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मदर्स डे स्पेशल: मां हूं न- भाग 1

आराधना, जिसे घर में सभी प्यार से अरू कहते थे. सुबह जल्दी सो कर उठती या देर से, कौफी बालकनी में ही पीती थी. आराधना कौफी का कप ले कर बालकनी में खड़ी हो जाती और सुबह की ठंडीठंडी हवा का आनंद लेते हुए कौफी पीती. इस तरह कौफी पीने में उसे बड़ा आनंद आता था. उस समय कोठी के सामने से गुजरने वाली सड़क लगभग खाली होती थी. इक्कादुक्का जो आनेजाने वाले होते थे, उन में ज्यादातर सुबह की सैर करने वाले होते थे. ऐसे लोगों को आतेजाते देखना उसे बहुत अच्छा लगता था.

वह अपने दादाजी से कहती भी, ‘आई एम डेटिंग द रोड. यह मेरी सुबह की अपाइंटमेंट है.’

उस दिन सुबह आराधाना थोड़ा देर से उठी थी. दादाजी अपने फिक्स समय पर उठ कर मौ िर्नंग वाक पर चले गए थे. आराधना के उठने तक उन के वापस आने का समय हो गया था. आरती उन के लिए अनार का जूस तैयार कर के आमलेट की तैयारी कर रही थी. कौफी पी कर आराधना नाश्ते के लिए मेज पर प्लेट लगाते हुए बोली, ‘‘मम्मी, मैं ने आप से जो सवाल पूछा था, आप ने अभी तक उस का जवाब नहीं दिया.’’

‘‘कौन सा सवाल?’’ आरती ने पूछा.

‘‘वही, जो द्रौपदी के बारे में पूछा था.’’

फ्रिज से अंडे निकाल कर किचन के प्लेटफौर्म पर रखते हुए आरती ने कहा, ‘‘मुझे नाश्ते की चिंता हो रही है और तुझे अपने सवाल के जवाब की लगी है. दादाजी का फोन आ गया है, वह क्लब से निकल चुके हैं. बस पहुंचने वाले हैं. उन्हीं से पूछ लेना अपना सवाल. तेरे सवालों के जवाब उन्हीं के पास होते हैं.’’

आरती की बात पूरी होतेहोते डोरबेल बज गई. आराधना ने लपक कर दरवाजा खोला. सामने दादाजी खड़े थे. आराधना दोनों बांहें दादाजी के गले में डाल कर सीने से लगते हुए लगभग चिल्ला कर बोली, ‘‘वेलकम दादाजी.’’

आराधना 4 साल की थी, तब से लगभग रोज ऐसा ही होता था. जबकि आरती के लिए रोजाना घटने वाला यह दृश्य सामान्य नहीं था. ऐसा पहली बार तब हुआ था, जब अचानक सुबोध घरपरिवार और कारोबार छोड़ कर एक लड़की के साथ अमेरिका चला गया था. उस के बाद सुबोध के पिता ने बहू और पोती को अपनी छत्रछाया में ले लिया था.

आरती ने देखा, उस के ससुर यानी आराधना के दादाजी ने उस का माथा चूमा, प्यार किया और फिर उस का हाथ पकड़ कर नाश्ते के लिए मेज पर आ कर बैठ गए. उस दिन सुबोध को गए पूरे 16 साल हो गए थे.

जाने से पहले उस ने औफिस से फोन कर के कहा था, ‘‘आरती, मैं हमेशा के लिए जा रहा हूं. सारे कागज तैयार करा दिए हैं, जो एडवोकेट शर्मा के पास हैं. कोठी तुम्हारे और आराधना के नाम कर दी है. सब कुछ तुम्हें दे कर जा रहा हूं. पापा से कुछ कहने की हिम्मत नहीं है. माफी मांगने का भी अधिकार खो दिया है मैं ने. फिर कह रहा हूं कि सब लोग मुझे माफ कर देना. इसी के साथ मुझे भूल जाना. मुझे पता है कि यह कहना आसान है, लेकिन सचमुच में भूलना बहुत मुश्किल

होगा. फिर भी समझ लेना, मैं तुम्हारे लिए मर चुका हूं.’’

आरती कुछ कहती, उस के पहले ही सुबोध ने अपनी बात कह कर फोन रख दिया था. आरती को पता था कि फोन कट चुका है. फिर भी वह रिसीवर कान से सटाए स्तब्ध खड़ी थी. यह विदाई मौत से भी बदतर थी. सुबोध बसाबसाया घर अचानक उजाड़ कर चला गया था.

दादा और पोती हंसहंस कर बातें कर रहे थे. आरती को अच्छी तरह याद था कि उस दिन सुबोध के बारे में ससुर को बताते हुए वह बेहोश हो कर गिर गई थी. तब ससुर ने अपनी शक्तिशाली बांहों से उसे इस तरह संभाल लिया था, जैसे बेटे के घरसंसार का बोझ आसानी से अपने कंधों पर उठा लिया हो.

‘‘आरती, तुम ने अपना जूस नहीं पिया. आज लंच में क्या दे रही हो?’’ आरती के ससुर विश्वंभर प्रसाद ने पूछा.

‘‘पापा, आज आप की फेवरिट डिश पनीर टिक्का है.’’ आरती ने हंसते हुए कहा.

‘‘वाह! आरती बेटा, तुम सचमुच अन्नपूर्णा हो. तुम्हें पता है अरू बेटा, जब पांडवों के साथ द्रौपदी वनवास भोग रही थी, तभी एक दिन सब ने भोजन कर लिया तो…’’

‘‘बस…बस दादाजी, यह बात बाद में. मेरे बर्थडे पर आप ने मुझे जो टेल्स औफ महाभारत पुस्तक गिफ्ट में दी थी, कल रात मैं उसे पढ़ रही थी, क्योंकि मैं ने आप को वचन दिया था. दादाजी उस में द्रौपदी की एक बात समझ में नहीं आई. उसी से मुझे उस पर गुस्सा भी आया.’’

‘‘द्रौपदी ने ऐसा कौन सा अपराध कर दिया था बेटा, जो तुम्हें उस पर गुस्सा आ गया?’’

‘‘अपने बेटे के हत्यारे को उन्होंने माफ कर दिया था. अब आप ही बताइए दादाजी, इतने बड़े अपराध को भी भला कोई माफ करता है?’’

‘‘अश्वत्थामा का सिर तो झुक गया था न?’’

‘‘व्हाट नानसैंस, जिंदा तो छोड़ दिया न? बेटे के हत्यारे को क्षमा, वह भी मां हो कर.’’ आराधना चिढ़ कर बोली.

‘‘बेटा, वह मां थी न, इसलिए माफ कर दिया कि जिस तरह मैं बेटे के विरह में जी रही हूं, उस तरह का दुख किसी दूसरी मां को न उठाना पड़े. बेटा, इस तरह एक मां ही सोच सकती है.’’

आराधना उठ कर बेसिन पर हाथ धोते हुए बोली, ‘‘महाभारत में बदला लेने की कितनी ही घटनाएं हैं. द्रौपदी ने भी तो किसी से बदला लेने की प्रतिज्ञा ली थी?’’

प्लेट ले कर रसोई में जाते हुए आरती ने कहा, ‘‘दुशासन से.’’

‘‘एग्जैक्टली, थैंक्स मौम. द्रौपदी ने प्रतिज्ञा ली थी कि अब वह अपने बाल दुशासन के खून से धोने के बाद ही बांधेगी. इस के बावजूद भी क्षमा कर दिया था. क्या बेटे की मौत की अपेक्षा लाज लुटने का दुख अधिक होता है? यह बात मेरे गले नहीं उतर रही दादाजी.’’

