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मुद्दा: अफगानिस्तान- अफीम और तालिबान

दुनियाभर में हेरोइन की सप्लाई का 80 फीसदी हिस्सा अफगानिस्तान से जाता है. अफीम के निर्यात से अफगानिस्तान की 2 अरब डौलर से ज्यादा की सालाना कमाई होती है जो उस की जीडीपी का 11 फीसदी है. ऐसे में तालिबान अफीम की पैदावार पर रोक लगाएगा और मादक पदार्थों के कारोबार को खत्म करेगा, यह सोचना भी हास्यास्पद है. इस के लिए तो सभी देशों को मिल कर ड्रग्स कारोबार और उस से जुड़े गंभीर अपराधों का मुकाबला करने की रणनीति बनानी होगी.

मुंबई के पास समुद्र में एक कू्रज ‘कार्डेलिया द इम्पै्रस’ पर चल रही रेव पार्टी में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का छापा और उस में बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत 19 लोगों को हिरासत में लिए जाने की बात काफी समय से मीडिया की सुर्खियों में है. आर्यन खान को जेल भेजा जा चुका है. इस मामले में पुलिस की तफतीश और पूछताछ जारी है. दबाव के चलते गिरफ्तार लोगों में से 3 को जमानत पर न छोड़े जाने का आरोप लग रहा है क्योंकि एक शाहरुख खान का बेटा है. कहा जा रहा है कि इस रेव पार्टी में ड्रग्स- एमडी कोक और हशीश – की बरामदगी हुई है. लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है जहां कुछ नामचीन लोग ड्रग्स के साथ पकड़े गए हैं. बौलीवुड में ड्रग्स का इस्तेमाल कई दशकों से काफी धड़ल्ले से जारी है. संजय दत्त से ले कर सुशांत सिंह राजपूत तक की बरबादी की वजह ड्रग्स है. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बौलीवुड के कई कलाकारों से लंबी पूछताछ हो चुकी है, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात. पुलिस एकाध की गिरफ्तारी और पूछताछ तक ही सीमित रह जाती है, ड्रग्स सिंडिकेट तक नहीं पहुंच पाती.

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अभिनेता अर्जुन रामपाल, ऐक्ट्रैस दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, अरमान कोहली, रिया चक्रवर्ती, कौमेडियन भारती सिंह और उन के पति हर्ष लिंबाचिया, अभिनेता एजाज खान, टीवी कलाकार गौरव दीक्षित सभी ने ड्रग्स से जुड़े सवालों का सामना किया है. इन में से कई गिरफ्तार भी हो चुके हैं. मगर बौलीवुड सहित पूरे देश में ड्रग्स की खरीदफरोख्त बदस्तूर जारी है और अब तो इस में लगातार इजाफा हो रहा है, जैसे पूरे देश को अफीमची बनाने की तैयारी हो. इस से पहले गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से 3 हजार किलो हेरोइन पकड़ी गई. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उस की कीमत 21 हजार करोड़ रुपए है. गौरतलब है कि मुंद्रा पोर्ट को उद्योगपति गौतम अडानी चलाते हैं. इस मामले को देश का मीडिया एकदम अनदेखा कर रहा है और अब तक खास काररवाई नहीं की गई. पकड़ी गई ड्रग्स (हेरोइन) को 2 कंटेनरों में रखा गया था, जिन के ऊपर पाउडर रखे होने की बात लिखी गई थी. ये दोनों कंटेनर ईरान से आए थे. एक कंटेनर में 2 हजार किलो और दूसरे कंटेनर में एक हजार किलो हेरोइन थी.

अफगानिस्तान में तैयार इस हेरोइन को गुजरात बंदरगाह पर भेजा गया था, जहां से यह मुंबई से ले कर पंजाब तक पहुंचाई जानी थी. इतनी भारी तादाद में अतिपरिष्कृत नशीले पदार्थ का पकड़ा जाना एके-47 बंदूकों के पकड़े जाने से ज्यादा चिंताजनक है. यह हिंदुस्तान के युवाओं को अफीमची बना कर असमय मौत की ओर धकेलने का खतरनाक षड्यंत्र है. सामाजिक कार्यकर्ता और श्रमिक संगठन ‘सीटू’ के राज्य सचिव शैलेंद्र सिंह ठाकुर कहते हैं, ‘‘ये हेरोइन, स्मैक और ब्राउन शुगर सब चलताऊ नाम हैं. असली नाम है मार्फीन, जो अफीम को प्रोसैस करने के बाद पहले एल्केलाइड के रूप में बनता है. 120 किलो अफीम से 40 किलोग्राम मार्फीन बनती है. इस हिसाब से मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई 3 हजार किलो मार्फीन बहुत ही विराट मात्रा है.’’ मुंद्रा पोर्ट पर 3 टन हेरोइन की जब्ती से पहले 72 हजार करोड़ रुपए की 24 टन मार्फीन भी पहुंच चुकी थी, जो टैलकम पाउडर कह कर विजयवाड़ा से गुजरात तक गई और मार्केट में खपा दी गई. अक्तूबर माह में एक गुप्त सूचना के आधार पर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की टीम ने मुंबई पोर्ट पर छापा मारा, जहां उन्हें एक कंटेनर से 25 किलो हेरोइन बरामद हुई.

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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उस की कीमत 125 करोड़ रुपए थी. इस संबंध में नवी मुंबई के 62 साल के एक कारोबारी जयेश सांघवी को गिरफ्तार किया गया. सांघवी ईरान से मूंगफली के तेल की खेप में इस हेरोइन को छिपा कर लाया था. यह कंटेनर वैभव एंटरप्राइजेज के संदीप ठक्कर ने इम्पोर्ट किया था, जिन का मुंबई के मसजिद बंदर इलाके में बड़ा औफिस है. हेरोइन लाने के लिए तस्करों की यह तरकीब नई थी. राजस्व खुफिया निदेशालय को शक है कि जयेश सांघवी एक बड़े सिंडिकेट का हिस्सा है और इस तरह की खेपें उस के जरिए भारत में पहले भी आई हैं, मगर अभी तक पुलिस उस से कुछ खास नहीं उगलवा पाई है. इसी साल जुलाई माह में राजस्व खुफिया निदेशालय ने मुंबई बंदरगाह से ही 293 किलो हेरोइन जब्त की थी, जिस की कीमत 2 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी. उस कंसाइनमैंट को नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से सड़कमार्ग के जरिए पंजाब भेजा जाना था.

उस मामले में डीआरआई ने पंजाब के तरणतारण के रहने वाले संधू एक्सपोर्ट पंजाब के मालिक प्रभजीत सिंह को गिरफ्तार किया है. पिछले महीने मुंबई एयरपोर्ट से 5 किलो हेरोइन के साथ 2 महिलाएं भी गिरफ्तार हुई थीं. यह किसी भी एयरपोर्ट में मिलने वाली ड्रग्स की सब से बड़ी खेप में से एक थी. उन के पास से मिली हेरोइन की कीमत 25 करोड़ रुपए थी. दोनों महिलाओं की पहचान मांबेटी के तौर पर हुई जो दक्षिण अफ्रीका के जोहानेबर्ग से आई थीं. साउथ दिल्ली के इलाके में जहां बड़ी संख्या में अफ्रीकी नागरिक बसे हैं और रामकृष्ण मठ के आसपास रहने वाले विदेशियों के पास अफीम, मार्फीन, हेरोइन, चरस, गांजा जैसे नशीले पदार्थो का मिलना बहुत आम है. ये चंद बानगी हैं जो यह बताने के लिए काफी हैं कि हर महीने कितनी भारी मात्रा में नशीले पदार्थ भारत में आ रहे हैं और ड्रग्स का कारोबार हिंदुस्तान में कितने बड़े पैमाने पर चल रहा है.

ऐसे बरबाद हुआ था चीन दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक चीन दोदो अफीम युद्ध ?ोल चुका है और इस का भारी खमियाजा भुगत चुका है. पहला अफीम युद्ध (1839-1842) ईस्ट इंडिया कंपनी को आगे रख कर ब्रिटेन ने लड़ा और पूरे चीन को अफीम का लती बना दिया. दुनिया के इस सब से बड़े देश को इस युद्ध में हारने की कीमत हौंगकौंग को ब्रिटेन के सुपुर्द करने और अपने 5 बंदरगाहों पर अंगरेजों को व्यापार करने व चीन के कानूनों से आजाद रह कर रहने की खुली छूट देने और ब्रिटेन को व्यापार के मामले में मोस्ट फेवर्ड नैशन का दर्जा देने के रूप में चुकानी पड़ी. इस के बाद जो अफीम व्यापार पहले छिपाछिपी चलता था, वह वहां खुलेआम चलने लगा. चीन में दूसरा अफीम युद्ध 1856-1860 में हुआ. इस बार अंगरेजों और फ्रांसीसियों दोनों ने हमला बोला और चीन के 11 बंदरगाह और छीन लिए. मगर चीन का असली नुकसान इन बंदरगाहों से ज्यादा था. बारबार प्रतिबंधों के बावजूद अफीम का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ते जाने का जब कारण तलाशा गया तो पता चला कि प्रशासन, फौज और विद्यार्थियों का काफी बड़ा हिस्सा अफीमची बन चुका है. परिणाम यह निकला कि मानवता को समृद्ध करने वाली अनेक खोजों में अव्वल रहने वाला चीन औद्योगिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास के मामले में सदियों पीछे चला गया. हालांकि, 1948 की कम्युनिस्ट क्रांति ने इस स्थिति को तोड़ा. नशे की राह पर भारत भारत में नशे के विस्तार की भौगोलिकी पर नजर डालें तो यहां सब से ज्यादा पीडि़त व प्रभावित राज्य पंजाब है. उस के बाद हरियाणा, राजस्थान के एक बड़े हिस्से और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरफ ड्रग्स माफियाओं ने अपना जाल फैला रखा है. पंजाब और राजस्थान का प्रभावित हिस्सा एकदम सीमा से सटा है. यह वह इलाका है जहां से भारतीय सुरक्षा बलों में बड़ी संख्या में युवा जाते हैं. इन्हें बड़ी संख्या में नशे का आदी बना कर कमजोर करना, राष्ट्र को कमजोर करने की साजिश है.

