Download App

बर्फ : एक दिलचस्प इतिहास

गरमी के मौसम में ठंडीठंडी बर्फ सभी को प्यारी लगती है. बर्फ की बदौलत ही लस्सी, शीतलपेय, आइसक्रीम का स्वाद ठंडाठंडा और मजेदार हो जाता है. आज के दौर में तो फ्रिज की बदौलत घरघर में बर्फ मिल जाती है. एक समय ऐसा भी था जब गरमी के दिनों में बर्फ की बड़ी कद्र की जाती थी. उसे सोने की तरह कीमती समझा जाता था.

हमारे देश में कृत्रिम बर्फ की सिल्लियों का आगमन आज से 180 साल पहले हुआ था. 23 मार्च, 1830 को जब बर्फ की सिल्लियों की पेटियां कोलकाता बंदरगाह पर उतरीं तो इन का गरमजोशी से स्वागत हुआ. कई लोगों ने बर्फ आगमन की खुशी में घरघर दीप जला कर खुशियां मनाईं, एकदूसरे को इत्र लगा कर और जगहजगह मिठाइयां बांटी.

पहली बार आगमन

दरअसल, लोगों ने पहली बार कृत्रिम बर्फ को देखा था. वे बर्फ देख कर हैरान थे और एकदूसरे से पूछने लगे थे, “क्या यह बर्फ सातसमंदर पार के पेड़ों पर उगती है? यदि पेड़ों पर उगती है तो इस के बीज हमें भी अपने खेतों में बोने चाहिए.”

उस समय के कुछ बांगला, इंग्लिश व हिंदी के समाचारपत्रों ने बर्फ पर अपने संपादकीय भी लिखे थे. एक समाचारपत्र ने तो अपने बौक्स कौलम में यह भी छाप दिया, ‘बर्फ कुछ शरमा कर कन्याओं के स्वागत से पानीपानी हो गया.’

लार्ड विलियम वैटिक, जो उन दिनों भारत के गवर्नर जनरल थे, ने बर्फ रखने के लिए जमीन के अंदर स्पैशल कुएं खुदवाए ताकि बर्फ अधिक दिनों तक टिकी रहे. उन दिनों आयात की सब से बड़ी वस्तु बर्फ ही थी.

कोलकाता से जो पोत लद कर वापस अमेरिका गए उन में बोस्टन से बर्फ लाने वाले 46 पोत थे. फ्रैडरिक ट्यूडर का बर्फ का निर्यात उन दिनों इतना बढ़ गया था कि वे न्यू इंगलैंड के बर्फ सम्राट के रूप में मशहूर हो गए थे. 1855 में उस ने कोलकाता को 266 हजार टन बर्फ भेजी थी. यह बर्फ कैंब्रिज (अमेरिका) के फ्रैशपौंड नामक ताल में तैयार की जाती थी. पहले सिल्लियां यहां हाथ से बनाई जाती थीं. बाद में यह काम ऊर्जा से चलने वाले आइस कटर से लिया जाने लगा.

धन कमाने का जरिया

उन दिनों अखबारों में अमेरिकी बर्फ की तारीफ के पुल बंधे रहते थे. अमेरिका से बर्फ का आयात लार्ड विलियम बैटिंग के प्रमुख कारनामों में गिना जाता था. उस समय कई बुद्धिमान लोगों ने बर्फ से धन कमाने का एक तरीका भी खोजा था. उन्होंने लकड़ी के ऐसे हाउस बनाए जहां काले अक्षरों में ‘आओ, बर्फ को नजदीक से देखो, बर्फ देखने की कीमत आधा सेर चावल या आधा सेर चीनी’ लिखा होता था।

कई लोग बर्फ देखने के लिए इन हाउसों में चावल और चीनी ले कर आने लगे और हाथों से बर्फ को छूने भी लगे. लोग बर्फ को छू कर अपनेआप को धन्य समझते.

कुछ मनोरंजक तथ्य

उन दिनों लोग बर्फ का कितना मानसम्मान करते थे. इस सिलसिले के मनोरंजक तथ्य निम्र हैं :

• प्रेमी अपनी रूठी हुई प्रेमिका को मनाने के लिए बर्फ का टुकड़ा मखमल के रूमाल में लपेट कर दिया करता था ताकि प्रेमिका गुस्सा थूक कर बर्फ को बड़े प्यार से चूम सके. बाद में ‘किस’ की हुई इसी बर्फ को प्रेमी चूमता था. कहते हैं, उन दिनों प्रेम करने वाली लड़कियां बर्फ देख कर बहुत खुश हुआ करती थीं.

• अमीर लोग अपने शाहीभोज में बर्फ के टुकड़े भी शामिल करते थे. पत्तलों में पूड़ीसब्जी, मिठाइयों के साथसाथ बर्फ के टुकड़े भी परोसे जाते थे. बर्फ की चोरी करने वाले को 24 घंटे तक भूखेप्यासे ही जेल में रखा जाता था. छोङने पर उस से बर्फ की चोरी न करने का वचन लिया जाता था. उन दिनों कोलकाता के कई होटलों में बर्फ इतनी संभाल कर रखी जाती थी कि मानो वह सोना हो.

• कई होटलों में खाने की मेजें बर्फ के नन्हे टुकड़ों से चमकती थीं. मक्खन के प्यालों में भी बर्फ के टुकड़े तैरते थे. हां, पानीभरे कटोरे ऐसे लगते थे मानो वे छोटेछोटे आर्कटिक सागर हों और उन में ‘आइसबर्ग’ तैर रहे हों.
लोग जब बर्फ खरीद कर लाते थे तो कई लोग उन के घर बधाई देने आ जाया करते और कहा करते कि जरा, बर्फ की एक झलक हमें भी दिखा दो.

कमाल की चीज है पैट थेरेपी

आज थेरेपी का जमाना है. आजकल अनेक थेरेपियां पारंपरिक उपचारों की मुख्य धारा में आ मिली हैं. ये थेरेपियां सफलतापूर्वक रोगमुक्ति में सहायक सिद्ध हो रही हैं. इन में से एक है ‘पैट थेरेपी’ या पालतू जानवरों जैसे – खरगोश, कछुआ, तोता, गिलहरी वगैरह का एक ऐसा म्यूजियम बनाया गया है जहां से बच्चे कुछ निश्चित दिनों के लिए अपने मनपसंद जानवरों को अपने घर ले जाते हैं. उन से खेल कर, उन की देखभाल कर के, नन्हे बच्चे बहुत खुश होते हैं और यही खुशी उन के शारीरिक व मानसिक विकास को बढ़ावा देती है.

