आजकल खेती किसानी में कीटनाशकों का उपयोग बढ़ने से भले ही फसल उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन मिट्टी की उर्वराशक्ति घट रही है. किसानों द्वारा धान, गेहूं और मूंग की फसलों के साथ फल और सब्जियों में सब से ज्यादा कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है. रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से पैदा होने वाले खाद्यान्न और फलसब्जियों के खाने से लोग तरहतरह की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं.

इसी वजह से कीटनाशकों के इस्तेमाल से बचने के लिए जैविक खेती या नैचुरल फार्मिंग की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है. मध्य प्रदेश की तहसील बनखेड़ी, जिला होशंगाबाद के गरधा गांव के किसान मान सिंह गुर्जर ने नैचुरल फार्मिंग कर के पूरे इलाके में मिसाल कायम की है. ‘फार्म एन फूड’ से बातचीत में मान सिंह बताते हैं, ‘‘मैं 10 वर्षों से नैचुरल फार्मिंग कर रहा हूं, जिस में देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, छाछ से सभी तरह की खाद्य सामग्री का उत्पादन कर रहा हूं.’’ जिले के उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र सिंह के मार्गदर्शन से मान सिंह गुर्जर अपनी 16 एकड़ जमीन पर नैचुरल फार्मिंग से सभी तरह की फसलों का भरपूर उत्पादन ले रहे हैं.

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नैचुरल फार्मिंग का फायदा यह है कि खेती में खाद और कीटनाशकों की लागत कम हो गई है. गेहूं, चावल, चना, तुअर, गन्ना जैसी सभी तरह की खाद्य सामग्री उन के पास मौजूद है. नैचुरल तरीके से उत्पादन लेने की वजह से उन के उत्पादों की मांग ज्यादा रहती है और बाजार मूल्य से भाव भी अधिक मिलता है. मान सिंह गुर्जर बताते हैं कि सभी अनाजों की घर से ही बिक्री हो जाती है. हमारे लिए कभी बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती. उन के नैचुरल फार्महाउस पर बंशी गेहूं, खपलि गेहूं, शरबती गेहूं, कठिया, चंदौसी, सफेद गेहूं, चना देशी, मसूर, सरसों, राई, मटर, मूंग, उड़द, तुअर, धान, कोदो, कुटकी जैसे अनाजों का उत्पादन होता है.

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