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शादी से पहले बेटी को जरूर दें ये शिक्षा, हमेशा रहेगी खुश

बेटी की शादी हर मां-बाप का सपना होता है और इसकी ख्वाहिश वो बेटी के जन्म के साथ ही करने लगते हैं. हर खर्च के साथ कुछ पैसे जोड़ने है इसका भी ख्याल रखते हैं और कुछ पैसा भी सुरक्षित करना शुरू कर देते हैं. इसके साथ ही हर लड़की को ये सुनना ही होता है कि “सीख ले ठीक से वरना ससुराल वालों से सुनना पड़ेगा .

हर मां चाहती है कि बेटी उसकी तरह ही हर काम में निपुण हो जाए और मौका पाते ही घर का काम सिखाती भी है. लेकिन अब समय बदल चुका है.. बेटियां भी बेटों की तरह स्कूल जाती है, कोचिंग और स्कूल के बीच उनके पास न तो घर का काम सीखने का वक़्त होता है और न ही उनका कोई खास लगाव

अब बेटियों के लिए आत्मनिर्भर होना ज्यादा मायने रखता है और खुद माता पिता भी यही चाहते हैं कि बेटी कमाने लायक हो जाए तब ही शादी की जाए….

हर माता पिता को पढ़ाई लिखाई और कमाने योग्य बनाने के अलावा कुछ और भी बातें सिखानी चाहिए ताकि आपकी लाडली नए परिवार में भी सुकून से रहना सीख सकें.

1. परिवार में बड़ों को इज़्ज़त और तवज्जो देना घर से सिखाये.. लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि बेटी जब बहू बनकर ससुराल जाए तो उसकी पसंद /नापसंद खत्म हो जाए . परिवार में बड़ों के साथ साथ अपनी भी गरिमामय उपस्थिति दर्ज करना सिखाये .

2.  घर के हर छोटे बड़े काम सिखाये जरूर और साथ ही काम करते वक्त दूसरों की मदद लेना भी बताए जिससे काम का सारा बोझ एक व्यक्ति पर न पड़ेगा और जल्दी भी हो जाएगा .

3. घर में जिम्मेदारियों के वहन करने के साथ साथ कुछ वक़्त अपने आराम और शौक के लिए भी निकाले. ताकि बेटी खुद मानसिक रूप से स्वस्थ्य रह पाए

4. परिवार के साथ शादी ब्याह में बाहर जाने के अलावा कभी कभी अपने दोस्तों के साथ भी आउटिंग या मूवी का लुफ्त उठाने से न चूके.. ये सब बेटी को नयी ऊर्जा देगा .

5. अगर बेटी नौकरीपेशा है तो उसे घर, काम, औफिस के बीच तालमेल बैठाना जरूर सिखाये . घर के काम का परिवार के सदस्यों के बीच बटवारा कर ले और अगर रख सकते हैं तो कुछ काम के लिए बाई रख ले.. सुबह के नाश्ते के लिए रात से ही परिवार के सदस्यों के साथ डिसाइड करके जरूरी सामान चेक कर ले, नहीं है तो मंगा ले .

6.  सभी जिम्मेदारी निभाए मगर आदर्श बहू बनने के चक्कर में पिसे नहीं.. पूरे परिवार को अपने अपने काम करने दे.. कभी किसी बात पर मतभेद हो तो खुलकर बात कर ले.. किसी भी इशू को लंबा न खींचे.. भूलना और माफ करना भी सीखना चाहिए.. आपस में झूठ बोलने से बचे.. इससे विश्वास खत्म हो जाता है.

अंधा मोड़: सौरभ के फैलाएं जाल से कैसे बच पाई माधवी ?

‘‘सौरभ, ऐसे कब तक चलेगा?’’

‘‘तुम्हारा क्या मतलब है माधवी?’’

‘‘मेरा मतलब यह है कि सौरभ…’’ माधवी ने एक पल रुक कर कहा, ‘‘अब हम ऐसे कब तक छिपछिप कर मिला करेंगे?’’

‘‘जब तक तुम्हारा और मेरा सच्चा प्यार है…’’ समझाते हुए सौरभ बोला, ‘‘फिर तुम क्यों घबराती हो?’’

‘‘मैं घबराती तो नहीं हूं सौरभ, मगर इतना कहती हूं कि अब हमें शादी कर लेनी चाहिए,’’ माधवी ने जब यह प्रस्ताव रखा, तब सौरभ सोचने पर मजबूर हो गया.

हां, सौरभ ने माधवी से प्यार किया है, शादी भी करना चाहता है, मगर इस के लिए उस ने अपना मन अभी तक नहीं बनाया है. उस के इरादे कुछ और ही हैं, जो वह माधवी को बताना नहीं चाहता है. उस ने माधवी को अपने प्रेमजाल में पूरी तरह से फांस लिया है. अब मौके का इंतजार कर रहा है. उसे चुप देख कर माधवी फिर बोली, ‘‘क्या सोच रहे हो सौरभ?’’ ‘‘सोच रहा हूं कि हमें अब शादी कर लेनी चाहिए.’’

‘‘बताओ, कब करें शादी?’’

‘‘तुम तो जानती हो माधवी, मेरे मांबाप बचपन में ही गुजर गए थे. अंकल ने मुझे पालापोसा और पढ़ाया, इसलिए वे जैसे ही अपनी सहमति देंगे, हम शादी कर लेंगे.’’

‘‘मगर, डैडी मेरी शादी के लिए जल्दी कर रहे हैं…’’ समझाते हुए माधवी बोली, ‘‘मैं टालती जा रही हूं. आखिर कब तक टालूंगी?’’

‘‘बस माधवी, अंकल हां कर दें, तो हम फौरन शादी कर लेंगे.’’

‘‘पता नहीं, तुम्हारे अंकल न जाने कब हां करेंगे.’’

‘‘जब हम ने इतने दिन निकाल दिए, थोड़े दिन और निकाल लो. मुझे पक्का यकीन है कि अंकल जल्दी ही हमारी शादी की सहमति देंगे,’’ कह कर सौरभ ने विश्वास जताया, मगर माधवी को उस के इस विश्वास पर यकीन नहीं हुआ. यह विश्वास तो सौरभ उसे पिछले 6-7 महीनों से दे रहा है, मगर हर बार ढाक के तीन पात साबित होते हैं. आखिर लड़की होने के नाते वह कब तक सब्र रखे. माधवी जरा नाराजगी से बोली, ‘‘नहीं सौरभ, तुम ने मुझ से प्यार किया है और मैं प्यार में धोखा नहीं खाना चाहती हूं. आज मैं अपना फैसला सुनना चाहती हूं कि तुम मुझ से शादी करोगे या नहीं?’’

‘‘देखो माधवी, मैं ने तो तुम से उतना ही प्यार किया है, जितना कि तुम ने मुझ से किया है…’’ समझाते हुए सौरभ बोला, ‘‘मगर, तुम मेरे हालात को क्यों नहीं समझ रही हो.’’ ‘‘मगर मेरे हालात को तुम क्यों नहीं समझ रहे हो सौरभ. तुम लड़के हो, मैं एक लड़की हूं. मुझ पर मांबाप का कितना दबाव है, यह तुम नहीं समझोगे…’’

एक बार फिर माधवी समझाते हुए बोली, ‘‘कितना परेशान कर रहे हैं वे शादी के लिए, यह तुम नहीं समझोगे.’’ ‘‘अपने पिता को जोर दे कर क्यों नहीं कह देती हो कि मैं ने शादी के लिए लड़का देख लिया है,’’ सौरभ बोला. ‘‘बस यही तो मैं नहीं कर सकती हूं सौरभ. तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हो?’’

‘‘और तुम मेरे हालात को समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रही हो…’’ सौरभ जरा नाराजगी से बोला. माधवी ने भी उसी नाराजगी में जवाब दिया, ‘‘ठीक है, तुम लड़के हो कर डरपोक बन कर रहते हो, तो मैं तो लड़की हूं. फिर भी मैं तुम्हारे फैसले का इंतजार करूंगी,’’ कह कर माधवी चली गई. सौरभ भी उसे जाते हुए देखता रहा. दोनों का प्यार कब परवान चढ़ा, यह उन को अच्छी तरह पता है. वैसे, सौरभ एक बिगड़ा हुआ नौजवान था, जबकि माधवी गरीब परिवार की लड़की. वह अपने मातापिता की एकलौती बेटी थी. उस से 2 छोटे भाई जरूर थे.