इस के बाद ड्रग्स सिंडिकेट ने भारत की मेधा, कौशल और विशेषज्ञता के केंद्र, उच्चतर शिक्षण संस्थानों को अपना टारगेट बनाया है. यह संयोग नहीं है, बल्कि यह देश के संवेदनशील केंद्रों की शिनाख्त कर उन्हें निशाने पर लिया जाना है. अफीम उत्पादक देश अमेरिकी कब्जे में आने के बाद अफगानिस्तान एक बड़े अफीम उत्पादक के रूप में उभरा था. औरत के बुर्के की साइज और उस की पढ़ाई से बेहोश हो जाने वाले तालिबानी कट्टरपंथियों को इस धंधे से कोई परहेज न था और अमेरिका को अफीम के धंधेबाजों से बड़ा मुनाफा था. यूनाइटेड नेशंस औफिस औन ड्रग्स एंड क्राइम्स (यूएनओडीसी) के मुताबिक, दुनिया में अफीम का सब से बड़ा उत्पादक देश अफगानिस्तान है. दुनियाभर में अफीम के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा अफगानिस्तान में होता है.

2018 में यूएनओडीसी के आकलन के मुताबिक, अफगानिस्तान की कुल अर्थव्यवस्था में 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी अफीम उत्पादन की थी. हालांकि, तालिबान दावा कर रहा है कि उस ने अफगानिस्तान में अपने पिछले शासनकाल के दौरान अफीम की खेती पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, जिस के चलते गैरकानूनी ड्रग्स का कारोबार थम गया था. 2001 में अफगानिस्तान में अफीम के उत्पादन में कमी जरूर देखी गई थी लेकिन बाद के सालों में तालिबान नियंत्रित इलाकों में अफीम की खेती बढ़ती गई. यहां अफीम को इस तरह से परिष्कृत किया जाता है कि उस से काफी अधिक नशा देने वाले हेरोइन और मार्फीन जैसे ड्रग्स तैयार हों. कार्ल मार्क्स ने कहा था, ‘जैसेजैसे मुनाफा बढ़ता जाता है, पूंजी की हवस और ताकत बढ़ती जाती है. पूंजी मुनाफे के लिए कुछ भी कर सकती है. वह 10 फीसदी के लिए कहीं भी चली जाती है, 20 फीसदी मुनाफा हो तो इस के खुशी का ठिकाना नहीं रहता. 50 फीसदी के लिए यह कोई भी दुस्साहस कर सकती है. 100 फीसदी मुनाफे के लिए तो यह मानवता के सारे नियमकायदे कुचल डालने को तैयार हो जाती है और 300 फीसदी मुनाफे के लिए तो यह कोई भी अपराध ऐसा नहीं जिसे करने को तैयार न हो जाए.

यह कोई भी जोखिम उठाने से नहीं चूकती, भले इस के मालिक को फांसी ही क्यों न हो जाए.’ अगर भूकंप और भुखमरी से मुनाफा बढ़ता हो तो यह खुशी से उन्हें आने देगी. तस्करी और गुलामों का व्यापार इस की मिसालें हैं. ड्रग्स के कारोबारी अपने मुनाफे के लिए मानवता और मानवजाति को खोखला व खत्म करने पर उतारू हैं. यही कुछ हाल अफगानिस्तान और अफीम कारोबारियों का है. अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल करने के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने जब से यह कहा है कि, ‘जब हम लोगों की सरकार रही है तब ड्रग्स का उत्पादन नहीं हुआ है. हम लोग एक बार फिर अफीम की खेती को शून्य तक पहुंचा देंगे. कोई तस्करी नहीं होगी,’ तब से ड्रग्स के कारोबारियों में खलबली मची हुई है.

वे जल्दी से जल्दी अफगानिस्तान से अपना स्टौक हटाने और दुनिया के देशों में जल्द से जल्द खपाने में जुट गए हैं. यही वजह है कि बीते कुछ दिनों में भारत के बंदरगाहों और सीमाओं पर भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी जा रही हैं. मगर चिंता इस बात की है कि जो नहीं पकड़ी जा रही है, वह बहुत तेजी से पूरे देश में फैल रही है. तालिबान भले अफीम के अवैध कारोबार को प्रतिबंधित करने की बात कर रहा है, लेकिन उस पर भरोसा करना आसान नहीं है. जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा नहीं किया था, उस समय भी वह ड्रग्स के अवैध धंधे से मोटी कमाई कर रहा था. नाटो की रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग्स, सीमा पार करने वाली वस्तुओं पर टैक्स, अवैध खनन के जरिए तालिबान सालाना औसतन 1.5 अरब डौलर की कमाई करता रहा था और मार्च 2020 में यह कमाई बढ़ कर 1.6 अरब डौलर तक पहुंच गई थी, जिस में बड़ा हिस्सा ड्रग्स से होने वाली कमाई का था. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, तालिबान के शासन में अफीम की खेती बढ़ी है. वर्ष 1998 तक जहां यह 41 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में होती थी वहीं 2000 में यह 64 हजार हैक्टेयर क्षेत्र तक पहुंच गई थी. दुनिया के कुल अफीम उत्पादन का करीब 39 फीसदी हिस्सा अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में होता है और इस प्रांत के अधिकांश हिस्से पर तालिबान का नियंत्रण रहा है. अफीम से आमदनी अफगानिस्तान में अफीम की खेती रोजगार का सब से अहम जरिया है.

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, तालिबान को अफीम पर टैक्स लगाने से आमदनी होती है, इस के अलावा गैरकानूनी ढंग से अफीम रखने और उस की तस्करी करने पर भी अप्रत्यक्ष तौर पर आमदनी होती है. अफीम उगाने वाले किसानों से 10 फीसदी टैक्स लिया जाता है. अफीम से हेरोइन बनाने वाले प्रोसैसिंग लैब से भी टैक्स वसूला जाता है और इस के कारोबारी भी टैक्स चुकाते हैं. एक आकलन के मुताबिक, गैरकानूनी ढंग से इस ड्रग्स के कारोबार से तालिबान को कम से कम 100 से 400 मिलियन डौलर के बीच सालाना आमदनी होती है. अमेरिकी वाचडौग स्पैशल इंस्पैक्टर जनरल फौर अफगान रिकंस्ट्रक्शन के मुताबिक, तालिबान की सालाना आमदनी में 60 फीसदी हिस्सा गैरकानूनी ड्रग्स कारोबार से आता है. कहां होता है ड्रग्स का इस्तेमाल अफगानिस्तान में होने वाली अफीम से जो हेरोइन बनाई जाती है, उस के 95 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल यूरोप में होता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2020 के बीच 90 फीसदी से अधिक नशीले पदार्थों की तस्करी सड़क के रास्ते हुई है. लेकिन हाल के दिनों में हिंद महासागर और यूरोप के बीच समुद्रीमार्ग के रास्तों पर ज्यादा ड्रग्स जब्त की जा रही हैं.

अफीम की खेती, उत्पादन और उस को जब्त किए जाने के मामलों को अगर ग्राफ में देखें तो यह स्पष्ट है कि बीते 2 दशकों के दौरान अफगानिस्तान में यह लगातार बढ़ा है. अमेरिकी वाचडौग स्पैशल इंस्पैक्टर जनरल फौर अफगान रिकंस्ट्रक्शन के मुताबिक, अफीम को जब्त किए जाने और तस्करों की गिरफ्तारी का इस की खेती पर कोई असर नहीं पड़ता है. जानकारों का मानना है कि तालिबान के लिए ड्रग्स के कारोबार पर काबू पाना आसान नहीं है क्योंकि अफगानिस्तान के कई प्रांतों में अफीम की खेती ही लोगों की आमदनी का एकमात्र जरिया है. पिछले शासनकाल के शुरुआती वर्षों में तालिबान ने भी ड्रग्स को अपनी आय का स्रोत बना रखा था. अब की शासन में भी अफीम की खेती रोकना उस की प्राथमिकता नहीं होगी. इसलिए इस में बढ़ोतरी जारी रहेगी और यूरोप में अफीम से बनने वाले मादक पदार्थ हेरोइन की आपूर्ति में उछाल आएगा. लोगों को सस्ते में हेरोइन उपलब्ध कराई जाएगी ताकि इस की लत बढ़ती जाए.

ब्रिटेन के पूर्व मंत्री जेरमी हंट का कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के विनाशकारी फैसले के जो बुरे परिणाम संभावित हैं, उन में एक पूरी दुनिया में हेरोइन की आपूर्ति में बढ़ोतरी भी है. ब्रिटेन की नैशनल क्राइम एजेंसी के मुताबिक भी अफगानिस्तान में अफीम की खेती बढ़ रही थी. अब पश्चिमी सेनाओं की वापसी से देश में पैदा हुई अस्थिरता का असर इस की पैदावार पर पड़ सकता है. इसलिए अब जरूरी है कि सभी देश मिल कर ड्रग्स कारोबार और उस से जुड़े गंभीर अपराधों का मुकाबला करने की रणनीति बनाएं. द्य भारत पर है बड़ा खतरा अफीम की खेती में बढ़ोतरी भारत के लिए बड़ा खतरा है. यूनाइटेड नेशन औफ ड्रग्स एंड क्राइम 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में भारत अवैध ड्रग्स सप्लाई का बड़ा शिकार है.

तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत के लिए अवैध ड्रग्स कारोबार को रोकना नई चुनौती बन गया है. अवैध ड्रग्स कारोबारियों के लिए भारत की स्थिति भी बेहद मुफीद है. भारत के एक तरफ अफगानिस्तान है तो दूसरी तरफ म्यांमार है. इन दोनों देशों में ड्रग का अवैध कारोबार तेजी से फलफूलता रहा है. इसलिए भारत को गोल्डन ट्रायंगल (इस का केंद्र म्यांमार) और गोल्डन क्रिसेंट (इस का केंद्र अफगानिस्तान) के बीच फंसा हुआ कहा जाता है. दुनिया में इन दोनों देशों के जरिए बड़े पैमाने पर ड्रग्स का अवैध कारोबार चलता है. अफगानिस्तान से चीन, भारत, हौंगकौंग, सिंगापुर, थाईलैंड में अवैध ड्रग्स की सप्लाई की जाती है. उस की सप्लाई में पाकिस्तान, अफगानिस्तान की बड़ी मदद करता है. इस के अलावा ईरान और मध्य एशियाई देशों के जरिए हेरोइन की तस्करी की जाती है. 13 सितंबर को मुंद्रा बंदरगाह पर पकड़ी गई हेरोइन ईरान के बंदर अब्बास से होते हुए अफगानिस्तान के कंधार से आई थी.

एकता, कंगना और करण जौहर को राष्ट्रीय सम्मान, देश के लिए चिंता का सबब

सौ टके की एक बात- एकता कपूर, कंगना राणावत अथवा करण जौहर जैसे फिल्मी दुनिया के नकारात्मकता फैलाने वाले चेहरों को देश के सर्वोच्च सम्मान में गिने जाने वाले पद्मश्री जैसे सम्मान का मिलना क्या चिंता का सबब नहीं होना चाहिए.

क्या एकता कपूर, कंगना रानाउत, करण जौहर जैसे लोग देश के आदर्श हो सकते हैं. अगर देश की सत्ता में बैठे हुए हमारे नेता ऐसे लोगों को सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करने लगेंगे तो आने वाली पीढ़ी पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह गहरे चिंतन का विषय बन कर आज हमारे सामने है.

इस रिपोर्ट में हम इसी महत्वपूर्ण संवेदनशील मसले पर चर्चा करते हुए कुछ ऐसे तथ्य आपके समक्ष रख रहे हैं जिनके आधार पर देश की जनता और हमारी सरकार को यह तय करना चाहिए कि आखिर पद्मश्री, पद्म विभूषण, भारत रत्न जैसे सम्मान क्या सिर्फ सरकार कि अपनी झोली में रखे हुए ऐसे मिठाई और रेवरिया हैं जो किसी को भी बांट दें, उसका कोई मानदंड ना हो उसका कोई संदेश ना हो.

अगर यही सब चलता रहा तो आने वाले समय में, देश किस दिशा में जाएगा यह बड़ी चिंता का विषय होना चाहिए. इन दिनों जिस तरह लगातार सर्वोच्च सम्मान ऐसे चिंहित लोगों को मिल रहे हैं जो समाज में सकारात्मक संदेश देने में विफल रहे हैं, बल्कि समाज और देश को गलत में गिराने का काम करके, सिर्फ रुपया पैसा बनाने और चाटुकारिता का ही काम करते रहे हैं.

क्या योगदान है फिल्मी भांडों का!

अगरचे, हम निष्पक्ष विवेचन करें तो पाते हैं कि आज की फिल्मों के नायक नायिका हों या फिल्म निर्माता निर्देशक इनका सिर्फ एक ही मकसद है समाज में अश्लीलता परोसना, देश की संस्कृति और धरोहर को तोड़ मरोड़ करके करोड़ों रुपए बनाना. फिल्मी दुनिया का एक ऐसा बड़ा संजाल उपस्थित हो चुका है अब उसे खत्म भी नहीं किया जा सकता. यह कैसा सफेद हाथी बन चुका है जो अपने संदेश से देश की पीढ़ी और युवाओं को सिर्फ भ्रमित करता है. हां चंद कुछ ऐसी फिल्में आ जाती है जिन का योगदान सराहनीय होता है कुल मिलाकर के देखा जाए तो सिनेमा का योगदान नकारात्मक हो चुका है यह लोग मनोरंजन के नाम पर भांड गिरी करते हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं. इनका मकसद समाज को दिशा देना, आदर्श उदाहरण पेश करना नहीं, देश को मजबूत बनाने नहीं बल्कि सिर्फ अपना चकाचौंध का जीवन जीना, करोड़ों कमाना और ऐश की जिंदगी जीना है. ऐसी परिस्थितियों में यह सवाल आज उठ खड़ा हुआ है कि ऐसे लोगों को जो सिर्फ देश के पतन की भूमिका निभा रहे हैं को देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करना कहां तक उचित होगा.

आज आवश्यकता है एक जनमत ऐसा बनना चाहिए कि एकता कपूर, कंगना राणावत और करण जौहर जैसे लोगों को यह सम्मान न मिल सके और अगर मिल गया है तो उसे वापस लिया जाना चाहिए. बल्कि इसकी जगह कला, संस्कृति और साहित्य आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले, सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को इन सम्मान से सम्मानित किया जाना चाहिए.

यह एक ऐसा सवाल है जिस पर आज मनन करने का समय है. और अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का. ताकि ऐसे लोगों को आगे ला करके समाज को और भी पतन की तरफ ले जाने का काम बंद हो.

सम्मान वापिस दो!

अगर हम एकता कपूर की बात करें तो उनके द्वारा बनाए गए फिल्में अथवा टेलिविजन सीरियल की जितनी आलोचना हुई है और समाज को जो अश्लीलता और तोड़ने का काम मनोरंजन के नाम पर एकता कपूर ने किया है उसके लिए पद्मश्री सम्मान देना कहां तक उचित है.

रुपए कमाने वाले सोच को अगर पद्मश्री मिलने लगेगा तो यह क्या दुर्भाग्य नहीं है इसी तरह कंगना राणावत सिर्फ एक पार्टी विशेष की एक प्रवक्ता बनकर रह गई है को पद्मश्री दे देना क्या यह किसी भी दृष्टि से उचित है. ऐसे ही कई नाम है जिन्हें ऐसे राष्ट्रीय शीर्ष सम्मान कदापि नहीं दिया जाना चाहिए था, ऐसा ही एक नाम है करण जौहर का. इन सबके अलावा क्या समाज को सकारात्मक दिशा देने वाले विभूतियों की कमी हो गई है? क्या साहित्य, संस्कृति, कला के क्षेत्र में समाज सेवा के रूप में काम करने वाले लोगों की कमी है. क्या ऐसे महान लोग अब हमारे बीच नहीं हैं जो आज देश की सरकार ऐसे चेहरों को सम्मानित कर रही है जो सीधे-सीधे जनता के बीच, घर परिवार को तोड़ने, अश्लीलता, नग्नता और अपराध को बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

फोटो सौजन्य- इंस्टाग्राम

शीत ऋतु में अपनाएं गन्ने की आधुनिक खेती

गन्ना ग्रेमिनी कुल से संबंधित है और यह घास कुल का पौधा है. इस का वानस्पतिक नाम सैकेरम औफिसिनेरम है. वैसे तो यह एक नकदी फसल है, जिस से गुड़, चीनी, शराब आदि बनाए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर ब्राजील देश में गन्ने का उत्पादन सब से ज्यादा होता है. भारत का गन्ने की उत्पादकता में संपूर्ण विश्व में दूसरा स्थान है. गन्ने को मुख्यत: व्यावसायिक चीनी उत्पादन करने वाली फसल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि विश्व में उत्पादित होने वाली चीनी के उत्पादन में तकरीबन 75 फीसदी योगदान करता है, शेष में चुकंदर, मीठी ज्वार इत्यादि फसलों का योगदान है. गन्ने का प्रयोग बहुद्देशीय फसल के रूप में चीनी उत्पादन के साथसाथ अन्य उत्पाद जैसे कि पेपर, इथेनाल एल्कोहल, सैनेटाइजर, बिजली उत्पादन व जैव उर्वरक के लिए कच्चे पदार्थों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

उपयुक्त भूमि, मौसम व खेत की तैयारी उपयुक्त भूमि : गन्ने की खेती मध्यम से भारी काली मिट्टी में की जा सकती है. दोमट भूमि, जिस में सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल का निकास अच्छा हो और जिस का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम है. उपयुक्त मौसम में गन्ने की बोआई वर्षा में दो बार की जा सकती है. शरदकालीन बोआई अक्तूबरनवंबर में इस फसल की बोआई करते हैं और फसल 10 से 14 माह में तैयार होती है. वसंतकालीन बोआई फरवरी से मार्च माह तक फसल बोते हैं. यह फसल 10 से 12 माह में तैयार होती है.

