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MeToo पर मुकेश खन्ना के विवादित बयान पर भड़की दिव्यांका त्रिपाठी, सुनाई खरीखोटी

इन दिनों टीवी जगत के शक्तिमान यानि मुकेश खन्ना अपने बयानों को लेकर खासा चर्चा में बने हुए हैं. यह कभी ‘कपिल शर्मा शो’ को लेकर तो कभी फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ को लेकर बयान देते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से यह क्या कह रहे हैं शायद इन्हें भी इस बात का अंदाजा नहीं है.

दरअसल, कुछ वक्त पहले ही इन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि Mee Too जैसी समस्याओं महिलाओं की वजह से होता है क्योंकि वह मर्द के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलना चाहती हैं. जिसके बाद लोग सोशल मीडिया पर जमकर इन्हें ट्रोल करते नजर आएं.

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अब टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी ने भी मुकेश खन्ना को जमकर लताड़ा है. उन्होंने ट्विटर अकाउंट पर मुकेश खन्ना के बयान की निंदा की है. दिव्यांका ने लिखा है कि यह पुराना रिग्रेसिव कैसे हुआ? सम्मानित पदों पर बैठे व्यक्तियों का ऐसे बयान देना शर्मनाक है. महिलाओं से घृणा करना बीते कल की पुरानी यादों का हिस्सा हो सकता है. आगे उन्होंने कहा कि मुकेश खन्ना के बयान का पुराने सम्मान के साथ निंदा करती हूं.

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मुकेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में ऐसी बाते कही है जिसके बारे में सोचना भी गलत है उन्होंने कहा है कि मर्द कि रचना अलग होती है और औरतों की रचना अलग होती है दोनों के काम भी अलग- अलग होते हैं. औरतों का काम है घर संभालना माफ करना मैं कभी- कभी भूल भी जाता हूं कि आखिर औरतें जबसे घर से बाहर निकलना शुरू की तबसे Mee Too जैसी समस्याओं की शुरुआत हुई.

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इस बयान के बाद लोगों ने उन्हें जमकर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया है. जिसके बाद वह मुकेश खन्ना अपनी सफाई में बहुत कुछ कह रहे हैं लेकिन लोग लगातार उन्हें ट्रोल किए जा रहे हैं.

ये रिश्ता क्या कहलाता है: कायरव की वजह से अक्षरा की जान को होगा खतरा, नायरा गुस्से में लेगी फैसला

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में नया ट्विस्ट आने वाला है. इस सीरियल में कार्तिक और नायरा का बेटा कायरव कृष्णा को फंसाने के लिए प्लानिंग करते नजर आएगा. जिसके बाद कुछ ऐसा होगा जिससे सभी के होश उड़ जाएंगे.

लेकिन आगे कुछ ऐसा होगा कि कायरव का प्लान उसी पर भारी पड़ जाएगा. दरअसल, कायरव बाद में अपनी प्लानिंग चेंज कर देगा. कायरव ने कृष और वंश की मदद से अक्षरा को गोदाम में छीपा दिया होता है. जब बाद में कायरव अक्षरा के पास जाएगा तो वह उसे मिल जाएगी लेकिन वह आंखे नहीं खोलेगी जिससे नन्हा कैरव परेशान हो जाएगा.

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वहीं दूसरी तरफ अक्षरा और कार्तिक के हालत खराब हो जाएंगे. वह परेशान हो जाएंगे. किसी चतरह वह घर पहुंचेगे लेकिन उनके सवाल का जवाब नहीं होगा.

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इन सभी चीजों को देखने के बाद नायरा कायरव को बोर्डिंग स्कूल भेजने की तैयारी करेगी. नयरा के इस फैसले से घर वालों को झटका लगेगा. कायरव के इस फैसले को सुनने के बाद पैर तले जमीन खिसक जाएगी.कायरव समझ नहीं पाएगा कि अपनी मां को कैसे समझाएं.

जैसे- तैसे कायरव के मन से कृष्णा के लिए जो जहर था वह गायब हुआ था लेकिन अब जाकर फिर से एक बार पनपने लगेगा. इससे वह समझ नहीं पाएगा कि आखिर सच में घर के लोग मुझे प्यार करते हैं या नहीं. ऐसे में कायरव खुद ही अपनी मां और पापा से एक बार फिर नफरत करना शुरू कर देगा.

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जिससे घर वाले परेशान हो जाएंगे अब आखिरी में देखना यह है कि कायरव के साथ आखिर क्या वर्ताव करेंगे घर वाले क्या वह वाकई में पढ़ने के लिए बाहर जाएगा.

शादी के बाद मोटापा: लापरवारी या खुद की अनदेखी

“मेरी हाईट पांच फुट एक इंच है. वजन ६८ किलोग्राम है और नेक्स्ट मंथ मेरी शादी होने वाली है. मैं ऐसा क्या करूं कि शादी तक मेरा वजन कम हो जाए और मैं अपने फेवरेट डिजाईनर लहंगे में फिट आ जाऊं और मेरी मैरिज की पिक्चर्स भी परफेक्ट आयें”

फिटनेस सबंधी समस्याओं में शादी से पहले वजन घटाने को लेकर आने वाली समस्याओं में यह एक आम समस्या है. आप यकीन मानिये इन सभी समस्याओं वाली युवतियां विवाह से पहले फिटनेस एक्सपर्ट की बात मानकर, डाइट फौलो कर के, जिम जाकर, अपना वजन बिलकुल परफेक्ट कर लेती हैं और अपने लाइफ पार्टनर को इम्प्रेस भी कर लेती हैं.

लेकिन समस्या यहीं खत्म हो जाती तो ठीक होता लेकिन असली समस्या शुरू होती है शादी के १-२ साल बाद जब विवाह के बाद स्लिम ट्रिम वेल मेंटेंड फिगर की चाहत की धज्जियाँ उड़ती दिखाई देने लगती हैं, बड़ी रिसर्च करके बनवाई गयी डिजाईनर ड्रेस में वे समा नहीं पातीं. खूबसूरत फिगर में जगह जगह से टायर निकलने शुरू हो जाते हैं.

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यह बात तो शोध में भी साबित हो गयी है कि विवाह और तलाक दोनों ही मोटापा बढ़ाते हैं. समाचार पत्र ‘डेली एक्सप्रेस’ के मुताबिक महिलाओं में जहां विवाह के बाद वजन बढ़ता है, वहीं पुरुषों में वैवाहिक सम्बंध टूटने के बाद ऐसा होने की सम्भावना रहती है.

तीस पार की उम्र वाले लोगों में विवाह या तलाक के बाद वजन बढ़ने की सम्भावना ज्यादा होती है।. विवाहित महिलायें घर की जिम्मेदारियों में व्यस्तता के चलते व्यायाम के लिए समय नहीं निकाल पाती हैं और अविवाहित महिलाओं की तुलना में शारीरिक रूप से कम चुस्त होती हैं.

कोई इन युवतियों से पूछे क्यों भई आपके वेल मेंटेंड फिगर पाने, पति को इम्प्रेस करने के सपने का क्या हुआ? क्या बस शादी तक ही स्लिम ट्रिम बनने का सपना था. क्या शादी या बच्चा होने के बाद आपको मोटे होने का राईट मिल गया?

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इस सवाल के जवाब में वे कहती हैं क्या करें बच्चों और घर के कामों से फुर्सत ही नहीं मिलती. और वैसे भी अब शादी के बाद कौन हम पर ध्यान देने वाला  है. अब आईं न आप सही मुद्दे पर लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपके उन्होंने आप पर ध्यान देना इसलिए बंद कर दिया है क्योंकि अब आपने अपने ऊपर ध्यान देना बंद कर दिया है.

इसलिए पति आपकी अनदेखी न करें और साथ ही आप भी अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ न करें इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत और फिगर दोनों को फिट रखें. माना कि विवाह के बाद जिन्दगी बदल जाती है लेकिन विवाह के बाद आपका वजन बदल जाए, आपकी फिगर बदल जाए तो यह आपकी सेहत व वैवाहिक  संबंधों दोनों के लिए किसी भी तरह से सही नहीं होगा.

गर्भावस्था को न दें दोष

कुछ महिलाएं शादी के बाद अपनी बिगड़ती फिगर का दोष प्रेगनेंसी को देती हैं, सबको कहती हैं प्रेगनेंसी ने उनकी कमर को कमरा बना दिया है और वे मान लेती हैं कि अब उन्हें बेडौल होने से कोई नहीं रोक सकता. माना कि प्रेगनेंसी के दौरान और डिलीवरी के बाद वजन बढ़ जाता है लेकिन अगर आप चाहें तो प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद भी खुद को फिट रख सकती हैं.

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प्रेग्नेंसी के बाद खुद को फिट रखने के लिए अपने खानपान पर पूरा ध्यान दें तला-भुना खाना, शक्कर और मैदा से बनी चीजें खाने से परहेज करें. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के बाद परफेक्ट शेप और फिटनेस प्राप्त करने के लिए एक्सरसाइज और ब्रिस्क वाक को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें. माधुरी दीक्षित, काजोल, रवीना टंडन, करिश्मा कपूर, शिल्पा शेट्टी और ऐश्वर्या राय बेहतरीन उदाहरण हैं किसी भी महिला को प्रेरित करने के लिए. ये सभी एक्ट्रेस मां बन चुकी हैं पर फिटनेस के मामले में ये किसी को भी टक्कर दे सकती हैं.

मोटापा सेहत के लिए खतरा

यूनिवर्सिटी औफ मौंट्रियल के शोधकर्ताओं के अनुसार मोटापे से ग्रस्त लोगों को वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है, क्योंकि ऐसे लोगों को सांस लेने के लिए ज्यादा हवा की जरूरत होती है. जिन लोगों का बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स 18.5 से 25 तक हो उन्हें रोजाना 16.4 क्यूबिक मीटर हवा की जरूरत पड़ती है जबकि 35 से 40 बीएमआई वालों को 24.6 क्यूबिक मीटर हवा की.