माधवी अब जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी. जब लड़की जवान हो जाती है, तब हर मातापिता के लिए चिंता की बात हो जाती है. माधवी के लिए लड़के की तलाश जारी थी. कुछ लड़के मिले, मगर वे दहेज के लालची मिले. माधवी के पिता रघुनाथ इतना ज्यादा दहेज नहीं दे सकते थे. वे चाहते थे कि माधवी का साधारण घर में ब्याह कर दें, जहां वह सुख से रह सके. मगर ऐसा लड़का उन्हें कई सालों तक नहीं मिला. माधवी सौरभ से शादी करना चाहती थी. वह बिना सोचेसमझे उसे अपना दिल दे बैठी थी. इन 6-7 महीनों में वह सौरभ के बहुत करीब आई, मगर उसे समझ नहीं पाई. उस ने उस पर प्यार भी खूब जताया. जरूरत की चीजें भी उसे खरीद कर दीं, मगर इस की हवा अपने मांबाप तक को नहीं लगने दी. इस के लिए उस ने 2-3 ट्यूशनें भी कर रखी थीं, ताकि मांबाप को यह एहसास हो कि वह ट्यूशन के पैसों से चीजें खरीद कर ला रही है. जब भी सौरभ का फोन आता, वह फौरन उस से मिलने चली जाती. तब घंटों बातें करती.

शादी के बाद क्याक्या करना है, सपनों के महल बनाती, मगर कभीकभी वह यह भी सोचती कि यह सब फिल्मों में होता है, असली जिंदगी में यह सब नहीं चलता है. मगर जब भी वह उस से शादी की बात करती, वह अंकल का बहाना बना कर टाल देता. आखिर ये अंकल थे कौन? इस का जवाब उस के पास नहीं था. तभी माधवी को एहसास हुआ कि कोई उस के पीछेपीछे बहुत देर से चला आ रहा है. उस ने पीछे मुड़ कर देखा, तो एक बूढ़ा आदमी था. माधवी ने ऊपर से नीचे तक घूरा, फिर गुस्से से बोली, ‘‘आप मेरे पीछेपीछे क्यों चल रहे हैं?’’ ‘‘मैं जानना चाहता हूं बेटी, जिस लड़के को तुम ने छोड़ा है, उस के बारे में क्या जानती हो?’’ उस बूढ़े ने यह सवाल पूछ कर चौंका दिया.

माधवी पलभर के लिए यह सोचती रही, ‘यह आदमी कौन है? और यह सवाल क्यों पूछ रहा है?’ कुछ देर तक माधवी कुछ जवाब नहीं दे सकी. तब उस बूढ़े ने फिर पूछा, ‘‘तुम ने जवाब नहीं दिया बेटी.’’

‘‘मगर, आप यह क्यों पूछना चाहते हैं बाबा?’’

‘‘इसलिए बेटी कि तुम्हारी जिंदगी बरबाद न हो जाए.’’

‘‘क्या मतलब है आप का? वह मेरा प्रेमी है और जल्दी ही हम शादी करने जा रहे हैं.’’

‘‘बेटी, मैं ने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थीं, आड़ में रह कर…’’ वह बूढ़ा आदमी जरा खुल कर बोला, ‘‘जैसे ही तुम वहां से चली थीं, तभी से मैं तुम्हारे पीछेपीछे चला आ रहा हूं.

‘‘बेटी, जिस लड़के से तुम शादी करना चाहती हो, वह ठीक नहीं है.’’

‘‘यह आप कैसे कह सकते हैं?’’

‘‘क्योंकि मैं उस का बाप हूं.’’

‘‘इस बुढ़ापे में झूठ बोलते हुए आप को शर्म नहीं आती? क्यों हमारे प्यार के बीच दुश्मन बन कर खड़े हो गए,’’ झल्ला पड़ी माधवी. ‘‘मुझे तो सौरभ ने बताया है कि उस के मांबाप बचपन में ही गुजर गए. एक अंकल ने उन्हें पालापोसा और आप उस के बाप बन कर कहां से टपक पड़े?’’ माधवी गुस्से से बोली. ‘‘तुझे कैसे यकीन दिलाऊं बेटी…’’ उस बूढ़े की बात में दर्द था. वह आगे बोला, ‘‘मगर, मैं सच कह रहा हूं बेटी, सौरभ मेरा नालायक बेटा है, जिसे मैं ने अपनी जमीनजायदाद से भी कानूनन अलग कर दिया है.  ‘वह तुम से शादी नहीं करेगा बेटी, बल्कि शादी के नाम पर तुम्हें कहीं ले जा कर किसी कोठे पर बेच देगा. सारे गैरकानूनी धंधे वह करता है. अफीम की तस्करी में वह जेल की हवा भी खा चुका है. तुम से प्यार का नाटक कर के तुम्हारे पिता को ब्लेकमैल करेगा.

‘‘जिसे तुम प्यार समझ रही हो, वह धोखा है. छोड़ दे उस नालायक का साथ. वहीं शादी कर बेटी, जहां तेरे पिता चाहते हैं. ‘‘एक बार फिर हाथ जोड़ कर कह रहा हूं कि बेटी, छोड़ दे उसे. मैं तुझे बरबादी के रास्ते से बचाना चाहता हूं.’’ इतना कह कर वह बूढ़ा रो पड़ा. माधवी को लगा कि कहीं बूढ़ा नाटक तो नहीं कर रहा है. इतने में वह बूढ़ा आगे बोला, ‘‘बेटी, तुझे विश्वास न हो, तो घर जा कर सारे सुबूत मैं दिखा सकता हूं.’’ ‘‘आप मेरे पिता समान हैं बाबा, झूठ नहीं बोलेंगे. मगर…’’ कह कर माधवी पलभर के लिए रुकी, तो वह बूढ़ा बोला, ‘‘मगर बेटी, न तुम मुझे जानती हो और न मैं तुम्हें जानता हूं. मगर जब मैं ने तुम को अपने नालायक बेटे के साथ देखा, तब मैं ने तुम्हें उस के चंगुल से छुड़ाने का सोच लिया. तभी से मैं ने तुम्हारे घर आने की योजना बनाई थी, ताकि तुम्हारे मांबाप को सारी हकीकत बता सकूं. ‘‘मेरा विश्वास करो, कहीं ऐसा न हो कि तुम प्यार में धोखा खा जाओ. मैं ने इसलिए पूछा था कि जिस लड़के से तुम प्यार करती हो, उसे अच्छी तरह परख लिया होगा. मगर तुम ने उस का केवल बाहरी रूप देखा है, भीतरी रूप तुम नहीं समझ सकी.’’

‘‘आप झूठ तो नहीं बोल रहे हैं बाबा? शायद आप मुझे अपनी बहू नहीं बनाना चाहते हैं. आप को भी दहेज वाली बहू चाहिए, इसलिए आप भी मेरे और सौरभ के बीच दीवार खड़ी करना चाहते हैं,’’ माधवी ने यह सवाल पूछा.

‘‘तू अच्छे घराने की है. मैं तेरी जिंदगी बचाना चाहता हूं. मेरी बात पर यकीन कर बेटी. जिस के प्यार के जाल में तू उलझी हुई है, वह शिकारी एक दिन तुझे बेच देगा.’’ बाबा ने माधवी को बड़ी दुविधा में डाल दिया था. वे उसे सौरभ के अंधे प्रेमजाल से क्यों निकालना चाहते हैं? वह किसी अनजान आदमी की बातों को क्यों मान ले? उसे चुप देख कर बाबा फिर बोले, ‘‘क्या सोच रही हो बेटी?’’ ‘‘मैं आप पर कैसे यकीन कर लूं कि आप सच कह रहे हैं. यह आप का नाटक भी तो हो सकता है?’’ एक बार माधवी फिर बोली, ‘‘मैं सौरभ का दिल नहीं तोड़ सकती हूं. इसलिए अगर आप मेरे पीछे आएंगे, तो मैं पुलिस में शिकायत कर दूंगी.’’

