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नई हुंडई i20 लुक दे रहा है सभी कारों को मात

कॉम्पैक्ट एसयूवी हर जगह मार्केट में छाया हुआ है. यह प्रीमियम हैचबैक बाजार के लिए खतरा बनते जा रहा है. वह सफल हो जाता अगर हमारे पास नई Hyundai i20 की चौथी पीढ़ी नहीं होती .  नई हुंडई i20 की चौथी पीढ़ी  न केवल अपने सेगमेंट की कारों बल्की सभी कॉम्पैक्ट एसयूवी को भी टक्कर देता है.

हुंडई के डिजाइन टीम ने इस कार के लुक को इतना शानदार बनाया है कि इसे देखने के बाद लोग सोचना शुरू कर दे रहे हैं. इसका लुक कॉम्पैक्ट एसयूवी के लुक को भी मात दे रहा है. इसे डिजाइन करने की प्रेरणा  Le Fil रूज  कंसेप्ट से लिया गया है. नई हुंडई i20 के फ्रंट को शार्प लुक दिया है इसके साथ ही एलईडी हेडलैंप और डीआरएल भी लगाया गया है.

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कार में लगे नई पैरामीट्रिक ज्वेल  ग्रिल इसकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देता है. वहीं हुंडई i20 में दिए गए क्रीज लाइन इसे स्पोर्टी लुक देता है. बता दें कि यह लाइन आपके आखों को कार की हेडलाइट्स की तरफ से पीछे की ओर ले जाती हैं. जहां वे टेललाइट्स पर अचानक समाप्त हो जाती है अपने एक नए डिजाइन के साथ हुंडई i20 #BringsTheRevolution.

नवीन कस्तूरिया और अदा शर्मा की मुख्य भूमिका वाली वेब सीरीज‘‘पति पत्नी और पंगा’’का ट्रेलर हुआ वायरल

उप दलाल के रूप में कार्यरत रोमांचक(नवीन कस्तूरिया) अपनी सुस्त जिंदगी को रोमांचक बनाना चाहते थे,लेकिन उन्हें क्या पता था कि शिवानी भटनागर(अदा शर्मा) से शादी करने से उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी!जी हाॅ!ऐसा ही कुछ होने वाला है 11 दिसंबर को ‘‘एम एक्स प्लेअर’’पर प्रसारित होने वाली छह एपीसोड की वेब सीरीज ‘पति पत्नी और पंगा’ में.वैसे हम बता दें कि यह दो वर्ष पहले बनी फिल्मकार अबीर सेन गुप्ता की फिल्म‘‘मैन टू मैन’’है,जिसे नए नाम के साथ छह एपीसोड की वेब सीरीज के रूप में प्रसारित किया जाएगा.

वेब सीरीज‘‘पति पत्नी और पंगा’’की हास्य कहानी पति-पत्नी के बिगड़े संबंधों पर आधारित है,लेकिन इसकी वजह ‘सेक्स चेंज ऑपरेशन’ है.जी हाॅ! पिछले कुछ वर्षों के दौरान कुछ लड़के व कुछ लड़कियां अपना ‘सेक्स चेंज ऑपरेशन’ करवाकर लड़के से लड़की अथवा लड़की से लड़के बन रही हैं.हमें याद लगभग दो वर्ष पहले एक लड़के के माता पिता ने एतराज जताया था,तब उस लड़के ने अदालत की शरण लेकर अपना सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाकर लड़की बन गया.मगर अहम सवाल यह है कि सेक्स चेंज ऑपरेशन से लिंग परिवर्तन तो कर सकते हैं,मगर पुरूष और स्त्री के अंदर प्राकृतिक तौर पर जो भावनाएं व संवेदनाएं होती हैं,वह तो नहीं बदल सकती?इस वजह से किस तरह की समस्याएं इंसान की जिंदगी में पैदा हो सकती हैं,इसी को हास्य के साथ उठाते हुए एक संदेष देने का भी प्रयास लेखक व निर्देशक अबीर सेन गुप्ता ने किया है.

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इस वेबसीरीज का ट्रेलर जारी हो चुका है.ट्रेलर की शुरुआत रोमांचक(नवीन कस्तूरिया) और उसकी मां (अलका अमीन) से होती है,जो वकील(हितेन तेजवानी)के पास तलाक के लिए मिलते हैं.यहां तलाक की वजह पति या पत्नी का किसी गैर औरत या मर्द से संबंध नहीं,बल्कि लड़की का शादी से पहले एक मर्द होना है.जो सेक्स चेंज करा के अब महिला बन चुकी है.शिवानी भटनागर उर्फ शिव (अदा शर्मा)उस लड़की की भूमिका में हैं,जो शादी से छह माह पहले तक मर्द थी,पर फिर ऑपरेशन के द्वारा लिंग परिवर्तन कराकर खूबसूरत लड़की बनकर रोमांचक की जिंदगी में आती है.दोनों एक- दूसरे के रोमांस में डूब जाते हैं.फिर यह रिश्ता शादी में बदल जाता है.

शादी के बाद पर जब रोमांचक को सच का पता चलता है,तो वह तलाक लेने का प्रयास करते हैं..अब क्या होेता है,यह तो वेब सीरीज देखने पर ही चता चलेगा…ट्रेलर में एक जगह रोमांचक का दोस्त उससे पूछता है कि क्या वह शिवानी के किसी दोस्त या परिवार से कभी मिला या बात की थी? रोमांचक के इनकार करने पर उसे लानत भेजता है कि वह शादी करने के लिए सिर्फ इसलिए तैयार हो गया कि लड़की सुंदर दिखी?
इस वेब सीरीज के अपने किरदार की चर्चा करते हुए अदा शर्मा कहती हैं-‘‘मैं खुद को खुद किस्मत समझती हॅूं कि मुझे इस तरह की भूमिका निभाने का अवसर मिला.इसकी कहानी एक-दूसरे से बेहद प्यार करने वाले एक प्रेमी जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है.इस कहानी में रोमांच तब आता है,जब शादी के बाद लड़के को पता चलता है कि उसने जिस लड़की से शादी की है, वह कोई लड़की नहीं,बल्कि वह भी लड़का है.

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मैंने इसी लड़के का किरदार निभाया हैं.मैं यह जानने के लिए काफी उत्सुक हूं कि मुझे एक पुरुष किरदार में देखकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी?सच कहॅूं तो यह एक ऐसी भूमिका है,जिसे किसी भी अभिनेत्री ने कम से कम भारत में निश्चित रूप से नहीं निभाया है.यह वेब सीरीज न सिर्फ दर्शकों को हंसाएगी,बल्कि हमारे समाज में व्याप्त रूढ़ियों पर भी प्रकाश डालेगी.”

जबकि रोमांचक किरदार निभाने वाले अभिनेता नवीन कस्तूरिया कहते हैं-‘‘वेब सीरीज ‘पति पत्नी और पंगा’में अदा शर्मा मेेरे साथ हैं.एक लड़के को एक लड़की से प्यार हो जाता है और दोेनों शादी कर लेते हैं. शादी के बाद लड़के को पता चलता है कि उसने जिस लड़की से शादी की है,वह तो छह माह पहले तक लड़का थी.अब उसने अपना सेक्स चेंज करवाया हुआ है.लड़के को लगता है कि उसके साथ धोखा हुआ है.फिर कहानी में कई मोड़ आते हैं.एक हास्य फिल्म है.पर मनोरंजन के साथ संदेश भी है,लेकिन उपदेषात्मक भाषणबाजी नहीं है.यह एक हल्की-फुल्की कॉमेडी है,लेकिन साथ ही साथ एक सामाजिक संदेश भी है.जो इसे एक बेहतरीन कहानी बनाता है.