ऐसे में ज्यादा बीएमआई वालों को वायु प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा मोटापे से डायबिटीज, जोड़ों में दर्द, बांझपन, हार्ट फेल्योर, अस्थमा, कोलैस्ट्रौल, ज्यादा पसीना आना, हाइपरटैंशन जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.

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मुसीबतें और भी हैं

आप अपनी बिगड़ती फिगर के चलते अपनी मनपसन्द ड्रेस नहीं पहन पाएंगी. अगर पति फिट होंगे तो अपनी फिटनेस की वजह से स्मार्ट, यंग और फिट दिखेंगे और आप अपने बढे वजन के कारण उनके आगे बड़ी लगेंगी जो आपको कॉम्प्लेक्स का शिकार बनाएगा. पिक्चर्स क्लिक करवाते समय आपको खुद को किसी के पीछे छुपाना पड़ेगा. फोटोग्राफर को बारबार कहना पड़ेगा ‘फोटो ऐसे लेना कि मैं पतली दिखूं.’

मेरा मायका और ससुराल पासपास ही हैं, जब कभी ससुराल जाती हूं तो सास चाहती हैं कि मैं सारा समय उन्हीं के साथ बिताऊं, क्या करूं?

सवाल
मैं 30 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 6 साल हो चुके हैं. मेरा मायका और ससुराल कानपुर में पासपास ही हैं. मैं पति और साल भर के बेटे के साथ दिल्ली में रहती हूं. जब कभी 10-15 दिनों के लिए ससुराल जाती हूं तो सास चाहती हैं कि मैं सारा समय उन्हीं के साथ बिताऊं. मेरे मायके में 2-4 दिन रुकने पर भी उन्हें एतराज होता है. कहती हैं कि मायका जब लोकल हो तो वहां जा कर रहने का क्या मतलब है. बस जाओ और मिल कर आ जाओ. पर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाती. मां और भाईभतीजों के साथ 2-4 दिन रहे बिना दिल नहीं मानता. मेरे पति न तो मां को और न ही मुझे कुछ कहते हैं.

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अगले महीने मेरी भतीजी की शादी है. जब से शादी का निमंत्रण आया है मैं बहुत उत्साहित हूं कि सब नातेरिश्तेदारों से मिलनाजुलना होगा. पर साथ ही यह डर भी है कि मेरे वहां जा कर रहने पर सास फिर से बवाल करेंगी. सारा मजा ही किरकिरा हो जाएगा.

भैयाभाभी पहले से मनुहार कर रहे हैं कि मुझे पहले पहुंचना होगा. शादी की शौपिंग वगैरह मेरे साथ की करेंगे. वे इतने प्यार से बुला रहे हैं, तो न तो उन्हें मना करते बन रहा है और अधिक दिन के लिए जाऊंगी तो हमेशा की तरह सास बवाल करेंगी. कुछ समझ में नहीं आ रहा. बताएं क्या करूं?

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जवाब
भले ही आप का मायका और ससुराल एक ही शहर में हैं पर आप स्वयं तो दिल्ली में रहती हैं, इसलिए मायके वालों से भी कुछ अरसे बाद ही मिलना होता होगा. ऐसे में यदि आप 2-4 दिन मायके में जा कर रहती हैं तो इस में आप की सास को एतराज नहीं होना चाहिए. आप पूरा समय ससुराल में बिताएं और मायके जाने पर उसी दिन मिल कर सास का लौटने की बात करना बेमानी है.

आप की सास की यह जिद एक तरह से तालिबानी फरमान है. आप के पति आप दोनों (सासबहू) के बीच नहीं पड़ते, तटस्थ रहते हैं, यह कुछ हद तक अच्छा है. आप अपनी सास को प्यार से समझा सकती हैं कि भले ही आप का मायका लोकल है पर अब तो आप वहां न रह कर दिल्ली में रहती हैं और कभीकभार ही वहां जाना हो पाता है. ऐसे में आप का अपने घरपरिवार वालों के साथ भी कुछ समय बिताने का मन करता है.

जहां तक आप के भैयाभाभी की अपनी बेटी की शादी में आप से अपेक्षा है, आप को उन्हें निराश नहीं करना चाहिए. भले ही पति आप के साथ ज्यादा समय के लिए न जा सकें पर आप को वहां जाना चाहिए और यथासंभव सहयोग देना चाहिए.

मायके के लिए आप की अधिक सक्रियता हो सकता है आप की सास को नागवार गुजरे और वे खफा हो जाएं या थोड़ाबहुत हल्ला मचाएं पर इस पर आप ध्यान न दें. एक बार शादी निबट जाएगी तो आप उन्हें मना ही लेंगी. यों भी सासबहू में इस तरह का मनमुटाव चलता रहता है. आप को यह समझना चाहिए कि यह घरघर की कहानी है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

मीरा-भाग 3 : मीरा के दिल में बसे अंगद ने उसे कौन सा आघात दिया

उस शाम अंगद आया तब मीरा घर में नहीं थी. मेरियन साथ में ही थी, फिर भी न जाने क्यों अंगद को कुछ अच्छा नहीं लगा. आज वह मेरियन के साथ भी ठीक से बात नहीं कर पाया. बारबार उस का ध्यान घड़ी की सूई पर जाता रहा.

मीरा जब आई तब रात हो चुकी थी. उस का चेहरा खुशी से चमक रहा था.

मीरा को देखते ही अंगद बरस पड़ा, ‘‘समय क्या हुआ है, पता भी है? कहां थीं इतनी देर?’’

‘‘अरे, अंगद, आप तो ऐसे डांट रहे हो जैसे मैं आप की पत्नी हूं.’’

‘‘तो क्या, तुम मेरी पत्नी नहीं हो?’’

‘‘आप भी क्या मजाक कर लेते हो? मैं कब से आप की पत्नी हो गई?’’

‘‘हमारी शादी हुई है, भूल गईं?’’

‘‘हां, शादी हुई थी. लेकिन तुम्हारी पत्नी मेरियन है, मैं नहीं. यह बात आप ने ही तो पहले ही दिन मुझे बताई थी न? हम दोनों पतिपत्नी नहीं हैं, यह बात आप ने कही थी, मैं ने नहीं.’’

‘‘तुम भी तो किसी और से प्यार करती हो, ऐसा कहा था न?’’

‘‘यह तो आप के कहने के बाद कहा था. वरना मैं तो अपने प्यार का बलिदान दे चुकी थी. पूरा जीवन आप के साथ बिताने, सिर्फ आप के भरोसे ही इतनी दूर आई थी.’’

‘‘देखो मीरा, मुझे तुम्हारे साथ कोई बहस नहीं करनी है. लेकिन तुम इतनी रात तक किसी के साथ बाहर रहो, यह मुझे अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘आप को जो अच्छा लगे वह ही करना मेरी ड्यूटी में नहीं आता. आप की कई बातें मुझे भी पसंद नहीं आतीं. मैं ने कभी कुछ बोला?’’

‘‘तुम भी बोल सकती हो.’’

‘‘अंगद, ऐसा कोई हक आप ने मेरे पास रहने नहीं दिया है. अब प्लीज, आप जाओ, मैं भी थक गई हूं. गुडनाइट.’’

और मीरा अपने कमरे में चली गई. अंगद उसे देखता रह गया.

1 महीना बीत गया. मीरा अब पूरी तरह बदल चुकी है. वह कभीकभी काफी देर से आती है. अंगद के पूछने पर अंटशंट जवाब देती है.

अंगद को कुछ चुभता रहता है. वह अब मेरियन पर गुस्सा करता रहता है. मेरियन के साथ छोटीछोटी बातों में झगड़ा होता रहता है.

अंगद को खुद को पता नहीं चलता कि उस को क्या हो रहा है? मीरा कब आती है, कब जाती है, इसी बात पर उस का ध्यान लगा रहता है.

और आज तो मानो हद हो गई. आज मीरा के साथ माधव भी घर पर आया था. अंगद के आने पर मीरा ने माधव के साथ उस का परिचय करवाया.

अंगद क्या बोलता? खा जाने वाली नजर से बस माधव को देखता रहा.

‘‘माधव, अब चलो, मेरे कमरे में बैठते हैं.’’

माधव उठ कर मीरा के कमरे में चला गया. पूरी रात माधव वहीं रुका था. सुबह जब माधव गया तो अंगद मीरा पर बरस पड़ा, ‘‘यह क्या चालू किया है तुम ने?’’

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’

‘‘क्या हुआ? जैसे कुछ हुआ ही नहीं.’’

‘‘पर, मुझे हकीकत पता नहीं कि क्या हुआ है? कोई प्रौब्लम?’’

‘‘तुम्हारे कमरे में कल पूरी रात कोई गैर मर्द रुका था और पूछती हो कि क्या हुआ?’’

‘‘माधव कोई गैर मर्द थोड़े ही है? मेरा होने वाला पति है.’’

‘‘होने वाला होगा, अभी हुआ नहीं है. अभी मैं तुम्हारा पति हूं.’’

‘‘सौरी अंगद, लेकिन आप मेरियन के पति हो. मेरियन तो रोज पूरी रात आप के कमरे में रहती है. मैं तो कुछ नहीं बोलती.’’

‘‘मैं मेरियन का पति नहीं हूं. मैं ने अभी मेरियन के साथ शादी नहीं की है.’’

‘‘ओह, तो आप दोनों बिना शादी किए ही…उफ, मैं भूल गई. यह अमेरिका है. बाय द वे, अब शादी कब कर रहे हो?’’

