26सितंबर, 2021 की सुबह करीब 8 बजे की बात है. राजस्थान पुलिस का हैडकांस्टेबल यदुवीर
सिंह बेसब्री से बारबार अपने मोबाइल को देख रहा था. उसे अपने दोस्त कांस्टेबल देवेंद्र सिंह के फोन या वाट्सऐप मैसेज का इंतजार था.वह उस समय सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी में था. यदुवीर की पत्नी सीमा और देवेंद्र की पत्नी लक्ष्मी रीट (राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फौर टीचर) की परीक्षा दे रही थीं. इन दोनों का परीक्षा केंद्र गंगापुर सिटी में था. यदुवीर की देवेंद्र से पेपर के संबंध में पहले ही बात हो गई थी.

देवेंद्र ने पेपर के लिए पहले ही नकल माफियाओं से बात कर ली थी. इसलिए दोनों निश्चिंत थे. पेपर सुबह 10 बजे शुरू होना था. इसलिए यदुवीर के लिए एकएक मिनट काटना मुश्किल हो रहा था. दरअसल, उस दिन राजस्थान में रीट की परीक्षा थी. रीट यानी राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा. यह परीक्षा 2 अलगअलग स्तरों लेवल-1 और लेवल-2 प्राथमिक शिक्षक और उच्च प्राथमिक शिक्षक की भरती के लिए जाती है. रीट को पास करने वाले उम्मीदवार कक्षा 1-5 और कक्षा 6-8 में शिक्षकों के पद के लिए योग्य हो जाते हैं.

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राजस्थान में यह परीक्षा 4 साल बाद हो रही थी. इस बार लेवल-1 और लेवल-2 की 2 परीक्षाओं में 26 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी परीक्षा देने वाले थे. देश भर में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में इस से पहले इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी कभी भी नहीं बैठे थे. इसलिए यह परीक्षा देश की सब से बड़ी परीक्षा बन गई थी.

अभ्यर्थियों की तादाद ज्यादा होने से मारामारी भी बहुत ज्यादा थी. राज्य सरकार ने इतनी बड़ी परीक्षा के आयोजन की सारी जरूरी तैयारियां कर ली थीं. परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए मुफ्त सफर की सुविधा भी दी गई थी. रोडवेज बसें कम पड़ने पर सरकार ने निजी बसों को अधिग्रहण कर लिया था.
निजी बसों में परीक्षार्थी के साथ उस के परिवार के एक व्यक्ति को भी मुफ्त आनेजाने की सुविधा दी गई थी. परीक्षार्थियों के रहने और खानेपीने के लिए तमाम तरह के इंतजाम भी प्रशासन द्वारा किए गए थे.
अव्यवस्थाएं रोकने के लिए सभी जिलों में कलेक्टरों ने व्यापारियों से बात कर उन्हें बाजार बंद रखने के लिए रजामंद कर लिया था. यानी एक तरह से रीट परीक्षा का कर्फ्यू लग गया था.

इतना सब कुछ करने के बावजूद परीक्षा में नकल रोकना सब से बड़ी चुनौती बनी हुई थी. इस के लिए कई जिलों में कलेक्टरों ने इंटरनेट सेवाएं 26 सितंबर की सुबह 6 बजे से ही बंद करा दी थी. केवल ब्राडबैंड सेवाएं ही चालू थीं. इंटरनेट बंद होने से हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह ने अपना मोबाइल ब्राडबैंड से जोड़ लिया था. सुबह 8 बजकर 32 मिनट पर कांस्टेबल देवेंद्र ने यदुवीर के वाट्सऐप पर रीट का पेपर भेज दिया. पेपर के साथ ‘आंसर की’ भी थी. यदुवीर ने तुरंत अपनी पत्नी को वह पेपर और ‘आंसर की’ दिखाई और उसे सवालों के जवाब रटाने लगा.

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करीब एक घंटे तक जवाब रटाने के बाद यदुवीर ने अपनी पत्नी सीमा को रिश्तेदार के साथ परीक्षा केंद्र पर भेज दिया. सीमा सुबह साढ़े 9 बजे बाद परीक्षा केंद्र पर पहुंची, तो पुलिस वालों ने उसे अंदर प्रवेश देने से मना कर दिया, क्योंकि परीक्षार्थियों को 9 से साढ़े 9 बजे के बीच ही प्रवेश दिया जाना था.
सीमा ने अपने पति को फोन कर सारी बात बताई. परीक्षा केंद्र पर उस समय एसडीएम नरेंद्र मीणा और एक डिप्टी एसपी राजूलाल मौजूद थे.