इतना कह कर बुरा सा मुंह बना कर माधवी चली गई. बूढ़ा चुपचाप वहीं खड़ा रह गया. कुछ दिनों बाद सौरभ ने माधवी को ऐसी जगह बुलाया, जहां से वे भाग कर किसी मंदिर में शादी करेंगे. वह भी अपनी तैयारी से तय जगह पर पहुंच गई. वहां सौरभ किसी दूसरे लड़के के साथ बात करता हुआ दिखाई दे रहा था. वह चुपचाप आड़ में रह कर सब सुनने लगी. वह लड़का सौरभ से कह रहा था, ‘‘माधवी अभी तक नहीं आई.’’

‘‘वह अभी आने वाली है. अरे, इन 6-7 महीनों में मैं ने उस से प्यार कर के विश्वास जीता है. अब तो वह आंखें मूंद कर मुझे चाहती है. शादी के बहाने उसे ले जा कर चंपाबाई के कोठे पर बेच आऊंगा.’’ ‘‘ठीक है, तुम अपनी योजना में कामयाब रहो,’’ कह कर वह लड़का दीवार फांद कर कूद गया. सौरभ बेचैनी से माधवी का इंतजार करने लगा. अब माधवी सौरभ की सचाई जान चुकी थी. इस समय उसे बाबा का चेहरा याद आ रहा था. बाबा ने जो कुछ कहा था, सच था. अब सौरभ के प्रति उसे नफरत हो गई. सौरभ बेचैनी से टहल रहा था, मगर वह उस से नजर बचा कर बाहर निकल गई. वह सचमुच आज अंधे मोड़ से निकल गई थी.

आया : तुषार को कैसे मिली आजादी ?

तुषार का तबादला मुंबई हुआ तो  रश्मि यह सोच कर खुश हो उठी कि चलो इसी बहाने फिल्मी कलाकारों से मुलाकात हो जाएगी, वैसे कहां मुंबई घूमने जा सकते थे.

तुषार ने मुंबई आ कर पहले कंपनी का कार्यभार संभाला फिर बरेली जा कर पत्नी व बेटे को ले आया.इधरउधर घूमते हुए पूरा महीना निकल गया, धीरेधीरे दंपती को महंगाई व एकाकीपन खलने लगा. उन के आसपास हिंदीभाषी लोग न हो कर महाराष्ट्र के लोग अधिक थे, जिन की बोली  अलग तरह की थी.

काफी मशक्कत के बाद उन्हें तीसरे माले पर एक कमरे का फ्लैट मिला था, जिस के आगे के बरामदे में उन्होंने रसोई व बैठने का स्थान बना लिया था.

रश्मि ने सोचा था कि मुंबई में ऐसा घर होगा जहां से उसे समुद्र दिखाई देगा, पर यहां से तो सिर्फ झुग्गीझोंपडि़यां ही दिखाई देती हैं.

तुषार रश्मि को चिढ़ाता, ‘‘मैडम, असली मुंबई तो यही है, मछुआरे व मजदूर झुग्गीझोंपडि़यों में नहीं रहेंगे तो क्या महलों में रहेंगे.’’

जब कभी मछलियों की महक आती तो रश्मि नाक सिकोड़ती. घर की सफाई एवं बरतन धोने के लिए काम वाली बाई रखी तो रश्मि को उस से भी मछली की बदबू आती हुई महसूस हुई. उस ने उसी दिन बाई को काम से हटा दिया. रश्मि के लिए गर्भावस्था की हालत में घर के काम की समस्या पैदा हो गई. नीचे जा कर सागभाजी खरीदना, दूध लाना, 3 वर्ष के गोलू को तैयार कर के स्कूल भेजना, फिर घर के सारे काम कर के तुषार की पसंद का भोजन बनाना अब रश्मि के वश का नहीं था. तुषार भी रात को अकसर देर से लौटता था.

तुषार ने मां को आने के लिए पत्र लिखा, तो मां ने अपनी असमर्थता जताई कि तुम्हारे पिताजी अकसर बीमार रहते हैं, उन की देखभाल कौन करेगा. फिर तुम्हारे एक कमरे के घर में न सोने की जगह है न बैठने की.

तुषार ने अपनी पहचान वालों से एक अच्छी नौकरानी तलाश करने को कहा पर रश्मि को कोई पसंद नहीं आई. तुषार ने अखबार में विज्ञापन दे दिया, फिर कई काम वाली बाइयां आईं और चली गईं.

एक सुबह एक अधेड़ औरत ने आ कर उन का दरवाजा खटखटाया और पूछा कि आप को काम वाली बाई चाहिए?

‘‘हां, हां, कहां है.’’

‘‘मैं ही हूं.’’

तुषार व रश्मि दोनों ही उसे देखते रह गए. हिंदी बोलने वाली वह औरत साधारण  मगर साफसुथरे कपडे़ पहने हुए थी.

‘‘मैं घर के सभी काम कर लेती हूं. सभी प्रकार का खाना बना लेती हूं पर मैं रात में नहीं रुक पाऊंगी.’’

‘‘ठीक है, तुम रात में मत रुकना. तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘लक्ष्मी.’’

‘‘देखो लक्ष्मी, हमारी छोटी सी गृहस्थी है इसलिए अधिक काम नहीं है पर हम साफसफाई का अधिक ध्यान रखते हैं,’’ रश्मि बोली.

‘‘बीबीजी, आप को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.’’

लक्ष्मी ने प्रतिमाह 3 हजार रुपए वेतन मांगा, पर थोड़ी नानुकुर के बाद वह ढाई हजार रुपए पर तैयार हो गई और उसी दिन से वह काम में जुट गई, पूरे घर की पहले सफाईधुलाई की, फिर कढ़ीचावल बनाए और गोलू की मालिश कर के उसे नहलाया.

तुषार व रश्मि दोनों ही लक्ष्मी के काम से बेहद प्रभावित हो गए. यद्यपि उन्होंने लक्ष्मी से उस का पता तक भी नहीं पूछा था.

लक्ष्मी शाम को जब चली गई तो दंपती उस के बारे में देर तक बातें करते रहे.

तुषार व रश्मि आश्वस्त होते चले गए जैसे लक्ष्मी उन की मां हो. वे दोनों उस का सम्मान करने लगे. लक्ष्मी परिवार के सदस्य की भांति रहने लगी.

सुबह आने के साथ ही सब को चाय बना कर देना, गोलू को रिकशे तक छोड़ कर आना, तुषार को 9 बजे तक नाश्ता व लंच बाक्स तैयार कर के देना, रश्मि को फलों का रस निकाल कर देना, यह सब कार्य लक्ष्मी हवा की भांति फुर्ती से करती रहती थी.

लक्ष्मी वाकई कमाल का भोजन बनाना जानती थी. रश्मि ने उस से ढोकला, डोसा बनाना सीखा. भांतिभांति के अचार चटनियां बनानी सीखीं.

‘‘ऐसा लगता है अम्मां, आप ने कुकिंग स्कूल चलाया है?’’ एक दिन मजाक में रश्मि ने पूछा था.

‘‘हां, मैं सिलाईकढ़ाई का भी स्कूल चला चुकी हूं्.’’

रश्मि मुसकराती मन में सोचती रहती कि उसे तो बढ़चढ़ कर बोलने की आदत है.

डिलीवरी के लिए रश्मि को अस्पताल में दाखिल कराया गया तो लक्ष्मी रात को अस्पताल में रहने लगी.

तुषार और अधिक आश्वस्त हो गया. उस ने मां को फोन कर दिया कि तुम पिताजी की देखभाल करो, यहां लक्ष्मी ने सब संभाल लिया है.

रश्मि को बेटी पैदा हुई.

तीसरे दिन रश्मि नन्ही सी गुडि़या को ले कर घर लौटी. लक्ष्मी ने उसे नहलाधुला कर बिस्तर पर लिटा दिया और हरीरा बना कर रश्मि को पिलाया.

‘‘लक्ष्मी अम्मां, आप ने मेरी सास की कमी पूरी कर दी,’’ कृतज्ञ हो रश्मि बोली थी.

‘‘तुम मेरी बेटी जैसी हो. मैं तुम्हारा नमक खा रही हूं तो फर्ज निभाना मेरा कर्तव्य है.’’

तुषार ने भी लक्ष्मी की खूब प्रशंसा की.

