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जानें नवंबर महीने में खेती से जुड़े जरूरी काम

नवंबर माह में उत्तर भारत में सर्दियां शुरू हो जाती हैं. इस मौसम की खास फसलें गेहूं, आलू और सरसों मानी जाती?हैं. इन की बोआई से पहले खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और जांच के बाद ही उर्वरकों की मात्रा तय करें. खेत में सड़ी हुई गोबर या कंपोस्ट खाद डालें.

* अपने इलाके की आबोहवा के मुताबिक बोआई के लिए फसल की किस्मों का चुनाव करें. बीजों को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करने के बाद ही बोएं. बोआई सीड ड्रिल से करने पर बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अच्छी होती है.

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* बोआई अगर छिटकवां तरीके से करनी हो, तो अधिक बीज की जरूरत होती है. उर्वरकों के लिए प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करें. फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा व नाइट्रोजन की आधी मात्रा बोआई के समय खेत में डालें.

* गेहूं की तरह ही जौ की बोआई का काम 25 नवंबर तक पूरा कर लें. हालांकि पछेती फसल की बोआई 31 दिसंबर तक की जा सकती है. सिंचाई वाले इलाकों में 75 किलोग्राम व असिंचित खेतों में 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.

* तोरिया की फसल की फलियों में दाना भर रहा है और खेत में नमी की कमी है, तो फौरन सिंचाई करें. * सरसों की फसल से घने पौधे निकाल कर चारे में इस्तेमाल करें.

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* पौधे से पौधे की दूरी 15 सैंटीमीटर रखें. नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा बोआई के 25-30 दिन पहली सिंचाई पर छिटकवां तरीके से दें.

* झुलसा व सफेद गेरुई बीमारी की रोकथाम के लिए जिंक मैंगनीज कार्बामेंट 75 फीसदी वाली दवा की 2 किलोग्राम मात्रा को जरूरत के मुताबिक पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* आरा मक्खी या माहू कीट की रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों की सलाह से कीटनाशक का इस्तेमाल करें.

* अरहर की फसल की 75 फीसदी फलियां पक चुकी हैं, तो फसल की कटाई करें.

* आलू की फसल में सिंचाई की जरूरत पड़ रही है, तो सिंचाई करें. बोआई किए हुए 35-40 दिन पूरे हो गए हैं, तो खड़ी फसल में प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम यूरिया डालें. सिंचाई के बाद गूलों पर मिट्टी चढ़ाएं.

* साथ ही, अगर आप के इलाके में जंगली जानवरों का खतरा है, तो उस की रोकथाम भी करें.

* चने की बोआई का काम 15 नवंबर तक पूरा करें. बोआई के लिए अच्छी किस्मों जैसे पूसा-256, के-850, पंत जी-114, केडब्ल्यूआर-108, काबुली चने की पूसा-267 व एल-550 वगैरह का इस्तेमाल करें.

* बोआई से पहले बीज को राईजोबियम कल्चर व पीएसबी कल्चर से उपचारित कर लें. छोटे व मध्यम आकार के दाने वाली किस्मों की 60 से 80 किलोग्राम व बड़े दाने वाली किस्मों की 80 से 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के लिए इस्तेमाल करें.

* मटर, मसूर की बोआई अगर अभी तक नहीं की गई है, तो यह काम मध्य नवंबर तक निबटा लें. एक हेक्टेयर खेत में मटर का 80 से 125 किलोग्राम बीज व मसूर के लिए 30-40 किलोग्राम बीज बोएं.

* पिछले महीने बोई गई फसल में सिंचाई करें. निराईगुड़ाई कर के खरपतवारों को काबू में करें. फसल पर तना छेदक, पत्ती सुरंग कीट का हमला दिखाई दे, तो उस का भी खात्मा करें.

* आम के बागों को मिलीबग कीट से बचाने के लिए पेड़ों के तनों के चारों तरफ पौलीथिन की 30 सैंटीमीटर चौड़ी पट्टी बांध दें और इस के सिरों पर ग्रीस लगाएं. पेड़ के थालों व तनों पर फौलीडाल पाउडर का बुरकाव करें. बीमार टहनियों को काट कर जला दें.

* लहसुन की फसल में निराईगुड़ाई का काम करें. सब्जी के खेतों की निराईगुड़ाई करें, खरपतवार न पनपने दें. बीमारी व कीट का हमला दिखाई दे, तो तुरंत कृषि माहिरों से मिल कर कारगर दवा का इस्तेमाल करें.

* इस माह मौसम में काफी ठंडक हो जाती है. इस ठंडक से किसान खुद को और अपने पालतू पशुओं को बचाने के लिए जरूरी इंतजाम करें.

बेबी मसाज की सरल विधियों से रहेगा आप का बच्चा सेहतमंद

बच्चे के शरीर की मसाज यानी मालिश उस के लिए बेहद फायदेमंद होती है. मसाज जहां एक ओर बच्चे के विकास में मदद करती है, वहीं दूसरी ओर मां और बच्चे को भावनात्मक रूप से भी जोड़ती है.

अध्ययनों से पता चला है कि मसाज करने से बच्चा सहज हो जाता है, उस का रोना कम हो जाता है और वह चैन की नींद सोता है. इतना ही नहीं कब्ज और पेट दर्द की शिकायत भी मसाज से दूर हो जाती है. इस से बच्चे में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी पैदा होती है.

कब शुरू करें बेबी मसाज

1 महीने की उम्र से बच्चे की मालिश शुरू की जा सकती है. इस समय तक अंबिलिकल कौर्ड गिर जाती है, नाभि सूख चुकी होती है. जन्म की तुलना में त्वचा भी कुछ संवेदनशील हो जाती है. त्वचा में कसावट आने लगती है. इस उम्र में बच्चा स्पर्श के लिए बेहतर प्रतिक्रिया देता है.

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बौडी मसाज के फायदे

मसाज के कई प्राकृतिक फायदे हैं:

– बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास होता है.

– बच्चे की पेशियों को आराम मिलता है.

– बच्चा अच्छी और गहरी नींद सोता है.