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नोट : शरदकालीन गन्ने वसंत में बोए गए गन्ने से 25-30 प्रतिशत व ग्रीष्मकालीन गन्ने से 30-40 प्रतिशत अधिक पैदावार देता है. खेत की तैयारी खेत की ग्रीष्मकाल में 15 अप्रैल से 15 मई के पूर्व एक गहरी जुताई करें. इस के पश्चात 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के और रोटावेटर व पाटा चला कर खेत को भुरभुरा, समतल और खरपतवाररहित कर लें. रिजर की सहायता से 3 से 4.5 फुट की दूरी पर 20-25 सैंटीमीटर गहरी कूंड़ें बनाएं. उपयुक्त किस्म, बीज का चयन व तैयारी गन्ने के सारे रोगों की जड़ अस्वस्थ बीज का उपयोग ही है. गन्ने की फसल उगाने के लिए पूरा तना न बो कर इस के 2 या 3 आंख के टुकड़े काट कर उपयोग में लाएं. गन्ने की ऊपरी भाग की अंकुरण क्षमता 100 प्रतिशत, बीच में 40 प्रतिशत और निचले भाग में केवल 19 प्रतिशत ही होती है. 2 आंख वाला टुकड़ा सर्वोत्तम रहता है.

गन्ना के बीज का चुनाव करते समय बरतें सावधानियां

* उन्नत जाति के स्वस्थ निरोग शुद्ध बीज को ही लें.

* गन्ना बीज की उम्र लगभग 8 माह या कम हो, तो अंकुरण अच्छा होता है. बीज ऐसे खेत से लें, जिस में रोग व कीट का प्रकोप न हो. जिस में खादपानी समुचित मात्रा में दिया जाता रहा हो.

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* जहां तक हो, नरमगरम हवा उपचारित (54 सैंटीग्रेड और 85 प्रतिशत आर्द्रता पर 4 घंटे) या टिश्यू कल्चर से उत्पादित बीज का ही चयन करें.

* हर 4-5 साल बाद बीज बदल दें, क्योंकि समय के साथ रोग व कीट लगने में वृद्धि होती जाती है.

* बीज काटने के बाद कम से कम समय में बोनी कर दें. गन्ने की उन्नत जातियां को. 05011 (कर्ण-9), को.से. 11453, को.षा. 12232, को.षा. 08276, यू.पी. 05125, को. 0238 (कर्ण-4), को. 0118 (कर्ण-2), को.से. 98231, को.शा. 08279, को.शा. 07250, को.शा. 8432, को.शा. 96269 (शाहजहां), को.शा. 96275 (स्वीटी) आदि. ये जातियां उत्तर प्रदेश के लिए संस्तुत की गई हैं. गन्ना बोआई का सब से उपयुक्त समय अक्तूबरनवंबर महीना ही क्यों चुनें

* फसल में अग्रवेधक कीट का प्रकोप नहीं होता. * फसल वृद्धि के लिए अधिक समय मिलने के साथ ही अंतरवर्तीय फसलों की भरपूर संभावना.

* अंकुरण अच्छा होने से बीज कम लगता है और कल्ले अधिक फूटते हैं.

* अच्छी बढ़वार की वजह से खरपतवार कम होते हैं.

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* सिंचाई जल की कमी की दशा में, देर से बोई गई फसल की तुलना में नुकसान कम होता है.

* फसल के जल्दी पकाव पर आने से कारखाने जल्दी पिराई शुरू कर सकते हैं.

* जड़ फसल भी काफी अच्छी होती है. बीज की मात्रा 75-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर 2 आंख वाले टुकड़े लगेंगे. बीजोपचार बीजजनित रोग व कीट नियंत्रण के लिए कार्बंडाजिम 2 ग्राम प्रति लिटर पानी व क्लोरोपायरीफास 5 मिलीलिटर प्रति लिटर की दर से घोल बना कर आवश्यक बीज का 15 से 20 मिनट तक उपचार करें. खाद और उर्वरक फसल के पकने की अवधि लंबी होने के कारण खाद और उर्वरक की आवश्यकता भी अधिक होती है. इसलिए खेत की अंतिम जुताई से पहले 20 टन सड़ी गोबर या कंपोस्ट खाद खेत में समान रूप से मिला देना चाहिए. इस के अतिरिक्त 180 किलोग्राम नत्रजन (323 किलोग्राम यूरिया), 80 किलोग्राम फास्फोरस (123 किलोग्राम डीएपी) और 60 किलोग्राम पोटाश (100 किलोग्राम म्यूरेट औफ पोटाश) प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बोआई के समय प्रयोग करें और नत्रजन की मात्रा को इस प्रकार प्रयोग करें.

गन्ने में नत्रजन की कुल मात्रा को चार समान भागों में बांट कर बोवनी के क्रमश: 30, 90, 120 और 150 दिन में प्रयोग करें. वसंतकालीन गन्ना गन्ने में नत्रजन की कुल मात्रा को 3 समान भागों में बांट कर बोवनी क्रमश: 30, 90 और 120 दिन में प्रयोग करें. नत्रजन को उर्वरक के साथ नीमखली के चूर्ण में मिला कर प्रयोग करने में नत्रजन उर्वरक की उपयोगिता बढ़ती है. साथ ही, दीमक से भी सुरक्षा मिलती है. 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट व 50 किलोग्राम फेरस सल्फेट 3 वर्ष के अंतराल में जिंक व आयरन सूक्ष्म तत्त्व की पूर्ति के लिए आधार खाद के रूप में बोआई के समय उपयोग करें. जल प्रबंधन : सिंचाई व जल निकास गरमी के दिनों में भारी मिट्टी वाले खेतों में 8-10 दिन के अंतर पर और सरदी के दिनों में 15 दिन के अंतर से सिंचाई करें. हलकी मिट्टी वाले खेतों में 5-7 दिनों के अंतर से, जबकि गरमी के दिनों में 10 दिन के अंतर से सिंचाई करें. सिंचाई की मात्रा कम करने के लिए गरेड़ों में गन्ने की सूखी पत्तियों की पलवार की 10-15 सैंटीमीटर की तह बिछाएं. गरमी में पानी की मात्रा कम होने पर एक गरेड़ छोड़ कर सिंचाई दे कर फसल बचावें. कम पानी उपलब्ध होने पर ड्रिप सिंचाई (टपक विधि) से करने से भी 60 प्रतिशत पानी की बचत होती है. गरमी के मौसम में फसल 5-6 महीने तक की होती है, स्प्रिंकलर (फव्वारा) विधि से सिंचाई कर के 40 प्रतिशत पानी की बचत की जा सकती है. वर्षा के मौसम में खेत में उचित जल निकास का प्रबंध रखें. खेत में पानी के जमा होने से गन्ने की बढ़वार और रस की क्वालिटी प्रभावित होती है.

खाली स्थानों की पूर्ति कभीकभी पंक्तियों में कई जगहों पर बीज अंकुरित नहीं हो पाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए खेत में गन्ने की बोआई के साथसाथ अलग से सिंचाई स्रोत के नजदीक एक नर्सरी तैयार कर लें. इस में बहुत ही कम अंतराल पर एक आंख के टुकड़ों की बोआई करें. खेत में बोआई के एक माह बाद खाली स्थानों पर नर्सरी में तैयार पौधों को सावधानीपूर्वक निकाल कर रोपाई कर दें. खरपतवार प्रबंधन : अंधी गुड़ाई गन्ने का अंकुरण देर से होने के कारण कभीकभी खरपतवारों का अंकुरण गन्ने से पहले हो जाता है. इस के नियंत्रण के लिए एक गुड़ाई करना आवश्यक होता है,

जिसे अंधी गुड़ाई कहते हैं. निराईगुड़ाई आमतौर पर प्रत्येक सिंचाई के बाद एक गुड़ाई आवश्यक होगी. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ब्यांत अवस्था (90-100 दिन) तक निराईगुड़ाई का काम निबटा लें. मिट्टी चढ़ाना वर्षा प्रारंभ होने तक फसल पर मिट्टी चढ़ाने का काम पूरा कर लें (120 से 150 दिन). रासायनिक नियंत्रण बोआई के पश्चात अंकुरण से पहले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए एट्राजीन 2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 600 से 800 लिटर पानी में घोल बना लें और बोआई के एक सप्ताह के अंदर खेतों में समान रूप से इस घोल का छिड़काव कर दें. खड़ी फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2-4-डी सोडियम साल्ट 2.8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 600 से 800 लिटर पानी का घोल बना कर बोआई के 45 दिन बाद छिड़काव करें. सकरी मिश्रित खरपतवार के लिए 2-4-डी सोडियम साल्ट 2.8 किलोग्राम मैट्रीब्यूजन 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 600 से 800 लिटर पानी का घोल बना कर बोआई के 45 दिन बाद छिड़काव करें. उपरोक्त नीदानाशकों के उपयोग के समय खेत में नमी आवश्यक है. अंतरवर्ती खेती गन्ने की फसल की बढ़वार शुरू के 2-3 माह तक धीमी गति से होती है. गन्ने की 2 कतारों के बीच का स्थान काफी समय तक खाली रह जाता है.

इस बात को ध्यान में रखते हुए यदि कम अवधि की फसलों को अंतरवर्ती खेती के रूप में उगाया जाए, तो निश्चित रूप से गन्ने की फसल के साथसाथ प्रति इकाई अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सकती है. इस के लिए निम्न फसलें अंतरवर्ती खेती के रूप में उगाई जा सकती हैं. शरदकालीन खेती गन्ना+आलू (1:2), गन्ना+प्याज (1:2), गन्ना+मटर (1+1), गन्ना+धनिया (1:2) गन्ना+चना (1:2), गन्ना+गेंहू (1:2). वसंतकालीन खेती गन्ना+मूंग (1+1), गन्ना+उड़द (1+1), गन्ना+धनिया (1:3), गन्ना+मेथी (1:3). गन्ने की कटाई फसल की कटाई उस समय करें, जब गन्ने में सुक्रोज की मात्रा सब से अधिक हो,

क्योंकि यह अवस्था थोड़े समय के लिए होती है. जैसे ही तापमान बढ़ता है, सुक्रोज का ग्लूकोज में परिवर्तन प्रारंभ हो जाता है और ऐसे गन्ने से शक्कर व गुड़ की मात्रा कम मिलती है. कटाई से पहले पकाव का सर्वेक्षण करें इस के लिए रिफ्लैक्टोमीटर का उपयोग करें. यदि माप 18 या इस के ऊपर है, तो गन्ना परिपक्व होने का संकेत है. गन्ने की कटाई गन्ने की सतह से करें.

