लेखक-मदन कोथुनियां

जो कहते थे कभी, नहीं जी सकते आप के बिना, वो इस समय किसी और के हो लिए. 2014 के पहले और बाद में मोदी की यही कहानी है. बात बस, इतनी है कि जनता ठगी गई है. ठगने वाले तब जनहितैषी भेष धर कर आए थे. ब्रिटेन में फ्लेमिंग नाम का एक किसान था. एक दिन वह अपने खेत में काम कर रहा था. तभी उस ने किसी के चीखने की आवाज सुनी. आवाज की दिशा में जाने से किसान ने देखा, एक बच्चा दलदल में धंस रहा है. आननफानन उस ने एक लंबी सी टहनी खोजी और उस के सहारे से बच्चे को दलदल से बाहर निकाला. दूसरे दिन किसान के घर के पास एक घोड़ागाड़ी आ कर रुकी. उस में से एक अमीर आदमी उतरा और बोला, ‘‘मैं उसी बच्चे का पिता हूं जिसे कल फ्लेमिंग ने बचाया था.

’’ अमीर व्यक्ति ने आगे कहा, ‘‘मैं इस एहसान को चुकाना चाहता हूं.’’ लेकिन फ्लेमिंग ने कुछ भी लेने से साफ मना कर दिया और कहा यह तो मेरा कर्तव्य था. इसी दौरान फ्लेमिंग का बेटा बाहर आया. उसे देखते ही अमीर व्यक्ति के मन में एक विचार आया. उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बेटे को अपने बेटे की तरह पालना चाहता हूं. उसे भी वह सारी सुखसुविधाएं और उच्च शिक्षा दी जाएगी जो मेरे बेटे के लिए होगी. ताकि भविष्य में वह एक बड़ा आदमी बन सके.’’ बच्चे के भविष्य की खातिर फ्लेमिंग भी मान गया. कुछ वर्षों बाद किसान फ्लेमिंग का बेटा लंदन के प्रतिष्ठित सैंट मेरी हौस्पिटल मैडिकल स्कूल से स्नातक हुआ और पूरी दुनिया ने उसे महान वैज्ञानिक, पेनिसिलिन के आविष्कारक ‘सर अलेक्जैंडर फ्लेमिंग’ के रूप में जाना. कहानी अभी बाकी है! भारत में एक रईस 2014 में फकीर बन कर आया. किसानों से कहा कि पहली ही कैबिनेट मीटिंग में पहली ही कलम से सारे किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कर दी जाएगी.

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