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हमसफर- भाग 1 : लालाजी की परेशानी वजह क्या थी ?

लेखक-रमाकांत मिश्र एवं रेखा मिश्र

मेरा और ममता का दर्द एक ही था. हम दोनों ही विधुर थे. हमारे बेहद नजदीकी लोगों ने चाहा भी कि हम दोनों एक कश्ती में सवार हो कर हमसफर बन जाएं पर अपनेअपने दर्द की चादर ओढ़े हम दोनों जीवन के भंवर में फंसे जीते रहे. हमें क्या पता था कि अपनी राह चलने वाला मुसाफिर कभी एक राह का हमसफर भी बन जाता है…

मैं ध्यान से मामाजी की बातें सुन रहा था. वे जो कुछ बता रहे थे, सचमुच लाजवाब था. कोई आदमी इतना महान हो सकता है, मैं ने कभी सोचा भी नहीं था. लाला हनुमान प्रसाद सचमुच बेजोड़ थे. मामाजी ने बताया था कि लालाजी कभी खोटी चवन्नी भी भीख में नहीं देते थे, लेकिन समाजसेवा में पैसा जरूर खर्च कर देते थे. कितने लोगों को इज्जत से रोजी कमाने लायक बना दिया था और पढ़ाईलिखाई को बढ़ावा देने के लिए कितना पैसा व समय वे खर्च करते थे. लालाजी इन सब बातों का न तो खुद ढिंढोरा पीटते थे और न ही किसी लाभ उठाने वाले को ये बातें बताने की इजाजत देते थे. हालांकि मामाजी लालाजी से उम्र में लगभग 15 साल छोटे थे, लेकिन लालाजी के साथ मामाजी की गहरी दोस्ती थी. पर जिस बात ने लालाजी को मेरी नजर में महान बना दिया था वह कुछ और ही थी.

लालाजी का एक ही बेटा था. 3 साल पहले उस का विवाह हुआ था. उस की एक नन्ही सी बेटी भी थी. पिछले साल आतंकवादियों द्वारा किए गए एक बम विस्फोट में अनायास ही वह मारा गया था. लालाजी इस घटना से टूट से गए थे. लेकिन वे अपने गम को सीने में कहीं गहरे दफन कर मामाजी से यह कहने आए थे कि कहीं लायक लड़का देखें, जिस से वे अपनी विधवा बहू की शादी कर सकें.

मामाजी बता रहे थे कि लालाजी की बहू किसी भी हाल में शादी को तैयार नहीं थी, लेकिन लालाजी का कहना था कि लायक लड़का मिल जाए तो वे बहू को मना लेंगे.

‘‘मैं तो कहूंगा कि राजेश, तुम्हीं ममता से विवाह कर लो’’, मामाजी ने मेरे सामने प्रस्ताव रखा.

मैं चौंक पड़ा, ‘‘नहीं मामा, आप तो जानते ही हैं…’’

‘‘मैं जानता हूं कि तुम सुरुचि के अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकते. तुम्हारी ही तरह ममता भी गोपाल की जगह किसी को अपनी जिंदगी में नहीं लाना चाहती. लेकिन मैं लालाजी की ही बात दोहराऊं तो जैसेजैसे तुम्हारी उम्र बढ़ेगी, तुम अकेले पड़ते जाओगे. फिर विपुल भी एक दिन अपना घर बसा लेगा. राजेश, तुम खुद को धोखा दे रहे हो.’’

मैं चुप रहा. मैं जानता था कि हमारे प्यार को मामाजी भी महसूस करते थे. मामा यों तो मुझ से 12 साल बड़े थे, लेकिन हमारे बीच दोस्तों जैसा ही संबंध था. सुरुचि के जाने के बाद विपुल को मामाजी ने ही पाला था.

‘‘अगर मुझे ठीक न लगता तो मैं कभी न कहता, क्योंकि मैं ममता को भी जानता हूं और तुम को भी. तुम दोनों एकदूसरे का घाव भर सकोगे. साथ ही विपुल और नेहा को भी मांबाप का प्यार मिल सकेगा.’’

आज से पहले मामाजी ने कभी ऐसा प्रस्ताव नहीं रखा था. मेरे कई रिश्तेदार मेरी दोबारा शादी की असफल कोशिश कर नाराज हो चुके थे. लेकिन मामाजी ने कभी ऐसा जिक्र नहीं किया था. बल्कि मेरे साथ उन्हें भी बदनामी झेलनी पड़ रही थी कि वे मेरा अहित चाहते हैं. लेकिन मामाजी मेरे साथ बने रहे थे. आज मामाजी ने मुझे असमंजस में डाल दिया था. मैं ने इनकार तो किया, लेकिन लालाजी के व्यक्तित्व के प्रभाव से दबादबा सा महसूस कर रहा था.

आखिरकार, मामाजी ने मुझे तैयार कर ही लिया. फिर उन्होंने लालाजी से बात की. लालाजी ने मेरे बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद अपनी सहमति दी. इस के बाद मामाजी और लालाजी ने बैठ कर एक योजना बनाई, क्योंकि ममता शादी के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए योजना यह थी कि मैं लालाजी के घर में आनाजाना बढ़ाऊं और धीरेधीरे ममता का दिल जीतूं. हालांकि मुझे यह सब पसंद नहीं था, लेकिन मैं इन दोनों को मना न कर सका.

योजनानुसार अगले रविवार को मैं लखनऊ लालाजी की कोठी पर पहुंच गया. पहले से योजना थी, इसलिए लालाजी नदारद थे. नौकरानी ने मुझे एक बड़े से ड्राइंगरूम में बैठा दिया. मैं नर्वस हो रहा था. मेरे मन में एक अजीब सी कचोट थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई बुरा काम करने जा रहा हूं. शर्म, खीझ, लाचारी और अनिच्छा की अजीब सी उथलपुथल मेरे मन को झकझोर रही थी.

‘‘नमस्कार,’’ मेरे कानों में एक मधुर स्त्रीस्वर पड़ा तो मैं ने सिर उठा कर देखा.

मेरे सामने एक 25-26 साल की सुंदर युवती खड़ी थी. उस के चेहरे पर वीरानी छाई हुई थी, लेकिन फिर भी एक सुंदरता थी. उस ने बहुत साधारण फीके से रंग की साड़ी पहनी हुई थी, लेकिन वह भी उस पर भली लग रही थी. मैं समझ गया कि यही ममता है.

मैं उठ खड़ा हुआ और हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.

