ऐसी नहीं है कि हम किसी भी एक पौइंट पर घंटों देखते रहें और आंखों को कोई नुकसान न पहुंचे. घंटों कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते रहने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है. इस में आंखों में थकान, इचिंग, रैडनैस और धुंधला दिखाई देने की समस्या हो सकती है.

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क्या करें

आप चाहे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट या अन्य किसी भी गैजेट का इस्तेमाल कर रहे हों, उस की डिस्प्ले सैटिंग्स बदलिए. अगर कंप्यूटर में ब्राइटनैस, शार्पनैस या कलर बढ़े हुए हैं तो कम कीजिए. ज्यादा ब्राइट या शार्प स्क्रीन से आंखों पर ज्यादा प्रैशर पड़ता है. इस के अलावा अगर गैजेट में टैक्स्ट का फौंट साइज बहुत छोटा है तो यूजर्स को लंबे डौक्युमैंट्स पढ़ने में परेशानी होगी. इसलिए अपने गैजेट की डिस्प्ले सैटिंग्स को ऐसे सैट करें कि आंखों को नुकसान कम हो. अगर गैजेट की स्क्रीन एचडी है तो 45त्न कलर और ब्राइटनैस से भी अच्छी डिस्प्ले क्वालिटी आएगी और आंखों को नुकसान कम होगा.

2 इन्सोम्निया

गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने में जो सब से अहम बीमारी हो सकती है वह है इन्सोम्निया यानी अनिद्रा. अगर आप जरूरत से ज्यादा गैजेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह आप के लिए इन्सोम्निया की पहली कड़ी साबित हो सकता है.

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क्या करें

20-20-20 का रूल ध्यान में रखें. अगर आप स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर का नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि आप ने हर 20 मिनट में आप के 20 फुट दूर रखी किसी वस्तु को 20 सैकंड तक देखना है. यह एक ट्रिक है जो आंखों की ऐक्सरसाइज का काम करती है. इस से यूजर्स की आंखों को आराम मिलता है और उन की ऐक्सरसाइज भी हो जाती है. अगर आप को काम में समय का ध्यान नहीं रहता तो विंडोज से लिए ब्रेकटैक या एप्पल मैक के लिए टाइम आउट प्रोग्राम का इस्तेमाल कर सकते हैं.

3 टैक्स्चर नैक

टैक्स्चर नैक सिंड्रोम उन लोगों को होता है जो स्मार्टफोन, लैपटौप और टैबलेट्स का इस्तेमाल करते समय गरदन नीचे की ओर झुका कर रखते हैं. अगर यह सिंड्रोम बढ़ गया है तो गरदन की मसल्स इसी पोजिशन को अडौप्ट कर लेंगी और गरदन सीधी करने में परेशानी होगी.

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क्या करें

किसी भी गैजेट का इस्तेमाल करने से पहले यह ध्यान रखें कि उस की पोजिशन क्या है. अगर आप कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो मौनिटर कम से कम 20-30 इंच की दूरी पर रखें. अगर स्मार्टफोन या लैपटौप का इस्तेमाल कर रहे हैं तो गरदन झुकाने की जगह उस की पोजिशन ऐसी रखें जिस से आप की गरदन पर स्ट्रैस न पड़े. टैक्स्टिंग थोड़ी कम कर दें. गरदन पर स्ट्रैस सब से ज्यादा टैक्स्टिंग के कारण ही पड़ता है.

4 टोस्टेड स्किन सिंड्रोम

आजकल लैपटौप पर ज्यादा काम करना आम बात हो गई है. अगर आप लैपटौप को जरूरत से ज्यादा अपनी गोद में रखते हैं तो इस से स्किन डिसऔर्डर हो सकता है. लैपटौप से हमेशा गरम हवा निकलती है. ज्यादा इस्तेमाल से स्किन सूख जाती है. अगर आप की स्किन सैंसिटिव है तो उस का कलर बदल जाएगा और खुजली भी हो सकती है.

