Download App

Anupama Upcoming Episode : छोटी की हालात हुई खराब, क्या बेटी को छोड़कर जा पाएगी अनुपमा?

Anupama Upcoming Twist : रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ शो की कहानी में रोजाना नया मोड़ देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ इस पर सस्पेंस बना हुआ है कि अनुपमा अमेरिका जाएगी या नहीं? तो वहीं दूसरी तरफ छोटी अनु की तबीयत खराब हो रही है.

बीते दिन के एपिसोड (Anupama Upcoming Episode) में भी दिखाया गया था कि छोटी अनु की हालत दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है. हालांकि अनुपमा छोड़ी की हालात से अंजान है, लेकिन उसे बार-बार आभास हो रहा है कि कपाड़िया हाउस में सब कुछ ठीक नहीं है. वहीं आने वाले एपिसोड में एक नया ट्विस्ट देखने को मिलेगा, जिसे देखने के बाद दर्शक हैरान हो जाएंगे.

क्या अपनी बेटी को छोड़कर चली जाएगी अनुपमा?

आज के एपिसोड (Anupama Spoiler Alert) में दिखाया जाएगा कि छोटी अनु की हालत और ज्यादा बद से बदतर हो जाएगी. यहां तक कि अनुज और डॉक्टर भी उसे संभाल नहीं पाएंगे. वह बार-बार बस एक की ही जिद्द करती है कि उसे मम्मी से मिलना है. वहीं अनुज छोटी के कहने पर अनुपमा को कॉल करेगा. इसके बाद दिखाया जाएगा कि अनुपमा अनुज का कॉल उठाती है और अनुज से कहती है, ”सब ठी है न?” फिर अनुज कहता है, ”मैं तुम्हे रोकना नहीं चाहता, लेकिन.” इतने में ही छोटी अनु चिल्लाते हुए कहती है, ”मम्मी आई नीड यू.” इसके बाद फोन कट जाता है.

हालांकि अभी भी इस पर सस्पेंस बना हुआ है कि अनुपमा अमेरिका जाएगी या नहीं? बहरहाल इन सभी सवालों के जवाब तो आने वाले एपिसोड में ही मिलेंगे.

इन बातों का रखें ख्याल, स्वस्थ्य रहेंगी आंखें

प्रदूषण, लगातार कंप्यूटर, स्मार्टफोन का इस्तेमाल और पोषण में कमी जैसे कारण आंखों में होने वाली समस्या के प्रमुख कारण हैं. इससे धुंधली नजर, आंखों में जलन और सिरदर्द जैसी परेशानियां होती हैं. इस खबर में हम आपके लिए कुछ ऐसी टिप्स बताएंगे जिन्हें अपना कर आप अपनी आंखों का तनाव दूर कर सकेंगे.

आंखों को दे रिलैक्स

पामिंग आंखों को रिलैक्स करने का सबसे आसान तरीका है. इस लिए आप दोनों हथेलियों को 10-15 मिनट तक धीरे-धीरे रगड़ें और आंखों पर रखे रहें. गर्म हथेलियों को आंखों की हर ओर हल्का हल्का सहलाते रहें.

झपकाएं पलकें

आंखों के तनाव को दूर करने का आसान तरीका है पलकों को झपकाना. तीन-चार सेकेंड्स तक लगातार पलकों को झपकाने से आंखों को काफी आराम मिलता है. जब आप लगातार टीवी देखते हैं, मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो आंखों के लिए ये तरीका बेहद जरूरी हो जाता है. इस लिए जरूरी है कि आप कुछ कुछ देर पर पलकें झपकाते रहें.

सलहज को प्यार, साले को मौत का उपहार

उत्तर प्रदेश के जिला मथुरा के थाना यमुनापार के गांव ढहरुआ में रहता था भागचंद. उस की गिनती गांव के खुशहाल लोगों में होती थी. उस के 7 बेटे और 3 बेटियां थीं. उस ने सभी बच्चों को खूब पढ़ाना चाहा था, लेकिन उस का कोई भी बेटा ज्यादा नहीं पढ़ सका, तब उस ने सभी को उन की मरजी के मुताबिक काम सिखवा दिए.

उस के 3 बेटे शटर बनाने का काम करने लगे. बच्चे कमाने लगे तो भागचंद की मौज हो गई. बच्चे जो भी कमाते थे, वह उसी को देते थे. जैसे जैसे बच्चे जवान होते गए, वह उन की शादियां करता गया.

भागचंद ने अपने बेटे भूरा की शादी मथुरा से और उस से छोटे खन्ना की शादी जिला आगरा के गांव मितावली इंकारपुर की कुसुमा से की थी.

कुसुमा के पिता की मौत हो चुकी थी. इस के बाद घर में मां मनिया के अलावा 3 बहनें और एक भाई था. खन्ना अपनी कमाई से जो पैसे पिता को देता था, शादी के बाद देने बंद कर दिए थे. उन पैसों से अब वह अपनी गृहस्थी चलाने लगा था.

कुसुमा खन्ना के साथ बहुत खुश थी. उन्हीं दिनों भागचंद ने अपनी बेटी पिंकी की शादी राजस्थान के कस्बा कुम्हेरपुर के रामवीर के साथ कर दी. रामवीर भी खातेपीते परिवार का था. पिंकी को ससुराल में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी.

रामवीर का छोटा भाई श्यामवीर भी शादी लायक था. भागचंद को श्यामवीर छोटी बेटी किन्ना के लिए ठीक लगा तो उस के पिता देवी सिंह से बात की.

देवी सिंह का परिवार पिंकी से काफी खुश था, इसलिए उन्हें इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं था. इस के बाद किन्ना की शादी श्यामवीर के साथ हो गई. इस तरह भागचंद की दोनों बेटियों की शादी एक ही घर में हो गई.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. समय के साथ कुसुमा 2 बच्चों की मां बन गई. खन्ना का शटर बनाने का काम बढिय़ा चल रहा था. पिंकी अपने पति रामवीर के साथ जल्दीजल्दी मायके आती रहती थी. रामवीर मजाकिया स्वभाव का था, इसलिए अपनी सलहज कुसुमा से वह खूब मजाक करता था.

यह बात उस के साले खन्ना को अच्छी नहीं लगती थी. कभीकभी खन्ना अपने बहनोई रामवीर के मजाक करने पर ऐतराज कर दिया करता था. तब रामवीर कहता, “साले साहब, सलहज से हमारा मजाक करने का हक है, इस में आप को क्यों बुरा लगता है. भाभी को तो कोई ऐतराज नहीं है.”

खन्ना कहता, “मजाक का भी कोई समय होता है. हर समय हंसीमजाक अच्छा नहीं लगता. उस की भी एक सीमा होती है, लेकिन आप हैं कि मानते ही नहीं.”

मगर खन्ना की बातों का रामवीर पर कोई असर नहीं पड़ा. वह जब तक ससुराल में रहता, खन्ना परेशान रहता. खन्ना ने कई बार अपने पिता से भी कहा, “आप जीजाजी को समझाते क्यों नहीं, वह इतने फूहड़ मजाक करते हैं.”

भागचंद दामाद के बजाय उसे ही समझाता, “बेटा, दामाद से इस तरह की बात करना ठीक नहीं है. फिर वह मजाक ही तो करता है. वह यहां महीनों तो रहता नहीं, एकदो दिन रह कर चला जाता है. इस बात को ले कर उसे नाराज नहीं करना चाहिए, हम ने उसे बेटी दी है, बेटी की वजह से हमें चुप रहना चाहिए.”

रामवीर को किसी की कोई परवाह नहीं थी. वह जब भी ससुराल आता, कुसुमा के आगेपीछे मंडराता रहता और हंसीमजाक करता रहता. जब वह चला जाता तो खन्ना इस बात को ले कर कुसुमा से खूब झगड़ता.

एक दिन भागचंद को खबर मिली कि उस की बेटी बीमार है. यह खबर सुन कर वह परेशान हो उठा. उसे देखने के लिए वह बेटे खन्ना के साथ उस की ससुराल कुम्हेरपुर पहुंचा. वहां जा कर पता चला कि पिंकी की हालत बहुत नाजुक है.

बेहतर इलाज के लिए वह बेटी को एक बड़े अस्पताल ले गया, लेकिन वहां भी उस की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. लाख कोशिशों के बाद भी डाक्टर पिंकी को नहीं बचा पाए.

