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रजा की मुराद: न उम्र की सीमा हो

23 नवंबर 1950 को उत्तर प्रदेश के छोटे से कसबे रामपुर, उत्तर प्रदेश में रजा मुराद का बचपन बीता. आज उन की एक्टिंग का हर कोई दीवाना है. उन्होंने 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया.

साल 1965 में जौहर-महमूद इन गोवा से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले रजा मुराद कई फिल्मों में हीरोइनों पर जुल्म करते और उन्हें परेशान करते नजर आते रहे हैं. पर असल जिंदगी में वे बिलकुल उलट हैं. आज भी वे बेहद मिलनसार हैं. उन की बहुत सी फिल्मों ने  दर्शकों के दिलों पर एक्टिंग की यादगार छाप छोड़ी है. चाहे संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत हो या रणधीर कपूर की फिल्म हिना.

69 साला रजा मुराद को एक्टिंग का शौक बचपन से ही था. उन्होंने इस की तालीम फिल्म एवं टैलीविजन संस्थान से ली. उन्हें फिल्मों में काम करने का कितना शौक था, उन की इस बात से पता चलता है, जब उन्होंने कहा था कि हम तो फिल्म खाते हैं, फिल्म सोते हैं और फिल्म ही ओढ़ते हैं… साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि उन की आवाज में तो जादू है ही, पर एक्टिंग भी उन की पहचान है.

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रजा मुराद अपनी बात कहते हैं कि कोरोना का असर हर तबके के लोगों पर पड़ा, वहीं फिल्म इंडस्ट्री भी अछूती नहीं रही. पिछले 2 महीने यानी 22 मार्च से फिल्म इंडस्ट्री के सभी काम ठप हैं, चाहे फिल्म की शूटिंग हो या गीत रिकौर्डिंग या फिर कैमरामैन का काम, पर अब महाराष्ट्र में अनलौक के दौरान कुछ छूट दी गई है.

महाराष्ट्र सरकार द्वारा फिल्मों की शूटिंग 20 जून से दोबारा शुरू होने से फिल्म इंड्रस्ट्री में खुशी की लहर है, तो वहीं कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जिन को अपने फिल्मी कैरियर की चिंता सता रही है. वजह, 65 साल से ज्यादा उम्र के कलाकारों को सुरक्षा की दृष्टि से शूटिंग करने पर रोक लगाना.

जी हां, यह बात सौ फीसदी सच है. इस मसले पर फिल्मी कलाकार राजा मुराद काफी खफा हैं. उन का मानना है कि सरकार का यह फैसला बेसिरपैर का है, बेबुनियाद है, ये बात बिलकुल भी प्रैक्टिकल नहीं है.

हम कोई खिलाड़ी नहीं हैं, जिन का फार्म गुजरते वक्त से साथ ढलता है. हम तो कलाकार हैं. हमारा हुनर तो गुजरते वक्त के साथ और ज्यादा निखरता है. क्या आप अमिताभ बच्चन से कहेंगे कि आप काम करना छोड़ दें या मिथुन चक्रवर्ती, प्रेम चोपड़ा, शक्ति कपूर, अनिल कपूर से कहंगे कि आप काम न करें. या फिर आप श्याम बेनेगल, महेश भट्ट, डेविड धवन से भी यही कहेंगे कि आप अब फिल्में न बनाएं. ये सविधान में रूलिंग है कि आप किसी को चाहे वे किसी भी उम्र का क्यों न हो, आप उसे उस की रोजीरोटी कमाने से नहीं रोक सकते.

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वे आगे कहते हैं कि आप फिट हैं कि नहीं काम करने के लिए, इस का फैसला करने के लिए कोई मैडिकल प्रैक्टिसनर होना चाहिए, जो कलाकार की जांच कर उन्हें काम करने के लिए क्लीन चिट दे सके.

और अगर कोई सीनियर ऐक्टर मैडिकल सर्टिफिकेट के साथ ये दावा करता है कि मैं फिट हूं तो उसे काम करने की इजाजत मिलनी चाहिए. क्या आप पार्लियामैंट में जा कर कहेंगे कि सीनियर नेता को इस का हिस्सा नहीं बनना चाहिए, या चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. मेरे हिसाब से ये फिजूल का प्रतिबंध है. सीनियर कलाकारों को काम न करने देने के इस फैसले से मैं सहमत नहीं हूं.

वैसे भी कोरोना तो हर उम्र के लोगों को हुआ है. बच्चे भी हैं और बड़ेबुजुर्ग भी. यह फैसला गलत है. सरकार को इंडियन फिल्म एसोसिएशन की तरफ से चिट्ठी लिखी गई है, जिस में इस मुद्दे को दर्ज कराया गया है.

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रजा मुराद की यह सोच कहीं उन पर ही भारी न पड़ जाए, इसलिए कोई कुछ भी नहीं बोल रहा है, पर सचाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. रोजीरोटी का संकट अब फिल्म इंडस्ट्री पर भी 65 साल से बड़ी उम्र के लोगों पर मंडराएगा, यह तय है.

Crime Story: चार राज्यों तक फैले खून के छींटे

हेमंत लांबा सुंदर, स्वस्थ और पैसे वाले परिवार से था. दीप्ति भी व्यवसाई पिता की एकलौती बेटी थी. हेमंत के अपने प्रति लगाव को देख दीप्ति ने अपने नजरिए से ठीक ही सोचा था कि वह हेमंत से शादी करेगी. लेकिन जब बात शादी की आई तो हेमंत ने न केवल अपनी इस प्रेयसी की हत्या कर दी, बल्कि अपना अपराध छिपाने के लिए ड्राइवर देवेंद्र को भी मार डाला. लेकिन… हरियाणा के जिला रेवाड़ी में एक कस्बा है धारूहेड़ा. इस कस्बे के नंदरामपुर बास रोड की रामनगर

कालोनी के पास सड़क पर लोगों की भीड़ और पुलिस की मौजूदगी बता रही थी कि वहां कोई अनहोनी हुई है.

दरअसल किसी राहगीर ने रामनगर कालोनी में सड़क किनारे एक खाली प्लौट में एक युवती का खून से लथपथ शव देखा तो उस ने फोन कर के यह सूचना पुलिस नियंत्रण कक्ष को दे दी थी. इस सूचना पर वहां पीसीआर की गाड़ी पहुंची. राहगीर की सूचना सही थी, इसलिए पीसीआर ने यह सूचना धारूहेड़ा इलाके की पुलिस को दे दी.

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सूचना मिलने पर धारूहेड़ा थाने के एसएचओ सुधीर कुमार अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. राहगीर ने पूछताछ में बताया कि वह दिल्ली से आया था और पैदल अपने घर की तरफ जा रहा था, तभी उस की नजर खाली प्लौट में पड़ी लाश पर गई तो उस ने पुलिस को सूचना दे दी.

देखने से पहली नजर में ही स्पष्ट हो रहा था कि जिस युवती का शव है, उस की हत्या सिर और पेट में गोलियां मार कर की गई थी. युवती के शरीर पर पुलिस को ऐसा कोई निशान नहीं मिला, जिस से उस की पहचान हो पाती. इंसपेक्टर सुधीर कुमार को लग रहा था कि मृतका आसपास के इलाके की ही रहने वाली होगी.

उन्होंने सुबह होने का इंतजार किया और उजाला होने पर आसपास की कालोनियों के लोगों को बुला कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली.

इस बीच शव मिलने की जानकारी पा कर धारूहेड़ा के डीएसपी मोहम्मद जमाल और रेवाड़ी जिले की एसएसपी नाजनीन भसीन भी क्राइम ब्रांच और फोरैंसिक टीम ले कर घटनास्थल पर पहुंच गई थीं.