क्या करें

लैपटौप का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो कूलिंग पैड जरूर ले लें. कूलिंग पैड लैपटौप से निकलने वाली गरमी को ठंडा करता है. बाजार में 200 रुपए से ले कर 1,500 रुपए तक के लैपटौप कूलिंग पैड और कूलिंग टेबल उपलब्ध हैं. अगर कूलिंग पैड नहीं है तो भी तकिए का इस्तेमाल करें या फिर लैपटौप को टेबल पर रख कर इस्तेमाल करें.

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5 सुनने में प्रौब्लम

ईयरफोन का इस्तेमाल आप बहुत ज्यादा करते हैं तो सुनने में दिक्कत हो सकती है. यह आदत परमानैंटली आप के सुनने की क्षमता खराब कर सकती है.

क्या करें

हमेशा म्यूजिक सुनने या कान में हैडफोन लगाए रखने की आदत न पालें और वौल्यूम पर कंट्रोल रखें.

6 रैडिएशन इफैक्ट

मोबाइल फोन से ऐसा रैडिएशन नहीं आता कि आप को कैंसर हो जाए, लेकिन फिर भी यह हैल्थ से जुड़े कई मामलों में असर डालता है. यह मैंटल स्ट्रैस से ले कर इन्सोम्निया तक कई बीमारियों का कारण बन सकता है.

क्या करें

फोन साथ में ले कर न सोएं. फोन को ज्यादा देर तक कान के पास न रखें. अगर लंबी बात करनी है तो हैडफोन का इस्तेमाल करें. अगर फोन में सिगनल कम हों तो उसे इस्तेमाल न करें.

7 स्ट्रैस

आरएसआई या रिपिटेटिव स्ट्रैस इंजरी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो कंप्यूटर पर हर दिन घंटों काम करते हैं. इसी के साथ, जो लोग ज्यादा टैक्स्टिंग करते हैं वे भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं. इस इंजरी में हाथों में निशान पड़ जाते हैं. ऐसा अकसर टाइपिंग के समय होता है. जब पंजों के नीचे निशान दिखने लगते हैं.

क्या करें

इस के लिए अपने डिवाइस में ‘वर्कपेस’ नामक सौफ्टवेयर इंस्टौल करें. यह बैकग्राउंड में काम करता है. यह आप को बताता रहेगा कि कितने समय में ब्रेक लेना है और कितनी बार अपना हाथ उठाना है. इस के अलावा, टाइपिंग करते समय सही पौस्चर का होना भी बहुत जरूरी है.

मर जाना-भाग 3 : आखिर क्या हुआ उन के प्यार का अंजाम

‘‘यह सब तो ठीक है, लेकिन गुल यहां के कानून के मुताबिक यहां के लोग अपनी बेटियों को सरहद के पार नहीं देते. देख लेना, बाबा तुम से यही कहेगा.’’

‘‘इस का मतलब मरजाना, मैं तुम्हें कभी नहीं पा सकूंगा?’’

‘‘मैं ने कह तो दिया मेरा नाम मरजाना है और मुझे मरना आता है.’’

‘‘मरने की बातें मत करो मरजाना,’’ गुल ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया.

अचानक कहीं से उस का कुत्ता आ गया और गुल के पांव चाटने लगा. गुल बोला, ‘‘देखो, एक दिन इस ने मेरी टांग पर काटा था और अब पैर चाट रहा है.’’

मरजाना बोली, ‘‘यह तुम्हारे प्रेम को समझ गया है.’’

कुछ देर बातें करने के बाद दोनों घर पहुंचे तो गुल के पिता, भाई और मामा बैठे थे और चाय पी रहे थे. गुल को उन्होंने गले लगा लिया. गुल के चेहरे की रंगत और सेहत देख कर सब हैरत में पड़ गए.

उन के आने से केस के बारे में पता चला, पुलिस ने दोनों पार्टियों का समझौता करा कर केस बंद कर दिया था. वे लोग गुल को लेने के लिए आए थे.

रात में गुल ने बड़े भाई को सब बातें बता दीं. साथ ही अपना फैसला भी सुना दिया कि वह वापस नहीं जाएगा और अगर जाएगा तो मरजाना भी साथ जाएगी.

