इस वैश्विक महामारी ने एक बार फिर पूरे विश्व को बदलवा के ओर ले गया है , द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इतना भारी बदलाव विश्व में देखा जा रहा है और आगे भी कई पुरातन सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक परम्परा बदलेंगी इसका भी साफ संकेत मिल रहा है.तो आइए जानते है कि क्या क्या बदला और क्या बदलने की उम्मीद है .
* 20 शताब्दी के शुरुआत में ही हुआ था एक बड़ा बदलाव :- 20 शताब्दी के शुरुआत में ही एक बड़े महामारी और दो विश्व युद्ध ने पूरी विश्व के हर प्रकार के व्यवस्था को ही बदल कर रख दिया था . विश्व की राजनीतिक, सामाजिक और नैतिक समझ व सिद्धांतों में बदलाव आता है. वर्ष 1918 में स्पेनिश फ्लू फैला और दुनियाभर में पांच करोड़ लोग मारे गए। यह संख्या प्रथम और द्वितीय युद्ध के बाद मारे गए लोगो से अधिक थी .पूरे विश्व सहित यूरोपीय देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का विकास हुआ .
* पश्चिमी देशों की जीवनशैली में आयेगा बदलाव :- इस वैश्विक महामारी से पहले पूरी दुनिया को पश्चिमी देशों की खुली जीवनशैली अपने तरफ आकर्षित करती थी . लेकिन इस महामारी के बाद सब कुछ बदलवा के तरफ होगा। अपने जीवनशैली के लिए पूरे दुनिया में मशहूर देश इटली, फ्रांस, ब्रिटेन , स्पेन और स्विटजरलैंड कोरोना से लड़ रहे हैं. इस देशों में सभी जगह कोरोना के संक्रमण फैलने का कारण यहां का खुला जीवन शैली को माना जा रहा है. इन देशों में शराब और रेस्तरां कल्चर आधारित जीवनशैली को माना गया। इन देशों में करीबन 70 फीसद लोग सामूहिक रूप से बार कल्चर में शराब पीते हैं और 15 वर्ष की आयु के बाद कोई भी शराब पी सकता है.साथ ही सामूहिक रूप से रेस्तरां में खाना-खाने का कल्चर भी है. विशेषज्ञों का मानना है कि शायद इतना खुलापन अब न रहे और समाज खुद को बदल लेंगे .
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* महामारी बदल देगी विश्व की अर्थतंत्र :- विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना ने जैसे वैश्विक अर्थतंत्र को घुटने पर ला दिया है, उससे इससे जुड़े लोगों ने बहुत कुछ सीखा होगा. हमें जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। विश्व का अर्थतंत्र बहुत लचीला रहा है, उसने अब तक के तमाम खराब हालात का मुकाबला किया है. 1930 के दशक में आयी मंदी हो या दूसरे विश्व युद्ध के बाद आया मंदी हो या शीत युद्ध काल में वियतनाम युद्ध के बाद आया मंदी हो या फिर सोवियत संघ के विघटन के बाद 1990 में आयी मंदी हो या 2008 की वैश्विक मंदी को हो , सबने विश्व के अर्थतंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया इसके बाद हर बार एक नयी व्यवस्था और बदलाव ने जन्म लिया और विश्व के आर्थिक तंत्र को संभाला। इस बार भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे.
* आस्था और पर्यटकों के क्षेत्र होगी प्रभावित :-इस महामारी के बाद आस्था और पर्यटकों के क्षेत्र में भी भारा बदलाव आएगा। इसके साफ संकेत मिल रहे है। कोरोना वायरस के कारण जिस तरह धार्मिक स्थलों को बंद किया गया और बड़े-बड़े धार्मिक नेता संक्रमित हो गए या फिर सार्वजनिक जीवन से गायब हो गए, उससे धर्म-आस्था की जड़ें भी कुछ कमजोर पड़ेंगी। खासकर पश्चिमी देशों में, जहां पहले से ही धार्मिक रूप से उदासीन लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। 14 वी शताब्दी में आये महामारी ब्लैक डेट के समय ऐसा हो चूका है। उस समय शिक्षित पादरियों की संख्या चर्च में काफी काम गई थी। वही पर्यटन क्षेत्र में भी इसका असर पड़ेगा। कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले तक पूरी दुनिया में पर्यटकों को काफी महत्व था, इस क्षेत्र को आर्थिक आय का बड़ा जरिया माना जाता था। इस वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से पर्यटकों से की फैला, ऐसे में आशंका है कि अब दुनिया में पर्यटकों का स्वागत भी बदले बदले रूप में होगा.
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* स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा :- इस महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक बदलाव यह बदलाव वैसा ही जैसे कि 1858 में अमेरिका में येलो फीवर के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव हुआ। 1918 में आये स्वाइन फ्लू के बाद यूरोप में स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव आया था। यूरोप समेत अमेरिका में जिस तरह स्वास्थ्य सेवाएं खुद को कोरोना वायरस से लड़ने में कमजोर पा रही हैं, उससे लोगों में बहुत नाराजगी है। सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया के लोग चीन की स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफ कर रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों को उम्मीद है कि पूरी दुनिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होंगी.
* शारीरिक दूरी का सिद्धांत और हाथ सफाई हमेशा बना रहेगा :- कोरोना संक्रमण बाद इस दुनिया में शारीरिक दूरी का सिद्धांत और हाथों का अच्छे से सफाई करने की आदत हमेशा बना रहेगा। दुनियाभर में सौहार्द और प्रेम जताने के लिए हाथ मिलाने से लेकर गले मिलने तक के रिवाज कोरोना वायरस के फैलने से पहले आम थे. यूरोप हो या सऊदी अरब, कोरोना वायरस के कारण सभी शारीरिक दूरी का सिद्धांत मान रहे हैं। विशेषज्ञों का मत है कि इंसानी इतिहास में शारीरिक दूरी के सिद्धांत को मान्यता मिल गई है। यह आगे तक कायम रहेगा। अहम है कि भारतीय परंपरा ने हमेशा से शारीरिक दूरी के सिद्धांत को महत्व दिया है। वही हाथों का अच्छे से सफाई करने की आदत को भी दुनिया के लोग लम्बे समय तक निभायेंगे.