टैंशनफ्री लाइफ के लिए ध्यान रखें ये बातें

रीना और नरेश की शादी को 3 साल हो गए हैं. पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं. औफिस में काम के सिलसिले में उन्हें शहर के बाहर भी जाना पड़ता है. अभी तक सब ठीक चलता आ रहा था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से रीना को थकान, बेचैनी और नींद न आने की शिकायत रहने लगी है.

डाक्टर को दिखाने पर पता चला कि रीना तनाव में जी रही है. नौकरी के कारण पतिपत्नी को काफी समय तक अलगअलग रहना पड़ता. जब तक उस का पति साथ रहता, तब तक सब सही रहता, लेकिन जब वह अकेली होती तो उस के लिए घर के कामों और नौकरी के बीच तालमेल बैठाना मुश्किल हो जाता. वैसे भी रीना चाह रही थी कि अब वह अपना घर संभाले, परिवार बढ़ाए. मगर उस का पति कुछ समय और इंतजार करना चाह रहा था. बस इसी वजह से रीना तनाव में रहने लगी थी.

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तनाव के कारण

– आजकल की दिनरात की दौड़धूप, औफिस जानेआने की चिंता, बच्चों की देखभाल, उन की पढ़ाई की चिंता, परिवार के खर्चे आदि कुछ ऐसे कारण हैं, जो पुरुषों से अधिक औरतों को परेशान करते हैं. इन के अलावा हारमोन का बैलेंस गड़बड़ाना (माहवारी से पहले और मेनोपौज के दौरान), मौसम में बदलाव आदि भी किसी महिला के जीवन में अवसाद का कारण बनते हैं.

– गर्भधारण के समय से ही महिलाओं के दिमाग में बेटा होगा या बेटी की चिंता घर करने लगती है. परिवार के बड़ेबुजुर्ग बारबार बेटाबेटा कह कर उन के तनाव को और बढ़ा देते हैं, जबकि यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि औलाद के बेटा या बेटी होने के लिए किसी भी महिला को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. फिर भी हमारे समाज में अनपढ़ ही नहीं पढ़ेलिखे लोग भी बेटी होने पर दोषी मां को ही ठहराते हैं.

– सच कहा जाए तो तनाव की शुरुआत बेटी के जन्म से ही हो जाती है और उस की उम्र के साथसाथ बढ़ती जाती है.

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– अच्छे पढ़ेलिखे होने के बावजूद मनपसंद नौकरी न मिलना, नौकरी मिल जाए तो समय पर तरक्की न मिलना, घरबाहर के कामों के बीच तालमेल न बैठा पाने के कारण पढ़ीलिखी युवतियां भी तनाव से घिरती चली जाती हैं.

– मनोवैज्ञानिकों के शोधों से पता चलता है कि किसी कंपीटिशन में नाकामयाब होने पर भी महिलाएं जल्दी निराशा के कारण तनाव से घिर जाती हैं.

– चिंता, परेशानी और दबाव से भी तनाव पैदा होता है. यह कोई रोग नहीं है. हालात से तालमेल न बैठा पाना, परिवार और दोस्तों से जरूरत पर मदद न मिल पाना, मेनोपौज में हारमोन बैलेंस गड़बड़ाना आदि किसी भी महिला के जीवन में तनाव का कारण बन सकते हैं. शराब या अन्य नशा, अपनी किसी बीमारी का सही तरीके से इलाज न कराना आदि भी तनाव के लिए जिम्मेदार हैं. कई बार महिलाओं में रिटायरमैंट के बाद भी ये हालात पैदा हो जाते हैं.

लक्षण

– याददाश्त कमजोर होना, उलटी की इच्छा होना, सांस लेने में परेशानी, भूख कम लगना, शारीरिक क्षमता का कम होना, काम में मन न लगना, सिरदर्द, ज्यादा पसीना आना, मुंह सूखना, बारबार पेशाब की इच्छा. इन लक्षणों की चपेट में आने वाले खुद को परिवार व समाज पर बोझ समझते हैं. वे कोशिश करने के बावजूद समस्या के हल तक नहीं पहुंच पाते और अपना विश्वास खो बैठते हैं और फिर धीरेधीरे निराशा की ओर बढ़ने लगते हैं.

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कैसे करें तनाव दूर

– जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब निराशा के साथ संघर्ष करना पड़ता है. जीवन की महानता इसी में है कि कठिनाइयों से लोहा लेते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए उत्साह से आगे बढ़ते चलें. काम इस तरह करें कि थकने के पहले ही आराम मिल जाए. उदास व थका रहना या दिखना व्यक्ति में तनाव या अपराध का भाव पैदा करता है.

– अच्छी नींद न आने से बहुत नुकसान होता है. गहरी नींद के लिए संगीत सुनना सहायक होता है. सोने से पहले पढ़ना भी अच्छी आदत है. इस से भी अच्छी नींद आती है.

– ज्यादा नाउम्मीदी हीनभावना को जन्म देती है. अपनी सोच पौजिटिव रखें. जो आप के पास नहीं है या जो आप के वश में नहीं है उस के लिए चिंता मत कीजिए. जो आप के पास है उसी में खुश रहें.

– खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी है. फलों व सब्जियों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है. मेनोपौज की स्टेज में महिला के शरीर में कैल्सियम की मात्रा कम हो जाती है, जिस से औस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए कैल्सियम और विटामिन डी अपनी डाइट में शामिल करना न भूलें. रोज व्यायाम करने की आदत बनाएं.

मैं देर रात औफिस से लौटता हूं,जब सोने जाता हूं तो नींद नहीं आती, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय नवयुवक हूं. नैशनल लौ यूनिवर्सिटी से लौ की डिग्री पूरी करने के बाद अब एक बड़ी लौ कंपनी में ऐसोसिएट के रूप में काम कर रहा हूं. अकसर देर रात तक काम करना होता है, जिस से मेरी स्लीप क्लौक बिगड़ गई है. बिस्तर में लेटने पर भी देर तक नींद नहीं आती. दिनभर की घटनाएं दिमाग में छाई रहती हैं. कृपया कुछ ऐसे व्यावहारिक उपाय बताएं जिन से कि मुझे फिर से पहले जैसी बढ़िया नींद आने लगे.

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जवाब

सच दुनिया में नींद जैसी प्यारी दूसरी कोई चीज नहीं. उस के आगोश में सिर रखने से मनमस्तिष्क ताजगी से भर उठता है, शरीर स्फूर्त हो जाता है और जब सुबह आंख खुलती है तो रंगों में नई उमंग अंगड़ाई ले रही होती है. वयस्क जीवन में 6 से 8 घंटे की नींद अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए जरूरी है.

आप की यह विवशता है कि आप को देर रात तक काम करना पड़ता है. अच्छी नींद के लिए ये उपाय आजमाना लाभकारी हो सकता है:

तनाव की दुनिया पीछे छोड़ आएं: नींद आने के लिए जरूरी है कि मन शांत हो. उस पर किसी चीज का बोझ न हो. दफ्तर से लौटने के बाद मौजमस्ती करें, मन को खुला छोड़ दें, ताकि दिन भर का तनाव दूर हो जाए.

मन में शांति के स्वर जगाएं:  सोने से पहले कुछ ऐसा करें कि भीतर सुखशांति के स्वर गूंजने लगें. चाहें तो कोई रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनें, कोई पुस्तक या पत्रिका पढ़ें और फिर जब पलकें भारी होने लगें तब सो जाएं.

टीवी और कंप्यूटर नींद के साथी नहीं: सोने से पहले देर रात तक टीवी देखना या कंप्यूटर पर काम करना नींद में बाधक बन सकता है. इन के तेज प्रकाश से मस्तिष्क का सर्किट जाग्रत अवस्था में चला जाता है. मीठी नींद पाने के लिए सोने से घंटा डेढ़ घंटा पहले इन्हें बंद कर दें.

हलका भोजन ही ठीक: सोने से पहले हलका भोजन लेने में ही अच्छाई है. पेट ऊपर तक भरा हो और शरीर उसे पचाने में लगा हो तो भला नींद कैसे आ सकती है.

चाय और कौफी से बचें: देर शाम में चाय और कौफी पीने से भी नींद भाग सकती है. इन में मिली कैफीन मस्तिष्क को आराम नहीं लेने देती.

स्नान करें: बिस्तर में जाने से 1 घंटा पहले स्नान करने से शरीर की सिंकाई हो जाती है और पेशियां रिलैक्स हो जाती हैं. यह थकान दूर करने का आसान उपाय है.

योगनिद्रा है तनावमुक्ति की उमदा दवा: सोने से पहले कुछ मिनट योगनिद्रा में बिताने से विशेष रूप से लाभकारी साबित हो सकते हैं. ऐसा करने से शरीर और मनमस्तिष्क शांत अवस्था में पहुंच जाते हैं और आसानी से नींद आ जाती है.