‘‘बैठिए’’, वह बोली, ‘‘मैं लालाजी की बहू हूं. वे तो अभी घर में नहीं हैं.’’

‘‘उन्होंने मुझे मिलने को कहा था. अगर आप को एतराज न हो तो मैं इंतजार कर लूं.’’

एक पल को ममता के चेहरे पर असमंजस का भाव झलका, लेकिन दूसरे ही क्षण वह सामान्य हो गई.

‘‘आप का परिचय?’’

‘‘क्षमा कीजिएगा, मेरा नाम राजेश

है. मैं कानपुर में सैंडोज का एरिया

मैनेजर हूं.’’

‘‘लालाजी ने कभी आप का जिक्र नहीं किया.’’

‘‘दरअसल, लालाजी मेरे मामा के दोस्त हैं. उन का नाम राजेंद्र लाल है. शायद उन्हें आप जानती हों.’’

‘‘चाचाजी को अच्छी तरह जानती हूं’’, ममता एक क्षण को चुप हुई, फिर बोली, ‘‘आप विपुल के पिता तो नहीं?’’

‘‘जी…जी हां.’’

‘‘चाचाजी आप की बहुत तारीफ करते हैं.’’

‘‘वे मुझे बहुत प्यार करते हैं.’’

तभी एक सांवली सी लड़की एक ट्रे में कुछ मिठाई व पानी का गिलास और जग ले कर आई. ममता  ने मिठाई की प्लेट मेरी ओर बढ़ा दी. मैं ने चुपचाप एक टुकड़ा ले कर मुंह में डाल लिया.’’

‘‘और लीजिए.’’

‘‘बस’’, कह कर मैं ने पानी का गिलास उठा कर पानी पिया और गिलास मेज पर रख दिया.

‘‘कम्मो, चाय बना ले.’’

‘‘जी, बहूजी.’’

मैं चाह कर भी चाय के लिए मना न कर सका. हमारे बीच चुप्पी बनी रही.

‘‘मैं आप को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता. आप अपना काम करें. मैं अकेले ही इंतजार कर लूंगा,’’ मैं ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा.

फादर्स डे स्पेशल: मेरे पापा -3

मेरे बाबूजी एक विशाल व्यक्तित्व थे. ‘सादा जीवन उच्च विचार’ सिद्धांत पर चलने वाले मेरे बाबूजी बचपन में ही अनाथ हो गए थे. रिश्तेदारों की मदद से किसी तरह पढ़ाई कर, साथ ही अपना गुजारा करने लायक काम कर बड़े हुए. उन की हिंदी, अंगरेजी उर्दू व मराठी भाषा पर अच्छी पकड़ थी. पढ़ने के शौकीन बाबूजी अपने अतिव्यस्त जीवन में जब भी मौका मिलता, पढ़ते ही दिखते.

बाबूजी ने हम भाईबहनों में कभी भेदभाव नहीं किया. बचपन में मेरी मां के गुजरने के बाद, उन्होंने, अकेले ही हम  7 भाईबहनों की परवरिश की और हम सब को एक स्वस्थ माहौल दिया. समय से चारों बहनों का ब्याह अच्छा घरवर देख कर किया.

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हमारे घर में अतिथि का बहुत सम्मान और सत्कार बिना किसी भेदभाव (अमीरगरीब) के होता था. आज हम सभी भाईबहनों के आतिथ्य की मिसाल दी जाती है. बाबूजी को सभी बाबूजी ही पुकारते थे चाहे किसी से कोई भी रिश्ता हो. बाबूजी सभी के बाबूजी थे. कर्मकांड विरोधी, आडंबर विरोधी साफसुथरी सोच वाले प्रगतिशील विचारों के मेरे बाबूजी ने हमें भी इन सब से दूर रखा.

मेरे छोटे भाई के क्रिश्चियन लड़की से विवाह करने पर हम भाईबहनों को तो उन्हें स्वीकारने में वक्त लगा पर बाबूजी ने पहले दिन ही उन्हें स्वीकारा और अपनी ओर से स्वागतसमारोह भी आयोजित किया. आज बाबूजी हमारे साथ नहीं हैं पर हमारे जेहन में वे हमेशा रहते हैं.

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निर्मला राजेंद्र मिश्रा

  • मैं एमए (उतरार्द्ध) में पढ़ रही थी. विभागाध्यक्षजी के पुत्र के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण मैं निराशा के भारी दौर से गुजर रही थी. आशा की एक छोटी सी किरण मन में थी कि शायद पूर्वार्द्ध की भांति ही सर्वोच्च अंक प्राप्त कर सकूं. एक समारोह में विभागाध्यक्षजी से सामना हुआ. मैं ने चरणस्पर्श तो कर लिया परंतु बाद में पापा से कहा कि उन का (विभागाध्यक्षजी का) चरणस्पर्श करने का क्या फायदा जब वही मेरे सफलता के मार्ग में बाधक हैं.

तब मेरे पिता ने मुझे समझाते हुए कहा कि उन के द्वारा दिया गया आशीर्वाद ही तुम्हारा पथ प्रशस्त करेगा. तुम्हारे पास उन का और तुम्हारे पिता दोनों का आशीर्वाद है लेकिन उन के पुत्र के पास तुम्हारे पिता का आशीर्वाद नहीं है. इसलिए तुम्हारी सफलता में मुझे कोई संदेह नहीं है. उन का यह विश्वास मेरी सफलता का बहुत बड़ा कारण बना, जिसे मैं आजीवन भुला नहीं सकती.

नलिनी मिश्रा

मैं सिंगल थी मुझे एक लड़का पसंद आ गया है अब मैं उसे डेट करना चाहती हूं लेकिन उसने मना कर दिया है क्या करूं?

सवाल

मैं पिछले 2 वर्षों से सिंगल हूं और अब जब मुझे एक लड़का पसंद आया है तो उस ने साफ कह दिया है कि वह रिलेशनशिप में नहीं आना चाहता. मैं उसे डेट करने के बारे में सोचती, उस से पहले ही उस ने साफ बता दिया कि वह मुझ में इंट्रैस्टेड तो है लेकिन कमिटेड नहीं होगा, वह फ्ंिलग चाहता है. मैं उसे चाहने लगी हूं तो क्या मुझे उस के साथ फ्ंिलग के लिए हां कर देनी चाहिए?