उस की बातें सुन कर उस का भाई परेशान हो गया. अंत में यह तय हुआ कि मरजाना के पिता से रिश्ता मांग लिया जाए. बहुत झिझक के साथ मरजाना के बाबा से उस के रिश्ते की बात की तो उस ने कहा, ‘‘देखो, मैं बहादुर आदमियों की इज्जत करता हूं. घर में शरण भी देता हूं लेकिन सरहद पार का पठान कितना भी बड़ा क्यों न हो, हमारे कबीले के सरदारों का मुकाबला नहीं कर सकता. मैं किसी ऐसे आदमी को दामाद नहीं बना सकता, जो हमारे खून की बराबरी न कर सके.’’

समर गुल के बाप ने मिन्नत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हजारों रुपयों का लालच दिया, लेकिन रुपयों की बात सुन कर उस ने कहा, ‘‘हमें रुपयों का लालच न दो, हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है. हम सरहद पार अपनी लड़की नहीं देंगे.’’

समर गुल ने ये बातें सुनीं तो उस की आंखों से नींद ही गायब हो गई. कुछ दिन पहले उस ने जो ख्वाब देखे थे, वे तिनके की तरह बिखर गए. इस का मतलब यह कि उसे बिना मरजाना के जाना होगा.

अगली सुबह वे लोग अपने घर की ओर चल दिए. समर गुल ने आखिरी बार पीछे मुड़ कर देखा. वह रोने लगा. उस के भाई ने उसे गले से लगा लिया. उस का बाप, भाई और मामा उस के दुख को समझते थे. सब लोग चले जा रहे कि अचानक कुत्ते के भौंकने की आवाज आई. वह गुल की ओर दौड़ा चला आ रहा था. उस के पीछे मरजाना दौड़ी आ रही थी.

‘‘मरजाना…’’ गुल जोर से चीखा. मरजाना उस के पास आ कर उस के सामने खड़ी हो गई.

वह हांफते हुए बोली, ‘‘मैं ने कहा था न, मेरा नाम मरजाना है, मुझे मरना आता है.’’

गुल ने अपने बाप की ओर इशारा करते हुए  मरजाना से कहा, ‘‘यह मेरे बाबा हैं.’’

मरजाना उस के बाप के पैरों में गिर गई और बोली, ‘‘बाबा, मुझे भी अपनी बेटी बना लो, अब मैं वापस नहीं जाऊंगी.’’

समर गुल का बाप उसे देख कर भौचक्का रह गया. उस ने उसे उठाया और ध्यान से देखा. वह लड़की उस के बेटे के लिए अपना परिवार, अपना वतन सब कुछ छोड़ कर आ गई थी. लेकिन वह तुरंत संभल गया. उस ने सोचा कि यह उस आदमी की बेटी भी तो है, जिस ने मेरे बेटे पर बड़े उपकार किए हैं.

गुल के पिता ने उस के सिर पर हाथ रख कर कहा, ‘‘बेटी, मैं तुम्हारी इज्जत करता हूं. तुम ने मेरे बेटे से प्यार किया है, तुम जैसी लड़की लाखों में भी नहीं मिलेगी. लेकिन बेटी तुझे साथ ले जा कर मैं दुनिया को क्या मुंह दिखाऊंगा. लोग कहेंगे सरहद के पठान का क्या यही किरदार होता है कि जिस थाली में खाए उसी में छेद करे.’’

मरजाना गिड़गिड़ाई, ‘‘बाबा, मैं वापस नहीं जाऊंगी, आप के साथ ही चलूंगी. यह सब दुनियादारी की बातें हैं.’’

समर गुल के बाप ने मरजाना को गले लगा कर कहा, ‘‘बेटी, जरा सोचो तुम अपने बाप की इज्जत हो. अपने भाइयों की आन हो, जब दुनिया यह सुनेगी, नौरोज खान की बेटी घर से भाग गई है तो तुम्हारे बाप के दिल पर क्या गुजरेगी? एक बाप के लिए यह बात मरने के बराबर होगी.’’