पिंकी की मौत उस के मायके वालों के लिए एक बड़ा सदमा थी. उस के बच्चों को पालने की जिम्मेदारी पिंकी की छोटी बहन किन्ना ने ले ली. पत्नी की मौत के बाद भी रामवीर जबतब अपनी ससुराल आता रहता था. ससुराल में अब भी उस की पहले की ही तरह इज्जत होती थी. कुसुमा उस की पहले की ही तरह खातिरदारी करती थी.

खन्ना को अब रामवीर का आना बिलकुल भी नहीं अच्छा लगता था. उसी की वजह से अब उस के और कुसुमा के बीच तनाव रहने लगा था. खन्ना की बात पर घर में कोई ध्यान नहीं देता था और न ही कोई उस के मानसिक तनाव को समझने की कोशिश करता था.

जबकि सच्चाई यह थी कि कुसुमा रामवीर की तरफ आकॢषत होती जा रही थी, जिस की वजह से उस के दांपत्य में दरार पडऩे लगी थी. रामवीर और कुसुमा के बीच वे बातें भी होने लगीं, जो दोनों को एकदूसरे के करीब लाने वाली थीं.

एक दिन रामवीर ने कुसुमा को मथुरा में मिलने को कहा, लेकिन कुसुमा ने कहा कि घर के सभी लोग शादी में जा रहे हैं, इसलिए घर में अकेली होने की वजह से वह वहां नहीं आ सकती. उस ने रामवीर को अपने यहां आने को कहा. तब रामवीर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि ऐसे में वह उस के घर आ सकता था.

मौके का फायदा उठाने के लिए रामवीर अपनी ससुराल पहुंच गया और एकांत का फायदा उठा कर दोनों ने उस दिन मर्यादाएं लांघ कर इच्छा पूरी कर ली. रामवीर ने साले के दांपत्य में सेंध लगा दी. खन्ना को बीवी की बेवफाई का पता नहीं चला. कुसुमा को भी अपनी बेवफाई पर कोई ग्लानि नहीं हुई.

उस दिन के बाद से कुसुमा का पति के प्रति व्यवहार बदलने लगा. खन्ना जब कभी उस से झगड़ता, वह मायके जाने की धमकी देने लगती. खन्ना समझ नहीं पा रहा था कि कुसुमा अब इस तरह की बातें क्यों करती है. वह अंदर ही अंदर तनाव में घुटने लगा. दूसरी ओर कुसुमा को किसी बात की परवाह नहीं थी.

उसी बीच मथुरा में रामवीर और कुसुमा की मुलाकात हुई तो कुसुमा ने उस से कहा कि खन्ना को अब उस पर शक हो गया है. वह छोटीछोटी बात पर उस की पिटाई करने लगा है. तब रामवीर ने कहा, “मैं खन्ना से बात करूंगा.”

“नहीं, तुम उस से कुछ मत कहना. अब मेरे घर भी मत आना. जब कभी मिलना होगा, हम बाहर ही मिल लिया करेंगे. लेकिन इस समस्या का कोई हल तो ढूंढऩा ही होगा. आखिर मैं कब तक उस से पिटती रहूंगी.” कुसुमा ने कहा.

कुसुमा की बात पर रामवीर गंभीर हो गया. उसे लगा कि कुछ तो करना ही होगा. कुसुमा ने कहा, “चलो, हम कहीं भाग चलते हैं.”

“नहीं, इस से बड़ी गड़बड़ हो जाएगी. तुम्हें यह तो पता ही है कि मेरा छोटा भाई श्यामवीर भी उस घर का दामाद है. जब मैं घर में नहीं रहूंगा तो खन्ना को पूरा विश्वास हो जाएगा कि मैं ही तुम्हें भगा कर ले गया हूं. तब ससुराल वालों से श्यामवीर के संबंध खराब हो जाएंगे. मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से श्यामवीर की गृहस्थी बिगड़े.”

रामवीर ने कुसुमा को भरोसा दिया कि वह इस बारे में कुछ न कुछ जरूर करेगा. अगर जरूरत पड़ी तो खन्ना को रास्ते से हटा कर हमेशा की टेंशन खत्म कर देगा.

होली पर रामवीर बिना बुलाए मेहमान की तरह भागचंद के घर पहुंच गया. खन्ना को उस का आना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. लेकिन वह खामोश रहा. होली के बहाने रामवीर ने कुसुमा को अपनी बाहों में भर लिया. रामवीर की इस हरकत से नाराज हो कर खन्ना ने रामवीर की पिटाई कर दी.

रामवीर अपनी सफाई में यही कहता  रहा कि वह तो सलहज के साथ होली खेल रहा था. लेकिन खन्ना का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था. आखिर में घर वालों ने बीचबचाव कर के रामवीर को छुड़ाया.

इस घटना से रंग में भंग पड़ चुका था. खन्ना ने तय किर लिया था कि अब वह रामवीर को किसी भी कीमत पर अपने घर नहीं आने देगा.

रामवीर की पिटाई से कुसुमा भी डर गई थी. उस ने पहली बार पति का ऐसा गुस्सा देखा था. खन्ना ने उसे भी चेतावनी दी थी कि वह संभल जाए वरना बहुत पछताएगी. उस दिन कुसुमा को लगा कि अब वह रामवीर से कभी नहीं मिल पाएगी.

लेकिन रामवीर ने तो कुछ और ही सोच लिया था. वह खन्ना से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था. वह सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए, जिस से वह खन्ना से बदला भी ले ले और कुसुमा भी हासिल हो जाए.

खन्ना को लगा कि रामवीर इतने अपमान के बाद अब उस के घर नहीं आएगा. वह अपने काम में मन लगाने लगा. कुसुमा का व्यवहार भी उसे सामान्य लगने लगा था. इस तरह वह बेफिक्र हो गया.

लेकिन उस की यही लापरवाही आगे चल कर उस की मुसीबत बनने वाली थी. उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पत्नी की आशिकी उसे कभी मौत की सौगात दे जाएगी.

रामवीर और खन्ना के बीच हुए झगड़े के बाद कुसुमा भी सतर्क हो गई थी. उस का रामवीर से भले ही मिलना नहीं हो रहा था, पर वह उस से फोन पर बातें करती रहती थी. जब कभी उसे मौका मिलता, वह फोन पर बात कर के निश्चित जगह पर उस से मिल भी लेती थी.

27 अगस्त, 2015 को सवेरे शटङ्क्षरग ठेकेदार अजीत चौधरी ने खन्ना के घर का दरवाजा खटखटाया. खन्ना ने दरवाजा खोला तो अजीत ने कहा कि उसे अभी उस के साथ चलना होगा, क्योंकि पार्टी को अभी काम पूरा कर के देना है. अगर समय पर उस के शटर बना कर नहीं दिए तो परेशानी हो जाएगी.

खन्ना ने कहा, “ठीक है, तुम 2 मिनट ठहरो, मैं अभी तैयार हो कर आता हूं.”

इस के बाद खन्ना ठेकेदार अजीत चौधरी के साथ चला गया. उस दिन अजीत चौधरी के साथ गया खन्ना फिर कभी वापस नहीं लौटा.

खन्ना देर रात तक वापस नहीं लौटा तो घर वालों ने अजीत को फोन किया, क्योंकि वह उसी के साथ गया था. अजीत ने बताया कि खन्ना तो शाम को ही काम खत्म कर के घर चला गया था.

जब काम खत्म कर के घर के लिए चला था तो रास्ते से कहां गायब हो गया? घर वालों ने रात में ही खन्ना की खोजबीन शुरू कर दी. लेकिन वह नहीं मिला. घर वाले रात भर उस की ङ्क्षचता में परेशान रहे. जैसेतैसे उन की रात बीती. सवेरा होते ही वे सब फिर खन्ना को तलाशने लगे.

किसी ने चैतन्य अस्पताल के सामने खाली पड़े प्लौट में खन्ना की लाश देखी तो उस के घर वालों को बता दिया. वे वहां पहुंच गए. भागचंद ने जब बेटे की लाश देखी तो फूटफूट कर रोने लगा.

खबर मिलने पर थाना यमुनापार के थानाप्रभारी संतोष कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने लाश का मुआयना किया तो उस के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला. गले में बनियान बंधा था. इस से अंदाजा लगाया गया कि इसी बनियान से उस का गला घोंटा गया था.