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जवाब

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वह आप को क्लीयर बता चुका है कि वह फ्ंिलग चाहता है, रिलेशनशिप नहीं यानी वह आप से शारीरिक व मानसिक सुख तो चाहता है पर बिना किसी रिलेशनशिप के. एक तरफ उसे आप से प्यार है या नहीं यह आप नहीं जानती. दूसरी तरफ आप हैं जो उसे चाहने लगी हैं. अगर आप सिर्फ और सिर्फ फ्ंिलग चाहती हैं किसी के साथ तो बेशक इस लड़के को हां कहिए लेकिन अगर आप अपनी फीलिंग्स के चलते यह सब करना चाहती हैं तो इतना समझ लीजिए कि बाद में बहुत तकलीफ होने वाली है. ये फीलिंग्स बढ़ती जाएंगी और वह तब यही कहेगा कि आप को प्यार में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि यह सब टैंपररी है. आप अपना दिल तुड़वा लेंगी और इस लड़के और इस प्यार से निकलने में न जाने आप को कितना समय लगेगा. फ्ंिलग के लिए तभी हां करें जब आप भी सिर्फ फ्ंिलग चाहती हों वरना न कह दें. अभी पीछे हटना आसान होगा, आगे चल कर नहीं.

 

लेजर लैंड लैवलर खेत करे एक सार

अच्छी पैदावार और लागत कम करने के लिए खेत का समतल होना जरूरी है. पर क्यों?

फसल से बेहतर पैदावार लेने के लिए खेत का समतल होना जरूरी है. अगर खेत कहीं से ऊंचा या नीचा नहीं है तो उस खेत की पैदावार दूसरे असमतल खेतों से कहीं ज्यादा होगी. साथ ही, लागत भी कम होगी.

ऊंचेनीचे खेत में सिंचाई करते समय पानी पूरी तरह से समान रूप से नहीं फैल पाता है. इस वजह से खेत में कुछ जगहों पर खरपतवार पनपने लगते हैं और सभी पौधों व बीजों को सही अनुपात में पानी नहीं मिल पाता है, जिस से पैदावार पर बुरा असर पड़ता है. लेजर लैंड लैवलर मशीन का इस्तेमाल कर के किसान इस समस्या को दूर कर सकते हैं.

लेजर लैंड लैवलर

यह लैवलर 4 उपकरणों से मिल कर बनता है, जिन्हें लेजर ट्रांसमीटर, लेजर रिसीवर, कंट्रोल बौक्स व लैवलर कहते हैं.

लेजर ट्रांसमीटर : लेजर ट्रांसमीटर एक तिपाई स्टैंड पर लगा होता है, जो लेजर यानी तरंगों को ट्रैक्टर पर तेजी से भेजता है. इन तरंगों की मदद से खेत के ऊंचेनीचे हिस्सों का पता लगता है. यह औजार खेत के किसी भी हिस्से में रखा जा सकता है.

लेजर रिसीवर : यह औजार लैवलर के ऊपर लगा होता है. ट्रांसमीटर द्वारा भेजी गई तरंगों को यह लगातार पकड़ता रहता है और इस की सूचना कंट्रोल बौक्स को भेजता रहता है.

कंट्रोल बौक्स : यह औजार ट्रैक्टर के ऊपर लगाया जाता है. लेजर रिसीवर द्वारा हासिल तरंगों के मुताबिक ट्रैक्टर के हाइड्रोलिक सिस्टम की मदद से लैवलर को ऊपरनीचे करता रहता है.

लैवलर : यह औजार ट्रैक्टर के हाइड्रोलिक सिस्टम से जोड़ा जाता है, जो तीनों औजारों की मदद से खेत को एकसमान रूप से समतल करता है.

काम करने का तरीका

जब ट्रांसमीटर से तरंगें निकल कर रिसीवर से टकराती हैं, जो बकेट के ऊपर लगे स्टैंड पर बंधा होता है, तो रिसीवर किरणों के मध्य में रहते हुए चेन द्वारा जुड़े हुए कंट्रोल बौक्स को ऊपर या नीचे जाने के लिए सिग्नल भेजता है. कंट्रोल बौक्स में से उसी समय करंट हाइड्रोलिक सिस्टम को जाता है, जिस से हाइड्रोलिक तेल की सप्लाई बकेट के पीछे टायरों के बीच में लगे हाइड्रोलिक सिलैंडर को मिलती है. यह सिलैंडर टायरों को ऊपरनीचे करता है, जिस के विपरीत बकेट ऊपरनीचे होती रहती है.

बकेट आगेपीछे दोनों तरफ पिनों के साथ जुड़ी होती है, इसलिए उस पर जमीन के ऊंचानीचा होने का कोई असर नहीं पड़ता. बकेट को एक सीमित ऊंचाई पर बंधे होने से उस के आगे आने वाली मिट्टी कट कर आगे खिंची चली जाती है और जहां पर गड्ढा मिलता है, मिट्टी खुद ही बकेट के नीचे से निकल कर फैलती रहती है. इस तरह खेत समतल हो जाता है. ट्रैक्टर को ऊंचाई की तरफ से निचाई की दिशा में चलाना होता है, बाकी काम लेजर लैवलर द्वारा अपनेआप किया जाता है.

लेजर लैंड लैवलर के फायदे

*    खेत में पानी, खाद और कीटनाशक दवाओं का एकसमान फैलाव होने से पैदावार बढ़ती है और मिट्टी समतल करने से समय की बचत होती है.

*    पानी का पूरापूरा इस्तेमाल होता है और पानी की 30-40 फीसदी तक बचत

होती है.

*    फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

*    खरपतवारों में कमी आती है और खरपतवार काबू करने में काफी मदद मिलती है.

*    फसल एकसमान पकती है.

Crime Story: आधी-अधूरी प्रेम कहानी

किसी से प्रेम करना अलग बात है और निभाना अलग बात. इन दोनों स्थितियों को लांघ कर आगे जाने वाले हमसफर बन कर प्रेम की राह पर निकल जाते हैं. लेकिन उन की राह कहां तक जाएगी, यह उन की समझदारी और प्यार की गहराई पर निर्भर करती है. प्रीति और दीपांशु के बीच थोड़ी सी गलतफहमी से…    श कपूर चंद    7फरवरी, 2020 की बात है. उस दिन दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाकचौबंद थी. इस की वजह यह थी कि अगले दिन यानी 8 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे.

पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया थाने में तैनात महिला एसआई प्रीति अहलावत भी अपनी ड्यूटी पूरी कर के घर चली गई थीं. वह दिल्ली के रोहिणी इलाके में किराए के मकान में रहती थीं. ड्यूटी पर वह मैट्रो से आतीजाती थीं. उस दिन भी वह मैट्रो से रोहिणी जाने के लिए निकल गईं.

