सडक़ों को घेर कर शुक्रवार की नमाज पढने को हिंदू-मुसलिम मामला बना कर बजरंग दल और भाजपाई शायद देश का भला कर रहे हैं. सडक़ों पर आज नमाज बंद हुई, तो पक्का है कि कल सडक़ों पर रामलीला जुलूस, नवरात्रों के जुलूस, अखंड जागरण, छोटेबड़े मंदिर, शादीब्याह के पंडाल भी बंद होने लगेंगे. अफसरों और अदालतों को हिंदू व मुसलिमों को बराबर का संवैधानिक सम्मान व अधिकार देने के लिए कांवड़यात्रा के लिए सैकड़ों मीलों की सडक़ों को बंद कर देने से पहले सोचना होगा.

धर्म का धंधा असल में सडक़ पर ही चमकता है क्योंकि यह दिखना चाहिए. अपने धर्म वालों को बारबार यह जताना जरूरी है कि देखो, कितने लोग धर्म की खातिर कामधाम छोड़ कर सडक़ पर जमे हुए हैं. अगर मंदिरों, मसजिदों, चर्चों में यही काम करा जाए तो किसे दिखेगा. हर त्योहार पर आयोजकों को जल्दी इसी बात की होती है कि कैसे सडक़ों, सडक़ों के किनारे की पटरियों, खुले मैदानों, बागों, बाजारों को हथियाया जाए ताकि दिखाया जाए कि धर्म के पिछलग्गू कम नहीं हो रहे और भेड़चाल में शामिल हो जाओ वरना भगवान के दरबार में दंड भुगतना होगा.

दिल्ली के पास गुडग़ांव में नमाज को सडक़ पर अदा करने का मामला ज्यादा सुर्ख़ियों में आ रहा है क्योंकि वहां का कोई भगवा दुकानकार भीड़ जमा करने में सफल हो रहा है. ऐसा पूरे देश में होता रहता है पर चर्चा वहीं के मीडिया तक रह जाती है. दोचार घंटे के लिए सड़क बंद कर देने को ले कर भगवाई हल्ला मचा रहे हैं पर वे भूल रहे हैं कि यह वार उलटा पड़ेगा.

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