एक शाम तुषार, रश्मि व बच्ची को ले कर डाक्टर को दिखाने गया तो रास्ते में लोकल ट्रेन का एक्सीडेंट हो जाने के कारण दंपती को घर लौटने में रात के 12 बज गए.

घर में ताला लगा देख दोनों अवाक् रह गए. अपने पास रखी दूसरी चाबी से उन्होंने ताला खोला व आसपास नजरें दौड़ा कर लक्ष्मी को तलाश करने लगे.

चिंता की बात यह थी कि लक्ष्मी, गोलू को भी अपने साथ ले गई थी.

तुषार व रश्मि के मन में लक्ष्मी के प्रति आक्रोश उमड़ पड़ा था. रश्मि बोली, ‘‘यह लक्ष्मी भी अजीब नौकरानी है, एक रात यहीं रह जाती तो क्या हो जाता, गोलू को क्यों ले गई.’’

बच्चे की चिंता पतिपत्नी को काटने लगी. पता नहीं लक्ष्मी का घर किस प्रकार का होगा, गोलू चैन से सो पाएगा या नहीं.

पूरी रात चिंता में गुजारने के पश्चात जब सुबह होने पर भी लक्ष्मी अपने निर्धारित समय पर नहीं लौटी तो रश्मि रोने लगी, ‘‘नौकरानी मेरे बेटे को चोरी कर के ले गई, पता नहीं मेरा गोलू किस हाल में होगा.’’

तुषार को भी यही लग रहा था कि लक्ष्मी ने जानबूझ कर गोलू का अपहरण कर लिया है. नौकरों का क्या विश्वास, बच्चे को कहीं बेच दें या फिर मोटी रकम की मांग करें.

लक्ष्मी के प्रति शक बढ़ने का कारण यह भी था कि वह प्रतिदिन उस वक्त तक आ जाती थी.

रश्मि के रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग जमा हो कर कारण पूछने लगे. फिर सब लोग तुषार को पुलिस को सूचित करने की सलाह देने लगे.

तुषार को भी यही उचित लगा. वह गोलू की तसवीर ले कर पुलिस थाने जा पहुंचा.

लक्ष्मी के खिलाफ बेटे के अपहरण की रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज करा कर वह लौटा तो पुलिस वाले भी साथ आ गए और रश्मि से पूछताछ करने लगे.

रश्मि रोरो कर लक्ष्मी के प्रति आक्रोश उगले जा रही थी.

पुलिस वाले तुषार व रश्मि का ही दोष निकालने लगे कि उन्होंने लक्ष्मी का फोटो क्यों नहीं लिया, बायोडाटा क्यों नहीं बनवाया, न उस के रहने का ठिकाना देखा, जबकि नौकर रखते वक्त यह सावधानियां आवश्यक हुआ करती हैं.

अब इतनी बड़ी मुंबई में एक औरत की खोज, रेत के ढेर में सुई खोजने के समान है.

अभी यह सब हो ही रहा था कि अकस्मात लक्ष्मी आ गई, सब भौचक्के से रह गए.

‘‘हमारा गोलू कहां है?’’ तुषार व रश्मि एकसाथ बोले.

लक्ष्मी की रंगत उड़ी हुई थी, जैसे रात भर सो न पाई हो, फिर लोगों की भीड़ व पुलिस वालों को देख कर वह हक्की- बक्की सी रह गई थी.

‘‘बताती क्यों नहीं, कहां है इन का बेटा, तू कहां छोड़ कर आई है उसे?’’ पुलिस वाले लक्ष्मी को डांटने लगे.

‘‘अस्पताल में,’’ लक्ष्मी रोने लगी.

‘‘अस्पताल में…’’ तुषार के मुंह से निकला.

‘‘हां साब, आप का बेटा अस्पताल में है. कल जब आप लोग चले गए थे तो गोलू सीढि़यों पर से गिर पड़ा. मैं उसे तुरंत अस्पताल ले गई, अब वह बिलकुल ठीक है. मैं उसे दूध, बिस्कुट खिला कर आई हूं. पर साब, यहां पुलिस आई है, आप ने पुलिस बुला ली…मेरे ऊपर शक किया… मुझे चोर समझा,’’ लक्ष्मी रोतेरोते आवेश में भर उठी.

‘‘मैं मेहनत कर के खाती हूं, किसी पर बोझ नहीं बनती, आप लोगों से अपनापन पा कर लगा, आप के साथ ही जीवन गुजर जाएगा… मैं गोलू को कितना प्यार करती हूं, क्या आप नहीं जानते, फिर भी आप ने…’’

‘‘लक्ष्मी अम्मां, हमें माफ कर दो, हम ने तुम्हें गलत समझ लिया था,’’ तुषार व रश्मि लक्ष्मी के सामने अपने को छोटा समझ रहे थे.

‘‘साब, अब मैं यहां नहीं रहूंगी, कोई दूसरी नौकरी ढूंढ़ लूंगी पर जाने से पहले मैं आप को आप के बेटे से मिलाना ठीक समझती हूं, आप सब मेरे साथ अस्पताल चलिए.’’

तुषार, लक्ष्मी, कुछ पड़ोसी व पुलिस वाले लक्ष्मी के साथ अस्पताल पहुंच गए. वहां गोलू को देख दंपती को राहत मिली.

गोलू के माथे पर पट्टी बंधी हुई थी और पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था.

डाक्टर ने बताया कि लक्ष्मी ने अपने कानों की सोने की बालियां बेच कर गोलू के लिए दवाएं खरीदी थीं.

‘‘साब, आप का बेटा आप को मिल गया, अब मैं जा रही हूं.’’

तुषार और रश्मि दोनों लक्ष्मी के सामने हाथ जोड़ कर खड़े हो गए, ‘‘माफ कर दो अम्मां, हमें छोड़ कर मत जाओ.’’

दोनों पतिपत्नी इतनी अच्छी आया को खोना नहीं चाहते थे इसलिए बारबार आग्रह कर के उन्होंने उसे रोक लिया.

लक्ष्मी भी खुश हो उठी कि जब आप लोग मुझे इतना मानसम्मान दे रहे हैं, रुकने का इतना आग्रह कर रहे हैं तो मैं यहीं रुक जाती हूं.

‘‘साब, मेरा मुंबई का घर नहीं देखोगे,’’ एक दिन लक्ष्मी ने आग्रह किया.

तुषार व रश्मि उस के साथ गए. वह एक साधारण वृद्धाश्रम था, जिस के बरामदे में लक्ष्मी का बिस्तर लगा हुआ था.

आश्रम वालों ने उन्हें बताया कि लक्ष्मी अपने वेतन का कुछ हिस्सा आश्रम को दान कर देती है और रातों को जागजाग कर वहां रहने वाले लाचार बूढ़ों की सेवा करती है.

अब तुषार व रश्मि के मन में लक्ष्मी के प्रति मानसम्मान और भी बढ़ गया था.

लक्ष्मी के जीवन की परतें एकएक कर के खुलती गईं. उस विधवा औरत ने अपने बेटे को पालने के लिए भारी संघर्ष किए मगर बहू ने अपने व्यवहार से उसे आहत कर दिया था, अत: वह अपने बेटे- बहू से अलग इस वृद्धाश्रम में रह रही थी.

‘‘संघर्ष ही तो जीवन है,’’ लक्ष्मी, मुसकरा रही थी.

Saras Salil Cine Award: इन कलाकारों को भी ओवरआल कैटेगिरी में मिला अवार्ड

‘5वें सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ में इस बार भारी संख्या में आवेदन आए थे. लेकिन जूरी द्वारा फिल्मों में ऐक्टिंग, ऐडिटिंग, संगीत, मारधाड़, कथापटकथा इत्यादि के आधार पर जिन लोगों का चयन किया गया, उस में सब से ऊपर नाम दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और आम्रपाली दुबे का रहा, क्योंकि इन दोनों सितारों को ऐक्टिंग की ओवरआल श्रेणी में बैस्ट ऐक्टर का अवार्ड दिया गया.

दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ को जहां उन की फिल्म ‘माई प्राइड औफ भोजपुरी’ में की गई ऐक्टिंग के लिए बैस्ट ऐक्टर का अवार्ड दिया गया, वहीं आम्रपाली दुबे को फिल्म ‘दाग एगो लांछन’ के लिए बैस्ट ऐक्ट्रैस का अवार्ड दिया गया. रजनीश मिश्र को ‘माई प्राइड औफ भोजपुरी’ के लिए बैस्ट डायरैक्टर और बैस्ट म्यूजिक डायरैक्टर का अवार्ड मिला.

‘5वें सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ में सब से ज्यादा अवार्ड निशांत उज्ज्वल को मिला. उन्हें विभिन्न कैटेगिरी में कुल 3 अवार्ड मिले, जिस में ‘माई प्राइड औफ भोजपुरी’ को बैस्ट फिल्म का, ‘विवाह 3’ के लिए बैस्ट संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली फिल्म और बैस्ट डिस्ट्रीब्यूटर के अवार्ड से नवाजा गया. ‘माई प्राइड औफ भोजपुरी’ के लिए ही जनार्दन पांडेय ‘बबलू पंडित’ को बैस्ट लाइन प्रोड्यूसर, प्यारेलाल यादव ‘कविजी’ को बैस्ट गीतकार, प्रियंका सिंह को बैस्ट सिंगर, दिलीप यादव को बैस्ट ऐक्शन, कानू मुखर्जी को बैस्ट कोरियोग्राफर, ज्योति देशपांडेय को बैस्ट फिल्म निर्माता का अवार्ड दिया गया. ‘दाग एगो लांछन’ फिल्म के लिए जितेंद्र सिंह ‘जीतू’ को बैस्ट ऐडिटर, प्रेमांशु सिंह को बैस्ट डायरैक्टर भोजपुरी फैमिली वैल्यूज मूवी, मनोज कुशवाहा को ‘दाग एगो लांछन’ के लिए बैस्ट स्टोरी, विक्रांत सिंह को बैस्ट सैकंड लीड ‘दाग एगो लांछन’ के लिए प्रदान किया गया. ‘विवाह 3’ के आधार पर महेंद्र सेरला बैस्ट डीओपी रहे, वहीं ऐक्ट्रैस पाखी हेगड़े को महिला प्रधान फिल्मों में विशिष्ट योगदान के लिए अवार्ड दिया गया.

saras salil award

सिनेमाघरों में लंबे समय तक चलने वाली भोजपुरी फिल्म ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ के हीरो विमल पांडेय को बैस्ट क्रिटिक ऐक्टर का अवार्ड प्रदान किया गया. इसी फिल्म से अखिलेश पांडेय को बैस्ट डायरैक्टर क्रिटिक अवार्ड से नवाजा गया.

इन लोगों को भी ओवरआल कैटेगिरी में मिला अवार्ड

ओवरआल कैटेगिरी में जिन्हें अवार्ड मिले, उन में संजय पांडेय को ‘संघर्ष 2’ में किए गए अभिनय के लिए बैस्ट विलेन का अवार्ड दिया गया, जबकि ‘सिंह साहब द राइजिंग’ के लिए बैस्ट ऐक्टर इन सपोर्टिंग रोल के लिए सुशील सिंह को अवार्ड प्रदान किया गया. विजय श्रीवस्तव को ‘डार्लिंग’ फिल्म के लिए बैस्ट आर्ट डायरैक्टर का अवार्ड मिला.

इस के अलावा राहुल शर्मा को फिल्म ‘डार्लिंग’ के लिए बैस्ट डैब्यू ऐक्टर, रंजन सिन्हा को बैस्ट पीआरओ, आनंद त्रिपाठी को बैस्ट फिल्म पत्रकार, सीपी भट्ट को फिल्म ‘पड़ोसन’ के लिए बैस्ट कौमेडियन, अनारा गुप्ता को फिल्म ‘सनक’ के लिए बैस्ट आइटम नंबर का अवार्ड, रवि तिवारी को फिल्म ‘आसरा’ के लिए बैस्ट असिस्टैंट डायरैक्टर का अवार्ड दिया गया. इस के अलावा फिल्म ‘दादू आई लव यू’ के लिए आर्यन बाबू को बैस्ट चाइल्ड ऐक्टर मेल, ‘अफसर बिटिया’ फिल्म के लिए आयुषी मिश्रा बैस्ट चाइल्ड ऐक्टर फीमेल, प्रमिला घोष को बैस्ट स्टेज परफौर्मेंस, विजय यादव को बैस्ट फोक डांस ‘फरूआही’ के लिए प्रदान किया गया.

राकेश त्रिपाठी और कन्हैया विश्वकर्मा को ‘अफसर बिटिया’ के लिए बैस्ट डैब्यू डायरैक्टर का अवार्ड दिया गया, जबकि ‘आसरा’ फिल्म से बैस्ट डैब्यू ऐक्ट्रैस का अवार्ड सपना चैहान को, हितेश्वर को बैस्ट भोजपुरी रैपर का अवार्ड प्रदान किया गया.

चुनाव आयोग विपक्ष के सवालों और आरोपों का जवाब देने में क्यों विफल हो रहा है ?

संपूर्ण देश में आज ईवीएम पर पृष्ठचिन्ह खड़ा हो गया है. जिस तरह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में चुनाव परिणाम आए, उस से यह हवा बह चली कि कहीं न कहीं ईवीएम को ले कर कोई तो लोचा है. मगर भाजपा, उस के कद्दावर नेता और चुनाव आयोग किसी भी हालत में इसे तवज्जुह नहीं दे रहे. लाख टके का सवाल यह है कि जब दुनिया के अनेक देशों में ईवीएम से मतदान बंद हो चुका है तब हमारे देश में चुनाव आयोग, जिस का दायित्व है कि निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो और सभी संतुष्ट हों, आखिर ईवीएम को छोड़ कर चुनाव संपन्न कराने को तैयार क्यों नहीं हो रहा है.

सब से बड़ा सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी, जिस की देश में सत्ता है, के नेता ईवीएम पर प्रश्न खड़े होते ही बौखलाने क्यों लगते हैं? अब जब कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने चुनाव आयोग के समक्ष देश की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ के छत्र तले मिलने का वक्त मांगा तो वह नहीं मिल पा रहा है.

दरअसल, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने निर्वाचन आयोग द्वारा उन के द्वारा प्रस्तुत वीवीपेट संबंधी चिंताओं को खारिज किए जाने के बाद 8 जनवरी को एक बार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिख कर आरोप भी लगाया कि निर्वाचन आयोग विपक्षी दलों के प्रश्नों और ईवीएम से संबंधित ‘वास्तविक चिंताओं’ का ठोस जवाब देने में विफल रहा है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह आग्रह भी किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया जाए ताकि विपक्षी दल कम से कम वीवीपैट के विषय में आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकें. जयराम रमेश ने पिछले साल 30 दिसंबर को भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल को वीवीपैट पर्चियों पर अपने विचार रखने के लिए समय दिया जाए.

निर्वाचन आयोग ने वीवीपेट पर रमेश की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा था कि इस के माध्यम से ऐसा कोई नया दावा या उचित एवं वैध संदेह नहीं उठाया गया है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आग्रह किया कि ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया जाए ताकि विपक्षी दल कम से कम वीवीपेट के विषय में आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकें, जिस के लिए और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है.

मगर आयोग ने जवाबी पत्र में यह कहा, “पेपरपर्चियों संबंधी नियम कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2013 में पेश किए गए थे. रमेश ने 8 जनवरी को राजीव कुमार को लिखे पत्र में कहा, “मैं ने आयोग के साथ ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं की मुलाकात के लिए समय देने का स्पष्ट अनुरोध किया था. मुलाकात के एजेंडे में वीवीपीएटी के उपयोग पर चर्चा करना और सुझाव देना शामिल थे.”

उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग विपक्षी दलों के मिलने के आग्रह को खारिज करने के साथ ही उन के प्रश्नों और ईवीएम पर वास्तविक चिंताओं का ठोस जवाब देने में विफल है.