छोटे पालतूम जानवरों से सानिध्य से बीमार लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराने की योजना वर्ष 1790 में इंगलैंड के सेनेटोरियम में शुरू की गई थी. आज स्थिति यह है कि वैज्ञानिकों को इस थ्योरी के ठोस प्रमाण लगातार मिल रहे हैं कि पालतू जानवरों के साथ खेलकूद व स्नेह के कारण हृदयगति सामान्य होती है. मौन रहने वाले लोग बातचीत करने लगते हैं, शैतान व सदैव अशांत रहने वाले बच्चे शांत हो जाते हैं.
4 साल की उम्र का एक बच्चा असामान्य था. वह चुपचाप घंटों बैठा रहता. उसे अपने आसपास बिखरे खिलौनों में जरा भी रूचि न थी. उस के परेशान मातापिता उसे ‘पैट थेरेपिस्ट’ के पास ले गए. थेरेपिस्ट अपने पालतू कुत्ते को क्लीनिक में ले आया. कुत्ते को देख कर हमेशा चुप रहने वाला अचानक बोला ‘टौमीटौमी.’ उस दिन के बाद से वह बच्चा न केवल कुत्ते के साथसाथ थेरेपिस्ट से भी खुल गया. लगभग 10 महीने के बाद वह सामान्य बच्चों की तरह बोलने, हंसने व खेलने लगा.

शायद इस के पीछे जानवरों का निश्चल प्यार ही होता है जो मनुष्यों को सहज बनाने में मदद करता है. जानवर न तो आप को जवाब देते हैं, न आप से झगड़ते हैं, न ही आप की आलोचना करते हैं और न ही आप पर रौब जमाते हैं. उन के यही सब गुण आप को अपरिमित आनंद देते हैं. अगर आप में से कुछ लोगों ने पालतू जानवर पाल रखेे हैं तो आप को निश्चित रूप से उन के सानिध्य में शारीरिक और मानसिक सुख अवश्य मिलता होगा और भौतिक जगत में अकेला होने पर भी आपको अकेलेपन का एहसास नहीं होता होगा.

कई बुजुर्ग दंपति, जिन के बच्चे उन के पास नहीं रहते, एक न एक पालतू जानवर पाल कर उसी की देखभाल में अपनी दिनचर्या समॢपत किए रहते हैं. बहुत सी फिल्मी हस्तियां रफी, बफी, सिल्की, शैडी, पैची वगैरह कुत्तों के साथ या किट्टू, परी, फरी, चिट्टी इत्यादि बिल्लियों के साथ मजे में पूरी ङ्क्षजदगी बिताती हैं. उन के दिनरात बीतते हैं. पालतू जनवरों की सूची में चिरपरिचित कुत्तों, बिल्लियों, तोतों, घोड़ों या खरगोशों के साथ ही साथ बड़े विकट अजीबोगरीब किस्म के जानवर जैसे – अजगर, मगरमच्छ, बिच्छू या रीछ भी होते हैं. हालांकि अब कई पर प्रतिबंध है.

विदेशों में ‘पैट थेरेपी’ पर काफ किया जा रहा है. इस के तहत जो तथ्य सामने आए हैं, वे यही स्पष्ट करते हैं कि पालतू जानवर आक्रामक मनोवृत्ति के इंसान को भी पालतू यानी आनाक्रामक बनाने में सहायक होते हैं. इस के अतिरिक्त मानसिक रूप से परेशान बच्चे या भावनात्मक स्तर पर तनाव झेलते बच्चे, जानवरों के संग साथ में, अपना दुख भूल कर उन के साथ सहज कर हंसतेखेलते हैं. राकुमार सिद्धार्थ के रूप में भाई के बाग से आहत हंस की सेवा सुश्रवा कर के गौतम बुद्ध ने बालकाल में ही शांति और अङ्क्षहसा का संकेत दे दिया था. दलदल में फंसी बग्घी के थके घोड़ों को सहारा दे कर बाहर निकालने वाले अमेरिका के महान राष्ट्रपति अब्राहम ङ्क्षलकन का भी यही संदेश था कि पशु हमारे मित्र हो सकते हैं. इन के निस्वार्थ स्नेह का हमें आदर सम्मानकरना चाहिए.

डाक्टरों के अनुसार पशु न केवल मनोवैज्ञानिक लाभ देते हैं. बल्कि इन के सानिध्य में हृदयगति भी असामान्य से सामान्य होती पाई गई है. कहते कि पालतू जानवर पालने वाले हृदयरोगी दूसरों की अपेक्षा अधिक दिन जीवित रहते हैं. यह भी देखा गया है कि जिन के घरों में पशुपक्षी होते हैं और जो उन्हें सच्चा स्नेह देते हैं, वे कम बीमार पड़ते हैं. निश्चित रूप से आने वाली सदी में पालतू जानवरों का सानिध्य रोगियों के लिए एक सस्ता उपचार साबित होगा. हमारा पाठकों से अनुरोध है कि वे अपने बच्चों को एक छोटा जानवर पालने से न रोकें. विकास की प्रक्रिया में पशुपक्षी का यह प्रेम निश्चित रूप से उन्हें मदद करेगा. जो बच्चे जानवर पालते हैं, वे उन की देखभाल कर के शुरू से ही दूसरों की जिम्मेवारी उठाने का पाठ सहज ही सीख जाते हैं. जो स्नेही एवं उदार होते हैं, वे ही जानवर पाल सकते हैं. अपने प्रिय जानवर को समय पर पूरा खाना देना, उसे नहलाना, साफ करना, उस के रहने की तथा खाने के बतरनों की सफाई, उस के स्वास्थ्य की ङ्क्षचता करना, उसे प्रतिदिन टहलाना, उस से बातें करना व खेलना. यही सभी क्रियाकलाप बच्चे को अनुशासित व जवाबदेह बनाते हैं.

कामकाज से थक कर लौटने पर, घर में घुसते ही अपने पालतू पशुपक्षी का हर्षोन्माद, उस की आंखों से प्यार से भरा स्वागत और निश्चल प्रेम पा कर थकान काफूर हो जाती है. भारत का अवसाद पल भर में दूर हो जाता है. वह भी साल के 365 दिन ऐसा आप के अपने बच्चे या घर के अन्य सदस्य भी नहीं कर सकते.