उस ने कहा, ‘‘बाबा, रात मैं ने कसम खाई थी कि जो रास्ता मैं ने चुना है, उस से पीछे नहीं हटूंगी.’’

समर गुल ने बाप से कहा, ‘‘बाबा, मान जाइए. इस ने कसम खा ली है. अगर यह मेरी नहीं हुई तो अपनी जान दे देगी और फिर मैं भी जिंदा नहीं रहूंगा.’’

बाप चुप हो गया और समर गुल का भाई व मामा भी चुप रहे. लगता था मोहब्बत जीत गई थी.

मरजाना का कुत्ता बारीबारी से सब को सूंघ रहा था, जैसे सब को पहचानने की कोशिश कर रहा हो. समर गुल के बाप ने भीगी आंखों से मरजाना को गले लगा लिया और उस के सिर पर हाथ रख दिया.

शाम को इक्कादुक्का भेड़ें घर पहुंचीं, लेकिन उन के साथ मरजाना नहीं थी. कुत्ता भी गायब था, नौरोज का दिल बैठा जा रहा था. कुछ ही देर में पूरे गांव में यह खबर फैल गई कि नौरोज की लड़की मरजाना घर से भाग गई.

अगले दिन तक आसपास के कबीलों में यह खबर पहुंच गई. दोस्त या दुश्मन सब के लिए यह खबर दुख की थी. यह सवाल नौरोज के घर की इज्जत का ही नहीं, बल्कि पूरे कबीले की इज्जत का था.

शाम तक हर गांव से हथियारबंद लड़के पहुंचने शुरू हो गए. कबीले का जिरगा (कबीले की संसद) बुलाया गया और यह तय किया गया कि हर गांव से एक जवान चुना जाए और ये जवान चारों ओर फैल जाएं. इन्हें हर हाल में मरजाना को ले कर आना होगा. जो जवान खाली हाथ सरहद पर वापस आता दिखाई दे, उसे तुरंत गोली मार दी जाए. इसलिए 25 जवानों का दस्ता मालिक नौरोज के नेतृत्व में रवाना हो गया.

समर गुल के बाप ने अपने गांव पहुंचते ही समर गुल और मरजाना का निकाह करा दिया. अभी उन की शादी को एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि उन के गांव को चारों ओर से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग होने लगी.

गांव के लोग भी चुप नहीं थे. एक कबीले के सरदार की बेटी उन की बहू बनी थी, इसलिए गोली का जवाब गोली से दिया गया. 2 दिन तक फायरिंग होती रही, दोनों ओर से कई लोग घायल भी हुए लेकिन फायरिंग बंद नहीं हुई.

मरजाना के हाथों की मेहंदी का रंग अभी ताजा था, उस में अभी तक महक थी. तीसरे दिन पुलिस की भारी कुमुक पहुंच गई और बहुत मुश्किल से फायरिंग पर काबू पाया गया. लेकिन नौरोज घेरा तोड़ने को तैयार नहीं हुआ. पुलिस औफीसर ने सोचा अगर इन पर सख्ती की गई तो यह कबीला मरनेमारने पर तैयार हो जाएगा. पुलिस अधिकारी ने समझदारी से काम लेते हुए दोनों ओर के 4-4 जवानों को चुना और उन की मीटिंग बैठा दी.

समर गुल के बाप ने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ, मुझे उस का खेद है. हम पहले से ही मरजाना के पिता के सामने आंख उठा कर नहीं देख सकते. मैं उस से माफी मांगने के लिए भी पीछे नहीं हटूंगा. यह मैं किसी दबाव में नहीं कह रहा हूं बल्कि यह मेरे दिल की आवाज है. नौरोज ने हमारे ऊपर उपकार किया है, हम नौरोज से दगा करने वाले लोग नहीं हैं. अगर वह चाहे तो मरजाना के बदले मैं अपनी बेटी उस के बेटे से ब्याह सकता हूं. और अगर खून बहाना हो तो मेरे बेटे के बदले मैं अपना खून दे सकता हूं. मैं उन के साथ सरहद पर जा सकता हूं. वे मेरी हत्या कर के अपने दिल की भड़ास निकाल लें. जहां तक मरजाना का सवाल है, मेरा बेटा उसे भगा कर नहीं लाया है. हम ऐसा कर ही नहीं सकते. अब वह मेरी बहू बन चुकी है और उसे मैं किसी भी कीमत पर वापस नहीं करूंगा. बहू परिवार की इज्जत होती है.’’