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फोरैंसिक टीम ने वारदात वाली जगह की फोटो व शव को उलटपलट कर उस के फोटो लेने शुरू कर दिए. जिस युवती की लाश थी, उस की उम्र करीब 20 साल से ऊपर रही होगी. वह काले रंग की जींस और उसी रंग का बनियान पहने थी, जिस के ऊपर उस ने गेहुएं रंग की जैकैट पहन रखी थी. फोरैंसिक टीम ने जब युवती की जींस और जैकेट की तलाशी ली तो उस की जेब से उस का आईडी प्रूफ और एक ब्यूटीपार्लर का विजिटिंग कार्ड मिला.

विजिटिंग कार्ड किसी पैरिस ब्यूटी पार्लर, दिल्ली का था, जबकि शव के साथ मिली आईडी में दीप्ति गोयल पुत्री हनुमान प्रसाद गोयल निवासी संगरिया, जिला हनुमानगढ़, राजस्थान लिखा था.

आईडी मिलने के बाद 2 चीजें साफ हो गईं कि युवती की उम्र करीब 22 वर्ष थी और वह इस इलाके की रहने वाली नहीं थी. पुलिस के पास अब 2 ऐसी चीजें थीं, जिस से उस की शिनाख्त कराना आसान हो गया था.

आवश्यक जांचपड़ताल के बाद युवती के शव को पोस्टमार्टम के लिए रेवाड़ी जिला अस्पताल भिजवा दिया गया.

चूंकि पुलिस को शक था कि कहीं युवती के साथ किसी तरह का दुष्कर्म तो नहीं किया गया है, इसलिए एसएसपी नाजनीन भसीन ने शव का पोस्टमार्टम एक मैडिकल बोर्ड द्वारा कराए जाने की संस्तुति दी. साथ ही दुष्कर्म के बिंदु पर भी जांच के निर्देश दिए.

शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद डीएसपी मोहम्मद जमाल ने धारूहेड़ा कोतवाली में अज्ञात हत्यारों के खिलाफ युवती की हत्या का केस दर्ज करा दिया. इस मामले की जांच का दायित्व इंसपेक्टर सुधीर कुमार को सौंपा गया.

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डीएसपी ने जांच अधिकारी की मदद के लिए धारूहेड़ा थाने के स्टाफ और सीआईए स्टाफ को मिला कर एक विशेष टीम का गठन कर दिया.

पुलिस ने सब से पहले विजिटिंग कार्ड और आईडी प्रूफ के आधार पर जांचपड़ताल शुरू की. एक टीम को हनुमानगढ़ भेजा गया. दूसरी टीम ने विजिटिंग कार्ड पर लिखे फोन नंबरों पर काल कर के छानबीन करनी शुरू कर दी.

5 घंटे की मशक्कत के बाद यह जानकारी मिल गई कि मृतका कौन थी. आईडी प्रूफ के आधार पर और ब्यूटी पार्लर के विजिटिंग कार्ड में दिए गए फोन नंबरों को खंगालते हुए पुलिस उस सिरे तक पहुंच गई, जहां से युवती की पहचान होनी थी.

पता चला कि मृतका दीप्ति हनुमानगढ़ जिले के संगरिया निवासी एक प्रतिष्ठित व्यापारी हनुमान प्रसाद की इकलौती बेटी दीप्ति थी. उस की मां का निधन हो चुका था. दीप्ति

के पिता का संगरिया में आढ़त का व्यवसाय है.

पिछले 2 साल से वह दिल्ली  के रोहिणी में अपनी ननिहाल में रह कर फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही थी. ननिहाल में फोन पर बात करने से पता चला कि दीप्ति 6 दिसंबर को पार्क में घूमने की बात कह कर घर से निकली थी, लेकिन उस के बाद वापस नहीं

लौटी थी.

यह भी पता चला कि पैरिस ब्यूटी पार्लर पर दीप्ति 2 घंटे ट्रेनिंग लेने के लिए जाती थी. संगरिया गई पुलिस टीम दीप्ति के पिता हनुमान प्रसाद को ले कर धारूहेड़ा लौट आई. उन्हेें रेवाड़ी ले जा कर जब दीप्ति का शव दिखाया गया, तो उन्होंने पहचान कर बता दिया कि शव उन की बेटी दीप्ति का ही है.

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दीप्ति के शव की आधिकारिक रूप से पहचान हो चुकी थी. पुलिस ने कागजी खानापूर्ति के बाद जांचपड़ताल तेज कर दी. अगली सुबह दीप्ति के शव का पोस्टमार्टम भी हो गया, जिस के बाद उस का शव उस के घर वालों के सुपुर्द कर दिया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से 2 बातें साफ हो गईं. एक तो यह कि दीप्ति के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. दूसरे उसे 2 गोली मारी गई थीं. दीप्ति के पिता से पुलिस को दीप्ति  का मोबाइल नंबर मिल गया था, साथ ही एक हैरान कर देने वाली जानकारी भी मिली थी.

पुलिस को दीप्ति के शव के पास से कोई मोबाइल फोन नहीं मिला था. जबकि उस के पिता ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे दीप्ति के फोन से उन के फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज आया था, जिस में उस ने लिखा था कि पापा मैं ठीक हूं.

हैरानी की बात यह भी थी कि दीप्ति के शव के बारे में पुलिस को अलसुबह करीब साढे़ 3 बजे सूचना मिली थी. इस का मतलब उस की हत्या रात में किसी वक्त की गई थी.

ऐसे में यह संभव नहीं था कि वह सुबह 4 बजे पिता को वाट्सऐप मैसेज करती. इस से जाहिर था कि दीप्ति का फोन उस के कातिल के पास रहा होगा. इस से लग रहा था कि दीप्ति  का कातिल उस का कोई परिचित रहा होगा. पुलिस को अब यह गुत्थी भी सुलझानी थी कि दीप्ति की हत्या दिल्ली में हुई थी या धारूहेड़ा में.

 

इंसपेक्टर सुधीर कुमार ने साइबर सेल की मदद से उसी दिन दीप्ति का मोबाइल सर्विलांस पर लगवा दिया. साथ ही उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली. सीडीआर के अध्ययन से सामने आया कि दीप्ति की हत्या होने के बाद उस का फोन अगले दिन सुबह करीब 9 बजे तक चालू था.

इस दौरान उस के फोन पर कई काल आई थीं, जिन में कुछ वाट्सऐप की मिस्ड काल भी थीं. इस मोबाइल फोन की आखिरी लोकेशन जयपुर में थी, इस के बाद दीप्ति का फोन स्विच्ड औफ हो गया था.

पुलिस टीम को लग रहा था कि दीप्ति दिल्ली से धारूहेड़ा किसी अनजान शख्स  के साथ तो नहीं आई होगी. जाहिर है, उस के साथ जो शख्स था, वह उस का खास परिचित रहा होगा. इसलिए पुलिस टीम ने दीप्ति के घर वालों से उस के सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी ले कर खंगालना शुरू कर दिया.

 

दीप्ति के फेसबुक अकांउट में तो पुलिस को ऐसा कोई संदिग्ध नहीं मिला, जिस से कातिल तब पहुंचने में मदद मिलती. लेकिन फेसबुक की जांचपड़ताल में यह जरूर पता चला कि दीप्ति का फेसबुक अकाउंट आखिरी बार 29 नवंबर को अपडेट हुआ था. उस दिन दीप्ति ने ही एक मैसेज डाला था. इस से पहले उस ने 27 नवंबर को दिमाग अपसेट होने का एक मैसेज डाला था.

इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि संभवत: वह अपनी मां की मौत के बाद काफी दुखी रही होगी. पुलिस को अंदेशा हुआ कि कोई परिचित व्यक्ति दीप्ति की इस स्थिति का फायदा उठाना चाह रहा होगा.

धारूहेड़ा पुलिस दीप्ति की हत्या की गुत्थी सुलझाने में बुरी तरह उलझ कर रह गई थी. उस की हत्या किस कारण से की गई और वह दिल्ली से धारूहेड़ा कैसे पहुंची, इस का अभी तक पता नहीं चला पाया था. हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला था. यह खुलासा भी नहीं हो पाया था कि उस की हत्या दिल्ली में की गई थी या हरियाणा में.

