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बॉलीवुड का ड्रग कनेक्शन

सुशांत सिंह राजपूत केस में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के साथ अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की एंट्री भी हो गयी है. आरोपी रिया चक्रवर्ती के खिलाफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की है. रिया और उसके दोस्तों पर ड्रग्स लेने और ड्रग्स के कारोबार में शामिल होने का आरोप है.गौरतलब है कि सुशांत केस में पैसों की लेन-देन की जांच करते वक़्त प्रवर्तन निदेशालय को रिया के फ़ोन डिटेल्स और व्हाट्सएप चैट से ड्रग्स लेने और ड्रग्स के कारोबार में शामिल होने के सुबूत मिले थे, अब उसकी विस्तृत जांच नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो करेगा. इस सम्बन्ध में रिया चक्रवर्ती समेत चार लोगों पर केस दर्ज किया गया है, जिनमें सुशांत के घर के मैनेजर सैमुअल मिरांडा, टैलेंट मैनेजर जया साहा और एक शख्स गौरव आर्या शामिल हैं.

ड्रग्स कौन कौन लेता था, क्या सुशांत को इसकी आदत थी, क्या उसके वहाँ होने वाली पार्टियों में ड्रग्स का इस्तेमाल होता था, ड्रग्स कहाँ से आता था, कौन लाता था, डीलर कौन था, कीमत क्या थी, ड्रग कारोबार को हैंडल कौन करता था, पैसे कौन देता था, ऐसे सैकड़ों सवालों का सामना अब रिया समेत तमाम आरोपियों को करना होगा.सुशांत के पूर्व बॉडीगार्ड मुश्ताक ने भी मीडिया के सामने ड्रग्स को लेकर सनसनीखेज रहस्योदघाटन किया है. उसका कहना है कि सुशांत के घर पार्टियों में जमकर चरस पी जाती थी. खुद मुश्ताक ने सुशांत को निजी पार्टियों के दौरान और अपनी कार में सफर करते वक्त महंगी और इम्पोर्टेड चरस लेते देखा था, जिसे वो सिगरेट में भर कर पीता था. उल्लेखनीय है कि मुश्ताक करीब नौ महीने सुशांत के प्राइवेट सिक्योरिटी एस्कॉर्ट में रहा है. इस दौरान वह काफी समय तक सुशांत के साथ ही रहता था. उसका कहना है कि एक्टर  चरस और मारिजुआना की लती थी. मुश्ताक की बातों में कितनी सच्चाई है, इसका पता अब नारकोटिक्स की जांच में चलेगा.

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उधर पुलिस पूछताछ में सुशांत के हाउसकीपर नीरज ने भी सुशांत के डोप (ड्रग्स की सिगरेट) लेने का दावा किया था. मुंबई पुलिस को दिए अपने बयान में नीरज ने कहा था कि सुशांत की मौत के कुछ दिन पहले उसने सुशांत के लिए मारिजुआना के सिगरेट रोल किए थे.रिया चक्रवर्ती और मैनेजर के बीच कथित वाट्सएप चैट में भी सुशांत की प्रतिबंधित पदार्थों की संभावित लत की ओर इशारा किया गया है.
बॉलीवुड और ड्रग्स का रिश्ता पुराना रहा है. आँखें चुंधियाता दूधिया रोशनी में सराबोर बॉलीवुड के पीछे नशे और अपराध की बिजबिजाता दुनिया भी है, यह कोई ढकी-छिपी बात नहीं रह गई है. एक्ट्रेस कंगना रनौत के बयान पर इसी सन्दर्भ में गौर करना चाहिए जो यह कहती हैं कि  बॉलीवुड सितारों का नॉरकोटिक टेस्ट हुआ तो कई लोग जेल पंहुच जाएंगे.

कंगना के बारे में कहा जाता है कि वह काफी निडर और मुंहफट हैं. सुशांत मामले में ड्रग एंगल सामने आने के बाद कंगना ने अपनी ज़िंदगी के किस्से बयान करने शुरू कर दिए हैं. कंगना ने कहा है कि एक समय उनकी ड्रिंक में कुछ मिलाया जाता था. वे कहती हैं – ‘मैं नाबालिग थी और मेरा मेंटर जिसने मुझे काफी सताया, वो मेरी ड्रिंक में कुछ तो मिलाता था और फिर पुलिस के पास जाने से भी रोकता था. जब मैं सफल हो गई और बड़ी-बड़ी फिल्मी पार्टियों का हिस्सा बनी, तब मैं ड्रग्स की उस खतरनाक दुनिया या कह लीजिए माफिया से रूबरू हुई थी.’

कंगना ने आरोप जरूर बड़ा लगाया है, लेकिन किसी का भी नाम नहीं लिया है. ऐसे में वे किस शख्स की बात कर रही हैं, कौन उनकी ड्रिंक में ड्रग्स मिलाता था, ये साफ नहीं हुआ है. लेकिन उन्होंने अपने ट्वीट में उन पॉर्टियों का जिक्र किया है जहां पर ड्रग्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. उन्होंने माना कि एक जमाने में उन्हें उन पॉर्टियों में बुलाया जाता था.कंगना सिर्फ यहीं नहीं रुकी, उन्होंने यहां तक दावा किया फिल्म इंडस्ट्री में कोकीन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. पहले तो पार्टियों में ये कई बार फ्री दिया जाता है, लेकिन बाद में एमडीएमए (MDMA) के क्रिस्टल मिला दिए जाते हैं.

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मुम्बई में सेलिब्रिटी के बीच और पार्टी में MDMA ड्रग्स बड़े पैमाने पर लिया जाता है, इसे पार्टी ड्रग्स भी कहते हैं. शार्ट फार्म में इसे MD भी कहते हैं. रिया के व्हाट्सएप चैट में  MD का ज़िक्र मिला है. इस ड्रग की एक गोली 1 हजार रूपए की मिलती है लेकिन पार्टी के हिसाब से इसका दाम तय होता है. ये यूरोप से मुम्बई बड़े पैमाने पर तस्करी करके लाई जाती है. इस ड्रग के साथ बॉलीवुड में करोड़ों का खेल होता है.
रिया ड्रग के कारोबार में लिप्त थी इस बात का पता उसकी कई व्हाट्सएप चैट से चलता है. 17 अप्रैल, 2020 की एक व्हाट्सएप चैट में मिरंडा सुशि अपने मैसेज में रिया से कह रहा है – ‘हाए रिया, स्टफ लगभग खत्म हो गया है. क्या हमें शौविक के दोस्त से ले लेना चाहिए. मगर उसके पास केवल हैश और बड ही है.’
इसके अलावा 25 नवंबर, 2019 की भी एक चैट सामने आई है जिसमें रिया जया शाह को कह रही हैं कि – कॉफी, चाय या पानी में चार ड्रॉप डाल लो और उसे सिप करने को कहो, 30-40 मिनट का समय लगेगा किक करने में.

MDMA यानि मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथाम्फेटामाइन को आमतौर पर इकैस्टी भी कहा जाता है. ये एक पार्टी ड्रग है जो लेने वाले पर भावनात्मक रूप से प्रभाव डालती है. ये उत्साहित करने, भ्रामक स्थितियां पैदा करने, शक्ति और सुकून महसूस कराने का काम करती है. इकैस्टी पहले यूरोम में बनाई जाती थी, खास तौर पर वेस्टर्न और सेंट्रल यूरोप में. यूरोप में दुनिया में मौजूद दो तिहाई तक इकैस्टी का उत्पादन किया जाता है. वर्तमान में इकैस्टी बेल्जियम से मंगवाई जाती है लेकिन इसका सोर्स यूरोप ही है. साल 2009 और 2018 के आंकड़े देखें तो दुनिया भर में सीज की जाने वाली एक्सटेसी की तादात दोगुनी हो गई है. इससे ऐसी सिंथैटिक ड्रग की बढ़ती पॉपुलैरिटी के बारे में पता चलता है. बॉलीवुड में इस ड्रग का चलन आम है.