कांग्रेस नेता ने कहा, “ईवीएम या वीवीपेट पर राजनीतिक प्रतिभागियों के साथ बातचीत करने से आप का साफ इनकार सिर्फ ‘इंडिया’ से संबंधित पार्टियों के लिए नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के लिए गंभीर चिंता का विषय है.” उन का कहना था, “यह जान कर भी आश्चर्य होता है कि आयोग न्यायिक आदेशों की आड़ ले रहा है. हमें यह भी याद दिला रहा है कि ईवीएम और वीपीपेट के मुद्दे पर दायर जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है. आयोग अच्छी तरह जानता है कि वीवीपेट से संबंधित किसी भी न्यायिक प्रक्रिया के लंबित रहने की वजह से आयोग को ‘इंडिया’ के घटक दलों के सुझावों पर चर्चा करने या सुनने से नहीं रोका जा सकता.”

उन्होंने यह भी कहा, “वास्तव में, ऐसा कोई न्यायिक आदेश नहीं है जो आयोग को ईवीएम वीवीपैट के मुद्दे पर ‘इंडिया’ के घटक दलों नेताओं से मिलने से रोकता हो.” इधर कांग्रेस महासचिव के अनुसार, यह अनुरोध भारतीय राजनीतिक पार्टियों की ओर से किया जा रहा है, जिन्होंने देश को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और बहुत बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित राजनेता दिए हैं. मगध चुनाव आयोग की यह तलवारबाजी और हठधर्मिता किसी भी तरह लोकतंत्र के हित में नहीं कहीं जा सकती.

एक लोकतांत्रिक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर अगर कोई एक शख्स भी प्रश्न उठता है तो उस का निराकरण करना चुनाव आयोग का दायित्व है.

सर्दियों में आप भी हैं High Blood Pressure की समस्या से परेशान, तो कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये तरीके

How To Control High Blood Pressure In Winter : सर्दियों के मौसम में जैसे-जैसे पारा गिरने लगता है, वैसे-वैसे ही कई स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ठंड की चपेट में आने से सबसे पहले व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है, जिसके बाद सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार आदि की दिक्कतों का भी सामना करता पड़ता है. इसके अलावा इस मौसम में  बीपी बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है.

दरअसल, ठंड में रक्त धमनियां अपने आप संकुचित होने लगती है, जिसके कारण शरीर में रक्त प्रवाह का संतुलन बनाए रखने के लिए ज्यादा फोर्स लगता है. इसी वजह से विंटर में ब्लड प्रेशर अपने आप बढ़ने लगता है. इसके अलावा हवा, ह्यूमिडिटी, वजन बढ़ना, एटमॉस्फेयर प्रेशर, बादल और फिजिकल एक्टिविटी की कमी आदि के कारण भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता हैं. ऐसे में ये मौसम उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हो जाता है, जिन्हें पहले से ही हाई बीपी की समस्या है. हालांकि यह समस्या बुजुर्गों में सबसे अधिक देखी जाती है, लेकिन अब ये युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है.

गौरतलब है कि बढ़ते ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक और हृदय से जुड़ी कई समस्याओं के होने का जोखिम भी बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप पहले से ही उन चीजों का अपनी डाइट में शामिल करें व अपनाएं, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहे. आइए जानते हैं कि सर्दियों में बढ़ते ब्लड प्रेशर (Control High Blood Pressure Tips) को आप कैसे कंट्रोल कर सकते हैं.

शराब से बनाएं दूरी

जिन लोगों को हाई बल्ड प्रेशर की समस्या रहती है, उन्हें तो सर्दियों के दौरान शराब पीने से परहेज करना चाहिए.

कैफीन का सेवन करना पड़ सकता है भारी

विंटर में रोजाना कैफीन का सेवन करना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है. कैफीन युक्त पदार्थों को खाने व पीने से शरीर का कोर टेम्परेचर गिरने लगता है, जिससे ठंड ज्यादा लगती है. ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर (Control High Blood Pressure Tips) मरीजों को  इस मौसम में कैफीन से दूरी ही बनाकर रखनी चाहिए.

पौष्टिक आहार लें

स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आप पौष्टिक आहार लें. इसलिए अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा मौसमी फल, लो फैट फूड, डेयरी उत्पाद, होल ग्रेन्स और सब्जियों का शामिल करें. इससे ब्लड प्रेशर (Control High Blood Pressure Tips) मेंटेन करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए आप एक्सरसाइज कर सकते हैं.

अधिक जानकारी के लिए आप हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें.

सवाल: भाग 2- सुरैया की खुशी बनी अनवर के लिए परेशानी का सबब

लेखक- शेख विकार अहमद

‘‘अरे बाबा, रहने भी दो,’’ अनवर ने कहा, ‘‘एक दिन बाहर खाना खा लूंगा. मैं ने तो जातेजाते तुम्हारा हाल जानने के लिए आवाज दी थी. अगर तबीयत ठीक न हो तो पहले डाक्टर के यहां चलते हैं. मैं आधे दिन की छुट्टी ले लूंगा.’’

‘‘नहीं, वैसा कुछ नहीं है. आप चिंता न करें. थोड़ी देर में मैं ठीक हो जाऊंगी,’’ सुरैया ने कहा तो अनवर औफिस के लिए निकल पड़े.

अनवर बगैर लंच लिए औफिस गए, यह सोच कर सुरैया का दिल अपनेआप को कोसने लगा. सुबह से न जाने क्यों उस का मन ठीक नहीं था. कल रात को ऐसा कुछ खाया भी नहीं था कि बदहजमी हो जाती. वह अपनेआप से अचरज करती हुई फिर सुबह के काम निबटाने में लग गई.

10 बजे तक घर में अम्मा यानी उस की सास और वह दोनों ही रह गए. रोज की तरह उस ने सारे काम निबटा लिए. उधर अम्मा रोज की तरह किताब पढ़ने के बाद खाली बैठी थीं. उन्हें खाना खाने को कहने आई थी और उन से बात कर ही रही थी कि उसे जोर से उबकाई आई और वह वाशबेसिन की तरफ दौड़ पड़ी. अम्मा उस की उबकाई देख कर हैरान हो गईं.

‘‘क्या हो गया, बहू?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘पता नहीं, अम्मा. बस, सुबह से ही मेरा मन ठीक नहीं है. पता नहीं कैसे बदहजमी हो गई. कल तो ऐसा कुछ खाया भी नहीं था,’’ उस ने वाशबेसिन से लौट कर जवाब दिया.

अम्मा ने दुनिया देखी थी. कहीं यह इस उम्र में मां तो नहीं बनने जा रही है. यह सोच कर उन के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा, ‘‘हाय, अब क्या होगा?’’

सुरैया ने सुना तो उस का दिल धक्क से रह गया, ‘‘क्या हो गया, अम्मा? कहीं मेरी तबीयत को ले कर आप परेशान तो नहीं हो रही हैं?’’

‘‘धत्त, पगली है. यह बात नहीं है. अरे, तेरा जी मिचला रहा है. कहीं तू मां तो नहीं बनने जा रही है?’’

सुरैया कुछ देर के लिए सोच में पड़ गई. फिर एकदम उस के चेहरे पर लाली आ गई और वह शरमा कर तेज कदमों से बैडरूम में चली गई.

सुरैया के चेहरे पर आतेजाते रंग को देख कर अम्मा को अलग से कुछ बताने की जरूरत नहीं थी. वे गहरी सोच में पड़ गईं कि कोई सुनेगा तो क्या कहेगा. लाख सौतेले ही सही पर इस के बच्चे जवान हो गए हैं. लड़की भी सयानी हो गई है. और तो और, इस की उम्र भी 40 की हो रही है. क्या इस की उम्र अब मां बनने की है?

अम्मा को आज भी अच्छी तरह याद है कि अनवर ने दूसरी शादी के लिए मंजूरी ही इस शर्त पर दी थी कि वे उन की उम्र को नजर में रख कर ही उन के लिए बहू तलाश करेंगी. अम्मा भी चाहती थीं कि ऐसी ही बहू लाएंगी जो बच्चों की मां जैसी दिखे और बच्चे जिसे मां के रूप में कुबूल करें.

उन्होंने सुरैया का चुनाव काफी सोचविचार के बाद इसीलिए किया था कि उस का तलाक हुए 10 साल हो चुके थे. उस वक्त उस की उम्र 35 पार हो चुकी थी. उन के हिसाब से इस उम्र में मां बनना जरा मुश्किल होता है. फिर शादी के बाद जब 3 साल खाली गए तो उन्हें भी इस तरफ से इत्मीनान हो गया था. मगर आज का नजारा देख कर वे मन ही मन परेशान हो गईं. अम्मा की सम?ा में नहीं आ रहा था कि अनवर को जब यह खबर मालूम होगी, वह उसे किस तरह लेगा.