सोच रचनात्मक रखें. दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए भी जरूर निकालें. वजन पर कंट्रोल रखें. जहां तक हो सके सोने का समय तय कर लें. यह सब करने पर यकीनन आप फिर से पहले जैसी मीठी नींद का सुख पाने लगेंगे.

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जानें करौंदे की प्रोसेसिंग और ये 4 टेस्टी रेसिपीज

लेखक- डा. साधना

वत्स करौंदे में पाए जाने वाले पोषक तत्त्वों और गुणों के द्वारा इसे स्वास्थ्यवर्धक कहा जाता है, क्योंकि यह आयरन का प्रमुख स्रोत है. इस फल में सभी फलों से अधिक लौह तत्त्व पाए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर इस में कैल्शियम की भी प्रचुर मात्रा होती है. करौंदे में विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इस की मात्रा सेब, आम और केले से भी बहुत अधिक होती है. इस का फल खून की कमी के मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. करौंदा और भी कई रोगों के लिए फायदेमंद है. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है करौंदा कमजोर प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण कई प्रकार की बीमारियों और कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है.

करौंदे के औषधीय गुण प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मददगार होते हैं. करौंदा में पाए जाने वाले फाइटोकैमिकल्स में एंटीऔक्सीडैंट और एंटीमाइक्रोबौयल गुण पाए जाते हैं. इस के साथ ही साथ विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में होता है. ये गुण संक्रमण को रोकने की क्षमता के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी फायदेमंद होते हैं. इस के अलावा करौंदे की प्रोसैसिंग कर के अनेक तरह की लजीज चीजें भी बनाई जा सकती हैं. करौंदे की जैली जैली बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है: आवश्यक सामग्री मात्रा करौंदा : 1 किलोग्राम चीनी : 1 किलोग्राम साइट्रिक एसिड : 2 ग्राम बनाने की विधि करौंदे को पानी से साफ कर के गोलाई में पतलेपतले काट कर इस के वजन के बराबर पानी डाल कर उबालें. उबालते समय इस में साइट्रिक एसिड भी मिला दें. जब फल नरम पड़ जाएं, तो कपड़े द्वारा रस को छान लीजिए. रस में चीनी मिलाइए और अंतिम बिंदु तक पकाएं. अंतिम बिंदु की जानकारी के लिए आप एक कटोरी में पानी रखिए और उस में पके हुए पदार्थ की कुछ बूंदें डालें. अगर बूंद पानी में गलती नहीं है, तो समझ लें कि जैली तैयार हो गई है. गरम जैली को कभी भी कांच की बोतल में मत भरिए. जब जैली ठंडी हो जाए, तब उस को कांच की बोतल में भर कर किसी ठंडी जगह पर रखें. जेली बन कर तैयार हो जाएगी. करौंदे का मुरब्बा करौंदे का मुरब्बा बनाने के लिए पके हुए फल को पानी से साफ कर लें और उसे दोदो टुकड़ों में काट कर रखें.

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करौंदे को पानी में उबालें और उस में थोड़ा खाने का लाल रंग मिला दें. इस के बाद तकरीबन 2 ग्राम साइट्रिक एसिड को 1 लिटर पानी में घोल कर करौंदे के फल को फिर से उबालें. इन टुकड़ों के लिए तकरीबन एक किलोग्राम चीनी की आवश्यकता पड़ती है. सब से पहले आधा किलोग्राम चीनी को एक लिटर पानी में घोल लें. इस के बाद इस घोल में उबाल आने पर 2 ग्राम साइट्रिक एसिड डालें. इस तरह शरबत बन कर तैयार हो जाएगा. करौंदे को गरम शरबत में डाल कर रातभर के लिए छोड़ दें. दूसरे दिन करौंदे को निकाल कर आधी चीनी शरबत में मिला कर थोड़ा गरम करें और छान लें. फिर उस के बाद करौंदे को शरबत में डाल कर फिर से रातभर के लिए छोड़ दें. तीसरे दिन फिर करौंदे को निकाल कर शबरत को फिर से पका कर शहद की तरह गाढ़ा करें. उस के बाद ठंडा होने पर किसी साफ मर्तबान में मुरब्बे को डाल कर रख दें. मर्तबान का ढक्कन अच्छी तरह बंद कर किसी दूसरे स्थान में रख दें.

इस तरह करौंदे का मुरब्बा तैयार है.

करौंदे का अचार अचार बनाने के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है : सामग्री मात्रा करौंदा : 1 किलोग्राम लाल मिर्च पाउडर : 25 ग्राम सरसों पाउडर : 50 ग्राम नमक : 200 ग्राम हलदी : 10 ग्राम मेथी : 10 ग्राम सरसों का तेल : 300 मिलीलिटर अचार बनाने की विधि अचार बनाने के लिए करौंदे को साफ कर के पानी में सुखा लें और इस में नमक को मिला कर थोड़ी देर के लिए धूप में रख दें. इस में सभी मसाले अच्छी तरह से मिला दें और सरसों का तेल भी मिला दें. 4-5 दिन धूप में रखने के बाद अचार खाने के लिए तैयार हो जाता है. इस अचार को मर्तबान में भर कर किसी साफ स्थान पर रखें.

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करौंदे की चटनी करौंदे की चटनी बनाने के लिए निम्न आवश्यक सामग्री : सामग्री मात्रा करौंदा : 1 किलोग्राम चीनी : 500 ग्राम मिर्च पाउडर : 100 ग्राम अदरक : 10 ग्राम नमक : 50 ग्राम लहसुन : 10 ग्राम गरम मसाला : 20 ग्राम साइट्रिक एसिड : 2 मिलीलिटर चटनी बनाने की विधि करौंदे को पानी से साफ कर लें और छोटेछोटे टुकड़े में काट लें. इस में थोड़ा पानी डाल दें. चीनी और नमक को डाल कर पकाएं. अदरक व लहसुन को पीस लें. मलमल के कपड़े से इसे छानें और इसी में मिर्च, गरम मसाला को भी मिला कर पोटली बांध लें और पोटली भी चटनी में डाल दें समयसमय पर कलछी से दबा कर रस चटनी में मिला दें और चलाते रहें.

जब चटनी पक कर आधी हो जाए, तो इस में साइट्रिक एसिड मिला दें और थोड़ा गरम करें. तैयार चटनी को सूखे कांच के जार में रख लें और ठंडे स्थान पर रखें.  करौंदे में यह पोषक तत्त्व पाए जाते हैं पोषक तत्त्व मात्रा/100 ग्राम पानी 87.32 ग्राम कैलोरी 46 किलो कैलोरी प्रोटीन 0.46 ग्राम वसा 0.13 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 11.97 ग्राम फाइबर 3.6 ग्राम शुगर 4.27 ग्राम कैल्शियम 8 मिलीग्राम आयरन 0.23 मिलीग्राम मैगनीशियम 6 ग्राम फास्फोरस 11 मिलीग्राम पोटैशियम 80 मिलीग्राम

रीट परीक्षा में हाईटेक टेक्नोलॉजी वाले नकल माफिया

26सितंबर, 2021 की सुबह करीब 8 बजे की बात है. राजस्थान पुलिस का हैडकांस्टेबल यदुवीर
सिंह बेसब्री से बारबार अपने मोबाइल को देख रहा था. उसे अपने दोस्त कांस्टेबल देवेंद्र सिंह के फोन या वाट्सऐप मैसेज का इंतजार था.वह उस समय सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी में था. यदुवीर की पत्नी सीमा और देवेंद्र की पत्नी लक्ष्मी रीट (राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फौर टीचर) की परीक्षा दे रही थीं. इन दोनों का परीक्षा केंद्र गंगापुर सिटी में था. यदुवीर की देवेंद्र से पेपर के संबंध में पहले ही बात हो गई थी.

देवेंद्र ने पेपर के लिए पहले ही नकल माफियाओं से बात कर ली थी. इसलिए दोनों निश्चिंत थे. पेपर सुबह 10 बजे शुरू होना था. इसलिए यदुवीर के लिए एकएक मिनट काटना मुश्किल हो रहा था. दरअसल, उस दिन राजस्थान में रीट की परीक्षा थी. रीट यानी राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा. यह परीक्षा 2 अलगअलग स्तरों लेवल-1 और लेवल-2 प्राथमिक शिक्षक और उच्च प्राथमिक शिक्षक की भरती के लिए जाती है. रीट को पास करने वाले उम्मीदवार कक्षा 1-5 और कक्षा 6-8 में शिक्षकों के पद के लिए योग्य हो जाते हैं.

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राजस्थान में यह परीक्षा 4 साल बाद हो रही थी. इस बार लेवल-1 और लेवल-2 की 2 परीक्षाओं में 26 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी परीक्षा देने वाले थे. देश भर में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में इस से पहले इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी कभी भी नहीं बैठे थे. इसलिए यह परीक्षा देश की सब से बड़ी परीक्षा बन गई थी.

अभ्यर्थियों की तादाद ज्यादा होने से मारामारी भी बहुत ज्यादा थी. राज्य सरकार ने इतनी बड़ी परीक्षा के आयोजन की सारी जरूरी तैयारियां कर ली थीं. परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए मुफ्त सफर की सुविधा भी दी गई थी. रोडवेज बसें कम पड़ने पर सरकार ने निजी बसों को अधिग्रहण कर लिया था.
निजी बसों में परीक्षार्थी के साथ उस के परिवार के एक व्यक्ति को भी मुफ्त आनेजाने की सुविधा दी गई थी. परीक्षार्थियों के रहने और खानेपीने के लिए तमाम तरह के इंतजाम भी प्रशासन द्वारा किए गए थे.
अव्यवस्थाएं रोकने के लिए सभी जिलों में कलेक्टरों ने व्यापारियों से बात कर उन्हें बाजार बंद रखने के लिए रजामंद कर लिया था. यानी एक तरह से रीट परीक्षा का कर्फ्यू लग गया था.

