कहते हैं, जब धर्म अपना कुरूप चेहरा दिखाता है तो समाज में ऐसीऐसी अमानवीय घटनाएं घटती हैं कि एकबारगी इंसानियत भी शर्मसार हो जाए.
धर्म और अंधविश्वास सिक्के के ही दो पहलू हैं. एक समाज में भय का माहौल पैदा करता है, दूसरा व्यक्ति और समाज को पीछे धकेलता है.
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक ऐसी ही घटना घटी है जिस ने न सिर्फ सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा जङा है, यह यकीन दिला दिया कि इंसान चाहे 21वीं सदी में पहुंच गया हो, वैज्ञानिक जीतोङ मेहनत कर देश और समाज के लिए नएनए आविष्कार कर रहे हों, मगर वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आज भी धर्म और अंधविश्वास की जंजीरों में जकङे हुए उन्हें मुंह चिढ़ा रहे हैं.
सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा
कोरोना संकट के बीच बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की 3 वृद्ध महिलाओं को डायन बता कर न सिर्फ उन के बाल काटे, बल्कि उन्हें पूरे गांव में घुमाया और मैला खिलाया.
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बिहार के मुजफ्फरपुर जनपद के हथौड़ी थाना क्षेत्र के डकरामा गांव की 3 वृद्ध महिलाएं जैसेतैसे गुजारा कर अपनी जिंदगी जी रही थीं. खबर है कि इन महिलाओं को डायन बता कर ग्रामीणों ने पहले तो खूब पिटाई की फिर पंचायत बुला कर कथित पंचों के तुगलकी फरमान के बाद लोगों ने उन के बाल काटे, तीनों को पूरे गांव में घुमाया और उन्हें मैला भी पिलाया गया.
आश्चर्य की बात यह कि भीङ में पढ़ेलिखे लोग भी मौजूद थे जो सिर्फ वीडियो बनाने में लगे थे मगर किसी ने घटना का विरोध नहीं किया, न कोई बचाने आगे आया.
नींद से जागी पुलिस
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो स्थानीय प्रशासन हरकत में आई. इस के तुरंत बाद आननफानन में मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय टीम गठित की गई.
यह घटना भी तब घटी है जब इसी साल दिसंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रमुख विपक्षी पार्टियां पहले से ही गठबंधन सरकार पर हमलावर थीं. इस घटना ने एक बार फिर नीतीश सरकार की नींद उड़ा दी है.
शर्मसार हो गई इंसानियत
प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता व विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं,”प्रदेश में सुशासन नाम की कोई चीज नहीं है और नीतीश सरकार ब्यूरोक्रेसी के हाथों कठपुतली बन चुकी है.
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“इस अमानवीय घटना की हमारी पार्टी निंदा करती है और अगर जल्द ही दोषियों की गिरफ्तारी और उन्हें सजा नहीं दिलाई गई तो पार्टी पूरे राज्य में आंदोलन करेगी.”
भाई वीरेंद्र ने बताया कि जब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी तब महिलाओं, दलितों सहित समाज के सभी वर्ग के लोग सुरक्षित थे लेकिन जब से नीतीश सरकार सत्ता में आई है लोगों का जीना मुहाल है.राज्य में गुंडा तत्व हावी हैं और खासकर महिलाओं पर उत्पीड़न बढ़ गया है और पुलिस प्रशासन का इकबाल खत्म हो गया है.
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उधर सियासी माहौल गरमाते देख पुलिस भी हरकत में आई और लोगों की गिरफ्तारियां तेज हो गई हैं.मुजफ्फरपुर के एसएसपी जयंत कांत ने मीडिया से बातचीत में बताया,”घटना को अंजाम देने वाले लोगों पर कङी काररवाई की जा रही है. मामले में शामिल 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी 6 लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.”
बिहार कांग्रेस के नेता व प्रवक्ता, प्रेमचंद मिश्रा ने बताया,”महिलाओं के साथ घटी इस घटना की निंदा करते हैं. यह अमानवीय घटना है। पुलिस सख्त काररवाई करे.”
खबर है कि इस अमानवीय घटना में पहले तो उन तीनों वृद्ध महिलाओं को मारापीटा गया फिर बीच सङक पर बैठा कर पेशाब तक पिलाया गया. वहां उपस्थित लोग घटना के दौरान वीडियो बनाते रहे पर किसी ने इस का विरोध तक नहीं किया.
पंच या हैवान
कुछ लोगों ने इन महिलाओं की शिकायत की और डायन होने का आरोप लगाया तो गांव में पंचायत बैठाई गई. मगर पंचों ने भी वही किया जो शुरू से ही पुरूषप्रधान समाज में होता आया है.
भरी पंचायत में यह फैसला सुनाया गया कि इन महिलाओं को उचित दंड दो. इन्हें मारोपीटो, मैला पिलाओ. महिलाओं पर अत्याचार इन्हीं तथाकथित पंचों के सामने किया गया तो जाहिर है पंच में भी वही लोग होंगे जिन्हें महिलाएं महज एक हांड़मांस का पुतला नजर आती हैं.
आश्चर्य तो यह भी है कि यह वही बिहार है जहां हर साल हजारों छात्र बैंकिंग सेवा में देश के कई कोनों में जाते हैं, सैकड़ों छात्र हर साल प्रशासनिक सेवा में सफलता पाते हैं.
जातपात में उलझा समाज
मगर समाजिक सोच से पिछङे इस राज्य की बदनामी अभी भी जातिपाति, अंधविश्वास, विधवाओं पर अत्याचार से खूब होती रहती है.आज भी बिहार में चुनाव जातीय समीकरण से लङे और जीते जाते हैं. ऐसे में कमजोर महिलाओं पर अत्याचार तथाकथित धर्म के ठेकेदारों का शगल बन चुका है. आश्चर्य तो यह भी है कि ये लोग दबंगई और राजनीतिक पहुंच से बारबार कानून को ठेंगा दिखा देते हैं और पुलिसप्रशासन इन का कुछ नहीं बिगाड़ पाती.