अंगद मौन साधे मीरा की ओर देख रहा था. बोला, ‘‘मीरा, याद है, शादी के बाद हम ने एक रात साथ बिताई थी?’’ अंगद की आवाज में न जाने कहां से भावुकता छा गई थी.

‘‘हां, याद है, मैं जीवन की उस काली रात को कैसे भूल सकती हूं?’’

‘‘काली रात?’’

‘‘हां, और क्या कह सकती हूं?’’

‘‘मीरा, सौरी, मुझे लगता है कि मैं ने कहीं कोई गलती की है.’’

‘‘अंगद, अब ये सब सोचने का कोई अर्थ कहां रहा है?’’

‘‘मीरा, तुम अगर मानो तो अभी भी अर्थ हो सकता है.’’

‘‘कैसे, मुझे भी तो पता चले?’’

‘‘मीरा, मुझे एहसास हो गया है कि मेरियन मेरे जीवन की मंजिल नहीं है. वह मेरे जीवन की एक भूल थी.’’

‘‘अंगद, जीवन में हर भूल ठीक नहीं हो सकती. अब हम पौइंट औफ नो रिटर्न पर खड़े हैं.’’

‘‘मीरा, प्लीज, मुझे एक मौका चाहिए.’’

‘‘सौरी, मैं माधव को धोखा नहीं दे सकती.’’

‘‘मीरा, तुम कुछ भी कहो पर पवित्र अग्नि के सात फेरे ले कर सामने हमारी शादी हुई है. हम ने जीवनभर साथ निभाने का प्रण लिया था.’’

‘‘ये सब आज याद आया?’’

‘‘मैं ने कहा न कि वह मेरी गलती थी. और मैं नहीं मानता कि कोई गलती सुधारी नहीं जाती.’’

‘‘अच्छा? कैसे सुधरेगी यह गलती? आप के कमरे में बैठी हुई मेरियन को क्या जवाब देंगे आप?’’

‘‘मेरियन के लिए मैं अकेला नहीं हूं. उस के पास दोस्तों की फौज है.’’

‘‘ओह, तो ये बात है? इसीलिए आज मेरे लिए प्यार उमड़ आया है.’’

‘‘नहीं मीरा, यह बात नहीं है. पर मुझे लगता है मैं सचमुच तुम से प्यार करता हूं.’’

‘‘अभी पता चला?’’

‘‘शायद, हां, माधव के साथ मैं तुम्हें देख नहीं सकता. मेरी पत्नी किसी के साथ है, यह भावना…’’

‘‘अंगद, यह प्रेम नहीं है. यह पुरुष वर्ग की सहज ईर्ष्या है.’’

‘‘तुम जो भी कहो, पर मीरा, आज से मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा किसी और स्त्री का कोई स्थान नहीं होगा.’’

‘‘पर मेरा प्यार माधव है. उस का क्या?’’

‘‘मीरा, हमारी शादी तो हो चुकी थी न? और अगर मेरियन न होती तो तुम यह शादी निभाने वाली भी थीं न? तब माधव को तुम भूलने वाली ही थीं न?’’

‘‘पर…’’

‘‘मीरा, प्लीज फौरगेट इट, फौरगेट ऐवरीथिंग. हम दोनों ही सब भूल जाते हैं. नए सिरे से जिंदगी शुरू करेंगे.’’

‘‘मैं देखूंगी, मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए. वैसे भी जब तक मेरियन घर में है तब तक तो सोचने का कुछ सवाल भी नहीं है.’’

‘‘ये सब मुझ पर छोड़ दो. मुझे मेरी गलती का पूरा एहसास हो गया है.’’

और अगले 2 दिनों में मेरियन अंगद की जिंदगी से सदा के लिए चली गई.

‘‘मीरा, अब क्या सोचा?’’

‘‘मैं आप को कल जवाब दूंगी.’’

दूसरे दिन अंगद को मीरा का जवाब मिल गया था, एक पत्र के रूप में-

‘‘अंगद, सौरी, पर मैं हमेशा के लिए चली जाती हूं. कहां? यह जानने का कोई हक आप को नहीं है. हां, जाने से पहले, एक और बात.

‘‘मेरी जिंदगी में कभी कोई माधव था ही नहीं. कितने सपने सजाए मैं आई थी. मेरे दिल में दूरदूर तक अंगद के सिवा किसी और का अस्तित्व नहीं था. पर आप ने जो आघात दिया उसी आघात ने एक काल्पनिक माधव का सृजन किया, बस इतना ही.

‘‘आप ने जिस माधव को देखा था वह वास्तव में मेरा ममेरा भाई था. वह यहां अमेरिका में ही था. मुझे उस की मदद मिल गई और हमारे नाटक में हम सफल भी रहे. अंगद, जीवन में सब भूल हम सुधार नहीं सकते. क्या आप मेरा कौमार्य वापस दे सकते हो? उस रात एक नारी ने पूरी श्रद्धा से अपने पति को अपना सर्वस्व अर्पण किया था. श्रद्धा का टूटना क्या होता है, यह आप कभी नहीं समझ पाओगे. मेरे पूरे अस्तित्व में से उठे चीत्कार को क्या आप कभी सुन सके? आज की नारी बदल चुकी है. यह एहसास दिलाने के लिए ही मुझे यह नाटक करना पड़ा.

‘‘और एक दूसरा प्रश्न.

‘‘ऐसी कोई भूल मैं ने की होती तो? तो आप क्या करते? सिर्फ एक गलती समझ कर मुझे माफ कर पाते? दे सकते हो सच्चा जवाब? ऐसी कितनी ही मीरा समाज में होंगी? और हर मीरा को

कोई माधव नहीं मिलता. आप को और आपजैसे सभी पुरुषों को अपनी भूल का एहसास हो, इसी इच्छा के साथ, अलविदा.’’

अंगद, किंकर्तव्यविमूढ़ हो कर पत्र को देखता रह गया.

 

मीरा-भाग 2 : मीरा के दिल में बसे अंगद ने उसे कौन सा आघात दिया

‘‘कुछ नहीं. मैं और मेरियन. हम दोनों भी यहीं रहेेंगे. क्योंकि मेरियन के पास अपना खुद का कोई घर नहीं है. तुम अपने तरीके से यहां रह सकती हो. जो जी में आए, करो और खुश रहो,’’ अंगद ने उदारता दिखाते हुए कहा.

मीरा 2-3 मिनट मौन रही. फिर एकाएक जोरों से हंस पड़ी.

अंगद बुत की तरह उसे हंसते हुए देखता रह गया. यह औरत पागल तो नहीं है? रोने के बजाय हंसती है? उस ने तो सोचा था कि मेरियन की बात सुनते ही वह एक आम भारतीय नारी की तरह रोनेधोने लगेगी. उस को भलाबुरा बोलेगी. मेरियन को भी कुछ सुनाएगी. पर इसे तो मानो कुछ असर ही नहीं है. मेरियन को भी आश्चर्य हुआ. अंगद ने तो उस से कुछ और ही कहा था.

अंगद से रहा न गया. उस ने पूछा, ‘‘तुम्हें ये बात सुन कर दुख नहीं हुआ? हंसी क्यों आई?’’

‘‘सच बात बताऊं?’’

अंगद मीरा को देखता रहा.

‘‘अरे, आप ने तो मेरी प्रौब्लम हल कर दी. अंगद, सच बात यह है कि मैं भी शादी से पहले किसी और से प्यार करती थी. यह शादी मेरी भी इच्छा के खिलाफ हुई थी. मेरे प्रेमी माधव की पढ़ाई पूरी होने में अभी 2 साल बाकी हैं. इसीलिए कैसे भी कर के मुझे 2 साल तक प्रतीक्षा करनी थी. मैं उलझन में फंसी हुई थी, लेकिन तुम ने तो मेरी मुश्किल आसान कर दी, थैंक्स अंगद. यह तो बहुत अच्छी बात हुई. हम दोनों एक ही नाव के यात्री निकले.’’

‘‘क्या? क्या तुम सच कहती हो?’’ अंगद को जैसे विश्वास नहीं हुआ.

न जाने क्यों उसे यह सुनना अच्छा नहीं लगा.

‘‘अरे, इस में हैरान होने की क्या बात है? अगर ऐसा नहीं होता तो पहले ही दिन पति की ऐसी बात सुन कर कौन पत्नी आंसू न बहाती?’’

‘‘चलो, हम दोनों की प्रौब्लम सौल्व हो गई,’’ अंगद ने कहा तो सही लेकिन उस की आवाज में वास्तविक खुशी नहीं थी.

ये सब बातें सुन कर मेरियन बहुत खुश हो रही थी. चलो, एक बला टली. उसे डर था कि पता नहीं मीरा क्या करेगी? अब कुछ नहीं होगा. उस ने राहत की सांस ली.और फिर एक ही छत के नीचे, एक ही घर में ‘पति, पत्नी और वो’ का सिलसिला शुरू हुआ.

सुबह अंगद और मेरियन दोनों ही अपनी जौब पर चले जाते. मीरा तीनों के लिए खाना बनाती. घर के सब काम करती. थोड़े दिन सब ठीक ही चला.

1 महीने में मीरा यहां के तौरतरीके, रहनसहन सब सीख गई थी.

एक दिन जब अंगद और मेरियन शाम को घर आए तो खाना नहीं बना था.

मीरा से पूछने पर उस ने बताया, ‘‘सौरी अंगद, आज मुझे भूख नहीं थी, इसलिए कुछ नहीं बनाया. रोज अपने लिए बनाती थी तो साथ में आप दोनों के लिए भी बना लेती थी.’’

‘‘तो आज खाना कौन बनाएगा?’’

‘‘क्यों? मेरे आने से पहले आप लोग बनाते ही होंगे न?’’

‘‘हां, लेकिन तब तो घर में दूसरा कोई था नहीं, इसीलिए.’’

‘‘अभी ऐसा ही सोच लो.’’