जिरगे में मौजूद नौरोज खान ने कहा, ‘‘मुझे समर गुल के बाप का खून नहीं चाहिए. उस से मेरी प्यास नहीं बुझ सकती और न ही उस की लड़की का रिश्ता चाहिए. उस से मेरी तसल्ली नहीं होगी. मुझे हीरेजवाहरात भी नहीं चाहिए, उन से मेरे घाव नहीं भर सकते. भागी हुई बेटी बाप की आत्मा में जो घाव लगा देती है, दुनिया की कोई दवा उसे ठीक नहीं कर सकती. थप्पड़ के बदले थप्पड़, हत्या के बदले हत्या की जा सकती है, लेकिन मैं दिल वालों से पूछता हूं, भागी हुई बेटी का बदला कोई किस तरह ले? मुझे समझाओ, मैं यहां क्या लेने आया हूं? समर के पिता को गोली मारूं, समर को गोली मारूं या अपनी बेटी को? कोई बतलाए कि मैं क्या करूं?’’

इतना कह कर मलिक नौरोज फूटफूट कर रोने लगा. सब ने पहली बार एक चट्टान को रोते देखा.

मरजाना ने सब कुछ सुन लिया था. अपनी खुशी के लिए उस ने जो कदम उठाया था, वह अपने बाप के दुख के सामने कितना मामूली था. यह जीवन कितना अजीब है, दूसरों के लिए जीना, दूसरों के लिए मरना, उस ने समर गुल से कहा, ‘‘मेरे प्रियतम, अब मैं बहुत दूर चली जाऊंगी.’’

समर गुल कुछ नहीं बोला. उसे हक्काबक्का देखता रहा.

‘‘समर गुल,’’ उस ने रुंधी आवाज में कहा, ‘‘मुझे जाना ही होगा, मुझे मान लेना चाहिए. मैं बाप की इज्जत से खेली हूं. जीवन दूसरों के लिए होता है, मुझे आज इस का अहसास हुआ है.’’

‘‘जो होना था, वह तो हो चुका.’’ समर गुल ने तड़प कर कहा, ‘‘गई हुई इज्जत तो गिरे हुए आंसुओं की तरह होती है, जो फिर हाथ नहीं आते.’’

‘‘हां, इज्जत वापस नहीं आ सकती, लेकिन मैं उस का प्रायश्चित करना चाहती हूं, मेरे जानम.’’

‘‘तो तुम मरना चाहती हो?’’

‘‘हां, मेरे बाप का कुछ तो बोझ हलका होगा, उस की आनबान को कुछ तो सहारा मिल जाएगा.’’ उस ने समर के सीने पर अपना सिर रख कर कहा, ‘‘यह मेरा आखिरी फैसला है, समर गुल. मेरे बाबा से कह दो, मैं उस के साथ जाने के लिए तैयार हूं.’’

जिरगे को बता दिया गया. समर गुल के बाप को बड़ी हैरत हुई. लेकिन मरजाना के बाप के चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उस ने राइफल की गोलियां निकाल कर फेंक दी, जंग खत्म हो गई.

वे लोग मरजाना को ले कर चल दिए. पूरा गांव उदास था. आई थी तो गई ही क्यों, हर एक की जुबान पर यही सवाल था. उस के जाने का कारण समर गुल के अलावा और कोई नहीं जानता था.

