औनलाइन बाजार से जहां ग्राहकों को फायदा पहुंच रहा है, वहीं छोटे व मध्यम वर्ग के व्यापारी काफी नुकसान में हैं. कई दुकानदारों के लिए तो अब दुकान का किराया और वर्कर्स की तनख्वाह तक निकालना मुश्किल हो रहा है. औनलाइन शौपिंग ने हमारे जीवन को बहुत सरल बना दिया है. रात के 12 बजे घर बैठे कोई चीज याद आ जाए तो उसे झट और्डर कर सकते हैं. हो सकता है थोड़ी देर में एक ड्रोन आ कर आप की मनपसंद चीज आप को पकड़ा जाए. कैसी सुविधाजनक है औनलाइन शौपिंग. न घंटों ट्रैफिक जाम में फंसने का डर, न मनपसंद सामान के लिए दुकानदुकान भटकने की पीड़ा, न घंटों लाइन में लग कर अपनी बारी आने पर ही पेमेंट करने का चक्कर और न भारीभरकम सामानों से भरे थैले लाद कर भागतेहांफते घर आना. रिकशाऔटो के खर्च की बचत अलग से.
समय की बचत, पैट्रोल की बचत यानी फायदा ही फायदा. पहले महिलाएं औनलाइन शौपिंग से घबराती थीं कि क्या पता कैसा सामान डब्बे में बंद हो कर आ जाए? पता नहीं डब्बा एक बार खोल लो और सामान पसंद न आए तो वह वापस हो न हो? पता नहीं जो सामान औनलाइन दिखा था वही आए या उस से घटिया क्वालिटी का आ जाए? ऐसे बहुतेरे सवाल महिलाओं को औनलाइन शौपिंग से दूर रखते थे. परंपरागत दुकानदारी के दौरान पसंद आने वाली चीज को छू कर देखना जो आनंद देता, वह आनंद औनलाइन शौपिंग में कैसे मिल सकता है? मगर कोरोनाकाल में जब लंबे समय के लिए स्थानीय बाजार बंद रहे, तब महिलाओं ने हिम्मत जुटा कर औनलाइन शौपिंग का औप्शन ट्राय किया और पाया कि इस में ज्यादा सहूलियत है. अब तो मध्यवर्गीय और उच्चवर्गीय महिलाएं अपनी अधिकतर खरीदारी औनलाइन ही करती हैं. घर की झाड़ू से ले कर एलईडी टीवी तक सब औनलाइन और्डर हो रहा है.
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