टमाटर की वजह से नाराज हुई बीवी तो पति पहुंचा थाने, हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा

सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन यह सोलह आने सच है कि एक तरफ जहां टमाटर की महंगाई ने सब की जेब टाइट कर रखी है, वहीं एमपी के शहडोल में टमाटर के लिए नाराज हो कर बीवी घर छोड़ कर चली गई.

कह सकते हैं कि टमाटर ने पतिपत्नी के बीच दीवार खड़ी कर दी है. पति ने सब्जी में महंगा टमाटर डाला तो बीवी को गुस्सा आ गया. गुस्साई बीवी पति का घर छोड़ कर चली गई.

दरअसल, संजू टिफिन सर्विस का काम करते हैं. उन्होंने सब्जी में टमाटर डाला तो बीवी नाराज हो गई. संजू अपनी बीवी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुंचे तब जा कर मामले का खुलासा हुआ.

टमाटर ने पहुंचाया थाना

टमाटर के बढ़ते दामों ने लोगों की रसोई का बजट तो बिगड़ ही दिया है, लेकिन यह महंगे टमाटर अब लोगों के पारिवारिक जीवन पर भी असर डाल रहा है. लोग टमाटर खरीदने से पहले 100 क्या 200 बार सोच रहे हैं.

लगातार बढ़ती टमाटर की कीमतों से न सिर्फ आम लोग प्रभावित हैं, बल्कि लोगों के पारिवारिक जीवन पर भी इस का सीधा असर हुआ है.

शहडोल जिले के धनपुरी थाना क्षेत्र के ग्राम बेमहौरि के रहने वाले संजीव कुमार वर्मा के पारिवारिक जीवन में टमाटर के चलते सीधा असर देखने को मिला. दरअसल, सब्जी में संजीव ने महंगा टमाटर डाल दिया, जोकि उन की बीवी को इतना नागवार गुजरा की वह नाराज हो कर अपने पति का घर छोड़ कर चली गई, जिस से अब उन के पति इस बात की शपथ ले रहे हैं कि वे कभी भी टमाटर का उपयोग नहीं करेंगे.

गुस्से से घर छोङ दी बीवी

संजीव ने टमाटर के चलते नाराज हो कर घर छोड़ कर चली गई बीवी की तलाश में पुलिस से मदद की गुहार लगाते हुए धनपुरी थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

दरअसल, संजीव वर्मा एक छोटा सा ढाबा चलाते हैं, साथ ही टिफिन का भी काम करते हैं। 2 दिन पहले उन्होंने अपनी बीवी से बिना पूछे खाने में 3 टमाटर डाल दिए जिस से पत्नी आगबबूला हो गई. पति लगातार अपनी इस गलती के लिए बीवी से मिन्नतें करता रहा लेकिन बीवी ने एक न सुनी और घर छोड़ कर चली गई। अब जब संजू को टमाटर की उन के जीवन में कितनी अहमियत है, यह बात समझ आई तो वे कसम खा चुके हैं कि चाहे ग्राहक बिदक जाएं मगर जीवन में कभी भी टमाटर का प्रयोग सब्जी में नहीं करेंगे.

मामले पर थाना प्रभारी ने क्या कहा?

इस पूरे मामले में धनपुरी थाना प्रभारी संजय जायसवाल का कहना है,”थाने में पति ने शिकायत की है कि उस की पत्नी टमाटर के चलते पति का घर छोड़ कर चली गई… शिकायत के आधार पर पत्नी को समझा दिया गया है, वह जल्द ही घर वापस आ जाएगी.

‘गदर 2’ की एक्ट्रेस Simrat Kaur को लोगों ने किया ट्रोल, अमीषा पटेल ने दिया जवाब

Ameesha Patel Tweet : बॉलीवुड एक्टर सनी देओल और अमीषा पटेल स्टारर ‘गदर 2’ इन दिनों काफी सुर्खियों में बनी हुई हैं. हालही में इस फिल्म के डायरेक्टर अनिल शर्मा और एक्ट्रेस अमीषा के बीच इसी मूवी को लेकर विवाद भी हुआ था. अमीषा ने अनिल शर्मा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने ‘गदर 2’ के सेट पर लोगों के साथ भेदभाव किया है. हालांकि अब एक्ट्रेस ने ट्विटर पर उन फैंस को करारा जवाब दिया है, जो फिल्म में एक्ट्रेस सिमरत कौर (Simrat Kaur) की स्क्रीन प्रेजेंस को लेकर उन्हें ताने मार रहे हैं.

जानें क्यों ट्रोल्स के निशाने पर आई एक्ट्रेस?

‘गदर 2’ में एक्ट्रेस सिमरत उत्कर्ष शर्मा के अपोजिट और अमीषा-सनी देओल की बहू का किरदार निभा रही हैं. दरअसल सिमरत (Simrat Kaur) ने इससे पहले एक बी ग्रेड फिल्म में बोल्ड सीन्स किए थे, जिसकी वीडियो और फोटो शेयर कर फैंस उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल कर रहे हैं. जहां एक यूजर ने सिमरत की पुरानी तस्वीर को शेयर कर कैप्शन में लिखा, ‘अमीषा मैम, हम सनी सर के फैन हैं और हम उस लड़की सिमरत की इन सभी घटिया फोटोज और वीडियोज को देखकर गुस्से में हैं. जब उन्होंने इतना घटिया काम किया है, तो अनिल शर्मा सर ने उन्हें ‘गदर 2’ जैसी साफ-सुथरी फिल्म में कास्ट क्यों किया?

हालांकि इस ट्वीट का जवाब अमीषा (Ameesha Patel) ने खुद दिया है. उन्होंने इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘अरे मेरे प्यारे फैंस, कृपया यह सब बंद कर दीजिए!! आपसे विनम्र अनुरोध है कि 11 अगस्त को सिनेमाघरों में गदर 2 देखें और इसे अपना प्यार दें.’

अमीषा ने किया सिमरत का बचाव

इस ट्वीट के बाद अमीषा (Ameesha Patel) ने एक और ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘दूसरे दिन की पूरी शाम सिमरत कौर (Simrat Kaur) के आसपास की निगेटिविटी का बचाव करते हुए बिताई, जो फिल्न गदर 2 में उत्कर्ष शर्मा के साथ हैं.’ इसके आगे उन्होंने लिखा, ‘एक लड़की होने के नाते मैं आप सभी लोगों से अनुरोध करती हूं कि केवल पॉजिटिविटी फैलाएं और किसी भी लड़की को शर्मिंदा न करें. आइए नए टैलेंट्स को प्रोत्साहित करें.’

