कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार को जो काम लॉक डाउन करने से पहले करना चाहिए था वो काम करने की याद उसे 40 दिन बाद आई.कोटा से छात्रों को लाने के लिए बस का प्रयोग किया गया. दिल्ली से मजदूरों को प्रदेश वापसी के लिए आधी अधूरी सुविधा दी गई। मजदूर पैदल, साइकिल से आये..सरकारी बसों में उनसे किराया लिया गया. विपक्ष के दबाव में सरकार ने जो काम पहले करना उसे करने में देरी की. मजदूरों को ट्रेन से घरो तक पहुचाने का जो काम 40 दिन बाद शुरू किया गया यह पहले किया गया होता तो मजदूरों को इस तरह की विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता. इस संबंध में उत्तर प्रदेश कोंग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से खास बातचीत हुई. पेश है उसके प्रमुख अंश :-

क्या सरकार ने प्रवासी मजदूरों घर लाने में भेदभाव किया ?

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन बढ़ाते समय इस बात का भरोसा दिया था की मजदूरों को  सोशल डिस्टेंसिंग के साथ निशुल्क घर वापस पहुचायेगी. दिल्ली से उत्तर प्रदेश लाने की आधी अधूरी व्यवस्था की. सरकार ने कहा था कि टिकट का पैसा राज्य  सरकार अदा करेंगी. लेकिन सरकार ने मजदूरों को छला.मजदूरों से पूरा पैसा वसूला गया.यही नहीं टिकट से भी ज्यादा दाम वसूले गए. मजदूर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. जिसके पास दो वक्त की रोटी नही, उन्हें लूट रही है मोदी सरकार.

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प्रदेश सरकार ने कुछ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है. उनके नम्बर भी जनता में जारी किए हैं. जो प्रवासी मजदूरों की वापसी में मदद करेंगे ?

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