– उस का नर्वस सिस्टम विकसित होता है.

– अगर बच्चा कमजोर है तो उस के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.

– सर्कुलेटरी सिस्टम का बेहतर विकास होता है.

कैसे करें मसाज

मसाज करते समय ध्यान रखें कि कमरे में गरमाहट हो, बच्चा शांत हो और आप भी रिलैक्स रहें. ऐसा मसाज औयल चुनें जो खासतौर पर बच्चों की मसाज के लिए बनाया गया हो.  बिना खुशबू वाले प्राकृतिक तेल का इस्तेमाल बेहतर होगा. जब बच्चा सो कर उठे या फिर नहाने के बाद उस की मसाज की जाए तो बेहतर होगा. 10 से 30 मिनट तक उस की मसाज कर सकती हैं.

सिर्फ मसाज करना ही काफी नहीं होता, बच्चे को मसाज तभी अच्छी लगेगी, जब इस का तरीका सही हो. जानिए, मसाज के तरीके को:

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पहला चरण

अनुमति लेना: अनुमति लेने का अर्थ है कि आप को बच्चे की मसाज तब नहीं करनी चाहिए जब वह न चाहे. जब उसे मसाज करवाना अच्छा लगे, तभी उस की मालिश करें. हथेली में थोड़ा तेल ले कर इसे बच्चे के पेट पर और कानों के पीछे रगड़ें. इस के बाद बच्चे का व्यवहार देखें. अगर वह रोता है या परेशान होता है, तो समझ जाएं कि यह मसाज करने का सही समय नहीं है. यदि आप महसूस कर रही हैं कि उसे मसाज अच्छी लग रही है, तो आप मसाज कर सकती हैं. शुरुआत में बच्चा मसाज से असहज महसूस करता है, लेकिन धीरेधीरे उसे मसाज में मजा आने लगता है.

दूसरा चरण

टांगों की मालिश करें: मसाज की शुरुआत बच्चे की टांगों से करें. हथेली पर तेल की कुछ बूंदें ले कर बच्चे के तलवों से शुरुआत करें. अपने अंगूठे की मदद से उस की एड़ी से उंगलियों की तरफ बढ़ें. धीरेधीरे अंगूठे को गोलगोल घुमाते हुए दोनों तलवों पर मसाज करें. पैरों की उंगलियों को न खींचें जैसे वयस्कों की मसाज में आमतौर पर किया जाता है. इस के बजाय हलके हाथों से मसाज करें.

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अब एक टांग को उठाएं और हलके हाथ से टखने से कूल्हे की ओर मालिश करें. अगर बच्चा रिलैक्स और शांत है तो दोनों टांगों की मसाज एकसाथ करें. इस के बाद दोनों हाथों से कूल्हों को हलकेहलके दबाएं जैसे आप टौवेल निचोड़ती हैं.

तीसरा चरण

हाथों और बाजुओं की मालिश: टांगों के बाद बाजुओं की मालिश उसी तरह करनी चाहिए जैसे आप ने टांगों की मसाज की. बच्चे के हाथ पकड़ें और हथेलियों पर गोलगोल घुमाते हुए मसाज करें. उंगलियों की भी भीतर से बाहर की ओर मसाज करें. इस के बाद कलाइयों को ऐसे रगड़ें जैसे चूडि़यां पहनाई जाती हैं.

इस के बाद हलके हाथ से बाजुओं के निचले हिस्से और फिर ऊपरी हिस्से पर मालिश करें. पूरी बाजू की मसाज उसी तरह करें जैसे आप टौवेल निचोड़ती हैं.

चौथा चरण

छाती और कंधों की मसाज: बाएं और दाएं कंधे से छाती की ओर हाथ चलाते हुए मालिश करें. आप हाथों को पीछे से कंधे की ओर भी ले जा सकती हैं. इस के बाद दोनों हाथों को छाती के बीच में रखें और बाहर की तरफ मसाज करें.

अब स्टर्नम के निचले हिस्से, छाती की हड्डी से बाहर की ओर मसाज करें. इस दौरान आप के स्ट्रोक ऐसे हों जैसे आप हार्ट की शेप बना रही हैं.

5वां चरण

पेट की मालिश: छाती के बाद पेट की मालिश करनी चाहिए. ध्यान रखें कि बच्चे के शरीर का यह हिस्सा बहुत नाजुक होता है, इसलिए आप को दबाव बहुत कम रखना चाहिए. पेट के ऊपरी हिस्से से शुरुआत करें. अपनी हथेली को छाती की हड्डी के नीचे रखें और पेट पर नाभि के चारों ओर गोलगोल घुमाते हुए मसाज करें. इस दौरान हाथों का दबाव बहुत हलका होना चाहिए.

घड़ी की सुई की दिशा में हाथों को गोलगोल घुमाएं (नाभि के चारों ओर) छोटे बच्चों की नाभि बहुत संवेदनशील होती है, क्योंकि हाल ही में उन की अंबिलिकल कौर्ड गिरी होती है, इसलिए इस हिस्से पर मालिश करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए.

छठा चरण

चेहरे और सिर की मालिश: छोटे बच्चों के चेहरे और सिर की मालिश करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि बच्चे बहुत ज्यादा हिलते हैं. अपनी उंगली को बच्चे के माथे के बीच में रखें और बाहर की ओर मालिश करें. इसी तरह ठुड्डी से ऊपर तथा बाहर की ओर उंगलियों को गोलगोल घुमाते हुए मालिश करें. इन स्ट्रोक्स को कई बार दोहराएं.

चेहरे के बाद सिर की मालिश ठीक उसी तरह करें जैसे शैंपू करते समय उंगलियों को घुमाती हैं. उंगलियों के छोरों से हलका दबाव डालें. बच्चे की खोपड़ी बहुत नाजुक होती है, इसलिए दबाव बहुत ज्यादा न हो.

7वां चरण

पीठ की मालिश: सब से अंत में पीठ की मालिश करें. बच्चे को पेट के बल लिटा दें. इस दौरान उस के हाथ आप की तरफ हों.

