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सब से बड़ा सुख
बरसों पुराना वह दृश्य अब तक उन के मानसपटल पर अंकित था, जब रीतेश ने अम्माजी के सामने दाल में नमक ज्यादा पड़ने पर उन्हें कैसे अपमानित किया था, और अम्मा नेता के समान खड़ी हो कर तमाशा देख रही थीं.
भाग - 1
अपनों को खो देने का डर था या अपनों का प्यार एकदूसरे से यों ही बना रहे, ऐसे विचार क्यों अल्पना के मन में रहरह कर उठ रहे थे?
भाग - 2
बहू और बेटे ने गंतव्य की ओर प्रस्थान किया तो फिर अकेलापन सालने लगा था. अगर यहीं होते मेरे पास तो कितना अच्छा होता. लेकिन फिर सोचतीं, अच्छा ही है कि दूर है, कम से कम प्यार तो है.
भाग - 3
राजेश मां के खाने की प्रशंसा करता तो वे उसे ऐसे घूरतीं जैसे कोई अपराध किया हो उस ने. आंखों के इशारों से उन्होंने समझाया था उसे कि पत्नी के सामने मां की प्रशंसा करने की जरूरत नहीं है. और न ही मां के सामने पत्नी का अपमान करने की.
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