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अदा के साथ काम करने में बहुत मजा आया और अबीर ने दर्शकों के मनोरंजन के लिए कहानी को बहुत अच्छी तरह से मिश्रित किया है.साथ ही अंतर्निहित संदेश को खूबसूरती से सामने लेकीर आए हैं.इस परियोजना पर काम करना, व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए अद्भुत अनुभव रहा है. ”
अबीर सेनगुप्ता लिखित व निर्देशित वेब सीरीज‘‘पति पत्नी और पंगा’’में अदा शर्मा, नवीन कस्तूरिया, हितेन तेजवानी,गुरप्रीत सैनी और अलका अमीन नजर आएंगे.?

प्रियंका चोपड़ा ने किया किसानों का समर्थन, तो लोगों ने किया ये कमेंट

बॉलीवुड से हॉलीवुड तक अपनी पहचान बनाने वाली भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने किसान बिल के खिलाफ प्रर्दशन कर रहे हैं किसानों का साथ दिया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंड पर लिखा है कि किसानों के अंदर का डर खत्म करना चाहिए सरकार को उनकी बात सुननी चाहिए.

जिसके बाद से किसान प्रियंका चोपड़ा की वाह वाही करने लगे हैं. वहीं अदाकारा की सोशल मीडिया पर जमकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. और अमेरिका से किसान के समर्थन में आ गई हैं.

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कुछ दिनों पहले प्रियंका चोपड़ा ने सिंगर दलजीत दोसांझ के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा था हमारे किसान भारत के खाद्य सैनिक है उनके डर को दूर करना चाहिए. उनकी आशाओं पर खरा उतरने की जरूरत है. हमें किसानों के संकट को जल्द खत्म करना चाहिए.

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प्रियंका चोपड़ा के इस ट्वीट के बाद देश में उनकी सराहना हो रही है. कुछ लोगों ने उनके इस ट्वीट की तारीफ करते हुए उन्हें शेरनी कहा है. प्रियंका भले ही अमेरिका में रह रही हैं लेकिन उन्हें अपने देश और मिट्टी से बहुत ज्यादा लगाव है. यहीं वजह है जिससे प्रियंका चोपड़ा अपने देश के किसानों के लिए इतना सारा प्यार दिखा रही हैं.

बता दें कि प्रियंका चोपड़ा के अलावा सोनम कपूर, रितेश देशमुख और भी कई कलाकार इनके समर्थन में आएं हैं. इन सभी का कहना है कि किसान बिल पर सरकार को सुनवाई करनी चाहिए. किसान हमारे देश के अन्नदाता हैं.

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वहीं कुछ दिनों पहले कंगना रनौत और दलजीत दोसांझ के बीच किसान बिल को लेकर बहुत लंबी झडप हो गई थी. जो लगातार कुछ वक्त तक सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी.

 

प्रहरी-भाग 3 : कैसे उतरा विभा की आंखों पर पड़ा नासमझी का परदा

विभा की आंख जब लगी, तब शायद सुबह हो चुकी थी, क्योंकि फिर वह सुबह देर तक सोई रही. किंतु उस दिन शनिवार होने के कारण तपन की छुट्टी थी, सो, किसी काम की कोई जल्दी न थी. मुंह धो कर जब विभा रसोई में पहुंची तो सुषमा चाय बना चुकी थी. उसे देखते ही चिंतित सी बोली, ‘‘आप की तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘हां, वह तो ठीक है,’’ विभा ने कहा, ‘‘रात नींद ही बड़ी देर से आई.’’ सादगी से कही उस की इस बात पर तपन और सुषमा दोनों ही सोच में डूब गए. वे दोनों जानते थे कि उन के आपसी झगड़ों से मां का दिल दुखी हो उठता है और मुंह से कुछ भी न कह कर वे उस दुख को चुपचाप सह लेती हैं.

सुषमा के हाथ से कप ले कर विभा खामोशी से चाय पीने लगी. तपन पास आ कर बैठते हुए बोला, ‘‘चलो मां, तुम्हें कहीं घुमा लाते हैं.’’ ‘‘कहां चलना चाहते हो?’’ विभा ने हलके से हंस कर पूछा तो तपन और सुषमा दोनों के चेहरे चमक उठे.

‘‘चलो मां, किसी अच्छे गार्डन में चलते हैं. सुषमा थर्मस में चाय डाल लेगी और थोड़े सैंडविच भी बना लेगी, क्यों, ठीक है न?’’ ‘‘हांहां,’’ कहते हुए सुषमा ने जब तपन की ओर देखा तो उस नजर में उन दोनों के बीच हुए समझौते की झलक थी. विभा का चिंतित मन यह देख खुश हो गया.

नवंबर की धूप में गार्डन फूलों से लहलहा रहा था. शनिवार की छुट्टी होने के कारण अपने छोटे बच्चों को साथ ले कर आए बहुत से युवा जोड़े वहां घूम रहे थे. दिल्ली शहर के छोटे मकानों में रहने वाले मध्यवर्गीय परिवारों के बच्चे खुली हवा के लिए तरसते रहते हैं. अब इस समय यहां मैदान में बड़ी ही मस्ती से होहल्ला मचाते एकदूसरे के पीछे भाग रहे थे. बच्चों की इस खुशी का रंग उन के मातापिता के चेहरों पर भी झलक रहा था.

विभा का मन भी यहां की रौनक में डूब कर हलका हो उठा. सब से बड़ी बात तो यह थी कि तपन और सुषमा के बीच कल वाला तनाव खत्म हो गया था और वे दोनों सहज हो कर आपस में बातें कर रहे थे. एक तरफ पेड़ की छाया में साफ जगह देख कर सुषमा ने दरी बिछा दी. ठंडी बयार में फूलों की महक घुली थी. विभा को यह सब आनंद दे रहा था. दरी पर बैठी वह मन ही मन सोच रही थी कि आने वाले दिनों में शायद तपन और सुषमा भी जब यहां आएंगे तो नन्हें हाथ उन की उंगलियां थामे होंगे. यह सोच कर विभा का दिल एक सुखद एहसास से भीग उठा. अचानक सुषमा की आवाज से उस की विचारशृंखला टूटी, ‘‘मांजी, यह चाय ले लीजिए.’’

अचानक तपन बोला, ‘‘सुषमा, वह देखो, उधर शंकर और सविता बैठे हैं. चलो, मिल कर आते हैं.’’ किंतु सुषमा बोली, ‘तुम हो आओ, मैं यहां मांजी के साथ ही बैठूंगी.’’

‘‘ठीक है,’’ कह कर तपन उधर चला गया. विभा ने एक गहरी नजर सुषमा पर डाली, जो घुटनों पर सिर रखे चुप बैठी थी. चाय पी कर गिलास नीचे रखते ही विभा उस के पास खिसक आई और पूछा, ‘‘तुम गई क्यों नहीं? शायद उस के दफ्तर का कोई दोस्त है.’’

‘‘क्या फायदा मांजी, फिर झगड़ाझंझट करेंगे. अब आप ही बताइए, इन के मित्र मुझ से बात करें तो क्या मैं अशिष्ट बन जाऊं? उन के साथ हंस कर बात करूं तो ये नाराज, और न करूं तो वे लोग बुरा मानेंगे. मैं तो बीच में फंस जाती हूं न. अब तो मैं इन के साथ पार्टियों में जाना भी बंद कर दूंगी, घर पर ही ठीक हूं,’’ सुषमा थोड़ा तल्खी से बोली.