पीठ के ऊपरी हिस्से पर उंगलियां रखें और घड़ी की सुई की दिशा में हलके हाथों से घुमाते हुए नितंबों तक आएं. यह प्रक्रिया कम से कम 8 से 10 बार दोहराएं.

अपनी पहली 2 उंगलियों को रीढ़ की तरफ रख कर नितंबों तक आएं. इन स्ट्रोक्स को कई बार दोहराएं. उंगलियों को रीढ़ की हड्डी पर न रखें. इस के बजाय साइड में रख कर नीचे की तरफ मसाज करें.

कंधे की मसाज करने के लिए हाथों को कंधों पर गोलगोल घुमाएं. हलके हाथों से पीठ के निचले हिस्से और नितंबों की मालिश भी करें. इसी स्ट्रोक के साथ मसाज खत्म करें.

मसाज के बाद टिशू पेपर से बच्चे के शरीर से अतिरिक्त तेल पोंछ लें. मसाज के लिए एक समय रखें. इस से बच्चे की दिनचर्या बन जाएगी और वह मालिश के दौरान ज्यादा सहज रहेगा.

– डा. आशु साहनी, जेपी हौस्पिटल, नोएडा  

अपने जैसे लोग

प्रतिष्ठित रियल एस्टेट डेवलपर से ही खरीदें फ्लैट

लेखक- तरल शाह 

अब घर लेना हुआ पहले से आसान. घर या फ्लैट लेते समय बायर्स को चिंता रहती है कि कहीं पैसे फंस न जाएं या कोई प्रौब्लम न हो जाए तो क्या करेंगे. पर इन चिंताओं को दूर करने के लिए ‘रेडी टू मूव’ एक बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आया है. क्या है यह, आइए जानें. इन दिनों मार्केट फिर से गति पकड़ता दिखाई दे रहा है. ऐसे में घर खरीदने वाले ग्राहकों के लिए एक खुशखबरी है. अगर आप नया घर खरीदने जा रहे हो तो आप को यह जरूर पता होना चाहिए कि आज के मार्केट में अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट के मुकाबले प्रतिष्ठित रियल एस्टेट डैवलपर द्वारा निर्मित रेडी टू मूव फ्लैट बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं.

ऐसा इन कारणों से है : प्रतिष्ठित रियल एस्टेट डैवलपर द्वारा निर्मित रेडी टू मूव फ्लैट गुणवत्ता, सुरक्षा मानक, बेहतर लाइफस्टाइल, फैसिलिटीज ज्यादा प्रदान करते हैं. द्य प्रोजैक्ट में देर होने की संभावना नहीं. जब फ्लैट तैयार होता है तो यह डर खत्म हो जाता है और आप तुरंत नए आशियाने में शिफ्ट हो सकते हैं. अब आप को मार्केट की अस्थिरता, सरकार के नियम आदि से डरने की कोई आवश्यकता नहीं होती है.

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तुरंत इस्तेमाल की सुविधा. आप की प्रतीक्षा समाप्त हुई. आप तुरंत वहां रहने के लिए जा सकते हैं और अपने पुराने आवास की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. आप को फ्लैट रेडी होने के लिए प्रतीक्षा करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. आप को तुरंत ही इस की डिलीवरी मिलती है. द्य रैंट के साथ ईएमआई देने की आवश्यकता नहीं. जब आप तैयार फ्लैट में जाते हैं तो आप को पुराने रैंट की दिक्कत से छुटकारा मिलता है. रेडी फ्लैट के बजाय अगर आप अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट में जाते हैं तो आप को ईएमआई के साथ रैंट भी देना होता है और यह बड़ा सिरदर्द है.

– रेडी टू मूव फ्लैट में आप जो इस्तेमाल करते हैं, उसी के लिए पैसे देते हैं. आप को पहले परिणाम दिखाई देता है, फिर आप पे करते है. आज के रिजल्ट ओरिएंटेड सोच के लोगों के लिए यह बेहतर विकल्प है, इस में कोई आश्चर्य नहीं है. द्य जीएसटी से मुक्ति. आप की मेहनत से कमाया हुआ एक रुपया भी आप के लिए माने रखता है. ऐसे में आप के लिए राहत देने वाली बात यह है कि रेडी टू मूव फ्लैट पर जीएसटी लागू नहीं होता. इस से आप की लगभग 12 फीसदी तक की बचत होती है.

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– निवेश के लिए भी सही है. अगर किसी कारण से आप को फ्लैट रीसेल करने की इच्छा हुई, तो आप यह आसानी से कर सकते हैं. अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट में यह सुविधा नहीं होती है. रेडी टू मूव फ्लैट का रेट और अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट का रेट इन में ज्यादा फर्क अब नहीं है. इन कारणों से अगर आप अपने सपनों का आशियाना चुनने जा रहे हैं तो रेडी टू मूव फ्लैट आप के लिए बेहतर विकल्प हैं. ग्राहक आज अपने घरों को ले कर बेहद जागरूक हैं.

अच्छे डैवलपर से रेडी टू मूव फ्लैट में उन्हें कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं. जैसे, वहां उन के पड़ोसी कौन होंगे और लोकैलिटी क्या होगी, यह वे पहले ही जान सकते हैं. इस से एक तरह की सुरक्षा का भाव पैदा होता है. इस से ग्राहक यह महसूस करते हैं कि वे जहां शिफ्ट हो रहे हैं, वह वाकई में उन का ही आशियाना है और कोई अनजान जगह नहीं है. आज का जमाना सबकुछ इंस्टैंट करने का है और हमारे रेडी टू मूव फ्लैट में सब एक इंस्टैंट ही होता है.

Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin : सई को होगा विराट के प्यार का एहसास, पाखी होगी परेशान

स्टार प्लस के जाने माने सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में ‘  के कहानी में इन दिनों दिलचस्प मोड़ आने वाला है, विराट और सई अब धीरे धीरे एक- दूसरे के करीब आने वाले हैं. ऐसे में पाखी अब अपना नया खेल खेलना शुरू कर दिया है.

