कोरोना का राजनीतिक इफेक्ट भी होगा.यह देश की राजनीतिक और सामाजिक हालात को भी बदलने की क्षमता रखता है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता को खुद से जोड़ कर रखना चाहते है. ऐसे में वह बराबर इवेंट्स का सहारा ले रहे है.
कोरोना संकट से निपटने के लिए लॉक डाउन की शुरुआत ही ‘जनता कर्फ्यू’ जैसे मेगा इवेन्ट के साथ हुई. इसके बाद हर बार प्रधानमंत्री का जनता को संबोधित करना, धार्मिक टीवी सीरियल्स को शुरू करना, ताली और थाली बजाने, कैंडिल जलाने जैसे तमाम काम सरकार ने किए.
सेना बरसाएगी फूल
पहले और दूसरे लॉक डाउन के बाद 03 मई से 17 मई के बीच शुरू होने वाले तीसरे लॉक डाउन के लिए केंद्र सरकार की पहल पर सेना ने फैसला किया है कि भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान देश भर के अस्पतालों पर फूल बरसायेंगे.इस कार्य से सरकार अस्पताल में काम करने वालो का सम्मान देना चाहती है.
इसके पीछे मकसद है कि लोग देश भक्ति, राष्ट्रवाद से बंधे रहे. सरकार में अपनी आस्था बनाये रखे और सरकारी प्रयासों की सराहना करते रहे.सरकार को यह पता है कि अब जनता लॉक डाउन से परेशान हो चुकी है. ऐसे में लोक डाउन जितना लम्बा खींचेगा लोगो की सहनशीलता उतनी तेजी से खत्म होगी.
नई नही रही मन की बात
लॉक डाउन के हर मोड़ पर जनता से बात करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद जनता से रूबरू होते थे.तीसरे लॉक डाउन का एलान करने या फिर उसके सम्बंध में बात करने खुद प्रधानमंत्री नही याए. इसकी वजह यह थी कि अब लोक डाउन के बारे में बात करने के लिए उनके पास कुछ नया नही था.
तीसरे लॉक डाउन की शुरुआत के समय सरकार अब एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में लोगो को ले जाने के लिए रेलगाड़ियों को चलाने का काम करने जा रही है.यह काम सरकार को लॉक शुरू होने से पहले करना चाहिए था तो प्रवासियों के मन मे भय पैदा नहीं होता और आने वाले दिनों में उधोग धंधों को यह चिंता नहीं होती कि यह प्रवासी मजदुर वापस काम पर आयेगे या नही.
घट रही विश्वनीयता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास तीसरे लॉक डाउन के पहले कुछ बताने के लिए नया नही था इस लिए मन की बात करने के लिए वो देश की जनता के सामने खुद नही आये..
लॉक डाउन को लेकर जनता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो भरोसा पहले बना था धीरे धीरे अब वह खत्म होता नजर आ रहा है. जिस उत्साह के साथ देश ने जनता कर्फ्यू, ताली बजाने और कैंडल जलाने का काम किया अब तीसरे लोक डाउन में वह सवाल करने लगी है. जनता को लग रहा कि सरकार उसको कोरोना को लेकर सही हालत नही बता रही है.
सरकार की अव्यवस्था ने बढाई मालिक और मजदूरों के बीच दूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉक डाउन को लेकर हर बार नया नया वादा ठीक उसी तरह से कर रहे जिस तरह से कोर्ट में तारीख पर तारीख मिलती है. इससे एक बात का और पता चलता है कि सरकार के पास लॉक डाउन करने के पहले कोई रुट प्लान नही था. वो जनता को कैद करके पूरे देश मे तालाबंदी ही कर सकती है जिंसमे उसको कुछ नही करना पड़े. अगर सरकार ने पहले यह प्लान किया होता कि 1 माह से लेकर 2 माह के बीच तालाबंदी करनी है तो प्रवासियों को सबसे पहले अपनी जगह भेज कर लोक डाउन करती. कोरोना संकट के दौरान सरकार की लापरवाही से प्रवासियों को दिक्कत हुई है उसने मालिक और मजदूरों के बीच एक खाई खोद दी है.जिसको पाटे बिना देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सम्भव नही है.