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Khatron Ke Khiladi 11 का हिस्सा नहीं बनेंगी राखी सावंत, अभिनव शुक्ला हैं वजह

बिग बॉस 14 में धमाल मचा चुकीं एक्ट्रेस राखी सावंत इन दिनों किसी भी शो का हिस्सा नहीं बन रही हैं. राखी सावंत का कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है इन दिनों जिसमें वह कभी बाजार जाती नजर आती हैं तो कभी कैमरामैन से बातचीत करती नजर आती हैं.

इसी बीच एक रिपोर्ट में राखी सावंत ने खुलासा किया है कि उन्हें खतरों के खिलाड़ी 11 से ऑफर था लेकिन वह इसलिए नहीं गई क्योंकि इस वक्त वहां सभी बिग बॉस के दिग्गज कलाकार मौजूद हैं.

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राहुल वैद्य, अभिनव शुक्ला और निक्की तम्बोली. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मैं वहां इसलिए नहीं जाना चाहती क्योंकि वहां अभिनव है कही वहां जाकर मेरा और अभिनव का अफेयर शुरू न हो जाए, जिससे रुबीना को दिक्कत होगी और आगे उन्होंने कहा कि निक्की तम्बोली कि निगाह भी अभिनव शुक्ला पर ही हैं क्योंकि अभिनव एक अच्छा लड़का है.

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जब शो के विनर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बार शो का विनर अर्जुन बिजलानी हो सकता है. राहुल वैद्य तो कभी भी विनर नहीं बन सकता क्योंकि उसे मेडिकल प्रॉब्लम है. उसके लिए ट्रॉफी जितना इतना आसान नहीं है.

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वीडियो में आगे राखी सावंत कहती दिख रही हैं कि मुझे किसी से डर नहीं लगता है सांप, बिच्छु और अजगर से मैं अजगर को भी निगल सकती हूं.

उत्तर प्रदेश में गांव और वार्ड स्तर पर कोरोना को निगरानी से बदले हालत

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 से बचाव और उपचार की व्यवस्थाओं को निरन्तर प्रभावी बनाए रखने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ‘ट्रेस, टेस्ट एण्ड ट्रीट’ की नीति कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अत्यन्त सफल सिद्ध हो रही है. प्रदेश में कोविड संक्रमण के मामलों में तेजी से कमी आ रही है. रिकवरी दर में लगातार वृद्धि हो रही है. इसके दृष्टिगत कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के प्रयासों को पूरी प्रतिबद्धता से जारी रखा जाये.

मुख्यमंत्री वर्चुअल माध्यम से आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. बैठक में मुख्यमंत्री जी को बातया गया कि विगत 24 घण्टों में प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 7,735 केस आए हैं. इसी अवधि में 17,668 संक्रमित व्यक्तियों का सफल उपचार करके  डिस्चार्ज किया गया है. प्रदेश में 30 अप्रैल, 2021 को संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक 3,10,783 मामले थे.

वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 1,06,276 हो गयी है. इस प्रकार विगत 30 अप्रैल के सापेक्ष एक्टिव मामलों की संख्या में 2,04,507 की कमी आयी है.

मुख्यमंत्री जी को यह भी अवगत कराया गया कि राज्य में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर में लगातार वृद्धि हो रही है. वर्तमान में यह दर 92.5 प्रतिशत है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी दर लगातार कम हो रही है. प्रदेश में पिछले 24 घण्टों में 2,89,810 कोविड टेस्ट किए गए हैं. इनमें 1,32,226 कोरोना टेस्ट आर0टी0पी0सी0आर0 विधि से किये गये हैं.

ब्लैक फंगस से निपटने की तैयारी

प्रदेश में अब तक 4 करोड़, 61 लाख, 12 हजार 448 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा ब्लैक फंगस के उपचार के सम्बन्ध में दिये गए सुझावों एवं निर्देशों का यथाशीघ्र क्रियान्वयन किया जाए. महामारी अधिनियम-1897 के अन्तर्गत ब्लैक फंगस को अधिसूचित बीमारी घोषित किया जाए. प्रदेश में इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों के उपचार के सभी प्रबन्ध सुनिश्चित किये जाएं.

ब्लैक फंगस के संक्रमण से प्रभावित सभी मरीजों को दवा तत्काल उपलब्ध कराई जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी जनपदों में ब्लैक फंगस की दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता रहे. निजी अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों को भी दवा उपलब्ध कराई जाए. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस संक्रमण की दवा की कालाबाजारी न होने पाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गांवों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए संचालित वृहद जांच अभियान के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं.