अभी पुलिस प्रयासों में जुटी ही थी कि 11 दिसंबर की शाम को रेवाड़ी जिले की एसएसपी नाजनीन भसीन के पास सूरत पुलिस के एक उच्चाधिकारी का फोन आया, जिन्होंने बताया कि सूरत के थाना सरथाना की पुलिस ने हेमंत लांबा नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है, जिस ने एक टैक्सी चालक तथा दिल्ली में रहने वाली अपनी प्रेमिका दीप्ति की हत्या करने का जुर्म कबूल किया है.

 

पकड़े गए युवक ने पुलिस को बताया है कि दीप्ति की हत्या कर के उस ने शव को धारूहेड़ा इलाके में फेंक दिया था.  पूरी जानकारी मिलने के बाद रेवाड़ी एसएसपी को दीप्ति हत्याकांड से जुड़ी तमाम बातें याद आ गईं.

उन्होंने सूरत के पुलिस अधिकारी को आवश्यक जानकारी दे कर अपनी टीम के तत्काल सूरत पहुंचने का आश्वासन दिया.

उसी दिन उन्होंने पुलिस हैडक्वार्टर से डीएसपी हंसराज के साथ इंसपेक्टर सुधीर कुमार को सूरत रवाना कर दिया. देर रात तक रेवाड़ी से गई पुलिस टीम सड़क के रास्ते सफर तय कर के सूरत के पुलिस स्टेशन सरथाना पहुंच गई, जहां उन्होंने एसएचओ टी.आर. चौधरी से मुलाकात की.

बातचीत में पता चला कि जिस हेमंत लांबा को पुलिस ने पकड़ा है, उस ने केवल दीप्ति की ही हत्या नहीं की, बल्कि इस चक्कर में उस ने एक और हत्या को भी अंजाम दिया था.

34 वर्षीय हेमंत लांबा को इंसपेक्टर सुधीर कुमार के समक्ष लाया गया, तो वह उसे देख कर चौंक पड़े, क्योंकि वह कोई साधारण इंसान नहीं, बल्कि बेहद आकर्षक व्यक्तित्व  का मालिक था. पुलिस ने उस से सूरत में ही पूछताछ शुरू कर दी.

 

हेमंत लांबा फिटनैस इंडस्ट्री का जानामाना नाम था. उस की पहचान एक बौडी बिल्डर व फिटनैस एक्सपर्ट के तौर पर होती थी. वह नैशनल अवार्डी बीटेक सिविल इंजीनियर था. वह बौडी स्टेरोन हेल्थकेयर प्रा. लि. दिल्ली का चेयरमैन व बौडी स्टेरोन नैशनल बौडी बिल्डिंग ऐंड स्पोर्ट्स फेडरेशन का राष्ट्रीय महासचिव भी था. उस ने लार्जस्ट स्पोर्ट्स ऐंड फिटनैस चैंपियनशिप का आयोजन भी किया था.

इस के अलावा वह लांबा ग्रुप औफ इंडस्ट्रीज का चेयरमैन भी था. हेमंत लांबा उत्तम नगर, दिल्ली के विश्वास पार्क निवासी एक समृद्ध परिवार का युवक था. नामचीन आदमी होने के साथ वह अय्याश भी था.

वह लड़कियों को कपड़े की तरह बदलता था. 3 महीने पहले हेमंत और दीप्ति की जानपहचान फेसबुक के जरिए हुई थी. जल्द ही दोनों की मेलमुलाकातें होने लगीं और दोनों एकदूसरे पर जान छिड़कने लगे. दोनों अक्सर साथ घूमते, होटलों में खाना खाते और साथसाथ शौपिंग करते. हेमंत ने उस से शादी करने का वादा किया था.

पिछले कुछ दिनों से दीप्ति हेमंत पर दबाव बना रही थी कि वह उसे कहीं घुमाने के लिए ले चले. दीप्ति की इसी जिद के कारण 6 दिसंबर को हेमंत ने उसे फोन कर के कहा कि आज वह उसे लौंग ड्राइव पर ले जाना चाहता है. सुन कर दीप्ति खुश हुई.

 

6 दिसंबर को वह दीप्ति को घुमाने के बहाने अपनी अकोर्ड गाड़ी में ले कर निकला. दिन भर दोनों इधरउधर साथ घूमते रहे. हमेशा की तरह एक बार फिर दीप्ति ने हेमंत से शादी करने की ख्वाहिश जताई तो हेमंत ने कहा कि वह जल्द ही उस की ये ख्वाहिश पूरी करेगा.

उस दिन दोनों बेहद खुश थे. शाम को जब दीप्ति ने घर चलने के लिए कहा तो हेमंत बोला कि जब लौंग ड्राइव पर निकले हैं तो घर जाने की क्या जल्दी है. अभी तो रात बाकी है. चलते हैं कहीं दिल्ली से दूर.

कहते हुए हेमंत ने गाड़ी गुड़गांव की तरफ मोड़ दी. शाम का धुंधलका शुरू होते ही हेमंत ने शराब और बीयर की बोतलें ले लीं. फिर 2-3 घंटे तक इधरउधर गाड़ी घुमाते हुए हेमंत खुद भी शराब के पैग लेता रहा और दीप्ति को भी 2-3 बीयर के कैन पिला दिए.

रात के करीब 10 बजे जब हेमंत और दीप्ति दोनों पर शराब का अच्छाखासा सुरूर छा गया, तो हेमंत ने गुड़गांव के पास एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी.

सुनसान जगह देख हेमंत ने दीप्ति को अपनी लाइसैंसी रिवौल्वर से एक के बाद एक 2 गोली मार कर उस की हत्या कर दी. हत्या के बाद उस ने शव को डिक्की में डाला और अगली सीट पर फैले खून को कपडे़ व पानी से साफ कर दिया. इस के बाद उस ने कार धारूहेड़ा की तरफ बढ़ा दी.

रात करीब 11 बजे उस ने नंदरामपुर बास रोड पर एक सुनसान जगह देख गाड़ी रोकी और दीप्ति का शव डिक्की से निकाल कर खाली प्लौट में एक फेंक दिया. दीप्ति का मोबाइल उस ने अपनी जेब में डाल लिया था. दीप्ति का शव फेंकने के बाद हेमंत वापस दिल्ली लौट आया.

दिल्ली आ कर उस ने हत्या में इस्तेमाल की गई अपनी गाड़ी को 6 दिसंबर की रात में ही एक डीलर को बेचने की कोशिश की, लेकिन गाड़ी नहीं बिकी तो वह मायापुरी पहुंचा. वहां उस ने रात को 1 बजे गाड़ी एक कबाड़ी को बेच दी. गाड़ी बेचने से हेमंत की जेब में बड़ी रकम आ गई थी.

 

रात करीब ढाई बजे हेमंत ने अपने साथ लाए दीप्ति के फोन से जयपुर के लिए ओला कैब बुक की. जनकपुरी का रहने वाला कैब चालक देवेंद्र सिंह अपनी इनोवा गाड़ी से हेमंत को ले कर जयपुर की ओर चल पड़ा.

रास्ते में करीब 4 बजे हेमंत ने दीप्ति के मोबाइल से उस के पिता के मोबाइल नंबर पर दीप्ति की तरफ से वाट्सऐप मैसेज किया कि वह ठीक है.

सुबह करीब 9 बजे हेमंत जयपुर पहुंचा और वहां के एक होटल में ठहर गया. वहां उस ने वाईफाई के जरिए दीप्ति के मोबाइल पर इंटरनेट चलाया तो उसे सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के जरिए पता चला कि धारूहेड़ा पुलिस ने दीप्ति का शव बरामद कर लिया है और उस की पहचान भी हो चुकी है.

