संपूर्ण देश में आज ईवीएम पर पृष्ठचिन्ह खड़ा हो गया है. जिस तरह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में चुनाव परिणाम आए, उस से यह हवा बह चली कि कहीं न कहीं ईवीएम को ले कर कोई तो लोचा है. मगर भाजपा, उस के कद्दावर नेता और चुनाव आयोग किसी भी हालत में इसे तवज्जुह नहीं दे रहे. लाख टके का सवाल यह है कि जब दुनिया के अनेक देशों में ईवीएम से मतदान बंद हो चुका है तब हमारे देश में चुनाव आयोग, जिस का दायित्व है कि निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो और सभी संतुष्ट हों, आखिर ईवीएम को छोड़ कर चुनाव संपन्न कराने को तैयार क्यों नहीं हो रहा है.

सब से बड़ा सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी, जिस की देश में सत्ता है, के नेता ईवीएम पर प्रश्न खड़े होते ही बौखलाने क्यों लगते हैं? अब जब कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने चुनाव आयोग के समक्ष देश की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ के छत्र तले मिलने का वक्त मांगा तो वह नहीं मिल पा रहा है.

दरअसल, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने निर्वाचन आयोग द्वारा उन के द्वारा प्रस्तुत वीवीपेट संबंधी चिंताओं को खारिज किए जाने के बाद 8 जनवरी को एक बार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिख कर आरोप भी लगाया कि निर्वाचन आयोग विपक्षी दलों के प्रश्नों और ईवीएम से संबंधित 'वास्तविक चिंताओं' का ठोस जवाब देने में विफल रहा है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह आग्रह भी किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया जाए ताकि विपक्षी दल कम से कम वीवीपैट के विषय में आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकें. जयराम रमेश ने पिछले साल 30 दिसंबर को भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल को वीवीपैट पर्चियों पर अपने विचार रखने के लिए समय दिया जाए.

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