अब तक आपने देखा होगा कि निनाद और अश्विनी के शादी के सालगिरह में विराट और सई काफी ज्यादा मस्ती करते नजर आ रहे हैं. जैसे ही पाखी विराट और सई को साथ में देखती है वह चिढ़ जाती है. इसी बीच सीरियल में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है.

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सच जानने के बाद सई कहेगी कि वो सारी बातें पहले से जानती थी, सई कहेगी की विराट अब पाखी के सामने कभी नहीं जाएगी. क्योंकि वह अपने भाई से किए हुए वादें को नहीं तोड़ सकता है. खबर ये भी है कि वह जल्द ही चौहान हाउस पर राज करना शुरू कर देगी.

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जैसे ही भवानी को पाखी के बात का पता चलेगी वह यह फैसला लेगी अब सई और विराट को साथ में रहना होगा, भवानी कहेगी कि अब सई को जल्द से जल्द विराट के बच्चे की मां बनना होगा. विराट भी जल्द ही जल्द शूटआउट पर जाएगा, और सई उसके पीछे- पीछे चल देगी.

जैसे ही सई विराट से कुुछ वक्त के लिए दूर होगी, उसे एहसास होगा कि वह उसे कितना प्यार करती है. इसके अलावा इस सीरियल में यह भी सुनने को मिलेगा कि सई जल्द ही किडनैप भई होने वाली है.

Bigg Boss 15 : अफसाना खान ने राजीव अदातिया पर लगाया यह गंभीर आरोप, जानें पूरा मामला

बिग बॉस के घर में आएं दिन कुछ न कुछ नया ड्रामा देखने को मिलते रहता है, अब बीते हफ्ते अफसाना खान का घर से पत्ता साफ हो चुका है, घर में हंगामा मचाने के बाद मेकर्स ने अफसाना खान को बाहर का रास्ता दिखा दिया है,

इतना ही नहीं अफसाना खान ने घर में खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश की थी, इस दौरान अफसाना खान और स्मिता शेट्टी के बीच जमकर लड़ाई भी हुई थी, दरअसल, अफसाना खान वीआईपी जोन का टिफिन न मिलने से परेशान थी.

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नेशनल टीवी के सामने अफसाना खान ने आरोप लगाया था कि उन्हें अपने दोस्तों से धोखा मिला है, अफसाना खान घर के सभी सदस्यों के चैलेंज करती नजर आई थी. वहीं अफसाना खान ने स्मिता शेट्टी  को पागल करार दे दिया था.

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इसके साथ ही स्मिता शेट्टी के मुंहबोले भाई राजीव पर उन्होंने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. अफसाना खान का यह आरोप सुनकर परिवार के सभी लोग सन्न रह गए थें. लड़ाई के बीच राजीव आदितिया कहते हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ भी गलत नहीं किया है.

जब नेहा भसीन ने राजीव आदितिया का पक्ष लिया तो नेहा भसीन एकदम से भड़क गई, अफसाना ने धमकी दिया कि वह राजीव आदितिया को बर्बाद कर देंगी. यही नहीं राजीव आदितिया को उन्होंने जेल भेजने तक की धमकी दे डाली.

जब अफसाना खान ने खुद पर चाकू चलाने की कोशिश की तो घर के सभी सदस्यों ने उन्हें रोका, ऐसे में अफसाना खान ने बिग बॉस का घर छोड़ने से इंकार कर दिया. अफसाना खान की हरकतों ने कंटेस्टेंट के साथ- साथ मेकर्स के भी पसीना निकल दिया.

धर्म और सड़क

सडक़ों को घेर कर शुक्रवार की नमाज पढने को हिंदू-मुसलिम मामला बना कर बजरंग दल और भाजपाई शायद देश का भला कर रहे हैं. सडक़ों पर आज नमाज बंद हुई, तो पक्का है कि कल सडक़ों पर रामलीला जुलूस, नवरात्रों के जुलूस, अखंड जागरण, छोटेबड़े मंदिर, शादीब्याह के पंडाल भी बंद होने लगेंगे. अफसरों और अदालतों को हिंदू व मुसलिमों को बराबर का संवैधानिक सम्मान व अधिकार देने के लिए कांवड़यात्रा के लिए सैकड़ों मीलों की सडक़ों को बंद कर देने से पहले सोचना होगा.

धर्म का धंधा असल में सडक़ पर ही चमकता है क्योंकि यह दिखना चाहिए. अपने धर्म वालों को बारबार यह जताना जरूरी है कि देखो, कितने लोग धर्म की खातिर कामधाम छोड़ कर सडक़ पर जमे हुए हैं. अगर मंदिरों, मसजिदों, चर्चों में यही काम करा जाए तो किसे दिखेगा. हर त्योहार पर आयोजकों को जल्दी इसी बात की होती है कि कैसे सडक़ों, सडक़ों के किनारे की पटरियों, खुले मैदानों, बागों, बाजारों को हथियाया जाए ताकि दिखाया जाए कि धर्म के पिछलग्गू कम नहीं हो रहे और भेड़चाल में शामिल हो जाओ वरना भगवान के दरबार में दंड भुगतना होगा.

दिल्ली के पास गुडग़ांव में नमाज को सडक़ पर अदा करने का मामला ज्यादा सुर्ख़ियों में आ रहा है क्योंकि वहां का कोई भगवा दुकानकार भीड़ जमा करने में सफल हो रहा है. ऐसा पूरे देश में होता रहता है पर चर्चा वहीं के मीडिया तक रह जाती है. दोचार घंटे के लिए सड़क बंद कर देने को ले कर भगवाई हल्ला मचा रहे हैं पर वे भूल रहे हैं कि यह वार उलटा पड़ेगा.

धर्म के साथ मजा यही है कि धर्म के अंधे असल में दिमाग के ठंडे होते हैं. वे हांके जा सकते हैं, सोच नहीं सकते. नमाज सडक़ पर समूह बना कर क्यों पढ़ी जाए, अगर इस का कोई वैज्ञानिक व तार्किक कारण नहीं है तो इस का विरोध सिर्फ इसलिए किया जाए कि ट्रैफिक रुक रहा है, तो व्यावहारिक नहीं होगा क्योंकि सडक़ों को तो हर धर्म वाले बंद कराते हैं. यही नहीं, केबल डालने वाले, सडक़ की मरम्मत करने वाले, फ्लाईओवर बनाने वाले और टैंपरेरी बाजार लगाने वाले भी सड़क बंद करते हैं. जब शहर के लोग दूसरे मामलों में सडक़ों को बंद होने पर गाय की तरह दूसरी तरफ चल देते हैं तो नमाज या जागरण में क्यों नहीं जा सकते?