इस दिन रिलीज होगी फिल्म

आपको बता दें कि ‘गदर 2’ एक एक्शन-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन अनिल शर्मा ने किया है. वहीं इस फिल्म को शक्तिमान तलवार ने लिखा है, जिसमें ‘गदर: एक प्रेम कथा’ के आगे की कहानी को दिखाया जाएगा. इसमें सनी देओल और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) के साथ-साथ उत्कर्ष शर्मा व सिमरत कौर लीड रोल्स में हैं. ये फिल्म 11 अगस्त को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी.

अक्षय कुमार की ‘OMG 2’ पर चलेगी कैंची, आदिपुरुष के बाद कड़क हुआ सेंसर बोर्ड!

OMG 2 : लंबे समय से बॉलीवुड की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी हैं. जहां कुछ फिल्मों की कहानी न तो फैन्स के दिलों में जगह बना पाई. तो वहीं कई बड़े स्टार्स भी लोगों का दिल जीतने में असफल रहें, जिसके कारण मेकर्स को काफी भारी नुकसान उठाना पड़ा. इसलिए मेकर्स अपनी फिल्मों को चलाने के लिए उनमें कुछ ऐसे सीन्स व डायलॉग्स ड़ाल देते है, जिससे वो विवादों में घिर जाएं और लोग उसे देखने के लिए सिनेमाघरों तक खीचे चले आए.

हालांकि इनमें से कई फिल्मों पर सेंसर बोर्ड ने अपनी कैंची भी चलाई है. द कश्मीर फाइल्स, द केरल स्टोरी, 72 हूरें और आदिपुरुष जैसी कई फिल्मों पर सेंसर बोर्ड ने अपना फैसला सुनाया है. वहीं अब इस लिस्ट में अक्षय कुमार की फिल्म ‘ओएमजी 2’ (OMG 2) का नाम भी शामिल होने जा रहा है.

रिलीज से पहले अक्षय की फिल्म पर गिरी गाज!

दरअलव, जल्द ही खिलाड़ी कुमार की फिल्म ‘ओएमजी 2’ (OMG 2) बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली हैं. फिल्म का टीजर वीडियो जारी किया जा चुका है, जिसे दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. लेकिन कुछ लोगों को ये टीजर पसंद नहीं आया है. इसमें एक सीन है, जिसमें भगवान शिव का अभिषेक ट्रेन के पानी से हो रहा है. इस सीन को देखने के बाद यूजर्स बुरी तरह से भड़के हुए हैं. उनका कहना है कि इससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. इसलिए अब ओएमजी 2 को लेकर सेंसर बोर्ड भी सतर्क हो गया है.

जहां पहले खबर आई थी कि इस फिल्म की रिलीज डेट पर रोक लगा दी गई है, तो वहीं अब कहा जा रहा है कि फिल्म को सर्टिफिकेट देने से पहले इसे रिव्यु कमेटी को दिखाया जाएगा.

रिव्यु कमेटी करेगी ‘ओएमजी 2’ की जांच

आपको बता दें कि, अक्षय की अपकमिंग फिल्म ‘ओएमजी 2’ धर्म और ईश्वर से जुड़े तत्वों पर आधारित है. इसलिए सीबीएफसी ने फैसला किया है रिलीज करने से पहले इस फिल्म (OMG 2) को रिव्यु कमेटी को दिखाया जाएगा और फिलहाल 11 अगस्त को फिल्म रिलीज नहीं होगी.

गौरतलब है कि सेंसर बोर्ड ने ये फैसला प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान स्टारर फिल्म ‘आदिपुरुष’ की रिलीज के बाद हुए बवाल को देखते हुए लिया है. दरअसल, ‘आदिपुरुष’ के कुछ सीन और डायलॉग से लोगों की भावना आहत हुई थी, जिसके बाद देशभर में इस फिल्म को लेकर विवाद हुआ था. ऐसे में सेंसर बोर्ड ने सर्तकता दिखाते हुए ये फैसला लिया है.

नरेंद्र मोदी : बनावटी राजा का अहं

आज केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार कुछ इस तरह आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई देती है मानो लोकतांत्रिक देश में कोई चुनी हुई सरकार नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पहले की तलवार की नोक पर अपने भुजाओं की ताकत के भरोसे कोई चक्रवर्ती राजा गद्दी पर विराजमान हो. यह सरकार अहं से भरपूर है.

लोकतांत्रिक व्यवस्था में सब की अपनीअपनी भूमिका संविधान के तहत निर्धारित की गई है. कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका सब के अपनेअपने कामकाज हैं. मगर नरेंद्र मोदी के कुछ निर्णय इतने विवादित हो जाते हैं कि देश के उच्चतम न्यायालय तक को इस का संज्ञान लेना होता है.

बहुचर्चित प्रकरण

ऐसा ही एक बहुचर्चित प्रकरण प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख यानी ईडी के सुप्रीमो संजय मिश्रा का देश में सुर्खियां बटोर रहा है. केंद्र सरकार लगातार ईडी प्रमुख के रूप में संजय मिश्रा की तरफदारी करती रही है और चाहती है कि वह कम से कम नवंबर, 2023 तक ईडी प्रमुख बने रहें. मगर इसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहरा कर स्पष्ट कर दिया है कि देश में कानून नाम की व्यवस्था सर्वोपरि है जिस के संरक्षण में संविधान के तहत देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था निरपेक्ष भाव से चलती रहेगी.

निस्संदेह नरेंद्र मोदी की सरकार को उच्चतम न्यायालय का यह फैसला रास नहीं आया होगा. मगर देश हित में केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि सब के अपनेअपने दायित्व और कर्तव्य हैं जिन पर चलना देश और लोकतंत्र के लिए अपरिहार्य है. सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को ऐतिहासिक झटका लगा है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को ले कर अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने संजय मिश्रा को सरकार द्वारा दिया तीसरा कार्यकाल विस्तार देने का आदेश रद्द कर दिया है. साथ ही अदालत ने कार्यकाल विस्तार को अवैध बताया है.

कोर्ट का रूख

हालांकि, कोर्ट ने सरकार को राहत देते हुए कहा कि ईडी और सीबीआई निदेशक का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने का नियम सही है. न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हम ने 2021 में आदेश दिया था कि उन का कार्यकाल आगे न बढ़ाया जाए. इसलिए अब वह 31 जुलाई तक ही अपने पद पर रह सकते हैं.”