उसी समय विश्वंभर प्रसाद के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो वह फोन ले कर अंदर कमरे की ओर जाते हुए बोले, ‘‘बेटा, द्रौपदी अद्भुत औरत थी. भरी सभा में उस ने बड़ों से चीखचीख कर सवाल पूछे थे. हैलो प्लीज… होल्ड अप पर बेटा वह मां थी न, मां से बढ़ कर इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं है.’’

इतना कह कर विश्वंभर प्रसाद ने एक नजर आरती पर डाली, उस के बाद कमरे में चले गए. दोनों की नजरें मिलीं, आरती ने तुरंत मुंह फेर लिया. आराधना ने हंसते हुए कहा, ‘‘लो दादाजी ने पलभर में पूरी बात खत्म कर दी.’’

वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व को बदलाव के तरफ मोड़ दिया

इस वैश्विक महामारी ने एक बार फिर पूरे विश्व को बदलवा के ओर ले गया है , द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इतना भारी बदलाव विश्व में देखा जा रहा है और आगे भी कई पुरातन सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक परम्परा बदलेंगी इसका भी साफ संकेत मिल रहा है.तो आइए जानते है कि क्या क्या बदला और क्या बदलने की उम्मीद है .

* 20 शताब्दी के शुरुआत में ही हुआ था एक बड़ा बदलाव :-  20 शताब्दी के शुरुआत में ही एक बड़े महामारी और दो विश्व युद्ध ने पूरी विश्व के हर प्रकार के व्यवस्था को ही बदल कर रख दिया था . विश्व की राजनीतिक, सामाजिक और नैतिक समझ व सिद्धांतों में बदलाव आता है. वर्ष 1918 में स्पेनिश फ्लू फैला और दुनियाभर में पांच करोड़ लोग मारे गए। यह संख्या प्रथम और द्वितीय युद्ध के बाद मारे गए लोगो से अधिक थी .पूरे विश्व सहित यूरोपीय देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का विकास हुआ .

* पश्चिमी देशों की जीवनशैली में आयेगा बदलाव :- इस वैश्विक   महामारी से पहले पूरी दुनिया को पश्चिमी देशों की खुली जीवनशैली अपने तरफ आकर्षित करती थी . लेकिन इस महामारी के बाद सब कुछ बदलवा के तरफ होगा। अपने जीवनशैली के लिए पूरे दुनिया में मशहूर देश इटली, फ्रांस, ब्रिटेन , स्पेन  और स्विटजरलैंड  कोरोना से लड़ रहे हैं. इस देशों में सभी जगह कोरोना के संक्रमण फैलने का  कारण  यहां का खुला जीवन शैली को माना जा रहा है. इन देशों में शराब और रेस्तरां कल्चर आधारित जीवनशैली को माना गया। इन देशों में करीबन 70 फीसद लोग सामूहिक रूप से  बार कल्चर में शराब पीते हैं और 15 वर्ष की आयु के बाद कोई भी शराब पी सकता है.साथ ही सामूहिक रूप से रेस्तरां में खाना-खाने का कल्चर भी है. विशेषज्ञों का मानना है कि शायद इतना खुलापन अब न रहे और समाज खुद को बदल लेंगे .

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* महामारी बदल देगी विश्व  की अर्थतंत्र :-   विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना ने जैसे वैश्विक अर्थतंत्र को घुटने पर ला दिया है, उससे इससे जुड़े लोगों ने बहुत कुछ सीखा होगा. हमें जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। विश्व का अर्थतंत्र बहुत लचीला रहा है, उसने अब तक के तमाम खराब हालात का मुकाबला किया है. 1930 के दशक में आयी मंदी हो या दूसरे विश्व युद्ध के बाद आया मंदी हो या शीत युद्ध काल में वियतनाम युद्ध के बाद आया मंदी हो या फिर  सोवियत संघ के विघटन के बाद 1990 में आयी मंदी हो या 2008 की वैश्विक मंदी को हो , सबने विश्व के अर्थतंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया इसके बाद हर बार एक नयी व्यवस्था और बदलाव ने जन्म लिया और विश्व के आर्थिक तंत्र को संभाला। इस बार भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे.

* आस्था और पर्यटकों के क्षेत्र होगी प्रभावित :-इस महामारी के बाद आस्था और पर्यटकों के क्षेत्र में भी भारा बदलाव आएगा। इसके साफ संकेत मिल रहे है। कोरोना वायरस के कारण जिस तरह धार्मिक स्थलों को बंद किया गया और बड़े-बड़े धार्मिक नेता संक्रमित हो गए या फिर सार्वजनिक जीवन से गायब हो गए, उससे धर्म-आस्था की जड़ें भी कुछ कमजोर पड़ेंगी। खासकर पश्चिमी देशों में, जहां पहले से ही धार्मिक रूप से उदासीन लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। 14 वी शताब्दी में आये महामारी ब्लैक डेट के समय ऐसा हो चूका है। उस समय शिक्षित पादरियों की संख्या चर्च  में काफी काम गई थी। वही पर्यटन क्षेत्र में भी इसका असर पड़ेगा। कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले तक पूरी दुनिया में पर्यटकों को काफी महत्व था, इस क्षेत्र को आर्थिक आय का बड़ा जरिया माना जाता था। इस वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से पर्यटकों से की फैला, ऐसे में आशंका है कि अब दुनिया में पर्यटकों का स्वागत भी बदले बदले रूप में होगा.

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* स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा :- इस महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक बदलाव यह बदलाव वैसा ही जैसे कि 1858 में अमेरिका में येलो फीवर के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव हुआ। 1918 में आये स्वाइन  फ्लू के बाद यूरोप में स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव आया था। यूरोप समेत अमेरिका में जिस तरह स्वास्थ्य सेवाएं खुद को कोरोना वायरस से लड़ने में कमजोर पा रही हैं, उससे लोगों में बहुत नाराजगी है। सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया के लोग चीन की स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफ कर रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों को उम्मीद है कि पूरी दुनिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होंगी.

* शारीरिक दूरी का सिद्धांत और हाथ सफाई हमेशा बना रहेगा :- कोरोना संक्रमण  बाद इस दुनिया में शारीरिक दूरी का सिद्धांत और हाथों का अच्छे से सफाई करने की आदत हमेशा बना रहेगा। दुनियाभर में सौहार्द और प्रेम जताने के लिए हाथ मिलाने से लेकर गले मिलने तक के रिवाज कोरोना वायरस के फैलने से पहले आम थे. यूरोप हो या सऊदी अरब, कोरोना वायरस के कारण सभी शारीरिक दूरी का सिद्धांत मान रहे हैं। विशेषज्ञों का मत है कि इंसानी इतिहास में शारीरिक दूरी के सिद्धांत को मान्यता मिल गई है। यह आगे तक कायम रहेगा। अहम है कि भारतीय परंपरा ने हमेशा से शारीरिक दूरी के सिद्धांत को महत्व दिया है। वही हाथों का अच्छे से सफाई करने की आदत को भी दुनिया के लोग लम्बे  समय तक निभायेंगे.

मदर्स डे स्पेशल: मां हूं न- आरती और अनुराधा के लिए कौन था उनका सहारा?

मदर्स डे स्पेशल: मां को बच्चे क्यों अपनी स्ट्रैंथ मानते हैं, जानिए उन्हीं से

‘‘सुबह 5 बजे का अलार्म बजा नहीं कि मम्मी तुरंत उठ खड़ी होतीं. फिर जब वे हमें उठाने लगती हैं तो हम सब हर बार बस 5 मिनट और सोने दो कह कर उन्हें रूम से चले जाने का इशारा कर देते हैं. जब तक हम उठते हैं हमें लंच व ब्रेकफास्ट तैयार मिलता है. तैयार होते भी हम मां से कभी जूते लाने को कहते हैं तो कभी कहते हैं मां प्लीज मेरी ड्रैस प्रैस कर दो.