उधर बिस्तर पर लेटी सुरैया दूसरे ही खयालों में गुम थी. वह मां बन सकती है, यह खयाल ही उसे गुदगुदा रहा था. आज तक वह अपनेआप को बां?ा ही सम?ाती आई थी. बल्कि जिस समय उसे लोगों ने जबरदस्ती बां?ा घोषित किया था वह इस सचाई को मानने के लिए दिमागी रूप से तैयार न थी. मगर गुजरते समय के साथ उस ने इस हकीकत को मंजूर कर लिया था. अपने अतीत को याद कर के उस के मन में खुशी के बजाय एक दर्द की लहर दौड़ गई.

सुरैया जब 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी. उस की शादी साहिल से हुई थी. पढ़ाई बीच में छोड़ कर उसे घरसंसार की दुनिया में धकेल दिया गया था. वैसे, उस के अब्बा इतने पुराने खयालात के न थे मगर जमाने का चलन ही कुछ ऐसा है. सुरैया के लिए जब साहिल का रिश्ता आया तो उन के पास मना करने की कोई वजह ही नहीं थी. लड़का पढ़ालिखा था. अच्छी नौकरी करता था. घरबार अच्छा था. उन्होंने फौरन हां कर दी.

सुरैया की शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी. ससुराल पहुंचने पर उस ने पाया कि जिस ने भी उसे दुलहन के रूप में देखा, उस ने ही शाहिदा बेगम को खूबसूरत दुलहन लाने की बधाई दी थी. दुलहन बनी सुरैया अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी.

शादी के बाद सुरैया ने पाया कि उस के अब्बू का चुनाव गलत नहीं था. साहिल सचमुच उसे अच्छा लगा था. पढ़ालिखा तो था ही, वह सम?ादार भी था. घर का इकलौता लड़का था. एक बड़ी बहन थी जिस की शादी हो चुकी थी और वह अपनी ससुराल में खुश थी. कभीकभार मायके आती तो घर में खुशियां आ जातीं. जिंदगी बड़े मजे से गुजर रही थी. घर की माली हालत ऐसी थी कि दुनिया का कोई अरमान अधूरा न रहता.

शादी को जब एक साल पूरा होने को आया तो जो भी महिला रिश्तेदार मिलने को आती वह इशारे से उस से पूछ ही लेती, ‘कोई खुशी की खबर है?’

सुरैया शरम से सिर हिला कर मना कर देती. पूछने वाली उस का दिल रखने को कह देती, ‘कोई बात नहीं, अभी समय ही कितना हुआ है. एक साल ही तो गुजरा है.’

मगर जैसेजैसे दिन गुजरने लगे, खुद सुरैया को भी पूछने वालों का सामना करने से डर लगने लगा. किसी भी त्योहार व फंक्शन के मौके पर जब भी रिश्तेदारों का जमघट लगता तो उस के मन में यह सवाल कि ‘कोई खुशी की खबर है?’ बवंडर मचा देता. उसे हमेशा डर लगा रहता कि अब वह औरत पूछेगी. उस की सम?ा में नहीं आ रहा था कि वह हर किसी के एक ही सवाल का जवाब कैसे दे.

फिर साहिल उस खानदान का इकलौता लड़का था. उस की सास को अपने खानदान का चिराग देखने की आस थी. वह अंदर ही अंदर खोखली होती जा रही थी. कभीकभी सुरैया को इन औरतों की इस फुजूल की पूछताछ पर गुस्सा भी आता मगर फिर वह सोचती कि अगर कोई उस से उस की खुशी के बारे में पूछ रहा है तो इस में कुछ भी गलत नहीं है और फिर उस ने भी तो खुद अपनी सहेलियों से उन की शादी के बाद हंसतेहंसते यही सवाल पूछा था.

जैसेजैसे दिन गुजरते गए, दबी जबान से शिकायत करने वाली शाहिदा बेगम अब खुल कर कहने लगीं. उस के औलाद न होने की बात जबतब घर में उठने लगी. सुरैया अब घर में आने वाले मेहमानों के सामने जाने से कतराने लगी. उस के मन में बारबार यही सवाल उठता कि कहीं वह बां?ा तो नहीं?

शादी को 6 साल हो गए तब भी उस की गोद हरी नहीं हुई थी. पहले प्यार की बौछार करने वाली शाहिदा बेगम अब उस से मुंह मोड़ चुकी थीं. उन दोनों के बीच जैसे एक अजीब सी दीवार खिंच गई थी. फिर भी उस का मन यह मानने को तैयार नहीं था कि वह मां नहीं बन सकती है. उस के अंदर अपनेआप से ही एक तरह का संघर्ष चल रहा था.

उस का मन तो उस वक्त और भी टूट गया जब साहिल ने भी उस से इस बारे में शिकायत कर दी. उस रात काफी देर तक वह बिस्तर पर चुपचाप पड़ी अंदर ही अंदर रोती रही. उस के बाद तो जैसे यह सिलसिला ही चल पड़ा. आएदिन उस की इस कमजोरी को उजागर किया जाने लगा. रोजरोज की इस चखचख से वह परेशान हो गई थी. उस की सम?ा में नहीं आ रहा था कि इस मुसीबत का हल कैसे निकाले.

एक बार जब उस ने डरतेडरते साहिल से कहा कि एक बार हम दोनों डाक्टर से मिल कर इस मामले में राय ले कर देखते हैं तो साहिल ऐसे गुस्सा हुआ था कि दोबारा इस बात का जिक्र करने की उस की हिम्मत ही नहीं हुई. उस की सम?ा में नहीं आता था कि इस में बुराई क्या थी? अगर उस में कमी होगी तो वह सचाई को कुबूल कर लेगी. यह बात बस उन दोनों के बीच ही रह गई और खत्म हो गई.

इन 5 चीजों को भूल कर भी ना खाएं खाली पेट, नहीं तो पड़ जाएंगे लेने के देने

Foods To Avoid On An Empty Stomach : आपकी सेहत अच्छी रहे इस लिए आप अपने खानपान को ले कर काफी सजग रहते हैं. आप जो भी खाते हैं उसका सीधा असर आपकी सेहत पर होता है. ऐसे में आपके खाने की समय से भी आपकी सेहत प्रभावित होती है. कुछ चीजों को खाने का एक सही वक्त होता है. अगर आप उस वक्त पर उसे नहीं खाते हैं तो आपकी सेहत बुरी तरह से प्रभावित होती है.

खाने की टाइमिंग सेहत को काफी प्रभावित करती है. सही चीज को भी अगर आप गलत वक्त पर खाते हैं तो उसका असर बुरा ही होगा. ऐसे में हम आपको कुछ चीजों के बारे में बताने वाले हैं जिनका खाली पेट सेवन करना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है.

तो आइए शुरू करें.

खट्टे फल

खट्टे फल जैसे  संतरा, अंगूर और नींबू जैसी चीजों में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है. सुबह में खाली पेट इनका सेवन पेट के लिए काफी बुरा होता है.

टमाटर

टमाटर विटामिन्स और एंटीऔक्सिडेंट्स से भरपूर होता है. पर खाली पेट इसका सेवन करना काफी नुकसानदायक होता है. जब आप इसे खाली पेट खाते हैं तो अपने एसिडिक नेचर की वजह से पाचन में ये काफी वक्त लेता है. जिसके कारण कई बार लोगों को पेट दर्द की शिकायतें देखी गई हैं.

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स

आम तौर पर कार्बोनेटेड ड्रिंक्स सेहत के लिए बुरी होती हैं. अगर आप इनका सेवन खाली पेट करते हैं तो ये और अधिक हानिकारक हो जाते हैं. इससे कैंसर और दिल की गंभीर बीमारियों के होने का खतरा अधिक रहता है.

