लेखक–डा. प्रदीप मुनोट
लौकडाउन और सोशल डिस्टेंसिग का पूरे देश में अच्छे से पालन किया जा रहा है. इस स्थिति में कुछ लोग कोई समस्या होने के बाद भी अस्पताल जाने से घबराते हैं. इस से समस्या अधिक गंभीर हो सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि कुछ लोग घर के काम पहली बार कर रहे होंगे. लौकडाउन के दौरान लोग 2 तरह की समस्याओं का सामना कर सकते हैं, पहला फुट और एंकल की आम समस्याएं और दूसरी वे समस्याएं जो इन समस्याओं को बढ़ावा दे सकती हैं. इसलिए, लौकडाउन में इन समस्याओं से बचने के लिए इन के लक्षणों की जानकारी रखना आवश्यक है.
आम समस्याएं :
फुट और एंकल से संबंधित ऐसी कई समस्याएं हैं जिन का व्यक्ति लौकडाउन के दौरान अनुभव कर सकता है. ऐसे में व्यक्ति को डाक्टर के पास कब जाने की आवश्यकता है, इस का ज्ञान होना जरूरी है. इन में सब से आम समस्या, जो लगभग हर व्यक्ति को परेशानी करती है, वह है एंकल स्प्रेन यानी कि टखनों में मोच.
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1. एंकल स्प्रेन: वैस्टर्न देशों में यह समस्या ज्यादातर स्पोर्ट्स के कारण पनपती है, लेकिन भारत में यह समस्या खराब रास्ते, गलत फुटवियर और ठीक से न चलने के कारण आम है. लगभग 96 फीसदी मामलों में टखने में मोच लगने पर हड्डी बाहर की ओर मुड़ जाती है. हालांकि, यह चोट बिना किसी सर्जरी के ठीक हो जाती है लेकिन इस के लिए समय पर निदान कराना आवश्यक होता है.
ग्रेड 1: यदि मोच लगने के 24 घंटों के भीतर पैर में सूजन नहीं आती है तो यह समस्या ग्रेड 1 के अंतर्गत आती है. इस में टखने के केवल एक लीगामेंट में खिंचाव आता है जिस के कारण इस के लिए बाहरी इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है. यह टखने में मोच की सब से आम समस्या होती है, जिसे घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है.
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ग्रेड 2: इस ग्रेड में मरीज को चलने में मुश्किल, सूजन और घाव की समस्या होती है. मान्यता समस्या होने पर व्यक्ति को खुद ही समझ आ जाता है कि उसे मैडिकल चैकअप की जरूरत है या नहीं. यदि टखने को छूने पर भी दर्द होता है तो एक्सरे कराना जरूरी हो जाता है. लेकिन यदि दर्द हड्डी के आसपास होता है तो वह घर पर भी ठीक हो सकता है.
ग्रेड 3: इस स्टेज में चोट के तुरंत बाद बहुत ज्यादा सूजन और अत्यधिक दर्द होता है. 2 या अधिक लीगामेंट्स में क्षति के कारण मरीज का चलना मुश्किल हो जाता है. उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उस का टखना निकल कर बाहर आ जाएगा. ऐसे में समय पर एक्सरे कराना आवश्यक होता है. एक्सरे की रिपोर्ट के अनुसार डाक्टर पैर में प्लास्टर करेगा या एंकल ब्रेसेज़ लगाएगा.
घर के काम करते वक्त लगी चोट के अधिकतर मामले ग्रेड 1 या 2 के अंतर्गत आते हैं जिन का घर पर ही इलाज किया जा सकता है, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इसे नज़रअंदाज किया जाए. दरअसल, जब एक बार कहीं चोट लग जाए तो वहां बारबार चोट लगने की संभावना रहती है, जिस के कारण समस्या बढ़ सकती है. इस स्थिति में व्यक्ति आर्थराइटिस का शिकार भी हो सकता है.
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घरेलू इलाज
एंकल स्प्रेन को ठीक करने के लिए सब से आसान घरेलू उपाय राइस (आरआईसीई) तकनीक है:
रेस्ट यानी आराम:
चोट जल्द से जल्द ठीक हो जाए, इस के लिए पार्यप्त समय तक आराम करना आवश्यक होता है. हालांकि, चोट की स्टेज के आधार पर आराम का समय भिन्न हो सकता है. ग्रेड 1 में 5-6 दिनों का आराम, ग्रेड 2 में 1-2 हफ्तों का आराम और ग्रेड 3 में लगभग 3 हफ्तों का आराम पर्याप्त है. यहां आराम का अर्थ हर वक्त पड़े रहना नहीं है, बल्कि खराब रास्तों पर चलने से बचना है.
आइसिंग यानी बर्फ की सिंकाई :
दिन में 3-4 बार 15-20 मिनट तक बर्फ से सिंकाई करने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है. बर्फ को किसी तौलिए में बांध कर कुछ देर के लिए चोट की सिंकाई करें. लेकिन यहां भी सावधानी जरूरी है, क्योंकि गलत तरीके के कारण कई लोगों को स्किन बर्न की शिकायत हो चुकी है.
कंप्रेशन यानी दबाव:
प्रभावित स्थान पर क्रीप बैंड बांधने से आराम मिलता है. आराम के वक्त आप इसे उतार सकते हैं. इस से मोच, घाव, दर्द और सूजन जल्दी ठीक होने लगेगी.
एलिवेशन:
जब आप बिस्तर पर लेटे हों तो अपने पैर को 2 तकियों के ऊपर रखें. इस से सूजन जल्दी ठीक हो जाएगी. घावों को देख कर परेशान न हों क्योंकि उन्हें ठीक होने में 5 दिनों का समय लग सकता है.
2. एड़ियों में दर्द: यह फुट और एंकल की दूसरी सब से आम समस्या है. एड़ियों में होने वाला दर्द 2 प्रकार का होता है. लोग अकसर इन में फर्क नहीं कर पाते हैं.
· प्लांटर फेसिआईटिस: 90 फीसदी लोगों के पैरों के नीचे दर्द होता है. इस स्थिति को प्लांटर फेसिआईटिस कहते हैं. एड़ियों में होने वाला यह दर्द सब से गंभीर तब होता है जब व्यक्ति सुबह सो कर उठता है या आराम कर के उठता है. कुछ देर चलने के बाद जब व्यक्ति आराम के लिए बैठता है उस वक्त भी यह दर्द महसूस होता है.
आमतौर पर यह समस्या मध्य आयुवर्ग के लोगों को ज्यादा होती है, जो मोटे होते हैं, ओवरवेट होते हैं या बहुत अधिक भारी एक्सरसाइज करते हैं या बिना स्ट्रेचिंग के बहुत ज्यादा वौक करते हैं. जो लोग रुमेटौयड आर्थराइटिस, सोरियासिस या इरीटेबल बाउल की बीमारी से ग्रस्त होते हैं उन में भी इस समस्या का खतरा ज्यादा होता है.
रूटीन एक्सरसाइज, जैसे कि काल्फ मसल, प्लांटर फेसिया और अंगूठे की स्ट्रेचिंग व बर्फ से पैर की सिंकाई से प्लांटर फेसिआईटिस की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. इस प्रकार आप को फिजियोथेरैपिस्ट के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिताना पड़ेगा और साथ ही, इस के लक्षणों से भी 5-6 हफ्तों में आराम मिल जाएगा.
· स्ट्रेच फ्रैक्चर: बचे हुए 10 फीसदी मामलों में एड़ियों में दर्द के लक्षण प्लांटर फेसिआईटिस से अलग होते हैं. इस में दर्द तब होता है जब आप चलना शुरू करते हैं, जो सामान्य गतिविधियों से बढ़ सकता है. इस के कारणों में विटामिन डी और कैल्शियम में कमी और पुअर बोन मिनरल डैंसिटी (बीएमडी) आदि शामिल हैं. इस के अलावा एड़ी की हड्डी में ट्यूमर, संक्रमण के कारण दर्द और बैक्सटर नसों में दबाव आदि कुछ अन्य कारण भी शामिल होते हैं.