‘‘हम ही नहीं पापा व घर के अन्य सदस्यों की भी इस तरह की फरमाइशें जारी रहती हैं. मां चेहरे पर मुसकान लिए खुशीखुशी हम सब की फरमाइशें पूरी कर देती हैं, जबकि उन्हें खुद भी औफिस जाना होता है. मगर वे जानती हैं कि खुद के साथसाथ परिवार की सारी चीजों को कैसे मैनेज कर के चलना है.

‘‘घर की सारी जरूरतें पूरी करने के बाद उन्हें अपने औफिस भी जाना होता है. कभीकभी तो मुझे आश्चर्य होता है कि इतने व्यवस्थित तरीके से वे ये सब कैसे मैनेज करती हैं. मैं भी उन से सीख कर उन के जैसा बनना चाहती हूं. सच में मौम सिर्फ एक परफैक्ट वूमन नहीं, बल्कि मेरी स्ट्रैंथ भी हैं और उन्हीं से मैं आयरन की तरह मजबूत बन जीवन जीने का व्यवस्थित तरीका भी सीख रही हूं,’’ यह कहना है 17 वर्षीया रिया का.

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फिटनैस से नो कंप्रोमाइज

 

अगर औफिस पहुंचने की जल्दी के चक्कर में हैल्थ को इग्नोर किया तो आगे चल कर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए सुबह की सैर स्किप करने का तो सवाल ही नहीं उठता, भले ही सुबह आधा घंटा जल्दी क्यों न उठना पड़े.

ऐसा सिर्फ मां अकेले नहीं करतीं, बल्कि इस में परिवार के सभी सदस्यों को भी शामिल करना नहीं भूलती, क्योंकि वे जानती हैं कि फिटनैस सिर्फ उन के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए जरूरी है. सभी को समझाती भी हैं कि सुबह की फ्रैश हवा में घूमने से हम खुद को न सिर्फ बीमारियों से दूर रख सकते हैं, बल्कि पूरा दिन फ्रैश महसूस करते हुए चुस्ती से काम भी कर सकते हैं.

मां यह बात अच्छी तरह जानती है कि परिवार की सेहत का ध्यान रखने के लिए उस का भी सेहतमंद रहना जरूरी है.

वर्किंग मदर्स खासतौर पर इस बात का खयाल रखती हैं. उन्हें पता है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को शरीर में आयरन, कैल्सियम इत्यादि की कमी से दोचार होना पड़ता है. ऐसे में वे अपनी डाइट के प्रति सजग हैं.

चीजों का स्किप करना नहीं सीखा

कहावत है कि मां के पास जादू की छड़ी होती है जिस से वह हर मुश्किल आसान बना देती है.

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कुनाल ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि मम्मी की औफिस में मीटिंग और उसी दिन स्कूल में हमारी पार्टी होने के कारण मुझे घर से राइस ले जाने थे. मेड को भी उसी दिन छुट्टी करनी थी. पापा ने भी सुबह ही बताया कि आज उन का आलूमटर खाने का मन है. इतने सारे काम. फिर भी मेरी सुपर मौम ने किसी को रूठने नहीं दिया.

घर का कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा. फिर टाइम पर औफिस भी पहुंच गईं. ये सब हमें उन के शाम को घर लौटने पर पता चला. तब हमें लगा कि हमें भी अपनी स्वीट मौम के लिए कुछ करना चाहिए. तब मैं ने और पापा ने उन के लिए डिनर तैयार कर के उन्हें सरप्राइज दिया. ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं, बल्कि कई बार किया है. मैं उन्हें ऐसा करता देख कर इंस्पायर होता हूं. और उन की तरह बनना चाहता हूं.

खुद को रखती हैं हरदम टिपटौप

मां यह बात भली प्रकार समझती है कि उस की बेटी उसे अपनी स्ट्रैंथ के साथसाथ उसे अपना रोल मौडल भी मानती है. ऐसे में वह अपने अपीयरैंस से समझौता नहीं करती.

अपनी मां के पर्सनल केयर रूटीन के बारे में कृति कहती हैं कि मौम हर समय किसी की भी एक आवाज पर हाजिर हो जाती हैं. पूरा दिन घर व औफिस के कामों में लगी रहती हैं. फिर भी खुद को टिपटौप रखती हैं. लेटैस्ट आउटफिट्स को कैरी करना नहीं भूलतीं. भले ही बाहर जाने का टाइम न भी मिले, फिर भी अपनी स्किन की केयर के लिए होममेड चीजें चेहरे पर प्रयोग करती रहती हैं ताकि स्किन हर उम्र में चमकतीदमकती रहे.

वे हमें भी त्वचा को जवां बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देती हैं. सिर्फ सलाह ही नहीं, बल्कि उन्हें जबरदस्ती करवाती भी हैं ताकि हम धीरेधीरे उसे अपने रूटीन में शामिल कर सकें. मैं जब भी अपनी मौम के साथ जाती हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है कि ये मेरी मौम हैं. उन की पर्सनैलिटी की हर कोई तारीफ करते नहीं थकता.

परिवार की हर बात का खयाल

मां को फैमिली की स्ट्रैंथ यों ही नहीं कहते, उस के पास परिवार के एकएक सदस्य की पसंदनापसंद का लेखाजोखा रहता है. कब और किसे क्या चाहिए, वह बिना बताए ही समझ जाती है.

आदर्श अपनी परीक्षा के दिन याद करते हुए बताता है कि पिछले हफ्ते मेरी परीक्षा थी. मैं ने देर रात तक पढ़ाई की. मम्मी को मेरी आदत के बारे में पता था कि मैं जल्दीजल्दी में अपना एडमिट कार्ड ले जाना भूल जाऊंगा, इसलिए उन्होंने पहले ही मेरे बैग में मेरा एडमिट कार्ड रख दिया था. जब परीक्षा केंद्र में मुझे याद आया तो मेरे होश उड़ गए. लेकिन ‘माई मौम इज ग्रेट’ यह सोच जब मैं ने अपना बैग चैक किया तो वह उस में था.

यही नहीं जब भी पापा को जरूरी डौक्यूमैंट्स की जरूरत होती है, तो मम्मी ही उन्हें ढूंढ़ कर देती हैं. यानी हम उन के बिना अधूरे हैं.

बच्चों को बनाए वैल बिहैव्ड

मां को बच्चों के साथ समय बिताने का भले ही कम समय मिल पाता है, फिर भी वे अपने बच्चों को पूरी तरह वैल मैनर्ड बनाने की कोशिश करती हैं. किस तरह बड़ों के सामने पेश आते हैं, घर आए मेहमान को कैसे ऐंटरटेन करते हैं, अगर कोई आप के साथ बदतमीजी करता है तो कैसे प्यार से उसे अपनी गलती महसूस करवानी है, पेरैंट्स अगर कुछ कहें तो उलट कर जवाब नहीं देना है, हमेशा सब की मदद के लिए तैयार रहना है वगैरावगैरा सिखाती रहती हैं.

मां से बेहतर भला यह बात कौन समझेगा कि बच्चे के लिए उस की पहली पाठशाला उस के मातापिता ही होते हैं. उन के बोलचाल के तरीके और व्यवहार पर पेरैंट्स की ही छाप होगी. मां यह सुनिश्चित करती है कि घर का कोई भी सदस्य बच्चों के सामने अनापशनाप बात या व्यवहार करे.

समझाए पढ़ाई का महत्त्व

मांएं ट्यूशन तक ही बच्चों की पढ़ाई को सीमित नहीं रखतीं, बल्कि खुद भी उन की पढ़ाई पर समय देती हैं ताकि वे उन की वीकनैस व स्ट्रैंथ को पहचान सकें. जहां भी उन्हें उन में कमजोरी नजर आती है उन्हें टीचर की तरह समझाने की कोशिश करती हैं ताकि उन का बच्चा अव्वल आ सके.

बच्चे के उज्जवल भविष्य की नींव रखने में मां की भूमिका को नकारा नहीं  सकता. उस के प्रतिदिन के प्रयास का फल बच्चे के काबिल बन जाने पर ही मिलता है.