इस से हेमंत को लगा कि अब पुलिस जल्द ही यह भी पता लगा लेगी कि दीप्ति की हत्या  किस ने की है. उसे लगा कि अब पुलिस उस तक पहुंच जाएगी.

हेमंत को अपने पकड़े जाने का डर इसलिए भी था, क्योंकि उस ने जयपुर आने के लिए जिस कैब को बुक किया था, उस के लिए उस ने दीप्ति के फोन का इस्तेमाल किया था. उसी फोन नंबर और गाड़ी के ड्राइवर की मदद से पुलिस उस तक पहुंच सकती थी.

 

हेमंत ने उसी वक्त फैसला कर लिया कि अगर उसे पुलिस से बचना है तो उसे इनोवा कैब के चालक की भी हत्या करनी पड़ेगी वरना वह खुद फंस जाएगा. उस ने सोचा कि देवेंद्र की हत्या कर के कुछ वक्त इधरउधर छिप कर बिता लेगा. देवेंद्र सिंह की हत्या के बाद उस की गाड़ी को भी बेच देगा.

यह ख्याल आते ही हेमंतके दिमाग में एक और खतरनाक साजिश ने जन्म ले लिया. उसे लग रहा था कि वह देवेंद्र के मामले में पुलिस के हाथ कभी नहीं लगेगा, क्योंकि उस की कार उस ने दीप्ति के फोन से बुक की थी. देवेंद्र की हत्या के बाद पुलिस के लिए उस तक पहुंचने की कड़ी टूट जाएगी.

इसी साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए उस ने एक दिन जयपुर में ही रुकने का मन बनाया. उस ने यह बात ड्राइवर देवेंद्र को बता दी. देवेंद्र को पता ही नहीं था कि हेमंत के दिमाग में क्या खतरनाक साजिश चल रही है.

उसी रात हेमंत किसी से मिलने के बहाने ड्राइवर देवेंद्र को अपने साथ अजमेर बाइपास एक्सप्रैस-वे पर चंदबाजी के इलाके में ले गया. वहां उस ने रास्ते में एक सुनसान जगह पर देवेंद्र को गोली मार क र उस की भी हत्या कर दी. इस के बाद लाश फेंक कर वह उस की इनोवा ले कर पहले अपने होटल पहुंचा, फिर वहां से कमरा खाली कर के गुजरात के लिए रवाना हो गया.

हेमंत ने सोचा था कि वह पहले देवेंद्र की इनोवा कार को सूरत में बेचेगा, फिर वहां से मुंबई चला जाएगा. अगले दिन वह इनोवा ले कर सूरत पहुंच गया. वहां पहुंच कर उस ने एक होटल में कमरा ले लिया.

इस के बाद उस ने दिल्ली में अपने एक दोस्त को फोन कर के दिल्ली में कुछ कार डीलरों के नंबर हासिल किए. दरअसल, वह उन से संपर्क कर के सेकेंड हैंड इनोवा की कीमत जानना चाहता था. उसे पता चला कि इनोवा 8-9 लाख में बिक सकती है. सूरत में उस ने गाड़ी बेचने के लिए एक डीलर से संपर्क किया तो सौदा 8 लाख रुपए में तय हो गया.

 

इनोवा की ड्राइविंग साइड का एक शीशा टूटा हुआ था. उस पर खून के कुछ निशान भी थे. यह देख डीलर को शक हुआ तो हेमंत गाड़ी ले कर भाग निकला, लेकिन इस से पहले डीलर ने तुरंत पीछे लिखे नंबर पर फोन कर दिया. यह नंबर देवेंद्र के भाई अजीत का था, जो कार का मालिक था.

कुछ गड़बड़ देख देवेंद्र के भाई अजीत ने अपने भाई देवेंद्र के मोबाइल पर फोन किया तो उस का नंबर स्विच्ड औफ मिला. जिस के बाद देवेंद्र के भाई ने पलट कर उसी डीलर के नंबर पर फोन किया, जिस ने उसे फोन किया था.

जिस वक्त सूरत में ये सब चल रहा था, उसी वक्त पुलिस को जयपुर के चंदबाजी में सड़क किनारे एक युवक का शव पड़े होने की सूचना मिली. युवक को गोली मारी गई थी और किसी कार का शीशा भी टूटा पड़ा था.

पुलिस ने टोल नाकों की सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो एक इनोवा एसयूवी कार संदिग्ध नजर आई. उस के नंबरों के आधार पर कार मालिक दिल्ली निवासी अजीत सिंह से संपर्क किया गया.

अजीत ने बताया कि उस का भाई देवेंद्र बुकिंग पर कार ले कर गया था. वह 7 दिसंबर से लापता है, जिस की गुमशुदगी डाबड़ी थाने में दर्ज करवाई गई थी. बुकिंग करवाने वाले के मोबाइल नंबर की डिटेल्स खंगाली गई तो वह दिल्ली की दीप्ति गोयल का निकला.

 

पता चला कि दीप्ति की 6 दिसंबर को धारूहेड़ा में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी और उस का शव सड़क किनारे एक खाली प्लौट में फेंक दिया गया था. बाद में पुलिस को देवेंद्र की कार की लोकेशन सूरत में मिली. आरोपी हेमंत कार को बेचने के लिए सूरत ले गया था.

सूरत के जिस कार डीलर ने अजीत सिंह को फोन किया था, उसी ने थाना सरथाना के एसएचओ टी.आर. चौधरी को भी फोन कर के इस की इत्तला दे दी थी. चौधरी ने इस सूचना के बाद तत्काल अपने स्टाफ को सक्रिय कर दिया. फलस्वरूप कुछ ही देर में वह इनोवा गाड़ी सरथाना पुलिस के कब्जे में आ गई, जिसे हेमंत लांबा ड्राइव कर रहा था.

जब हेमंत को थाने लाया गया और पुलिस ने उस की खातिरदारी कर के कार के मालिक और उस पर लगे खून के छींटों और टूटे हुए साइड मिरर के बारे में पूछा तो सारी कहानी खुलती चली गई.

इंसपेक्टर चौधरी के सामने एक नहीं दो कत्ल करने वाले आरोपी ने इकबाले जुर्म किया था. लेकिन दोनों में से कोई भी वारदात उन के इलाके में नहीं हुई थी, इसलिए उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को इस बाबत पूरी जानकारी दे कर हेमंत के खिलाफ सीआरपीसी की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया.

तब तक उच्चाधिकारियों की तरफ से जयपुर पुलिस व रेवाड़ी पुलिस को उन के इलाके में हुए दीप्ति हत्याकांड व देवेंद्र सिंह हत्याकांड की जानकारी दे दी गई थी.

सब से पहले रेवाड़ी पुलिस सूरत पहुंची और उस ने आरोपी हेमंत से पूछताछ करने के बाद उसे स्थानीय कोर्ट में पेश कर प्रोडक्शन वारंट पर अपनी हिरासत में ले लिया.

 

रेवाड़ी पुलिस हेमंत को सूरत से ले कर वापस आ गई और उसे अदालत में पेश कर जब 7 दिन के रिमांड पर लिया गया तो यह राज भी उजागर हो गया कि हेमंत ने दीप्ति की हत्या क्यों की थी.

फेसबुक पर हेमंत लांबा से हुई जानपहचान और फिर उस के प्यार में पड़ना दीप्ति को भारी पड़ गया था, जो उस की मौत का कारण बन गया.

दरअसल, जब दोनों की मुलाकात हुई तो हेमंत को दीप्ति पंसद तो आई लेकिन उसे दीप्ति में ऐसा कुछ नहीं दिखा कि वह उस के साथ लंबा वक्त गुजारता. कुछ समय तक वह उस से प्यार करने का नाटक करता रहा, लेकिन दीप्ति के साथ मौजमस्ती करतेकरते  दीप्ति उस के प्यार में कुछ इस कदर डूब गई कि वह उस से शादी के सपने देखने लगी.