उल्लेखनीय है कि संजय कुमार मिश्रा को 2018 में दो साल के लिए ईडी निदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया था. इस के बाद देश से देख रहे हैं कि किस तरह प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की काररवाई एकतरफा होती चली गई. दीपक जितना विवाद इस दरमियान हुआ इतिहास में कभी पहले नहीं हुआ होगा.

कानून बङा या सरकार

नवंबर, 2020 में संजय मिश्रा को रिटायर होना था, लेकिन 13 नवंबर, 2020 को जारी एक आदेश में केंद्र सरकार ने उन के कार्यकाल को 3 साल कर दिया. इस के बाद केंद्र सरकार 2021 में एक अध्यादेश ले कर आई. अध्यादेश में कहा गया कि सीबीआई और ईडी के निदेशक का कार्यकाल 2 साल से अधिकतम 5 साल तक बढ़ाया जाए. अध्यादेश को संसद में पारित कराया गया. इस को ले कर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना भी की थी. मगर अब जहां संजय मिश्रा की विदाई तय हो गई है, वहीं केंद्र सरकार की संजय मिश्रा की प्रति अतिरिक्त लगाव को भी देश ने देखा है जो अपनेआप में एक अकेला उदाहरण है.

मैं अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती हूं पर वो अलग नहीं होना चाहते, समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी शादी 8 महीने पहले हुई है. मैं अपने पति को जरा भी पसंद नहीं करती. हालांकि वे उच्च पदस्थ अधिकारी हैं और स्वभाव से भी सरल हैं. मैं मुंबई स्थित एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करती हूं. मुंबई में रहते हुए ही पिछले 4 सालों से अपने बौयफ्रैंड के साथ रिलेशनशिप में रही. हम लोग एक ही फ्लैट में साथ रहते थे. बौयफ्रैंड बंगाल का रहने वाला है जबकि मैं उत्तराखंड की रहने वाली हूं.

हमारे रिश्ते के बारे में मेरे पेरैंट्स को भी जानकारी थी पर उन्हें यह रिश्ता पसंद नहीं था. बौयफ्रैंड शादी करने के लिए तैयार था. उस के घर वालों को भी कोई आपत्ति नहीं थी. पर मेरे घर वाले जिद कर मुझे एक बार साथ ले गए और शादी का दबाव बनाने लगे. इस दौरान उन्होंने मुझे राजी करने के लिए जातिधर्म व सामाजिक बदनामी का भय भी दिखाया. मैं फिर भी नहीं मान रही थी.

फिर एक दिन मेरी मम्मी ने आत्महत्या करने की कोशिश की. उन्हें अस्पताल में भरती कराने तक की नौबत आ गई. घरपरिवार, मामामामी और यहां तक कि मेरी एक टीचर, जिन्हें मैं बेहद सम्मान देती थी, से मुझ पर दबाव बनवाया जाने लगा. मैं टूट गई और शादी के लिए हां कर दी. पति सुलझे हुए खयाल के लगे. मैं उन के साथ देहरादून भी गई, जहां उन की पोस्टिंग थी. पर रातदिन बौयफ्रैंड की यादों में ही खोई रहती. नौकरी का हवाला दे कर बाद में मैं मुंबई आ गई और फिर से बौयफ्रैंड के साथ रहने लगी. बौयफ्रैंड बहुत रोया और पति से तलाक लेने की बात पर जोर देता रहा. मैं ने उसे बताया कि मैं पति से सैक्स संबंध बना चुकी हूं, बावजूद इस के वह कह रहा है कि उसे कोई ऐतराज नहीं है और वह मुझे ताउम्र प्यार करता रहेगा. उस के दबाव पर मैं ने एक दिन पति को फोन पर सब सचसच बता दिया.

वे कुछ पल तो चुप रहे, फिर कहा कि तुम्हारी अपनी जिंदगी है. तुम जिस के साथ रहना चाहो रहो. पर मैं तुम्हें तलाक नहीं दूंगा और तुम मेरे पास खुद लौट कर आओ इस का इंतजार करूंगा. मैं ने पति को बहुत समझाने की कोशिश की पर वे नहीं माने और कहते रहे कि तुम नहीं तो कोई नहीं.

इधर बौयफ्रैंड से दूर जाने की बात सुनते ही वह परेशान हो जाता है और किसी कीमत पर साथ न छोड़ने की जिद पर अड़ा हुआ है. मैं बहुत उलझन में हूं. समझ नहीं आ रहा क्या करूं. कृपया सलाह दें?

जवाब

आप अपने घर वालों की इमोशनल ब्लैकमेलिंग की शिकार हुईं, इस में कोई शक नहीं. जातिधर्म व सामाजिक बदनामी का भय दिखा कर उन्होंने आप को मजबूरन शादी करने के लिए राजी किया, यह उन की गलती थी.

दूसरी तरफ, अगर आप अपने बौयफ्रैंड के साथ रिलेशनशिप में इतना आगे निकल चुकी थीं तो

आप को भी यह शादी नहीं करनी चाहिए थी. आप और आप का बौयफ्रैंड दोनों अपने पैरों पर खड़े थे और बालिग थे. घर वाले नहीं मान रहे थे तो आप कोर्ट मैरिज कर सकती थीं. देरसबेर वे इस रिश्ते को अपना ही लेते.

अब जबकि आप की शादी हो गई है और जैसाकि आप ने बताया कि आप के पति सुलझे हुए इंसान हैं तो आप को अपने पति के साथ ही रहना चाहिए. वर्तमान में बौयफ्रैंड के साथ का रिश्ता अब नाजायज माना जाएगा. बेहतर होता कि बौयफ्रैंड के साथ रिश्ते की बात आप अपने पति से नहीं कहतीं और सब भूल कर नए जीवन की बेहतर तरीके से शुरुआत करतीं. अब जबकि आप ने अपने पति को सब सचसच बता ही दिया है और इस के बावजूद वे आप का साथ देने को तैयार हैं तो जाहिर है वे वाकई सुलझे हुए इंसान हैं जो विवाहरूपी संस्था को कमजोर नहीं होने देना चाहते. तलाक के बाद उन पर भी उंगलियां उठेंगी, यह वे जानते होंगे.

पति अच्छा कमाते हैं, उच्च पदस्थ अधिकारी हैं और आप को दिल से अपना रहे हैं तो बेहतर होगा आप अपने पति के पास लौट जाएं और इस अवैध रिश्ते पर विराम लगा दें.