फैमिली संग क्वालिटी टाइम भी

वे घर में सभी के साथ क्वालिटी टाइम व्यतीत करने में विश्वास रखती हैं ताकि अगर थोड़ा सा समय भी साथ बिताने को मिले तो वह समय  उन के लिए पूरे दिन का बैस्ट समय हो और परिवार का कोई भी सदस्य खुद को इग्नोर महसूस न करे. मां की भूमिका परिवार में धागे की तरह होती है जिस से परिवार का हर एक सदस्य मोतियों की तरह पिरोया हुआ रहता है. ऐसे में वह सुनिश्चित करती है कि दिन में भले कुछ समय के लिए ही, मगर परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठ कर कुछ पल जरूर बताएं.

फंक्शंस भी मिस नहीं करतीं

आजकल की व्यस्त जीवनशैली अपनों, नातेरिश्तेदारों से मिलनेजुलने के मौके बहुत कम देती है. मां की जिम्मेदारी यहां और भी बढ़ जाती है क्योंकि जब वह खुद व्यस्त होने का बहाना बना कर गैटटुगैदर मिस करेगी तो बच्चे भी अपनों को जाननेसमझने से वंचित रह जाएंगे.

मां यह सुनिश्चित करती है कि पारिवारिक समारोहों में सपरिवार शामिल हो कर फैमिली बौंडिंग को और मजबूत बनाया जाए. इस बारे में श्रेया कहती है कि मैं थकी हुई हूं या फिर मेरे पास ढेरों काम हैं, कह कर मेरी मौम ने कभी फैमिली फंक्शंस मिस करने का बहाना नहीं बनाया, बल्कि हर फंक्शन अटैंड करती हैं.

यही नहीं, घर आए मेहमानों की भी खुशीखुशी आवभगत करती हैं. वे हमें भी यही सिखाती हैं कि रिश्तों, परिवार का महत्त्व समझो, क्योंकि एकजुट परिवार में जो ताकत होती है वह अलगथलग रहने में नहीं.

सिखाती है टाइम मैनेजमैंट

समय का सही प्रबंधन किस तरह करना है, यह तो कोई मां से सीखे. अपना अनुभव शेयर करते हुए राज का कहना है कि मैं अपने पेरैंट्स का सिंगल चाइल्ड हूं, जिस कारण मुझे अपने पेरैंट्स से ऐक्स्ट्रा केयर मिलती है. मेरे मौमडैड दोनों वर्किंग हैं. इस के बावजूद मेरी मौम ने घर में पूरा अनुशासन बना कर रखा है.

मैं जब भी कोई गलती करता हूं तो वे मुझे आंखों से इशारा कर अपनी नाराजगी बता देती हैं, जिस से मैं उस काम को दोबारा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. मेरी मौम चीजों को बहुत अच्छी तरह मैनेज करना जानती हैं. उन्हीं से मैं ने टाइम मैनेजमैंट सीखा है. मैं तो यही कहूंगा कि अब तक मैं ने जो अचीव किया है सिर्फ अपनी मां के कारण.

बोल्ड बनाती है मां

जिस तरह मां हर परिस्थिति का सामना डट कर करती है उसी तरह बच्चों को भी हर हालात से लड़ना सिखाती है. अनुभव बताते हैं कि जब मेरी मां की ऐंजौय करने की उम्र थी तब हमारे पापा का देहांत हो गया. ऐसी स्थिति में मां ने खुद को संभालते हुए हमें कभी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी. उन्होंने जौब कर के हमारी हर जरूरत को पूरा किया.

वे हमें भी बोल्ड बनाने की कोशिश करती रहती हैं. वे अंदर से भले ही टूट गई थीं, लेकिन हमारे सामने कभी आंखों से आंसू नहीं आने दिए. उन का संघर्ष और मेहनत देख मेरे मुंह से उन के लिए तारीफ के शब्द निकलने रुकते नहीं हैं. मैं अपनी मौम से बस यही कहूंगा कि आप को दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करूंगा.

आयरन सी मजबूत बने मां

चूंकि मां बच्चे के साथसाथ फैमिली की भी स्ट्रैंथ होती है इसलिए उस का अंदर से फिट और हैल्दी रहना बेहद जरूरी है. तो आयरन वूमन की आयरन रिच डाइट हो कैसी, आइए जानते हैं:

आयरन से भरपूर सब्जियां: हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक मेथी, बथुआ आयरन के अच्छे स्रोत हैं. इन के अलावा बींस, इमली, मटर, फलियां, ब्रोकली, टमाटर, मशरूम, चुकंदर का सेवन भी आयरन की कमी को पूरा कर सकता है.

आयरन से भरपूर फल और ड्राईफ्रूट्स: अपनी डेली डाइट में मौसमी फलों को जरूर शामिल करें. तरबूज, अंगूर, केला, बादाम, खूबानी, किशमिश, काजू, खजूर जैसे फलों में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

आयरन से भरपूर अन्य खाद्य पदार्थ: फलों और सब्जियों के अलावा कुछ ऐसे भी खाद्यपदार्थ हैं जो आयरन के अच्छे स्रोत हैं. लालमांस, चिकन, साबूत अनाज (सोयाबीन और काबुली चने), ब्रैड, अंडे, मूंगफली, टूना मछली, गुड़, कद्दू के  बीज इत्यादि से आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है.

आकाश में मचान- भाग 1: आखिर क्यों नहीं उसने दूसरी शादी की?

भाभी ने रुपयों का बटुआ गायब कर के हमें दोराहे पर ला खड़ा किया. भाई के संरक्षण में धोखा मेरे पति को पच नहीं रहा था. पर भला हो संतोषजी का जिन्होंने न केवल हमें मुसीबत से उबार लिया, बल्कि अनजान संबंधों को रिश्ते का नाम भी दिया.

सबकुछ हंसीखुशी चल रहा था. लेकिन एक दिन डा. अनिल ने मेरे पति के गंभीर रोग के बारे में बताते हुए इन्हें शहर के किसी अच्छे डाक्टर को दिखाने की सलाह दी. मेरी सहूलियत के लिए उन्होंने किसी डाक्टर शेखर के नाम एक पत्र भी लिख कर दिया था.

बड़े भैया दिल्ली में रहते हैं. उन से फोन पर बात कर के पूछा तो कहने लगे, ‘‘अपना घर है, तुम ने पूछा है, इस का मतलब हम लोग गैर हो गए,’’ और न जाने कितना कुछ कहा था. इस के बाद ही हम लोगों ने दिल्ली जाने का कार्यक्रम बनाया. यद्यपि मैं जेठानीजी को सही रूप से पहचानती थी, पर ये तो कहते नहीं थकते थे कि दिल्ली वाली भाभी बिलकुल मां जैसी हैं, तुम तो बेवजह उन पर शक करती हो. फिर भी मैं अपनी तरफ से पूरी तरह तैयार हो कर आईर् थी कि जो भी कुछ होगा उस का सामना करूंगी.

हम दोनों लगभग 2 बजे दिन में दिल्ली पहुंच गए. स्टेशन से घर पहुंचने में कोई परेशानी नहीं हुई. नहाधो कर खाना खाने के बाद ये आराम करतेकरते सो गए और मैं बरतन, झाड़ू में व्यस्त हो गई. यद्यपि सफर की थकान से सिरदर्द हो रहा था, फिर भी रसोई में लग गई, ताकि भाभी को कुछ कहने का मौका न मिले.

शाम को 7 बजे अस्पताल जा कर चैकअप कराना है. यह बात मेरे दिमाग में घूम रही थी. मैं ने एक घंटा पहले ही जरूरी कागजों तथा डा. अनिल के लिखे पत्र को सहेज कर रख लिया था. चूंकि पहला दिन था और कनाट प्लेस जाना था, इसलिए एक घंटा पहले ही घर से निकली थी.