अगले दिन वे सरहद पर पहुंच गए. सब लोग सरहद पर रुक गए, लेकिन मरजाना नहीं रुकी. वह आगे बढ़ती रही. अचानक गोलियां की बौछार हुई, मरजाना तड़प कर मुड़ी और गिर पड़ी. हिचकी ली, एकदो बार मुंह खोला और शांत हो गई. उस की आंखें आसमान की ओर थीं, जैसे कह रही हों, ‘मेरा नाम मरजाना है, मुझे मर जाना आता है.’

प्रस्तुति : एस.एम. खान                      

 

मर जाना-भाग 2 : आखिर क्या हुआ उन के प्यार का अंजाम

वह उसे सिर झुकाए जवाब देता, लेकिन एक पल के लिए भी वहां नहीं रुकता था और अपने कमरे में जा कर लेट जाता था. वह बिस्तर पर भी मरजाना के बारे में सोचता रहता था.

मरजाना का व्यवहार सदैव उस के प्रति प्यार भरा होता था. लेकिन अब वह उस की तरफ और भी ज्यादा ध्यान देने लगी थी. एक रात जब वह आया तो मरजाना ने रोज की तरह कहा, ‘‘आ गए…’’

वह कुछ नहीं बोला और खड़ा रहा. दोनों के ही दिल तेजी से धड़क रहे थे. दोनों ने एक अनजानी सी खुशी और डर अपने अंदर महसूस किया. मरजाना ने धीरे से कहा, ‘‘अंदर आ जाओ.’’

वह अंदर आ गया.

मरजाना ने दरवाजा बंद कर के कुंडी लगा दी. फिर भी वह वहीं खड़ा रहा. मरजाना भी वहीं खड़ी उसे निहारती रही. फिर धीरे से बोली, ‘‘जाओ, सो जाओ.’’

वह चला गया, लेकिन मरजाना वहीं खड़ी रही. उस का अंगअंग एक अनोखी मस्ती से बहक रहा था. साथ ही दिल भी एक अनजानी खुशी से भर गया था.

समर गुल अपने कमरे में पहुंचा तो उस की आंखों में खुशी के आंसू आ गए. वह बारबार होंठों ही होंठों में दोहरा रहा था, ‘‘जाओ,सो जाओ.’’

मरजाना का प्यारभरा स्वर उस की आत्मा को झिंझोड़ गया था. वह भावुक हो गया और सिसकियां ले कर रोने लगा. यह खुशी के आंसू थे. उस की हालत एक बच्चे जैसी हो गई थी. उसे यह अहसास डंक मार रहा था कि उस ने किसी की हत्या की है.

वह पहली बार दिल की गहराइयों से अपने किए पर लज्जित था, उस की आत्मा पर पाप का बोझ आ पड़ा था. इस बोझ को उस ने पहले महसूस नहीं किया था, लेकिन प्रेम की अग्नि ने उसे कुंदन बना दिया था. आज वह किसी का दुश्मन नहीं रहा.

मरजाना अपने बिस्तर पर लेट कर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी, ऐसी खुशी उसे पहली बार मिली थी. वह सोच रही थी कि जब मैं ने दरवाजा बंद किया तो समर वहीं खड़ा रहा. वह चुपचाप था. उस की खामोशी ने मुझे अंदर तक हिला डाला. क्या इसी को प्रेम कहते हैं?

वह सोच रही थी कि क्या यही मीठामीठा प्रेम का दर्द है, जिस के लिए दरखुई आदम खान के लिए मर गई थी और आदम खान दरखुई के लिए मरा था. गुल मकई मूसा खान के लिए मरी और मूसा खान गुल मकई के लिए.

हां, ये सब प्रेम के लिए मर गए थे, लेकिन लोग प्रेम करने वालों के दुश्मन क्यों होते हैं. इतनी पवित्र चीज और खुशी से इंसानों को क्यों दूर रखा जाता है. लेकिन मेरी अंतरात्मा पवित्र है, मैं ने कोई पाप नहीं किया. वह झटके से बोली, ‘‘नहींनहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी. अपने आप को इस अनजानी खुशी से वंचित नहीं होने दूंगी.’’