क्या आपको पता है नमक के साइड इफेक्ट्स

सत्रहवीं शताब्दी के एक अंगरेज कवि जार्ज हर्बर्ट ने एक बार लिखा था कि सभी सुगंधों में ब्रेड की महक और जीवन के सभी स्वादों में नमक का स्वाद सर्वोपरि होता है. नमक डालते ही किसी भी पकवान के स्वाद में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन आ जाता है, लेकिन स्वाद का यह संतुलन नमक के संतुलन पर ही निर्भर करता है. एक ओर जहां जरा सा ज्यादा नमक किसी भी भोजन के स्वाद को बिगाड़ देता है वहीं दूसरी ओर नमक जरा सा कम हुआ तो सब मुंह बिचकाने लगते हैं. रसोईघर की इस महत्त्वपूर्ण चीज से एक वैज्ञानिक पहलू भी जुड़ा हुआ है. अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि अत्यधिक नमक हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है और यह कुछ मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकता है.

इस संदर्भ में हमें अपने एक परिचित से जुड़ी एक घटना याद आ रही है. वे योग के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन का जीवन भी बहुत संयमित था. एक दिन उन की छाती में बहुत जोर का दर्द हुआ, साथ ही उन्हें उबकाई भी आ रही थी. उन्होंने सोचा कि शायद गैस व अपच के कारण ऐसा हो रहा था, इसलिए उन्होंने 4 गिलास गरम पानी ले कर उस में थोड़ा नमक मिलाया और वमन क्रिया करने के इरादे से पूरा पानी पी गए. नमक का पानी पीते ही वे चक्कर खा कर गिर गए और कुछ ही क्षणों में उन के प्राण पखेरू उड़ गए.

डाक्टर ने बताया कि असल में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिस की वजह से उन का रक्तचाप भी बढ़ गया था और उन्हें उल्टी होने को हो रही थी. ऐसे में नमक ने जहर का काम किया और उन का रक्तचाप काबू से बाहर हो गया. सही समय पर डाक्टर की सहायता न मिलने पर उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी. यानी नीम हकीम, खतरे जान.

लेकिन ऐसी बात नहीं है कि नमक से केवल नुकसान होता है और उस से कोई फायदा नहीं होता. वैज्ञानिकों का मानना है कि नमक हमारे शरीर में तरल पदार्थ को संयमित रखने में और मांसपेशियों व शिराओं के सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करता है. इस के अलावा सोडियम क्लोराइड पाचक रस पैदा करने में भी सहायक होता है. ये पाचक रस हमारे भोजन को पचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.

पिसा हुआ नमक, जिस का इस्तेमाल हम अपने प्रतिदिन के भोजन में करते हैं, उस में 40 प्रतिशत सोडियम होता है. नमक के शुद्धिकरण के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उस में उस के ज्यादातर खनिज पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और केवल बहुत थोड़ी मात्रा में मैग्नीशियम व कैल्शियम रह जाते हैं. यह मात्रा इतनी कम होती है कि हमारे शरीर को इस का अधिक लाभ नहीं मिल पाता. हमारे बुजुर्ग पुराने जमाने में मोटे नमक का इस्तेमाल किया करते थे. उस में सोडियम की मात्रा ज्यादा हुआ करती थी, जिस की वजह से कई रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती थी. लेकिन अब सोडियम के खतरों से बचने के लिए बाजार में कम मात्रा में सोडियम वाले व आयोडीनयुक्त नमक मिलने लगे हैं.

1 हृदय रोग और नमक

सोडियम एक ऐसे स्पंज की तरह काम करता है जो शरीर में पानी की मात्रा बढ़ा देता है. जितना हम अधिक नमक खाएंगे उतना ही ज्यादा पानी हमारे शरीर में रुका रह जाएगा. इस अधिक पानी के कारण हमारे खून का आयतन बढ़ जाता है, जिस से रक्त की धमनियों पर काम का बो?ा बढ़ जाता है और उन के ऊपर रक्त का दबाव बढ़ जाता है. यह कुछ ऐसा ही है कि आप के नल में अगर पानी तेज दबाव से आता है तो वह नल के वाल्व को खराब कर के अनियंत्रित रूप से बहने लगता है. यही हाल हमारी शिराओं का भी होता है. शिराओं में दबाव बढ़ने के साथ ही हमारे दिल को भी ज्यादा पंपिंग करनी पड़ती है. इस प्रक्रिया से उच्च रक्तचाप का रोग शरीर को घेर लेता है और हमारे दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं.

रक्त के बढ़े हुए दबाव से हमारी धमनियों की भीतरी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिस से ऐसे रासायनिक तत्त्व पैदा होते हैं जिन से धमनियों में सूजन पैदा हो जाती है. अब जब रक्त इन क्षतिग्रस्त धमनियों से हो कर गुजरता है तो खून का कोलैस्ट्रौल धमनियों की दीवारों में जमा होने लगता है और वे संकरी होने लगती हैं. कई बार ये धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, जिस के कारण हम हृदय रोग व लकवे के शिकार हो जाते हैं.

सिंगापुर के एक सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डा. रूथ का कहना है कि इन गंभीर स्थितियों से बचने का केवल एक ही उपाय है कि भोजन में नमक की मात्रा कम से कम कर दी जाए. उन के अनुसार, हृदय रोगियों के लिए नमक एक सफेद जहर है और उन्हें दिनभर में अपने भोजन में एक चम्मच नमक से ज्यादा का सेवन नहीं करना चाहिए.

हमारे शरीर से अनावश्यक तत्त्वों को बाहर निकालने में किडनी यानी गुर्दे  महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये हमारे शरीर में नमक व पानी का संतुलन भी बनाए रखते हैं. लगातार उच्च रक्तचाप रहने से गुर्दे की रक्त शिराएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिस के कारण गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पाते. ज्यादा नमक खाने से गुर्दे में पथरी होने का खतरा भी बढ़ जाता है. अतिरिक्त सोडियम के कारण पेशाब में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है और यही कैल्शियम अन्य तत्त्वों के साथ मिल कर पथरियां पैदा कर देता है. इसलिए पथरियों से बचने के लिए भी नमक का सेवन कम करना चाहिए.

2. यह बात भी जान लें कि कभीकभार नमक ज्यादा खा लेने से शरीर पर कोई खतरनाक प्रभाव नहीं पड़ता. हमारे स्वस्थ गुर्दे इस अतिरिक्त सोडियम को पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकालने में सक्षम हैं, लेकिन लगातार ज्यादा नमक खाने से गुर्दे भी रोगी रहने लगते हैं और उन में इतनी क्षमता नहीं रहती कि वे अतिरिक्त सोडियम को शरीर से बाहर निकाल सकें.

3. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन के शरीर में नमक खाते ही प्रतिक्रिया होने लगती है और उन का रक्तचाप बढ़ने लगता है. ऐसे लोगों के लिए भी नमक किसी सफेद जहर से कम नहीं है. उन्हें नमक कम से कम खाना चाहिए.

4. अधिक नमक खाने का एक नुकसान यह भी है कि खून में प्लैटलेट्स बनने कम हो जाते हैं. उल्लेखनीय है कि प्लैटलेट्स की वजह से ही चोट लगने पर खून में गाढ़ापन आता है, जिस से खून बहना अपनेआप ही कम हो जाता है. अगर खून में प्लैटलेट बनने बंद हो जाएं तो चोट लगने पर खून बहना बंद ही नहीं होगा और व्यक्ति मौत का ग्रास बन जाएगा. इस के विपरीत, प्लैटलेट की मात्रा अधिक होनी भी शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है और उस से कैंसर जैसा गंभीर रोग पनप सकता है.

नमक की जगह इस्तेमाल करें ये चीजें…

जाहिर है कि आप को अपने प्रतिदिन के भोजन में ज्यादा सोडियम वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए.

भोजन बनाने में भी नमक कम से कम डालें.

भोजन में स्वाद पैदा करने के लिए आप नीबू का रस, अदरक, लहसुन व प्याज का इस्तेमाल करें.

फल व सब्जियों का इस्तेमाल भी ज्यादा से जयादा करें, इन से आप को कुदरती नमक और स्वास्थ्यवर्द्धक तत्त्व मिलेंगे, जो आप के शरीर को पौष्टिक बनाए रखेंगे.

फलों व सब्जियों में नमक की मात्रा बहुत कम होती है. एक सेब में बिलकुल भी नमक नहीं होता, जबकि एक केले में केवल 1 मिलीग्राम ही सोडियम होता है.

घर के सभी लोगों का स्वास्थ्य हमारे रसोईघर पर ही निर्भर करता है, इसलिए गृहिणियां आवश्यक वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत रहें, ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों को जानलेवा रोगों से दूर रख सकें.

यह कोई मुश्किल काम नहीं है, धीरेधीरे हमारी चटोरी जीभ कम नमक की अभ्यस्त हो जाएगी और वह कम नमक वाले भोजन में भी स्वाद ढूंढ़ने लगेगी.

तलाक के बाद कैसे करें बच्चों की परवरिश?

सुषमा और वैभव का वैवाहिक जीवन  शुरू से ही तनावों से भरा था. धीरेधीरे दोनों के बीच वैचारिक मतभेद इतने बढ़ गए कि उन्होंने तलाक के लिए अदालत में आवेदन कर दिया. लगभग 7-8 माह तक अदालती काररवाई चलने के बाद अदालत ने तलाक की डिगरी पारित कर दी. वैभव को अपने बेटे अभिनव से बड़ा लगाव था. तलाक के समय अभिनव 2 साल का था. सुषमा किसी भी कीमत पर अभिनव को छोड़ना नहीं चाहती थी, जबकि वैभव बेटे को अपने पास रखना चाहता था.

तलाक के 1 साल बाद तक अभिनव अपनी मां सुषमा के साथ रहा. इस दौरान वैभव ने बच्चे को हासिल करने के लिए सामाजिक स्तर पर कई प्रयास किए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. बच्चे की संरक्षता हासिल करने के लिए वैभव ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया कि 5 साल की उम्र तक अभिनव अपनी मां सुषमा के पास ही रहेगा. अब 5 साल तक वैभव के पास इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. उधर सुषमा पर तलाकशुदा होने का ठप्पा लग चुका था. वह हाई सोसाइटी की औरतों के बीच में इस की वजह से अपमानित होने लगी थी. उस के धनी पिता का दोबारा विवाह करने का दबाव भी उस पर बढ़ता जा रहा था. बेचारा अभिनव, निर्दोष होने के बावजूद पिता के प्यार और माता की असमंजस स्थिति के बीच पिस रहा था. अब अभिनव के सामने समस्या यह आएगी कि जब 5 साल की आयु को पूरा करने के बाद वह पिता की संरक्षता में जाएगा तब उस के लिए एक नए जीवन की शुरुआत होगी. नानानानी के साथ पीछे बिताए गए समय में जो स्नेह उस परिवार से बन गया था, उस से अलग होना उस के दिमाग पर गलत असर डालेगा. पिता के परिवार में दादादादी, चाचाचाची के साथ रिश्तों की नई शुरुआत भी अभिनव को करनी होगी.

कानून में तलाक की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि पक्षकारों के बच्चे होने पर उन का भविष्य प्रभावित होता है. तलाक के बाद यदि बच्चा मां के साथ रहता है और मां के पास उस के भरणपोषण के लिए आय नहीं है तो वह अपने पूर्व पति से स्वयं और संतान के जीवन निर्वाह के लिए भरणपोषण की मांग कर सकती है. 500 रुपए की यह रकम महंगाई को देखते हुए अब 2,500 रुपए तक बढ़ा दी गई है. जब अक्षय और सुधा का तलाक हुआ तब मोना 3 साल की थी. सुधा और अक्षय ने तलाक के समय ही यह तय कर लिया था कि मोना सुधा के पास रहेगी. सुधा उस समय एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी. उस के वेतन से मोना की पढ़ाई और घर का खर्च आसानी से चल जाता था. 1 साल बाद वह कंपनी बंद हो गई, जिस में सुधा काम करती थी. भागदौड़ के बाद दूसरी कंपनी में सुधा को नौकरी तो मिल गई पर वेतन बहुत कम था. अब मोना को स्कूल में दाखिल कराने के लिए सुधा को पैसे की जरूरत पड़ी तो उस ने अक्षय से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई. अक्षय ने यह कहते हुए उस की किसी भी तरह की आर्थिक मदद करने से मना कर दिया कि मोना को अपने पास रखने का फैसला तुम ने खुद लिया था और फिर तलाक हो जाने के बाद तुम्हारे और मोना के प्रति मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है.