हेमंत ऐसा भंवरा था जो एक डाल पर ज्यादा दिन तक नहीं बैठता था. फूल का रस चूसने के बाद वह अगली कली की तरफ बढ़ जाता था. लेकिन दीप्ति के मामले में उसे लगने लगा कि वह उस के गले में हड्डी की तरह फंस गई है. वक्त बीतने के साथ दीप्ति उस पर शादी का दबाव बनाने लगी थी. इसलिए उस से छुटकारा पाने के लिए हेमंत ने उस की हत्या की साजिश रची.

 

रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में धारूहेड़ा पुलिस ने हेमंत से वारदात में इस्तेमाल की गई पिस्तौल, 4 जिंदा कारतूस और इनोवा बरामद कर ली. रेवाड़ी पुलिस ने रिमांड खत्म होने के बाद हेमंत लांबा के खिलाफ दर्ज मामले में हत्या के अलावा सबूत छिपाने की धारा जोड़ कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस के बाद जयपुर पुलिस ने हेमंत को देवेंद्र हत्याकांड में रिमांड पर ले लिया और उस से गहन पूछताछ की.

हेमंत लांबा अपनी फेसबुक वाल पर नेताओं व खुद को स्मार्ट दिखाने वाली फोटो डालता रहता था. उस पर दिल्ली में 1 दुष्कर्म, 2 छेड़छाड़ व एनआईए के 42 मामले दर्ज थे.

इस में लोगों के साथ ठगी करना, जबरन कब्जा करना, झगड़ा आदि करने के मामले भी शामिल हैं.

हरियाणा साउथ रेंज के एडीजीपी डा. आर.सी. मिश्रा के मुताबिक हेमंत सोशल मीडिया, फेसबुक व अन्य वेबसाइट पर खुद को हाईप्रोफाइल सोसायटी का दर्शाता था. उस के इसी प्रोफाइल को देख कर लड़कियां उस के जाल में फंस जाती थीं.

लेकिन वह उन लड़कियों के साथ कुछ दिन अय्याशी करता था और उन से नाता तोड़ लेता था.

उसे पता नहीं था कि जिस दीप्ति को उस ने अय्याशी  के लिए अपने जाल में फंसाया है, वह एक दिन उस के गले की फांस बन जाएगी.  द्य

—कथा पुलिस की जांच व आरोपी से हुई पूछताछ पर आधारित

मैं अपने औफिस के पास पीजी में रहना चाहती हूं, लेकिन मम्मीपापा नहीं मानेंगे. उन्हें लगता है कि मैं बिगड़ जाऊंगी, मैं क्या करूं ?

सवाल

मैं अपने घर पर रहना नहीं चाहती. मैं अपने औफिस के पास पीजी में रहना चाहती हूं. महीने में शायद 9-10 हजार रुपए खर्चे में लग जाएंगे जिस के लिए मैं तैयार हूं. मैं 24 साल की हूं और 26 तक शायद मेरी शादी भी हो जाएगी. मैं कभी अकेली नहीं रही. कालेज भी घर से पास ही था और औफिस भी ज्यादा दूर नहीं है. पर मैं अब अकेले रहना चाहती हूं. जिंदगी को इस तरह भी जी कर देख लेना चाहती हूं. प्रौब्लम यह है कि मेरे मम्मीपापा नहीं मानेंगे. उन्हें लगता है कि मैं बिगड़ जाऊंगी या किसी तरह के खतरे में पड़ जाऊंगी. क्या कहूं उन से कि वे मान जाएं?

जवाब

आप मम्मीपापा से कहिए कि दुर्घटना तो कभी भी कहीं भी किसी के साथ हो सकती है. उन का यह सोचना कि आप पीजी में रहने पर ही खतरे में पड़ेंगी, गलत है. आप बड़ी हैं, रोज औफिस जाती हैं और खुद को संभालना भी जानती हैं.

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जिंदगी में पहली बार आप अपने बूते रहना चाहती हैं और यह आप को और अधिक आत्मनिर्भर ही बनाएगा. इतना विश्वास और भरोसा तो आप के मातापिता को आप पर दिखाना ही होगा. शादी के बाद भी तो आप पर अपने साथसाथ एक परिवार की भी जिम्मेदारी आ जाएगी, क्या तब वे टोकाटोकी करेंगे? लड़कियों को हमेशा पिता, भाई या पति के सहारे की जरूरत क्यों हो? आप मम्मीपापा को यह तर्क दीजिए. उन्हें आप से सहमति रखनी ही होगी. तब  भी न मानें, तो आप अपनी इच्छानुसार फैसला ले सकती हैं. वैसे, क्या आप के घर में बहुत से लोग हैं कि आप को मनमानी प्राइवेसी नहीं मिलती या आप का किसी ऐसे से संबंध है जो आप घरवालों से छिपा कर रखना चाहती हैं? ऐसा है, तो अलग रहने की जिद में कोई हर्ज नहीं है.

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जमातियों पर हल्ला भगवा गैंग की साजिश

कोरोना संक्रमण से बचाव के संदेश में सरकारी प्रचार में कहा जाता है कि हमें बीमारी से लडना है बीमारो से नहीं. भगवा गैंग ने पाखंड और नफरत फैलाने के लिये जमातियों के बहाने समाज में धर्मो के बीच दूरिया फैलाने का काम किया. कोरोना के मरीजो की बढती संख्या से अब यह साफ हो गया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति से फैलता है. जाति और धर्म से नहीं.

संकट के दौर में जानवर और इंसान भी आपस में बैर भूलकर एक जगह रहते है. कोई किसी पर हमला नहीं करता है. धर्म के नाम पर इंसान सकंट के दौर में भी हिन्दू मुसलिम करने से पीछे नहीं रहे. कोरोना संक्रमण को लेकर जमातियो के बहाने एक वर्ग को संक्रमण फैलाने का जिस तरह से जिम्मेदार माना गया. उसने समाज की सोंच को बदला और आपसमें नफरत और भेदभाव का वातावरण बनाया. यह भेदभाव केवल धर्म के नाम पर ी नहीं था. गरीब और मजदूर के नाम पर भी किया गया. जहां गरीब सडको पर पैदल चलने और हादसों में शिकार होकर मरने के लिये मजबूर थे वही अमीर वर्ग को बस और हवाई जहाज से उनके घरो तक पहंुचाने का काम किया गया.कानपुर की डाक्टर आरती लालचंदानी का वीडियो उसी समय का है जब कोरोना संक्रमण के लिये जमातियों को जिम्मेदार माना जा रहा था. जैसी समाज में धारणा बन रही थी वह धारणा वीडियों में डाक्टर आरती लालचंदानी ने व्यक्त की थी.

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कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में भगवा गैंग ने सबसे पहले यह प्रयास किया कि इसका पूरा ठिकरा जमातियों के उपर फोडा जा सके. इसका पूरा प्रयास सरकार से लेकर संगठन के स्तर तक चलाया गया. इसके तहत जमातियों के उपर तमाम तरह के मुकदमें कायम किये गये. जमातियों के द्वारा क्वायरटाइन घरों में किये जा रहे उत्पातों के भी वीडियों वायरल हुये. ऐसा लगने लगा कि जैसे करोना संक्रमण की वजह यह जमाती लोग ही थे. दक्षिण दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज में शामिल लोगों में 1200 जमातियों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. सभी सरकारों ने अपनी सूचनायें दिल्ली पुलिस को दी. 28 से 31 मार्च के दौरान तब्लीगी मरकज से 2300 जमाती निकाले गए थे. इसके बाद दिल्ली के विभिन्न मुस्लिम बाहुल्य इलाकों, मस्जिद व मदरसों में छिपे करीब 1300 जमातियों को दिल्ली पुलिस ने ढूंढ़ निकाला था. इनमें जो कोरोना पॉजिटिव मिलने उन्हें भर्ती करा दिया गया था. अन्य सभी को क्वारंटाइन किया गया है.

