पिछले सोमवार को 25 मई थी. अगर शब्दों पर ध्यान दिया जाए तो ‘मई’ और ‘मां’ में ज्यादा फर्क नहीं है, चाहे वह मां कोई औरत हो या फिर हथिनी. और जब कोई मादा अपने पेट में नन्ही जान को पाल रही होती है, तो उसे भूख भी खूब लगती है. इसी बात का फायदा कुछ सिरफिरों ने ऐसी जगह पर उठाया, जहां हाथी के बल पर बहुत से लोगों की रोजीरोटी चलती है.
उत्तरी केरल का मल्लपुरम इलाका. वहां से बुधवार, 27 मई को एक खबर आई कि एक गर्भवती हथिनी की मौत हो गई है, पर यह मौत स्वाभाविक कतई नहीं थी और न ही कोई ऐसा हादसा था, जिस पर कुछ पलों का शोक मना कर उसे नजरअंदाज कर दिया जाए. यह तो एक ऐसी हैवानियत थी, जिस ने पूरे राज्य को ही शर्मसार कर दिया था.
इस घटना की जानकारी एक वन अधिकारी मोहन कृष्णन ने सोशल मीडिया पर साझा की थी कि यह हथिनी खाने की तलाश में भटकते हुए जंगल के पास के एक गांव में आ गई थी और वहां की गलियों में घूम रही थी. इस के बाद कुछ लोगों ने उसे अनानास खिला दिया.
हथिनी की मानो मुराद पूरी हो गई, पर उस अनानास में पटाखे भरे हुए थे, जो हथिनी के पेट में जा कर फूटने लगे. इस से वह तिलमिला गई, पर उस ने गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया.
उस वन अधिकारी ने आगे बताया कि वह हथिनी इतनी ज्यादा जख्मी हो गई थी कि कुछ भी नहीं खा पा रही थी. चूंकि अभी उस की भूख नहीं मिटी थी और वह दर्द से भी बेहाल थी, इसलिए आगे वेल्लियार नदी तक पहुंची और नदी में मुंह डाल कर खड़ी हो गई. हो सकता है कि उसे ऐसा करने ने थोड़ा आराम मिला हो.
As a human iam sorry#Elephant pic.twitter.com/tm2aECzHCS
— karan acharya (@karanacharya7) June 3, 2020
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जब इस घटना की जानकारी वन विभाग के लोगों को हुई तो वे हथिनी को बचाने पहुंचे. उसे पानी से निकालने के लिए बड़ी जद्दोजेहद की गई, पर 27 मई को उस की पानी में खड़ेखड़े मौत हो गई. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में पता चला कि उस हथिनी में एक नन्ही जान पल रही थी, जो इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म हो गई.
वन प्रशासन को यह नहीं पता चला कि पटाखों भरा अनानास खिलाने वाले का मकसद क्या था और पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज कर लिया, पर यह वाकिआ सवाल खड़ा करता है कि एक बेजबान को इस तरह मारने के बाद क्या हम इनसान कहलाने के लायक हैं?
This breaks my heart, how can anyone be so cruel.
Kerala Literacy Rate: 93.91%
Humanity : 0%Biggest shame ? #Elephant pic.twitter.com/XS1v1RCg1A
— Pushpendra Kulshreshtha (@iArmySupporter) June 3, 2020
जंगलों में बसे गांवों में जानवरों और इनसानों के बीच संघर्ष होना कोई नई बात नहीं है. कई बार हाथी जैसे बड़े जीव इनसानों का बड़ा नुकसान कर देते हैं, पर ज्यादातर मामलों में इनसान उन्हें अपने गांव या खेतों से दूर भगाने की कोशिश करते हैं. हां, कोई हाथी हद तक पगला जाए तो वन विभाग वाले खुद उसे मारने से नहीं झिझकते हैं, पर यहां तो कोई ऐसी बात नजर नहीं आई, बल्कि ऐसा लगा मानो किसी ने हंसीमजाक में इस वहशियाना करतूत को अंजाम दे दिया.
पहले भी हुए हैं शर्मसार
पिछले साल की बात है. महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक आदमी ने एक पिल्ले को पीटपीट कर मार डाला था. यह घटना 3 जुलाई, 2019 को भायंदर के शांति नगर इलाके में आवासीय परिसर में हुई थी. उस आदमी ने सोशल मीडिया पर एक चेतावनी भरा संदेश भेजा था कि परिसर में घुसने वाले जानवरों के साथ यही सुलूक होगा.
अक्तूबर, 2019 का एक और मामला देखिए. पश्चिम बंगाल के शहर मिदनापुर में एक औरत ने अपने पालतू कुत्ते को सिर्फ इसलिए जिंदा जला दिया था कि उस कुत्ते ने घर के लोगों के लिए बना मांस खा लिया था, जबकि उस औरत ने इसे महज हादसा बताया था. पर वहां के लोकल लोगों ने कहा कि उस औरत ने उस कुत्ते पर मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दी थी.
An act most #inhumane to will fully feed a pineapple full of fire crackers to friendly wild pregnant #Elephant is just unacceptable..strict action should be taken against the culprits sir ??@vijayanpinarayi @CMOKerala @PrakashJavdekar @moefcc @ntca_india https://t.co/ittFQogkQV
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) June 2, 2020
जानवरों पर क्रूरता के ऐसे और भी उदाहरण मिल जाएंगे, जिन में किसी इनसान ने अपनी भड़ास बेजबान जानवर पर निकाली होगी, पर उस समय वह इनसान कहलाने लायक तो बिलकुल नहीं रहा होगा.
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