‘‘क्यों? अभी तो तुम हो न?’’

‘‘तो मैं क्या आप की खाना बनाने वाली हूं?’’

‘‘अगर यहां रहना है तो काम भी करना पड़ेगा.’’

‘‘तो मुझे यहां रहने का कहां शौक था? 2 साल की शर्त आप की ओर से थी. अगर आप को पसंद नहीं है तो मैं चली जाऊंगी,’’ मीरा ने शांति से उत्तर दिया.

अंगद को बहुत गुस्सा आया लेकिन कुछ बोल नहीं पाया.

वैसे दूसरे दिन जब वे दोनों आए तब खाना तैयार था. मीरा ने आज तरहतरह का बहुत बढि़या खाना बनाया था. अंगद को आश्चर्य हुआ. उस ने पूछा, ‘‘आज क्या कुछ खास बात है?’’

‘‘ओह, हां अंगद, आज मैं बहुत खुश हूं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘अरे, आज मेरा माधव भी यहां आ गया है. और आज वह मुझे यहां मिलने आने वाला है. ओह, अंगद टुडे आई ऐम सो हैप्पी. माधव की पढ़ाई पूरी हो जाएगी और फिर हम दोनों शादी कर लेंगे. अब तो हम दोनों भी मिल पाएंगे. ठीक आप की तरह. है न खुशी की बात?’’

तभी मीरा का मोबाइल बजा.

‘‘ओह, माधव, सौरी, अंगद. आप दोनों खा लो, मेरा फोन तो लंबा चलेगा,’’ खुश होती हुई मीरा अपने कमरे में चली गई.

आज खाना तो बहुत अच्छा बना था लेकिन अंगद को मजा न आया. उस का ध्यान खाने के बजाय मीरा के कमरे से आती हंसी की आवाज पर ज्यादा था. न जाने क्यों आज वह बेचैन हो उठा था.

मेरियन ने एकदो बार पूछा पर अंगद ने कुछ जवाब नहीं दिया.

दूसरे दिन जब अंगद और मेरियन काम पर जा रहे थे तब मीरा ने घर की चाबी अंगद के हाथ में थमाते हुए कहा, ‘‘लो, यह एक चाबी तुम अपने पास भी रखो. मुझे आज आने में शायद देर हो जाएगी.’’

मीरा के चेहरे पर खुशी झलक रही थी.

‘‘क्यों? तुम कहीं जाने वाली हो?’’

‘‘क्यों, कल बोला तो था कि माधव भी यहां आया है. आज मैं उसी से मिलने जा रही हूं. कितने लंबे अरसे के बाद हम दोनों मिल पाएंगे. अंगद, आज मैं बहुत खुश हूं. अच्छा है आप के जीवन में मेरियन है, वरना मुझे भी पूरी जिंदगी आप के साथ बितानी होती. तब मेरे प्रेम का क्या होता?’’

‘‘तुम्हें शर्म नहीं आती अपने पति के सामने पराए मर्द की बातें करते?’’

‘‘पति?’’ हंसते हुए मीरा ने कहा, ‘‘भूल गए? आप ने ही तो कहा था, हम दोनों पतिपत्नी नहीं हैं. क्यों, सही बात है न, मेरियन?’’

‘‘या, राइट, इट्स क्वाइट ओके. फाइन, नाउ कमऔन, अंगद. वी आर गेटिंग लेट,’’ अंगद का हाथ खींचती मेरियन बोली.

Crime Story: तलवार की धार

हजारीलाल के किराएदार घनश्याम मीणा और बिजनैस पार्टनर अंगद ने जितने शातिराना तरीके से हजारीलाल और उन की पत्नी कैलाशीबाई की हत्या कर शव दफनाए थे, जान कर सभी चौंक गए.  उस की उम्र तकरीबन 35 साल के आसपास रही होगी. वह सेना में नायब

सूबेदार था. फौजी होने के बावजूद कलेक्टर ममता शर्मा के चेंबर में प्रवेश करते ही पता नहीं क्यों उस पर घबराहट हावी होने लगी थी और दिल बैठने लगा था.

जिला कलेक्टर के सामने खड़े होते ही उस के पैर कांपने लगे और पूरा बदन पसीने से तरबतर हो गया. आखिरकार हिम्मत जुटा कर अपना परिचय देने के बाद वह बोला, ‘‘मैडम, 8 जनवरी, 2018 को मेरे मातापिता की निर्दयता से हत्या कर दी गई. पुलिस न तो आज तक उन के शवों को बरामद कर पाई और न ही इस मामले में निष्पक्षता से जांच की गई.

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‘‘मैं पुलिस के बड़े अधिकारियों से भी मिल चुका हूं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हत्यारे छुट्टे घूम रहे हैं. इतना ही नहीं, वे इस कदर बेखौफ हैं कि मुझे ओर मेरे परिवार को भी जान से मारने की धमकी देते हैं.’’ कहतेकहते विजय कुमार की आंखों से आंसू टपकने लगे.

हिचकियां लेते हुए उस ने कहा, ‘‘मैडम, मेरे सैनिक होने पर धिक्कार है. कानून की बेरुखी और जलालत झेलने से तो अच्छा है कि मैं अपने परिवार समेत आत्महत्या कर लूं. ऐसी जिंदगी से तो मौत भली. हम तो बस अब इच्छामृत्यु की अनुमति चाहते हैं.’’

यह कहते हुए उस ने जिला कलेक्टर की तरफ एक दरख्वास्त बढ़ा दी जो महामहिम राष्ट्रपति को लिखी गई थी. उस दरख्वास्त में विजय कुमार ने परिवार सहित इच्छामृत्यु की अनुमति देने की मांग की थी.

जिला कलेक्टर ममता शर्मा ने एक बार सरसरी तौर पर सामने खड़े युवक का जायजा लिया. उन की हैरानी का पारावार नहीं था. लेकिन जिस तरह पस्ती की हालत में वह अटपटी मांग कर रहा था, उस के तेवरों ने एक पल को तो उन्हें हिला कर रख दिया था.

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वह बोलीं, ‘‘कैसे फौजी हो तुम? जानते हो इच्छामृत्यु की कामना कायर करते हैं, फौजी नहीं. हौसला रखो और पूरा वाकया मुझे एक कागज पर लिख कर दो. याद रखो कानून से ऊपर कोई नहीं है. तफ्तीश में हजार अड़चनें हो सकती हैं. गुत्थी सुलझाने में वक्त लग सकता है. तुम लिख कर दो, मैं इसे देखती हूं.’’

अब तक सामान्य हो चुके विजय कुमार ने सहमति में सिर हिलाया और कलेक्टर के चेंबर से बाहर निकल गया. आखिर ऐसा क्या हुआ था कि एक फौजी का देश की कानून व्यवस्था से भरोसा उठ गया और वह अपने परिवार समेत इच्छामृत्यु की मांग करने लगा. सब कुछ जानने के लिए हमें एक साल पहले लौटना होगा.

विजय कुमार राजस्थान के बूंदी जिले के लाखेरी कस्बे का रहने वाला है. लाखेरी स्टेशन के नजदीक ही उस का पुश्तैनी मकान है. जहां उस के मातापिता हजारीलाल और कैलाशीबाई स्थाई रूप से रहते थे. हजारीलाल के लाखेरी स्थित मकान में नवलकिशोर नामक किराएदार भी अपने परिवार के साथ रहता था. उस की बाजार में किराने की दुकान थी.

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हजारीलाल के 2 मकान कोटा में थे. कोटा के रायपुरा स्थित निधि विहार कालोनी में उन के बेटे विजय कुमार का परिवार रहता था. उस के परिवार में उस की पत्नी ममता और 2 छोटे बच्चों के अलावा उस का छोटा भाई हरिओम था.

विजय सेना में नायब सूबेदार था और उस की तैनाती चाइना बौर्डर पर थी. विजय छुट्टियों में ही घर आ पाता था. हजारीलाल का मझला बेटा विनोद इंदौर की किसी इंडस्ट्री में गार्ड लगा हुआ था. हजारीलाल का एक और मकान रायपुरा से तकरीबन एक किलोमीटर दूर डीसीएम चौराहे पर स्थित था.

इस तिमंजिला मकान में दूसरी मंजिल हजारीलाल ने अपने लिए रख रखी थी. वह अपनी पत्नी के साथ 10-15 दिनों में कोटा आते रहते थे ताकि बेटे के परिवार की खैर खबर ले सकें. अलबत्ता वे रुकते इसी मकान में थे.

उस मकान का नीचे वाला तल उन्होंने बैंक औफ बड़ौदा को किराए पर दिया हुआ था, जहां बैंक का एटीएम भी था. तीसरी मंजिल पर करोली के मानाखोर का घनश्याम मीणा पत्नी राजकुमारी के साथ किराए पर रह रहा था.

हजारीलाल और घनश्याम मीणा का परिवार एकदूसरे से काफी घुलामिला था. घनश्याम पर तो हजारीलाल का अटूट भरोसा था. दंपति जब कोटा में होते थे तो अकसर उन का वक्त बेटे विजय कुमार के परिवार के साथ ही गुजरता था. लेकिन रात को वह अपने डीसीएम चौराहे के पास स्थित घर पर लौट आते थे.

अलबत्ता दोनों के बीच टेलीफोन द्वारा संपर्क बराबर बना रहता था. हजारीलाल वक्त गुजारने के लिए प्रौपर्टी के धंधे से भी जुडे़ हुए थे. इस धंधे में अंगद नामक युवक उन का मददगार बना हुआ था.