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इन बातों को लेकर भगवा गैंग ने प्रचार करना शुरू किया. असल में भगवा गैंग यह चाहता था कि कोरोना संकट के लिये जमातियों को ही जिम्मेदार ठहराया जाये. जिससे समाज में हिन्दू मुसलिम के बीच की दूरी को पैदा किया जाये और धार्मिक दूरी फैलाकर हिन्दूत्व के वोटबैंक को मजबूत किया जा सके. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से खुद कोरोना संकट के लिये जमातियों को आरोपी ठहराने लगे. असल में केन्द्र और प्रदेश सरकार दोनो को यह लग रहा था कि कोरोना संक्रमण को फैलने से वह नहीं रोक सकते ऐसे में अपनी नाकामी छिपाने के लिये जमातियों पर निशाना लगाना शुरू कर दिया था. इस प्रचार में भगवा गैंग भी शामिल हो गया. इसका असर डाक्टरों और दूसरे वर्ग के लोगों पर भी दिखने लगा.
कानपुर की डाक्टर आरती लालचंदानी ः

कोरोना के लिये जिम्मेदार जमाती है. यह अफवाह अपना काम करने लगी. केवल जनता ही नहीं पढालिखा वर्ग भी यही समझने और वैसा ही व्यवहार करने लगा. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की डाक्टर आरती लालचंदानी का वीडियो वायरल होने के साथ यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि भगवा गैंग अपने मिशन में सफल रहा है. उत्तर प्रदेश के कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य ने तब्लीगी जमातियों को टेरेरिस्ट बताया था. इस वीडियों में डाक्टर लालचंदानी कह रही है ‘कहना नहीं चाहिए पर ये तो टेरेरिस्ट हैं. इनको हम वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं. हम अपना रिर्सोसेज एग्जॉस्ट कर रहे हैं. हम अपने डॉक्टरों को बीमार कर रहे हैं. हमारे 100 पीपीई किट इन पर खराब हो रहे हैं. हमें तो किट सब्सिडी में मिल रही है. लेकिन, सरकार दो हजार-ढाई हजार रुपए इन पर खर्च कर रही है. ये सब खर्च हम इन पर कर रहे हैं.

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वीडियो वायरल होने पर सफाई देते कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर प्रोफेसर आरती लालचंदानी. करीब 2 माह पहले के वीडियो मे सफाई देते कहा कि ‘वीडियो से छेड़छाड़ की गई. मुझे ब्लैकमेल करने की नीयत से इस वीडियो वायरल किया गया है. हमने दोषियों पर कार्रवाई से पहले शासन से दिशा-निर्देश मांगा है. डाक्टर लालचंदानी ने नया वीडियो जारी करके सफाई देेते कहा कि ‘कई मुस्लिम भाई बहन की अपनों की तरह सेवा की है. यह घटना 75 दिन पहले की है और इसे बदनीयती से मेरे विरोधियों ने अब जाकर रिलीज किया है. मेरे संपर्क में कई मुस्लिम भाई-बहन और बच्चे हैं, जिन्हें मैंने अपनों की तरह प्यार किया है. उनकी सेवा की है. यहां तक कि तब्लीगी जमात के जिन मरीजों ने हमारे हेल्थ वर्कर्स पर हमला किया था. हमने उनसे भी अच्छे रिश्ते बनाए. उन्होंने कुछ दिनों के भीतर माफी मांग ली थी. हमने भोजन-पानी और दवाओं से उनकी हर तरह से तीमारदारी की. इसके लिए उन्होंने हमारा शुक्रिया भी अदा किया.

आरती के खिलाफ काररवाई की मांग 

डाक्टर आरती ने कहा कि वह कुछ मीडियाकर्मियों से अनौपचारिक बातचीत कर रही थीं तभी चुपके से वीडियो बनाया गया. इस वीडियों के वायरल होने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई. समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी ने डीएम ब्रह्मदेव राम तिवारी को राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन देकर प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. शहर काजी मौलाना आलम रजा खान नूरी की अगुवाई में कई मुस्लिम संगठनों ने प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. डाक्टर आरती लालचंदानी जैसी सोंच रखने वाले एक दो लोग नहीं है. बडी संख्या में ऐसे लोग है जो कोरोना को लेकर यह मानते थे कि कोरोना फैलाने जमातियों का सबसे बडा हाथ था. यही नहीं सरकार ने जब इन लोगों के खिलाफ कडे कदम उठाये तो बहुत लोग खुश भी होते रहे.

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सोशल मीडिया पर यह खूब देखने को मिला. सोशल पर जमातियांे के विरोध में पूरा एक वर्ग सक्रिय हो गया. यह भगवा गैंग का वही वर्ग है जिसने पांखड को फैलाने में पूरी तरह से मदद की. यह लोग समाज को यह बताने का प्रयास करते रहे कि कोरोना संकट जमातियों के कारण हुआ है. धर्म के नाम पर फैलाई गई दूरी का लाभ उठाया. समाज में नफरत का बीज बोने में सफल रहे. कहतें है कि संकट के समय जानवर भी हमला नहीं करता और इंसान को किसी तरह का नुकसान नहीं पहंुचाता. धर्म के नाम पर आपसी भेदभाव इतना बढ गया कि कोरोना संकट के समय भी धर्म के नाम पर लोग आपस में लडते झगडते रहे.
कोरोना संक्रमण बढने के साथ यह बात भी साफ होने लगी कि संक्रमण धर्म, जाति या समुदाय से नहीं फैलता है. यह संक्रमित व्यक्ति से फैलता है. वह किसी भी जाति धर्म और समुदाय का हो सकता है. जब प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हुआ तो यह संक्रमण उनके द्वारा भी बाकी समाज तक पहुंचते दिखने लगा. आरती लालचंदानी की फोटो लगा सकती है. इसके साथ कुछ जामती लोगों की फोटो लग सकती है.

मां का दिल महान: भाग 1

‘‘मां कहां हैं?’’ शायक ने अपनी पत्नी शुचि से प्रश्न किया.

‘‘क्या पता? मैं जब आई तब भी मां घर में नहीं थीं. एक घंटे से प्रतीक्षा कर रही हूं कि वे आ जाएं तो मैं भी चाय पी लूं,’’ शुचि ने उत्तर दिया.

‘‘तुम्हें अपनी चाय की चिंता है, मां की नहीं. वैसे भी तुम्हें चाय पीने से किस ने रोका है. चाय पी कर मां को बुला लातीं. इसी अपार्टमैंट के कौंप्लैक्स में होंगी. इस बिल्डिंग से बाहर तो वे जाती ही नहीं,’’ शायक क्रोधित हो उठा था.

‘‘तुम्हारी मां हैं, तुम्हीं बुला लाओ. मुझे तो तुम मांबेटे से बहुत डर लगता है. क्या पता किस बात पर भड़क जाओ. पहले हाथमुंह धो लो, मैं तुम्हारे लिए जूस ले आती हूं. अपने लिए चाय बना लूं क्या?’’ शुचि मुसकराई

‘‘तुम और तुम्हारी चाय. पिओ न, किस ने मना किया है? मैं पहले ही परेशान और थका हुआ हूं,’’ शायक अपना लैपटौप एक ओर पटकते हुए बोला.

‘‘क्यों गुस्सा हो रहे हो, संभाल कर रखो. लैपटौप टूट जाएगा. कंपनी का दिया हुआ है. इतनी लापरवाही ठीक नहीं है,’’ शुचि रसोई की ओर जाते हुए हंसी.

‘‘तुम्हें हर समय मजाक सूझता है,’’ शायक झुंझला गया.

‘‘तो मैं कहां मजाक कर रही हूं? वैसे मैं एक सुझाव दूं. तुम लंबी छुट्टी क्यों नहीं ले लेते? मां भी प्रसन्न हो जाएंगी कि उन का बेटा श्रवण कुमार उन के लिए कितना त्याग कर रहा है,’’ शुचि चाय की चुस्कियों का आनंद लेते हुए बोली.