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बॉलीवुड और ड्रग का कनेक्शन काफी पुराना है. कई सितारे इसके लती होकर बर्बाद हो गए, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इसके मायाजाल से खुद को मुक्त कर लिया. फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे एक्टर संजय दत्त को कभी बॉलीवुड के ड्रग किंग कहा जाता था. ड्रग्स और शराब के सेवन ने उनको भीतर से खोखला कर दिया था. अमेरिका में जब उनका इलाज हो रहा था तो डॉक्टर्स ने उन्हें विभिन्न प्रकार के ड्रग्स की एक लिस्ट थमाई थी ताकि वो बताएं कि उसमे से उन्होंने किस किस का सेवन किया है. डॉक्टर्स यह देख कर हैरान थे कि संजय ने सभी पर निशाँ लगा दिए यानी उन्होंने उस लिस्ट में मौजूद हर ड्रग का सेवन किया था. आखिर तब ये ड्रग्स उन तक कैसे पहुँचती थीं?  हालांकि अमेरिका में इलाज के बाद संजय ने शानदार वापसी की और जबरदस्त बॉडी भी बनाई और उन्हें एहसास हो गया कि जिंदगी से बड़ा नशा कोई नहीं है. लेकिन आज वह फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे हैं जो चौथे स्टेज का बताया जा रहा है.

रैपर और सिंगर यो यो हनी सिंह संगीत की दुनिया में इतने हिट हुए कि सफलता सर चढ़कर बोलने लगी और इसकी मस्ती में वे ड्रग्स और शराब के एडिक्ट हो गए. इसके बाद से ही हनी सिंह के गाने आने बंद हो गए थे और वे रिहैब सेंटर भी गए. लम्बे समय तक अपने चाहने वालों से दूर रहने के बाद हालांकि हनी सिंह ड्रग्स से जंग जीतकर वापसी कर चुके हैं और अपने म्यूजिक करियर पर ध्यान दे रहे हैं.
एक्टर फरदीन खान ने कुछ फिल्मों में काम किया है लेकिन वे एक एक्टर के तौर पर स्थापित होने में नाकाम रहे. साल 2001 में उन्हें कोकेन के साथ पकड़ा गया था. हालांकि उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया और उसके बाद फरदीन का कभी ड्रग्स केस में नाम नहीं आया.

मनीषा कोईराला जब अपने करियर की ऊंचाईयों पर थीं तब उन्हें ड्रग्स और शराब की लत लग गई थी. अपने पति सम्राट दहल के साथ रिश्ते खराब होने के चलते वे एडिक्शन का शिकार हो गयीं. लेकिन मनीषा ने ना केवल एडिक्शन से छुटकारा पाया बल्कि उन्होंने कैंसर को भी मात दी. वे कुछ समय पहले फिल्म संजू में भी नजर आई थीं. 90 के दौर में पूजा भट्ट बॉलीवुड की लोकप्रिय एक्ट्रेस थीं. पूजा ने डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया है. पूजा शराब की एडिक्ट थी हालांकि अपने पिता महेश भट्ट के एक मैसेज के बाद उन्होंने अपनी लाइफस्टाइल के बारे में फिर से सोचना शुरू किया. हालांकि जब वे उम्र के चौथे दशक में प्रवेश कर गई तब उन्हें एहसास हुआ कि वे इस एडिक्शन के चलते काफी कुछ खो रही हैं और तब उन्होंने शराब छोड़ दी.

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राज बब्बर और स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बब्बर 13 साल की उम्र में ही ड्रग्स लेने लगे थे. मां स्मिता पाटिल के असमय देहांत और अपने पिता के साथ खराब रिश्तों के चलते वे ड्रग्स की तरफ मुड़ गए थे और उन्होंने काफी हार्ड ड्रग्स लेने शुरू कर दिए थे. हालांकि साल 2017 में प्रतीक रिहैब सेंटर से बाहर आए और उसके बाद से उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और बेहतरीन बॉडी भी बना ली.

Crime Story: दो पत्नियों वाले हिंदूवादी नेता की हत्या

सौजन्य- सत्यकथा

19जनवरी, 2020 की शाम करीब 6 बजे की बात होगी. उत्तर प्रदेश की राजधानी  लखनऊ के सिकंदरबाग चौराहे पर निशातगंज की तरफ जाने वाली सड़क पर बैटरी से चलने वाले 5-7 रिक्शे खड़े थे, जिन की वजह से काफी भीड़ थी. चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस भी थी, वहां से लगभग 500 कदम दूर 25 साल की लड़की खड़ी थी. तभी एक कार आ कर रुकी. उस कार से भगवा कपड़े पहने 40-45 साल का एक आदमी उतरा, जो वहां खड़ी लड़की के पास पहुंच कर उस से झगड़ने लगा. झगड़ा बढ़ा तो लड़की वहीं पास में फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाले की तरफ बढ़ने लगी. उन की बातचीत से ऐसा लग रहा था, जैसे दोनों पहले से परिचित हों.
उस लड़की की आवाज सुन कर तमाम लोग वहां आ गए. लोगों ने लड़की से बात कर पुलिस को फोन करने को कहा तो उस ने मना कर दिया.

भगवाधारी रणजीत श्रीवास्तव बच्चन था जो गोरखपुर के अहरौली गांव का रहने वाला था. 2 फरवरी, 2020 को ग्लोब पार्क के सामने रणजीत श्रीवास्तव की लाश मिली तो लोगों को उस दिन का झगड़ा याद आ गया.करीब 20 साल पहले रणजीत के पिता तारालाल अपने परिवार के साथ अहरौली गांव से गोरखपुर के भेडि़याघाट रहने आए थे. इस के बाद तारालाल ने पतरका गांव में जमीन खरीदी. रणजीत खुद गोरखपुर में रहता था.रणजीत श्रीवारुतव को एक्टिंग का शौक था. इसी शौक के चलते उस ने अपना नाम रणजीत श्रीवास्तव से बदल कर रणजीत बच्चन कर लिया था. वह फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन से बहुत प्रभावित था. उस ने अमिताभ बच्चन की तरह से कपडे़ पहनने और उन के जैसा ही हेयरस्टाइल रखना शुरू कर दिया.

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अमिताभ बच्चन की नकल करने से कोई उन के जैसा नहीं बन जाता, यह बात रणजीत की समझ में आ गई. तब उस ने गांव की अपनी जमीन पर टीन शेड के नीचे नए लोगों को अभिनय का प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया. रंगमंच से जुड़े होने के बाद भी जब वह सफल नहीं हो पाया तो उस ने राजनीति और समाजसेवा को अपना रास्ता बनाया.

रणजीत को सुर्खियों में रहने का शौक था. इस के लिए उस ने कई सामाजिक संस्थाएं बनाईं. सुर्खियों में रहने के लिए उस ने पत्रकार संगठन और जातीय संगठन भी बनाए.इस बहाने वह खुद को राजनीति से जोड़े रखना चाहता था. ऐसे में उस ने गोरखपुर से दूर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपना काम शुरू करने का फैसला किया. रणजीत के तमाम लड़कियों से संबंध थे. उन्हें ले कर वह चर्चा में रहता था.
कालिंदी सन 2002 से रणजीत के संपर्क में थी, वह कुशीनगर के नेअुबा नौगरियां क्षेत्र के बरई पट्टी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता गोरखपुर नगर निगम में नौकरी करते थे. कालिंदी अच्छी एथलीट थी. रणजीत के साथ मिल कर उस ने देश भर में साइकिल यात्रा की थी.

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बाद में कालिंदी और रणजीत पतिपत्नी की तरह रहने लगे. 2014 में रणजीत ने कालिंदी से गोरखपुर के कुसम्ही जंगल स्थित बुढि़यामाई के मंदिर में शादी कर ली. इस बीच रणजीत का राजनीतिक रसूख बढ़ता रहा. जिस के आधार पर सन 2009 में रणजीत को लखनऊ की ओसीआर बिल्डिंग में सरकारी आवास मिल गया.