करीब साढ़े 9 बजे वह रोहिणी (पूर्व) मैट्रो स्टेशन पर उतरीं. वहां से वह पैदल ही अपने घर की ओर चल दीं. अभी वह 50 मीटर ही चल पाई थीं कि किसी ने उन के बराबर में आ कर उन पर गोलियां चला दीं. प्रीति को सोचनेसमझने का मौका तक नहीं मिला.

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हमलावर ने उन पर 3 गोलियां चलाई थीं, जिन में से 2 गोलियां प्रीति को लगीं और एक गोली बराबर से गुजर रही कार के पिछले शीशे में जा लगी. एक गोली प्रीति के सिर में लगी थी, जिस से वह नीचे गिर गईं और तत्काल उन की मौत हो गई.

उधर से गुजर रहे लोगों ने जब यह देखा तो किसी ने 100 नंबर पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर के सूचना दे दी. कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंच गई. पुलिस को जब पता चला कि वह युवती दिल्ली पुलिस में सबइंसपेक्टर है तो पुलिस कंट्रोल रूम की टीम आश्चर्यचकित रह गई.

सूचना रोहिणी जिले के डीसीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों को दे दी गई. जिस युवती को गोली मारी गई थी, उस के आईडी कार्ड से पता चला कि उस का नाम प्रीति अहलावत है. उस के सिर में गोली लगी थी. देखने में लग रहा था कि उस की मौत हो चुकी है. फिर भी पुलिसकर्मी आननफानन में नजदीकी डा. अंबेडकर अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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अगले दिन दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे. ऐसे में दिल्ली पुलिस की एक अफसर की गोली मार कर हत्या कर देना एक बड़ी बात थी. कुछ ही देर में दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल पहुंचने लगे.

अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम ने भी घटनास्थल पहुंच कर आवश्यक सबूत जुटाए. मौके से गोली के 3 खाली खोखे बरामद हुए. पता चला कि मृत महिला पुलिस अफसर की ड्यूटी पूर्वी दिल्ली के थाना पटपड़गंज क्षेत्र में थी और वह मूलरूप से हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली थीं.

पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने इस घटना को बहुत गंभीरता से लिया. फोन द्वारा हत्या की सूचना मृतका के घर वालों को दे दी गई थी. इस केस को खोलने के लिए तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को लगा दिया गया.

जिस जगह पर एसआई प्रीति को गोली मारी गई थी, पुलिस ने रात में ही उस क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई. फुटेज को गौर से देखा गया तो उस में एक युवक संदिग्ध अवस्था में दिखाई दिया.

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अज्ञात हत्यारे ने मारी गोली

पता चला कि प्रीति जब रोहिणी (पूर्व) मैट्रो स्टेशन से उतर कर अपने घर जाने के लिए पैदल निकली तो उस युवक ने उन का पीछा करना शुरू कर दिया था. कुछ दूर चल कर वह युवक तेज कदमों से प्रीति के पास आया और नजदीक जा कर उस पर गोली चला दी. इस के बाद वह तेजी से पैदल चल कर कुछ दूर खड़ी कार के नजदीक पहुंचा और फरार हो गया.

युवक कौन था, पुलिस इस का पता लगाने में जुट गई. प्रीति जिस थाने में तैनात थीं, जांच टीम ने वहां के पुलिसकर्मियों और प्रीति के मातापिता से बात कर कुछ क्लू तलाशने की कोशिश की.

टीम को जानकारी मिली कि प्रीति और दिल्ली पुलिस के ही एक एसआई दीपांशु राठी के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से प्रीति ने दीपांशु से दूरियां बना ली थीं. यह दूरियां क्यों बनीं, इस की जानकारी पुलिस टीम को नहीं मिल सकी.

26 वर्षीय एसआई प्रीति अहलावत की हत्या की वजह कहीं दीपांशु ही तो नहीं है, यह पता लगाना जरूरी था. पुलिस ने दीपांशु के बारे में रात में ही छानबीन की तो पता चला उस की पोस्टिंग उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना भजनपुरा में है.

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एसआई दीपांशु के फोन को पुलिस ने सर्विलांस पर लगा दिया. उस के फोन की लोकेशन दिल्ली से सोनीपत होते हुए आगे बढ़ रही थी.

पुलिस जांच टीम एसआई दीपांशु के फोन के आधार पर उन का पीछा करने लगी. क्योंकि दीपांशु से पूछताछ करने के बाद ही जांच टीम अगला कदम उठा सकती थी. रोहिणी जिले के डीसीपी एस.डी. मिश्रा अलगअलग दिशा में काम कर रही पुलिस टीमों के संपर्क में थे. उन के निर्देशन में ही टीमें काम कर रही थीं.

एसआई दीपांशु के फोन की लोकेशन मुरथल के पास जा कर स्थिर हो गई. वैसे वह रहने वाले सोनीपत के थे. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि वह भजनपुरा थाने से अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद शायद अपने घर चला गया होगा. फिर भी पुलिस को दीपांशु से मिल कर पूछताछ करना जरूरी था. लिहाजा 8 फरवरी को सुबह पुलिस टीम उस स्थान पर पहुंच गई, जहां दीपांशु के फोन की लोकेशन मिल रही थी.

लोकेशन ट्रेस करते हुए जांच टीम मुरथल के पास सड़क किनारे खड़ी एक कार के पास पहुंची. उस कार में ध्यान से देखा तो दीपांशु ड्राइविंग सीट पर मृत पड़ा था. उस के हाथ में सरकारी रिवौल्वर थी और उस की कनपटी से खून निकल रहा था. साफ दिखाई दे रहा था कि उस ने गोली मार कर आत्महत्या की थी.

28 वर्षीय एसआई दीपांशु राठी के सुसाइड करने की जानकारी टीम ने डीसीपी एस.डी. मिश्रा को दे दी. इस के बाद तो विभाग में हड़कंप मच गया. क्योंकि एक ही दिन में 2 युवा पुलिस अफसरों की मौत हुई थी. दीपांशु के सुसाइड करने के बाद यह बात स्पष्ट हो गई थी कि दीपांशु राठी ने ही प्रीति अहलावत को गोली मारने के बाद खुद की जीवनलीला खत्म कर ली थी.