सडक़ें असल में शहरी जीवन की नसें है. कोई भी सडक़ बंद नहीं रहनी चाहिए चाहे कितनी जरूरी बात हो. सडक़ केवल तब बंद हो जब उस की मरम्मत हो रही हो या नई बन रही हो.सड़कें धार्मिक लड़ाई का मुद्दा बनेंगी तो शायद सडक़ों को घेर कर दुकानें लगाने वालों से भी घरेलू छुटकारा मिलेगा और सभी धर्मों के दुकानदारों के हवाहवाई धर्म बेचने से भी.

मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ इमोशनली अटैच नहीं हूं, क्या करूं?

सवाल

मेरे बौयफ्रैंड और मेरी रिलेशनशिप को एक साल से ज्यादा हो चुका है. फिर भी हम ने कभी साथ बैठ कर आम लोगों की तरह इमोशनल बातें नहीं की हैं. हम ने कभी एकदूसरे को गाने डेडिकेट नहीं किए हैं. कभी शांति से साथ बैठ कर एकदूसरे की आंखों में नहीं झांका है. हम फिजिकली तो कई बार क्लोज आए हैं लेकिन यह क्लोजनैस कोई माने नहीं रखती है. इतना करीब हो कर भी मैं मन से करीबी महसूस नहीं करती तो क्या फायदा है ऐसे प्यार का. लेकिन, उस से दूर होने की हिम्मत भी नहीं होती मेरी. क्या करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा.

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जवाब
आप की रिलेशनशिप अलग रही है और उस में इमोशंस एक्सप्रैस करने के तरीके भी अलग रहे हैं. आप अगर इमोशनली अटैच्ड नहीं हैं लेकिन होना चाहती हैं तो इस के लिए आप को अपने बौयफ्रैंड से बात करने की जरूरत है. अपनी रिलेशनशिप कंपेयर करते रहने से आप को कोई हल नहीं मिलेगा.

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आप अपने बौयफ्रैंड को बताइए कि आप क्या फील करती हैं और उस से क्या उम्मीदें रखती हैं. हो सकता है वह भी यही सब चाहता हो और आप से कह न पा रहा हो. अगर आप के बात करने के बावजूद कोई हल न निकले बात का या वह कहे कि उसे यह सब पसंद नहीं है या वह फिजिकल क्लोजनैस को ही रोमांस मानता है, तो फिर यह आप पर डिपैंड करता है कि आप इस रिलेशनशिप के साथ आगे बढ़ना चाहती हैं या नहीं. वह भी आप से उतना ही प्यार करता होगा जितना कि आप, तो वह कुछ एफर्ट्स करने की कोशिश तो जरूर करेगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

मैं सिर्फ बार्बी डौल नहीं हूं : भाग 3

परी बोली, ‘‘मनीष न जाने क्यों थकावट सी महसूस हो रही है. लगता है पीरियड्स शुरू होने वाले हैं.’’

जिया तब तक अपनी प्यारी भाभी के लिए एक गिलास जूस ले कर आ गई थी. परी का मन भीग गया और उस ने जिया को गले से लगा लिया. उसे लगा जैसे जिया के रूप में उस ने अपनी छोटी बहन को पा लिया हो.

शाम को मनीष के कहने पर परी जींस और कुरती पहन रही थी पर यह क्या जींस तो कमर में फिट ही नहीं हो रही थी. अभी 3 महीने पहले तक तो ठीक थी. झुंझला कर वह कुछ और निकालने लगी.

तभी मनीष बोला, ‘‘परी यह करवाचौथ टाइप की ड्रैस मत पहनो. जींस थोड़ी टाइट है तो क्या हुआ. पहन लो न.’’

परी ने मुश्किल से जींस पहन तो ली पर अपने शरीर पर आई अनावश्यक चरबी उस से छिपी न रही. वह जब तैयार हो कर बाहर निकली, तो मनीष मजाक में बोल ही पड़ा, ‘‘यार, तुम तो शादी के तुरंत बाद आंटी बन गई हो.’’

परी को यह सुन कर अच्छा नहीं लगा. तभी शकुंतला भी बाहर आ गईं और बोलीं, ‘‘परी खुद पर ध्यान दो और कल से ऐक्सरसाइज शुरू करो.’’

उस दिन परी फिल्म का आनंद न ले पाई. एक तो जरूरत से ज्यादा टाइट कपड़ों के कारण वह असहज महसूस कर रही थी, दूसरे बारबार परफैक्ट दिखने का प्रैशर उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था.

अपने शरीर में आए बदलावों से वह परेशान थी. ऐसे में उसे दुलार और प्यार की आवश्यकता थी. पर उस के नए घर में उसे ये सब नहीं मिल पा रहा था.

रात को उस ने मनीष को अपने करीब न आने दिया. मनीष रातभर उसे हौलेहौले दुलारता रहा. सुबह परी की बहुत देर से आंखें खुलीं. वह जल्दीजल्दी नहा कर जब बाहर निकली तो देखा, नाश्ता लग चुका था.

वह भी डाइनिंगटेबल पर बैठ गई. कवींद्र ने परी की तरफ देख कर चिंतित स्वर में कहा, ‘‘परी बेटा, यह क्या हो रहा तुम्हारे चेहरे पर?’’

एकाएक परी को याद आया कि वह आज मेकअप करना भूल गई.

शकुंतला भी बोलीं, ‘‘मनीष आज परी को डाक्टर के पास ले जाओ. चेहरे पर तिल के अलावा किसी भी तरह के निशान अच्छे नहीं लगते हैं.’’

मनीष भी परी को ध्यान से देख रहा था. परी को एकदम से ऐसा महसूस हुआ जैसे वह एक स्त्री नहीं एक वस्तु है.

शाम को जब मनीष और परी डाक्टर के पास गए, तो डाक्टर ने सबकुछ जानने के बाद दवाएं और क्रीम लिख दी.

1 महीना बीत गया पर दानों ने धीरेधीरे

परी के पूरे चेहरे को घेर लिया था. परी आईने

के सामने जाने से कतराने लगी. उस का आत्मविश्वास कम होने लगा था. वह सब से नजरें चुराने लगी थी. ऊपर से रातदिन शकुंतला की टोकाटाकी और मनीष का कुछ न बोल कर अपनी मां का समर्थन करना उसे जरा भी नहीं भाता था.

औफिस में भी लोग उसे देखते ही सब से पहले यही बोलते, ‘‘अरे, यह क्या हुआ तुम्हारे  चेहरे पर?’’

परी मन ही मन कह उठती, ‘‘शुक्रिया बताने का… आप न होते तो मुझे पता ही नहीं चलता…’’

परी के विवाह को 2 महीने बीत गए थे.

इस बीच घर, नए रिश्ते और औफिस की जिम्मेदारी के बीच बस वह एक ही बार अपने मायके जा पाई थी. परी का जब से विवाह हुआ था वह एक तनाव में जी रही थी. यह तनाव था हर समय खूबसूरत दिखने का, हर समय मुसकराते रहने का, हर किसी को खुश रखने का और इन सब के बीच परी कहीं खो सी गई थी. वह जितनी कोशिश करती कहीं न कहीं कमी

रह ही जाती.

इसी बीच एक सुबह उस ने अपनी ठोड़ी के आसपास काले बालों को देखा. बाल काफी सख्त भी थे. उस की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. नहाते हुए ऐसे ही बाल उस ने नाभि के आसपास भी देखे. वह घंटों बाथरूम में बैठी रही.

बाहर मनीष उस का इंतजार कर रहा था. जब आधा घंटा हो गया तो उस ने

दरवाजा खटखटाया. परी बाहर तो आ गई पर ऐसा लगा जैसे वह बहुत थकी हुई हो.

मनीष उसे इस हालत में देख कर घबरा उठा. बोला, ‘‘क्या हुआ परी? ठीक नहीं लग रही. क्या घर की याद आ रही है?’’

परी फफक उठी. वह अपने ऊपर रो रही थी. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था.

कवींद्रजी भी वहीं आ गए और मनीष

को डांटते हुए बोले, ‘‘नालायक, तुम ने ही कुछ किया होगा,’’ फिर परी से बोले, ‘‘बेटा, तुम इस की बात का बुरा मत मानो. मैं तुम्हें आज ही तुम्हारे मम्मीपापा के पास भेजने का इंतजाम

करता हूं.’’

अचानक से परी का मूड बदल गया. उसे लगा वहां वह खुल कर सांस ले पाएगी.

शाम को फ्लाइट में बैठते हुए उसे ऐसा लग रहा था मानो वह एकदम फूल की तरह हलकी हो गई है.

घर पहुंचते ही मम्मी ने उसे गले से लगा लिया. पापा भी उसे देखते ही खिल गए.

मम्मी ने रात के खाने में सबकुछ उस की पसंद का बनाया. परी का बुझाबुझा चेहरा उन से छिपा न रहा. रात को परी के कमरे में जा कर परी की मम्मी ने प्यार से पूछा, ‘‘परी क्या बात है, मनीष की याद आ रही है?’’

जवाब में परी फूटफूट कर रोने लगी और सारी बातें बता दीं.

कुछ देर रोने के बाद संयत हो कर परी बोली, ‘‘मम्मी, मैं अपने अंदर होने वाले बदलावों से परेशान हूं. मेरी ससुराल में हर वक्त सुंदर और परफैक्ट दिखने की तलवार लटकी रहती है. परेशान हो चुकी हूं मैं.’’

मम्मी उस के सिर पर तब तक प्यार से

हाथ फेरती रहीं जब तक वह गहरी नींद में सो न गई. अगले दिन तक परी काफी हद तक संभल गई थी.

मम्मी उस से बोलीं, ‘‘परी, मुझे पता है

तुम जिंदगी के बदलावों से परेशान हो, पर अगर समस्या है तो समाधान भी होगा. तुम चिंता मत करो हम आज ही किसी महिला विशेषज्ञा के पास चलेंगे.’’

डाक्टर ने सारी बातें बहुत ध्यान से सुनीं और फिर कुछ टैस्ट

लिखे. अगले दिन रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में पता चला परी को ओवरी की समस्या है, जिस में ओवरी के अंदर छोटेछोटे सिस्ट हो जाते हैं. डाक्टर ने रिपोर्ट देखने के बाद बताया कि परी को पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है, जो हारमोनल बदलाव की वजह से हो जाता है.

इस के प्रमुख लक्षण हैं- चेहरे पर अत्यधिक मुंहासे, माहवारी का अनियमित होना, शरीर और चेहरे के किसी भी भाग पर अनचाहे बाल होना बगैरा.

ये सब बातें सुनने के बाद परी को ध्यान आया कि पिछले कुछ महीनों से उसे माहवारी में भी बहुत अधिक स्राब हो रहा था. डिप्रैशन, वजन का बढ़ना और बिना किसी ठोस वजह के छोटीछोटी बातों पर रोना भी पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के दूसरे लक्षण हैं.

जब परी ने इस सिंड्रोम के बारे में गूगल पर सर्च किया तो उस ने देखा कि इस सिंड्रोम के कारण महिलाओं को मां बनने में भी समस्या हो जाती है. ये सब पढ़ कर वह चिंतित हो उठी. जब परी की मम्मी ने देखा कि परी 2 दिन से गुमसुम बैठी है तो उन्होंने मनीष को कौल किया और सारी बात बताई.

अगले दिन ही मनीष परी के घर आ गया. मनीष को देख कर परी फूटफूट कर रोने लगी और बोली, ‘‘मनीष, मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं.

मैं अब खूबसूरत नहीं हूं और शायद मां भी नहीं बन पाऊंगी.’’