अंगद रायपुरा स्थित विजय कुमार के मकान के पीछे ही रहता था. बिहार का रहने वाला अंगद विजय कुमार का अच्छा वाकिफदार था. ट्यूशन से गुजारा करने वाला अंगद विजय के बच्चों को भी ट्यूशन पढ़ाता था. अंगद प्रौपर्टी के कारोबार के मामले में पारखी था इसलिए हजारीलाल भी उस का लोहा मानते थे.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. इसी बीच अजीबोगरीब घटना ने ठहरे हुए पानी में जैसे हलचल मचा दी. दरअसल हजारीलाल की पत्नी कैलाशीबाई की अलमारी से उन का मंगलसूत्र गायब हो गया. हीराजडि़त मंगलसूत्र काफी कीमती था.

लिहाजा घर के सभी लोग परेशान हो गए. कैलाशीबाई का रोना भी वाजिब था. घर में बाहर का कोई शख्स आया नहीं था औैर किराएदार घनश्याम पर उन्हें इतना भरोसा था कि उस से पूछना भी हजारीलाल दंपति को ओछापन लगा. आखिर मंगलसूत्र की चोरी का गम खाए हजारीलाल दंपति माहौल बदलने के लिए लाखेरी लौट गए.

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इस बाबत उन्होंने अपने बेटे विजय कुमार की पत्नी ममता को भी जानकारी दे दी. लेकिन असमंजस में डूबी बहू भी सास को तसल्ली देने के अलावा क्या कर सकती थी. हजारीलाल तो इस सदमे को पचा गए लेकिन कैलाशीबाई के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.

एक स्त्री के सुहाग की निशानी मंगलसूत्र का इस तरह चोेरी चले जाना उन के लिए सब से बड़ा अपशकुन था. उन्होंने एक ही रट लगा रखी थी कि आखिर कौन था जो उन का मंगलसूत्र चुरा ले गया. पत्नी को लाख समझा रहे हजारीलाल की तसल्ली भी कैलाशीबाई के दुख को कम नहीं कर पा रही थी.

5 जनवरी, 2018 को हजारीलाल को अपने किराएदार घनश्याम मीणा का फोन मिला तो उन की आंखें चमक उठीं. उस ने बताया कि करोली के मानाखोर कस्बे में एक भगतजी हैं जिन पर माता की सवारी आती है.

माता की सवारी आने पर भगतजी में अद्भुत शक्ति पैदा हो जाती है और उस समय वह भूतभविष्य के बारे में सब कुछ बता देते हैं. आप का मंगलसूत्र कहां और कैसे गायब हुआ, यह सब भगतजी बता देंगे. आप कहो तो मैं आप को वहां ले चलूंगा ताकि मंगलसूत्र का पता लग सके.

हजारीलाल और उन की पत्नी पुराने विचारों के थे लिहाजा टोनेटोटकों में ज्यादा ही विश्वास करते थे. लिहाजा उन्होंने आननफानन में करोली जाने का प्रोग्राम बना लिया. तय कार्यक्रम के अनुसार घनश्याम और उस की पत्नी राजकुमारी उन्हें ले जाने के लिए लाखेरी पहुंच गए.

हजारीलाल ने तब अपने बड़े बेटे के परिवार को खबर करने और सब से छोटे बेटे हरिओम को भी साथ ले चलने की बात कही तो घनश्याम ने उन्हें समझाते हुए कहा, ‘‘यह बातें गोपनीय रखनी होती हैं. माता की सवारी पर अविश्वास करोगे तो मातारानी कुपित हो सकती हैं. तब अहित हुआ तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे.’’ यह कहते हुए घनश्याम ने अपनी पत्नी की तरफ देखा तो उस ने भी सहमति में सिर हिला दिया.

हजारीलाल के मन में संदेह का कीड़ा तो कुलबुलाया लेकिन मौके की नजाकत को देखते हुए वह चुप लगा गए. लेकिन हजारीलाल ने अपने अचानक करोली जाने की बात मौका मिलते ही अपने किराएदार नवलकिशोर को जरूर बता दी. हजारीलाल ने नवलकिशोर को जो कुछ बताया उस ने सुन लिया. इस में उसे एतराज होता भी तो क्यों. घनश्याम को उस ने देखा भी नहीं था तो पूछताछ करता भी तो किस से.’’

लेकिन नवलकिशोर उस वक्त जरूर कुछ अचकचाया, जब सोमवार 8 जनवरी, 2018 को एक शख्स लाखेरी स्थित मकान पर पहुंचा. उस के हाथ में चाबियों का गुच्छा था और वह दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था.

नवलकिशोर को हजारीलाल की गैरमौजूदगी में किसी अजनबी द्वारा मकान का दरवाजा खोलना अटपटा लगा तो उस ने फौरन टोका, ‘‘अरे भाई आप कौन हो और यह क्या कर रहे हो?’’

इतना सुनते ही वह आदमी कुछ हड़बड़ाया फिर बोला, ‘‘मेरा नाम घनश्याम है और मैं हजारीलालजी के डीसीएम चौराहे के पास वाले मकान में रहता हूं. हजारीलालजी के भेजने पर ही मैं यहां आया हूं. दरअसल करोली में भगतजी का भंडारा हो रहा है. हजारीलालजी ने मुझे यहां अपने कपड़े लेने के लिए भेजा है.’’

नवलकिशोर को यह तो मालूम था कि हजारीलाल पत्नी के साथ करौली गए हुए हैं लेकिन उसे घनश्याम की बातों पर तसल्ली इसलिए नहीं हुई कि हजारीलाल किसी को अपने घर की चाबियां भला कैसे सौंप सकते हैं. अपना शक दूर करने के लिए नवलकिशोर ने कहा, ‘‘ठीक है, आप उन से मोबाइल पर मेरी बात करवा दो.’’

घनश्याम ने यह कह कर नवलकिशोर को निरुत्तर कर दिया कि गांवदेहात में नेटवर्क काम नहीं करने से उन से बात नहीं हो सकती. नवलकिशोर की शंका दूर नहीं हुई. उस ने एक पल सोचते हुए कहा, ‘‘तो ठीक है कोटा में हजारीलाल जी के बेटेबेटियां रहते हैं, उन से बात करवा दो?’’

घनश्याम ने यह कह कर टालने की कोशिश की कि उन का बेटा तो चाइना बौर्डर पर तैनात है और कोटा में रह रही उस की पत्नी का मोबाइल नंबर मुझे मालूम नहीं है. लेकिन नवलकिशोर तो जिद ठाने बैठा था. उसे घनश्याम की नानुकर खटक रही थी. वह अपनी शंका दूर करने पर तुला था. उस ने कहा ठीक है उन की पत्नी का नंबर मुझे मालूम है. मैं कर लेता हूं उन से बात.

घनश्याम कोई टोकाटाकी करता, तब तक नवलकिशोर अपने मोबाइल पर विजय कुमार की पत्नी ममता का नंबर मिला चुका था. लेकिन संयोग ही रहा कि ममता का फोन स्विच्ड औफ निकला. आखिर हार कर नवलकिशोर ने घनश्याम से कहा, ‘‘कोटा में हजारीलाल जी के परिवार का कोई तो होगा, जिस का नंबर आप को मालूम हो.’’

‘‘हां, उन की बेटी माया का नंबर मालूम है.’’ घनश्याम ने अचकचाते हुए कहा.

‘‘ठीक है तो फिर उन्हीं से बात करवा दो?’’ कहते हुए नवलकिशोर ने घनश्याम के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं.

मोबाइल पर माया इस बात की तसदीक तो नहीं कर सकी कि उस के पिता करोली गए हुए हैं और किसी को उन्होंने कपड़े लाने के लिए भेजा है. अलबत्ता इतना जरूर कह दिया कि घनश्याम हमारे कोटा वाले मकान में किराएदार हैं. मैं इन को जानती हूं. अगर ये मांबाऊजी के कपड़े लेने के लिए आए हैं तो ले जाने देना. लेकिन बाद में चाबी अपने पास ही रख लेना.

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नवलकिशोर को अब क्या ऐतराज होना था? घनश्याम रात को वहीं रुक गया और बोला कि सुबह को हजारीलालजी के कपड़े आदि ले कर चला जाएगा. लेकिन अगली सुबह नवलकिशोर की जब आंखें खुलीं तो उस ने देखा कि घनश्याम वहां से जा चुका था.

अब नवलकिशोर के शक का कीड़ा कुलबुलाना लाजिमी था कि  इस तरह घनश्याम का चोरीछिपे जाने का क्या मतलब. नवलकिशोर को ज्यादा हैरानी तो इस बात की थी कि उसे चाबी सौंप कर जाना चाहिए था. लेकिन वो चाबी भी साथ ले गया.

मंगलसूत्र की गुमशुदगी को ले कर कैलाशीबाई किस हद तक सदमे में थीं, इस बात को उन की बहू ममता अच्छी तरह जानती थी. क्योंकि उस की अपनी सास से फोन पर बात होती रहती थी. एक दिन ममता ने अपने देवर हरिओम से कहा कि वह लाखेरी जा कर मां को ले आए ताकि बच्चों के बीच रह कर उन का दुख कुछ कम हो सके.

भाभी के कहने पर हरिओम ने 9 जनवरी को पिता हजारीलाल को फोन लगाया. लेकिन उन का फोन स्विच्ड औफ होने के कारण बात नहीं हो सकी. हरिओम सोच कर चुप्पी साध गया कि शायद फोन बंद कर के वह सो रहे होंगे.

ममता भाभी को भी उस ने यह बता दिया. अगले दिन ममता के कहने पर हरिओम ने फिर पिता को फोन लगाया. उस दिन भी उन का फोन बंद मिला. यह सिलसिला लगातार जारी रहा तो न सिर्फ हरिओम के लिए बल्कि ममता के लिए भी यह हैरानी वाली बात थी.

ममता के मुंह से बरबस निकल पड़ा, ऐसा तो आज तक कभी नहीं हुआ. वह अंदेशा जताते हुए बोली, ‘‘भैया, जरूर अम्माबाऊजी के साथ कोई अनहोनी हो गई है.’’ ममता ने देवर को सहेजते हुए कहा, ‘‘तुम ऐसा करो, नवलकिशोर से बात करो. शायद उसे कुछ मालूम हो.’’