सूचना मिलने पर दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी सकते में आ गए कि ऐसा क्या हुआ जो दीपांशु ने इतना बड़ा कदम उठाया. फोन कर के यह सूचना दीपांशु के घर वालों को दे दी गई. दीपांशु का घर सोनीपत की शास्त्री कालोनी में था. यह दुखद समाचार सुन कर उस के पिता दयानंद राठी परिवार के अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

अपने जवान बेटे की इस दुखद मौत पर वह बिलखबिलख कर रोते हुए कह रहे थे कि दीपांशु तो बहुत हिम्मत वाला था. उस ने ऐसा कदम क्यों उठा लिया. दयानंद राठी और अन्य लोगों से कुछ जरूरी पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम दिल्ली लौट आई.

सुबह होने पर प्रीति के पिता और घर के अन्य लोग भी दिल्ली पहुंच गए थे. प्रीति की हत्या से सभी गहरे सदमे में थे. उन्हें पता चला कि प्रीति को गोली किसी और ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के ही एसआई दीपांशु राठी ने मारी थी. इस के बाद उस ने खुद को भी गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी.

करीबी फ्रैंड निकला हत्यारा

यह खबर मिलते ही मृतका के पिता बोले कि दीपांशु काफी दिनों से उन की बेटी को परेशान कर रहा था. इस की शिकायत उन्होंने उस के घर वालों से भी की थी, इस के बावजूद उस ने अपनी हरकतें बंद नहीं कीं और हमारी बेटी की जान ले ली. मृतका के घर के सभी लोगों का रोरो कर बुरा हाल था. किसी तरह पुलिस अधिकारियों ने उन्हें ढांढस बंधाया. फिर टीम ने उन से भी जरूरी पूछताछ की. मृतकों के घर वालों और घनिष्ठ दोस्तों से पूछताछ करने के बाद जांच टीम ने यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर युवा एसआई दीपांशु राठी ने एसआई प्रीति की हत्या क्यों की और उन की हत्या कर के खुद सुसाइड क्यों कर लिया?

इस जांच में पुलिस को पता चला कि दोनों पुलिस अफसरों के बीच प्रेम प्रसंग चला था. इन के प्रेम प्रसंग के बीच आखिर ऐसा क्या हो गया, दीपांशु को इतना खतरनाक कदम उठाना पड़ा. इस के पीछे की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह हैरान कर देने वाली थी—

दीपांशु राठी हरियाणा के सोनीपत शहर की शास्त्री कालोनी के रहने वाले दयानंद राठी का बेटा था. दयानंद राठी भी हरियाणा पुलिस में थे. करीब 4 महीने पहले वह एसआई के पद से रिटायर हुए थे. दीपांशु के अलावा उन की एक बेटी थी, जिस की शादी हो चुकी थी.

सन 2018 में दीपांशु का चयन दिल्ली पुलिस में एसआई पद पर हो गया था. ट्रेनिंग के दौरान ही दीपांशु की मुलाकात एसआई की ट्रेनिंग कर रही प्रीति अहलावत से हुई थी. दोनों एक ही बैच के थे. प्रीति अहलावत मूलरूप से हरियाणा के जिला रोहतक की रहने वाली थी.

प्रीति के पिता सीमा सुरक्षा बल में थे जोकि रिटायर हो चुके थे. प्रीति की मां और बड़ी बहन टीचर हैं जबकि भाई न्यूजीलैंड में कंप्यूटर इंजीनियर है. कुल मिला कर वह एक अच्छे परिवार से थी. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्रीति ने दिल्ली के रोहिणी में किराए का फ्लैट ले कर रहना शुरू कर दिया था.

ट्रेनिंग के दौरान हुई प्रीति और दीपांशु की मुलाकात धीरेधीरे दोस्ती में बदलती गई. जून 2019 तक दोनों गहरे दोस्त बन गए. दोनों ही पुलिस अफसर बन चुके थे और अपने भविष्य के बारे में अच्छी सोचसमझ रखते थे. धीरेधीरे इन युवा पुलिस अफसरों के दिलों में एकदूसरे के प्रति चाहत पैदा हो गई यानी एकदूसरे को प्यार करने लगे. दीपांशु ने तो तय कर लिया था कि वह शादी करेगा तो प्रीति से.

अपनीअपनी ड्यूटी से फारिग हो कर दोनों प्यार की बातें करने के लिए रेस्टोरेंट व अन्य जगहों पर जाने लगे. प्रीति को भी दीपांशु अपना हमसफर लगने लगा था. दोनों के दोस्त भी उन की इस गहरी दोस्ती की सच्चाई जानते थे.

दोनों का कई महीनों तक प्रेम प्रसंग चलता रहा. उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. लेकिन दोनों ही इस बात के पक्ष में थे कि शादी घर वालों की सहमति के बाद सामाजिक रीतिरिवाज से ही हो. लिहाजा दोनों ने अपने मन की बात अपनेअपने घर वालों को भी बता दी.

दोनों के परिवार पढ़ेलिखे, समझदार और खातेपीते थे. उन दोनों के प्रेम को देख कर दोनों पक्षों ने शादी के लिए सहमति दे दी. घर वालों की इजाजत मिल जाने से दीपांशु और प्रीति खूब खुश थे. अपनी हदों में रह कर दोनों एकदूसरे को प्यार करते रहे.

इस के बाद उन के मिलने का सिलसिला बढ़ गया. दीपांशु के बात करने का लहजा भी पहले से बदल गया था. वह अभी से प्रीति पर पति जैसा अधिकार जताने वाली बातें करने लगा था. कुछ दिनों तक प्रीति उस के इस व्यवहार को नजरअंदाज करती रही, लेकिन जब उस की यह आदत कम होने के बजाए बढ़ने लगी तो प्रीति को उस का इस तरह का व्यवहार चुभने लगा.

बदल गई प्रीति की सोच

प्रीति ने सोचा कि अभी तो शादी भी नहीं हुई है और दीपांशु इस तरह की बातें करता है. अगर साथ शादी हो गई तब तो वह उस का जीना हराम कर देगा. दीपांशु की यही बातें प्रीति को अखरने लगीं और उस ने तय कर लिया कि वह दीपांशु से शादी हरगिज नहीं करेगी.

अपने इस फैसले से प्रीति ने अपने मातापिता को भी अवगत करा दिया. मांबाप ने भी फैसला बेटी पर छोड़ दिया कि उसे जो अच्छा लगे, करे. इतना ही नहीं, प्रीति के पिता ने दीपांशु से शादी न करने वाली बात दीपांशु के पिता को भी बता दी.