‘‘मुझे व्यर्थ का क्रोध मत दिलाओ. तुम क्यों नहीं छोड़ देतीं अपनी नौकरी?’’

‘‘मैं तो तैयार हूं. तुम ने इधर आज्ञा दी और उधर मेरा त्यागपत्र मेरे बौस की मेज पर. तुम ही कहते हो, महंगाई बहुत बढ़ गई है. एक के वेतन से काम नहीं चलता. सच पूछो तो मैं अपने बच्चों को छात्रावास से घर लाना चाहती हूं. मन में बहुत अपराधबोध होता है. बच्चे पलक झपकते ही बड़े हो जाएंगे और हम तरसते रह जाएंगे,’’ शुचि एकाएक गंभीर हो उठी.

‘‘अरे हां, यह बात तो मेरे दिमाग में आई ही नहीं. अब तो मां भी यहां हैं, उन्हें भी कंपनी मिल जाएगी. बच्चों को उन का मार्गदर्शन मिल जाएगा,’’ शायक ने कुछ सोच कर कहा.

‘‘मैं ने सोचा था, पर मुझे लगा कि कहीं मांजी को बुरा न लगे कि उन के आते ही बच्चों की जिम्मेदारी उन के कंधों पर डाल दी.’’

पतिपत्नी में अभी वार्त्तालाप चल ही रहा था कि कामिनी ने घर में प्रवेश किया.

‘‘मां, कहां चली गई थीं आप? मुझे कितनी चिंता हो जाती है,’’ उन्हें देखते ही शायक ने शिकायत की.

‘‘लो, इस में भला चिंता की क्या बात है. मैं क्या छोटी बच्ची हूं जो कहीं गुम हो जाऊंगी? घर से निकल कर जरा पासपड़ोस में घूम आती हूं तो मेरा भी मन बहल जाता है, उन की भी सहायता हो जाती है. सच कहूं, बड़ा संतोष होता है कि यह जीवन किसी के काम आ रहा है,’’ कामिनी बड़े संतोष से बोलीं.

‘‘पर मां, सुजाताजी तो अब ठीक हो गई हैं. और कितने दिनों तक उन की तीमारदारी में लगी रहोगी?’’

‘‘आज मैं उन के यहां थोड़े ही गई थी. आज तो मुझे तीसरे माले वाली रम्या बुला ले गई थी. परसों उस के बेटे का जन्मदिन है. मुझ से अनुनय करने लगी कि मैं उस की सहायता कर दूं.’’

‘‘और आप का कोमल दिल पिघल गया. आप तुरंत उन की सहायता करने को तैयार हो गईं,’’ शायक व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोला.

‘‘हां, मेरा तो मन पसीज गया. आजकल की इन लड़कियों को घर का कामकाज तो कोई सिखाता नहीं है,’’ कामिनी शायक की बात पर ध्यान दिए बिना बोलीं.

‘‘तो आज से ही कल की तैयारी प्रारंभ हो गई? क्याक्या पकाया आज?’’ शायक ने प्रश्न किया.

‘‘बूंदी के लड्डू बनाए आज. वह तो बालूशाही भी बनाने के लिए कह रही थी पर मैं ने कह दिया कि बाकी काम कल करेंगे. अभी मेरा बेटा घर आ गया होगा और मेरे बारे में पूछ रहा होगा. बूंदी के लड्डू इतने अच्छे बने हैं जैसे हलवाई की दुकान से लाए गए हों,’’ कामिनी ने मानो राज की बात बताई.

‘‘आप ने बनाए हैं तो अच्छे ही बने होंगे. पाककला में तो आप की बराबरी बड़ेबड़े हलवाई भी नहीं कर सकते. थक गई होंगी आप. लीजिए, चाय पी लीजिए,’’ तभी शुचि चाय ले आई.

‘‘तेरी बात भी ठीक है, बेटी. चाय पीने का तो बहुत मन हो रहा था,’’ कामिनी ने चाय पीते हुए कहा.

‘‘लो, आप की रम्या बेटी ने चाय भी नहीं पिलाई क्या?’’ शायक ने फिर प्रश्न किया.

‘‘मां से उपहास करता है रे. उस बेचारी ने तो कई बार पूछा पर मैं ने ही मना कर दिया,’’ वे हंसीं.

‘‘अच्छा किया, मां. बहुत खराब चाय बनाती हैं वे. हम ने तो इसी डर से उन के यहां जाना ही छोड़ दिया,’’ शायक हंस दिया.

‘‘अच्छा, सच कह रहा है तू? कैसा जमाना आ गया है. 2 बच्चों की मां को चाय तक बनानी नहीं आती? घर में खाना कैसे बनाती होगी?’’

‘‘मैं आप से झूठ क्यों कहूंगा? खाना तो उन की नौकरानी बनाती है. जो कच्चापक्का बनाती है, खाना पड़ता है. पर वैसे वे बहुत होशियार हैं,’’ शायक नाटकीय स्वर में बोला.

‘‘अच्छा, मैं भी तो सुनूं उन की होशियारी के किस्से.’’

‘‘लो, अब भी आप को प्रमाण चाहिए. मेरी प्यारी मां. आजकल के स्वार्थी समाज में जहां कोई किसी को बेमतलब एक गिलास पानी को भी नहीं पूछता, वहां वे आप से जन्मदिन पार्टी के लिए सारे पकवान कितनी होशियारी से बनवा रही हैं, यह कम होशियारी है क्या?’’ न चाहते हुए भी शायक के स्वर में क्रोध झलक गया.

‘‘क्या कह रहा है, बेटे? ऐसी बात तेरे मन में आई भी कैसे. मैं क्या छोटी बच्ची हूं जो कोई बरगला ले? पड़ोसी एकदूसरे के काम आते ही हैं. तू तो मेरी आदत जानता है. महल्ले में किसी को भी कोई आवश्यकता पड़ती थी तो मैं अपना काम छोड़ कर उस की सहायता को दौड़ जाती थी. बदले में मुझे उन सब का जो सहयोग मिला उसे भी तुम भली प्रकार जानते हो,’’ कामिनी ने अपना पक्ष रखा.

‘‘सौरी मां, मैं यह सब कह कर आप को दुखी नहीं करना चाहता था पर यहां के लोगों की मानसिकता अलग सी है. दूसरों को नीचा दिखाने में ही वे अपनी शान समझते हैं. हर चीज को लाभहानि के तराजू पर तौलते हैं ये लोग. सुजाताजी बीमार थीं, आप उन की मदद करना चाहती थीं, मैं ने कुछ नहीं कहा. पर रम्या का व्यवहार मुझे जंचा नहीं,’’ शायक बोलता रहा और कामिनी उसे अपलक निहारती रहीं.

‘‘क्या बात है, शायक? तुझे पासपड़ोस में मेरा मेलजोल बढ़ाना शायद अच्छा नहीं लगा?’’ वे पूछ बैठीं.

‘‘नहीं मां, बस डरता हूं कि कहीं कुछ अशोभनीय न घट जाए. शायद अकेलापन खल रहा है आप को. मैं आप का पक्ष भी समझता हूं. बस, आप को सावधान कर देना चाहता हूं.’’

‘‘ठीक है, तुझे बुरा लगता है तो आगे से खयाल रखूंगी. अब यह भी बता दे कि कल रम्या के यहां जाऊं या नहीं? क्या पता मेरे जाने से तुम लोगों की नाक नीची हो जाए,’’ कामिनी का गला भर्रा गया.

‘‘आप को बुरा लगा है तो माफ कर दो, मां. पर सच कहूं, जब कोई मेरी मां का अनुचित लाभ उठाता है तो मेरा खून खौल जाता है,’’ शायक स्वयं पर संयम नहीं रख सका.