मनीष बिना कुछ बोले प्यार से उस का सिर सहलाता रहा.

अगले दिन वह परी को साथ ले कर उसी डाक्टर के पास गया और डाक्टर के साथ बैठ कर ध्यानपूर्वक हर चीज को समझने की कोशिश की.

रात को खाने के समय मनीष ने परी के मम्मीपापा से कहा, ‘‘मैं बहुत शर्मिंदा हूं कि परी इस दौर से गुजर रही थी और मैं समझ नहीं पाया उलटे उस पर रातदिन एक खूबसूरत और जिम्मेदार बहू होने का दबाव डालता रहा.’’

‘‘कल मैं अपनी परी को ले कर जा रहा हूं पर इस वादे के साथ कि अगली बार वह हंसतीखिलखिलाती नजर आएगी.’’

रातभर परी मनीष से चिपकी रही और पूछती रही कि वह उस से बेजार तो नहीं हो जाएगा? पीसीओएस के कारण परी की त्वचा

के साथसाथ बाल भी खराब होते जा रहे थे.

उस का वजन भी पहले से अधिक हो गया था और 2 ही माह में वह अपने खोल में चली

गई थी.

मनीष ने परी के किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. अगले रोज घर पहुंच कर उस ने अपने मातापिता को भी बताया. शकुंतला जहां इस बात को सुन कर नाखुश लगीं, वहीं कवींद्र चिंतित थे. परी दुविधा में बैठी थी.

मनीष बोला, ‘‘परी, यह सच है तुम्हारी खूबसूरती के कारण ही मैं तुम्हारी तरफ आकर्षित हुआ था पर यह भी झूठ नहीं होगा कि प्यार मुझे तुम्हारी ईमानदारी और भोलेपन के कारण ही हुआ. तुम जैसी भी हो मेरी नजरों में तुम से अधिक खूबसूरत कोई नहीं है.

‘‘अगर कल को मैं किसी दुर्घटना के

कारण अपने हाथपैर खो बैठूं या कुरूप हो जाऊं तो क्या तुम्हारा प्यार मेरे लिए कम हो जाएगा?’’

परी की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. वह कितनी गलत थी मनीष को ले कर? वह क्यों अंदर ही अंदर घुटती रही.

मनीष परी को गले लगाते हुए बोला, ‘‘यह कोई बीमारी नहीं. थोड़ी सी मेहनत और ध्यान रखना पड़ेगा. तुम एकदम ठीक हो जाओगी.’’

परी यह सुन कर हलका महसूस कर रही थी.

5 महीने तक परी डाक्टर की देखरेख में रही, जीवनशैली में बदलाव कर और मनीष के हौसले ने उस में नई ऊर्जा भर दी थी. इस दौरान परी का वजन भी घट गया और त्वचा व बाल फिर से चमकने लगे.

शकुंतला की बातों पर परी अब अधिक ध्यान नहीं देती थी, क्योंकि

उसे पता था कि उस का और मनीष का रिश्ता दैहिक स्तर से परे है. संबल मिलते ही उस के हारमोंस धीरेधीरे सामान्य हो गए और 1 साल के बाद परी और मनीष के संसार में ऐंजेल आ गई.

परी ने मां बनने के बाद अब खुद का ब्लौग आरंभ कर दिया है. ‘मैं कौन हूं,’ जिस में वह अपने अनुभव तमाम उन महिलाओं के साथ साझा करती है, जो इस स्थिति से जूझ रही हैं. पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से जुड़ी हर छोटीबड़ी बात को परी इस ब्लौग में साझा करती है. चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल, ऐक्ने और वजन से परे भी एक महिला की पहचान है, यह परी के ब्लौग का उद्देश्य है. परी का यह ब्लौग ‘मैं कौन हूं’ तमाम उन महिलाओं को समर्पित है जिन का सौंदर्य शरीर और चेहरे तक सीमित नहीं है. उन की पहचान उन के विचारों और जुझारू किरदारों से है.

 

अंधविश्वास का बाजार

लेखक- देवेंद्रराज सुथार

जिस देश में अंधविश्वास जितना अधिक होता है वह देश तरक्की से उतना ही दूर भी होता है. भारत में अंधविश्वास की जड़ें अभी भी कायम हैं जो हमारी खोखली आधुनिकता दिखाने के लिए काफी हैं. यह विडंबना ही है कि निरंतर सौ फीसदी साक्षरता के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने वाले भारत में अब भी आंख मूंद कर अफवाहों पर यकीन करने का सिलसिला थम नहीं रहा है. दिक्कत यह है कि जब समाज के एक तबके या व्यक्ति के पास कोई अफवाह या ?ाठी बात पहुंचती है तो वह बिना किसी जांचपड़ताल किए ही उसे सच मान कर आगे बढ़ा देता है. नतीजा यह होता है कि इस के बाद लोग किसी भी ?ाठ को बिलकुल सच मान लेते हैं.

हाल ही में बिहार के सीतामढ़ी में किसी ने अफवाह फैला दी कि जितिया के त्योहार पर बेटों को एक खास ब्रैंड का बिस्कुट खिलाने से उन की उम्र बढ़ जाती है. अधिकांश लोगों ने इस पर भरोसा करना शुरू कर दिया तो देखते ही देखते बिस्कुट बिस्कुट न रह कर संजीवनी बूटी बन गया. सीतामढ़ी से निकली यह अफवाह मधुबनी, मुजफ्फरपुर और पता नहीं कहांकहां तक पहुंच गई. दुकान पर लोगों की भीड़ लगने लगी और रात के वक्त में लोगों ने दुकानें खुलवाईं और कहा, ‘पहले खास ब्रैंड का बिस्कुट दो, उम्र लंबी करनी है.’ यह पूरी कहानी जितिया के पर्व से शुरू हुई. इस पर्व में मां अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखद जीवन के लिए व्रत रखती है. किसी ने इस अफवाह को जितिया पर्व से जोड़ दिया. फिर जो हुआ वह विज्ञान को शर्मसार करने वाला है. इस से पहले मध्य प्रदेश में दमोह के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बनिया गांव में लोगों ने अच्छी बारिश की उम्मीद में छोटीछोटी बच्चियों को नग्न कर गांव में घुमाया था.