उधर दीपांशु को जब प्रीति के फैसले की जानकारी हुई तो उस ने प्रीति को समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने साफ कह दिया कि वह उसे हमेशा के लिए भूल जाए. प्रीति ने दीपांशु का फोन नंबर अपने फोन में विकीपीडिया के नाम से सेव कर रखा था. अब उस ने उस से मिलना तो दूर फोन पर बात करनी भी बंद कर दी. यह बात दिसंबर 2019 की है.

उधर दीपांशु तो प्रीति के प्यार में दीवाना बन गया था. प्रीति को भुला देना उस के लिए आसान नहीं था. प्रीति द्वारा उस का फोन तक रिसीव न करने पर वह बहुत परेशान रहने लगा. वह कोशिश करता कि किसी तरह प्रीति गुस्सा थूक कर मान जाए और संबंध पहले की तरह सामान्य हो जाएं. लेकिन प्रीति अपने फैसले पर अटल रही.

3 जनवरी, 2020 को दीपांशु ने मैसेज भेज कर प्रीति को मिलने के लिए बुलाया. लेकिन प्रीति ने उस से मिलने से न सिर्फ इनकार कर दिया बल्कि दीपांशु का फोन नंबर ही ब्लौक कर दिया.

प्रीति की पोस्टिंग पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया थाने में थी’दीपांशु थाना भजनपुरा में तैनात था. दीपांशु ने एकदो बार प्रीति के थाने जा कर उस से मिलने की कोशिश की लेकिन प्रीति ने मिलने से इनकार कर दिया. दीपांशु प्रीति से मिल कर किसी भी तरह प्रीति को मनाना चाहता था, लेकिन उस की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी. इस से वह बुरी तरह टूट गया. अचानक प्रीति उस से इतनी दूरी बना लेगी, ऐसा उस ने कभी सोचा भी नहीं था.

ऐसे में उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. क्योंकि प्रीति ने उस के लिए अपने दिल का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर लिया था. ऐसे में उस के मन में नकारात्मक विचार पनपने लगे. इसी बीच उस ने एक ऐसा फैसला ले लिया, जिस का दुख न सिर्फ उस के घर वालों को बल्कि प्रीति के घर वालों को भी जिंदगी भर तक सालता रहेगा.

दीपांशु को इस बात की तो जानकारी थी कि प्रीति ड्यूटी पूरी करने के बाद रोहिणी स्थित अपने फ्लैट पर किस रास्ते से जाती है. घटना से 2 दिन पहले दीपांशु किसी केस के सिलसिले में उत्तर प्रदेश गया था. तब वह थाने से सरकारी पिस्टल ले गया था. वहां से लौटने के बाद उस ने वह पिस्टल और गोलियां जमा नहीं कराई थीं. इस की वजह यह थी कि उसे इस पिस्टल से अपनी योजना को अंजाम देना था.

7 फरवरी को अपनी ड्यूटी पूरी कर के दीपांशु अपनी कार से रोहिणी (पूर्व) मैट्रो स्टेशन पहुंचा. वहां उस ने कार एक जगह सड़क किनारे खड़ी कर दी. इस के बाद वह एक जगह खड़े हो कर प्रीति के आने का इंतजार करने लगा. उसे पता था कि प्रीति अपनी ड्यूटी के बाद 9 साढ़े 9 तक मैट्रो स्टेशन पहुंच जाती है.

साढ़े 9 बजे के करीब प्रीति मैट्रो स्टेशन से उतरने के बाद जैसे ही अपने फ्लैट की तरफ पैदल चली, तभी दीपांशु ने उस का पीछा करना शुरू कर दिया और फिर उस के नजदीक पहुंच कर प्रीति पर अपनी सरकारी पिस्टल से 3 फायर किए, जिस में एक गोली उधर से गुजर रही कार के पिछले शीशे में जा कर लगी.

 

प्रीति के सिर में जो गोली लगी थी, उसी से उस की मौत हो गई. वारदात को अंजाम देने के बाद दीपांशु अपनी कार के पास पहुंचा और वहां से अपने घर की तरफ (सोनीपत) चल दिया. मुरथल के पास पहुंच कर उस ने उसी पिस्टल से खुद को भी गोली मार ली. पुलिस को दीपांशु की कार से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी इस बात की पुष्टि हो गई कि दीपांशु और प्रीति की मौत दीपांशु को थाने से इश्यू की गई सरकारी पिस्टल से चलाई गई गोलियां से हुई थी.

चूंकि हत्यारे ने खुद भी आत्महत्या कर ली थी, इसलिए पुलिस इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी. बहरहाल, थोड़ी सी नासमझी के कारण दोनों युवा पुलिस अफसरों को न सिर्फ अपनी जान गंवानी पड़ी, बल्कि घर वालों को भी ऐसा दुख दे दिया, जिसे वे जिंदगी भर नहीं भुला पाएंगे.

लॉकडाउन के दौरान बढ़ीं पैरों व पिंडली की दिक्कतें

लेखकडा. प्रदीप मुनोट  

लौकडाउन और सोशल डिस्टेंसिग का पूरे देश में अच्छे से पालन किया जा रहा है. इस स्थिति में कुछ लोग कोई समस्या होने के बाद भी अस्पताल जाने से घबराते हैं. इस से समस्या अधिक गंभीर हो सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि कुछ लोग घर के काम पहली बार कर रहे होंगे. लौकडाउन के दौरान लोग 2 तरह की समस्याओं का सामना कर सकते हैं, पहला फुट और एंकल की आम समस्याएं और दूसरी वे समस्याएं जो इन समस्याओं को बढ़ावा दे सकती हैं. इसलिए, लौकडाउन में इन समस्याओं से बचने के लिए इन के लक्षणों की जानकारी रखना आवश्यक है.

आम समस्याएं :

फुट और एंकल से संबंधित ऐसी कई समस्याएं हैं जिन का व्यक्ति लौकडाउन के दौरान अनुभव कर सकता है. ऐसे में व्यक्ति को डाक्टर के पास कब जाने की आवश्यकता है, इस का ज्ञान होना जरूरी है. इन में सब से आम समस्या, जो लगभग हर व्यक्ति को परेशानी करती है, वह है एंकल स्प्रेन यानी कि टखनों में मोच.

