भारत का दूध उत्पादन दुनिया में कुल दूध उत्पादन का 18.43 फीसदी है. दूध में प्रोटीन, वसा व लैक्टोज पाया जाता है जो सेहत के लिए अच्छा होता है. लेकिन इसे खराब होने से बचाए रखना बहुत ही मुश्किल काम है.

ज्यादा दूध उत्पादन के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं को पाला जाता है, पर स्वच्छ दूध उत्पादन के बिना ज्यादा दूध देने वाले पशुओं को रखना भी बेकार है.

स्वच्छ दूध हासिल करने के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं को रखने के साथसाथ उन को बीमारियों से बचाने और टीकाकरण कराने की जरूरत होती है, जिस से सभी पोषक तत्त्वों वाला दूध मिल सके.

अकसर देखा जाता है कि कच्चा दूध जल्दी खराब होता है. खराब दूध अनेक तरह की बीमारियां पैदा कर सकता?है, इसलिए दूध के उत्पादन, भंडारण व परिवहन में खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है.

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कच्चे दूध में हवा, दूध दुहने वाले गंदे उपकरणों, खराब चारा, पानी, मिट्टी व घास से पैदा होने वाले कीटाणुओं से खराबी आ सकती है. इस वजह से कम अच्छी क्वालिटी के दूध बाहरी देशों को नहीं बेच पाते हैं जबकि पश्चिमी देशों में इस की मांग बढ़ रही है.

वैसे, दूध में जीवाणुओं की तादाद 50,000 प्रति इक्रोलिटर या उस से कम होने पर दूध को अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. दूध इन वजहों से खराब हो सकता है:

* थनों में इंफैक्शन का होना.

* पशुओं का बीमार होना.

* पशुओं में दूध के उत्पादन से संबंधित कोई कमी होना.

* हार्मोंस की समस्या.

* पशुओं की साफसफाई न होना.

* दूध दुहने का गलत तरीका.

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