हमें डा. शेखर का क्लीनिक आसानी से मिल गया था. मैं ने दवाई का पुराना परचा और चिट्ठी पकड़ा दी, जिसे देख कर उन्होंने कहा था, ‘‘ ज्यादा चिंता की बात नहीं है. 15-20 दिनों के इलाज से देखेंगे, संभावना है, ठीक हो जाएंगे, वरना इन का औपरेशन करना पड़ेगा. परंतु डरने की कोई बात नहीं. सुबहशाम सैर करें और नियमित यहां से इलाज कराएं.’’

हम लोग उन की बातों से आश्वस्त हो कर पूछतेपूछते बसस्टौप तक आए. वहां से घर तक के लिए बस मिल गई थी.

एक दुकान से केक, बिस्कुट और कुछ फल खरीदे तथा घर के लिए चल दिए. मेरे हाथों में इतना सारा सामान देख कर जेठानीजी बोली थीं, ‘‘इस तरह फुजूलखर्ची मत करो, घर के घी से बने बेसन के लड्डू तो लाई हो, गुझियां भी हैं, फिर इन्हें खरीदने की जरूरत क्या…’’ उन की बात काटते हुए मैं ने कहा, ‘‘शहर के बच्चे हैं, घर में बनी मिठाई तो खाएंगे नहीं, इसलिए केक, बिस्कुट ले लिए हैं.’’

‘‘ठीक है’’, कह कर उन्होंने एक लंबी सांस भरी.

भैया औफिस से आ गए थे. हम लोगों को देख कर भैया और बच्चे खिल से गए. हम लोगों ने भैया के पैर छुए और बच्चों ने हम लोगों के. भाभी बैठेबैठे पालक काट रही थीं.

मैं बहुत थकान महसूस कर रही थी, थोड़ा आराम करना चाहती थी, पर तभी पता चला कि भाभी की तबीयत ठीक नहीं है. मैं ने भाभी से कहा, ‘‘आप आराम कर लीजिए, रसोई मैं बना लूंगी.’’

दूसरे दिन सुबह सूरज निकलने से पहले इन्हें सैर कराने ले गई. जैसा भैया ने बताया था, लेन पार करते ही पार्क दिखाई दिया. यहां यह देख कर बहुत अच्छा लगा कि इधरउधर घास पर लोग चहलकदमी कर रहे थे.

हम दोनों एक बैंच पर बैठे ही थे कि एक सज्जन ने इन्हें उठाया और बोले, ‘‘चलिए, उठिए, आप घूमने आए हैं या बैठने.’’ हम लोग उन के साथ थोड़ी देर तक घूमफिर कर वापस उसी बैंच पर आ कर बैठ गए. फिर हम लोगों ने एकदूसरे का परिचय लिया. उन्होंने अपना नाम संतोष बताया. उन की बेटी राधिका 9वीं कक्षा में पढ़ रही है तथा उन की पत्नी ने आत्महत्या की थी.

यह पूछने पर कि दूसरा विवाह क्यों नहीं किया. वे बोले, ‘‘दूसरे विवाह के लिए कोई उपयुक्त साथी नहीं मिला.’’ उन का दुख एक मौनदुख था, क्योंकि पत्नी की आत्महत्या से रिश्तेदार व अन्य लोग उन्हें शक की नजर से देखते थे. वे अपनेआप को अस्तित्वहीन सा समझ रहे थे. मेरे पति ने उन्हें समझाया, ‘‘देखिए संतोषजी, आप की बेटी ही आप की खुशी है. वही आप के अंधेरे जीवन में खुशी के दीप जलाएगी.’’

हम लोग घर वापस आए तो भाभी अभी अपने कमरे से बाहर नहीं निकली थीं. भैया उस समय मंजन कर रहे थे. मैं फौरन चाय बनाने रसोई में चली गई. चाय बनाने के बाद मैं उपमा बनाने की तैयारी करने लगी. बच्चे कह रहे थे, ‘‘चाची आ गईं और मम्मी का ब्लडप्रैशर बढ़ गया.’’

मैं उन की बातें सुन कर मुसकराई और भाभी का हालचाल लेने उन के कमरे में चली गई. भाभी उस समय पत्रिका पढ़ रही थीं. मुझे देखते ही थोड़ी संकुचित सी हो गई, बोलीं, ‘‘आओआओ, जरा शरीर भारी हो रहा है, डाक्टर ने आराम करने के लिए कहा है. बीपी बढ़ा है.’’

‘‘अरे भाभी, आप भी कैसा संकोच कर रही हैं, मैं हूं न, निश्ंिचत रहिए’’, मैं ने शब्दों को भारी कर कहा, जैसे कह रही हूं, आप का ब्लडप्रैशर हमेशा बढ़ा रहे.

अब मैं थकती नहीं हूं. सबकुछ दिनचर्या में शामिल हो गया है. डा. शेखर के क्लीनिक जाना और लौटते समय सब्जी, फल, दूध, ब्रैड आदि लाना. उन सब में खर्च इलाज से भी ज्यादा हो रहा है. मुझे चिंता इस बात की है कि अब पैसे भी गिन कर ही बचे हैं और दवाखाने का बिल चुकाना बाकी है.

अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली हुई ग्रेजुएट, लोगों ने ट्विटर पर दी बधाई

अमिताभ बच्चन हमेशा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. अपने फैंस के साथ हर नए अपडेट शेयर करते रहते हैं. हाल ही में अमिताभ बच्चन ने अपनी नीतिन नाव्या नावेली के ग्रेजुएट होने की खबर सभी को दी है. इस बात से वह बहुत ज्यादा खुस नजर आ रहा.

नाव्या की फोटो शेयर करते हुए अमिताभ बच्चन ने लिखा है कि मैं बहुत खुश हूं आपके मंगल भविष्य की कामना करता हूं. इस पोस्ट को देखने के बाद लगातार फैंस अमिताभ बच्चन को कमेंट करके बधाई देने लगे.

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अमिताभ ने आगे लिखा है किसी भी व्यक्ति के जीवन के लिए यह दिन बहुत बड़ा होता है. वह न्यूयार्क कॉलेज से ग्रेजुएट हुई हैं.

उन्हें पता नहीं था कि हमने इस खास दिन के लिए बहुत सारी प्लानिंग की थी. वह ग्रेजुएट वाला गॉउन पहनना चाहती थी. एक स्टाफ ने इस गॉउन को बनाया है. नव्या हमें तुम पर गर्व है. बहुत आगे जाओ हमारा प्यार और आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा.


भगवान तुम्हें ढेंर सारी खुशियां दें. वहीं अभिषेक बच्चन नेभी नव्या का फोटो शेयर करते हुए ढेंर सारी शुभकामनाएं दी हैं. नव्या के लिए पूरा बच्चन परिवार खुश है.

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नव्या नवेली अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता बच्चन की बेटी हैं. श्वेता ने दिल्ली के जाने माने बिजनेसमैन से शादी की थी. इनका एक बेटा भी है अगस्तस्या नंदा. वह पिछले साल ग्रेजुएट हुए हैं.

Boy’s Locker Room पर भड़के बॉलीवुड सितारें, सेक्स एजुकेशन को लेकर उठाए सवाल

बॉलीवुड के सितारे अपने काम के साथ- साथ देश –दुनिया में होनी वाली घटनाओं का खूब ख्याल रखते हैं. इतना ही नहीं कुछ सितारे देश में होने वाली गलत घटनाओं पर सवाल भी उठाते हैं. दिल्ली के बॉयज लॉकर रूम मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है.

आइए जानते सितारों ने अपनी क्या प्रतिक्रिया दी है. हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ है कि दिल्ली में कुछ लड़को का गैंग बॉयज हॉस्टल नाम का ग्रुप बनाकर कम उम्र की लड़कियों की गैंगरैप की तैयारी कर रहे थें.