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1.    एंकल स्प्रेन: वैस्टर्न देशों में यह समस्या ज्यादातर स्पोर्ट्स के कारण पनपती है, लेकिन भारत में यह समस्या खराब रास्ते, गलत फुटवियर और ठीक से न चलने के कारण आम है. लगभग 96 फीसदी मामलों में टखने में मोच लगने पर हड्डी बाहर की ओर मुड़ जाती है. हालांकि, यह चोट बिना किसी सर्जरी के ठीक हो जाती है लेकिन इस के लिए समय पर निदान कराना आवश्यक होता है.

ग्रेड 1: यदि मोच लगने के 24 घंटों के भीतर पैर में सूजन नहीं आती है तो यह समस्या ग्रेड 1 के अंतर्गत आती है. इस में टखने के केवल एक लीगामेंट में खिंचाव आता है जिस के कारण इस के लिए बाहरी इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है. यह टखने में मोच की सब से आम समस्या होती है, जिसे घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है.

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ग्रेड 2: इस ग्रेड में मरीज को चलने में मुश्किल, सूजन और घाव की समस्या होती है.  मान्यता समस्या होने पर व्यक्ति को खुद ही समझ आ जाता है कि उसे मैडिकल चैकअप की जरूरत है या नहीं. यदि टखने को छूने पर भी दर्द होता है तो एक्सरे कराना जरूरी हो जाता है. लेकिन यदि दर्द हड्डी के आसपास होता है तो वह घर पर भी ठीक हो सकता है.

ग्रेड 3: इस स्टेज में चोट के तुरंत बाद बहुत ज्यादा सूजन और अत्यधिक दर्द होता है. 2 या अधिक लीगामेंट्स में क्षति के कारण मरीज का चलना मुश्किल हो जाता है. उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उस का टखना निकल कर बाहर आ जाएगा. ऐसे में समय पर एक्सरे कराना आवश्यक होता है. एक्सरे की रिपोर्ट के अनुसार डाक्टर पैर में प्लास्टर करेगा या एंकल ब्रेसेज़ लगाएगा.

घर के काम करते वक्त लगी चोट के अधिकतर मामले ग्रेड 1 या 2 के अंतर्गत आते हैं जिन का घर पर ही इलाज किया जा सकता है, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इसे नज़रअंदाज किया जाए. दरअसल, जब एक बार कहीं चोट लग जाए तो वहां बारबार चोट लगने की संभावना रहती है, जिस के कारण समस्या बढ़ सकती है. इस स्थिति में व्यक्ति आर्थराइटिस का शिकार भी हो सकता है.

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घरेलू इलाज

एंकल स्प्रेन को ठीक करने के लिए सब से आसान घरेलू उपाय राइस (आरआईसीई) तकनीक है:

रेस्ट यानी आराम:

चोट जल्द से जल्द ठीक हो जाए, इस के लिए पार्यप्त समय तक आराम करना आवश्यक होता है. हालांकि, चोट की स्टेज के आधार पर आराम का समय भिन्न हो सकता है. ग्रेड 1 में 5-6 दिनों का आराम, ग्रेड 2 में 1-2 हफ्तों का आराम और ग्रेड 3 में लगभग 3 हफ्तों का आराम पर्याप्त है. यहां आराम का अर्थ हर वक्त पड़े रहना नहीं है, बल्कि खराब रास्तों पर चलने से बचना है.

आइसिंग यानी बर्फ की सिंकाई :

दिन में 3-4 बार 15-20 मिनट तक बर्फ से सिंकाई करने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है. बर्फ को किसी तौलिए में बांध कर कुछ देर के लिए चोट की सिंकाई करें. लेकिन यहां भी सावधानी जरूरी है, क्योंकि गलत तरीके के कारण कई लोगों को स्किन बर्न की शिकायत हो चुकी है.

कंप्रेशन यानी दबाव:

प्रभावित स्थान पर क्रीप बैंड बांधने से आराम मिलता है. आराम के वक्त आप इसे उतार सकते हैं. इस से मोच, घाव, दर्द और सूजन जल्दी ठीक होने लगेगी.

एलिवेशन:

जब आप बिस्तर पर लेटे हों तो अपने पैर को 2 तकियों के ऊपर रखें. इस से सूजन जल्दी ठीक हो जाएगी. घावों को देख कर परेशान न हों क्योंकि उन्हें ठीक होने में 5 दिनों का समय लग सकता है.

2.    एड़ियों में दर्द: यह फुट और एंकल की दूसरी सब से आम समस्या है. एड़ियों में होने वाला दर्द 2 प्रकार का होता है. लोग अकसर इन में फर्क नहीं कर पाते हैं.

·    प्लांटर फेसिआईटिस: 90 फीसदी लोगों के पैरों के नीचे दर्द होता है. इस स्थिति को प्लांटर फेसिआईटिस कहते हैं. एड़ियों में होने वाला यह दर्द सब से गंभीर तब होता है जब व्यक्ति सुबह सो कर उठता है या आराम कर के उठता है. कुछ देर चलने के बाद जब व्यक्ति आराम के लिए बैठता है उस वक्त भी यह दर्द महसूस होता है.

आमतौर पर यह समस्या मध्य आयुवर्ग के लोगों को ज्यादा होती है, जो मोटे होते हैं, ओवरवेट होते हैं या बहुत अधिक भारी एक्सरसाइज करते हैं या बिना स्ट्रेचिंग के बहुत ज्यादा वौक करते हैं. जो लोग रुमेटौयड आर्थराइटिस, सोरियासिस या इरीटेबल बाउल की बीमारी से ग्रस्त होते हैं उन में भी इस समस्या का खतरा ज्यादा होता है.

रूटीन एक्सरसाइज, जैसे कि काल्फ मसल, प्लांटर फेसिया और अंगूठे की स्ट्रेचिंग व बर्फ से पैर की सिंकाई से प्लांटर फेसिआईटिस की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. इस प्रकार आप को फिजियोथेरैपिस्ट के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिताना पड़ेगा और साथ ही, इस के लक्षणों से भी 5-6 हफ्तों में आराम मिल जाएगा.

·     स्ट्रेच फ्रैक्चर: बचे हुए 10 फीसदी मामलों में एड़ियों में दर्द के लक्षण प्लांटर फेसिआईटिस से अलग होते हैं. इस में दर्द तब होता है जब आप चलना शुरू करते हैं, जो सामान्य गतिविधियों से बढ़ सकता है. इस के कारणों में विटामिन डी और कैल्शियम में कमी और पुअर बोन मिनरल डैंसिटी (बीएमडी) आदि शामिल हैं. इस के अलावा एड़ी की हड्डी में ट्यूमर, संक्रमण के कारण दर्द और बैक्सटर नसों में दबाव आदि कुछ अन्य कारण भी शामिल होते हैं.