इतना सब कुछ करने के बावजूद परीक्षा में नकल रोकना सब से बड़ी चुनौती बनी हुई थी. इस के लिए कई जिलों में कलेक्टरों ने इंटरनेट सेवाएं 26 सितंबर की सुबह 6 बजे से ही बंद करा दी थी. केवल ब्राडबैंड सेवाएं ही चालू थीं. इंटरनेट बंद होने से हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह ने अपना मोबाइल ब्राडबैंड से जोड़ लिया था. सुबह 8 बजकर 32 मिनट पर कांस्टेबल देवेंद्र ने यदुवीर के वाट्सऐप पर रीट का पेपर भेज दिया. पेपर के साथ ‘आंसर की’ भी थी. यदुवीर ने तुरंत अपनी पत्नी को वह पेपर और ‘आंसर की’ दिखाई और उसे सवालों के जवाब रटाने लगा.

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करीब एक घंटे तक जवाब रटाने के बाद यदुवीर ने अपनी पत्नी सीमा को रिश्तेदार के साथ परीक्षा केंद्र पर भेज दिया. सीमा सुबह साढ़े 9 बजे बाद परीक्षा केंद्र पर पहुंची, तो पुलिस वालों ने उसे अंदर प्रवेश देने से मना कर दिया, क्योंकि परीक्षार्थियों को 9 से साढ़े 9 बजे के बीच ही प्रवेश दिया जाना था.
सीमा ने अपने पति को फोन कर सारी बात बताई. परीक्षा केंद्र पर उस समय एसडीएम नरेंद्र मीणा और एक डिप्टी एसपी राजूलाल मौजूद थे.

यदुवीर सिंह सवाई माधोपुर शहर के एसपी नारायण तिवारी का रीडर था, इसलिए उस ने एसपी साहब को फोन कर मदद मांगी.तिवारी ने गंगापुर सिटी के परीक्षा केंद्र पर मौजूद एसडीएम और दूसरे डीएसपी को फोन किया. इस के बाद यदुवीर की पत्नी सीमा को पीछे के गेट से परीक्षा केंद्र में प्रवेश दे दिया गया.
इस बीच रीट परीक्षा में नकल रोकने के लिए पहले से ही सक्रिय एसओजी ने कई मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर ले रखा था. एसओजी को पेपर लीक होने का पता चल गया. इस के तुरंत बाद सवाई माधोपुर पुलिस को सूचना दी गई.

पुलिस ने हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह और उस की पत्नी सीमा, कांस्टेबल देवेंद्र सिंह और उस की पत्नी लक्ष्मी गुर्जर के अलावा आशीष मीणा, ऊषा मीणा, मनीषा मीणा और दिलखुश मीणा को गिरफ्तार कर लिया.इसी दिन बीकानेर में हाइटेक नकल का मामला सामने आया. इस में परीक्षार्थियों को ब्लूटूथ डिवाइस लगी चप्पलें दी गई थीं. ब्लूटूथ डिवाइस परीक्षार्थी के कान में लगे माइक्रो ईयरफोन से कनेक्ट थी.
ब्लूटूथ डिवाइस चिप से मोबाइल की सिम कनेक्ट थी. परीक्षा केंद्र में जाने से पहले मोबाइल फोन से ब्लूटूथ को कनेक्ट कर दिया गया.

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इस मामले में बीकानेर पुलिस की सूचना पर बीकानेर, अजमेर व सीकर से एकएक और प्रतापगढ़ जिले से 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन से नकल कराने वाली हाईटेक सामग्री बरामद की गई.
यह डिवाइस लगी चप्पलें बीकानेर के तुलसाराम ने करीब 25 परीक्षार्थियों को ये चप्पलें 6 लाख रुपए प्रति जोड़ी दी थीं. तुलसाराम पहले भी नकल कराने के मामले में पकड़ा जा चुका है. वह एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाता है.पूरे राजस्थान में रीट परीक्षा वाले दिन नकल के मामलों में 42 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन में सरकारी शिक्षक, कोचिंग संचालक भी शामिल रहे. कई पुलिस वालों की भी मिलीभगत सामने आई. राजसमंद में भाई और साले की जगह परीक्षा देने आए 2 तृतीय श्रेणी शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया.

जयपुर में 2 युवतियों सहित 3 लोगों को पकड़ा गया. इन में नागौर का एक सेकेंड ग्रेड शिक्षक सुरेश कुमार विश्नोई 15 लाख रुपए ले कर डमी परीक्षार्थी जालोर के मोहनलाल विश्नोई के स्थान पर परीक्षा देने आया था. इसी तरह जालोर की रहने वाली 2 युवतियों प्रमिला विश्नोई और अनन्या उर्फ झुम्मी जाट को गिरफ्तार किया गया. इस में परीक्षार्थी प्रमिला ने अपने प्रवेश पत्र पर अनन्या का फोटो लगाया था. 10 लाख रुपए में अनन्या ही प्रमिला की जगह परीक्षा देने वाली थी. इस से पहले ही दोनों को पकड़ लिया गया.
परीक्षा से एक दिन पहले यानी 25 सितंबर, 2021 को रीट में पास कराने का झांसा दे कर लाखों रुपए वसूलने वाले नकल माफिया के 16 लोगों को राजस्थान के 5 जिलों से गिरफ्तार किया गया. इन में अलवर में विद्युत निगम के एक जेईएन और शराब ठेकेदार को पकड़ा गया.

सीकर में हेयर कटिंग की दुकान करने वाले एक नाई और बीएसएफ जवान सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया.डूंगरपुर में एक सरकारी शिक्षक और उस के भतीजे तथा जोधपुर कोचिंग संस्थान संचालक सरकारी शिक्षक सहित 4 लोग और नागौर में नर्सिंग कालेज संचालक सहित 4 लोग गिरफ्तार किए गए.

इस से पहले 24 सितंबर को राजस्थान के 7 जिलों से 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन में दौसा जिले में डमी परीक्षार्थी बैठाने वाले गिरोह से जुड़े अजमेर में नियुक्त सेल्स टैक्स विभाग के एलडीसी सहित 4 लोगों को पकड़ा गया. इन से 2 कारें जब्त कर 5.60 लाख रुपए बरामद किए गए.सवाई माधोपुर में 15 लाख रुपए में पेपर मुहैया कराने का भरोसा दिलाने वाले नकल माफिया के मास्टरमाइंड देशराज को गिरफ्तार किया गया. उस ने 25 से ज्यादा परीक्षार्थियों से 4 करोड़ रुपए का सौदा कर रखा था. देशराज के मोबाइल से ही पुलिस को सवाई माधोपुर के हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह और कांस्टेबल देवेंद्र के नंबर मिले थे.

सीकर में 3 लोगों को पकड़ा गया. इन से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर अलवर जिले के बहरोड़ इलाके से एक युवक को गिरफ्तार कर 11 लाख रुपए बरामद किए थे.रीट परीक्षा में नकल के मामले सामने आने पर राज्य सरकार ने 28 सितंबर को बड़ी काररवाई करते हुए 9 जिलों में तैनात एक एसडीएम, 2 डीएसपी, एक जिला शिक्षा अधिकारी, 12 अध्यापकों और 3 पुलिसकर्मियों सहित 20 लोगों को निलंबित कर दिया. इन सब के खिलाफ पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है.

इन में सवाई माधोपुर जिले के वजीरपुर का एसडीएम नरेंद्र कुमार मीणा, सवाई माधोपुर सिटी डीएसपी नारायण तिवारी, सवाई माधोपुर के जिला शिक्षा अधिकारी राधेश्याम मीणा, सवाई माधोपुर में तैनात डीएसपी राजूलाल मीणा, हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह और कांस्टेबल देवेंद्र भी शामिल थे.इस से पहले 12 सितंबर को देश भर में नीट परीक्षा हुई थी. मैडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली इस प्रवेश परीक्षा में भी राजस्थान में नकल का बड़ा मामला सामने आया था.जयपुर में भांकरोटा के एक परीक्षा केंद्र से नकल गिरोह ने परीक्षा के दौरान ही पेपर का मोबाइल से फोटो खींच लिया. फिर सीकर से पेपर सौल्व करवा कर वापस वाट्सऐप पर मंगवा लिया और उस का प्रिंट निकाल कर एक परीक्षार्थी को मुहैया करा दिया.

पुलिस ने इस मामले में नीट परीक्षार्थी छात्रा सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया. इन से 10 लाख रुपए बरामद किए गए. नकल गिरोह ने इस छात्रा को पास कराने के लिए 35 लाख रुपए में सौदा किया था.
इस गिरोह में इंजीनियरिंग कालेज संचालक, निरीक्षक, ईमित्र संचालक और शिक्षक भी शामिल थे. यह गिरोह हरियाणा से भी पेपर हल कराता था.नीट परीक्षा में ही नकल कराने के मामले में पुलिस ने 6 मैडिकल स्टूडेंट सहित मास्टरमाइंड राजन राजगुरु और 2 अन्य को गिरफ्तार किया. इन में अजमेर में पकड़े गए 6 मैडिकल स्टूडेंट में 2 छात्राएं हैं. इन्होंने 25-25 लाख रुपए ले कर कमजोर अभ्यर्थियों की जगह डमी कैंडीडेट के रूप में परीक्षा दी थी.इन में आगरा की प्राची परमार देहरादून मैडिकल कालेज में थर्ड ईयर की छात्रा है. अलवर की प्रिया चौधरी भरतपुर मैडिकल कालेज में थर्ड ईयर की छात्रा है. जोधपुर का प्रद्युम्न सिंह देहरादून मैडिकल कालेज का फाइनल ईयर का छात्र है.