विभा कुछ देर उस के खूबसूरत चेहरे को देखती रही जहां एक आहत सी अहं भावना की परछाईं थी. फिर कुछ सोच कर समझाते हुए बोली, ‘‘तपन तुम्हें बहुत चाहता है, इसी से उस में तुम्हारे प्रति यह भावना है. पति के दिल की एकछत्र स्वामिनी होना तो बड़े गर्व की बात है.’’

‘‘वह तो ठीक है,’’ सुषमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया, ‘‘किंतु जब औरों को देखती हूं तो लगता है कि उन्हें इस बात की चिंता ही नहीं कि उन की पत्नियां कहां, किस से बातें कर रही हैं.’’ ‘‘तब तो तुम यह भी देखती होगी कि वही लोग कभीकभी शराब के नशे में डूबे उन से गलत व्यवहार भी करते होंगे?’’

‘‘यह सब तो कभीकभी चलता है, इन पार्टियों में सभी तरह के लोग होते हैं.’’

‘‘तो फिर अब इस बात को भी समझो कि तुम्हारे साथ किसी का गलत व्यवहार तपन को कभी सहन न होगा. विवाहित जीवन में पति का अंकुश पत्नी पर और पत्नी का अंकुश पति पर होना बहुत जरूरी है. यही एक सफल दांपत्य जीवन का मंत्र है, जहां पतिपत्नी दोनों एकदूसरे को गलत कामों के लिए टोक सकते हैं, एकदूसरे को सही राह दिखा सकते हैं. किंतु इस के लिए विश्वास की मजबूत नींव जरूरी है, जिस में एकदूसरे के इस टोकने को गलत न समझा जाए, बल्कि उस के मूल में छिपी सही विचारधारा को समझा जाए, सुषमा, इस अधिकार को एक का दूसरे पर शासन मत समझो बल्कि एक की दूसरे के प्रति अतिशय प्रेम की अभिव्यक्ति समझो. ‘‘यदि तुम्हें वह सदैव अपनी नजरों के सामने रखना चाहता है तो यह तुम्हारा बहुत बड़ा सम्मान है. पति जिस स्त्री का सम्मान करता है, उस का सम्मान सारी दुनिया करती है, इसे हमेशा याद रखना.’’

इतना सबकुछ एक सांस में ही कह चुकने के बाद विभा खामोश हो गई. उस की बातें बड़े गौर से सुनती सुषमा के सामने विवाहिता जीवन का एक नया ही रहस्य खुला था कि आज के इस नारीमुक्ति युग में पति का पत्नी पर अपना अधिकार साबित करना कोई अमानवीय काम नहीं बल्कि उस के अखंड प्रेम का संकेत है.

सुषमा सोचने लगी कि न जाने उस की कितनी सहेलियां अकेली घूमतीफिरती हैं, अकेली ही पार्टियों में भी जाती हैं. किंतु सच तो यह है कि सुषमा को उन पर बड़ी दया आती है, क्योेंकि अकसर ही उन्हें किसी न किसी पुरुष के गलत व्यवहार का शिकार होना पड़ता है, जिस से उन को बचाने वाला वहां कोई नहीं होता. लेकिन उस के साथ तो उलटा ही है, किसी की टेढ़ी तो क्या, सीधी नजर भी उस पर पड़े तो पति सह नहीं पाता. हमेशा ढाल बन कर खड़ा हो जाता है. इसलिए तो आज तक कभी किसी पार्टी में उस के साथ गलत व्यवहार करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई. बुरे से बुरा व्यक्ति भी उस के सामने आ कर इज्जत से हाथ जोड़ कर उसे ‘भाभीजी’ ही कहता है. फिर वह खुद भी तो किसी को ऐसा ओछा व्यवहार करने का मौका नहीं देती.

किंतु उस की मर्यादा का सजग प्रहरी तो तपन ही है न, उस का अपना तपन, जो इन पार्टियों में हर समय साए की तरह उस के साथ रहता है. अकसर उस के दोस्त हंसते भी हैं और कहते भी हैं, ‘बीवी को कभी अकेला छोड़ता ही नहीं.’ किंतु तपन उन के हंसने या मजाक बनाने की कतई परवा नहीं करता. ये विचार मन में आते ही सुषमा को अपने तपन पर बहुत ज्यादा प्यार आया. उस की इच्छा हो रही थी कि दौड़ कर जाए और दूर खड़े तपन के गले में अपनी बांहें डाल दे और कहे, ‘अब मैं तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं मानूंगी. मांजी ने मेरी आंखों से नासमझी का परदा उठा दिया है. तुम्हारी नाराजगी का भी सम्मान करूंगी, क्योंकि वह मेरा सुरक्षाकवच है. मेरे अब तक के व्यवहार के लिए मुझे माफ कर दो.’

मन ही मन इन विचारों में घिरी सुषमा का चेहरा विश्वास की आभा से जगमगा रहा था. आंखों में मानो प्यार के दीए जल उठे थे. बड़ी बेसब्री से वह तपन के आने की प्रतीक्षा कर रही थी. सुषमा सोच रही थी कि कैसी अजीब बात है कि जब तक वह घटनाओं से खुद को जोड़े हुए थी, कुछ भी साफ देख, समझ नहीं पा रही थी, किंतु जब घटनाओं से अलग हो कर उस ने खुद को तटस्थ किया तो सबकुछ शीशे की तरह साफ हो गया. उस के अपने ही दिल ने पलभर में सहीगलत का फैसला कर लिया.

प्रहरी-भाग 2 : कैसे उतरा विभा की आंखों पर पड़ा नासमझी का परदा

‘‘मां, अब तुम ही बताओ, मेरे पास और क्या उपाय था, सिवा इस के कि मैं उसे वहां से वापस ले आता. उसे खुद भी तो अक्ल होनी चाहिए कि ऐसेवैसों को ज्यादा मुंह न लगाया करे. किसी भी बहाने से वह उस के पास से हट जाती तो भला मैं पार्टी बीच में छोड़ कर उसे जल्दी क्यों लाता?’’ तपन के स्वर में कुछ लाचारी थी, तो कुछ नाराजगी. विभा मन ही मन मुसकराई कि सुंदर पत्नी की चाह सभी को होती है, किंतु कभीकभी खूबसूरती भी सिरदर्द बन जाती है. वह बोली, ‘‘चलो छोड़ो, जाने दो. धीरेधीरे समझ जाएगी. तुम ही थोड़ा सब्र से काम लो,’’ और विभा घर की ओर पलट पड़ी.

विभा की सारी रात करवटें बदलते बीती. बेटा मानो उस के पति का ही प्रतिरूप बन सामने आ खड़ा हुआ था. अपने विवाह के तुरंत बाद के दिन विभा की बंद आंखों में किसी चलचित्र की भांति उभर आए. किसी भी पार्टी में जाने पर अपने पति सत्येंद्र का अपनी सुंदर पत्नी के चारों ओर मानो एक घेरा सा डाले रखना उसे भूला न था. कभीकभी सत्येंद्र के मित्रों की पत्नियां विभा को चिढ़ातीं तो उसे पति के इस व्यवहार पर क्रोध भी आता, किंतु उन के खिलाफ बोलना उस के स्वभाव में न था. सो, चुप रह जाती. युवावस्था के उन मादक, मधुर दिनों की यादें विभा के दिल को झकझोरने लगीं. कैसे थे वे मोहक दिन, जब दफ्तर से छूटते ही सत्येंद्र इस तरह घर भागते, जैसे किसी कैदखाने से छूटे हों. दोस्तों के व्यंग्यबाणों को वे सिर के ऊपर से ही निकल जाने देते. पहले दफ्तर के बाद लगभग रोज ही कौफी हाउस में दोस्तों के साथ एक प्याला कौफी जरूर पीते थे, तब कहीं घर आते थे, किंतु शादी के बाद तो जैसे दफ्तर का समय ही काटे न कटता था.