महिलाओं को ले कर रणजीत का व्यवहार बहुत अच्छा नहीं था. सन 2017 में रणजीत की साली ने शाहपुर थाने में उस के खिलाफ छेड़खानी, मारपीट और बलात्कार का मामला दर्ज कराया था. पुलिस की मिलीभगत से रणजीत कागजों पर फरार चल रहा था. पुलिस ने खानापूर्ति के लिए रणजीत के पतरका गांव स्थित टीन शेड वाले घर पर कुर्की का आदेश चस्पा कर के अदालत में उसे कागजों में फरार दिखा दिया.

इस के बाद रणजीत ने ससुराल से अपने संबंध खत्म कर लिए थे. रणजीत की पत्नी कालिंदी भी अपनी बहन पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रही थी.साल 2014 की बात है. रणजीत की लखनऊ के विकास नगर की रहने वाली स्मृति नामक महिला से मुलाकात हुई. उस के पिता की मौत हो चुकी थी. स्मृति अपने पिता की जगह पर नौकरी कर रही थी.बातचीत में रणजीत को पता चला कि स्मृति पिता की पेंशन को ले कर परेशान है. ऐसे में रणजीत ने उसे मदद करने का भरोसा दिया. राजनीतिक रसूख के चलते उस ने स्मृति की मदद की भी. तभी से दोनों के दोस्ताना रिश्ते और मजबूत हो गए.

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यही दोस्ती आगे चल कर प्यार में बदल गई. 18 जनवरी, 2015 को रणजीत और स्मृति की शादी हो गई. जब स्मृति गर्भवती हुई तो उसे पहली बार पता चला कि रणजीत पहले से शादीशुदा है. इस के बाद दोनों के बीच विवाद होने लगा.रणजीत की पहली पत्नी कालिंदी को भी रणजीत और स्मृति के रिश्ते की जानकारी हो गई थी. स्मृति से रिश्तों का विरोध करने पर कालिंदी और रणजीत की लड़ाई होती रहती थी. तब कालिंदी ने पति के खिलाफ महिला थाने में शिकायत भी दर्ज करा दी.काफी समय तक रणजीत ने कालिंदी और स्मृति को एक ही घर में रखे रखा. बाद में वह दोनों से झगड़ा तो करता ही था, उन्हें प्रताडि़त भी करता था. रणजीत ने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी से अपने रिश्ते मधुर बना लिए थे, जिस से उसे राजनीतिक संरक्षण मिल सके. बसपा के बजाय उसे समाजवादी पार्टी से लाभ हुआ. प्रभाव बढ़ने पर पुलिस भी उसे संरक्षण देने लगी थी.

समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के समय रणजीत ने साइकिल से पूरे भारत भ्रमण का कार्यक्रम बनाया. जब भारत भूटान साइकिल यात्रा निकली तो दल के नायक के रूप में रणजीत ने ही अगुवाई की थी. इस के बाद रणजीत का नाम लिम्का बुक औफ रिकौर्ड्स में जुड़ गया था.जब से अखिलेश सरकार सत्ता से हटी तो उसे नए आसरे की तलाश करनी पड़ी. गोरखपुर शहर के रहने वाले महंत योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. ऐसे में रणजीत ने भी समाजवादी रूप छोड़ कर योगी आदित्यनाथ की तरह हिंदूवादी रूप बनाने का काम शुरू किया.

प्रदेश में हिंदुत्व की राजनीति चमकाने के लिए रणजीत ने हिंदूवादी नेता की छवि बनानी शुरू कर दी. ऐसे में उस ने विश्व हिंदू महासभा के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख के रूप में खुद को प्रस्तुत करना शुरू किया. वह अखिलेश सरकार के समय में दिए गए ओसीआर के सरकारी आवास में रहता था. यहीं पर उस ने पहली फरवरी, 2020 को अपने जन्मदिन की पार्टी भी की. कई लोग उसे बधाई देने भी पहुंचे थे. 2 फरवरी को सुबह करीब साढ़े 5 बजे रणजीत अपने ओसीआर स्थित आवास से बाहर मौर्निंग वाक के लिए निकला.

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रणजीत के साथ पत्नी कालिंदी और रिश्तेदार आदित्य भी था. पत्नी कालिंदी ओसीआर से विधानसभा मार्ग स्थित भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय से होते हुए लालबाग ग्राउंड की तरफ मुड़ गई, जहां वह जौगिंग करती थी. रणजीत और आदित्य आगे बढ़ गए और हजरतगंज चौराहे से परिवर्तन चौक होते हुए ग्लोब पार्क पहुंच गए.ग्लोब पार्क के पास शाल लपेटे एक युवक रणजीत के पास पहुंचा और उस ने दोनों पर पिस्टल तान दी. उस ने रणजीत और आदित्य के मोबाइल फोन छीन लिए. इस के बाद रणजीत के सिर पर पिस्टल सटा कर गोली मार दी. हमलावर ने आदित्य पर भी गोली चलाई, जो उस के हाथ में लगी. फिर हमलावर वहां से भाग गया.

आदित्य के शोर मचाने पर राहगीरों ने पुलिस को खबर दी. पुलिस हत्या की जानकारी देने रणजीत के आवास पर पहुंची तो गोरखपुर से रणजीत के साथ आए अभिषेक की पत्नी ज्योति घर पर मिली. ज्योति ने फोन कर के रणजीत की पत्नी कालिंदी को हत्या की सूचना दी.पति की हत्या का पता चलते ही कालिंदी सिविल अस्पताल पहुंच गई. वहां से पुलिस कालिंदी को अपने साथ ले गई, जिसे बाद में पूछताछ के बाद चिनहट निवासी चचेरे भाई के साथ भेज दिया. हिंदूवादी नेता की हत्या से पूरी राजधानी सकते में आ गई. कुछ महीने पहले कमलेश तिवारी नामक एक और हिंदूवादी नेता की हत्या हो चुकी थी.

इस के बाद मार्निंग वाक के समय रणजीत की हत्या ने लखनऊ पुलिस और नए कमिश्नरी सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया. रणजीत की हत्या के बाद आननफानन में जौइंट कमिश्नर नवीन अरोड़ा, एसीपी हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा, एसीपी कैसरबाग संजीव कांत सिन्हा सहित कई अफसर मामले की छानबीन में लग गए.पुलिस पर सब से बड़ा सवाल इसलिए भी है कि हुसैनगंज स्थित ओसीआर से ले कर ग्लोब पार्क के बीच 6 पुलिस चौकियां हैं, इस के बाद भी हत्यारों को पकड़ा नहीं जा सका. पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने इस मामले में 4 पुलिसकर्मियों संदीप तिवारी, अनिल गुप्ता, अरविंद और आशीष को सस्पेंड कर दिया.

रणजीत की हत्या को ले कर उस की पत्नी कालिंदी का कहना था कि रणजीत कुछ दिनों से प्रखर हिंदुत्व को ले कर बहस कर रहा था. नागरिकता कानून का भी समर्थन कर रहा था. ऐसे में हिंदू विरोधी लोग उस के दुश्मन बने हुए थे. कालिंदी ने 50 लाख रुपए का मुआवजा, मकान और सरकारी नौकरी की मांग सरकार के सामने रखी. डीसीपी (मध्य) दिनेश सिंह के जरिए यह मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी गई. पुलिस हत्या की पड़ताल में पारिवारिक बातों को ले कर छानबीन कर रही है.
पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने इस मामले की जांच के लिए 8 टीमें बनाई थीं. पुलिस ने 87 लोगों के मोबाइल फोनों की काल डिटेल्स खंगाली. कुछ होटलों के 72 सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले. पुलिस के लिए सब से पहले यह जानना जरूरी था कि हत्या की वजह क्या हो सकती है.

इस में नौकरी दिलाने के नाम पर रुपए का लेनदेन, पारिवारिक विवाद, जमीन से जुड़ा विवाद, पतिपत्नी के बीच संबंधों का विवाद, रणजीत के रिश्ते का विवाद और आतंकी हमले जैसे विवाद प्रमुख थे.
पुलिस को सब से चौंकाने वाले तथ्य दोनों पत्नियों की जानकारी होने पर मिले. पुलिस ने जब रणजीत की दूसरी पत्नी स्मृति को कुछ फोटो दिखाए जिन में से एक फोटो को उस ने पहचान लिया.