भागचंद का शक शटङ्क्षरग ठेकेदार अजीत चौधरी पर था, क्योंकि वही उसे अपने साथ घर से लिवा कर ले गया था. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने खन्ना के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने भागचंद की तरफ से रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन्होंने अपना शक अजीत चौधरी पर जताया था. अजीत चौधरी थाना मांट के कुढ़वारा गांव का रहने वाला था. दबिश दे कर पुलिस ने उसे उस के घर से हिरासत में ले लिया.

पुलिस ने अजीत से पूछताछ की तो उस ने खुद को बेकसूर बताया. उस ने कहा कि खन्ना लंबे समय से उस के साथ काम कर रहा था. उस के साथ उस के काफी अच्छे संबंध थे. कोई ऐसी वजह नहीं थी, जिस से वह उस की हत्या करता.

पुलिस ने उस से कई तरह से पूछताछ की. लेकिन कोई हल नहीं निकला. इस पूछताछ में अनुभवी थानाप्रभारी को वह वास्तव में बेकसूर लगा. उन्होंने उसे छोड़ दिया.

मृतक खन्ना के परिवार वालों को जब इस बात का पता चला तो वे हंगामा करते हुए थाने पहुंच गए और अजीत को जेल भेजने की मांग करने लगे.

इस हंगामे में रामवीर बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा था. थानाप्रभारी ने मृतक के परिजनों को समझाया कि वह खन्ना के हत्यारे को पकड़ कर जेल जरूर भेजेंगे.

इस के बाद पुलिस ने खन्ना के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स का अध्ययन करने पर पता चला कि उस के मोबाइल पर आने वाली आखिरी काल खन्ना के बहनोई रामवीर की थी.

पुलिस ने रामवीर के बारे में छानबीन शुरू की तो गांव वालों से पता चला कि होली वाले दिन रामवीर ने खन्ना की बीवी को छेड़ा था, तब खन्ना ने उस की पिटाई कर दी थी.

इस बात की पुष्टि के लिए पुलिस ने खन्ना के घर वालों से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि रामवीर के साथ खन्ना का झगड़ा तो हुआ था, लेकिन वह झगड़ा ऐसा नहीं था कि रामवीर खन्ना की हत्या कर देता. फिर होली के बाद रामवीर उन के यहां आया भी नहीं था.

पुलिस को अब तक पता चल चुका था कि खन्ना की बीवी कुसुमा से रामवीर का कोई चक्कर था. इस के बाद पुलिस के सामने तसवीर साफ हो गई.

दूसरी ओर रामवीर को किसी तरह पता चल गया कि पुलिस को उस पर शक हो गया है तो वह फरार हो गया. उस के फरार होने की जानकारी पुलिस को मिल गई. लिहाजा 2 सिपाहियों को उस के घर पर लगा दिया गया. जैसे ही वह घर लौटा, पुलिस ने उसे दबोच लिया.

पुलिस रामवीर को पकड़ कर थाने ले आई और पूछताछ शुरू कर दी. रामवीर ने पहले तो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपने साले खन्ना की हत्या की थी और उस की लाश को चैतन्य अस्पताल के सामने खाली पड़े प्लौट में फेंक दिया था.

रामवीर ने यह भी स्वीकार किया कि उस की सलहज कुसुमा से उस के नाजायज संबंध थे. कुछ समय तक तो सब कुछ ठीकठाक चला, लेकिन कुछ दिनों बाद खन्ना को उस पर शक होने लगा और उसे उस का आनाजाना अखरने लगा.

वह किसी भी कीमत पर कुसुमा से संबंध तोडऩा नहीं चाहता था. कुसुमा भी अपने पति की पिटाई से तंग आ गई थी. वह हमेशा के लिए पति से छुटकारा चाहती थी. इस के बाद दोनों ने खन्ना को ठिकाने लगाने की योजना बना ली.

उस के बाद रामवीर खन्ना का विश्वास जीतने की कोशिश करने लगा. जब उसे उस पर विश्वास हो गया तो रामवीर ने घटना वाले दिन खन्ना को फोन कर के शाम का खाना किसी होटल में खाने की बात कही.

खन्ना रामवीर को अपना दुश्मन नहीं बनाना चाहता था. उस ने सोचा कि अगर रामवीर सुधर रहा है तो उसे एक मौका अवश्य देना चाहिए. उस ने सोचा कि खाना खाते समय वह रामवीर को समझाएगा.

उस दिन सुबह ही वह ठेकेदार अजीत चौधरी के साथ काम पर निकला था. काम खत्म करने के बाद वह शाम को रामवीर की बताई जगह पर पहुंच गया. रामवीर उसे एक ढाबे पर ले गया, जहां दोनों ने खाना खाया और शराब पी.

रामवीर ने खन्ना को खूब शराब पिलाई. जब खन्ना नशे में धुत हो गया तो वह उसे एक टैंपो में डाल कर सुनसान जगह पर ले गया और अपनी बनियान से उस का गला घोंट दिया.

चूंकि उस दिन अजीत चौधरी खन्ना को घर से बुला कर ले गया था, इसलिए घर वालों का शक अजीत पर ही गया. पर पुलिस ने असली अपराधी को खोज निकाला.

रामवीर से पूछताछ के बाद पुलिस ने कुसुमा को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. कुसुमा के घर वालों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कुसुमा ने ही अपने पति को मरवाया है. कुसुमा यही कहती रही कि न उस के रामवीर से संबंध हैं और न ही उस ने पति को मरवाया है.

बहरहाल, पुलिस ने रामवीर और कुसुमा को गिरफ्तार कर के कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक दोनों जेल में थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मैं तलाकशुदा हूं, मुझे एक लड़के से प्यार हो गया जिससे मैंने शादी कर ली, अब वह पीछा छुड़ाना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं तलाकशुदा हूं और मेरे 3 बच्चे हैं. मुझे एक लड़के से प्यार हो गया, वह भी मुझ से प्यार करने लगा और हम दोनों ने चुपके से शादी कर ली जबकि वह मुझ से 4 साल छोटा है. लेकिन अब वह मुझ से दूर भागता है. इस वजह से मैं काफी परेशान रहती हूं और मन करता है कि आत्महत्या कर लूं, लेकिन फिर एक पल बच्चों का खयाल आ जाता है. मेरे पास जो भी पैसे वगैरा थे मैं ने सब उसे दे दिए हैं. लेकिन अब वह मुझ से पीछा छुड़ाना चाहता है.

जवाब
आप की बातें तो इसी ओर इशारा कर रही हैं कि उस लड़के ने आप से सिर्फ पैसों की खातिर ही शादी की है वरना सारी स्थिति से तो वह पहले ही वाकिफ था. अब आप से पीछा छुड़ाने का क्या मतलब. आप उसे डराएं कि विवाह करना आसान है पर तोड़ना नहीं, वह आप से अलग रहेगा तो भी उसे आप को अपनाना होगा. उसे वास्तविकता के ठोस  धरातल का एहसास दिलाएं.

कब किसी को किसी से प्यार हो जाए, इस पर तो किसी का बस नहीं चलता लेकिन आप ने उस पर विश्वास कर उसे अपने सारे पैसे सौंप दिए, यह आप की सब से बड़ी भूल थी. अकसर महिलाएं व लड़कियां भावनाओं में जल्दी बह जाती हैं, तभी धोखा खाती हैं और आप के साथ भी यही हुआ है. आप ने यह सोच कर उस पर विश्वास किया कि वह जितना मुझे प्यार करता है उतना ही मेरे बच्चों को भी करेगा, लेकिन वह तो सिर्फ आप के पैसों से प्यार करता था. अपने मकसद में सफल होने के बाद अब वह आप से दूरदूर भाग रहा है.

भले ही वह आप को ऐसा कर के मानसिक रूप से प्रताडि़त करे लेकिन फिर भी आप हिम्मत नहीं हारें, बल्कि अपने बच्चों की खातिर जिएं, उन्हें हर खुशी दें. उस का आप से पीछा छुड़ाने का कारण जानें और जब आप को समझ आ जाए कि उस ने सिर्फ लालच में आप से शादी की थी तो फिर आप उसे ऐसा सबक सिखाएं कि वह फिर किसी के साथ ऐसा करने की हिम्मत न जुटा पाए. यह आप के लिए भी सबक है कि आप आगे से किसी पर अंधा विश्वास न करें.