यदुवीर सिंह सवाई माधोपुर शहर के एसपी नारायण तिवारी का रीडर था, इसलिए उस ने एसपी साहब को फोन कर मदद मांगी.तिवारी ने गंगापुर सिटी के परीक्षा केंद्र पर मौजूद एसडीएम और दूसरे डीएसपी को फोन किया. इस के बाद यदुवीर की पत्नी सीमा को पीछे के गेट से परीक्षा केंद्र में प्रवेश दे दिया गया.
इस बीच रीट परीक्षा में नकल रोकने के लिए पहले से ही सक्रिय एसओजी ने कई मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर ले रखा था. एसओजी को पेपर लीक होने का पता चल गया. इस के तुरंत बाद सवाई माधोपुर पुलिस को सूचना दी गई.

पुलिस ने हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह और उस की पत्नी सीमा, कांस्टेबल देवेंद्र सिंह और उस की पत्नी लक्ष्मी गुर्जर के अलावा आशीष मीणा, ऊषा मीणा, मनीषा मीणा और दिलखुश मीणा को गिरफ्तार कर लिया.इसी दिन बीकानेर में हाइटेक नकल का मामला सामने आया. इस में परीक्षार्थियों को ब्लूटूथ डिवाइस लगी चप्पलें दी गई थीं. ब्लूटूथ डिवाइस परीक्षार्थी के कान में लगे माइक्रो ईयरफोन से कनेक्ट थी.
ब्लूटूथ डिवाइस चिप से मोबाइल की सिम कनेक्ट थी. परीक्षा केंद्र में जाने से पहले मोबाइल फोन से ब्लूटूथ को कनेक्ट कर दिया गया.

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इस मामले में बीकानेर पुलिस की सूचना पर बीकानेर, अजमेर व सीकर से एकएक और प्रतापगढ़ जिले से 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन से नकल कराने वाली हाईटेक सामग्री बरामद की गई.
यह डिवाइस लगी चप्पलें बीकानेर के तुलसाराम ने करीब 25 परीक्षार्थियों को ये चप्पलें 6 लाख रुपए प्रति जोड़ी दी थीं. तुलसाराम पहले भी नकल कराने के मामले में पकड़ा जा चुका है. वह एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाता है.पूरे राजस्थान में रीट परीक्षा वाले दिन नकल के मामलों में 42 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन में सरकारी शिक्षक, कोचिंग संचालक भी शामिल रहे. कई पुलिस वालों की भी मिलीभगत सामने आई. राजसमंद में भाई और साले की जगह परीक्षा देने आए 2 तृतीय श्रेणी शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया.

जयपुर में 2 युवतियों सहित 3 लोगों को पकड़ा गया. इन में नागौर का एक सेकेंड ग्रेड शिक्षक सुरेश कुमार विश्नोई 15 लाख रुपए ले कर डमी परीक्षार्थी जालोर के मोहनलाल विश्नोई के स्थान पर परीक्षा देने आया था. इसी तरह जालोर की रहने वाली 2 युवतियों प्रमिला विश्नोई और अनन्या उर्फ झुम्मी जाट को गिरफ्तार किया गया. इस में परीक्षार्थी प्रमिला ने अपने प्रवेश पत्र पर अनन्या का फोटो लगाया था. 10 लाख रुपए में अनन्या ही प्रमिला की जगह परीक्षा देने वाली थी. इस से पहले ही दोनों को पकड़ लिया गया.
परीक्षा से एक दिन पहले यानी 25 सितंबर, 2021 को रीट में पास कराने का झांसा दे कर लाखों रुपए वसूलने वाले नकल माफिया के 16 लोगों को राजस्थान के 5 जिलों से गिरफ्तार किया गया. इन में अलवर में विद्युत निगम के एक जेईएन और शराब ठेकेदार को पकड़ा गया.

सीकर में हेयर कटिंग की दुकान करने वाले एक नाई और बीएसएफ जवान सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया.डूंगरपुर में एक सरकारी शिक्षक और उस के भतीजे तथा जोधपुर कोचिंग संस्थान संचालक सरकारी शिक्षक सहित 4 लोग और नागौर में नर्सिंग कालेज संचालक सहित 4 लोग गिरफ्तार किए गए.