पुलिस ने जब उस से पूछताछ की तो उसे दीपेंद्र के बारे में पता चला. दीपेंद्र रणजीत की दूसरी पत्नी स्मृति का करीबी था. दोनों की मुलाकात सन 2019 में हुई थी. इस के बाद दोनों करीब आ गए और शादी कर के घर बसाने चक्कर में थे. दीपेंद्र स्मृति से मिलने विकास नगर आता था. यहां दोनों एक होटल में रुकते भी थे. इस बात की जानकारी जब रणजीत को हुई तो उस ने स्मृति से झगड़ा किया. सिकंदरबाग चौराहे पर रणजीत ने ही स्मृति को थप्पड़ मारा था.यह बात दीपेंद्र को पता चली तो उस ने रणजीत को ही रास्ते से हटाने का प्लान तैयार करना शुरू कर दिया. दीपेंद्र ने अपने प्लान को सफल बनाने के लिए 11 दिन तक रणजीत की रेकी की.

इन लोगों को यह जानकारी मिली कि रणजीत ओसीआर स्थित अपने फ्लैट नंबर 604 से सुबह मार्निंग वाक के लिए निकलता है. उस के साथ पत्नी कालिंदी और एकदो लोग भी होते हैं.2 फरवरी को जब रणजीत मार्निंग वाक पर निकला तो योजना के मुताबिक दीपेंद्र ने ग्लोब पार्क के पास रणजीत को गोली मार दी. उस का मोबाइल भैंसाकुंड के पास फेंक कर वह हैदरगढ़ होते हुए रायबरेली चला गया. वहां से दीपेंद्र मुंबई चला गया. पुलिस ने दीपेंद्र के साथ ही साथ संजीत और जितेंद्र को भी पकड़ लिया. पुलिस ने स्मृति के खिलाफ भी साजिश रचने का मुकदमा दर्ज हुआ.

रणजीत हत्याकांड का खुलासा करने में जौइंट सीपी नवीन अरोड़ा, नीलाब्जा चौधरी, डीसीपी (मध्य) दिनेश सिंह, एडीशनल डीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा, एडीशनल डीसीपी (क्राइम) दिनेश पुरी, एसीपी (हजरतगंज) अभय कुमार मिश्रा, आलोक कुमार सिंह के साथ पुलिस की सर्विलांस सेल और साइबर सेल ने अहम भूमिका अदा की.

मरीचिका-भाग 1: मोहनजी को कब आभास हुआ कि उनका एक बेटा होना चाहिए था?

जाड़े की गुनगुनी और मखमली धूप खिड़की से सीधे कमरे में प्रवेश कर रही थी. मोहनजी खिड़की के पास खड़े धूप के साथसाथ गरम चाय की चुसकियां ले रहे थे.

तभी मां खांसती हुई कमरे में घुसीं. मोहनजी के मुसकराते और चिंतामुक्त चेहरे को देख वे बोलीं, ‘‘अरे, अब तो कुछ गंभीर हो जा. तुझे देख कर तो लगता ही नहीं कि आज तू चौथी बेटी का बाप बना है.’’

‘‘इस में गंभीर रहने की क्या बात है, मां? बाप बना हूं चौथी बार. कितनी खुशी की बात है,’’ मोहनजी मां की तरफ मुड़ कर बोले.

‘‘हां, पर बेटी का बाप, और वह भी चौथी बेटी का. इस बार तो पूरी उम्मीद थी कि पोता ही होगा. कौन से देवता के चरणों में माथा नहीं टेका. कौन सी मनौती नहीं मांगी. व्रत, दान, तीरथ, पूजापाठ, सब बेकार गया. न जाने देवीदेवता हम से क्यों नाराज हैं. हमारा खानदान न तो आगे बढ़ पाएगा और न ही मेरे लड़के को…’’ इस से पहले कि मां आगे कुछ और बोलतीं, मोहनजी का चेहरा गुस्से से तमतमा गया.

वे मां पर लगभग चीखते हुए बोले, ‘‘बस, मां, बस. कड़वा बोलने की सारी हदें पार कर दीं आप ने. फिर से वही पुराना राग. पोता, पोता, पोता. तुम्हारी इन्हीं ऊलजलूल अंधविश्वासी बातों की वजह से मैं किसी भी बेटी के पैदा होने पर खुशी नहीं मना पाता. घर का माहौल खराब कर देती हैं आप इन घटिया और ओछी बातों को बारबार सुना कर. ऐसी हरकतें करने लगती हैं आप कि मानो कोई पहाड़ टूट पड़ा हो आप पर. पोता चाहिए था आप को, नहीं हुआ. पोती हुई, बात खत्म.’’  मां पर इन सब बातों का कोई फर्क नहीं पड़ा. वे और भी ऊंचे स्वर में बोलीं, ‘‘अरे, तुझे क्या? बाहर आसपड़ोस की मेरी उम्र की सारी औरतें मुझे चार बातें सुनाती हैं. सभी के एक न एक पोता जरूर है. मेरा इकलौता बेटा बेसहारा ही रहेगा. बुढ़ापे में कोई दो रोटी देने वाला भी नहीं रहेगा.’’

‘‘बस, मां, बहुत हो गया. आज कितनी खुशी का दिन है. कम से कम आज के दिन तो मेरा दिमाग खराब मत करो. और जो औरतें तुम से अनापशनाप बातें करती हैं, उन से कहना अगर उन में हिम्मत है तो आ कर मेरे सामने ये बातें कहें. मैं उन्हें उन की औकात याद दिला दूंगा. बेटियां मेरी हैं, उन्हें क्या परेशानी है? तभी बड़ी बेटी भक्ति खुशी से झूमते हुए वहां आई और चहकते हुए बोली, ‘‘दादी, मैं ने अपनी सारी फ्रैंड्स को बता दिया है कि मेरी छोटी बहन हुई है. मैं फिर से दीदी बन गई हूं.’’

‘‘हांहां, एक और भवानी आ गई है. जाओ, जा कर अपनी छाती से लगा कर भेंट लो.’’

‘‘बच्चे से ठीक से बात किया करो, मां,’’ मोहनजी चाय का कप जमीन पर फेंकते हुए बोले और भक्ति का हाथ पकड़ बड़बड़ाते हुए रागिनी के पास पहुंचे. वह कुछ घंटों पहले पैदा हुई बेटी को ले कर रो रही थी.

‘‘यह क्या, यार, रागिनी? तुम भी ना. इतनी एजुकेटेड हो फिर भी बिलकुल पिछड़ी सोच वाली होती जा रही हो. मां के बारे में तो पता था तुम्हें कि अगर बेटी हुई तो वे ऐसा ही करेंगी. तुम्हें मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए था. चलो, पोंछो ये आंसू,’’ मोहनजी रागिनी का सिर सहलाते हुए बोले.

‘‘मैं जरा सी खुशी देने लायक भी नहीं रही. न मांजी को न आप को. एक बेटा तक न दे पाई आप को. मुझे माफ कर दीजिए.’’

‘‘कैसी बातें कर रही हो, रागिनी? मैं ने आज तक कभी तुम्हें ऐसा एहसास होने दिया कि मुझे बेटा ही चाहिए? मैं उन सब के मुंह पर ताला लगाऊंगा, जो हमें बेटियों के मांबाप होने का ताना कस रहे हैं. एक दिन ये सभी अपने कहे पर पछताएंगे. तुम देखना. मैं अपनी बेटियों को शिक्षा, संस्कार, व्यवहार में खूब काबिल बनाऊंगा. पड़ोसी, रिश्तेदार, जो तुम्हें बेटी होने पर ताने देते हैं, वे कल हमारी बेटियों के नाम की मिसालें देंगे.’’

‘‘सच कह रहे हैं आप?’’ रागिनी आंसू पोंछती हुई बोली.