नागौर का रहने वाला प्रवीण मंडा बनारस मैडिकल कालेज में प्रथम वर्ष का छात्र है. अलवर के नीमराना का रहने वाला अंकित यादव बनारस मैडिकल कालेज का सेकेंड ईयर का छात्र है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड राजन राजगुरु है. वह 2010 में हुए राजस्थान प्री मैडिकल टेस्ट में सेकेंड टौपर था. बाद में वह सरकारी मैडिकल औफिसर बन गया. इस के बावजूद वह कोचिंग में बायो पढ़ाता था और बायो सर के नाम से विख्यात था. वह कोचिंग में ऐसे स्टूडेंट तलाशता था, जो अमीर घर से हों, लेकिन पढ़ने में फिसड्डी हों.
ऐसे स्टूडेंट्स को तलाश कर वह यूपी के खुर्शीद के जरिए विभिन्न मैडिकल कालेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की तलाश कराता था, जो पैसा ले कर डमी कैंडीडेट के रूप में नीट की परीक्षा दे सकें.

यह गिरोह मैडिकल स्टूडेंट के डमी परीक्षार्थी बनने के एवज में 20 से 30 लाख रुपए तक देता था.
नकल के ये मामले नए नहीं हैं. मार्च 2018 में राजस्थान में पुलिस कांस्टेबल भरती की परीक्षा हुई थी. उस समय 5390 पदों के लिए करीब 16 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे. प्रदेश के 10 जिलों जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर, बीकानेर, झुंझुनूं, कोटा, सीकर, गंगानगर व उदयपुर में 34 विभिन्न इंस्टीट्यूट में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. यह औनलाइन परीक्षा 45 दिन चलनी थी. परीक्षा शुरू होने के 4-5 दिन बाद ही नकल के ऐसेऐसे मामले सामने आए कि पुलिस अफसर भी हैरान रह गए. जयपुर के एक परीक्षा केंद्र से नकल गिरोह ने कंप्यूटर सिस्टम को रिमोट एक्सेस के जरिए हैक कर जयपुर से 300 किलोमीटर दूर हरियाणा के भिवानी शहर में औपरेट करते हुए पेपर हल करा दिए थे.

इस के अलावा अंगूठे के निशान की क्लोनिंग बनाने का चौंकाने वाला मामला भी सामने आया था. बदमाशों ने थंब प्रिंट का क्लोन बनाने का तरीका यूट्यूब से सीखा था. इस के लिए पहले गर्म मोम को किसी सतह पर डालते. फिर अभ्यर्थी के अंगूठे पर मछली का तेल लगा कर उस का मोम पर थंब इंप्रेशन लेते.इंप्रेशन आने पर मोम की परत पर फेविकोल की हल्की परत बिछाते. इस से इंप्रेशन फिक्स हो कर थंबप्रिंट का क्लोन बन जाता था.इस मामले में डाक्टर व इंजीनियर के अलावा कालेज संचालक, कंप्यूटर सेंटर संचालकों सहित करीब 3 दरजन लोग गिरफ्तार किए गए थे. ये लोग राजस्थान, हरियाणा, बिहार, दिल्ली आदि राज्यों के रहने वाले थे.

इतने सारे मुन्नाभाई पकड़े जाने और परीक्षा में भारी फरजीवाड़ा सामने आने के बाद यह औनलाइन परीक्षा बीच में ही रद कर दी गई.राजस्थान में कम से कम 25-30 नकल माफिया गिरोह सक्रिय हैं. इन गिरोह में अभ्यर्थी ढूंढने, पेपर हासिल करने, निरीक्षक और परीक्षा केंद्र संचालकों से सेटिंग करने और पेपर सौल्व करने वाले एक्सपर्ट तलाश करने के काम बंटे हुए हैं.जालोर का रहने वाला जगदीश विश्नोई अब तक नकल कराने के मामलों में 5 बार गिरफ्तार हो चुका है. वह पेपर लीक कराने में माहिर है. इस के गिरोह के सदस्य सरकारी नौकरियों में बड़े पदों पर हैं. यह सैकड़ों लोगों को परीक्षा में फरजीवाड़ा करवा कर सरकारी नौकरी दिलवा चुका है. ये लोग भी इस की मदद करते हैं.

नकल माफिया भूपेंद्र विश्नोई पहले लेक्चरर था. इस के बाद नकल कराने वाला गिरोह चलाने लगा. वह 2014 की राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा और लाइब्रेरियन परीक्षा का पेपर प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक करवा चुका है. रामधारी उर्फ बाबा परीक्षा केंद्र संचालकों और निरीक्षकों से संपर्क में रहता है. वह वाट्सऐप पर पेपर मंगवा कर एक्सपर्ट से सौल्व कराता है. फिर वापस वाट्सऐप पर ही निरीक्षक के जरिए अभ्यर्थी तक पहुंचाता है. नकल माफिया विकास कुमार का नाम 2018 की कांस्टेबल भरती में सामने आया था. वह विशेषज्ञों की मदद से अभ्यर्थी का कंप्यूटर रिमोट पर ले कर पेपर हल कराता है. भरतपुर के नरेश सिनसिनवार का गिरोह बायोमैट्रिक सिस्टम को धोखा देने के लिए थंबप्रिंट का क्लोन बनाता है.
राजस्थान में पेपर लीक मामले में एक जिला जज अजय शारदा को भी गिरफ्तार किया गया था. इस के अलावा सरकारी भर्तियां करने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग के तत्कालीन चेयरमैन हबीब खां के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. उन पर अपनी बेटी के लिए राजस्थान न्यायिक सेवा का पेपर लीक करने का आरोप था.

दरअसल, बढ़ती बेरोजगारी के कारण सरकारी नौकरियों में भरती की मारामारी बढ़ गई है. इसलिए यूपीएससी और एसएससी की परीक्षाओं को छोड़ कर दूसरी अधिकांश परीक्षाओं में नकल के मामले सामने आते रहते हैं. इस के लिए नकल माफिया पनप गया है. ये लोग मोटी रकम ले कर अभ्यर्थियों को पेपर मुहैया कराने, डमी कैंडीडेट बिठाने और पास कराने का वादा करते हैं. भ्रष्टाचार के इस जमाने में ये लोग अपने मंसूबों में कामयाब भी हो जाते हैं.

नकल के लिए ये गिरोह रोजाना नएनए तरीके खोजते हैं. इसलिए नकल के बहुत से मामले पकड़ में भी नहीं आते. दिल्ली के युसूफ मार्केट और टैगोर नगर सहित कई जगहों पर 7 हजार रुपए से ले कर 25 हजार रुपए तक में कई तरह की डिवाइस खुलेआम बिकती हैं. इन में जैमर प्रूफ बनियान, कान में लगाए जाने वाले माइक्रो ईयरफोन, शर्ट की कालर में लगने वाली डिवाइस आदि शामिल हैं. बहरहाल, नई तकनीकों के जमाने में नकल रोकना सरकारों और परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के लिए एक चुनौती बन गया है.
संजय दत्त अभिनीत फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस के बाद नकल के ऐसे हजारों मामले सामने आ चुके हैं. हरेक शिक्षित बेरोजगार की सरकारी नौकरी हासिल करने की इच्छा ने नकल माफियाओं की संख्या में वृद्धि की है. पूरे देश में अब यह अरबों रुपए का सालाना उद्योग बन गया है.

इस में कई गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में है. यह गिरोह आल इंडिया लेवल की परीक्षाओं में नकल कराने की गारंटी लेते हैं.कभी कोई नकल माफिया पकड़ा भी जाता है तो सरकारी कानूनों के लचीलेपन के कारण वह जल्दी ही छूट कर आ जाता है और फिर से उसी धंधे में लग जाता है. सैनिटरी नैपकिन में
छिपी थी ब्लूटूथ राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा में नकल कराने के लिए अब तक की सब से हाईटेक टैक्नोलोजी का प्रयोग किया गया. माफियाओं ने मोटी रकम ले कर युवतियों को सैनिटरी पैड के जरिए ब्लूटूथ डिवाइस उपलब्ध कराई गई तो वहीं युवकों को अंडरगारमेंट से ले कर चप्पलों तक में डिवाइस लगाई गई. इस के लिए डेढ़ करोड़ रुपए तक की राशि वसूली गई थी.

सरकार ने इस परीक्षा को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने की तैयारी पहले ही कर ली थी. इस के अलावा सरकार को भी नकल माफियाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिल चुकी थीं. जिस से पुलिस प्रशासन अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह सतर्क था. इसी आधार पर बीकानेर पुलिस ने ऐसी रिमोट डिवाइस बरामद की, जो पुरुषों और महिलाओं को अंडरगारमेंट में छिपाने के लिए दी थी.

परीक्षा में शामिल हुई युवतियों को इस डिवाइस को छिपाने के लिए विशेष तरह की सैनिटरी नैपकिन दी गई थी. वहीं पुरुषों के भी अंडरगारमेंट में यह डिवाइस फिट कर दी गई थी. इस डिवाइस को एक धागे के जरिए सेट कर दिया गया था.इस डिवाइस में किसी तरह का कोई स्विच नहीं था. इसे फोन काल के जरिए ही जोड़ा गया था. रिमोट से जुड़ा एक ब्लूटूथ माइक्रो इयरफोन अभ्यर्थी के कान में फिट कर दिया गया था.

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