कैसे बनें पत्नी नंबर 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार. जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं? जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती. पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय: इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

– यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

– आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

– यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

– यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

जैक डोर्सी के इंटरव्यू पर उठते सवाल

69 वर्षीय पवन कुमार वर्मा के बारे में राजनीति में बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखने वाले लोग ही जानते हैं कि वे कई अहम किताबें लिख चुके हैं और 2014 में जनता दल यूनाइटेड की तरफ से राज्यसभा भी भेजे गए थे लेकिन पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इस के बाद उन्होंने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस जौइन कर ली थी लेकिन नामालूम वजहों के चलते उसे भी छोड़ दिया. हालांकि, उन्होंने सामयिक मुद्दों पर लिखना और बोलना नहीं छोड़ा. अप्रैल के तीसरे हफ्ते में उन्होंने अपने एक कौलम में लिखा था-

मीडिया प्लेटफौर्म्स को धमकाना, उन पर दबाव बनाना, उन्हें सजा देना, विज्ञापन न देना लोकतंत्र की सीमारेखा को लांधने वाली गतिविधि कहलाएगी. तो, क्या सरकार ने यह सीमारेखा लांघी है. हां और न दोनों, यह तो कोई भी नहीं कह सकता कि भारत में स्वतंत्र मीडिया नहीं है लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि उस पर अंकुश लगाने की कोशिशें नहीं हुई हैं.

हाल के समय में कुछ परेशान कर देने वाले ट्रैंड्स उभरे हैं जिन की अनदेखी नहीं की जा सकती. पहला तो यही कि सरकार की किसी भी तरह की आलोचना को तुरंत राष्ट्रविरोधी या राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध करार दिया जाता है.

पवन कुमार वर्मा की बातों को राजनेता या लेखक होने के अलावा इस नजरिए या पहलू से भी देखा जाना जरूरी है कि वे लंबे समय तक विदेश सेवा के अधिकारी, विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता और भूटान में भारत के राजदूत भी रहे हैं. उन की राजनीतिक आस्था चलायमान हो सकती है लेकिन मीडिया की स्वतंत्रता को ले कर उन की चिंता पर शक नहीं किया जा सकता जो वे मौजूदा सरकार की पीठ पर तकिया बांध कर लठ मारने से नहीं चूकते. नंगी पीठ पर प्रहार करने से शायद इसलिए कतराते हैं कि अंदर से वे हिंदू धर्म के हिमायती हैं जिस के चलते नीतीश कुमार उन से खफा हो गए थे.

जैक डार्सी का छलका दर्द

पवन कुमार का यह कहना कि, मीडिया प्लेटफौर्म्स को धमकाया जाता है, 2 महीने बाद बीती 14 जून को एक बड़े बवाल की शक्ल में सामने आया जब ट्विटर के संस्थापक रहे जैक डार्सी ने भारत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. जैक डार्सी ने यूट्यूब के एक शो ‘ब्रेकिंग पौइंट्स विद क्रिस्टल एंड सागर’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार ने ट्विटर पर दबाव बनाया था. सरकार कुछ ऐसे ट्विटर अकाउंट बंद करने को कह रही थी जिन में किसान आंदोलन को ले कर केंद्र सरकार की आलोचना की जा रही थी. यह बात न मानने पर सरकार ने ट्विटर को बंद करने और कर्मचारियों के घरों पर छापे मारने की धमकी दी थी.

जब बात किसी खरबपति मीडिया कारोबारी की हो, तो बात क्या कही गई, इस से ज्यादा अहम यह हो जाता है कि बात कब कही गई. खासतौर से, जब कहने वाला जैक डार्सी जैसा कामयाब कारोबारी हो तो इस से बचा नहीं जा सकता.

असल में इस इंटरव्यू के कुछ दिनों पहले ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के मियामी की अदालत से गोपनीय दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उस के भी कुछ दिनों पहले कांग्रेसी नेता राहुल गांधी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान भारत में दलितों और अल्पसंख्यकों की बदहाली के साथसाथ वाशिंगटन के नैशनल प्रैस क्लब में मीडिया की दुर्दशा पर भी खुल कर बोले थे कि भारत में मीडिया की ताकत कमजोर हो रही है.

इस सीरीज या घटनाक्रम के बारे में यह भी कहा जा सकता है कि यह दक्षिणपंथियों पर वामपंथियों का श्रृंखलाबद्ध हमला था जो पूर्वनियोजित नहीं था. वामपंथी विचारधारा के जैक डार्सी बोलने की आजादी, खुलेपन और वैचारिक उदारता के पक्षधर हैं. यह बात साल 2018 में एक अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकारी भी थी, हालांकि, उन्होंने यह सफाई भी दी थी कि इस से उन की कंपनी की पौलिसी प्रभावित नहीं होती. ट्विटर द्वारा लिए गए फैसलों के बारे में भी उन्होंने स्पष्ट किया था कि ट्विटर राजनीतिक चश्मे से फैसले नहीं लेता बल्कि फैसले कंटैंट के हिसाब से लिए जाते हैं.

यह वह वक्त था जब एपल से ले कर स्पोटीफाई जैसी नामी और दिग्गज टैक कंपनियों पर सार्वजानिक विचारों को प्रभावित करने का आरोप लगा था. इस विवाद के दौर में ही ट्विटर ने एक दक्षिणपंथी टौक शो होस्ट करने वाले एलेक्स जोन्स का अकाउंट सस्पैंड कर दिया था. इस से भी पहले ट्विटर ने राष्ट्रपति रहते डोनाल्ड ट्रंप का भी अकाउंट अस्थाई रूप से बंद कर दिया था. तभी से यह कहा जाने लगा था कि ट्विटर मोदीविरोधी है क्योंकि तब डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की दोस्ती के चर्चे दुनियाभर में चटखारे ले कर होने लगे थे. सोशल मीडिया के ‘वीर’ तो मजाक में उन की तुलना ‘शोले’ फिल्म के जय और वीरू की दोस्ती से करने लगे थे.

मुमकिन है, यह सीरीज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान उन्हें असहज कर देने की कोशिश हो लेकिन इस सच को नकारा नहीं जा सकता कि किसान आंदोलन में आंदोलनकारियों ने सरकार की मनमानी के आगे घुटने नहीं टेके थे और काले कानूनों पर उसे झुकने पर मजबूर कर दिया था. यह नरेंद्र मोदी और उन की सरकार की पहली बड़ी और करारी  शिकस्त थी जिसे वे कभी याद नहीं करना चाहेंगे.

सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जैक डार्सी के बयान का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने 2020 से ले कर 22 तक बारबार भारतीय कानूनों को तोड़ा है लेकिन इस दौरान न तो कोई जेल गया और न ही भारत में ट्विटर का शटडाउन हुआ. जनवरी 2021 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई गलत सूचनाओं को हटाने को सरकार को बाध्य होना पड़ा.

लेकिन जब किसान आंदोलन याद दिला ही दिया गया तो सरकार के घाव फिर हरे हो गए और जवाब में जैक डार्सी के पांव उन्हीं के गले में उलझाने की नाकाम कोशिश की गई जिस से असल मुद्दे यानी जैक डार्सी की मंशा पर लोगों का ध्यान न जाए. बात कायदे, कानूनों और नियमों की भी की गई जिस के जैक डार्सी आदी हैं और ऐसे हालात से बच कर निकलने के हुनर में माहिर हैं. हालांकि ब्रेकिंग पौइंट का इंटरव्यू देख फौरीतौर पर ऐसा लगता है कि वे प्रसंगवश और यों ही तुर्की के साथसाथ भारत का जिक्र कर बैठे थे लेकिन यह एक खुशफहमीभर है क्योंकि इस बयान में उन का दर्द, बेबसी व खीझ तीनों एकसाथ छलक रहे थे.