हरिओम ने नवलकिशोर से बात की. उस ने जो कुछ बताया उसे जान कर ममता और हरिओम दोनों सन्न रह गए. नवलकिशोर ने तो यहां तक बताया कि उस ने घनश्याम द्वारा कपड़े ले जाने की बाबत तस्दीक करने के लिए भाभी को फोन भी लगाया था, लेकिन फोन स्विच्ड औफ मिला. लेकिन माया ने बात कराने पर उस की शंका दूर हुई थी.

ममता वहीं सिर थाम कर बैठ गई. उस के मुंह से सिर्फ इतना ही निकला, ‘‘अम्माबाऊजी हमें बिना बताए करोली कैसे चले गए. घर की चाबी तो अम्मा किसी को देती ही नहीं थीं. घनश्याम चाबी ले कर लाखेरी वाले घर कैसे पहुंच गया.

इस के बाद तो मंगलसूत्र की चोरी को ले कर भी ममता का शक पुख्ता हो गया. उस ने हरिओम से कहा, ‘‘भैया घर से अम्मा का मंगलसूत्र भी जरूर घनश्याम ने ही चुराया होगा. तुम जरा घनश्याम को फोन तो लगाओ.’’

हरिओम ने फोन किया तो उस के मुंह से अस्फुट स्वर ही निकल पाए, ‘‘भाभी घनश्याम का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है. मैं उसे डीसीएम चौराहे के घर पर जा कर पकड़ता हूं.’’ कहने के साथ ही हरिओम फुरती से बाहर निकल गया.

करीब एक घंटे बाद हरिओम लौट आया. उस का चेहरा फक पड़ा हुआ था. हरिओम का चेहरा देखते ही ममता माजरा समझ गई. अटकते हुए उस ने कहा, ‘‘नहीं मिला ना?’’

हरिओम भी वहीं सिर पकड़ कर बैठ गया, ‘‘भाभी वो तो अपनी पत्नी के साथ सारा सामान ले कर वहां से रफूचक्कर हो चुका है.’’

बहुत कुछ ऐसा घटित हो चुका था. जिस की किसी को उम्मीद नहीं थी. अब ममता के लिए अपने पति को सब कुछ बताना जरूरी हो गया था. ममता ने फोन से बौर्डर पर तैनात पति को पूरा माजरा बता दिया. विजय उस समय सिर्फ इतना ही कह कर रह गया कि तुम थाने में अम्माबाऊजी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दो. किराएदार घनश्याम की बाबत भी सब कुछ बता देना. फिर मैं छुट्टी ले कर आता हूं.

इस के साथ ही विजय ने इंदौर में रह रहे अपने मंझले भाई विनोद को भी फोन कर पूरी बात बता दी और कहा कि तुम फौरन पहले लाखेरी पहुंचो और पता करो कि उन के साथ क्या हुआ है.

मातापिता जिस तरह रहस्यमय ढंग से लापता हुए, सुन कर विजय अचंभित हुआ. इस से पहले ममता ने उद्योग नगर थाने में अपने ससुर हजारीलाल और सास कैलाशीबाई की गुमशुदगी की सुचना दर्ज करा दी थी.

अपने परिवार समेत करोली के मानाखोर गांव में पहुंचे विजय ने घनश्याम मीणा और कथित भगतजी की तलाश करने की भरपूर कोशिश की ताकि मांबाऊजी का पता चल सके, लेकिन उस के हाथ निराशा ही लगी. छानबीन करने पर उसे पता चला कि भगतजी नामक कोई तांत्रिक वहां था ही नहीं. घनश्याम के बारे में उसे पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी.

विजय ने पुलिस से संपर्क किया उस ने उद्योग नगर पुलिस के जांच अधिकारी सुरेंद्र सिंह से आग्रह किया कि आप एक बार करोली का चक्कर लगा लीजिए. वह वहां गए लेकिन उन की कोशिश निरर्थक रही. फिर जांच अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने काल डिटेल्स का हवाला देते हुए कहा कि मामला लाखेरी का है. इसलिए मामले की रिपोर्ट लाखेरी में ही  करानी होगी.

विनोद भी लाखेरी पहुंच चुका था. उस ने भाई विजय को जो कुछ बताया उस से रहेसहे होश भी फाख्ता हो गए. घर की अलमारियों और संदूक के ताले टूटे पड़े थे. उन में रखे हुए अचल संपत्तियों के दस्तावेज, सोनेचांदी के जेवर और नकदी गायब थी. इस से स्पष्ट था कि कपड़े लेने के बहाने आया घनश्याम सब कुछ बटोर कर ले गया.

27 जनवरी, 2018 को विजय ने लाखेरी थाने में मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए घनश्याम मीणा पर ही अपना शक जताया. इस मौके पर विजय के साथ आए उस के भाई विनोद ने चोरी गए सामान का पूरा ब्यौरा पुलिस को दिया. पुलिस ने रिपोर्ट में भादंवि की धारा 365 व 380 और दर्ज कर के जांच एसआई नंदकिशोर के सुपुर्द कर दी. दिन रात की भागदौड़ के बावजूद पुलिस के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लगा.

एसपी योगेश यादव सीओ नरपत सिंह तथा थानाप्रभारी कौशल्या से जांच की प्रगति का ब्यौरा बराबर पूछ रहे थे. लेकिन कोई उम्मीद जगाने वाली बात सामने नहीं आ रही थी.

इस बीच पुलिस ने गुमशुदा हजारीलाल दंपति के फोटोशुदा ईनामी इश्तहार भी बंटवाए और सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करवा दिए. इस के बाद पुलिस ने घनश्याम मीणा के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. इस का नतीजा जल्दी ही सामने आ गया.

काल डिटेल्स से पता चला कि घनश्याम मीणा की ज्यादातर बातचीत करोली जिले के लांगरा कस्बे के मुखराम मीणा से ही हो रही थी. लक्ष्य सामने आ गया तो पुलिस की बांछें खिल गईं. सीओ सुरेंद्र सिंह ने एसपी योगेश यादव को बताया तो उन्होंने करोली के एसपी अनिल कयाल से जांच में सहयोग करने की मांग की.

नतीजतन सीओ सुरेंद्र सिंह और थानाप्रभारी कौशल्या की अगुवाई में गठित पुलिस टीम ने करोली के लांगरा कस्बे से मुखराम मीणा को दबोच लिया. अखबारी सुर्खियों में ढली इस खबर में करोली एसपी अनिल कयाल ने मुखराम मीणा की 4 फरवरी को गिरफ्तारी की तस्दीक कर दी और कहा कि मुखराम के साथियों और गुमशुदा दंपति को तलाशने में पुलिस टीमें पूरी तरह जुटी हुई हैं.

पुलिस पूछताछ में मुखराम बारबार बयान बदल रहा था. उस ने स्वीकार किया कि घनश्याम और उस की पत्नी राजकुमारी के साथ हम हजारीलाल और उस की पत्नी कैलाशीबाई को ले कर टैंपो से साथलपुर के जंगल में पहुंचे थे. वहां उन्होंने दोनों की अंघेरे में हत्या कर दी थी. मुखराम ने बताया कि काम को अंजाम देने के बाद वह साथलपुर गांव चले गए थे.

चूकि पुलिस को उस से और भी पूछताछ करनी थी, इसलिए उसे 5 फरवरी को मुंसिफ न्यायालय लाखेरी में पेश कर 5 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

मुखराम के बताए स्थान तक लाखेरी पुलिस दल के साथ भरतपुर जिले की लागरा पुलिस के एएसआई राजोली सिंह तथा डौग स्क्वायड टीम के कांस्टेबल देवेंद्र, ओमवीर और हिम्मत सिंह भी थे.

मुखराम द्वारा बताई गई हत्या वाली जगह से पुलिस को साड़ी के टुकड़े, खून सने पत्थर और एक हड्डी का टुकड़ा तो मिला लेकिन लाशों का कहीं कोई अतापता नहीं था.

मुखराम अपने उसी बयान पर अड़ा था कि महिला की हत्या तो हम ने यहीं पत्थरों से की थी और शव को भी यहीं गाड़ दिया था. इस के बाद शव कहां गया यह पता नहीं. बरामद चीजों को जब खोजी कुत्ते को सुंघाया तो वो पहले वाली जगह पर जा कर ठिठक गया.

पुलिस ने घटनास्थल से हत्या में इस्तेमाल हुए पत्थर भी जब्त कर लिए. पुलिस की सख्ती के बावजूद मुखराम सवालों का जवाब देने से कतराता रहा.

हत्या में सहयोगी रहे घनश्याम और उस की पत्नी राजकुमारी कहां हैं? और हजारीलाल की हत्या कहां की गई? वृद्ध दंपति की हत्या की आखिर क्या वजह थी आदि पूछने पर मुखराम ने बताया कि कोटा में हजारीलाल का तकरीबन 50 लाख रुपए की कीमत का एक प्लौट है. घनश्याम और उस की पत्नी इस पर नजर गड़ाए हुए थे.

उन्होंने हजारीलाल से औनेपौने दामों में इस प्लौट का सौदा करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. उस प्लौट को हड़पने के लिए ही उन के मारने की योजना बनाई थी. उन्होंने मुझे अच्छी रकम देने का वादा कर इस योजना में शामिल किया था.

पुलिस ने आखिर तेवर बदलते तो मुखराम ने मुंह खोलने में देर नहीं की. उस ने बताया कि हजारीलाल की हत्या साथलपुर के पास स्थित धमनिया के जंगल में की थी. धमनियां जंगल में मुखराम की बताई गई जगह पर हजारीलाल के कपड़े और खून सने पत्थर तो मिले लेकिन शव नहीं मिला.