शाम के बाद भला सत्येंद्र कहां रुकने वाले थे. दोस्तों के हंसने की जरा भी परवा किए बिना अपनी छोटी सी पुरानी गाड़ी में बैठ कर सीधे घर भागते. लेकिन दोस्त भी कच्चे खिलाड़ी न थे. कभीकभी दोचार इकट्ठे मिल कर मोरचा बांध लेते और उन से पहले ही उन की गाड़ी के पास आ खड़े होते. तभी कोई कहता, ‘यार, बोर हो गए कौफी हाउस की कौफी पीपी कर. आज तो भाभीजी के हाथ की कौफी पीनी है.’ इस से पहले कि सत्येंद्र हां या ना कहें, सब के सब गाड़ी में चढ़ कर बैठ जाते.

इधर विभा रोज ही शाम को पति के आने के समय विशेषरूप से बनसंवर कर तैयार रहती थी. यह उस की मां का दिया मंत्र था कि दिनभर के थकेहारे पति की आधी थकान तो पत्नी का मोहक मुसकराता मुखड़ा देख कर ही उतर जाती है. किंतु जब सत्येंद्र मित्रों को लिए घर पहुंचता और वे

सब उस की सुंदर सजीधजी पत्नी को ‘भाभीजी, भाभीजी’ कह कर घेर लेते तो वह अलगथलग कुरसी पर जा बैठता.

मित्र भी तो कम शरारती न थे, सत्येंद्र के मनोभावों को समझ कर भी अनजान बने रहते. उधर विभा उन सब के सामने बढि़या नाश्ता रख कर, कौफी बना कर स्नेह से उन्हें खिलातीपिलाती. यह सब देख सत्येंद्र और कुढ़ जाता. विभा स्थिति की नजाकत समझती थी और अब तक वह सत्येंद्र के स्वभाव को अच्छी तरह जान भी चुकी थी, इसलिए वह उस के मित्रों को जल्दीजल्दी खिलापिला कर विदा करने की कोशिश करती. मित्रों के जाते ही सत्येंद्र पत्नी पर बरसते, ‘क्या जरूरत थी उन सब की इतनी आवभगत करने की? तुम थोड़ा रूखा व्यवहार करोगी तो खुद ही आना छोड़ देंगे. लेकिन तुम तो उन के सामने मक्खनमलाई हो जाती हो, वाहवाही लूटने का शौक जो है.’

सत्येंद्र की कटु आलोचना सुन कर विभा की आंखें भर आतीं, किंतु उस में गजब का धैर्य था. वह अच्छी तरह जानती थी कि इस स्थिति में वह उसे कुछ भी समझा नहीं पाएगी. वह चुपचाप रात के खाने की तैयारी में लग जाती. सत्येंद्र की मनपसंद चीजें बनाती और फिर भोजन निबटने के बाद रात में जब खुश व संतुष्ट पति की बांहों में होती तो उसे समझाने की कोशिश करते हुए पूछती, ‘अच्छा, बताओ तो, क्या तुम सचमुच ही अपने मित्रों का यहां

आना पसंद नहीं करते? मैं तो उन की खातिरदारी सिर्फ इसलिए करती हूं कि वे औफिस में तुम्हारे साथ काम करते हैं. उन के साथ तुम्हारा दिनभर का उठनाबैठना होता है, वरना मुझे उन की खातिरदारी करने की क्या पड़ी है? यदि तुम्हें ही पसंद नहीं, तो फिर अगली बार से उन्हें केवल चाय पिला कर ही टरका दूंगी.’ ‘अरे, नहींनहीं,’ सत्येंद्र और भी कस कर उसे अपनी बांहों में जकड़ लेते, ‘यह ठीक नहीं होगा. सच तो यह है कि जब वे सब दफ्तर में तुम्हारी इतनी तारीफ करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. लेकिन क्या करूं, दिनभर के इंतजार के बाद जब शाम को तुम मुझे मिलती हो तो फिर बीच में कोई अड़ंगा मैं सहन नहीं कर सकता.’

‘कैसा अड़ंगा भला?’ उस के सीने में मुंह छिपाए विभा मीठे स्वर में कहती, ‘मैं तो सदा ही केवल तुम्हारी हूं, पूरी तरह तुम्हारी. तुम्हारे इन मित्रों की बचकानी हरकतें तो मेरे लिए तुम्हारे छोटे भाइयों की कमी पूरी करती हैं. अकसर सोचती हूं कि यदि तुम्हारे छोटे भाई होते तो वे यों ही ‘भाभीभाभी’ कह कर मुझे घेरे रहते. यही समझो कि तुम्हारे मित्रों द्वारा मेरे दिल की यही कमी पूरी होती है.’ ‘चलो, फिर ठीक है, अब बुरा नहीं मानूंगा. भूल जाओ सब.’

फिर धीरेधीरे सत्येंद्र इस सच को समझते गए कि घर आए मेहमान की उपेक्षा करना ठीक नहीं और अब विभा का अपने मित्रों से बातचीत करना, उन की खातिरदारी करना उन्हें बुरा नहीं लगता था. बदलते समय के साथ फिर तो बहुतकुछ बदलता गया. दोनों के जीवन में बच्चों के जन्म से ले कर उन के विवाह तक न जाने कितने उतारचढ़ाव आए. जिन्हें दोनों ने एकसाथ झेला. फिर कभी एक पल को भी सत्येंद्र का विश्वास न डगमगाया.

मेरी ननद की हरकतें काफी परेशान करती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 31 वर्ष है. मेरी 21 वर्षीया ननद हमारे साथ ही रहती है. मेरे सासससुर पटना में रहते हैं और बेटी को यहां दिल्ली पढ़ने के लिए भेजा है. वैसे तो मेरी और ननद की बहुत बनती है लेकिन उस की हरकतें मुझे विचलित कर देती हैं. कभी वह रातरातभर फोन पर बात करती रहती है तो कभी 9 बजे तक घर नहीं आती. उस के भैया जब उसे डांट देते हैं तो वह मुझे घृणित भाव से देखती है. कभीकभी तो बुरा भी कह देती है. मुझे डर है कि उस की इन हरकतों से कहीं मेरी 6 वर्षीया बेटी पर कोई गलत असर न पड़े. मुझे इस स्थिति में क्या करना चाहिए?

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जवाब

आप की ननद का पढ़ीलिखी युवा हो कर भी इस तरह का व्यवहार करना अचंभित करता है. अपने भाई से डांट खा कर उस का आप को खरीखोटी सुनाना कहीं से भी मान्य नहीं है. रही बात आप की बच्ची की, तो यह संभव है कि वह जो देखेसुने, वही व्यवहार में अपनाने भी लगे.