कहासुनी और कानूनों का अर्धसत्य

विवाद 2 साल से भी ज्यादा पुराना यानी किसान आंदोलन के दौरान का है जब 4 फरवरी, 2021 को केंद्र सरकार के कहने पर ट्विटर ने 500 से भी ज्यादा अकाउंट्स पर रोक लगा दी थी जबकि सरकार ने उसे 1,178 अकाउंट्स की लिस्ट दी थी. इस बात की जानकारी ट्विटर ने इन शब्दों के साथ 11 फरवरी, 2021 को एक ब्लौग के जरिए दी भी थी कि, भारत सरकार द्वारा देश में कुछ अकाउंट्स को बंद करने के निर्देश के तहत उस ने कुछ अकाउंट्स पर रोक लगाई है. नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं, राजनीतिज्ञों एवं मीडिया के ट्विटर हैंडल को ब्लौक नहीं किया गया है क्योंकि ऐसा करने से अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन होता.

ट्विटर ने यह भी कहा था कि वह भारतीय कानूनों के तहत ट्विटर एवं प्रभावित खातों दोनों के लिए विकल्प तलाश करने की सक्रियता से कोशिश कर रहा है. विवादित अकाउंट्स के बारे में सरकार की दलील यह थी कि उन का जुड़ाव पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थकों के साथ पाया गया है और जिन से किसानों के प्रदर्शन के संबंध में भ्रामक और भड़काऊ सामग्री शेयर की गई. इस से पहले भी सरकार ने किसान आंदोलन के संबंध में हुए ट्वीट्स को ले कर 257 अकाउंट्स पर रोक लगाने के लिए कहा था. असल फसाद की जड़ यही अकाउंट्स थे जिन्हें ट्विटर ने कुछ घंटों के लिए तो रोका लेकिन ये अकाउंट्स फिर से ऐक्टिव हो गए.

अपने हुक्म की तामील न होते देख सरकार हत्थे से उखड़ गई और ट्विटर को कानूनी नोटिस दे दिया. सरकार ने आईटी एक्ट की धारा 69 ए (3) का हवाला दिया जिस के तहत ट्विटर के अधिकारियों को 7 साल की जेल की सजा हो सकती थी. इस पर भी ट्विटर ने ब्लौगपोस्ट के जरिए कहा कि नुकसानदेह सामग्री वाले हैशटैग की दृश्यता घटाने के लिए उस ने कदम उठाए हैं जिन में ऐसे हैशटैग को ट्रैंड करने से रोकना एवं सर्च के दौरान इन्हें देखने की सिफारिश नहीं करने देना है. उस ने यह सूचना इलैक्ट्रौनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को देते यह भी स्पष्ट किया कि अकाउंट्स बंद करने के आदेश में चिन्हित अकाउंट्स के एक हिस्से पर हमारी विषयवस्तु नीति के तहत केवल भारत में रोक लगाई गई है. ये अकाउंट्स भारत के बाहर उपलब्ध रहेंगे.

ट्विटर ने सरकार की मनमानी पर बेहद विनम्र लहजे में अपनी यह बात भी रखी कि हम नहीं मानते कि जिस तरह की कार्रवाई के हमें निर्देश दिए गए हैं वे भारतीय कानून और अभिव्यक्ति की रक्षा करने के हमारे सिद्धांत के अनुरूप हैं. बात अब बोलने और लिखने की आजादी को ले कर अपनीअपनी परिभाषाओं, पैमानों और सिद्धांतों की हो गई थी जिस पर ट्विटर भारी पड़ा क्योंकि जहांजहां उसे आपत्तिजनक सामग्री दिखी वहांवहां उस ने सरकार की बात मानी लेकिन जहां उसे लगा कि यह सामग्री आपत्तिजनक या भड़काऊ नहीं है वहां उस ने, खासतौर से, मीडिया, राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपनी बात कहने दी.

ट्विटर का यह कहना भी सरकार को नागवार गुजरा कि अहम यह है कि लोग समझें कि कैसे सामग्री में संतुलन और दुनियाभर की सरकारों से संवाद वह बढ़ाती है. स्वतंत्र इंटरनैट एवं अभिव्यक्ति के पीछे के मूल्यों पर पूरी दुनिया में खतरा बढ़ रहा है. ट्विटर उन आवाजों को ताकत देने के लिए है जिन्हें सुना जाना चाहिए.

लेकिन सरकार को सलाहमशवरे की नहीं बल्कि किसानों के समर्थन में उठ रही आवाजें बंद करने की दरकार थी. इस बाबत देसी मीडिया तो हमेशा की तरह मैनेज था लेकिन विदेशी सोशल मीडिया पकड़ में नहीं आ रहा था. लिहाजा, उसे कानून का डंडा दिखाया गया. इस से बात बनी तो, लेकिन आधीअधूरी बनी, क्योंकि ट्विटर ने बेहद सधे लहजे में भारतीय कानूनों की व्याख्या अदालत से बाहर ही कर दी थी कि वह सरकार की मंशा या स्वार्थसिद्धि का साधन नहीं बन सकते. साबित यह भी हो गया कि सरकार ने ट्विटर पर दबाव बनाया था और वक्तवक्त पर दूसरे अकाउंट्स बंद करने का दबाव वह ट्विटर पर बनाती रही है.

एक मामले में 22 मार्च, 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक हिंदू देवी काली के बारे में लगातार ईशनिंदा करने वाले नास्तिक संगठन को ब्लौक न किए जाने पर ट्विटर की आलोचना की थी. इस मामले पर लंबीचौड़ी बहस अदालत में हुई थी लेकिन उस से यह साफ नहीं हो पाया था कि ट्विटर किस हद तक भारतीय कानूनों को मानने के लिए बाध्य है और क्या सरकार के कहने पर उसे किसी अकाउंट पर बिना सोचेसमझे रोक लगा देनी चाहिए. इसी तरह पौप सिंगर रौबिन रिहाना के एक शूट के दौरान उस के गले में गणेश का पेंडेट लटका देख भी हिंदूवादियों ने जम कर बवाल काटा था और ट्विटर के खिलाफ दिल्ली और मुंबई पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

मामला कारवां का

ऐसा ही एक मामला दिल्ली प्रैस की लोकप्रिय इंग्लिश मैगजीन ‘कारवां’ का है जिस का ट्विटर अकाउंट ब्लौक कर दिया गया था. एक स्वतंत्र खोजी पत्रकार सृष्टि अग्रवाल ने जब इस संबंध में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो मामला कानून के मकड़जाल में उलझ कर रह गया और सृष्टि को चाही गई जानकारी नहीं मिली. उन्होंने 30 अप्रैल, 2021 को इलैक्ट्रौनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामने एक आरटीआई दायर कर उन सभी उपयोगकर्ताओं के नाम और हैशटैग की लिस्ट मांगी थी जिन्हें केंद्र सरकार ने ट्विटर को ब्लौक करने का निर्देश दिया था.

इन में से एक हैशटैग मोदी प्लानिंग फार्मर जिनोसाइड भी था, यह भी ब्लौक कर दिया गया था. इस के पीछे आईटी मंत्रालय का कहना यह था कि यह लिंक विरोधों के बारे में गलत सूचना फैला रहा था जो देश में सार्वजनिक व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करने वाली आसन्न हिंसा को जन्म देने की क्षमता रखती हैं. ‘कारवां’ ने किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में एक किसान नवप्रीत सिंह की मौत की सूचना दी थी.

नवप्रीत की मौत पर खासा बवंडर उस वक्त मचा था जिस पर कारवां ने पड़ताल की थी. इस मौत के बारे में चश्मदीदों, नवप्रीत के घर वालों और पोस्टमौर्टम करने वाले फौरेंसिक विशेषज्ञों ने ‘कारवां’ को बताया था कि नवप्रीत की गोली मार कर हत्या की गई थी. उलट इस के, दिल्ली पुलिस का दावा यह था कि यह मौत तेज रफ़्तार से ट्रैक्टर चलाने से हुए हादसे के चलते हुई.

इस के बाद तो देशभर से ‘कारवां’ के संपादक, मालिकान और पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की होड़ सी लग गई थी, मानो एक किसान की मौत की खबर देने की अपनी जिम्मेदारी निभा कर उन्होंने कोई संगीन गुनाह कर दिया हो. हैरानी की बात यह भी कि ‘कारवां’ ने उक्त हैशटैग का इस्तेमाल ही नहीं किया था.