बच्चों की इस हरकत से बॉलीवुड़ के सितारे भी हैरान और परेशान हैं. बॉलीवुड की एक्ट्रेस सोनम कपूर से लेकर स्वरा भास्कर ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

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इस पर सोनम कपूर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि कम उम्र में बच्चे अगर इतनी गलत हरकत कर रहे हैं तो इसके पीछे उनके मां-बाप का हाथ है. उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश सही से नहीं की है. जिसका नतीजा यह देखने को मिल रहा है. यह सभी के लिए एक दिन खतरनाक साबित हो सकता है.

वहीं रिचा चड्डा ने अपने सोशल मीडिया हेंडल पर लिखा है कि लोग दोगले हो चुके हैं. जब लोगों को कहा जाता है कि सेक्स एजुकेशन भी जरूरी है तो उस वक्त उनका ध्यान नहीं जाता है कि यह समजा के लिए कितना जरूरी है. लेकिन जब ऐसी शर्मनाक चीजें सामने आती है तो उन्हें समझ आती है. बच्चे पॉर्न एजुकेशन को सेक्स एजुकेशन समझने लगे हैं.

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वहीं स्वरा भास्कर ने प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि कहां है इन बच्चों के मां-बाप और अध्यापक, बच्चे इतना गलत कर रहे हैं इनके ऊपर भी करवाई होनी चाहिए.

हालांकि इस खबर से पूरा देश हैरान है कम उम्र के बच्चे जो हमारे देश के भविष्य हैं उनके दिमाग में इतना गलत कैसे चल रहा है. अगर अभी इस पर करवाई नहीं की गई इसका सीधा मतलब होगा क्राइम को बढ़ावा देना.

Crime Story: डायन बता कर महिलाओं को नंगा घुमाया, बाल काटे

कहते हैं, जब धर्म अपना कुरूप चेहरा दिखाता है तो समाज में ऐसीऐसी अमानवीय घटनाएं घटती हैं कि एकबारगी इंसानियत भी शर्मसार हो जाए.

धर्म और अंधविश्वास सिक्के के ही दो पहलू हैं. एक समाज में भय का माहौल पैदा करता है, दूसरा व्यक्ति और समाज को पीछे धकेलता है.

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक ऐसी ही घटना घटी है जिस ने न सिर्फ सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा जङा है, यह यकीन दिला दिया कि इंसान चाहे 21वीं सदी में पहुंच गया हो, वैज्ञानिक जीतोङ मेहनत कर देश और समाज के लिए नएनए आविष्कार कर रहे हों, मगर वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आज भी धर्म और अंधविश्वास की जंजीरों में जकङे हुए उन्हें मुंह चिढ़ा रहे हैं.

सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा

कोरोना संकट के बीच बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की 3 वृद्ध महिलाओं को डायन बता कर न सिर्फ उन के बाल काटे, बल्कि उन्हें पूरे गांव में घुमाया और मैला खिलाया.

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बिहार के मुजफ्फरपुर जनपद के हथौड़ी थाना क्षेत्र के डकरामा गांव की 3 वृद्ध महिलाएं जैसेतैसे गुजारा कर अपनी जिंदगी जी रही थीं. खबर है कि इन महिलाओं को डायन बता कर ग्रामीणों ने पहले तो खूब पिटाई की फिर पंचायत बुला कर कथित पंचों के तुगलकी फरमान के बाद लोगों ने उन के बाल काटे, तीनों को पूरे गांव में घुमाया और उन्हें मैला भी पिलाया गया.

आश्चर्य की बात यह कि भीङ में पढ़ेलिखे लोग भी मौजूद थे जो सिर्फ वीडियो बनाने में लगे थे मगर किसी ने घटना का विरोध नहीं किया, न कोई बचाने आगे आया.

नींद से जागी पुलिस

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो स्थानीय प्रशासन हरकत में आई. इस के तुरंत बाद आननफानन में मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय टीम गठित की गई.

यह घटना भी तब घटी है जब इसी साल दिसंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रमुख विपक्षी पार्टियां पहले से ही गठबंधन सरकार पर हमलावर थीं. इस घटना ने एक बार फिर नीतीश सरकार की नींद उड़ा दी है.

शर्मसार हो गई इंसानियत

प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता व विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं,”प्रदेश में सुशासन नाम की कोई चीज नहीं है और नीतीश  सरकार ब्यूरोक्रेसी के हाथों कठपुतली बन चुकी है.

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“इस अमानवीय घटना की हमारी पार्टी निंदा करती है और अगर जल्द ही दोषियों की गिरफ्तारी और उन्हें सजा नहीं दिलाई गई तो पार्टी पूरे राज्य में आंदोलन करेगी.”

भाई वीरेंद्र ने बताया कि जब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी तब महिलाओं, दलितों सहित समाज के सभी वर्ग के लोग सुरक्षित थे लेकिन जब से नीतीश सरकार सत्ता में आई है लोगों का जीना मुहाल है.राज्य में गुंडा तत्व हावी हैं और खासकर महिलाओं पर उत्पीड़न बढ़ गया है और पुलिस प्रशासन का इकबाल खत्म हो गया है.

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उधर सियासी माहौल गरमाते देख पुलिस भी हरकत में आई और लोगों की गिरफ्तारियां तेज हो गई हैं.मुजफ्फरपुर के एसएसपी जयंत कांत ने मीडिया से बातचीत में बताया,”घटना को अंजाम देने वाले लोगों पर कङी काररवाई की जा रही है. मामले में शामिल 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी 6 लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.”

बिहार कांग्रेस के नेता व प्रवक्ता, प्रेमचंद मिश्रा ने बताया,”महिलाओं के साथ घटी इस घटना की निंदा करते हैं. यह अमानवीय घटना है। पुलिस सख्त काररवाई करे.”

खबर है कि इस अमानवीय घटना में पहले तो उन तीनों वृद्ध महिलाओं को मारापीटा गया फिर बीच सङक पर बैठा कर पेशाब तक पिलाया गया. वहां उपस्थित लोग घटना के दौरान वीडियो बनाते रहे पर किसी ने इस का विरोध तक नहीं किया.

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पंच या हैवान

कुछ लोगों ने इन महिलाओं की शिकायत की और डायन होने का आरोप लगाया तो गांव में पंचायत बैठाई गई. मगर पंचों ने भी वही किया जो शुरू से ही पुरूषप्रधान समाज में होता आया है.

भरी पंचायत में यह फैसला सुनाया गया कि इन महिलाओं को उचित दंड दो. इन्हें मारोपीटो, मैला पिलाओ. महिलाओं पर अत्याचार इन्हीं तथाकथित पंचों के सामने किया गया तो जाहिर है पंच में भी वही लोग होंगे जिन्हें महिलाएं महज एक हांड़मांस का पुतला नजर आती हैं.

आश्चर्य तो यह भी है कि यह वही बिहार है जहां हर साल हजारों छात्र बैंकिंग सेवा में देश के कई कोनों में जाते हैं, सैकड़ों छात्र हर साल प्रशासनिक सेवा में सफलता पाते हैं.

जातपात में उलझा समाज

मगर समाजिक सोच से पिछङे इस राज्य की बदनामी अभी भी जातिपाति, अंधविश्वास, विधवाओं पर अत्याचार से खूब होती रहती है.आज भी बिहार में चुनाव जातीय समीकरण से लङे और जीते जाते हैं. ऐसे में कमजोर महिलाओं पर अत्याचार तथाकथित धर्म के ठेकेदारों का शगल बन चुका है. आश्चर्य तो यह भी है कि ये लोग दबंगई और राजनीतिक पहुंच से बारबार कानून को ठेंगा दिखा देते हैं और पुलिसप्रशासन इन का कुछ नहीं बिगाड़ पाती.