चाय या कौफी

बहुत से लोग सुबह में जागते ही चाय या कौफी के शौकीन होते हैं. उन्हें जागते ही चाय या कौफी चाहिए होती है. पर लोगों को पता नहीं होता कि ये आदत उनके लिए कितना हानिकारक है, उनकी सेहत पर इसका कितना नकारात्मक असर है.  खाली पेट कौफी पीने से हाइड्रोक्लोरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और इससे कब्ज व वोमिटिंग की समस्या बढ़ जाती है. इससे पाचन की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है. खाली पेट पानी पीने की आदत डालिए. फिर थोड़े समय बाद कैफीन वगैरह लीजिए.

पेस्ट्रीज

सुबह के नाश्ते में पेस्ट्रीज अच्छा औप्शन है, सुबह खाली पेट इसे खाने से बचना चाहिए. इसमें पाए जाने वाला यीस्ट (खमीर) खाली पेट के लिए काफी हानिकारक होता है.

जब शादीशुदा महिला को हो जाए प्यार, तो इन खतरों के लिए रहे तैयार

6 जनवरी, 2024 को एक महिला अपने 2 बच्चों को ले कर उस तथाकथित प्रेमी के साथ फरार हो गई जिस के साथ फेसबुक पर हुई दोस्ती हाल ही में प्यार में तब्दील हुई थी. महिला का पति विक्की पत्नी के अचानक गायब होने से उसे खोजते हुए दरदर भटकने लगा. यह घटना बिहार के मुंगेर जिले की है. जाहिर है महिला ने फेसबुकप्रेमी के लिए अपने 15 साल पुराने रिश्ते को एक झटके में तोड़ दिया.

दोनों की शादी 2009 में हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार हुई थी. शादी के बाद 2 बेटियों का जन्म हुआ. 3 जनवरी को उस की पत्नी अपने छोटे भाई के साथ मायके जाने की बात कह कर घर से निकली थी. जमालपुर रेलवे स्टेशन पर अपने भाई को धरहरा (मायके) की ट्रेन पर बैठा कर खुद पीछे से दूसरी ट्रेन से आने की बात कह कर वह दोनों बच्चों के साथ फरार हो गई.

14 दिसंबर, 2023 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में 4 बच्चों की मां अपने प्रेमी संग भाग गई. साथ ही, वह घर से जातेजाते पति को लाखों रुपयों का चूना लगा गई. अपने साथ ढाई लाख रुपए नकद, 2 तोले सोने के जेवर, ढाई सौ ग्राम चांदी के जेवरात और जमीन के कागज भी ले गई.

16 अक्टूबर, 2023 को कोटा में 38 साल की 6 बच्चों की मां अपने प्रेमी विशाल के साथ भाग गई. वह नरेगा काम पर गई तो वापस ही नहीं लौटी. यही नहीं, पत्नी के चले जाने के गम और सदमे में उस के पति ने सुसाइड कर लिया. इस तरह उस के 6 बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया.

ऐसा ही कुछ 10 अगस्त, 2023 को भी हुआ जब 2 बच्चों की मां अपने पति को छोड़ रिश्ते में लगने वाले मौसेरे भाई के साथ फरार हो गई. पति जब जोरजबरदस्ती अपनी पत्नी को वापस घर ले कर लाया तो पत्नी ने गुस्से में जहर खा लिया. जिस के बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भरती करवाया गया.

यह घटना बिहार की है. 3 साल पहले अभिषेक यादव की शादी काजल के साथ धूमधाम से हुई थी. काजल के पति अभिषेक यादव नासिक में बाहर रह कर काम करता है. शादी के बाद दोनों के काफी अच्छे मधुर संबंध थे. दोनों के 2 बच्चे भी हुए. इसी दौरान शादी के 2 सालों बाद काजल की नजदीकियां रिश्ते में लगने वाला मौसेरे भाई के साथ बढ़ने लगीं. नजदीकी प्यार में बदल गई और दोनों ने एकसाथ जीनेमरने की कसमें खा लीं. वे कभीकभी घर से बाहर भी जा कर मिलने लगे. फिर एक दिन वह अपने मौसेरे भाई के साथ कहीं भाग गई. एक सप्ताह बाद वापस लौटी मगर गुस्से में चूहे मारने वाली दवा खा ली. काजल ने कहा कि मौसेरा भाई ही उस का सच्चा प्यार है और उसे दोनों बच्ची को भी अपने साथ रखना है मगर पति से तलाक चाहिए.

इस तरह के मामले अकसर देखेसुने जाते हैं जब शादीशुदा महिला किसी के प्यार में पड़ जाती है और अपने बच्चों को ले कर या पति के पास छोड़ कर भाग जाती है. ऐसा होना अस्वाभाविक नहीं है. कई दफा महिलाएं अपनी शादीशुदा जिंदगी में परेशान रहती हैं. पति के साथ बनती नहीं या घर का माहौल दमघोंटू होता है. ऐसे में उस माहौल में उसी पति के साथ रह कर घुटने और अपनी जिंदगी बरबाद करने से बेहतर कई बार किसी और का हाथ थाम लेना होता है. जब महिला को कोई औप्शन मिलता है, कोई शख्स उसे खूबसूरत जिंदगी के सपने दिखाता है तो बहुत संभव है कि वह सबकुछ पीछे छोड़ कर अपने प्रेमी के साथ आगे बढ़ जाए. इसे आप गलत भी नहीं कह सकते क्योंकि अपनी जिंदगी में खुशियां ढूंढने का हक सब को है.

धर्म का दखल

हमारा समाज और धर्म इस बात को गलत नजरिए से देखता है. समाज हम से मिल कर बनता है मगर इस समाज का नजरिया धर्म ने गढ़ा है. धर्म हमें समझाता है कि एक औरत की डोली किसी घर में आती है तो फिर अर्थी ही वापस जाएगी. जिस पुरुष के साथ उस का रिश्ता जुड़ा है वह 7 जन्मों का है और हर तरह की यातनाएं सहने के बावजूद उसे किसी दूसरे पुरुष के बार में सपने में भी सोचना उसे पापिन बना देगा. उसे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी.

स्त्रीपुरुष के बीच इस दोगले नियमों ने सदियों महिलाओं को अबला बना कर रखा मगर अब महिलाएं अपने हक और ख़ुशी के लिए आवाज उठाने लगी हैं. वे इन बंधनों से खुद को आजाद करने के लिए कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकतीं. जज्बातों में बह कर अगर वह किसी दूसरे के साथ जाती है तो इसे पूरी तरह गलत नहीं कहा जा सकता.

मगर समस्या तब आती है जब महिला के छोटे बच्चे होते हैं. ऐसे में उन बच्चों की जिंदगी दांव पर लग जाती है. उन का भविष्य अनिश्चित हो जाता है क्योंकि कोई नहीं जानता कि महिला का नया प्रेमी बच्चों के साथ कैसा बरताव करे या फिर बच्चे मां के नए पति के साथ सुरक्षित रह पाएं या नहीं. कभीकभी सौतेले बाप द्वारा यौनशोषण की घटनाएं भी आती रहती हैं. वैसे भी, इंसान किसी और के बच्चों को सहजता से अपना नहीं पाता.

नए घर में संभव है कि उन्हें पूरा अधिकार भी न मिले. पत्नी अगर पति के पास बच्चों को छोड़ कर जाती है तब भी बच्चों की जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. कई दफा पत्नी के बाद पति शराबी हो जाता है. वह घर, बच्चों और अपनी जिंदगी के प्रति भी लापरवाह हो जाता है. मानसिक तनाव उस पर हावी होने लगता है. धोखा दिए जाने के गम से उबरने में उसे काफी समय लगता है. अगर वह दूसरी शादी करता है तो नई मां का व्यवहार बच्चों के प्रति कैसा हो, यह पहले से कहा नहीं जा सकता.

इसलिए अगर कोई शादीशुदा महिला अपने बच्चों को ले कर घर छोड़ने का फैसला लेती है तो उसे बच्चों से जुड़े ये जोखिम उठाने को तैयार रहना चाहिए. उसे पता होना चाहिए कि वह बच्चों के साथ सबकुछ कैसे मैनेज करेगी और बच्चों के भविष्य को बिगड़ने से कैसे बचाएगी. इंसान कदम उठता है तो रास्ते मिल ही जाते हैं मगर आने वाली मुसीबतों का एहसास और उस का समाधान पहले से सोच कर रखना जरूरी होता है.

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