नाताशा ने शेयर की बेबी शॉवर की तस्वीर, हार्दिक के चेहरे पर दिखी पापा बने की खुशी

हार्दिक पांड्या ने कुछ समय पहले ही इस बात का खुलासा किया था कि वह जल्द ही पिता बनने वाले हैं. इस खबर का पचा चलते ही पूरी तरफ तहलका मच गया है. मंगलवार को नताशा ने अपने इंस्टाग्रम पर बेबी शॉवर की तस्वीर शेयर की है.

इस तस्वीर में हर्दिक पांड्या बहुत खुश नजर आ रहे हैं. इस पोस्ट पर नताशा ने लिखा है कि हमने और हार्दिक ने एक साथ एक खुबसूरत सफर तय किया है.

हम अपने जीवन में एक नया मेहमान लाने के लिए बहुत उत्साहित है. अपने जिंदगी में एक कदम आगे बढ़ने तके लिए उत्साहित है. हमें आप सभी की शुभकामनाएं की जरूरत है.

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हार्चिक पांड्या और नताशा लंबे समय से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं. 31 दिसंबर 2019 को अपने रिश्ते पर मुहर लगाई है.

 

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रोमांटिक तस्वीर शेयर करते हुए हार्दिक ने बताया कि वह जल्द ही शादी के बंदन में बंधने वाले हैं.

हार्दिक से पहले नताशा एली गोनी के साथ रिलेशनशिप में थीं. दोनों ने कुछ मतभेदों के कारण अपने रिश्ते को खत्म कर दिया. हालांकि इन सभी के बावजूद दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त है.

हार्दिक पांड्या और नताशा की जोड़ी को सभी फैंस खूब पसंद करते हैं. उन्हें अपने घर आने वाले नन्हें मेहमान की स्वागत के लिए सभी तरह की तैयारियां चल रही है.

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वहीं हार्दिक इन दिनों अपनी पत्नी का भी खूब ख्याल रख रहे हैं. उन्हें पता है कि आने वाले बच्चे को कोई भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इसलिए वह दोनों एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम भी स्पेंड कर रहे हैं.

 

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लॉकडाउन में हार्दिक अपने घर पर ही नताशा और बाकी मेंमबर्स के साथ रह रहे हैं.

नताशा और हार्दिक के रिश्ते पर कई तरह के कमेंट लोगों ने किया था, हालंकि उन्हें इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा.

Hyundai #AllRoundAura ने मार्केट में मचाई धूम

हुंडई ऑरा ने भारतीय बाजार में धूम मचा दी है, खासकर इसके बीएस6 कंप्लेट तीन इंजन ऑप्शन ने ग्राहकों पर अपना गहरा असर छोड़ा है. यह कार तीन इंजन ऑप्शन में है, जिनमें दो पेट्रोल और एक डीजल इंजन है. लोग इंजन ऑप्शन की वजह से इसे काफी पसंद कर रहे हैं.

इसके तीनों इंजन बीएस 6 एमिशन नॉर्म्स के अनुसार हैं. तीनों इंजन में 1.2- लीटर पेट्रोल, 1.2- लीटर डीजल और 1.0- लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन शामिल हैं. जिसमें से टर्बो-पेट्रोल हमारा पसंदीदा इंजन है. इसके बारे में बात करने से पहले हम बाकी दूसरे इंजन के बारे में आपको बताते हैं.

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1.2-लीटर कप्पा पेट्रोल इंजन ऑरा को स्मूदली ड्राइव करने में बेहतरीन बनाता है. आप चाहें तो फ़ैक्ट्री-फिटेड सीएनजी किट वाला 1.2- लीटर इंजन भी ले सकते हैं. जो कार में पहले से ही पूरी तरह फिट होगी. इस कार का BS6 डीजल मार्केट में अभी तक का सबसे छोटा इंजन है. जो संतुलन के साथ शानदार प्रदर्शन करता है.

तो अब जब 1.2- लीटर इंजन की जोड़ी 5-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ उपलब्ध है तो इससे ज्यादा कार ग्राहकों को भला और क्या चाहिए. इस वजह से #AllRoundAura ग्राहकों को लुभा रही है.

सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर ने 14 वीं मंजिल से कूदकर दी जान

बॉलीवुड में लगातार बुरी खबरें आ रही हैं. जिससे पूरा बॉलीवुड दहशत में है. एक के बाद एक लोगों के मरने की खबरे आ रही हैं. एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर रही दिशा सालियान ने की मौत 14 वें मंजिल से कुदकर हुई है.

वह खुदखुशी के वक्त अकेले घर में नहीं थी, उस वक्त उनके मंगेतर भी घर में मौजूद थे. इसलिए इसे पूरी तरह से आत्महत्या नहीं बताया जा रहा है.

घटना स्थल पर पुलिस मौके पर पहुंचकर जॉंच कर रही है. पुलिस की जांच जारी है. उम्मीद है कि जल्द ही पूरे मामले का पता चल जाएगा.

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14 वीं मंजिल से गिरने के बाद दिशा को अस्पताल ले जाया गया वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

कहा जा रहा है कि वह अपने मंगेतर के साथ ही रह रही थी. लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि दिशा ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया इसके पीछे की कक्या वजह रही होगी. वह कई मीडिया फार्मस के साथ जुड़ी हुई थी.

ताजा खबर की माने तो दिशा के माता-पिता का बयान दर्ज कर लिया गया है. हालांकि अभी तक उनके मंगेतर का बयान नहीं हुआ है.

दिशा सुशांत सिंह राजपूत के अलावा और भी कई लोगों की मैनेजर रह चुकी हैं. उनके काम की लोग खूब तारीफ करते थे.

बता दें हाल ही में साउथ के स्टार चिरंजीवी की मौत ने सभी को हिलाकर रख दिया है. इससे पहले प्रेक्षा मेहता और मनमीत अग्रवाल की मौत ने सबको सदमा दिया था.

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न जाने कौन से संकट बॉलीवुड को लग गया जिससे इतने सारे लोगों ने इस मुश्किल वक्त में दुनिया को अलविदा कह दिया है. कोरोना वायरस जैसी खतरनाक महामारी में लोग प्रार्थना कर रहे हैं इससे निपटने की वहीं कुछ लोग घर में ही आत्महत्या करके इस दुनिया को हमेशा क लिए अलविदा कह दे रहे हैं.

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