‘‘हां, रागिनी.’’

‘‘अच्छा, इस का कोई नाम सोचा है आप ने?’’

‘‘हां, वह तो इस के पैदा होने के पहले ही सोच लिया था.’’

‘‘अच्छा, क्या नाम सोचा है आप ने?’’

‘‘रीति. अच्छा नाम है न? चारों बेटियों का नाम एकजैसा-भक्ति, दीप्ति, नीति और रीति. कहो, कैसा लगा?’’

‘‘बहुत अच्छा है,’’ कह कर रागिनी मोहनजी से लिपट गई.

समय तेजी से बीत रहा था. मोहनजी और रागिनी अपनी बच्चियों को लाड़प्यार से पाल रहे थे. चारों बहनों में हमेशा लड़ाई होती रहती कि मम्मीपापा को अपने पास कौन रखेगा. भक्ति कहती, ‘मैं बड़ी हूं, इस नाते मम्मीपापा की जिम्मेदारी मेरी होगी. बुढ़ापे में मैं उन का सहारा बनूंगी. तुम तीनों अपने काम से काम रखना. समझीं?’ इस पर दीप्ति, नीति और रीति तीनों एकसाथ बड़ी बहन पर चिल्ला उठतीं, ‘मम्मीपापा सिर्फ तुम्हारे ही हैं क्या?’ अकसर चारों बहनें इसी बात पर झगड़ा करती रहतीं. मोहनजी इस समस्या का समाधान निकालते हुए कहते, ‘झगड़ा मत किया करो. हम दोनों तुम चारों के ससुराल में 3-3 महीने रहेंगे. न किसी के यहां ज्यादा न किसी के यहां कम. अब ठीक है न?’ तब चारों बोलतीं, ‘हां, अब ठीक है.’

मोहनजी और रागिनी को चारों बेटियों को अपने लिए आपस में लड़ता देख अपार सुख मिलता. मोहनजी ने अपनी मां से पूछा, ‘‘क्यों मां? क्या तुम ने कभी कहीं बेटों को भी यों आपस में लड़ते देखा है? अगर वे लड़ते भी हैं तो सिर्फ अपने लिए, अपने मांबाप के लिए नहीं.’’

मां गहरी सांस लेती हुई बोलीं, ‘‘बेटा, देखा तो नहीं है पर ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अभी पता नहीं. जिंदगी कब कहां किस मोड़ पर ले जाए, पता नहीं. बेटा, तुझे खुश देख कर तसल्ली हो रही है. मैं तो चाहूंगी कि जो इन बेटियों के मुंह से निकल रहा है, वही हो. मैं तो बस यही चाहती हूं कि मरने के बाद भी मैं तुम्हें खुश देख सकूं. पर याद रखना बेटा, घने अंधेरे में अपना साया भी साथ छोड़ देता है.’’

हरी सब्जियों से बनाएं मिक्स्ड वैज दमपुख्त

हरी सब्जियां हमारे जीवन में वरदान की तरह हैं. इसका सेवन करना हमारे शरीर में हर तरह से फायदेमंद है. आइए जानते हैं हरी सब्जी से मिक्स्ड वैज दमपुख्त बनाने की विधि.

सामग्री

– 3 परवल

– 10 फ्रैंचबींस

– 1 गाजर

– 50 ग्राम गोभी के फूल

– 1 आलू

– 3 टमाटर

– 1/4 प्याज लंबाई में कटा

– 2 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

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– 4 लौंग

– 10 कालीमिर्च

– 1 बड़ी इलायची

– 1/2 इंच टुकड़ा दालचीनी

– 2 तेजपत्ते

– 2 साबूत लालमिर्च

– 1 बड़ा चम्मच दरदरा कुटा साबूत धनिया

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 2 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– सजावट के लिए थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– नमक स्वादानुसार.

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विधि

परवलों को खुरच कर प्रत्येक के चार भाग करें. बीच में से बीज निकाल दें.

गाजर और फ्रैंचबींस को भी 1-1 इंच लंबे टुकड़ों में काट लें.

आलू को छील कर लंबाई में काटें.

एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के सभी खड़े मसाले डालें. जब वे भुन जाएं तब प्याज डाल कर पारदर्शी होने तक भूनें.

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अदरक व लहसुन का पेस्ट डाल कर कुछ क्षण भूनें. फिर धनिया डालें.

सभी कटी सब्जियां डालें और टमाटरों को लंबाई में 8 टुकड़े कर के डालें. नमक डालें व धीमी आंच पर सब्जियों के गलने तक पकाएं.

टमाटर का पानी सूख जाए व सब्जियों में मसाला लिपट जाए तो सर्विंग प्लेट में निकाल कर धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

ये उपाय अपनाएं स्वच्छ दूध पाएं

भारत का दूध उत्पादन दुनिया में कुल दूध उत्पादन का 18.43 फीसदी है. दूध में प्रोटीन, वसा व लैक्टोज पाया जाता है जो सेहत के लिए अच्छा होता है. लेकिन इसे खराब होने से बचाए रखना बहुत ही मुश्किल काम है.

ज्यादा दूध उत्पादन के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं को पाला जाता है, पर स्वच्छ दूध उत्पादन के बिना ज्यादा दूध देने वाले पशुओं को रखना भी बेकार है.

स्वच्छ दूध हासिल करने के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं को रखने के साथसाथ उन को बीमारियों से बचाने और टीकाकरण कराने की जरूरत होती है, जिस से सभी पोषक तत्त्वों वाला दूध मिल सके.

अकसर देखा जाता है कि कच्चा दूध जल्दी खराब होता है. खराब दूध अनेक तरह की बीमारियां पैदा कर सकता?है, इसलिए दूध के उत्पादन, भंडारण व परिवहन में खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है.

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कच्चे दूध में हवा, दूध दुहने वाले गंदे उपकरणों, खराब चारा, पानी, मिट्टी व घास से पैदा होने वाले कीटाणुओं से खराबी आ सकती है. इस वजह से कम अच्छी क्वालिटी के दूध बाहरी देशों को नहीं बेच पाते हैं जबकि पश्चिमी देशों में इस की मांग बढ़ रही है.

वैसे, दूध में जीवाणुओं की तादाद 50,000 प्रति इक्रोलिटर या उस से कम होने पर दूध को अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. दूध इन वजहों से खराब हो सकता है:

* थनों में इंफैक्शन का होना.

* पशुओं का बीमार होना.

* पशुओं में दूध के उत्पादन से संबंधित कोई कमी होना.

* हार्मोंस की समस्या.

* पशुओं की साफसफाई न होना.

* दूध दुहने का गलत तरीका.

* दूध दुहने का बरतन और उसे धोने का गलत तरीका होना.

* दूध जमा करने वाले बरतन का गंदा होना.

* चारे व पानी का खराब होना.

* दूध दुहने वाला बीमार हो या साफसफाई न रखता हो.

* थनों का साफ न होना.

स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए ये सावधानियां बरतना जरूरी हैं:

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* पशुओं का बाड़ा या पशुशाला और पशुओं के दुहने की जगह साफ हो. वहां मक्खियां, कीड़े, धूल न हो.

* बीड़ीसिगरेट पीना सख्त मना हो. शेड पक्के फर्श वाले हों. टूटफूट नहीं होनी चाहिए. गोबर व मूत्र निकासी के लिए सही इंतजाम होना चाहिए. पशुओं को दुहने से पहले शेड को साफ और सूखा रखना चाहिए. शेड में साइलेज और गीली फसल नहीं रखनी चाहिए. इस से दूध में बदबू आ सकती है.

* पशु को दुहने से पहले उस के थन और आसपास की गंदगी को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए.

* शेड में शांत माहौल होना चाहिए. सुबह और शाम गायभैंस के दुहने का तय समय होना चाहिए.

* दूध दुहने वाला सेहतमंद व साफसुथरा होना चाहिए. दुहने वाले को अपने हाथ में दस्ताने पहनने की सलाह दी जानी चाहिए. दस्ताने न होने पर हाथों को अच्छी तरह जीवाणुनाशक घोल से साफ करना चाहिए. उस के नाखून व बाल बड़े नहीं होने चाहिए.

* दूध रखने वाले बरतन एल्युमिनियम, जस्ते या लोहे के बने होने चाहिए. दुधारू पशुओं के थनों को दूध दुहने से पहले व बाद में पोटैशियम परमैगनेट या सोडियम हाइपोक्लोराइड की एक चुटकी को कुनकुने पानी में डाल कर धोया जाना चाहिए और अच्छी तरह सुखाया जाना चाहिए.

* दूध दूहने से पहले और बाद में दूध की केन को साफ कर लेना चाहिए. इन बरतनों को साफ करने के लिए मिट्टी या राख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

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* दूध दुहने से पहले थन से दूध की 2-4 बूंदों को बाहर गिरा देना चाहिए क्योंकि इस में बैक्टीरिया की तादाद ज्यादा होती है, जिस से पूरे दूध में इंफैक्शन हो सकता है.

* दूध दुहते समय हाथ की विधि का इस्तेमाल करना चाहिए. अंगूठा मोड़ कर दूध दुहने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. इस से थन को नुकसान हो सकता है और उन में सूजन आ सकती है.

* एक पशु का दूध 5-8 मिनट में दुह लेना चाहिए, क्योंकि दूध का स्राव औक्सीटोसिन नामक हार्मोन के असर पर निर्भर करता है. अगर दूध थन में छोड़ दिया जाता है तो यह इंफैक्शन की वजह बन सकता है.

* दूध दुहने के 2 घंटे के भीतर दूध को घर के रेफ्रिजरेटर, वाटर कूलर या बल्क मिल्क कूलर का इस्तेमाल कर के 5 डिगरी सैल्सियस या इस से नीचे के तापमान में रखना चाहिए.

* दूध के परिवहन के समय कोल्ड चेन में गिरावट को रोकने के लिए त तापमान बनाए रखा जाना चाहिए.

* स्वास्थ्य केंद्रों पर पशुओं की नियमित जांच करा कर उन्हें बीमारी से मुक्त रखना चाहिए, वरना पशु के इस दूध से इनसान भी इंफैक्शन का शिकार हो सकता है.

* पानी को साफ करने के लिए हाइपोक्लोराइड 50 पीपीएम की दर से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. फर्श और दीवारों की सतह पर जमे दूध व गंदगी को साफ करते रहना चाहिए.

* दूध दुहते समय पशुओं को न तो डराएं और न ही उसे गुस्सा दिलाएं.

* दूध दुहते समय ग्वालों को दूध या पानी न लगाने दें. सूखे हाथों से दूध दुहना चाहिए.

* एक ही आदमी दूध निकाले. उसे बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

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* दूध की मात्रा बढ़ाने या ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इस में गैरकानूनी रूप से बैन की गई चीजों को मिलाना व इस की क्वालिटी के साथ छेड़छाड़ करना ही मिलावट कहलाता है. यह मिलावटी दूध सब के लिए नुकसानदायक होता है. पानी, नमक, चीनी, गेहूं, स्टार्च, वाशिंग सोड़ा, यूरिया, हाइड्रोजन पेराक्साइड वगैरह का इस्तेमाल दूध की मात्रा बढ़ाने व उसे खराब होने से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो गलत है.

दूध की मिलावट का कुछ सामान्य तरीकों से पता किया जा सकता है. जैसे दूध का खोया बना कर, दूध में हाथ डाल कर, जमीन पर गिरा कर, छान कर व चख कर. इस के अलावा वैज्ञानिक तरीके से भी दूध की मिलावट की जांच की जा सकती है.

संजय कुमार भारती, अनीता वी. पाठक

मरीचिका-भाग 3: मोहनजी को कब आभास हुआ कि उनका एक बेटा होना चाहिए था?

‘‘कोई बात नहीं, बेटा. तुम लोग आराम से जाओ. एंजौय करो. मैं तुम्हारे घर में रह लूंगा और तुम्हारे घर की देखभाल भी कर लूंगा.’’

‘‘नहीं पापा, ऐसा कैसे हो सकता है? इतना बड़ा घर है. एक से एक कीमती सामान है घर में. आप को पता भी है, इस घर के एकएक डैकोरेटिव आइटम 50-50 हजार रुपए के हैं. और ये जो पेंटिंग देख रहे हैं आप, लाखों की है. सौरभ इन्हें अपने हाथों से साफ करते हैं. किसी और मैंबर को छूने भी नहीं देते. वैसे भी यहां चोरीचकारी अकसर होती हैं. और आप ठहरे बूढ़े इंसान. क्या कर पाएंगे? आप को तो मारेंगे ही, घर के सारे सामान चोरी हुए तो करोड़ों गए. घर बंद कर के जाने में ही भलाई है. यहां के चोर लूटपाट तो करते ही हैं, जान भी ले लेते हैं. और वैसे भी हम लोग 3 महीने बाद लौट ही रहे हैं. तब तक आप अपनी व्यवस्था कहीं और कर लीजिए. चाहें तो रीति के यहां रह लीजिए. मैं वापस लौटते ही आप को अपने पास बुला लूंगी.’’

मोहनजी का सिर घूम गया. यह वही नीति है, जो सब से ज्यादा मम्मीपापा के लिए लड़ती थी. ससुराल में सब से बड़ा वाला कमरा मैं मम्मीपापा को दूंगी. सासससुर को घर से निकाल दूंगी पर पापामम्मी को कहीं नहीं जाने दूंगी. और आज पापा से कहीं ज्यादा कीमती घर और घर के निर्जीव सामान हैं. इसी नीति की शादी में घर गिरवी रख दिया था. किसी कीमत पर इंजीनियर लड़के को अपना दामाद बनाना चाहते थे, चाहे कितना भी दहेज देना पड़े. थके और लड़खड़ाते कदमों से वे बाहर आ गए. बड़ी उम्मीद और आशा के साथ वे रीति के घर पहुंचे. कम से कम उन्हें यहां तो एक कोने में जगह मिल जाएगी. उन की सब से छोटी बेटी, सब से लाड़ली बेटी, उन्हें निराश तो नहीं करेगी.

‘‘पापा, आप को जब तक यहां रहना है, रह सकते हैं. पर आप के रहते विवेक यहां नहीं रह सकते हैं.’’

मोहनजी यह सुन कर अवाक् रह गए. उन का दिल तेजी से धड़कने लगा, ‘‘क्यों, बेटी?’’

‘‘पापा, आप ने उन का जो अपमान किया था, वे अब तक नहीं भूले हैं.’’

मोहनजी को याद आया. रीति ने प्रेमविवाह किया है, जिसे मोहनजी ने कभी स्वीकार नहीं किया था. विवेक को दामाद जैसा प्यार और सम्मान देने की बात तो दूर, कभी सीधे मुंह बात तक नहीं की थी मोहनजी ने. पत्नी रागिनी ने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के कहने पर दोनों की शादी तो करवा दी थी पर किसी रस्म में शामिल होने से इनकार कर दिया था. मोहनजी लंबी गहरी सांस लेते हुए बोले, ‘‘नहीं, बेटा, मैं चलता हूं. मैं तुम दोनों के बीच कोई तनाव नहीं पैदा करना चाहता. पर जातेजाते एक बात जरूर पूछना चाहूंगा बेटा कि बचपन में तो तुम चारों मेरे और अपनी मां के लिए बहुत लड़ते थे कि हमें सहारा दोगे, बुढ़ापे की लाठी बनोगे, और आज तुम में से किसी में भी हिम्मत नहीं है कि अपने बाप को अपने घर में थोड़ी सी जगह दे सको?’’