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दरअसल, लोगों ने धर्म की बातों को अपनी सहूलियत के हिसाब से तोड़ामरोड़ा है. यही कारण है कि कुछ लोग धर्म के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं और उस का दुरुपयोग कर रहे हैं. प्रकृति ने हमें बहुतकुछ दिया है और उन सब का अपनाअपना महत्त्व है. धर्म और ज्योतिष विज्ञान से जुड़े हुए हैं. जैसे विज्ञान में कई शोध अनुमान पर आधारित होते हैं, वैसे ही ज्योतिष में भी अनुमान लगाने का महत्त्व है. यह अलग बात है कि कुछ लोग इसे ले कर समाज को गुमराह करते हैं. इस पर काबू पाने के लिए लोगों को इस के बारे में शिक्षित करना जरूरी है, न कि भ्रम फैलाना. धर्म व आस्था के नाम पर किया जा रहा धंधा पूरी तरह गलत है. बाजार, जो सभी धार्मिक स्थलों के आसपास फैल रहा है, बाजारवाद फैला रहा है. धर्म के ठेकेदार डर दिखा कर लोगों को अपना सामान खरीदने के लिए मजबूर करते हैं.

यही कारण है कि समाज में अंधविश्वास फैल रहा है. अंधविश्वास बढ़ने के पीछे सब से बड़ा कारण शिक्षा की कमी है, लेकिन कई बार तंत्र विद्या पर विश्वास करने वाला शिक्षित वर्ग भी नजर आता है. हमारे समाज में एक अजीब विरोधाभास दिखाई दे रहा है. एक तरफ विज्ञान और टैक्नोलौजी की उपलब्धियों का तेजी से प्रसार हो रहा है तो दूसरी तरफ जनमानस में वैज्ञानिक नजरिए के बजाय अंधविश्वास, कट्टरपंथ, पोंगापंथ, रूढि़यां और परंपराएं तेजी से पांव पसार रही हैं. हमारे देश के कई लोगों तक ज्ञानविज्ञान की रोशनी व्यावहारिक रूप से अब तक नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में समाज के अधिकांश लोगों में वैज्ञानिक नजरिए का अभाव कोई आश्चर्य की बात नहीं. लेकिन जिन लोगों को ज्ञानविज्ञान की जानकारी, उस की उपलब्धियां हासिल हैं, वे वैज्ञानिक नजरिया अपनाते हों, तर्कशील हों, विवेकी हों यह जरूरी नहीं. विज्ञान के मौजूदा दौर में यदि वैज्ञानिक नजरिया लोगों की जिंदगी का चालक नहीं बन पाता तो इस के पीछे कई कारण हैं, अज्ञान के अलावा अज्ञात का भय, अनिश्चित भविष्य, समस्या का सही समाधान होते हुए भी लोगों की पहुंच से बाहर होना, समाज में कट जाने का भय, अज्ञान तथा वैज्ञानिक नजरिए का अभाव आदि. 15वीं शताब्दी में यूरोप के पुनर्जागरण काल के दौरान ज्ञानविज्ञान के नए विचारों का उदय होने लगा.

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गैलीलियो, कोपरनिकस और ब्रूनो जैसे कई वैज्ञानिकों ने धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाया और वैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से लोगों को बताया कि दुनिया और प्रकृति के बारे में धार्मिक मान्यताएं गलत हैं ऐसी कई मान्यताएं और अंधविश्वास हैं जिन में से कुछ का उल्लेख धर्म और उस के कारणों में भी मिलता है. लेकिन कई ऐसी मान्यताएं हैं जो लोक परंपरा और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं. भारतीय साहित्य और विज्ञान के बारे में मैकाले ने कहा कि भारतीय शास्त्र अंधविश्वासों और मूर्खतापूर्ण तथ्यों से भरे हुए हैं, जैसे कि गधे को छूने पर शरीर को कैसे पवित्र किया जाना चाहिए या बकरी को मारने के पाप के लिए वेद मंत्रों से प्रायश्चित्त करना चाहिए. मैकाले ने कहा था कि भारतीय लोग उसी तरह अंधविश्वास में लिप्त होते हैं जैसे एक मूर्ख व्यक्ति व्यंग्यात्मक कृत्यों में लिप्त होता है.

वैज्ञानिक विचारधारा के इस युग में भी अंधविश्वास में दबा देश, प्रगति में एक बड़ी बाधा है. अगर हमें गांव एवं शहर से अंधविश्वास, रूढि़वादी परंपराओं को हटाना है तो हमें वैज्ञानिक सोच वाले विषयों को स्कूलकालेज के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए. सरकारों को इस दिशा में कड़े कदम उठाने होंगे. तथाकथित सामाजिक दबाव, रूढि़वादी परंपरा और अंधविश्वास फैलाने वाली तमाम चीजों का कड़ा विरोध करते हुए हमें सामाजिक चेतना और वैज्ञानिक सोच विकसित करने की दिशा में काम करना होगा.

जो संगठन सामाजिक, धार्मिक बुराइयों के खिलाफ लड़ रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना होगा. यह सम?ा विकसित करनी होगी कि धर्म आस्था का प्रतीक है, इस में अंधविश्वास के लिए कोई जगह नहीं है. धर्म के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है. विज्ञान ने जो ज्ञान विकसित किया है वह न केवल हमें तंग रीतिरिवाजों के जाल से बाहर निकालता है, बल्कि हमारी सोच में रचनात्मक खुलापन भी लाता है. निसंदेह, जब तक शिक्षित लोग पहल नहीं करेंगे तब तक अंधविश्वास दूर नहीं होगा और अफवाहें इसी तरह हमें शर्मसार करती रहेंगी. इस के लिए जरूरी है कि सभी धर्मों के धर्मगुरु आगे आएं और अंधविश्वास पर प्रहार करें. साथ ही, बच्चों को कम उम्र से ही नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए, ताकि वे समाज को अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर सकें.

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