सुबह हुई तो मरजाना ने उजाले में वह सुंदरता देखी जो उसे पहले कभी दिखाई नहीं दी थी. समर गुल जाग रहा था. वह उठा और उस ने बाहर जा कर देखा, मरजाना रेवड़ ले कर जा चुकी थी. उस की निगाहें हवेली की दीवारों पर टिक गईं, ऐसा लगा जैसे उस का बचपन यहीं गुजरा हो.

तभी बाजू पास आ कर बोला, ‘‘गुल लाला चलो, सब बच्चे आप का इंतजार कर रहे हैं. आप अभी तक पढ़ाने नहीं आए.’’

उस ने बाजू को गोद में उठा लिया और उसे चूमने लगा. बाजू बोला, ‘‘लाला, इतना प्यार तो आप ने मुझे कभी नहीं किया.’’

उस ने कहा, ‘‘हां बाजू, मैं ने कभी इतना प्यार नहीं किया, लेकिन दिल में तुम्हारे लिए बहुत प्यार रखता था.’’

फिर वह उसे नीचे उतार कर बोला, ‘‘बाजू, जाओ आज तुम सब छुट्टी कर लो.’’ वह खुश हो कर चला गया.

गुल घर में रखी रायफल ले कर जंगल चला गया. मरजाना रेवड़ के पास डलिया बुन रही थी. साथ ही धीमे स्वर में गा रही थी. समर गुल चुपके से उस के पीछे खड़ा हो कर उस का गाना सुनने लगा.

मरजाना जो गा रही थी, उस का सार कुछ इस तरह था, ‘तुम नहीं आए थे तो दिल में कोई हलचल नहीं थी, जीवन शांति से अपनी डगर पर चल रहा था. तुम न आते तो यह जीवन इसी तरह कट जाता. लेकिन तुम ने अपनी सुंदर आंखों से मेरे दिल को जगमगा दिया है. तुम ने यह क्या किया…पलक झपकते ही मेरी दुनिया ही बदल डाली. बाप, भाई, मां सब से नाता टूट गया, यह तुम ने क्या किया. अब तुम मेरे खून में दौड़ने लगे.’

समर गुल चुपचाप सुनता रहा. फिर धीरे से बोला, ‘‘मरजाना!’’

वह एकदम चौंक पड़ी. उस के होंठ कांपने लगे. उस की भूरी आंखें खुशी के आंसुओं से भर गईं.

समर गुल उस के आंसू पोंछते हुए बोला, ‘‘तुम मुझे दूर पहाडि़यों में ढूंढ रही थी, लेकिन मैं यहां तुम्हारे दिल के पास खड़ा था.’’

‘‘खुदा करे, मैं तुम्हें हर पल ढूंढती रहूं.’’

वह उस के पास बैठते हुए बोला, ‘‘मरजाना, मैं हत्या कर के बहुत पछता रहा हूं. लेकिन लगता है कि कुदरत ने तुम से मिलवाने के लिए मुझ से यह हत्या करवाई थी. मुझे हैरानी है कि पाप के बदले इतनी बड़ी खुशी मिली. डरता हूं कि यह खुशी छिन न जाए.’’

मरजाना बोली, ‘‘तुम्हारे बिना मैं जीने की चाहत भी नहीं कर सकती. मुझे तुम पहले दिन से ही अच्छे लगने लगे थे. कुछ भी हो जाए, मुझे तुम अपने साथ ही पाओगे. मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती.’’

‘‘मरने की बात न करो मरजाना.’’

‘‘मेरा नाम मरजाना है गुल, मुझे मर जाना आता है. मरने की बात क्यों न करूं?’’

‘‘नहीं मरजाना नहीं, मैं तुम्हें बाबा से मांग लूंगा. पूरी जिंदगी की गुलामी कर लूंगा. अगर तब भी नहीं माने तो बापभाइयों से कहूंगा कि मरजाना के कदमों में पैसे का ढेर लगा दो, उसे हीरेजवाहरात में तोल दो. सब कुछ ले लो मगर मरजाना को दे दो.’’