सिगरेट पीने वालो को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा

कोरोना से बचाव के लिए जब सरकार ने शराब और धूम्रपान जैसे नशों पर रोक लगाया तो समाज ने खुल का सरकार के साथ दिया. तीसरे लॉक डाउन के बीच मे राजस्व का बहना बना कर अचानक जिस तरह से सरकार ने नशे पर से बंदिशें हटाई वह समझ मे ना आने वाला कदम है.

धूम्रपान कोरोना ‘कोविड 19’ जैसी महामारी को और भी भड़काने वाला है इस बारे में डॉक्टर हिमांगी दुबे से बातचीत हुई.

डॉक्टर हिमांगी दुबे का कहना है कि “कोरोना महामारी  के दौर में धूम्रपान करने वाले लोग सचेत हो जाएं. धूम्रपान की लत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह बन सकती है. धूम्रपान करने वालों को संक्रमण जल्दी हो सकता है और रिकवरी की संभावना स्वस्थ लोगों की अपेक्षा कम रहती है| धूम्रपान फेफड़ों पर बुरा असर डालती है, आपको बता दें कि यह वायरस शरीर में फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है| धूम्रपान से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से कोरोना जैसा वायरस ऐसे लोगों को जल्दी अपनी चपेट में ले सकते हैं|”

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जल्दी नही दिखते कोविड 19 के लक्षण

ऐसे धूम्रपानकर्ता को भी सावधान रहने की आवश्यकता है, जिनमें कोविड-19 के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन उनके सूंघने की क्षमता कम हो गई और खाते वक्त स्वाद आना कम हो गया है. लोगों को ये लक्षण महसूस होते ही सेल्फ क्वॉरेंटाइन में रहना चाहिए और विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए. साथ ही उन लोगों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है जो खुद धूम्रपान नहीं करते लेकिन दूसरे के धूम्रपान करने पर वह उसके धुएं को सांस के जरिए अंदर लेने पर मजबूर होते है. इसे सेकंड हैंड स्मोकिंग और ई.टी.एस यानी ‘एन्वॉयरमेंटल टॉबेको स्मोक’ भी कहते हैं.

डॉक्टर हिमांगी दुबे के पिता राजनीति में है. हिमांगी ने मेडिकल की पढ़ाई बी.डी.एस और एम.डी.एस (पेरीओडॉनटोलॉजी) की पढ़ाई लखनऊ के बाबू बनारसी दास कॉलेज से पूरी की |

इसके बाद सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ में 2 साल तक प्रोजेक्ट रिसर्च स्टूडेंट की तरह काम करने के बाद किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दंत चिकित्सा संकाय के अंतर्गत पेरियोडॉनटोलॉजी विभाग मे सीनियर रेजिडेंट के रूप में कार्य किया| इसके बाद अजंता हॉस्पिटल लखनऊ मे सीनियर डेंटल कंसलटेंट और टोबैको सीशेन काउंसलर तथा सरस्वती डेंटल कॉलेज में  पेरीओडॉनटोलॉजी तथा इंचार्ज-टोबैको सीशेन सेंटर के रूप में कार्य कर रही है.

हिमांगी के पति डॉ हिमांशु पांडेय लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और इंचार्ज- ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के रूप में कार्यरत हैं|

चीन में हाल ही में हुए एक रिसर्च से यह पता चलता है कि जिन लोगों को सिगरेट, तंबाकू या अन्य किसी वजह के चलते सांस संबंधी परेशानियां हुई थीं, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण ज्यादा तेजी से खतरनाक स्थिति में पहुंच गया| यह रिसर्च करीब 56 हजार कोरोना संक्रमित लोगों पर किया गया था|

लंग्स पर हमला

कोरोना वायरस एंजियोटेंसिन कंवर्टिग एंजाइम-2 (ACE-2) नामक मॉलीक्यूल के उपयोग से जुड़ता है और शरीर में दाखिल होकर मानव कोशिकाओं को संक्रमित करता है.कोरोना संक्रमण को बढ़ाने में इन एंजाइमों की अहम भूमिका होती है. शोध मे सामान्य लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों के उत्तकों में ACE-2 के स्तर में 25 फीसद की वृद्धि पाईगई.अध्ययन में स्मोकिंग से ACE2 पर पड़ने वाले प्रभाव की पहचान से न सिर्फ COVID-19 वायरस के एंट्री प्वॉइंट में बढ़ोत्तरी के संकेत मिलते हैं, बल्कि धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों में वायरल बाइंडिंग और वायरस के प्रवेश के लिए बढ़े जोखिम का भी पता चलता है|

अमेरिका की साउथ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं नेटिश्यू में मौजूद मॉलीक्यूल राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) के डाटाबेस के विश्लेषषण के आधार पर यह निष्कर्षनिकाला है की धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों के फेफ़़डों में वायरस के दाखिल होने का खतरा ज्यादा हो सकता है.  साथ ही  एक अध्ययन के मुताबिक, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने की कोरोना वायरस की प्रकृति के आधार परयह दावा किया गयाकी  धूम्रपान करने वाले लोग कोरोना वायरस संक्रमण की कगार पर हो सकते हैं.

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बीड़ी सिगरेट हुक्का घातक

धूम्रपान के दौरान बीड़ी, सिगरेट और हुक्का को उंगलियों से पकड़कर मुंह में लगाते हैं,  लिहाजा होठ के जरिए भी इंफेक्शन धूम्रपानकर्ता के शरीर में जा सकता है | सिगरेट एक ऐसी चीज है जो दो लोग आपस में शेयर भी कर लेते हैं | अगर कोई व्यक्ति संक्रमण का शिकार है, तो उसके जरिये दूसरे लोगों को कोरोना के संक्रमण का खतरा हो सकता है|

तंबाकू उत्पादों का सेवन कर इधर-उधर थूकने से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है| बीड़ी सिगरेट ही नहीं बल्कि अन्य तंबाकू उत्पाद के साथ हुक्का,  शिगारऔर  ई-सिगरेट भी कोरोना वायरस के संक्रमण को फैला सकता है|

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी मे भी धूम्रपान को कोरोना संक्रमण का कारक माना है| हम इस संकट की स्थिति में अपने आप को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. इसी दिशा में धूम्रपान और तंबाकू सेवन छोड़ने का यह सबसे उत्तम समय है|

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Crime story: ‘बौयज लौकर रूम‘ का बिगड़ा हाल

मांबाप अपने लाड़ले को बेहतर तालीम दिलाने की कोशिश करते हैं कि बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े और बेहतर माहौल में रहे. पर किशोरावस्था में आतेआते उस समय मांबाप की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है, जब उन्हें एहसास होता है कि बच्चा गलत राह पर चल रहा है.

बच्चे गलत सोहबत में पड़ कर ऐसी बेहूदगी भरे काम करते हैं कि अच्छेअच्छे शर्मसार हो जाएं.

एक तरफ नामी स्कूलों की तरफ से बच्चों को औनलाइन क्लासें लेने के लिए जबरदस्ती जोर दिया जा रहा है, वहीं इन बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने और इधरउधर की बातें करने या ध्यान भटकाने में ज्यादा रहता है. वे पढ़ाई से अपना तो जी चुराते ही हैं, साथ ही दूसरे बच्चों को भी न पढ़ने के लिए उकसाते हैं. यही कारण है कि बच्चे पढाई में पिछड़ रहे हैं.

भले ही इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अलग ग्रुप बना कर चेटिंग करना बुरा नहीं है, पर बेहूदा बातों के साथसाथ फूहड़ फोटो डालना वो भी साथ में पढ़ने वाली लड़कियों की, गले नहीं उतर रही है.

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सभ्यता का चोला ओढ़े ये बच्चे सम्य समाज के साथसाथ अपने मांबाप के मुंह पर करारा तमाचा जड़ रहे हैं. इन बच्चों की मानसिकता बेहद डरावनी है, चौंकाने वाली है.