गांव स्तर पर हो अच्छी देखभाल

प्रदेश में संक्रमण दर निरन्तर कम हो रही है. इसे और गति प्रदान करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर जागरूकता सृजित की जाए. इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ तथा शहरी क्षेत्रों में ‘मेरा वाॅर्ड, कोरोना मुक्त वाॅर्ड’ अभियान संचालित किया जाए. अभियान का संचालन व्यापक जनसहभागिता से किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया कि कोविड बेड की संख्या में निरन्तर वृद्धि की जाए. आवश्यक मानव संसाधन की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी की जाए, इसके लिए भर्ती की कार्यवाही तेजी से सम्पन्न की जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि कोविड-19 के उपचार की व्यवस्था को प्रभावी बनाए रखने के लिए उनके निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही की जा रही है. कोविड बेड की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है. विगत दिवस प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों तथा अस्पतालों में 197 बेड की वृद्धि हुई है. इसमें आइसोलेशन बेड के अलावा आई0सी0यू0 बेड भी शामिल हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर को सुदृढ़ बनाकर प्रभावी ढंग से क्रियाशील रखा जाए. इन केन्द्रों के मेडिकल उपकरणों के रख-रखाव, आवश्यक मानव संसाधन, पेयजल, शौचालय, विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुचारू बनाया जाए. स्वास्थ्य केन्द्रों की साफ-सफाई तथा रंगाई-पुताई कराई जाए. जनपदवार सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर में उपलब्ध मेडिकल उपकरणों तथा तैनात चिकित्सकों तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सूची संकलित कर उपलब्ध कराई जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जनपदों में उपलब्ध समस्त वेंटिलेटर कार्यशील अवस्था में रहे. खराब वेंटिलेटर की तुरन्त मरम्मत कराई जाए. प्रत्येक जनपद के अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध कुल वेंटिलेटर्स, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स तथा डायलिसिस यूनिट की संख्या तथा उनकी क्रियाशीलता के सम्बन्ध में विस्तृत विवरण उपलब्ध कराया जाए. उन्होंने कहा कि आयुष विभाग द्वारा संचालित हेल्थ एण्ड वेलनेस सेण्टर को सक्रिय किया जाए. आयुष विभाग द्वारा प्राणायाम के अभ्यास के सम्बन्ध में व्यापक जानकारी दी जाए, इसका प्रचार प्रसार भी कराया जाए.

अस्पताल रहे तैयार

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जनपदों एवं राजकीय मेडिकल कॉलेजों में पीडियाट्रिक आई0सी0यू0 (पीकू) स्थापित किये जाने हैं. इस सम्बन्ध में की गई कार्रवाई की जानकारी प्राप्त करते हुए उन्होंने कहा कि पीकू की स्थापना की कार्यवाही को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया जाए. प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध करायी जाए. उन्होंने कहा कि पीकू के संचालन के लिए पीडियाट्रिशियन्स, टेक्नीशियन्स तथा पैरामेडिकल स्टाफ के प्रशिक्षण का कार्य भी साथ-साथ कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत 24 घण्टों में राज्य में 753 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है. विगत कुछ दिनों में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी आने से ऑक्सीजन की मांग में भी तेजी से कमी आई है. अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों तथा रीफिलर्स के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बैकअप उपलब्ध है. होम आइसोलेशन के मरीजों में भी ऑक्सीजन की डिमाण्ड में कमी आयी है. मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि राज्य में ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की कार्यवाही को त्वरित गति से आगे बढ़ाया जाए.

कोविड वैक्सीन का रखे ध्यान

मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया कि कोविड वैक्सीनेशन की कार्यवाही निर्बाध और सुचारु ढंग से संचालित की जाए. जीरो वेस्टेज को ध्यान में रखकर टीकाकरण कार्य किया जाए. वैक्सीनेशन कार्य को व्यापक स्तर पर संचालित किए जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आगामी 06 माह में लक्षित आयु वर्ग के सभी प्रदेशवासियों के वैक्सीनेशन के लक्ष्य के साथ योजनाबद्ध ढंग से तैयारी की जाए. ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य को त्वरित और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कॉमन सर्विस सेण्टर (सी0एस0सी0) को सक्रिय कर वैक्सीनेशन हेतु रजिस्ट्रेशन में उपयोग किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग की कार्यवाही सुचारु ढंग से जारी रखी जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर तथा घनी आबादी के क्षेत्रों में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फाॅगिंग का विशेष अभियान संचालित किया जाए. इसी प्रकार सभी नगर निकायों में भी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर पर स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग का कार्य कराया जाए. जलजमाव को रोकने के लिए नाले व नालियों की सफाई करा ली जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंशिक कोरोना कफ्र्यू का प्रभावी ढंग से पालन कराया जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि घर से बाहर निकलने वाले लोग मास्क का इस्तेमाल और दो-गज की दूरी का पालन करें. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी गेहूं क्रय केन्द्र कार्यशील रहे.

एमएसपी के तहत हो खरीददारी

एम0एस0पी0 के तहत गेहूं खरीद तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न का वितरण कोविड प्रोटोकाॅल के पूर्ण पालन के साथ सुचारु ढंग से किया जाए. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद बनाकर उन्हें खाद्यान्न वितरण के समय राशन की दुकानों का भ्रमण करने के लिए आमंत्रित किया जाए. डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था सुदृढ़ रखी जाए, जिससे आम जनता को असुविधा न हो.

Mother’s Day 2023: मां का प्यार- भाग 2

3 महीने बाद जब कुसुम घर आई तो उसे देखने पूरा गांव उमड़ पड़ा था. जैसे ही कुसुम के आने की जानकारी संगीता को हुई, वह भी कुसुम के घर जा पहुंची थी. उस के मन में जो भावना थी कि मां अगर अपनी पागल बेटी की सेवा नहीं कर सकती तो डाक्टर या नर्स क्या करेंगे, कुसुम से बातचीत होने के बाद यह भावना बदल गई थी. कुसुम ने बताया था कि कोई पागल अगर डाक्टर या नर्स को थप्पड़ भी मार देता है तो पलट कर मारने की कौन कहे, वे खीझते तक नहीं हैं. यह जानने के बाद संगीता के मन में अस्पताल के प्रति विश्वास उपजा था. शायद निधि अस्पताल जा कर ही ठीक हो जाए. आखिरकार, निधि को अस्पताल भेजने का निर्णय संगीता ने कर लिया. इस के बाद उस ने बड़े बेटे को फोन कर के घर बुलाया. लेकिन जिस दिन से उस ने निधि को अस्पताल भेजने का निर्णय लिया था उसी दिन से उस की नींद उड़ गई थी. उसे लग रहा था कि उस ने यह निर्णय हार कर लिया है. इस से उस के दिमाग पर एक तरह का बोझ सा लद गया. अस्पताल पर उसे विश्वास हो गया था, यही उस के लिए बहुत बड़ी बात थी. निधि सयानी होती जा रही थी, तो संगीता बूढ़ी. बहुएं निधि के लिए कुछ कर नहीं सकतीं, यह बात संगीता अच्छी तरह जानती थी क्योंकि दोनों में से एक भी बहू ने आज तक कभी उसे अपने घर आने के लिए नहीं कहा था. बहुओं का ही क्या, बेटों से भी किसी तरह की उम्मीद नहीं रह गई थी. इस स्थिति में उसे अस्पताल में ही भरती करा देना ठीक है. इस से वह निश्ंिचत हो कर मर तो सकेगी कि निधि की सेवा कोई अपना नहीं, पराया तो कर ही रहा है.

यह सब सोचते हुए संगीता की आंखों से इतने आंसू बह जाते कि तकिया गीला हो जाता. हृदय चीत्कार उठता. भले ही वह कोई बहाना करे, लेकिन सही बात यह है कि वह स्वयं बेटी से थक गई है. लेकिन अब संगीता को लगता कि उस ने बेटे को फोन कर के बहुत बड़ी गलती कर दी है. इतनी भी क्या जल्दी थी कि इस ठंड के मौसम में ही निधि को अस्पताल भेजने लगी. रात में कितनी बार उठ कर वह निधि को रजाई ओढ़ाती है क्योंकि उसे तो पता ही नहीं चलता कि वह कैसी पड़ी है. अस्पताल में इस तरह बारबार उसे कौन रजाई ओढ़ाएगा. गरमी में भेजती तो ठीक रहता. वह चाहे जैसी भी पड़ी रहती. फोन करने के तीसरे दिन ही संगीता का बड़ा बेटा आ गया था. अस्पताल में निधि को भरती कराने के लिए मजिस्ट्रेट से आदेश भी करा कर वह साथ लाया था. भाई पागल बहन को अस्पताल में जल्दी से भरती करा कर जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहता था. संगीता चाहती थी कि निधि को इस ठंड के मौसम में अस्पताल भेजने के बजाय गरमी में भेजे. लेकिन अब बेटे के सामने मुंह खोलने की उस में हिम्मत नहीं थी क्योंकि वह मात्र इसी काम के लिए छुट्टी ले कर घर आया था. सुबह जब वह निधि को ले कर घर से निकलने लगी तो जैसे सारे ब्रह्मांड का बोझ संगीता के ऊपर आ लदा था. आंखों से आंसू बरस रहे थे. नजरें निधि पर ही टिकी थीं. निधि मां द्वारा पहनाए गए नए कपड़ों को घूरघूर कर देख रही थी. नए कपड़े देख कर वह खुश हुई और संगीता की ओर देख कर हंसी. पार्वती का कलेजा कांप उठा. उसे लगा, उस की बेटी का इस दुनिया में कोई नहीं है. जब सगी मां ही उस की नहीं हुई तो दूसरा कौन होगा?

घर के सामने खड़ा आटो भर्रभर्र कर रहा था. बेटे ने मां की ओर देखे बगैर लड़खड़ाते कदमों से बाहर निकलते हुए कहा,  ‘‘मां, देर हो रही है, अब निकलना चाहिए.’’ पड़ोसिन ने निधि का हाथ थाम कर आटो में बैठाया. दूसरी पड़ोसिन संगीता को थामे थी. निधि के बैठने के बाद उस ने भी संगीता को आटो में बैठा दिया. सब से बाद में बेटा बैठा. आटो चलने लगा तो संगीता ने पहले घर की ओर देखा, फिर निधि को. वह अपनी रुलाई रोक नहीं सकी और फफक कर रो पड़ी. निधि पागल है, यह जान कर गाड़ी के मुसाफिरों को बातें बनाने का मुद्दा मिल गया. किसी ने कहा, ‘‘इस तरह खातेपीते घर की सुखी लड़की को अस्पताल में भरती करा दोगे तो यह वहां महीनेभर में ही सूख कर कांटा हो जाएगी. वहां तो जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीते हैं लोग.’’ ‘‘हमारे गांव की एक बुढि़या को 5 साल पहले उस का बेटा वहां छोड़ आया था. फिर पलट कर कभी देखने तक नहीं गया. गांव का कोई भी आदमी उस से मिलने जाता है तो वह उसे देखते ही रोने लगती है. पैर पकड़ कर कहती है, ‘मुझे यहां से ले चलो.’ लेकिन उस का बेटा आता ही नहीं है,’’ बगल में बैठे एक अन्य व्यक्ति ने कहा. यह सुन कर संगीता का कलेजा छलनी हो गया. उस की आंखों में आंसू भर आए. गला रुंध गया. मारे शर्म के उस ने सिर झुका लिया.

संगीता अकेली होती और बेटे को बुरी लगने वाली बात न होती तो वह लौटती गाड़ी से निधि को ले घर आ जाती. लेकिन अब कोई दूसरा उपाय नहीं था. इसलिए मजबूरी में भारी कदमों से संगीता अस्पताल में दाखिल हुई. थोड़ी देर में डाक्टर और महिला वार्ड की वार्डन आ गई थीं. संगीता के बेटे ने साथ लाया कागज डाक्टर को थमा दिया. डाक्टर से निधि की अच्छी तरह देखभाल के लिए संगीता के बेटे ने इस तरह जोर से कहा कि मां भी सुन ले, जिस से उस के मन को संतोष रहे. जवाब में मैट्रन ने कहा,  ‘‘इस बारे में आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है…’  संगीता उस की बात बीच में ही काट कर बोली, ‘‘बहन, चिंता इसलिए हो रही है क्योंकि यह एकदम पागल है. अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकती.’’ यह कहतेकहते संगीता का गला रुंध गया और उस की बात अधूरी रह गई. दूर खड़ी नर्सें दौड़ी आईं. उन में से एक बोली,  ‘‘मांजी, आप बिलकुल चिंता मत कीजिए. हम इस के मुंह में कौर डाल कर खाना खिलाएंगे.’’

महुए की खुशबू

लेखक-निरंजन धुलेकर

आधुनिक खेती की ओर युवा किसान ज्ञान चंद  

लेखक- प्रो. रवि प्रकाश मौर्य (कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया, अयोध्या, उत्तर प्रदेश)

बलिया जिला मुख्यालय से  64 किलोमीटर व सीयर ब्लौक से 4 किलोमीटर उत्तरपश्चिम दिशा में स्थित पड़री गांव है. इस गांव के 35 साल के युवा किसान ज्ञान चंद शर्मा हैं. इन्होंने स्नातक की तालीम हासिल की है. इस युवा किसान के प्रक्षेत्र का भ्रमण कर उन से चर्चा की.

ज्ञान चंद शर्मा ने बताया कि उन की पुश्तैनी जमीन महज 2 एकड़ है और वे 13 एकड़ जमीन 15,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से किराए पर  ले कर खेती करते हैं. इसे आम भाषा में ‘पोत’ कहते हैं.

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किसान ज्ञान चंद शर्मा के पास आधुनिक कृषि यंत्र जैसे- रोटावेटर, डिस्क हैरो, लेजर लैवलर, गाजर बोने व खोदने का यंत्र, गाजर की सफाई व पानी से धुलाई करने का यंत्र, स्प्रिंकलर सैट, टपक सिंचाई यंत्र आदि की सुविधा है.

खरीफ में बासमती धान, बैगन, टमाटर व खीरा की खेती उन्होंने की थी. वर्तमान में रबी सीजन में सरसों, गेहूं, बैगन आधा एकड़ में, शिमला मिर्च आधा एकड़ में, फैं्रचबीन व टमाटर की भी आधे एकड़ में उन की फसल लहलहा रही है.

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10 एकड़ क्षेत्रफल में लाल गाजर की फसल लगी थी, जिस की खुदाई कर उन्हें बेचा जा चुका है. अभी आधा एकड़ क्षेत्रफल में पीला गाजर तैयार होने की स्थिति में है.

गाजर व अन्य फसलों से खाली हुए खेतों में जायद सीजन के लिए खीरा आधा एकड़ में और तरबूज 10 एकड़ में लगा चुके हैं. जैविक विधि से भी वे कीटों का प्रबंधन करते हैं.

किसान ज्ञान चंद शर्मा ने बताया कि कम से कम 50 एकड़ में इस तरह की खेती करने का लक्ष्य है और अपने बेटे को खेती में स्नातक करा कर नौकरी न करा कर खेती के काम में ही लगाना चाहते हैं.

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ऐसी सोच रखने वालों में ये पहले किसान मिले, जो अपने बेटे को खेतीकिसानी में ही पारंगत कराना चाहते हैं. इन के प्रक्षेत्र को देखने के लिए प्रतिदिन बाहर से भी किसान आते रहते हैं. अन्य युवाओं को ऐसे किसानों से प्रेरणा लेनी चाहिए.

बच्चों को बिगाड़ते हैं बड़े

मेरी सहेली कंचन के घर में अकसर पंचायत होती है जिस में उस के घर का छोटे से बड़ा हर सदस्य भाग लेता है. मुद्दा चाहे पड़ोसी का हो या किसी रिश्तेदार का, किसी परिचित के बेटे के किसी लड़की के साथ भाग जाने का हो या घर की आर्थिक स्थिति का.

विनोद ने औफिस से आ कर जैसे ही अपने घर की घंटी बजाई, पास में खेल रहा पड़ोसी मिश्राजी का 8 वर्षीय सोनू आ कर बोला, ‘‘अंकल, आप आंटी के साथ झगड़ा क्यों करते हो? आप को पता है, बेचारी आंटी ने आज सुबह से खाना भी नहीं खाया है.’’ इतने छोटे बच्चे के मुंह से यह सब सुन कर विनोद सन्न रह गया. आज सुबह पत्नी रीना से हुए उस के झगड़े के बारे में सोनू को कैसे पता? वह समझ गया कि पत्नी रीना ने झगड़े की बात पड़ोसिन अनुभा को बताई होगी जिसे सुन कर उन का बेटा सोनू उन से प्रश्न कर रहा था.

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‘‘पता है, रैना आंटी की यह तीसरी शादी है और सामने वाली स्नेहा दी का किसी से अफेयर चल रहा है. वे रोज उस से मिलने भी जाती हैं,’’ 10 वर्षीय मनु अपनी पड़ोस की आंटी को दूसरे पड़ोसी के घर के बारे में यह सब बड़ी सहजता से बता रही थी.

‘‘मेरी दादी ने मेरी मम्मी को कल बहुत डांटा, बाद में मम्मी नाराज हो कर फोन पर मौसी से कह रही थीं कि बुढि़या पता नहीं कब तक मेरी छाती पर मूंग दलेगी,’’ 9 वर्षीय मोनू अपने दोस्त से कह रहा था.

उपरोक्त उदाहरण यों तो बहुत सामान्य से लगते हैं परंतु इन सभी में एक बात समान है कि सभी में बातचीत करते समय बच्चों की उपस्थिति को नजरअंदाज किया गया. वास्तव में बच्चे बहुत भोले होते हैं. वे घर में जो भी सुनते हैं उसे उसी रूप में ग्रहण कर के अपनी धारणा बना लेते हैं और अवसर आने पर दूसरों के सामने प्रस्तुत कर देते हैं. इसलिए मातापिता बच्चों से सदैव उन के मानसिक स्तर की ही बातचीत करें और उन्हें ईर्ष्या, द्वेष, आलोचना या दूसरों की टोह ?लेने जैसी भावनाओं से दूर रखें क्योंकि उन की यह उम्र खेलनेकूदने और पढ़ाई करने की होती है, न कि इस प्रकार की व्यर्थ की दुनियादारी की बातों में पड़ने की.

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बचपन में बच्चों को जब इस प्रकार की बातों में भाग लेने और अपना मत व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है तो यह आदत उन के चरित्र का एक निगेटिव पौइंट बन जाती है. इसलिए ध्यान रखें. दरअसल, मातापिता, अभिभावक व घरपरिवार के बड़ेबूढ़े बच्चों को बेहतरीन इंसान बनाना चाहते हैं लेकिन उन में से कुछ की गलतियों के चलते उन के बच्चे बिगड़ जाते हैं. वे समझदारी से बच्चों को प्यार व उन की देखभाल करें तो वे बिगड़ नहीं सकते. इस प्रकार, बच्चों को बिगड़ने, न बिगड़ने का सारा दारोमदार बड़ों पर ही निर्भर है.

मदर्स डे स्पेशल : बेटा मेरा है तुम्हारा नहीं -भाग 4

‘‘एक रोज किसी बात पर मां ने उसे कुछ कह दिया, तो वह उन्हें भी भलाबुरा बोल कर उन की बेइज्जती करने लगी जो रीनल को सहन नहीं हुआ. अब कोई भी बेटी अपनी मां की बेइज्जती कितना सहन कर सकती थी? सो, वह भी तूतड़ाक पर उतर आई. फिर क्या था, उस ने एक जोर का थप्पड़ रीनल के गाल पर जड़ दिया और बोली कि वे सब उस के पैसों पर पलते हैं, इसलिए उन की कोई औकात नहीं है उस के सामने अपना मुंह खोलने की.

‘‘दौलत तो बहुत आई घर में, पर सुखशांति चली गई घर की.

‘‘लेकिन बात तब हद के बाहर जाने लगी जब एक रोज मां ने उसे बताया कि संजना नए लड़कों को घर ले कर आती है और रीनल से उन की आवभगत करने को कहती है. फिर आगे की बात वे बोल नहीं पाईं. उस वक्त मैं ने उस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया. सोचा, संजना के दोस्त होंगे, तो इस में क्या है? वैसे, मेरे एक दोस्त ने भी बताया था मुझे कि उस ने संजना को किसी के साथ प्राइड होटल के अंदर जाते देखा था और पहले भी उस ने उसे एक और के साथ सिनेमाहौल में देखा था.

‘‘तब भी मैं ने बात को गंभीरता से नहीं लिया था. लगा था पैसे वाले घराने में शादी हुई है उस की, तो सब उस से जलते हैं, लेकिन जब मैं ने खुद अपनी ही आंखों से उस रोज अपने ही बैडरूम में संजना के साथ एक शख्स को अजीब अवस्था में देखा, तो सन्न रह गया. गुस्से के मारे मेरा रक्त गरम हो गया.

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‘‘‘यानी कि सब सही कहते थे. और तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम इस आवारा को हमारे बैडरूम तक ले आईं?’ कह कर मैं ने उस लड़के को एक तमाचा जड़ दिया. फिर धक्कामुक्की कर उसे अपने घर से बाहर निकाल कर जैसे ही संजना की तरफ मुड़ा, वह जोर से चीखी और बोली, ‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे दोस्त पर हाथ उठाने और उसे घर से बाहर निकालने की?’

‘‘‘दोस्त इसे दोस्त कहती हो तुम? छि, शर्म आती है मुझे तुम पर और तुम्हारे उस दोस्त पर,’ संजना की तरफ घृणाभरी दृष्टि डाल मैं बोला था.

‘‘‘अच्छा, शर्म आती है तुम्हें? लेकिन मेरे पापा से पैसे लेते वक्त, पैट्रोल पंप खुलवाते वक्त शर्म नहीं आई तुम्हें? पैसे के लिए ही तो तुम ने मुझ से शादी की थी? तो फिर मौज करो न. अरे, वह तो पापा की जिद थी इसलिए मैं ने तुम से शादी कर ली. वरना तो मेरे दीवानों की कमी नहीं थी इस शहर में,’’ ’ दुश्चरित्र संजना बोली थी.

उस की बातों पर अखिल की बोलती बंद हो गई क्योंकि सच यही था कि पैसे के लालच में ही उस ने इस रिश्ते के लिए हामी भरी थी. अब तो संजना और भी ढीठ हो गई. अब तो वह रात में भी दोस्तों के साथ बाहर जा कर गुलछर्रे उड़ाती और जब घर आती तो नशे में धुत्त होती. लेकिन अब अखिल और उस के परिवार के पास चारा भी क्या था यह सब सहने के सिवा.

लेकिन एक रोज जब अखिल और उस के परिवार को यह बात पता चली कि शादी के पहले भी संजना के कई लड़कों के साथ अंतरंग संबंध थे और वह 2 बार अपना गर्भपात भी करवा चुकी है, तो उन के पैरोंतले जमीन सरक गई. उन्हें लगा, कितनी बड़ी गलती हो गई उन से. दरअसल, संजना के मांपापा अपनी बिगडै़ल बेटी से परेशान हो चुके थे. उन्हें लगा था कि अगर उन की बेटी की शादी हो जाए तो शायद वह सही रास्ते पर आ जाएगी और इसी कारण उन्होंने अपनी बिगड़ैल बेटी की शादी एक मध्यवर्गीय परिवार में, जिन्हें पैसे की बहुत जरूरत थी, कर दी.

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अखिल बोले जा रहा था, ‘‘‘तो हमें धोखे में रख कर एक बदचलन लड़की को मेरे पल्ले बांध दिया गया?’ यह कह कर मैं ने सामने की मेज पर जोर से अपना हाथ पटका, तो संजना व्यंग्य से हंसते हुए बोली, ‘तो, तुम्हें क्या लगा, तुम भा गए थे मुझे? बड़े आए, तुम्हारे जैसे को तो मैं अपना नौकर भी न रखूं कभी, पर पापा को अपनी इज्जत की पड़ी थी, इसलिए वे तुम्हें खरीद लाए, समझे?’ कह कर वह जोर से हंसी, जो मुझे सहन नहीं हुआ.

‘‘गुस्से से बेकाबू मैं ने संजना पर हाथ उठा दिया, जो उस की बरदाश्त के बाहर हो गया. खुद को लहूलुहान कर संजना सीधे पुलिस स्टेशन पहुंच गई और रोरो कर पुलिस को बताया कि उस के पति व ससुराल वाले आएदिन उस पर जुल्म करते हैं. दहेज के लिए उसे अकसर मारापीटा जाता है और आज भी पति ने उसे इतनी बेहरमी से इसलिए मारा क्योंकि उस ने अपने पापा से और पैसे मांगने से इनकार कर दिया. फिर क्या था, बिना गुनाह के ही, दहेज और मारपीट के जुर्म में मुझे व मेरे पूरे परिवार को जेल हो गई.

अगले भाग में पढ़ें- दोस्त, इसे दोस्त कहती हो तुम..

दिल को छू लेने वाली कहानी है फिल्म ‘ इंफेक्टेड 2030’ की

फिल्मसमीक्षाः

‘‘इंफेक्टेड 2030: कोरोना की पृष्ठ भूमि पर प्यार व दर्द की दिल को छू लेने वाली भावनात्मक कहानी..’’
रेटिंग: तीनस्टार

निर्माताःराहुलदत्ता व चंदनपी सिंह
निर्देषकः चंदनपी सिंह
कलाकारः चंदनपी सिंह,न्योरिकाभतीजा,अजय षर्मा व चंदाकटारिया
अवधिः लगभग 23 मिनट
ओटीटीप्लेटफार्म: ईरोजनाउ

पिछले डेढ़ वर्षों में, कोरोना वायरस महामारी से पूरा विश्व त्राहिमाम कर रहा है. इस महामारी ने इंसानों को कई तरह से क्षति पहुॅचायी है.लोग इस बीमारी के चलते भावनात्मक रूप से भी टूटे हैं.सभी प्रयासों के बावजूद कोरोना वायरस ने अपना कहर बरपाना जारी रखा हुआ है,हर दिन हजारों पुरुष और महिलाएं मर रही हैं जिसमें युवा और बूढ़े दोनों शामिल हैं.इसी पर फिल्म सर्जक चंदन पी सिंह ने भविष्य की गंभीर वास्तविकता का चित्रण कर एक यथार्थ पर क लघु फिल्म ‘‘इंफेक्टेड 2030’’लेकर आए हैं,जोकि 20 मई से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘ईरोजनाउ’’पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः
यह 2030 के काल के एक खुशहाल व संपन्न शादीशुदा जोड़े माणिक(चंदन पी सिंह) व शिविका(न्योरिका भटीजा ) भावनात्मक प्रेम कहानी है,जो एक दूसरे से अटूट प्यार करते हैं.इनकी जिंदगी में सुख के साथ अथाह प्यार है.पर एक दिन शिविका वायरस से संक्रमित हो जाती है और इस जोड़े का सुखी जीवन एक बाधा वाला जीवन बन जाता है.माणिक अपनी पत्नी के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त कराने की हर संभव कोशिश करता है, लेकिन सब व्यर्थ जाता है.अस्पताल में बेड ही नही है.तब शिविका घर पर ही बाथरूम के साथ वाले कमरे में आइसोलेट हो जाती हैं.

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इस बीच माणिक को डाक्टर( अजय षर्मा ) दवाइयां देते हैं.शिविका को कमरे से बाहर जाने की इजाजत नहीं है.माणिक खुद को संक्रमित होने से बचाने के लिए पीपीई गियर (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) और मास्क पहनने के बाद ही उसके कमरे के अंदर जाता है.जीहाॅ!माणिक पीपीईकिट पहनकर अपनी पत्नी शिविका को दवाई,नाष्ता,भोजन आदि देते हुए पत्नी की सेवा करने के साथ साथ अपने काम को भी अंजाम देता रहता है.मगर उससे अपनी पत्नी शिविका का दर्द देखा नही जाता. दो माह के आइसोलेशन की अवधि पत्नी को प्रभावित करती है,शिविका को अपने पति माणिक की उपस्थिति बहुत याद आती है.दर्द व पीड़ा सहते हुए शिविका अपने मन की बात दरवाजे के पीछे से ही माणिक से कहती है.जिसके बाद माणिक एक निर्णय लेता है,पर इसके परिणाम क्या सामने आते हैं,इसे फिल्म में देखकर समझना हीठीक रहेगा.

लेखन व निर्देषन:
कोरोना महामारी के चलते इंसान काफी तकलीफें,पीड़ा झेल रहा है.दवाईयों व अस्पताल में बेड के अभाव के चलते मरीज के परिजन किस तरह भावनात्मक दर्द व परेशानी के दौर से गुजरते हैं,यह सब टीवी समाचार में हर दिन सुनाई देता है.मगर उसी पीड़ा, दर्द,दया,भावनात्मक स्तर पर तिल तिल घुटते इंसान के सच को फिल्मकार चंदन पी सिंह इस लघु फिल्म में अति बेहतरीन तरीके से पेश करने में काफी सफल रहे हैं.

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लेखक,निर्देशक व अभिनेता चंदन पी सिंह ने बेवजह कहानी में कुछ भी न रखते हुए सिर्फ मुद्दे की बात करते हैं,इसके लिए वह बधाई के पात्र हैंं. फिल्म में वह उन लोगों की दुर्दशा,जो घातक वायरस से संक्रमित हो गए हैं और अपने और अपने प्रियजनों के लिए अस्पतालों में बिस्तर नहीं ढूंढ पा रहे लोगों के दर्द को बयां करने में सफल रहे हैं.कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हर इंसान व उसके परिजनों को यह फिल्म आप बीती नजर आएगी.चंदन का लेखन काफी कसा हुआ है और प्रवाह के साथ बहता है.मुख्य किरदारों द्वारा अनुभव की जा रही भावनात्मक पीड़ा के साथ सहानुभूति न रखना असंभव है.फिल्म में संवाद बहुत कम हैं,मगर फिल्म का हर दृष्य इंसान को अंदर तक झकझोर कर रख देता है.हर दृष्य दिल को छू लेने वाला है.फिरभी यदि फिल्मकार ने इस वायरस व इसके संक्रमण का पूरे देश व एक इंसान पर पड़ने वाले असर पर शोध किया होता,तो यह लघु फिल्म काफी असरदार व बेहतरीन बन जाती.

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अभिनयः
फिल्म में माणिक किरदार निभाने वाले चंदनपी. सिंह ने काफी सधा हुआअभिनय करते हुए किरदार के साथ पूरा न्याय किया है.न्योरि का भटी जा अपनी भूमिका को दृढ़ विश्वास के साथ निभाने में सफल रही हैं.वायरस पीड़िता शिविका की मनोदशा, उसका दर्द,प्यार की भूख आदि को अपने चेहरे से व्यक्त करने में सफल रही हैं.

Hyundai Creta पर कर सकते हैं पूरा विश्वास

भारतीय शादियां उन इवेंट में एक है जिसे सही तरीके से निपटाना काफी मुश्किल है. सेफ्टी प्रोटोकोल का ध्यान रखते हुए और एन मौके पर वेंडर्स के मना करने करने पर एकलौती #Creta ही थी .

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जिसने हर मौके पर अपनी विश्वसनीयता साबित की.. #RechargeWithCreta
यहां आपके लिए कुछ तस्वीरें हैं जिन्हें आप इंजॉय कर सकते हैं!

Hyundai Creta मुश्किल काम को आसान बनाता है क्रेटा

लेकिन शादी का क्या? तो बता दें कि शादी शानदार रही और साफ शब्दों में कहें तो मुश्किल कामों को आसानी से निपटाने में #Creta ने हमारी काफी मदद की.

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लोगों को यहां से वहां पहुंचाने के बीच न सिर्फ क्रेटा ने डीजे की भूमिका भी निभाई बल्कि दूल्हे को भी उसकी मंजिल तक पहुंचाया. कुल मिलाकर #Creta ने 10/10 परफॉर्मेंस दी. Good Job @HyundaiIndia #RechargeWithCreta

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