रीति के मन में शायद बहुत दिनों से कोई गुबार भरा था. बिना एक पल की देर किए तपाक से थोड़े ऊंचे स्वर में बोली, ‘‘कहते तो आप भी थे हमेशा कि मैं अपनी बेटियों को कार में विदा करूंगा. बड़े घरों में जाएंगी मेरी बेटियां. रानियों की तरह ठाट से रहेंगी. क्या हुआ आप का वादा? हम ने जो कहा था वह तो बचपना था. हंसी, खेल, लड़ाई में कह गए. पर आप तो समझदार थे. जो कहते थे, वह कर पाने की हिम्मत थी आप में? सब से ज्यादा दहेज तो आप ने नीति दीदी को दिया. वह तो अच्छा हुआ कि मैं ने लवमैरिज की, वरना दीदी की तरह सासजेठानी की गालियां और ताने सुनते दिन बीतता, या फिर दीप्ति दीदी की तरह अच्छा खाने और पहनने को तरस जाती.’’

मोहनजी को मानो सांप सूंघ गया. काटो तो खून नहीं. उन्हें ऐसा प्रतीत होने लगा मानो पूरी दुनिया का अंधकार सिमट कर उन की आंखों के सामने आ गया हो. अच्छा हुआ रागिनी यह सब देखने से पहले ही मर गई. उन का मन किया कि फूटफूट कर रोएं, जोरजोर से चिल्लाएं. मगर यह सब करने का क्या फायदा? न तो कोई उन के आंसू पोंछने वाला है और न ही कोई उन्हें सुनने वाला.

आज उन का विश्वास झूठा साबित हुआ. बेटियों के बाप का गर्व चकनाचूर हो गया. रागिनी का रोना, मां के ताने, पड़ोसियोंरिश्तेदारों के व्यंग्य सब सच हो गए. मां ने ठीक कहा था, ‘जिंदगी कब कहां किस मोड़ पर ले जाए, पता नहीं. घने अंधेरे में अपना साया भी साथ छोड़ देता है.’ इतने वर्षों में आज पहली बार मोहनजी को बेटा न होने की कसक हुई. उन का कलेजा जैसे छलनी हो गया. आज मोहनजी झूठे साबित हो गए. आज उन्हें आभास हुआ कि वे जीवन की किस मरीचिका में जी रहे थे. उन की चारों बेटियां 4 गहरी खाइयां नजर आने लगीं. हर तरफ गहन अंधकार. जीवन का सब से दुखद अध्याय उन के सामने था. अब इस से बुरा क्या हो सकता है. उन के सामने की सारी दुनिया जैसे घूमने लगी. वे गश खा कर नीचे गिर पड़े. होश आने पर देखा, लोग उन पर पानी के छींटे मार रहे हैं. उन के चारों तरफ बड़ी भीड़ जमा है. उस में से एक ने पूछा, ‘‘अंकलजी, क्या हुआ आप को?’’

‘‘कुछ नहीं, बेटा. ऐसे ही चक्कर आ गया था.’’

‘‘कौन हैं आप? कहां जाना है आप को?’’

मोहनजी ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘मुझे किसी वृद्धाश्रम पहुंचा दे, बेटा.’’

मरीचिका-भाग 2: मोहनजी को कब आभास हुआ कि उनका एक बेटा होना चाहिए था?

कुछ समय बाद ही मां अपने दिल में पोता खिलाने का अरमान लिए इस दुनिया से चल बसीं. चौथी बेटी रीति को ससुराल विदा करने के बाद रागिनी भी कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लंबे समय तक जूझने के बाद मोहनजी को हमेशा के लिए अलविदा कह गई. चारों बेटियों की शादी में घरगृहस्थी के सामान, गहने सबकुछ चले गए. बचपन में किए गए अपने वादे के मुताबिक, भक्ति ने अपने पापा को अपने पास बुला लिया. पर अपनी सास और जेठानी के रोजरोज के तानों के कारण उस ने पिता के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए.

एक सुबह सास का कर्कश स्वर मोहनजी के कानों में पड़ा, ‘‘कैसेकैसे बेहया लोग पड़े हैं इस दुनिया में. एक बार कहीं पांव जमा लेंगे तो आगे बढ़ने का नाम नहीं लेंगे. अरे, मेहमान को मेहमान की तरह रहना चाहिए. आए, 2-4 दिन रहे, खायापिया और चले गए तो ठीक लगता है.’’

सास की राह पर भक्ति की जेठानी ने भी उन के सुर में सुर मिला कर कहा, ‘‘पता नहीं मांजी, कैसे लोग बेटियों के ससुराल में रह कर सुबहशाम का निवाला ठूंसते हैं? मेरे भी पापा आते हैं. चायनाश्ता ही कितने संकोच से करते हैं. वे तो कहते हैं कि मेरे लिए बेटी की ससुराल का पानी पीना भी पाप है. अगर कुछ खापी लेते हैं तो उस का दस गुना दे कर जाते हैं. कपड़े हों, पैसे या गहने, छक कर देते हैं. मेरे पापा को कभी मेरे यहां इस तरह रहने की नौबत आएगी तो उस से पहले वे चुल्लूभर पानी में डूब मरेंगे.’’

मोहनजी अपमान और उपेक्षा से तड़प उठे. सामने भक्ति आंखों में आंसू भरे खड़ी थी. उस के हाथ में पापा का बैग था. वह बैग मोहनजी को पकड़ाते हुए बोली, ‘‘पापा, अब मुझ से आप की यह बेइज्जती नहीं देखी जाती. हर दिन, हर रात मैं घुट और तड़प रही हूं. ये लोग मुझे गालियां और ताने दें, मैं बरदाश्त कर लूंगी पर आप का अपमान नहीं सहा जाएगा. मैं ने दीप्ति को फोन कर दिया है. आप उस के यहां चले जाइए.’’

मोहनजी ने अपने हाथ में बैग ले कर भक्ति के सिर पर हाथ फेरते हुए, ‘सदा खुश रहो’ कहा और तेजी से बाहर निकल गए.

दीप्ति के घर पहुंचने पर उन्हें लगा कि मानो यहां भूचाल आ गया हो. दीप्ति के ससुर चिडि़यों को चावल के दाने डाल रहे थे. उस की सास रसोई से ही चिल्लाती हुई बोलीं, ‘‘चावल कितना महंगा है, पता भी है आप को? कहीं से कोई ऐक्स्ट्रा कमाई नहीं है. महंगाई दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. एकएक पैसा छाती से लगा कर रखना पड़ता है. इतनी भी हैसियत नहीं कि कामवाली लगवा सकूं. सारा काम खुद ही करना पड़ता है. बहू भी आई है ऐसी कि एकदम निकम्मी, कामचोर. बस, दिनभर बकरियों की तरह खाती है और अजगर की तरह सोती है,’’ फिर कुछ बड़बड़ाती हुई दीप्ति की सास रसोई से बाहर आईं. घर के दरवाजे के सामने मोहनजी को देख ठिठक गईं, ‘‘अरे, भाईसाहब, आप? आइए न अंदर. वहां क्यों खड़े हैं? देखिए न आप के समधी को केवल शाहखर्ची ही सूझती है. मैं एकएक पैसा बचाने के लिए रातदिन एक किए रहती हूं, और ये हैं, केवल लुटाते रहते हैं. हमारी हालत तो ऐसी है भाईसाहब कि अगर इस समय कहीं से कोई मेहमान आ कर टिक गया तो हमें खाने के लाले पड़ जाएंगे.’’

मोहनजी अवाक्. उन्हें लगा मानो किसी ने उन के गाल पर करारा तमाचा मारा हो. चायपानी पूछने के बजाय दीप्ति की सास ने सीधेसीधे मोहनजी से पूछा, ‘‘वैसे कितने दिनों तक रहेंगे आप यहां? व्यवस्था करनी पड़ेगी न?’’

मोहनजी घबरा उठे, कांपते स्वर में बोले, ‘‘नहींनहीं, समधनजी, मैं यहां रुकने थोड़े ही आया हूं. भक्ति के यहां से आ रहा था, सोचा, दीप्ति के भी हालचाल लेता चलूं.’’