इन बच्चों के मातापिता को ये पता ही नहीं हैं कि बच्चे किस तरह के माहौल में जी रहे हैं या पलबढ़ रहे हैं. वहीं बच्चों पर थोड़ी सी सख्ती बरती जाए तो ये बच्चे जवाब देने से पीछे नहीं हटते, उल्टा मातापिता को ही चुप करा देते हैं.

इंस्टाग्राम पर इन बच्चों ने एक नया ग्रुप बनाया, जिस का नाम रखा ‘बॉयज लॉकर रूम’. इस ग्रुप पर भद्दे कमेंट और फूहड़ता से लबरेज फोटो पोस्ट होते थे. ये सचाई उजागर तब हुई, जब इस ग्रुप में एक नया लड़का जुड़ा तो उस ने अपनी एक मित्र को यह बताया.

साउथ दिल्ली की एक यूजर लड़की द्वारा सोशल मीडिया पर स्क्रीनशौट शेयर करने के बाद इस चैट ग्रुप के बारे में जानकारी सामने आई और इस मामले पर लोगों की नजर गई.

इस लड़की ने स्क्रीनशौट शेयर करते हुए लिखा, ‘दक्षिण दिल्ली के 17-18 साल की उम्र के लड़कों का एक ग्रुप है, जिस का नाम ‘बौयज लौकर रूम‘ है, जहां कम उम्र की लड़कियों की फोटो के साथ छेड़छाड़ कर आपत्तिजनक बनाया जा रहा है. मेरे स्कूल के 2 लड़के इस का हिस्सा हैं.‘

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वहीं इस लड़की ने समूह में शामिल लड़कों की सूची और उन के चैट के स्क्रीनशौट साझा किए. इस चैटरूम में छात्रों को

लड़कियों की फोटो साझा करते हुए और उन पर टिप्पणी करते देखा जा सकता है. इस ग्रुप में वे गैंगरेप की योजना बनाते भी देखे गए.

‘बौयज लौकर रूम’ मामले के संबंध में एक स्कूली छात्र को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इस छात्र का मोबाइल जब्त किया है. साथ ही, चैट ग्रुप के सभी बच्चों की पहचान कर ली गई है.

वही, इंस्टाग्राम ने इस विवाद के बाद इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अपने प्लेटफार्म से इस चैट को हटा दिया है.

यह जान कर इन बच्चों के मातापिता के पैरों तले जमीन ही खिसक गई, जब उन्हें पता चला कि उन के लाड़लों ने क्या गुल खिलाए हैं. इन बच्चों ने साथ में पढ़ने वाली लड़कियों की फोटो के साथ छेड़छाड़ की और भद्दे कमेंट के साथ पोस्ट की. उस पोस्ट पर तमाम दूसरे बच्चों ने भद्दे कमेंट भी किए.

ये बच्चे महज 16-18 साल की उम्र के हैं. साउथ दिल्ली व एनसीआर के नोएडा में पढ़ने वाले स्कूलों के ये बच्चे हैं. कोई 10वीं में है तो कोई 11वीं या 12वीं में. इन में से कोई भी एकदूसरे को नहीं जानता, न ही कभी मिले हैं, बस एकदूसरे की मारफत लिंक बनता गया और बच्चे जुड़ते चले गए. ये बच्चे 4-5 नहीं, बल्कि 21 हैं.

इन बच्चों ने फोटो पोस्ट करने के बाद गैंगरेप की बातें भी कीं, तभी दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने यूजर की शिकायत पर शिकंजा कसा और इस ग्रुप से जुड़े 21 बच्चों पर कार्यवाही की.

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यह पूरा मामला 4 अप्रैल से ही ट्रेंड हो रहा है.

इन बच्चों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. न तो इन्हें अपने किए पर कोई पछतावा है और न ही समाज का डर. इतना ही नहीं, इन्हें अपने मांबाप का भी डर नहीं है.

इन बच्चों का गालियां दे कर बात करना शुरू से ही शगल रहा है, वहीं लड़कियां को भी इन से कमतर मत आंकिए. ये भी ‘गर्ल्स लौकर रूम’ में इसी तरह की चेटिंग करती नजर आ रही हैं. मर्दों की खुली टांगें दिखा कर बेहूदा बातें करने के लिए ऐसी लड़कियों ने यह ग्रुप बनाया. एक यूजर ने इस पर भी कार्यवाही करने की मांग की.

ऐसे होगी कार्यवाही

अगर आप किसी की तसवीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं, तो यह मामला कानूनी कार्यवाही के दायरे में आता है. आईपीसी की धारा 354सी और आईटी अधिनियम की धारा 66 ई के तहत तसवीरों से छेड़छाड़ करना और निजी अंगों की तसवीरें शेयर करना अपराध है.

वहीं दूसरी ओर चाइल्ड पोर्नोग्राफी भी एक दंडनीय अपराध है. अगर जांच में ये नाबालिग छात्र आरोपी हुए तो इन के खिलाफ जुवेनाइल ऐक्ट के तहत मामला चलेगा. अगर आरोपी नाबालिग नहीं हैं तो केस सामान्य कानून के हिसाब से चलेगा.

साइबर सेल का कहना है कि बच्चों की प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. जांच के दौरान किसी भी लड़के को डायरेक्ट फोन कर के नहीं बुलाया जा रहा है, बल्कि पहले उन के परिवार या स्कूल से संपर्क किया जा रहा है, फिर बच्चों से बात की जा रही है.

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईटी एक्ट 66 और 67 के तहत केस दर्ज किया है.

‘बॉयज लॉकर ग्रुप’ जैसे न जाने कितने ग्रुप अभी भी बेखौफ चल रहे हैं, क्या उन पर भी कार्यवाही होगी, कहना मुश्किल है, लेकिन इस ग्रुप पर कसा शिकंजा दूसरे ग्रुप को आगाह जरूर करेगा.

हमारे समाज में दबी व कुंठित इच्छाओं को कुछ ज्यादा ही दिखाया जाता है, वहीं बाहर के देशों में इतना नहीं है. भारत में यह अपनी ही तरह का अलग और नया मामला है.

यह मामला  बताता है कि किस तरह सोशल मीडिया के टूल्स का इस्तेमाल स्कूली बच्चे गलत हरकतों के लिए करने लगे हैं.

लोगों की प्रतिक्रिया

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट किया, “इंस्टाग्राम पर एक ग्रुप के स्क्रीनशौट देखे. ये हरकत एक घिनौनी, अपराधी और बलात्कारी मानसिकता का प्रमाण है. इस ग्रुप के सभी लड़के अरेस्ट होने चाहिए, एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है.”

इस पर सोनम कपूर ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘ये मामला पेरेंट्स के द्वारा की गई अनदेखी का नतीजा है. इस के लिए पेरेंट्स को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए कि उन्होंने अपने बेटों को महिलाओं और इंसानों की इज्जत करना  नहीं सिखाया. और इन लड़कों को तो खुद पर शर्म आनी चाहिए.‘‘

स्वरा भास्कर ने इस मुद्दे पर बेबाकी से लिखा, ‘‘जहरीली मर्दानगी की ओर बढ़ते युवाओं की कहानी बयां करती है. कम उम्र के लड़के नाबालिग लड़कियों से बलात्कार और गैंगरेप करने की योजना बना रहे हैं. उनके मातापिता और शिक्षक चाहते हैं कि उन्हें बच्चा कहा जाए. बलात्कारियों को फांसी देना ही काफी नहीं है, इस बलात्कारी सोच को भी बदलना होगा.‘‘

वहीं रिचा चड्ढा ने भी अपना रिऐक्शन दिया,”लोग सेक्स एजुकेशन को ले कर नाकभौं सिकोड़ने लगते हैं. टीनेजर पॉर्न को सेक्स एजुकेशन समझ रहे हैं. अब तो डेटा भी फ्री है. यह बेहद खतरनाक है.”

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