सुधा यह मामला अदालत में ले गई और वहां यह तथ्य सामने आया कि सुधा ने अभी तक दोबारा विवाह नहीं किया है. अदालत ने सुधा की तत्कालीन आय को जीवन निर्वाह के लिए अपर्याप्त मानते हुए उसे बच्चे के लिए अक्षय से 700 रुपए मासिक प्राप्त करने का हकदार माना. तलाक के बाद आय का जो जरिया पत्नी और संतान के पास मौजूद है यदि वह जीवन जीने के लिए  पर्याप्त न हो तो पत्नी अपने पति से गुजाराभत्ता प्राप्त कर सकती है. यह रकम कितनी होगी, इस के लिए कोई नियम नहीं बनाया गया है लेकिन मामले के तथ्यों, परिस्थितियों और वैवाहिक जीवन स्तर के आधार पर यह रकम तय की जा सकती है.

ऐसा ही एक मामला सतीश और प्रज्ञा का था. प्रज्ञा की कोई स्थायी आय नहीं थी. वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी जबकि सतीश का अपना व्यापार था और उन का बेटा विजय उस समय नर्सरी में पढ़ता था. तलाक के बाद विजय अपनी मां प्रज्ञा के साथ रहने लगा. चूंकि विजय छोटी कक्षा में पढ़ता था इसलिए प्रज्ञा की आय से उस का स्कूल खर्च पूरा हो जाता था. विजय जब छठी कक्षा में आया और उसे दूसरे स्कूल में प्रवेश दिलवाया गया तो स्कूल की फीस और विजय की पढ़ाई के साथ जुटे दूसरे खर्चे पूरे कराने के बाद प्रभा के पास कुछ बचता ही नहीं था. उस ने एक वकील से राय ली और फिर सतीश को नोटिस दिया. नोटिस का सतीश पर कोई असर नहीं हुआ. मजबूर हो कर प्रभा ने अदालत की शरण ली. अदालत में सतीश की आमदनी 1 लाख रुपए सालाना प्रमाणित हुई. अदालत ने यह भी पाया कि वैवाहिक जीवन में वे उच्चस्तरीय रहनसहन के आदी हो गए थे. स्कूल के बढ़ते खर्च और प्रभा की अस्थायी आय स्रोत को देखते हुए सतीश को आदेश दिया गया कि वह अपनी तलाकशुदा पत्नी व बेटे के खर्च के लिए 2 हजार रुपए मासिक भुगतान करे. यह कानूनी स्थिति है कि यदि पत्नी की आय से उस का तथा संतान का गुजारा होना संभव नहीं है तो वह अदालत के जरिए भरणपोषण की रकम पूर्व पति से प्राप्त कर सकती है और जैसे ही औलाद बड़ी हो कर आय का स्रोत प्राप्त करती है, इस मासिक रकम को अदालत के जरिए बंद कराया जा सकता है.

जहां पर पिता संतान को अपने साथ रख कर उस का भरणपोषण करने के लिए तैयार हो वहां तलाकशुदा महिला केवल खुद के लिए ही भरणपोषण प्राप्त करने की हकदार रह जाती है. इस प्रकार तलाक के बाद संतान की परवरिश तथा खर्च तय करने में उन के भविष्य को ध्यान में रखा जाता है.

धर्मेंद्र से शादी करने के बाद भी क्यों अलग घर में रहती हैं Hema Malini?

Hema Malini & Dharmendra Story : बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र और ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी की जोड़ी को दर्शकों का खूब प्यार मिलता हैं. शादी के 43 साल बाद भी दोनों का प्यार बरकरार है, लेकिन दोनों के फैंस को एक बात को लेकर हमेशा सवाल रहता है कि शादीशुदा होने के बावजूद भी दोनों अलग-अलग घर में क्यों रहते हैं? क्या दोनों के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई होती है? आदि-आदि.

हालांकि, इस सवल पर पहली बार हेमा मालिनी (Hema Malini) ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि आखिर क्यों वह धर्मेंद्र के साथ एक ही घर में नहीं रहती हैं.

क्यों हेमा ने धर्मेंद्र से बनाई दूरी?

हाल ही में एक इंटरव्यू में हेमा मालिनी (Hema Malini) ने अपनी पर्सनल लाइफ पर खुलकर बात की है. जब उनसे सवाल पूछा गया कि आज के समय में उन्हें फेमिनिस्ट आइकन के तौर पर देखा जाता है. जो खुद के अलग घर में रहती हैं. तो इस सवाल पर हेमा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘फेमिनिज्म सिंबल? मेरा मानना है कि कोई भी इस तरह का बनना नहीं चाहता है. ये तो बस खुद-ब-खुद हो जाता है.’

इसके आगे उन्होंने कहा, ‘कोई भी इस तरह की जिंदगी नहीं चाहता है. हर किसी को अपने परिवार और बच्चों के साथ रहना पसंद आता है. आखिर कैसे कोई अपने परिवार से दूर रहकर खुश हो सकता है? हर एक औरत को पति, बच्चे और एक नॉर्मल लाइफ चाहिए ही होती है, लेकिन कुछ कारणों से मैंने खुद को इन चीजों से अलग किया.’

क्या धर्मेंद्र से दूर रहने पर हेमा को होता है दुख?

वहीं जब उनसे (Hema Malini) बच्चों और पति से दूर रहने पर सवाल किया गया तो इस पर उन्होंने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘इस बात का बिल्कुल भी दुख नहीं है. मैं खुश हूं कि मैंने अपने दोनों बच्चों को पाला, उन्हें बड़ा किया.’ इसके आगे हेमा ने कहा, ‘बिल्कुल, धर्मेंद्र मेरे साथ हर जगह पर रहते थे. उन्हें अपने बच्चों की शादी की चिंता भी होती थी. हालांकि मैं उनसे हर बार कहती थी कि सब हो जाएगा.’

ड्रीमगर्ल को कब दिल दे बैठे थे धर्मेंद्र ?

आपको बता दें कि, साल 1980 में हेमा और धर्मेंद्र शादी के बंधन में बंधे थे. हालांकि शादी के लिए उन्होंने (Hema Malini & Dharmendra Story) अपना धर्म भी बदला था. दरअसल हेमा से धर्मेंद्र की ये दूसरी शादी थी. 19 साल की उम्र में उनकी प्रकाश कौर से पहली शादी हुई थी, जिनसे उनके चार बच्चे हैं. लेकिन जब धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में कदम रखा तो वह हेमा मालिनी को दिल दे बैठे, जिसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया. धर्मेंद्र और हेमा की दो बेटियां ईशा और अहाना हैं और दोनों की ही शादी हो चुकी हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें