लेखक- देवेंद्रराज सुथार

जिस देश में अंधविश्वास जितना अधिक होता है वह देश तरक्की से उतना ही दूर भी होता है. भारत में अंधविश्वास की जड़ें अभी भी कायम हैं जो हमारी खोखली आधुनिकता दिखाने के लिए काफी हैं. यह विडंबना ही है कि निरंतर सौ फीसदी साक्षरता के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने वाले भारत में अब भी आंख मूंद कर अफवाहों पर यकीन करने का सिलसिला थम नहीं रहा है. दिक्कत यह है कि जब समाज के एक तबके या व्यक्ति के पास कोई अफवाह या ?ाठी बात पहुंचती है तो वह बिना किसी जांचपड़ताल किए ही उसे सच मान कर आगे बढ़ा देता है. नतीजा यह होता है कि इस के बाद लोग किसी भी ?ाठ को बिलकुल सच मान लेते हैं.

हाल ही में बिहार के सीतामढ़ी में किसी ने अफवाह फैला दी कि जितिया के त्योहार पर बेटों को एक खास ब्रैंड का बिस्कुट खिलाने से उन की उम्र बढ़ जाती है. अधिकांश लोगों ने इस पर भरोसा करना शुरू कर दिया तो देखते ही देखते बिस्कुट बिस्कुट न रह कर संजीवनी बूटी बन गया. सीतामढ़ी से निकली यह अफवाह मधुबनी, मुजफ्फरपुर और पता नहीं कहांकहां तक पहुंच गई. दुकान पर लोगों की भीड़ लगने लगी और रात के वक्त में लोगों ने दुकानें खुलवाईं और कहा, ‘पहले खास ब्रैंड का बिस्कुट दो, उम्र लंबी करनी है.’ यह पूरी कहानी जितिया के पर्व से शुरू हुई. इस पर्व में मां अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखद जीवन के लिए व्रत रखती है. किसी ने इस अफवाह को जितिया पर्व से जोड़ दिया. फिर जो हुआ वह विज्ञान को शर्मसार करने वाला है. इस से पहले मध्य प्रदेश में दमोह के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बनिया गांव में लोगों ने अच्छी बारिश की उम्मीद में छोटीछोटी बच्चियों को नग्न कर गांव में घुमाया था.

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