दीवाली 2020: आमना शरीफ के घर दीवाली पार्टी करने पहुंची मौनी रॉय, मुंह बोले भाई से की मुलाकात

दीवाली के मौके पर टीवी स्टार जमकर जश्न मनाते नजर आते हैं. अपनी खुशियों के साथ- साथ ये टीवी स्टार अपने दोस्त के खुशियों में भी शिरकत करना नहीं भूलते हैं. तभी टीवी की गि मौनी रॉय दीवाली के जश्न को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए अपनी दोस्त आमना शारीफ के घर गई.

सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीर में आमना शरीफ और मौनी रॉय एक साथ नजर आ रही हैं. ये दों अदाकराएं साथ में बहुत ज्यादा प्यारी लग रही हैं. एक तस्वीर में आमना शरीफ अपने पति अमित कपूर के साथ फोटो क्लिक करवा रही हैं.

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इस तस्वीर में इन दोनों की जोड़ी बेहद शानदार लग रही है. शायद आपको जानकर यह हैरानी होगी कि आमना शरीफ के पति अमित कपूर मौनी रॉय को अपनी मुंहबोली बह मानते हैं. इस रिश्ते की वहज से मौनी रॉय और आमना शरीफ की दोस्ती बेहद खास है.

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वहीं आमना शरीफ ने मेहमानों के साथ जमकर तस्वीर क्लिक करवाई है. जिसे सोशल मीडिया पर शेयर करते नहीं थक रही हैं. आमना शरीफ की प्यारी सी तस्वीर को फैंस बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं. बता दें कि हर कोई इन अदाकाराओं की तस्वीर के बारे में बात कर रहा है.

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दीवाली सेलिब्रेश के दौरान मौनी रॉय व्हाईट गोल्डन कलर की साड़ी में नजर आई. जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही थीं. वहीं आमना शरीफ ने पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थीं. जो उनके लुक में और भी ज्यादा चार चांद लगा रहा था.

बिग बॉस 14 : एजाज खान से लड़ाई करते हुए कविता कौशिक ने सलमान खान पर लगाएं गंभीर आरोप

कविता कौशिक टीवी की उन अदाकाराओं में से एक है जो अपनी बात को दूसरे के सामने रखने के लिए आगे रहती हैं. इस बार भी कविता कौशिक ने बेझिझक अपनी बातों को रखा है. कविता कौशिक ने एजाज खान के सामने जमकर जहर उगला है.

बता दें कि एजाज खान के बारे में बात करते हुए कविता कौशिक ने अपनी बातों को रखा है. जिससे वह अपनी इमेज खराब कर चुकी हैं. इसके बाद भी कविता कौशिक अपने फैसले पर अड़ी हुई हैं.

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बीते दिन ही कविता कौशिश एजाज खान के घर में लड़ाई करती नजर आई हैं. कविता कौशिक इतनी गुस्से में थी एजाज खान को गुस्से में धक्का दे डाली हैं.

 

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लड़ाई के दौरान कविता कौशिक एजाज खान के आस-पास नजर आई. एजाज खान की हरकतों ने कविता कौशिक के गुस्से को और भी ज्यादा भड़का डाला.

इस दौरान कविता कौशिक सलमान खान पर भी निशाना साघते नजर आई. रुबीना दिलाइक और अभिनव शुक्ला से बात करते हुए कविता कौशिक  कहा है कि इस शो में बहुत ज्यादा निगेटीविटी है. बिग बॉस 14 को मेरी जरुरत नहीं है. आगे कविता ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे लगाता है कि मुझे इस शो की जरुरत नहीं है.

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मेरा ध्यान सलमान खान के एक्सप्रेशन पर जाता है कि वह मुझ पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं. जब भी मैं अपनी बात सलमान खान के सामने रखती हूं वह गुस्सा हो जाते हैं. अब मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं अपनी बात किसके सामने रखूं.

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बता दें कि कविता कौशिक कई सुपरहिट सीरियल्स में भी नजर आ चुकी हैं. कविता कौशिक की फै फ्लॉइंग बहुत ज्यादा है.

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