बहरहाल, सृष्टि की आरटीआई इस आधार पर खारिज कर दी गई कि ‘कारवां’ के ट्विटर अकाउंट को आईटी एक्ट की धारा 69 के तहत ब्लौक किया गया था जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता से ताल्लुक रखते मुद्दों से जुड़ी है और आईटी अधिनियम की ही धारा 8 (1) (ए) के तहत इसे उजागर नहीं किया जा सकता. सृष्टि ने हार नहीं मानी और लगातार कानूनों के तहत ही कार्रवाई करती रहीं और सरकार ने हर बार गोपनीयता की आड़ ले कर उन्हें टरका देने में ही अपनी भलाई समझी.

किसलिए हैं ये कानून

धारा 8 (1) (ए) सरकार के लिए ढाल का काम ज्यादा करती है. आम लोगों के भले या हित से इस का कोई लेनादेना नहीं. जो जानकारी सरकार छिपाना चाहती है उस की वजह झट से इस कानून को बता देती है, जबकि ‘कारवां’ के मामले में स्थिति बहुत साफ थी कि उस ने किसी को भड़काया या उकसाया नहीं था, बस, एक किसान की मौत की खबर दी थी. मुमकिन है इस के पीछे सरकार के अपने पूर्वाग्रह रहे हों क्योंकि दिल्ली प्रैस पत्रिकाएं किसी के भी गलत का लिहाज नहीं करती हैं.

मोदी सरकार की नोटबंदी के दौरान भी साल 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी धारा के सहारे दायर हुई आरटीआई याचिकाएं खारिज की थीं और कोविड-19 वैक्सीन मूल्य निर्धारण नीति पर दायर याचिकाओं पर भी इसे ढाल बनाया था. ऐसी ही एक याचिका खारिज करते कहा यही गया था कि जानकारी का खुलासा करना राज्य के रणनीतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.

इसी अधिनियम का हवाला दे कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री की मांग खारिज कर दी जाती है जिस के पीछे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिर हाथ धो कर पीछे पड़ गए हैं. जैक डार्सी ने अपने इंटरव्यू में यों ही भारतीय लोकतंत्र पर कटाक्ष नहीं कर दिया बल्कि इस की अपनी वजहें भी हैं कि आप अपने देश के मुखिया की शक के दायरे में आ गई डिग्री भी नहीं मांग सकते. अब उस से कैसे देश की अखंडता, संप्रभुता, गोपनीयता को खतरा है, यह सरकार जाने. यह मामला न तो आर्थिक है, न वैज्ञानिक है और न ही रणनीतिक है. कमोबेश दूसरे मामले भी इस से बहुत ज्यादा भिन्न नहीं हैं.

इस तरह के उदहारण बहुत हैं जिन में सरकार अपने ही देश के नागरिकों को जानकारी देने से कतराती और डरती रही है. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों राफेल की विवादस्पद खरीदी हो या फिर विदेशों से वापस आए कालेधन की तथाकथित वापसी की जिज्ञासा हो, आप को इन पर भी जानने का हक नहीं. बिलाशक हर किसी को कानूनों का पालन करना चाहिए लेकिन यह भी देखा जाना जरूरी है कि उन से जनता को कोई सुविधा मिल रही है और सुरक्षा हो रही है या फिर वे सरकार की नाकामी व मनमानी छिपाने के लिए हैं, जैक डार्सी के इंटरव्यू ने यही परदा उठाया है.

आप को छूट और अधिकार सिर्फ देश में जगहजगह हो रहीं रामकथाओं और भागवद कथा सुनने के लिए हैं. आप कलश यात्राओं और कांवड़ यात्राओं में नंगेपांव चलने के भी अधिकारी हैं जिन से आप के लोकपरलोक दोनों सुधरते हैं. बाबाओं को चढ़ोत्री देते रहने से आप मोक्ष के हकदार हो जाते हैं. बाकी ट्विटर, मीडिया, बोलने की आजादी वगैरह सब मिथ्या बातें हैं. सरकार जो भी करती रहे, कहती रहे उसे खामोशी से देखते और सुनते रहिए. उस की हां में हां मिलाते रहिए, वही इस नश्वर जीवन का सार और सार्थकता व देशभक्ति भी है. इस पर भी जी न भरे, तो जीभर कर दिनरात हिंदूमुसलमान करने की भी सहूलियत है जो 8 साल से देश में इफरात से हो रहा है.

आजादी पर आंच

जैक डार्सी ने अपने इंटरव्यू के जरिए जो इशारा किया वह मीडिया की बदहाली की तरफ ज्यादा  था. देश के अधिकतर न्यूज चैनल भगवा गैंग के हाथों बिके माने जाते हैं. बीती 3 मई को वर्ल्ड प्रैस फ्रीडम यानी विश्व प्रैस स्वतंत्रता सूचकांक की रिपोर्ट में भारत का स्थान 180 देशों में 161वें नंबर पर है जो पिछले साल 150 नंबर पर था. साल 2002 में जब पहली बार यह सिलसिला शुरू हुआ था तब मीडिया की आजादी के मामले पर भारत 80वें नंबर पर था. मीडिया की हालत इसी से समझी जा सकती है कि न्यूजरूम में छाता पकड़ कर ऐक्टिंग की जा रही है. यानी, मीडिया की आजादी सालदरसाल छिनती गई. मोदी सरकार के राज में तो इस की और भी दुर्गति हो रही है.

यह रिपोर्ट कुछ तयशुदा पैमानों पर आरएसएफ यानी ‘रिपोर्टर्स विदाउट बौर्डर्स’ नाम की संस्था, जो कि अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ है, तैयार करती है. इस रिपोर्ट की एक टिप्पणी में यह भी कहा गया है कि भारत में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा राजनीतिक तौर पर पक्षपाती मीडिया, कुछ लोगों के हाथ में मीडिया का मालिकाना हक, यह दिखाता है कि 2014 से भारतीय जनता पार्टी के नेता और राष्ट्रवादी हिंदू विचारधारा से जुड़े नरेंद्र मोदी शासित दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र में प्रैस की आजादी खतरे में है.

प्रिंट मीडिया के लिहाज से भी आरएसएफ की इस टिप्पणी से असहमत नहीं हुआ जा सकता जहां अखबारों का धंधा पुश्तैनी है. जो अखबार दादा देखता था, उस की कमान अब उस पोते के हाथ में है जिस की प्रतिबद्धता हमेशा सत्तापक्ष के साथ रही है. इन से निष्पक्ष पत्रकारिता की उम्मीद पूरी न होना उतनी दिक्कत की बात नहीं जितनी यह है कि ये सब सिरे से चाटुकार हो गए हैं.

भारत में अभी भी प्रिंट मीडिया ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है लेकिन अकेले सत्तापक्ष का गुणगान कैसे पाठकों को भ्रमित और गुमराह कर एक पूर्वाग्रह से ग्रस्त कर देता है, इसे सुप्रीम  कोर्ट के एक फैसले में दी गई इस टिप्पणी से समझना ज्यादा अहम होगा. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम न्यूजचैनल ‘मीडिया वन’ के लाइसैंस के नवीनीकरण की सुनवाई के दौरान बीती 5 अप्रैल को दी थी. इस चैनल पर सरकार ने पाबंदी लगा दी थी-

एक मजबूत लोकतांत्रिक गणराज्य के कामकाज के लिए एक आजाद प्रैस चाहिए लोकतांत्रिक समाज में प्रैस की भूमिका अहम है. राज्य काम कैसा कर रहा है, प्रैस इस पर रोशनी डालती है. प्रैस का कर्तव्य है कि वह सच बोले और नागरिकों के सामने तथ्य रखे ताकि लोकतंत्र सही दिशा में चले. प्रैस की आजादी पर अगर प्रतिबंध लग जाए तो सभी नागरिक एक ही तरह से सोचने लगेंगे और अगर समाज सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तौर पर एक ही तरह की विचारधारा रखने लगे तो इस से प्रजातंत्र को गंभीर खतरे पैदा होंगे.

गौरतलब है कि ‘मीडिया वन’ चैनल के लाइसैंस का नवीनीकरण न करने पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया गया था. इस पर कोर्ट ने दो टूक कहा था कि सरकार की नीतियों के खिलाफ चैनल के आलोचनात्मक विचारों को देशविरोधी नहीं कहा जा सकता. मीडिया की आजादी पर मंडराते इसी खतरे से अगर जैक डार्सी ने आगाह किया है तो कौन सा गुनाह कर दिया. यह तो देश के हित और भले की बात है.