घनश्याम मीणा और उस की पत्नी राजकुमारी के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि घनश्याम अपनी पत्नी के साथ केरल के कालीघाट में रह रहा है. मुखराम से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

घनश्याम मीणा और राजकुमारी को गिरफ्तार करने के लिए एक पुलिस टीम कालीघाट रवाना हो गई. इत्तफाक से ये दोनों घर पर ही मिल गए. 8 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस राजस्थान लौट आई.

पूछताछ में घनश्याम मीणा और उस की पत्नी राजकुमारी ने जो बताया उसे सुन कर तो पुलिस अधिकारियों का मुंह खुला का खुला रह गया. क्योंकि हत्या में ट्यूटर और प्रौपर्टी के बिजनैस में हजारीलाल का विश्वसनीय बना रहने वाला अंगद भी शामिल था. पुलिस इधरउधर खाक छान रही थी और अंगद बिना किसी डर के विजय के पड़ोस में बैठ कर चैन की बंसी बजा रहा था.

पता चला कि पूरी घटना का सूत्रधार और तानाबाना बुनने वाला अंगद ही था. उस पर हजारीलाल का जितना अटूट भरोसा था, कमोबेश विजय का भी उतना ही था. घर पर बेरोकटोक आनेजाने और मीठी बातों से रिझाने वाले अंगद पर शंका होती भी तो कैसे. जबकि सच्चाई यह थी कि डीसीएम इलाके में हजारीलाल के लगभग 50 लाख के प्लौट पर अंगद की शुरू से ही निगाहें थीं.

विश्वसनीयता की आड़ में अंगद इस प्लौट को किसी तरह फरजी दस्तावेजों के जरिए हड़पने की ताक में था. लेकिन हजारीलाल पर उस का दांव नहीं चल पा रहा था. आखिरकार उसे एक ही रास्ता सूझा कि हजारीलाल दंपति को मौत के घाट उतार कर ही यह प्लौट कब्जाया जा सकता था.

अपनी योजना का तानाबाना बुनते हुए उस ने पहले घनश्याम मीणा को उन के डीसीएम चौराहे के पास स्थित घर में किराए पर रखवाया. फिर मीणा को उन का विश्वास जीतने में भी मदद की.

आखिरकार जब हजारीलाल का घनश्याम पर अटूट भरोसा हो गया तो पहले उस ने किसी तरह कैलाशीबाई का कीमती मंगलसूत्र चोरी कर लिया. मंगलसूत्र की चोरी से हताशनिराश दंपति को जाल में फंसाने के लिए तांत्रिक तक पहुंच बनाने का पासा फेंका.

अंगद ने घनश्याम से कहा कि वह योजना में किसी विश्वसनीय व्यक्ति को मोटे पैसों का लालच दे कर शामिल कर ले. तब घनश्याम ने करोली के रहने वाले अपने एक वाकिफकार मुखराम को योजना में शामिल किया. सारा काम घनश्याम, राजकुमारी और मुखराम ने ही अंजाम दिया. अंगद तो अपनी जगह से हिला भी नहीं.

पुलिस ने कोटा से अंगद को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पुलिस ने भले ही हत्या की गुत्थी सुलझा ली. लेकिन लाख सिर पटकने के बाद भी शव बरामद नहीं किए जा सके.

कथा लिखने तक चारों अभियुक्तों की जमानत हो चुकी थी. कानून के जानकारों का कहना है कि जब लाश ही बरामद नहीं होगी तो अभियुक्तों को सजा कैसे मिलेगी. सवाल यह है कि हर तरह से समर्थ पुलिस आखिरकार हजारीलाल दंपति के शव बरामद क्यों नहीं कर सकी.

विजय कुमार तो दोहरे आघात से छटपटा रहा है. एक तो वृद्ध मातापिता की निर्मम हत्या, फिर शवों की बरामदगी तक नहीं हुई. विजय का दुख इन शब्दों में फूट पड़ता है कि कैसा बेटा हूं, मांबाप की हत्या हुई और मैं कुछ नहीं कर पाया. उन की अंत्येष्टि तक नहीं हो सकी.

विजय मंत्रियों से ले कर उच्च अधिकारियों तक से इंसाफ की दुहाई दे चुका है. लेकिन उस की कहीं सुनवाई नहीं हो रही. एक तरफ तो विश्वास और इंसाफ की हत्या का दर्द तो दूसरी तरफ हत्यारे बेखौफ घूमते हुए उसे मुंह चिढ़ा रहे हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि क्लेक्टर से गुहार लगाने के बावजूद भी इस केस में कोई प्रगति नहीं हुई है.

—कथा पुलिस और पारिवारिक सूत्रों पर आधारित

(कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां)

जैविक खेती से फायदा

आजकल खेती से ज्यादा उपज लेने के लिए कई तरह की रासायनिक खादों व दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. करीब 80 फीसदी किसान खेतों में रासायनिक खादों और जहरीली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिस से उपज तो बढ़ी है, लेकिन इनसानों की जिंदगी में इस का बुरा असर हो रहा है. इसी वजह से आज हमें नईनई बीमारियां घेर रही हैं. आंकड़ों के मुताबिक आज के समय में सब से ज्यादा जहर पंजाब राज्य के उत्पादों में पाया गया है. एलड्रिन नामक दवा ब्लड कैंसर का कारण बनी, तो उस पर रोक लगी. इसी तरह एंडोसलफान नामक दवा ने दिमागी तंत्र प्रणाली को प्रभावित किया, तो उस पर भी रोक लगाई गई. फिर भी इस तरह की दवाएं मिलतेजुलते नामों से आज भी बाजार में मिल रही हैं और लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रही हैं.

आज ऐसा दौर आ चुका है कि हम रासायनिक खेती से हट कर जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाएं.

कैसे करें जैविक खेती?

आज कई तरीकों से जैविक खादें बनाई जाती?है, जैसे गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट व तरल जैविक हरी खाद वगैरह. गोबर की खाद को कम से कम 3 महीने तक गड्ढों में सड़ा कर कंपोस्ट खाद बनाएं और फसल लगाने के पहले खेत में डालें. यह हमारी सब से पुरानी पारंपरिक खाद है. ढैंचा, लोबिया, उड़द व मूंग वगैरह को हरी खाद के लिए उगाएं और फिर जुताई कर के खेत में मिला कर सड़ा दें. यह भी एक अच्छा तरीका है. पुराने किसान आज भी इसे इस्तेमाल में लाते हैं  केंचुओं के द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है. यह बहुत ही उत्तम खाद होती है. इसे आजकल तमाम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं.

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* जैविक खाद का मिश्रण तैयार करें (गोबर, मूत्र, गुड़, दाल और जीवाणु खाद मिला कर) और फसल में 5-6 बार तक इस्तेमाल करें. इसे बनाने के लिए इन सब को सड़ा कर तरल जैविक पदार्थ तैयार किया जाता?है.

* दानेदार रासायनिक खाद की जगह एनपीके पाउडर और चिलेटेड सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को खड़ी फसल में स्प्रे करें.

* नीम और गौमूत्र वाले कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल करें.

* अच्छी गुणवत्ता वाले जैविक खेती से उत्पादित बीजों का इस्तेमाल करें.

* खरपतवार निकालने के लिए खड़ी फसल में निराईगुड़ाई करें. गरमियों में खेत की जुताई कर के खेत को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ दें.

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इस प्रकार के कुछ तरीकों को अपना कर जमीन, स्वास्थ्य और पर्यावरण को बचाया जा सकता?है और कम खर्च में टिकाऊ खेती की जा सकती है.

तैयार मिलती हैं जैविक खादें

आज कई कंपनियां जैविक उत्पाद बना रही हैं, लिहाजा उन्हें इस्तेमाल करें. नवभारत फर्टिलाइजर्स लि. कंपनी जैविक खेती के क्षेत्र में साल 1996 से पूरे भारत और नेपाल में किसानों की जरूरत के मुताबिक कृषि उत्पादों को बनाने वाली कंपनी है. यह कंपनी सभी फसलों के लिए प्रभावी जैविक उत्पाद तैयार करती है. साथ ही किसानों की मदद के लिए अनुभवी खेती के डाक्टरों की टीम भी मौजूद है. जैविक खेती के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए नवभारत फर्टिलाइजर के फोन नंबरों 0124-3212048, 01664-215305, 01274-261221 पर बात कर के सलाह ले सकते हैं. इस के अलावा आप अपने इलाके के कृषि जानकारों से बात कर के भी अच्छी कंपनी के उत्पादों को जान सकते?हैं. उन का तजरबा आप के काम आएगा.

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जैविक खादों से फायदे

* पौधों की ताकत बढ़ती है और उन में ज्यादा सर्दीगरमी से लड़ने की कूवत पैदा हो जाती है.

* फूलों और फलों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

* जैविक खादें हर फसल के लिए फायदेमंद होती हैं.

* इन में नुकसान देने वाले जीवाणु नहीं होते हैं.

* फल, सब्जी, अनाज देखने में सुंदर और स्वादिष्ठ होते?हैं.

* पैदावार में बढ़ोतरी होती है और बीमारियों के प्रति लड़ने की ताकत बढ़ती है.

* बीजों का अंकुरण अच्छी तरह होता है.

* तैयार फल व सब्जियां हानिकारक रसायनों से रहित और पौष्टिक होती हैं.

* लगातार जैविक खेती करने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

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* जैविक खाद के इस्तेमाल से पौधों में तमाम बीमारियों व कीड़ों से लड़ने की कूवत बढ़ती है, नतीजतन रासायनिक कीटनाशकों, रोगनाशकों व खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल कम से कम हो जाता है. इस से किसानों का खर्च भी बचता है. आरगैनिक खेती के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए जैलदार बंधु आरगैनिक कृषि फार्म के मोबाइल नंबरों 09416392681, 09068506781 पर संपर्क कर सकते हैं.

मूत्रगोबर से बनाते हैं जीवामृत

गुजरी गांव (मध्य प्रदेश) के किसान अभिषेक गर्ग सिर्फ 1 गाय के मूत्र और गोबर में अन्य पदार्थो को मिला कर जैविक घोल तैयार करते है और उस तरल जैविक घोल को अपनी फसल में खाद के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. उन के अमरूद के बाग इसी जैविक घोल के इस्तेमाल से लहलहा रहे हैं. अभिषेक गर्ग ने इस घोल का नाम जीवामृत रखा है. उन का कहना है कि सिर्फ 1 गाय से तैयार इस जीवामृत से 30 एकड़ में खेती की जा सकती है, जो रासायनिक खाद की तुलना में बहुत किफायती है. जीवामृत  बनाने का तरीका : गाय से रोजाना मिलने वाले 10 किलोग्राम गोबर और गोमूत्र से तैयार मिश्रण में 1 किलोग्राम बेसन, 1 किलोग्रम गुड़, 1 किलोग्राम मिट्टी व 1 किलोग्राम मौसमी फसल डाल कर इस घोल को 7 दिनों तक सड़ाएं और पूरे हफ्ते तक हर रोज इसे 2 बार 5 मिनट तक हिलाएं. 1 हफ्ते बाद जैविक घोल तैयार हो जाता?है. इस घोल को छान कर फसल पर समयसमय पर छिड़काव करते रहें. किसान इस जैविक घोल को ज्यादा मात्रा में भी बना सकते हैं. अनुपात के मुताबिक केवल सामान की मात्रा बढ़ा लें.

रासायनिक खाद व जहरीली दवाओं के नुकसान

खेती की मिट्टी कठोर हो जाने से उस की पानी सोखने की कूवत कम हो जाती?है और बीजों का जमाव भी कम होने लगता है. तमाम तरह के फंगस, वायरस वगैरह की बीमारियां (जड़ व तना गलन, मरोडि़या, उखेड़ा, पीला और काला रतुआ, कंडुआ वगैरह) फसल में लगने लगती हैं और एक समय ऐसा आता है, जब कीटनाशकों का असर भी कम हो जाता है. रसायनों के इस्तेमाल से अनाज, सब्जी, फल व चारा वगैरह जहरीले होने लगते हैं. इनसानों और जानवरों में बीमारियों को बढ़ावा मिलता है और कैंसर, टीबी, डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्वाइन फलू, जैसी बीमारियां भी मुंह बाए खड़ी रहती है

मीरा-भाग 1 : मीरा के दिल में बसे अंगद ने उसे कौन सा आघात दिया

बचपन में मीरा जब भी उड़ते हुए विमान को देखती थी तो उस की नन्ही सी आंखों में विस्मय छलक उठता. इतने छोटे से विमान में लोग कैसे बैठते होंगे, डर नहीं लगता होगा? और बड़ी होने तक विमान में बैठने का तो सपना भी कभी नहीं आया था.

लेकिन जिस बात का कभी सपना भी नहीं देखा था वह बात आज सच हो गई थी. वक्त ने कुछ ऐसी करवट ली थी कि आज वह विमान में बैठ कर सात समंदर पार जा रही थी. यही एकमात्र सत्य था बाकी सब झूठ. वैसे ऐसा तो कहानियों में या फिर फिल्मों में होता है कि कोई राजकुमार आ कर किसी गरीब घर की लड़की को ब्याह कर ले जाए लेकिन यहां तो वास्तव में उस के जीवन में यही हुआ था.

कालेज की पढ़ाई पूरी होते ही अंगद उस की जिंदगी में कहीं से आ धमका था. उस की एक दूर की रिश्तेदार ने अंगद को दिखाया था और अंगद को वह पसंद आ गई थी. सब काम इतनी शीघ्रता से हुआ था कि सोचने का कुछ मौका ही न मिला. घर वालों की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था. बिना किसी लेनदेन के बेटी को ऐसा घर और ऐसा वर मिला था. किसी भी गरीब मांबाप को इस से ज्यादा क्या चाहिए? बेटी राज करेगी. एक हफ्ते में ही चट मंगनी पट ब्याह हो गया.

अंगद ज्यादा रुक नहीं सकता था. शादी के दूसरे दिन ही उसे जाना पड़ा. मीरा के सब पेपर तैयार करने थे, वीजा जो लेना था. जाने में थोड़ा समय तो लगना ही था. मीरा उतने दिन सासससुर के पास ही रही. बुजुर्ग सासससुर, दोनों ही बहुत अच्छे थे. और फिर थोड़े ही दिनों में मीरा का जाना भी हो गया. आंखों में सपने संजोए मीरा आज विमान में उड़ रही थी. उस ने जो सपना देखा भी नहीं था आज वह हकीकत बन गया था.

विमान में बैठेबैठे मीरा की आंखों ने आज पहली बार कुछ रंगीन सपने देखने शुरू किए थे.

शिकागो के ओहेर एअरपोर्ट पर अंगद उसे लेने आया था. उस के साथ उस की एक दोस्त भी थी. अंगद ने उस की पहचान कराई, ‘‘मीरा, यह मेरी दोस्त, मेरियन. और मेरियन, ये है मीरा.’’

विदेश में तो ये सब सहज है. ऐसा मीरा ने सुन रखा था, इसलिए उसे कुछ बुरा न लगा. हंस के उस ने मेरियन से हाथ मिलाया. मेरियन मीरा का अनूठा सौंदर्य देख कर चकित हो गई थी. तीनों साथ ही घर आए.

नई दुलहन का स्वागतसत्कार तो यहां कौन करे? मीरा ने ऐसे ही घर में प्रवेश किया.

अंगद ने बाहर से कुछ मंगवा कर रखा था. तीनों ने साथ खाया. मीरा को अंगद की बातों में ऊष्मा की कमी महसूस हुई. लेकिन शायद किसी तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी के कारण होगा, ऐसा सोच कर मीरा कुछ बोली नहीं. खाना खाने के बाद अंगद ने मीरा को एक कमरा दिखा कर कहा, ‘‘मीरा, आज से यह तुम्हारा कमरा.’’

‘‘मेरा?’’ मीरा कुछ समझी नहीं. उस ने अंगद की ओर देखा.

मीरा की आंखों में तैरता प्रश्न अंगद समझ रहा था. अब स्पष्टता करने की घड़ी आ पहुंची थी.

‘‘देखो मीरा, मेरियन मेरी दोस्त ही नहीं बल्कि मेरी प्रेमिका भी है. हम दोनों 1 साल से साथ रहते हैं. मुझे पता है, तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा, पर क्या करूं? तुम से शादी करना मेरी मजबूरी थी. मेरे मातापिता ने शर्त रखी थी कि अगर मैं किसी भारतीय लड़की से शादी करूंगा तभी उन की मिल्कियत मुझे मिलेगी, इसीलिए तुम से शादी करनी पड़ी. उन्हें मेरियन के बारे में कुछ पता नहीं. वैसे तो मुझे पहले दिन ही तुम्हें ये सब बताना नहीं था, लेकिन मेरियन ने बोला था कि मुझे आज ही बोलना पड़ेगा. सौरी. लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था.’’

मेरियन सामने बैठ कर सब सुन रही थी. अंगद के साथ रहने से वह हिंदी समझने लगी थी और थोड़ाबहुत बोल भी लेती थी.

मेरियन मीरा के सामने ही बैठी सब देख रही थी, अब मीरा क्या करेगी?

थोड़ी देर मीरा कुछ बोल नहीं पाई. एक सन्नाटा सा रहा. मीरा का वैसे तो जोरजोर से चीखने का जी हो रहा था लेकिन कौन सुनेगा यहां? कौन था अपना यहां? जिस को अपना मान कर, जिस के सहारे आई थी वह खुद ही…

रोने का कोई मतलब ही नहीं दिख रहा था. इस आदमी ने पैसों के लिए एक नारी की जिंदगी दांव पर लगा दी थी. क्या कर सकती है वह?

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही.

फिर मीरा ने धीरे से पूछा, ‘‘अब मुझे क्या करना है?’’

‘‘देखो मीरा, मैं कोई ऐसा बुरा आदमी नहीं हूं. तुम्हें दुख पहुंचाने का मेरा कोई इरादा भी नहीं है और मैं यह भी अच्छी तरह जानता हूं कि इस से ज्यादा दुख की बात तुम्हारे लिए और कोई नहीं होगी. मुझे माफ करना. मेरा प्यार मेरी मजबूरी है. तुम यहां आराम से रह सकती हो. तुम्हें यहां कोई तकलीफ नहीं होगी. पर हमारे बीच पतिपत्नी का कोई संबंध नहीं होगा. तुम भूल जाओ कि मैं तुम्हारा पति हूं और मैं भूल जाऊंगा कि तुम मेरी पत्नी हो. हम दोस्त की हैसियत से साथसाथ रहेंगे.

2 साल के बाद तुम स्वदेश वापस जाना चाहोगी तो जा सकती हो. मेरे मातापिता की शर्त सिर्फ 2 साल के लिए ही है. फिर मुझे उन की संपत्ति मिल जाएगी. और तब अगर तुम चाहो तो दूसरी शादी भी कर सकती हो.’’

मीरा के मन में प्रश्न आया, ‘शादी के बाद एक रात जो हम ने साथ बिताई थी, उस का क्या?’

उस का मन हुआ कि अंगद को झंझोड़ कर इस बात का जवाब मांगे, क्या मुझे मेरा कौमार्य वापस दे सकते हो? लेकिन कोई फायदा नहीं था. उस ने धैर्य रख कर पूछा, ‘‘और यहां रह कर मुझे क्या करना होगा?’’

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