आप यह कर सकती हैं कि अपने साससुर को फोन कर उन्हें इन सभी हालात से परिचित कराएं. हो सके तो उन्हें कुछ दिन अपने साथ रहने के लिए बुला लें. इस से वे खुद अपनी आंखों से बेटी की हरकतें देख लेंगे और उन्हें ऐसा नहीं लगेगा कि आप उन से झूठी शिकायतें करती रहती हैं.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

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खेती से राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

वैशाली जिले का एक छोटा सा गांव है चकवारा, जो गंडक नदी के तट पर बसा है. इस गांव में करीब 100 से ज्यादा परिवार रहते?हैं. इन में महज 2 लोग ही नौकरी करते हैं, बाकी की जीविका सब्जियों की खेती पर टिकी है. खेती की बदौलत ही इस गांव के 99 फीसदी मकान पक्के हैं. यहां के युवाओं में खेती की ललक आज भी देखी जा सकती है. चकवारा गांव निवासी संजीव कुमार एक प्रगतिशील किसान हैं. उन्होंने इंटर तक शिक्षा ग्रहण की. इस के बाद वे अपनी लगन व मेहनत के बल पर जल्द तैयार होने वाली फूलगोभी हाजीपुर अगात के बीज का उत्पादन कर रहे हैं. यह किस्म सामान्य फूलगोभी के मुकाबले पहले तैयार हो जाती है. जहां पर सामान्य गोभी के पौधे में 60 से 65 दिनों में फूल आते हैं, वहीं हाजीपुर अगात में 40 से 45 दिनों में फूल आने लगते हैं. इस की खासीयत यह भी है कि इस के पौधे में धूपबारिश सहने की कूवत ज्यादा होती है. इस के फूल सफेद, ठोस व खुशबूदार होने के अलावा 3 से 4 दिनों तक ताजा बने रहते हैं.

संजीव कहते हैं कि उन के परिवार में पारंपरिक बीज से गोभी की खेती 4 पीढि़यों से की जा रही?है. वे 3 एकड़ में खेती कर के लाखों की आय हासिल कर रहे हैं. अगात गोभी के बीज की खेती विभिन्न प्रकार की जमीनों में की जा सकती है. मगर गहरी दोमट मिट्टी जिस में सही मात्रा में जैविक खाद हो, इस के लिए अच्छी होती है. हलकी रचना वाली मिट्टी में सही मात्रा में खाद डाल कर इस की खेती की जा सकती है. जिस मिट्टी का पीएच मान 5.5-6.5 के मध्य हो वह फूलगोभी के लिए अच्छी मानी गई?है. संजीव का कहना है कि पहले खेत को पलेवा करें. जब जमीन जुताई लायक हो जाए, तब उस की जुताई 2 बार मिट्टी पलटने वाले हल से करें. इस के बाद 2 बार कल्टीवेटर चलाएं और हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं.

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हाजीपुर अगात वर्ग की किस्मों में सितंबर व मध्य अक्तूबर तक फूल आते हैं. उस दौरान तापमान 20-25 डिगरी सेल्सियस तक होता है. इस की बोआई मध्य जून तक व रोपाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कर देनी चाहिए. अच्छी उपज के लिए खेत में सही मात्रा में खाद डालना बेहद जरूरी है. इस के लिए गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद और आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करें. संजीव अपने बीज के नमूने विदेशों में भी भेजते हैं. उन्होंने गोभी के बीज को नार्वे, स्वीडन, इथोपिया, ब्रिटिश उच्चायोग, हंगरी, जापान कसटर्नल आफ एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन, कनाडियन उच्चायोग, हालैंड और कोरियाल ट्रेड सेंटर को भेजा, जहां से उन्हें तारीफ मिली.

कोरिया की बीज कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाजीपुरा में होने वाली फूलगोभी की खेती को देखने की इच्छा जाहिर की और वहां के किसानों को अपने यहां आने की दावत भी दी. संजीव का कहना है कि इस बीज को उन्होंने तैयार किया है.

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पुरस्कार व सम्मान

संजीव को इस काम के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान परिषद, वाराणसी द्वारा साल 2009 के राष्ट्रीय सब्जी किसान मेले व प्रदर्शनी में रजत पदक व प्रशस्तिपत्र दिया गया. साल 2010 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकी व अन्य आधुनिक तकनीकों को अपना कर कृषि की उत्पादकता बढ़ाने व कृषि के व्यवसायीकरण के प्रोत्साहन में सराहनीय योगदान के लिए उन्हें प्रशस्तिपत्र दिया गया. साल 2013 में इसी संस्थान द्वारा आयोजित किसान मेले में उन्हें प्रगतिशील किसान की उपाधि से सम्मानित किया गया.

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साल 2011 में अमति सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा उन्हें उद्यान रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. साल 2012 में उन्हें इंडिया एग्रो पुरस्कार मिला. बिहार दिवस समारोह में साल 2012 में उन्हें कृषि क्षेत्र में कामयाबियों के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया. साल 2013 में उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा कृषि क्षेत्र का सर्वोत्तम पुरस्कार दिया गया.

Crime Story: सरकारी पैसे से शाही शादी का सपना

सौजन्या-सत्यकथा

बैंक मैनेजर सुशील कुमार की 10 नवंबर को शादी होनी थी. कार उस ने खरीद  ली थी. लोन ले कर आलीशान मकान भी बनवा लिया था. वह शानोशौकत से शादी करना चाहता था. इस के लिए उस ने अपने ममेरे भाई नितेश, उस के 2 दोस्तों सतपाल व सुखविंद्र के साथ मिल कर साजिश रची और अपने ही बैंक में 1 करोड़ 13 लाख की डकैती करा दी, लेकिन…

‘हैंड्सअप’. मुख्य गेट का शटर डाल कर अंदर घुसे तीनों युवकों ने बैंक भवन के अंदर मेज पर रखी फाइलों में उलझे बैंक प्रबंधक सुशील कुमार व कैशियर परमपाल सिंह को हथियारों की नोक पर लेते हुए कर्कश आवाज में कहा. आगंतुकों के चेहरे के हावभाव व आंखों से उगलती आग दर्शा रही थी कि विरोध करने पर वे किसी भी हद तक जा सकते थे.

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अचानक आई आफत को देख दोनों बैंककर्मियों की घिग्घी बंध गई. हाथों में हथियार व 2 युवकों के कंधे पर लटकते पिट्ठू बैग देख उन को आभास हो गया था कि वे लोग बैंक लूटने आए हैं. दो पगड़ीधारी युवकों के हाथों में पिस्टल थी और तीसरे के हाथ में लंबे फल वालाचाकू.

दोनों बैंककर्मियों ने कोई प्रतिरोध न कर के आत्मसमर्पण कर दिया. तीनों लुटेरे केशियर व बैंक मैंनेजर को धकिया कर बैंक के स्ट्रांग रूम में ले गए. वहां तीनों ने तिजोरी में रखी 2 हजार, 5 सौ व एक सौ रुपयों की गड्डियां दोनों बैगों में ठूंसठूंस कर भर लीं. दोनों बैंक अफसरों के मोबाइल पहले ही छीन लिए गए थे. मैनेजर व कैशियर को स्ट्रांगरूम में बंद कर ताला लगा दिया गया. एक लुटेरे ने मैनेजर की मेज पर रखी कार की चाबी उठा ली थी. स्ट्रांगरूम की चाबी लुटेरों ने स्ट्रांग रूम के सामने ही फेंक दी.

नकदी भरे बैग उठाए तीनों युवक फुर्ती से बाहर निकल गए. जाते समय मुख्य गेट का शटर बंद कर तीनों लुटेरे बैंक मैनेजर की बाहर खड़ी गाड़ी आई10 नंबर आरजे 13 सीसी 1283 में भाग निकले.

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आधा घंटा बाद स्ट्रौगरूम में बंद मैनेजर व कैशियर कुछ सहज हुए. दोनों ने मिल कर स्ट्रौंगरूम में लगी प्लास्टिक की एक पाइप को उखाड़ा और जैसेतैसे स्ट्रांगरूम से बाहर निकले. लूट की इस बड़ी बारदात को महज 7 मिनट में अंजाम दे दिया गया था. बैंक गार्ड आधा घंटा पहले छुट्टी कर घर चला गया था.

लूट की यह सनसनीखेज घटना 17 सितंबर, 2020 को राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की प्रमुख मंडी संगरिया की धानमंडी स्थित एक्सिस बैंक शाखा में रात तकरीबन 8 बजे हुई थी. बैंक प्रबंधन की सूचना मिलते ही संगरिया थाना के टीआई इंद्रकुमार ने मौकामुआयना कर अविलंब उच्च अधिकारियों को सूचना प्रेषित कर दी.

बैंक मैनेजर की शिकायत पर 3 अज्ञात लोगों के खिलाफ हथियारों की नोक पर एक करोड़ 13 लाख रुपए लूट ले जाने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने यह मुकदमा आईपीसी 292 व 34 के तहत दर्ज कर किया. संयोग से सवा करोड़ की लूट की यह वारदात मंडी सांगरिया की पहली घटना थी.

सूचना मिलते ही बीकानेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक प्रफुल्ल कुमार जिला पुलिस अधीक्षक राशि डोगरा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने घटना स्थल पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया.

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एसपी राशि डोगरा ने एकएक बिंदु को देखा, परखा पुलिस अधिकारियों को बताया गया कि कई दिनों से बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरा सिस्टम गड़बड़ था. पुलिस जांच में यह तथ्य भले ही परेशानी साबित हो सकता था पर एसपी राशि डोगरा ने कैमरों के गड़बड़ होने को जांच के लिए एक अहम क्लू माना. आईजी प्रफुल्ल कुमार ने इस लूट प्रकरण को जल्दी से ट्रेस आउट करने का आदेश दे दिया.

जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर घटित बैंक लूट की इस घटना को युवा आईपीएस राशि डोगरा ने एक चैलेंज के रूप में लिया. उन्होंने एएसपी जस्साराम बोस और स्वयं के सुपरविजन में जिला क्षेत्र के सीओ दिनेश राजौरा, सीओ प्रशांत कौशिक, सीओ नारायण सिंह, सर्किल इंसपेक्टर इंद्रकुमार के नेतृत्व में एसआई फूल सिंह, राजाराम और सुरेश के साथ दर्जनभर हैड कांस्टेबलों को लगाया. इस के तहत 8 टीमों का गठन कर जांच में लगा दिया. साइबर व सीसीटीवी कैमरा एक्सपर्ट भी लगाए गए.

अपराधी कितना भी शातिर हो, अनजाने में कोई न कोई भूल कर घटनास्थल पर कोई न कोई क्लू जरूर छोड़ जाता है. इसी तथ्य को सत्य मान कर राशि डोगरा ने अपने अनुभव इस वारदात को खोलने में लगा दिए. शुरुआती जांच व बैंक के नजदीक स्थित दुकानों पर लगे कैमरों से यह साबित हो गया था कि जाते समय लुटेरे मैनेजर की कार में भागे थे. लेकिन आते समय बैंक तक पैदल आए थे.

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पुलिस की आठों टीम पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश सहित हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिला क्षेत्र में उतर गईं. 15 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली ही रहे.एक दुकान के बाहर लगे कैमरों में तीनों लुटेरों की कदकाठी नजर आ रही थी पर पगड़ी के पल्लू व कैप लगी होने के कारण तीनों में से एक का भी चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था.

सीसीटीवी कैमरा एक्सपर्ट ने जांच कर खुलासा कर दिया था कि बैंक के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों में हाल ही में छेड़छाड़ की गई थी.जांचपड़ताल में मिल रहे मामूली क्लू बैंक प्रबंधन के खिलाफ जा रहे थे. पर पुख्ता साक्ष्य के अभाव में पुलिस प्रमुख राशि डोगरा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थीं. बड़ी रकम का मामला था. अन्य प्रदेशों व स्थलों पर गई टीमों के भी हाथ खाली थे.

बैंक मैनेजर सुशील व कैशियर परमपाल सिंह से अलगअलग व संयुक्त रूप से कई दौर में पूछताछ की गई पर नतीजा शून्य रहा. दूसरे दिन मैनेजर सुशील की कार संगरिया से 30 किलोमीटर दूर हरियाणा के डबवाली शहर में लावारिस हालात में मिल गई. पूछताछ में पता चला कि 2 दिन पहले कार की जगह एक मोटरसाइकिल कई घंटे खड़ी रही थी.

राशि डोगरा की नजर में बैंक मैनेजर सुशील कुमार चढ़ चुका था. उन्होंने सुशील की जन्म कुंडली खंगालना शुरू कर दी. उन्हें बताया गया कि सुशील को कुछ अरसा पहले ही बैंक परीक्षा पास करने पर मैनेजर की नौकरी मिली थी.

इसी 10 नवंबर को सुशील की शादी होनी थी. उन की रिहायशी आलीशान बंगला बिना कर्ज लिए बनना मुश्किल था. सुशील की ननिहाल पंजाब के जनखुआ (राजपुरा) में है.एसपी डोगरा ने सांगरिया के तेजतर्रार सर्किल इंसपेक्टर इंद्रकुमार को टीम के साथ जनसुआ भेज दिया. हाईकमान के आदेशानुसार 4 सदस्यीय टीम ने यूनिफार्म की जगह ग्रामीणों के वेश धर लिए. खुद इंद्रकुमार ने शरीर पर सफेद कुरता और लुंगी पहनी. पैरों में चमड़े की जूती व सिर पर चैकदार साफा. सीआई ने टीम के साथ सुशील के ननिहाल में रैकी शुरू कर दी थी. वहीं 3 अन्य पुलिसकर्मी शराब ठेकों व बाजार की रैकी में लग गए थे. इस पुलिस टीम का टारगेट था एक्सिस बैंक संगरिया के नजदीक सीसीटीवी कैमरों में दर्ज हुए लुटेरों की चालढाल व कदकाठी वाले युवकोंकी तलाशना.

टीम ने 2 लोगों की कदकाठी व चाल को पहचान लिया. एक तो सुशील के नाना के घर आजा रहा था. दूसरे को शराब ठेके पर शराब की महंगी बोतल खरीदते समय पहचाना गया. जांच अधिकारी इंद्रकुमार ने डेली रिपोर्ट के रूप में इस प्रोगेस को एसपी राशि डोगरा से साझा किया. एसपी के आदेश पर इंद्रकुमार की टीम संगरिया लौट आई.

टीम की मेहनत रंग लाई

इंद्रकुमार की टीम ने चोरीछिपे दोनों संदिग्धों के विडियो मोबाइल कैमरे में कैद कर लिए थे. कैमरों व वीडियो में कैद फोटोज लुटेरों से मिल रहे थे. शक की गुंजाइश नहीं थी. बैंक मैनेजर वारदात के बाद से लगातार ड्यूटी पर आ रहा था.21 अक्तूबर को पुलिस ने अपराधियों को एक साथ उठाने का निर्णय लिया. सब से पहले जांच अधिकारी इंद्रकुमार ने मैनेजर सुशील को पूछताछ के बहाने पुलिस थाने बुलाया. एक मुस्तैद सिपाही जो डंडा लिए था, की तरफ इशारा करते हुए सीओ ने कहा, ‘मैनेजर साहब, आप बिना लागलपेट सच उगल दो. वरना इन डंडे वालों को संभालना मुश्किल हो जाएगा.’’  ‘‘सर, मैं सब कुछ सचसच बता दूंगा,’’ सुशील ने कहा.