‘‘अच्छाअच्छा,’’ कह कर उन्होंने सुकूनभरी सांस ली. अब उन की बातों में नरमी आ गई. उन्होंने दीप्ति से कहा, ‘‘देखो बेटा, तुम्हारे पापा आधे एक घंटे के लिए आए हैं. चायपानी, नाश्ता अच्छे से करा देना. चाहें तो खाना भी पैक कर देना. अच्छा भाईसाहब, मैं चलती हूं, बहुत काम पड़ा है. आप थोड़ी ही देर के लिए आए हैं. बेटी से मिल लीजिए. मैं क्यों फालतू की बातों में आप का समय बरबाद करूं,’’ हंसती हुई वे वहां से निकल गईं.

‘कितनी जहरीली हंसी है इस औरत की. दीप्ति की सास भी भक्ति की सास की तरह तेजतर्रार है. बड़ी बदतमीज औरत है. हमेशा काट खाने को तैयार. न जाने कैसे रहती है मेरी बेटी इस के साथ? बेचारी पूरे दिन चकरघिन्नी की तरह नाचती है. पूरे घर का काम करती है. कैसी स्वस्थ, हट्टीकट्टी बेटी विदा की थी मैं ने, आज केवल हड्डियों का ढांचा रह गई है.’

मोहनजी मन ही मन सोच रहे थे. दीप्ति पानी लिए पिता के पास आई. उस की आंखें सूखी थीं. मोहनजी की आंखें भर आईं. वे बोले, ‘‘कुछ नहीं लूंगा, बेटा. बस, तुम्हें देखने आया था, देख लिया. अब चलता हूं.’’

उन के निकलते ही दरवाजा तेजी से बंद करने की आवाज आई. शायद उस की सास ने बंद किया होगा. ‘बदतमीज औरत’ कह कर मोहनजी बोझिल कदमों  से आगे बढ़ गए. रात एक धर्मशाला में जैसेतैसे बिताने के बाद वे अगले दिन सुबहसुबह ही बिना किसी पूर्व सूचना के तीसरी बेटी नीति के यहां पहुंच गए. बड़ी चहलपहल थी वहां. लोग कहीं निकलने की तैयारी कर रहे थे. पापा को यों अचानक देख नीति हैरान रह गई. उस ने दौड़ कर पापा का हाथ पकड़ा और लगभग खींचती हुई अपने कमरे में ले गई.

‘‘पापा, आप यहां? इस तरह कैसे आना हुआ?’’

‘‘बस बेटा, ऐसे ही आने का प्रोग्राम बन गया. सोचा, चल के कुछ दिन तुम्हारे यहां रह लूं. तुम लोग कहीं जा रहे हो क्या?’’

‘‘हां पापा, हम लोग आज ही अमेरिका जाने के लिए निकल रहे हैं. 3 घंटे बाद की फ्लाइट है. मेरी ननद की शादी है. लड़का एनआरआई है. लड़के की जिद है कि शादी अमेरिका में ही हो. बस, वहीं के लिए निकल रहे हैं. आप को फोन कर के आना चाहिए था, पापा. मैं कहीं आप के ठहरने की व्यवस्था करा देती. अब आप कहां रहेंगे? हम लोग तो जा रहे हैं.’’

‘रागिनी MMS’ फेम दिव्या अग्रवाल की फैन ने किया कुछ ऐसा कि एक्ट्रेस ने खुद लगाई लताड़

टीवी जगत की मशहूर एक्ट्रेस में दिव्या अग्रवाल का नाम भी शामिल है. दिव्या अग्रवाल उन आदाकाराओं में से एक है जो सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के साथ लगातार बनी रहती हैं. शायद यही वजह से जिससे दिव्या अग्रवाल के फैंस भी इन पर अपनी पैनी नजर रखते हैं.

कुछ दिनों पहले एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी कि दिव्या अग्रवाल की एक फीमेल फैन की मौत हो गई. दिव्या की यह फैन उनके नाम से पेज चलाती है. फीमेल फैन ने पोस्ट करते हुए लिखा है कि यह मेरी आखिरी पोस्ट है मैं आपको अपने अगले जन्म में भी इतना ही प्यार करुंगी.

 

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Somewhere in the palace… #jodhpur ? @cpdaiya50

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मैं इस जन्म आपको नहीं मिल पाई लेकिन अगली जन्म जरूर मिल पाउंगी. फैन की इश पोस्ट से दिव्या अग्रवाल खुद को कमेंट करने से रोक नहीं पाई. उन्होंने लिखा मुझे पता नहीं है कि मैं क्या लिखूं तुम मेरे परिवार का हिस्सा हो काश मैं तुमसे मिल पाती. मैं तुम्हें हमेशा प्यार करुंगी.

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हालांकि जब इस खबर पर छानबीन हुई तब पता चला कि दिव्या अग्रवाल की फैन की मौत की खबर झूठी है. यह खबर इसलिए फैलाई गई है ताकी अदाकारा का ध्यान अपनी तरफ खींच सके.

 

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Nothing in life is good or bad..they are just stories and lessons to experience.. be grateful for your past.. it has made you today ❤️

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वहीं सच्चाई पता लगने के बाद फैन ने दिव्या अग्रवाल से माफी भी मांगी और अगली बार ऐसा नहीं करने का वादा भी किया.

बता दें कि दिव्या अग्रवाल बिग बॉस में साल 2018 में दिख चुकी हैं. दिव्या अग्रवाल के उन्हें बेहद प्यार करते हैं वहीं दिव्या अग्रवाल भी अपने फैंस से बहुत ज्यादा करीब है. उन्हें अपने फैंस के साथ सोशल मीडिया पर समय बिताना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है.

 

सुशांत केस: कंगना ने बॉलीवुड के ड्रग्स माफियाओं के बारे में किया खुलासा

सुशांत सिंह राजपूत  केस जबसे सीबीआई के हाथ लगा है तबसे न जानें कितने चौकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं. इन सभी खुलासे को देखते हुए पता चल रहा है कि जल्द ही गुनहगार को सजा मिलेगी.

कुछ दिनों पहले पता चला है कि सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड का ड्रग्स कनेक्शन भी है. इसका खुलासा रिया चक्रवर्ती के व्हॉट्स अप चैट से हुआ है.

रिया चक्रवर्ती ने कुछ समय पहले ही इस मैसेज को डिलीट किया था. सुशांत सिंह केस में ड्रग्स का मामला आते ही नारकोटिक्स एंट्री कर चुका है. अब एनसीबी इस मामले की जांच करेगी.

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इसी बीच बॉलीवुड की अदाकारा कंगना रनौत ने ड्रग्स माफियाओं की पोल खोलकर रख दी है. अपने लेटेस्ट ट्वीट में कंगना रनौत ने चौकाने वाले खुलासे किए हैं.

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कंगना ने कहा है कि मेरी उम्र उस समय बहुत कम थी, जब मेरे मेटॉर ने धीरे-धीरे मुझे ड्रग्स देने शुरू किए थें. वे नहीं चाहते थे कि मैं पुलिस के सामने उनकी पोल खोलूं. जब मैं बॉलीवुड में सफल हो गई और फेमस पार्टीज में जाना शुरू किया तब पता चला इनकी सच्चाई के बारे में.

जब तक मुझे पता चला सच्चाई का तब तक मैं बहुत बड़ी ड्रग्स की चुंगल में फेस चुकी थी. आगे कंगना ने लिखा कि बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला ड्रग्स कोकिन है. ये ड्रग्स आपको हर हाउस पार्टी में आसानी से मिल जाते हैं.

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ये बड़े लोग कोकिन तुम्हें फ्रि में भी दे सकते हैं. तुम्हें पता भी नहीं चलेगा और तुम्हारे ड्रिंक में इसका पाउडर मिला दिया जाएगा.

कंगना ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा कि मैं चाहती हूं कि एऩसीबी और सरकार हमारी मदद करें क्योंकि मेरी जान कभी भी जा सकती है. मेरे जान को खतरा है.

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कंगना यहीं नहीं रुकी उन्होंने कहा मुझे उम्मीद है मोदी जी स्वच्छ भारत अभियान की तरह बॉलीवुड के कचरे को भी साफ कर देंगे.

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