जानिए ट्विटर और जैक डार्सी को

अमेरिका के सैंट लुईस में जन्मे 46 वर्षीय जैक डार्सी ने बहुत कम उम्र में ही उम्मीद से ज्यादा दौलत और शोहरत यों ही हासिल नहीं कर ली है, इस के पीछे उन के खुराफाती दिमाग और उन की रिस्क लेने की क्षमता शामिल है . बिलाशक प्रतिभाशाली तो वे हैं ही. वे साल 2006 का एक कोई दिन था जब एक शाम की पार्टी में उन के 2 दोस्तों बिज स्टोन और नोआ ग्लास की बातचीत में ट्विटर के आइडिए पर चर्चा हुई थी. तब मकसद यह था कि एक ऐसा प्लेटफौर्म या वैबसाइट बनाई जाए जिस पर लोग अपने दिलोदिमाग में आ रही बातें शेयर कर सकें.

इस के बाद हर कभी इस पर चर्चा होने लगी और आइडिए को ट्विटर नाम दिया गया. माइक्रोब्लौगिंग प्लेटफौर्म ट्विटर के वजूद में आते ही पहला ट्वीट 22 मार्च, 2006 को जैक डार्सी ही ने किया था. जैक डार्सी की विलासी जिंदगी अकसर सुर्ख़ियों में रही. वे आलीशान मकान में रहते हैं, स्पोर्ट्स कारों व डेटिंग के शौक़ीन हैं और माडल्स के प्रति उन का झुकाव है. हालांकि, वे एक वक्त ही खाना खाते हैं और नहाते बर्फ से हैं जो कोई असामान्य बात नहीं है, बल्कि यह एक खास किस्म की स्टाइल है, जिस की आलोचना भी अमेरिका में होती रही थी.

जैक डार्सी कोई रईस घराने के नही हैं. उन के पिता टिम डार्सी मध्यवर्गीय थे, वे एक कंपनी में काम करते थे. कैथोलिक परिवेश में पलेबढ़े इस किशोर ने कामचलाऊ माडलिंग भी की थी और पैसा कमाने के लिए वे मालिश भी करते थे. यह साल 2002 की बात है जब उन्होंने अमेरिकी कानून के मुताबिक मालिश करने का लाइसैंस लिया था. लेकिन महज 14 साल की उम्र में उन्होंने टैक्सी

डिस्पैचिंग सौफ्टवेयर बना कर इस कहावत को चरितार्थ कर दिया था कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. सौफ्टवेयर में बढ़ती दिलचस्पी और कुछ लापरवाह मिजाज ने उन्हें कालेज की पढ़ाई पूरी नहीं करने दी, सो, उन्होंने ओडियो नाम की एक पौडकास्टिंग कंपनी में नौकरी कर ली. ट्विटर चल निकला, तो 2015 में उन्हें उस का सीइओ बना दिया गया. साल 2021 को उन्होंने यह पद छोड़ दिया जिसे भारतीय मूल के पराग अग्रवाल ने संभाला.

अच्छे मैनेजर और बिजनैसमन साबित हुए जैक डार्सी के साथ विवादों की भी लंबी फेरहिस्त है. इस की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब उन्होंने अपने साथी  नोआ ग्लास को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. 2013 में ट्विटर जब लोकप्रिय होने लगा और इसे इस्तेमाल करने वालों की तादाद बढ़ने लगी तो रूढ़ियों के विरोधी जैक डार्सी सुर्ख़ियों में रहने लगे क्योंकि उन पर लक्ष्मी बरसने लगी थी. उस साल तक उन की संपत्ति 2.2 अरब डौलर की आंकी गई थी जो अब लगभग 4.3 बिलियन डौलर है. उन्हीं के कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट सस्पैंड किया गया था जिस की चर्चा दुनियाभर में हुई थी और पहली बार घोषिततौर पर उन पर लेफ्ट यानी वामपंथी होने का ठप्पा लगा था जिस पर उन्होंने कभी एतराज नहीं जताया, उलटे, खुद को वामपंथी कहे जाने पर फख्र ही महसूस करते रहे.

अपने सीईओ रहते उन्होंने एक आर्थिक जोखिमभरा फैसला यह भी लिया था कि ट्विटर पर राजनीतिक विज्ञापन नहीं लिए जाएंगे. 2011 में राष्ट्रपति बराक ओबामा का उन का लिया इंटरव्यू भी चर्चित रहा था जो उस वक्त ट्विटर की शब्दसीमा 140 का था. साल 2020 में ट्विटर पर सौ से भी ज्यादा अकाउंट हैक हुए थे, जिन में से एक बराक ओबामा का भी था, तब भी खासा बबाल मचा था.

ट्विटर के मुखिया रहते उन की पूछपरख स्वाभाविक रूप से थी. दुनियाभर के जिन देशों के प्रमुखों से वे मिले, उन में नरेंद्र मोदी का नाम प्रमुखता से शामिल है जिन से साल 2018 में वे मिले थे. तब जैक डार्सी ने नरेंद्र मोदी के साथ अपना एक फोटो शेयर करते यह भी लिखा था कि ट्विटर के लिए सुझाव देने का धन्यवाद. ट्विटर छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी कंपनी ब्लैक इंक और ब्लू स्काई नाम का एप बनाया जिसे ट्विटर का ही संस्करण कहा जाता है, लेकिन दोनों आज भी ट्विटर के सामने कहीं नहीं ठहरते

जैक डार्सी की भारत यात्रा भी विवादों से घिरी रही थी. 19 नवंबर, 2018 को एक तसवीर में उन के हाथ में एक पोस्टर दिखा था जिस पर लिखा था- ‘ब्राह्मण पितृसत्ता का नाश हो’ इस पर भी खूब हल्ला मचा था. तब सवाल यह भी पूछा गया था कि आप क्या केवल लेफ्ट विंग वालों के लिए ही भारत आए थे. असल में वह महिला लेखकों, एक्टिविस्टों और पत्रकारों का एक आयोजन था और ब्राह्मणविरोधी प्लेकार्ड स्वाति अर्जुन नाम की पत्रकार ने उन्हें पकड़ा दिया था. लेकिन ऐसा लगता नहीं कि जैक डार्सी जैसे चतुर कारोबारी ने यों ही नादानी या अनजाने में उसे पकड़ लिया होगा.

ट्विटर को खड़ा करने वाले जैक डार्सी ने कम वक्त में ही दुनिया की राजनीति और हालात समझ लिए हैं और उन्हें भुनाने का कोई मौका वे नही छोड़ते. जब ट्विटर को एलन मस्क ने 44 अरब रुपए में खरीदा था तो हर किसी को समझ आ गया था कि यह एक विचारधारा का नकद के एवज में स्थानांतरण है. एलन मस्क घोषिततौर पर दक्षिणपंथी हैं, इसीलिए उन्होंने ट्विटर की कमान संभालते ही सब से पहले डोनाल्ड ट्रंप व उन के साथियों के अकाउंट बहाल किए थे. अमेरिका में ट्विटर के सब से ज्यादा 9 करोड़ 54 लाख यूजर हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उस का प्रभाव वहां आने वाले चुनावों पर नहीं पड़ेगा. भारत में यह संख्या 3 करोड़ छूने वाली है, इसलिए ट्विटर का असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. लेकिन यह अब ट्विटर की नई सीईओ लिंडा पर निर्भर करेगा जिन का रुख अभी साफ़ नहीं हुआ है.

नया क्षितिज: जानें क्या हुआ जब फिर आमने सामने आए वसुधा-नागेश?

Story in Hindi

Anupamaa Spoiler: क्या तड़पती बेटी को देख अमेरिका नहीं जाएगी अनुपमा !

Anupamaa Spoiler : टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं.  रोजाना शो की टीआरपी बढ़ती जा रही है. वहीं शो के नए प्रोमो वीडियो को देखने के बाद ये लग रहा है कि अभी चीजें और ज्यादा कॉम्पलैक्स होने वाली हैं. साथ ही इस बात की भी कनफ्यूजन बनी रहेगी कि अनुपमा अमेरिका जा पाएगी या नहीं? तो आइए जानते हैं आने वाले एपिसोड में दर्शकों को क्या कुछ नया देखने को मिलेगा.

क्या स्वीटी अनुपमा को बतादेगी सच्चाई?