बिना लागलपेट सुशील कुमार ने बयां किया, ‘‘बैंक परीक्षा पास करने के बाद मुझे बैंक में नौकरी मिल गई थी. मैं ने कर्जा उठा कर भव्य मकान बनवाया था. अब 10 नवंबर को मेरी शादी होनी थी. शानोशौकत की चाह भावी दांपत्य जीवन को मनमोहक बना देती है. इसी इच्छा के चलते बैंक की तिजौरी में रखी नोटों की गड्डियां देख मेरा इमान डोल गया. मैं ने अपने ममेरे भाई नितेश को बुला कर उस से गुफ्तगू की. ‘‘मेरी रजामंदी के चलते नितेश ने अपने 2 दोस्तों सतपाल व सुखविंद्र को शामिल कर लिया. कुछ दिन पहले नितेश अपने दोस्तों के साथ बैंक आया था. तीनों ने गहनता से बैंक भवन व आसपास का जायजा लिया था.’’

वारदात के दिन तीनों दोस्त मोटरसाइकिल से डबवाली पहुंचे. डबवाली के बाजार से एक काली व एक रंगीन पगड़ी खरीदी गई. पिट्ठू बैग भी यहीं से खरीदे गए थे. दो जनों ने पगड़ी इसलिए बांधी कि पुलिस भ्रमित हो जाए. मोटरसाइकिल डबवाली में रोड़ पर खड़ी कर तीनों बस से 6 बजे शाम संगरिया पहुंच गए थे. निर्धारित प्रोग्राम के मुताबिक गार्ड को पहले ही छुट्टी दे दी गई थी.

बैंक में लगे कैमरे कई दिन पहले खराब कर दिए गए थे. दोनों बैंककर्मियों को स्ट्रांगरूम में बंद कर चाबी वहीं डाल दी गई थी ताकि स्ट्रांगरूम का दरवाजा तोड़ने की नौबत न आ जाए. मैनेजर की कार प्लानिंग के अनुसार ली गई थी. तीनों सहयोगियों की पहचान भी सुशील ने जाहिर कर दी थी.

सुशील के बताए अनुसार तीनों लोग उसी दिन नकदी के साथ कुल्लू-मनाली पहुंच गए. तीनों ने वहां महंगे होटलों व शराबखोरी में दोतीन दिनों में 3 लाख रुपए उड़ा दिए.

पुलिस सांगरिया में साजिशकर्ता सुशील निवासी भूना जिला फतेहाबाद से पूछताछ कर रही थी. वहीं 2 टीमें जनसुआ तहसील राजपुरा में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी थीं. जनसुआ से पुलिस ने सुशील के ममेरे भाई नितेश जो 8वीं तक पढ़ा और अविवाहित है और एमए पास अंबाला का सुखविंद्र जो 2 बेटों का पिता भी है, उठा लिया.

सतपाल 5वीं तक पढ़ा था, वह जनसुआ में हैयर ड्रैसिंग का काम करता था, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने उन्हें सांगरिया ला कर चारों से अलगअलग व आमनेसामने बिठा कर पूछताछ शुरू की. पर चारों रिकवरी के बिंदु पर पुलिस को गच्चा देते रहे. जांच अधिकारी इंद्रकुमार ने चारों आरोपियों को अदालत में पेश कर पुलिस रिमांड पर ले लिया.

दोबारा पूछताछ में चारों ने अपने घरों में छिपा कर रखी एक करोड़ 5 लाख रुपयों की बरामदगी करवा दी थी. अदालत में दोबारा पेश करने पर अदालत ने तीनों को जेल भिजवा दिया.

मुख्य साजिशकर्ता सुशील को पुलिस ने रिकवरी के लिए दोबारा 2 दिनों के रिमांड पर ले लिया था. इस अवधि में सुशील ने अपने घर से 5 लाख रुपए और बरामद करवाए. पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल की गई बाइक, कार व अन्य साक्ष्य कब्जे में ले लिए.

आईजी (बीकानेर) ने एसपी साहित अन्य अधिकारियों की दिल खोल कर हौसलाअफजाई की. एसपी राशि डोगरा ने इंसपेक्टर इंद्रकुमार की विशेष सराहना की.

चारों आरोपियों ने रूपयों की खनकदमक के आगे पहली बार अपराध किया था ताकि उन का व उन के परिवार का भविष्य संवर जाए. पर हकीकत में चारों ने न केवल खुद को बल्कि परिवार को भी गहरी अंधेरी गहराइयों में धकेल दिया है.

केले केे पत्ते की सब्जी इस तरह से बनाएं

केला एक ऐसा फल है जो हर शहर और गांव में आसानी से मिल जाता है.  केला का इस्तेमाल बहुत सारे तरीके से किया जाता है. कुछ लोग केला का सेवन फल के रूप में करते हैं यानी पक्के हुए केले खाना पसंद करते हैं. ऐसे में आग आपको केले के पत्ते से कैसे सब्जी बनती है.

शायद इससे पहले आपने कभी नहीं सोचा होगा कि केले के पत्ते की सब्जी बनती हैं.

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समाग्री

1 केला का पत्ता

एक चुटकी जीरा

हींग

2 साबुत लाल मिर्च

1-2 हरी मिर्च

थोड़ा सा अदरक

पिसा धनिया

एक चम्मच आमचूर

एक चम्मच तेल

विधि

-केले के मोटे के डंडल को हटा दें, अब केले के अच्छे से साफ कर लें. अब छलनी पर उसे छोड़ दें. जब पूरा पानी निकल जाए तो उसे अच्छे से साफ कर लें. उसके बाद केले को बारीक काट लें.

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-अब कड़ाही में माध्यम आंच पर तेल गर्म करें, उसके बाद उसमें जीरा डालें, कुछ सेकेण्ड भूनें और फिर उसमें हींग डालें जब हींग और जीरा भून जाए तो उसमें मिर्च डाल दें. अब उसमें बारीक कटी हुई लहसुन और अदरक को डालकर भूनें.

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– अब कटी हुई केले डाले और उसे अच्छे से भूनें, अब इसमें नमक और पिसा धनिया डालकर अच्छे से चलाएं. कुछ देर चलाने के बाद उसमें आमचूर पाउडर, धनिया पाउडर , खटाई डालकर अच्छे से चलाएं.

कुछ देर चलाने के बाद स्वादिष्ट पौष्टिक केले की सब्जी तैयार है अब आप केले की सब्जी को चावल या फिर रोटा के साथ खा सकते हैं.

 

प्रहरी-भाग 1 : कैसे उतरा विभा की आंखों पर पड़ा नासमझी का परदा

विभा रसोई में भरवां भिंडी और अरहर की दाल बनाने की तैयारी कर रही थी. भरवां भिंडी उस के बेटे तपन को पसंद थी और अरहर की दाल की शौकीन उस की बहू सुषमा थी. इसीलिए सुषमा के लाख मना करने पर भी वह रसोई में आ ही गई. सुषमा और तपन को अपने एक मित्र के बेटे के जन्मदिन की पार्टी में जाना था और उस के लिए उपहार भी खरीदना था. सो, दोनों घर से जल्दी निकल पड़े. जातेजाते सुषमा बोली, ‘‘मांजी, ज्यादा काम मत कीजिए, थोड़ा आराम भी कीजिए.’’

विभा ने मुसकरा कर सिर हिला दिया और उन के जाते ही दरवाजा बंद कर दोबारा अपने काम में लग गई. जल्दी ही उस ने सबकुछ बना लिया. दाल में छौंकभर लगाना बाकी था. कुछ थकान महसूस हुई तो उस ने कौफी बनाने के लिए पानी उबलने रख दिया. तभी दरवाजे की घंटी बजी. जैसे ही विभा ने दरवाजा खोला, सुषमा आंधी की तरह अंदर घुसी और सीधे अपने शयनकक्ष में जा कर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. विभा अवाक खड़ी देखती ही रह गई.

सिर झुकाए धीमी चाल से चलता तपन भी पीछेपीछे आया. उस का भावविहीन चेहरा देख कुछ भी अंदाजा लगाना कठिन था. विभा पिछले महीने ही तो यहां आई थी. किंतु इस दौरान में ही बेटेबहू के बीच चल रही तनातनी का अंदाजा उसे कुछकुछ हो गया था. फिर भी जब तक बेटा अपने मुंह से ही कुछ न बताए, उस का बीच में दखल देना ठीक न था. जमाने की बदली हवा वह बहुत देख चुकी थी. फिर भी न जाने क्यों इस समय उस का मन न माना और वह सोफे पर बैठे, सिगरेट फूंक रहे तपन के पास जा बैठी.

तपन ने सिगरेट बुझा दी तो विभा ने पूछा, ‘‘सुषमा को क्या हुआ है?’’ ‘‘कुछ भी नहीं,’’ वह झल्ला कर बोला, ‘‘कोई नई बात तो है नहीं…’’

‘‘वह तो मैं देख ही रही हूं, इसीलिए आज पूछ बैठी. यह रोजरोज की खींचतान अच्छी नहीं बेटा, अभी तुम्हारे विवाह को समय ही कितना हुआ है? अभी से दांपत्य जीवन में दरार पड़ जाएगी तो आगे क्या होगा?’’ विभा चिंतित सी बोली.

‘‘यह सब तुम मुझे समझाने के बजाय उसे क्यों नहीं समझातीं मां?’’ कह कर तपन उठ कर बाहर चला गया, जातेजाते क्रोध में दरवाजा भी जोर से ही बंद किया. विभा परेशान हो उठी कि तपन को क्या होता जा रहा है? बड़ी मुश्किल से तो वे लोग उस की रुचि के अनुसार लड़की ढूंढ़ पाए थे. उस ने तमाम गुणों की लिस्ट बना दी थी कि लड़की सुंदर हो, खूब पढ़ीलिखी हो, घर भी संभाल सके और उस के साथ ऊंची सोसाइटी में उठबैठ भी सके, फूहड़पन बिलकुल न हो आदिआदि.

कुछ सोचते हुए विभा फिर रसोई में चली गई. कौफी का पानी खौल चुका था. उस ने 3 प्यालों में कौफी बना ली. बाथरूम में पानी गिरने की आवाज से वह समझ गई कि सुषमा मुंह धो रही होगी, सो, उस ने आवाज लगाई, ‘‘सुषमा आओ, कौफी पी लो.’’ ‘‘आई मांजी,’’ और सुषमा मुंह पोंछतेपोंछते ही बाहर आ गई.

कौफी का कप उसे पकड़ाते विभा ने उस की सूजी आंखें देखीं तो पूछा, ‘‘क्या हुआ था, बेटी?’’ सुषमा सोचने लगी, पिछले पूरे एक महीने से मां उस के व तपन के झगड़ों में हमेशा खामोश ही रहीं. कभीकभी सुषमा को क्रोध भी आता था कि क्या मां को तपन से यह कहना नहीं चाहिए कि इस तरह अपनी पत्नी से झगड़ना उचित नहीं?

‘‘बताओ न बेटी, क्या बात है?’’ विभा का प्यारभरा स्वर दोबारा कानों में गूंजा तो सुषमा की आंखें छलछला उठीं, वह धीरे से बोली, ‘‘बात सिर्फ यह है कि इन्हें मुझ पर विश्वास नहीं है.’’ ‘‘यह कैसी बात कर रही हो?’’ विभा बेचैनी से बोली, ‘‘पति अपनी पत्नी पर विश्वास न करे, यह कभी हो सकता है भला?’’

‘‘यह आप उन से क्यों नहीं पूछतीं, जो भरी पार्टी में किसी दूसरे पुरुष से मुझे बातें करते देख कर ही बौखला उठते हैं और फिर किसी न किसी बहाने से बीच पार्टी से ही मुझे उठा कर ले आते हैं, भले ही मैं आना न चाहूं. मैं क्या बच्ची हूं, जो अपना भलाबुरा नहीं समझती?’’ विभा की समझ में बहुतकुछ आ रहा था. तसवीर का एक रुख साफ हो

चुका था.अपनी सुंदर पत्नी पर अपना अधिकार जमाए रखने की धुन में पति का अहं पत्नी के अहं से टकरा रहा था. वह प्यार से बोली, ‘‘अच्छा, तुम कौफी पियो, ठंडी हो रही है. मैं तपन को समझाऊंगी,?’’ यह कह कर विभा रसोई में चली गई. कुकर का ढक्कन खोल दाल छौंकी तो उस की महक पूरे घर में फैल गई. तभी तपन भी अंदर आया और बिना किसी से कुछ बोले कौफी का कप रसोई से उठा कर अंदर कमरे में चला गया.

रात को जब तीनों खाना खाने बैठे, तब भी तपन का मूड ठीक नहीं था. इधर सुषमा भी अकड़ी हुई थी. वह डब्बे से रोटी निकाल कर अपनी व विभा की प्लेट में तो रखती, लेकिन तपन के आगे डब्बा ही खिसका देती. एकाध बार तो विभा चुप रही, फिर बोली, ‘‘बेटी, तपन की प्लेट में भी रोटी निकाल कर रखो.’’ इस पर सुषमा ने रोटी निकाल कर पहले तपन की प्लेट में रखी तो उस का तना हुआ चेहरा कुछ ढीला पड़ा.

खाने के बाद विभा रोज कुछ देर घर के सामने ही टहलती थी. सुषमा या तपन में से कोई एक उस के साथ हो लेता था. उन दोनों ने उसे यहां बुलाया था और दोनों चाहते थे कि जितने दिन विभा वहां रहे, उस का पूरा ध्यान रखा जाए. इसीलिए जब विभा ने बाहर जाने के लिए दरवाजा खोला तो पांव में चप्पल डाल कर तपन भी साथ हो लिया.

कुछ दूर तक मौन चलते रहने के बाद विभा ने पूछा, ‘‘सुषमा को क्या तुम पार्टी से जबरदस्ती जल्दी ले आए थे?’’ ‘‘मां, अच्छेबुरे लोग सभी जगह होते हैं. सुषमा जिस व्यक्ति के साथ बातें किए जा रही थी उस के बारे में दफ्तर में किसी की भी राय अच्छी नहीं है. दफ्तर में काम करने वाली हर लड़की उस से कतराती है. अब ऐसे में सुषमा का इतनी देर तक उस के साथ रहना…और ऊपर से वह नालायक भी ‘भाभीजी, भाभीजी’ करता उस के आगेपीछे ही लगा रहा, क्योंकि कोई और लड़की उसे लिफ्ट ही नहीं दे रही

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