इस से पहले 24 सितंबर को राजस्थान के 7 जिलों से 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन में दौसा जिले में डमी परीक्षार्थी बैठाने वाले गिरोह से जुड़े अजमेर में नियुक्त सेल्स टैक्स विभाग के एलडीसी सहित 4 लोगों को पकड़ा गया. इन से 2 कारें जब्त कर 5.60 लाख रुपए बरामद किए गए.सवाई माधोपुर में 15 लाख रुपए में पेपर मुहैया कराने का भरोसा दिलाने वाले नकल माफिया के मास्टरमाइंड देशराज को गिरफ्तार किया गया. उस ने 25 से ज्यादा परीक्षार्थियों से 4 करोड़ रुपए का सौदा कर रखा था. देशराज के मोबाइल से ही पुलिस को सवाई माधोपुर के हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह और कांस्टेबल देवेंद्र के नंबर मिले थे.

सीकर में 3 लोगों को पकड़ा गया. इन से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर अलवर जिले के बहरोड़ इलाके से एक युवक को गिरफ्तार कर 11 लाख रुपए बरामद किए थे.रीट परीक्षा में नकल के मामले सामने आने पर राज्य सरकार ने 28 सितंबर को बड़ी काररवाई करते हुए 9 जिलों में तैनात एक एसडीएम, 2 डीएसपी, एक जिला शिक्षा अधिकारी, 12 अध्यापकों और 3 पुलिसकर्मियों सहित 20 लोगों को निलंबित कर दिया. इन सब के खिलाफ पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है.

इन में सवाई माधोपुर जिले के वजीरपुर का एसडीएम नरेंद्र कुमार मीणा, सवाई माधोपुर सिटी डीएसपी नारायण तिवारी, सवाई माधोपुर के जिला शिक्षा अधिकारी राधेश्याम मीणा, सवाई माधोपुर में तैनात डीएसपी राजूलाल मीणा, हैडकांस्टेबल यदुवीर सिंह और कांस्टेबल देवेंद्र भी शामिल थे.इस से पहले 12 सितंबर को देश भर में नीट परीक्षा हुई थी. मैडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली इस प्रवेश परीक्षा में भी राजस्थान में नकल का बड़ा मामला सामने आया था.जयपुर में भांकरोटा के एक परीक्षा केंद्र से नकल गिरोह ने परीक्षा के दौरान ही पेपर का मोबाइल से फोटो खींच लिया. फिर सीकर से पेपर सौल्व करवा कर वापस वाट्सऐप पर मंगवा लिया और उस का प्रिंट निकाल कर एक परीक्षार्थी को मुहैया करा दिया.

पुलिस ने इस मामले में नीट परीक्षार्थी छात्रा सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया. इन से 10 लाख रुपए बरामद किए गए. नकल गिरोह ने इस छात्रा को पास कराने के लिए 35 लाख रुपए में सौदा किया था.
इस गिरोह में इंजीनियरिंग कालेज संचालक, निरीक्षक, ईमित्र संचालक और शिक्षक भी शामिल थे. यह गिरोह हरियाणा से भी पेपर हल कराता था.नीट परीक्षा में ही नकल कराने के मामले में पुलिस ने 6 मैडिकल स्टूडेंट सहित मास्टरमाइंड राजन राजगुरु और 2 अन्य को गिरफ्तार किया. इन में अजमेर में पकड़े गए 6 मैडिकल स्टूडेंट में 2 छात्राएं हैं. इन्होंने 25-25 लाख रुपए ले कर कमजोर अभ्यर्थियों की जगह डमी कैंडीडेट के रूप में परीक्षा दी थी.इन में आगरा की प्राची परमार देहरादून मैडिकल कालेज में थर्ड ईयर की छात्रा है. अलवर की प्रिया चौधरी भरतपुर मैडिकल कालेज में थर्ड ईयर की छात्रा है. जोधपुर का प्रद्युम्न सिंह देहरादून मैडिकल कालेज का फाइनल ईयर का छात्र है.

नागौर का रहने वाला प्रवीण मंडा बनारस मैडिकल कालेज में प्रथम वर्ष का छात्र है. अलवर के नीमराना का रहने वाला अंकित यादव बनारस मैडिकल कालेज का सेकेंड ईयर का छात्र है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड राजन राजगुरु है. वह 2010 में हुए राजस्थान प्री मैडिकल टेस्ट में सेकेंड टौपर था. बाद में वह सरकारी मैडिकल औफिसर बन गया. इस के बावजूद वह कोचिंग में बायो पढ़ाता था और बायो सर के नाम से विख्यात था. वह कोचिंग में ऐसे स्टूडेंट तलाशता था, जो अमीर घर से हों, लेकिन पढ़ने में फिसड्डी हों.
ऐसे स्टूडेंट्स को तलाश कर वह यूपी के खुर्शीद के जरिए विभिन्न मैडिकल कालेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की तलाश कराता था, जो पैसा ले कर डमी कैंडीडेट के रूप में नीट की परीक्षा दे सकें.