मंगलवार के एपिसोड (Anupamaa Spoiler) में दिखाया जाएगा कि स्वीटी अपनी मां यानी अनुपमा को विदा करने के लिए कपाड़िया हाउस से अपनी मां के घर जाती है. जहां स्वीटी को रोते देख अनुपमा परेशान हो जाएगी. अनुपमा पाखी से पूछती है, ‘छोटी ठीक तो है ना ?’ पाखी ये सुनकर इमोशनल हो जाती हैं और वह कहती है, ‘हां वह ठीक है, सो रही थी.’

हर हिंट को क्यों नजरअंदाज करेगी अनुपमा?

आपको बता दें कि मेकर्स ने प्रोमो वीडियो (Anupamaa Spoiler) में पूरे अपकमिंग वीक का हिंट दे दिया है. इसमें दिखया गया कि जब अनुपमा अपने घर से बाहर कदम रखती है तो तभी उसके पैर पर किसी का फोन गिर जाता है. एक बार फिर अनुपमा इसे भगवान का इशारा मानकर सोच में पड़ जाती है. इसके बाद अनुपमा की मां, उसका भाई और शाह परिवार के सभी सदस्य बहुत स्नेह से अनुपमा को विदा करते हैं और उसे गले लगाते हैं. वहीं लीला अनुपमा को दही शक्कर खिलाती है.

छोटी को लगेगी चोट 

दूसरी तरफ कपाड़िया (Anupamaa Spoiler) मेंशन में कुछ ऐसा होगा, जिससे सब परेशान हो जाएंगे. दरअसल छोटी बार-बार जिद्द करती है कि उसे मम्मी चाहिए. हालांकि अनुज उसे समझाता है कि ऐसा मत करों, नहीं तो आपकी तबीयत बिगड़ जाएगी, लेकिन छोटी किसी की भी बात नहीं सुनती है और बिस्तर से उठकर दौड़ने लगती है. भागते वक्त छोटी का पैर फिसल जाता है और वह जमीन पर बुरी तरह से गिर जाती है.

इसे देखने के बाद दर्शकों के मन में कई सवाल खड़े हो गए है कि क्या छोटी के कारण अनुपमा अमेरिका नहीं जाएगी? क्या अनुज-अनुपमा फिर से एक हो जाएंगे. हालांकि इन सभी सवालों के जवाब तो आने वाले एपिसोड में ही मिलेंगे.

Priyanka से लेकर Ayesha तक Naagin 7 में हो सकती है इन 9 एक्ट्रेस की एंट्री!

Naagin 7 : एकता कपूर के शो नागिन के हर सीजन को दर्शकों का खूब प्यार मिलता है. इसी वजह से इस शो की टीआरपी हमेशा टॉप पर रहती है. हालांकि अब जल्द ही ‘नादिन 6’ खत्म होने वाला है, जिसके साथ ही मेकर्स ने ‘नागिन 7’ के शुरू होने की हिंट दे दी है.

दरअसल शो से जुड़ा एक टीजर वीडियो जारी किया गया है. टीजर के सामने आने के बाद से ही दर्शक शो में प्रियंका चाहर चौधरी और आयशा सिंह के जुड़ने की अटकलें लगा रहे हैं, लेकिन इन दोनों के अलावा भी टीवी की कई हसीनाओं के नान नागिन (Naagin 7) के रोल से जोड़े जा रहे हैं. तो आइए जानते हैं उन हॉट एक्ट्रेस के नमों के बारे में-

  • प्रियंका चाहर चौधरी (Priyanka Chahar Choudhary)

‘बिग बॉस 16’ के बाद से ही एक्ट्रेस प्रियंका चाहर चौधरी को लेकर कहा जा रहा है कि वह ‘नागिन 7’ में नागिन का रोल निभा सकती हैं. हालांकि अभी तक प्रियंका ने इस मामले में कुछ नहीं कहा है.

  • आयशा सिंह (Ayesha Singh)

‘नागिन 7’ (Naagin 7) में नागिन के रोल को लेकर खबर आई थी कि एकता कपूर ने शो के लिए आयशा सिंह को अप्रोच कर लिया है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इस मामले पर न तो अभिनेत्री और न ही एकता ने कुछ कहा है.

  • निमृत कौर आहलुवालिया (Nimrit Kaur Ahluwalia)

निमृत की एक्टिंग का हर कोई दीवाना है. यहां तक कि ‘बिग बॉस 16’ में एकता कपूर ने खुद एक्ट्रेस की एक्टिंग की तारीफ की थी. इसी वजह से कहा जा रहा है कि निमृत एकता कपूर के शो में कदम रख सकती हैं.

  • सुंबुल तौकीर खान (Sumbul Touqeer Khan)

‘नागिन 7’ (Naagin 7) शो से सुंबुल तौकीर खान का नाम भी जोड़ा जा रहा है, लेकिन अभी तक इसकी  आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

  • एलिस कौशिक (Alice Kaushik)

‘पंड्या स्टोर’ फेम एक्ट्रेस एलिस कौशिक की एक्ट्रिंग का हर कोई दीवाना है. हालांकि अब उन्होंने इस शो को अलविदा कह दिया है, जिसके बाद अब फैंस उनके अपकमिंग प्रोजेक्ट का बेस्रबी से इंतजार कर रहे हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि अभिनेत्री नागिन (Naagin 7) बनकर छोटे पर्दे पर धमाल मचा सकती हैं.

  • जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget)

जेनिफर विंगेट का नाम भी ‘नागिन 7’ (Naagin 7) से जोड़ा जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कहा जा रहा है कि एकता कपूर के शो में एक्ट्रेस की धांसू एंट्री हो सकती है.

  • टीना दत्ता (Tina Datta)

एकता कपूर के ‘नागिन 7’ (Naagin 7) में नागिन के रोल के लिए कुछ फैंस ने एक्ट्रेस टीना दत्ता का नाम भी सुझाया है, लेकिन इस समय वह ‘हम’ सीरियल में नजर आ रही है, जिसमें उनके किरदार को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है.

  • क्रिस्टल डिसूजा (Krystal D’Souza)

एकता कपूर के ‘ब्रह्मारक्षस’ का हिस्सा बन चुकी क्रिस्टल डिसूजा के भी ‘नागिन 7’ में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

  • श्रीजिता डे (Sreejita De)

नागिन के रोल के लिए श्रीजिता डे का भी नाम सामने आ रहा है, क्योंकि उनके एक्सप्रेशंस और अंदाज लोगों को खूब पसंद आते हैं.

हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को नींबू पानी पीने से मिलते हैं ये 3 फायदे

Lemonade benefits in high cholesterol : हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या तेजी से लोगों में बढ़ रही है. जो अगर लंबे समय तक रहती है तो गंभीर रूप भी ले सकती है. आमतौर पर ये समस्या धमनियों में बैड फैट लिपिड्स के बढ़ने के कारण होती है, जिससे शरीर में ब्लॉकेज होने लगता है. इससे हाई बीपी की परेशानी भी हो सकती है.

ऐसे में हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या (Lemonade benefits in high cholesterol) से बचने में ही सावधानी है. बता दें कि डाइट में नींबू पानी को शामिल करने से इस समस्या से बचा जा सकता है. तो आइए जानते हैं नींबू पानी पीने के फायदों के बारे में-

हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या में पिएं नींबू पानी

  1. रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास नींबू पानी (Lemonade benefits in high cholesterol) पीने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है. दरअसल, नींबू में साइट्रिक एसिड फैट के कण होते है. जो धमनियों में लो डेंसिटी वाले फैट को चिपकने से रोकते हैं. साथ ही ब्लड वेसेल्स को अंदर से साफ करते हैं.
  2. आपको बता दें कि, नींबू पानी शरीर में क्लींजर का काम करता है, जिससे शरीर में फैट जमा नहीं होता है. साथ ही ये ((Lemonade benefits in high cholesterol)) बॉडी में जमा होने भी नहीं देता. इससे हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या के साथ-साथ मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हा जाता हैं.
  3. नींबू पानी में विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है. जो धमनियों को साफ करने के साथ-साथ ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर बनाता है. इससे ((Lemonade benefits in high cholesterol)) ब्लड सर्कुलेशन सही होता है. इसके अलावा ये शरीर में ट्राइग्लिसराइड की मात्रा को भी कम करता है.
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें