फिल्मसमीक्षाः
‘‘इंफेक्टेड 2030: कोरोना की पृष्ठ भूमि पर प्यार व दर्द की दिल को छू लेने वाली भावनात्मक कहानी..’’
रेटिंग: तीनस्टार
निर्माताःराहुलदत्ता व चंदनपी सिंह
निर्देषकः चंदनपी सिंह
कलाकारः चंदनपी सिंह,न्योरिकाभतीजा,अजय षर्मा व चंदाकटारिया
अवधिः लगभग 23 मिनट
ओटीटीप्लेटफार्म: ईरोजनाउ
पिछले डेढ़ वर्षों में, कोरोना वायरस महामारी से पूरा विश्व त्राहिमाम कर रहा है. इस महामारी ने इंसानों को कई तरह से क्षति पहुॅचायी है.लोग इस बीमारी के चलते भावनात्मक रूप से भी टूटे हैं.सभी प्रयासों के बावजूद कोरोना वायरस ने अपना कहर बरपाना जारी रखा हुआ है,हर दिन हजारों पुरुष और महिलाएं मर रही हैं जिसमें युवा और बूढ़े दोनों शामिल हैं.इसी पर फिल्म सर्जक चंदन पी सिंह ने भविष्य की गंभीर वास्तविकता का चित्रण कर एक यथार्थ पर क लघु फिल्म ‘‘इंफेक्टेड 2030’’लेकर आए हैं,जोकि 20 मई से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘ईरोजनाउ’’पर स्ट्रीम हो रही है.
कहानीः
यह 2030 के काल के एक खुशहाल व संपन्न शादीशुदा जोड़े माणिक(चंदन पी सिंह) व शिविका(न्योरिका भटीजा ) भावनात्मक प्रेम कहानी है,जो एक दूसरे से अटूट प्यार करते हैं.इनकी जिंदगी में सुख के साथ अथाह प्यार है.पर एक दिन शिविका वायरस से संक्रमित हो जाती है और इस जोड़े का सुखी जीवन एक बाधा वाला जीवन बन जाता है.माणिक अपनी पत्नी के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त कराने की हर संभव कोशिश करता है, लेकिन सब व्यर्थ जाता है.अस्पताल में बेड ही नही है.तब शिविका घर पर ही बाथरूम के साथ वाले कमरे में आइसोलेट हो जाती हैं.
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इस बीच माणिक को डाक्टर( अजय षर्मा ) दवाइयां देते हैं.शिविका को कमरे से बाहर जाने की इजाजत नहीं है.माणिक खुद को संक्रमित होने से बचाने के लिए पीपीई गियर (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) और मास्क पहनने के बाद ही उसके कमरे के अंदर जाता है.जीहाॅ!माणिक पीपीईकिट पहनकर अपनी पत्नी शिविका को दवाई,नाष्ता,भोजन आदि देते हुए पत्नी की सेवा करने के साथ साथ अपने काम को भी अंजाम देता रहता है.मगर उससे अपनी पत्नी शिविका का दर्द देखा नही जाता. दो माह के आइसोलेशन की अवधि पत्नी को प्रभावित करती है,शिविका को अपने पति माणिक की उपस्थिति बहुत याद आती है.दर्द व पीड़ा सहते हुए शिविका अपने मन की बात दरवाजे के पीछे से ही माणिक से कहती है.जिसके बाद माणिक एक निर्णय लेता है,पर इसके परिणाम क्या सामने आते हैं,इसे फिल्म में देखकर समझना हीठीक रहेगा.
लेखन व निर्देषन:
कोरोना महामारी के चलते इंसान काफी तकलीफें,पीड़ा झेल रहा है.दवाईयों व अस्पताल में बेड के अभाव के चलते मरीज के परिजन किस तरह भावनात्मक दर्द व परेशानी के दौर से गुजरते हैं,यह सब टीवी समाचार में हर दिन सुनाई देता है.मगर उसी पीड़ा, दर्द,दया,भावनात्मक स्तर पर तिल तिल घुटते इंसान के सच को फिल्मकार चंदन पी सिंह इस लघु फिल्म में अति बेहतरीन तरीके से पेश करने में काफी सफल रहे हैं.
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लेखक,निर्देशक व अभिनेता चंदन पी सिंह ने बेवजह कहानी में कुछ भी न रखते हुए सिर्फ मुद्दे की बात करते हैं,इसके लिए वह बधाई के पात्र हैंं. फिल्म में वह उन लोगों की दुर्दशा,जो घातक वायरस से संक्रमित हो गए हैं और अपने और अपने प्रियजनों के लिए अस्पतालों में बिस्तर नहीं ढूंढ पा रहे लोगों के दर्द को बयां करने में सफल रहे हैं.कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हर इंसान व उसके परिजनों को यह फिल्म आप बीती नजर आएगी.चंदन का लेखन काफी कसा हुआ है और प्रवाह के साथ बहता है.मुख्य किरदारों द्वारा अनुभव की जा रही भावनात्मक पीड़ा के साथ सहानुभूति न रखना असंभव है.फिल्म में संवाद बहुत कम हैं,मगर फिल्म का हर दृष्य इंसान को अंदर तक झकझोर कर रख देता है.हर दृष्य दिल को छू लेने वाला है.फिरभी यदि फिल्मकार ने इस वायरस व इसके संक्रमण का पूरे देश व एक इंसान पर पड़ने वाले असर पर शोध किया होता,तो यह लघु फिल्म काफी असरदार व बेहतरीन बन जाती.
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अभिनयः
फिल्म में माणिक किरदार निभाने वाले चंदनपी. सिंह ने काफी सधा हुआअभिनय करते हुए किरदार के साथ पूरा न्याय किया है.न्योरि का भटी जा अपनी भूमिका को दृढ़ विश्वास के साथ निभाने में सफल रही हैं.वायरस पीड़िता शिविका की मनोदशा, उसका दर्द,प्यार की भूख आदि को अपने चेहरे से व्यक्त करने में सफल रही हैं.