यह गिरोह मैडिकल स्टूडेंट के डमी परीक्षार्थी बनने के एवज में 20 से 30 लाख रुपए तक देता था.
नकल के ये मामले नए नहीं हैं. मार्च 2018 में राजस्थान में पुलिस कांस्टेबल भरती की परीक्षा हुई थी. उस समय 5390 पदों के लिए करीब 16 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे. प्रदेश के 10 जिलों जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर, बीकानेर, झुंझुनूं, कोटा, सीकर, गंगानगर व उदयपुर में 34 विभिन्न इंस्टीट्यूट में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. यह औनलाइन परीक्षा 45 दिन चलनी थी. परीक्षा शुरू होने के 4-5 दिन बाद ही नकल के ऐसेऐसे मामले सामने आए कि पुलिस अफसर भी हैरान रह गए. जयपुर के एक परीक्षा केंद्र से नकल गिरोह ने कंप्यूटर सिस्टम को रिमोट एक्सेस के जरिए हैक कर जयपुर से 300 किलोमीटर दूर हरियाणा के भिवानी शहर में औपरेट करते हुए पेपर हल करा दिए थे.

इस के अलावा अंगूठे के निशान की क्लोनिंग बनाने का चौंकाने वाला मामला भी सामने आया था. बदमाशों ने थंब प्रिंट का क्लोन बनाने का तरीका यूट्यूब से सीखा था. इस के लिए पहले गर्म मोम को किसी सतह पर डालते. फिर अभ्यर्थी के अंगूठे पर मछली का तेल लगा कर उस का मोम पर थंब इंप्रेशन लेते.इंप्रेशन आने पर मोम की परत पर फेविकोल की हल्की परत बिछाते. इस से इंप्रेशन फिक्स हो कर थंबप्रिंट का क्लोन बन जाता था.इस मामले में डाक्टर व इंजीनियर के अलावा कालेज संचालक, कंप्यूटर सेंटर संचालकों सहित करीब 3 दरजन लोग गिरफ्तार किए गए थे. ये लोग राजस्थान, हरियाणा, बिहार, दिल्ली आदि राज्यों के रहने वाले थे.

इतने सारे मुन्नाभाई पकड़े जाने और परीक्षा में भारी फरजीवाड़ा सामने आने के बाद यह औनलाइन परीक्षा बीच में ही रद कर दी गई.राजस्थान में कम से कम 25-30 नकल माफिया गिरोह सक्रिय हैं. इन गिरोह में अभ्यर्थी ढूंढने, पेपर हासिल करने, निरीक्षक और परीक्षा केंद्र संचालकों से सेटिंग करने और पेपर सौल्व करने वाले एक्सपर्ट तलाश करने के काम बंटे हुए हैं.जालोर का रहने वाला जगदीश विश्नोई अब तक नकल कराने के मामलों में 5 बार गिरफ्तार हो चुका है. वह पेपर लीक कराने में माहिर है. इस के गिरोह के सदस्य सरकारी नौकरियों में बड़े पदों पर हैं. यह सैकड़ों लोगों को परीक्षा में फरजीवाड़ा करवा कर सरकारी नौकरी दिलवा चुका है. ये लोग भी इस की मदद करते हैं.

नकल माफिया भूपेंद्र विश्नोई पहले लेक्चरर था. इस के बाद नकल कराने वाला गिरोह चलाने लगा. वह 2014 की राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा और लाइब्रेरियन परीक्षा का पेपर प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक करवा चुका है. रामधारी उर्फ बाबा परीक्षा केंद्र संचालकों और निरीक्षकों से संपर्क में रहता है. वह वाट्सऐप पर पेपर मंगवा कर एक्सपर्ट से सौल्व कराता है. फिर वापस वाट्सऐप पर ही निरीक्षक के जरिए अभ्यर्थी तक पहुंचाता है. नकल माफिया विकास कुमार का नाम 2018 की कांस्टेबल भरती में सामने आया था. वह विशेषज्ञों की मदद से अभ्यर्थी का कंप्यूटर रिमोट पर ले कर पेपर हल कराता है. भरतपुर के नरेश सिनसिनवार का गिरोह बायोमैट्रिक सिस्टम को धोखा देने के लिए थंबप्रिंट का क्लोन बनाता है.
राजस्थान में पेपर लीक मामले में एक जिला जज अजय शारदा को भी गिरफ्तार किया गया था. इस के अलावा सरकारी भर्तियां करने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग के तत्कालीन चेयरमैन हबीब खां के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. उन पर अपनी बेटी के लिए राजस्थान न्यायिक सेवा का पेपर लीक करने का आरोप था.

दरअसल, बढ़ती बेरोजगारी के कारण सरकारी नौकरियों में भरती की मारामारी बढ़ गई है. इसलिए यूपीएससी और एसएससी की परीक्षाओं को छोड़ कर दूसरी अधिकांश परीक्षाओं में नकल के मामले सामने आते रहते हैं. इस के लिए नकल माफिया पनप गया है. ये लोग मोटी रकम ले कर अभ्यर्थियों को पेपर मुहैया कराने, डमी कैंडीडेट बिठाने और पास कराने का वादा करते हैं. भ्रष्टाचार के इस जमाने में ये लोग अपने मंसूबों में कामयाब भी हो जाते हैं.

नकल के लिए ये गिरोह रोजाना नएनए तरीके खोजते हैं. इसलिए नकल के बहुत से मामले पकड़ में भी नहीं आते. दिल्ली के युसूफ मार्केट और टैगोर नगर सहित कई जगहों पर 7 हजार रुपए से ले कर 25 हजार रुपए तक में कई तरह की डिवाइस खुलेआम बिकती हैं. इन में जैमर प्रूफ बनियान, कान में लगाए जाने वाले माइक्रो ईयरफोन, शर्ट की कालर में लगने वाली डिवाइस आदि शामिल हैं. बहरहाल, नई तकनीकों के जमाने में नकल रोकना सरकारों और परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के लिए एक चुनौती बन गया है.
संजय दत्त अभिनीत फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस के बाद नकल के ऐसे हजारों मामले सामने आ चुके हैं. हरेक शिक्षित बेरोजगार की सरकारी नौकरी हासिल करने की इच्छा ने नकल माफियाओं की संख्या में वृद्धि की है. पूरे देश में अब यह अरबों रुपए का सालाना उद्योग बन गया है.

इस में कई गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में है. यह गिरोह आल इंडिया लेवल की परीक्षाओं में नकल कराने की गारंटी लेते हैं.कभी कोई नकल माफिया पकड़ा भी जाता है तो सरकारी कानूनों के लचीलेपन के कारण वह जल्दी ही छूट कर आ जाता है और फिर से उसी धंधे में लग जाता है. सैनिटरी नैपकिन में
छिपी थी ब्लूटूथ राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा में नकल कराने के लिए अब तक की सब से हाईटेक टैक्नोलोजी का प्रयोग किया गया. माफियाओं ने मोटी रकम ले कर युवतियों को सैनिटरी पैड के जरिए ब्लूटूथ डिवाइस उपलब्ध कराई गई तो वहीं युवकों को अंडरगारमेंट से ले कर चप्पलों तक में डिवाइस लगाई गई. इस के लिए डेढ़ करोड़ रुपए तक की राशि वसूली गई थी.

सरकार ने इस परीक्षा को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने की तैयारी पहले ही कर ली थी. इस के अलावा सरकार को भी नकल माफियाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिल चुकी थीं. जिस से पुलिस प्रशासन अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह सतर्क था. इसी आधार पर बीकानेर पुलिस ने ऐसी रिमोट डिवाइस बरामद की, जो पुरुषों और महिलाओं को अंडरगारमेंट में छिपाने के लिए दी थी.

परीक्षा में शामिल हुई युवतियों को इस डिवाइस को छिपाने के लिए विशेष तरह की सैनिटरी नैपकिन दी गई थी. वहीं पुरुषों के भी अंडरगारमेंट में यह डिवाइस फिट कर दी गई थी. इस डिवाइस को एक धागे के जरिए सेट कर दिया गया था.इस डिवाइस में किसी तरह का कोई स्विच नहीं था. इसे फोन काल के जरिए ही जोड़ा गया था. रिमोट से जुड़ा एक ब्लूटूथ माइक्रो इयरफोन अभ्यर्थी के कान में फिट कर दिया गया था.

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