‘‘क्यों, जरा सी बात पर घर सिर पर उठा रखा है. मां थक गई होंगी. उन्हें तरोताजा हो जाने दो,’’ शुचि ने बीचबचाव किया. फिर जरा सा एकांत पाते ही बोली, ‘‘क्यों व्यर्थ में बात का बतंगड़ बनाते हो. मां को अच्छा लगता है दूसरों की मदद करना तो हम कौन होते हैं उन्हें रोकने वाले.’’

‘‘मां नहीं जानतीं पर तुम तो रम्या को भली प्रकार जानती हो. लोगों को शीशे में उतार कर अपना काम निकलवाने में तो उन की बराबरी कोई कर ही नहीं सकता. पर वह मेरी मां को निशाना बनाए, यह मैं सहन नहीं करूंगा.’’

Hyundai #AllRoundAura: एक्सक्लूसिव डिजाइन हर तरफ से है खास

हुंडई औरा को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि चारों तरफ से इसका लुक अट्रैक्टिव लगता है. वहीं इसका साइड लुक काफी इंप्रेसिव है. ऑरा की रूफलाइन काफी हद तक कूप-कार जैसी है, जिससे यह स्पोर्ट कार जैसी लगती है.

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इसके साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि पीछे की सीट पर बैठने वाले यात्री आराम से बैठ सकें. मतलब बैठते समय उन्हें अपने सिर को झुकाना नहीं पड़ता. इसमें पीछे की तरफ 3डी आउटर लेंस के साथ बेहतरीन लुक वाले रैप-अराउंड टेल लैंप्स दिए गए हैं.

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ब्लैक-आउट सी-पिलर से औरा की छत एक नाव की तरह लगती है जो सड़क पर चल रही दूसरी गाड़ियों से इसे अलग बनाती है. औरा का यूनिक स्टाइल, स्पोर्टी लुक और फंक्शन ही है जो लगातार ग्राहकों को इंप्रेस कर रहा है. भई जब एक साथ इतनी क्वालिटी एक ही कार में मिल रही है तो कहीं और क्यों जाना.

गर्भवती हथिनी की मौत पर टीवी और बॉलीवुड सितारों ने जताया दुख, मांगा इंसाफ

केरल राज्य में आई गर्भवती हथिनी की हत्या का मामला सभी को हिलाकर रख दिया है. रिपोर्ट की माने तो हथिनी को पटाखे से भरा हुआ अनानस खाने को दिया गया था. जिस वजह से उसकी यह हालत हुई थी.

अनानस चिबाते ही गर्भवति हथिनी के मुंह में ब्लास्ट हो गया और उसकी मौत हो गई. इस बात की जानकारी केरल के एक फॉरेस्ट अफसर ने दी है.  जिसके बाद से लोग लगातार सोसल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. इस खबर से पूरे देश भर में निराशा छाई हुई है.

वहीं लोग हथिनी के पेट में मरे हुए बच्चे की आत्मा की शांति के लिए लोग प्रार्थना कर रहे हैं. यह बेहद ही बुरा हुआ है. इसे सुनकर मनुष्यों से घृणा हो रही है.

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बॉलीवुड और टीवी जगत के सितारे भी इस घटना के बाद अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. सभी का कहना है कि यह हमारे देश के लिए शर्म की बात है कि लोग अपना बदला लेने के लिए जानवर से बदला ले रहे हैं. मोहिना कुमारी, दीपिका कक्कड़, तमन्ना भाटिया जैसे कई कलाकारों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

एक्ट्रेस मोहना कुमारी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि मुझसे कहा जा रहा है कि मैं अपने हेल्थ पर ध्यान दूं लेकिन जिस तरह की घटना हमारे देश में हो रही है. उसे देखते हुए मैं खुद को रोक नहीं पा रही हूं. मुझे शर्म आ रहा है कि ऐसे लोग भी हमारे देश के हिस्सा हैं.

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वहीं कुछ एक्ट्रेस का कहना है कि लोगों के अंदर से इंसानियत मर चुकी है. वह अपनी इचिछाओं को पूरा करने और बदले के भाव से किसी को भी चोट पहुंचा सकते हैं. भला उस हाथ से कि सी को क्या दुश्मनी हो सकती है. और उसके पेट में पल रहे बच्चे ने किसी का क्या बिगाड़ा था. जो उसे इस दुनिया में आने से पहले सजा भुगतनी पड़ी.

हिना खान का बोल्ड अवतार देखकर पार्थ ने कही ये बात, नकुल मेहता ने किया फनी कमेंट

टीवी जगत की जानी-मानी अभिनेत्री हिना खान अपनी बोल्ड लुक को लेकर  हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं. आए दिन वह सोशल मीडिया पर नए-नए पोस्ट शेयर करती रहती हैं. कुछ दिन पहले उन्होंने एक पोस्ट में  बताया था कि कैसे नर्सिग तूफान से खुद का बचाव करें.

इसी बीच हिना खान की एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है. लोग उस तस्वीर पर कमेंट करने भी शुरू कर दिए हैं. हिना का सेक्सी लुक सभी को पसंद आ रहा है.

इस तस्वीर को देखते ही कई हैंडसम मैन इस हसीना की आदाओं के दीवाने हो गए हैं. तो वहीं हिना खान के खास दोस्त कहे जाने वाले नकुल मेहता ने उनकी खींचाई भी की है. दरअसल यह तस्वीर हिना खान की पुरानी फोटो शूट की है. जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही हैं.

 

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कुछ ही घंटों पहले उन्होंने इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसमें अभी तक 3 लाख से ज्यादा लाइक आ चुके हैं.

इस तस्वीर में अर्जुन बिजलानी ,पार्थ समथान औऱ रश्मि देसाई ने हिना खान की खूब तारीफ की है. वहीं नकुल मेहता ने कमेंट करते हुए लिखा है ‘ क्या डैंड्रफ ने किया तुम्हें भी परेशान’

 

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नकुल ने ऐसा इसलिए लिखा है क्योंकि हिना की लेटेस्ट तस्वीर में  हाथ उनके सिर पर है. इसलिए उन्होंने ऐसा कमेंट किया है.

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वहीं बात करें वर्कफ्रंट की तो हिना खान इन दिनों अपने फैमली के साथ समय बीता रही हैं. फिलहाल किसी भी नए प्रोजेक्ट्स पर काम नहीं कर रही हैं. सभी कलाकारों की तरह उन्हें भी लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार है. जिसके बाद वह अपना काम सही से शुरू कर पाएंगी. हालांकि इन सबके बावजूद हिना खान आएं दिन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं. अपने नए.नए अपडेट देती रहती हैं. हिना इन दिन को खूब एंजॉय कर रही हैं.

Hyundai #AllRoundAura: डिजाइन

सरकार की तरफ से 4 मीटर लंबाई के अंदर आने वाली कारों पर उत्पाद शुल्क में छूट मिलने की वजह से ग्राहकों को कॉम्पैक्ट सेडान देखने को मिले. कम लम्बाई के अंदर डिजाइन की चुनौतियों के बावजूद हुंडई औरा का आकर्षक डिजाइन आपका ध्यान अपनी तरफ खींचता है. औरा का फ्रंट एंड (सामने का हिस्सा) इसके रैप-अराउंड (सामने से बगल की तरफ जाते हुए) प्रोजेक्टर हेडलाइट्स, बूमरैंग की आकार के दो एलईडी डीआरएल, और साटन की फिनिश वाले इसके ग्रिल की वजह से इतना खूबसूरत दिखता है की एक नजर में ही आपका दिल जीत ले. इसके प्रोजेक्टर फॉग लैंप और इंटीग्रेटेड व्हील एयर कुशन की जोड़ी ना सिर्फ आपकी औरा के लुक में चार चांद लगाते हैं, बल्कि ईंधन की खपत को भी कम करने में मदद करते हैं.

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हुंडई औरा एक ऐसी आकर्षक और खूबसूरत डिजाइन वाली कार है, जिसमें आप खुद को देखना चाहेंगे. #AllRoundAura

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