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लालची बच्चों से अपनी संपत्ति बचाएं बुजुर्ग माता-पिता

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में एक बेटे ने पिता और पुत्र के रिश्ते को कलंकित कर दिया. जायदाद के विवाद को ले कर नशे में धुत पुत्र ने पिता की पीटपीट कर हत्या कर दी. जमुनीपुर गांव के रहने वाले 60 वर्षीय रामहित चौहान के 35 वर्षीय पुत्र सूर्यनाथ अपनी पत्नी व बच्चों को ले कर पिता से अलग रहता था. रामहरि की पत्नी की कई साल पहले मौत हो गई थी.

दूसरा पुत्र शिशुपाल दुबई में नौकरी करता था. रामहरि अपनी 20 वर्षीय अविवाहित पुत्री के संग रहता था. रामहित का पुत्र सूर्यनाथ उन से अपना हिस्सा मांगते हुए अकसर विवाद करता था. पिता जब जायदाद में हिस्सा देने से मना करता था तो झगड़ा होता था. एक दिन ऐसे ही झगड़े में मारपीट हुई जिस में सूर्यनाथ ने अपने पिता रामहरि को इस बेरहमी से मारा कि उन की मौत हो गई.

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में मिल एरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोड़रस के रहने वाले 55 वर्षीय राम दयाल खेतीकिसानी कर परिवार का पालनपोषण करते थे. बड़ा बेटा फूलचंद अपनी पत्नी व 2 बच्चों के साथ घर के सामने दूसरा घर बना कर रह रहा था. छोटा बेटा शर्मानंद पढ़ाई कर रहा था. राम दयाल अपनी 18 साल की बेटी मीरा की शादी की तैयारियां कर रहा था. वह बेटी की शादी के पहले जमीनजायदाद का बंटवारा नहीं करना चाहता था. लेकिन फूलचंद जमीन के बंटवारे के लिए दबाव डाल रहा था. एक दिन सुबह फूलचंद ने घर के बाहर सो रहे पिता पर डंडे से प्रहार करना शुरू कर दिया. जब पिता को बचाने मीरा आई तो उस ने उसे भी पीट दिया. मीरा की चीख सुन कर आसपड़ोस के लोग मौके पर पहुंचे और फूलचंद को पकड़ कर बाहर किया. घायल राम दयाल को अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

कमलजीत का मामला

पंजाब के संगरूर जिले के बरदवाल गांव में रहने वाले कमलजीत सिंह ने अपने 65 वर्षीय पिता हरभजन सिंह की हत्या कर दी. हरभजन का दोष यह था कि उन्होंने अपनी संपत्ति कमलजीत के बेटे यानी अपने पोते के नाम कर दी थी. इस से गुस्से में आ कर कमलजीत ने पिता की हत्या कर दी. पुलिस को बहकाने के लिए कमलजीत ने एक शिकायत दर्ज कराई कि उस के पिता पिछले 20 दिनों से लापता हैं. पुलिस की छानबीन के दौरान कमलजीत ने स्वीकर कर लिया कि उस ने पिता की हत्या कर उन के शव को घर के आंगन में ही दबा दिया था.

भगवान प्रसाद की मौत

बिहार प्रदेश के सीवान जिले में कोइरी टोला गांव में रहने वाले 70 वर्षीय भगवान प्रसाद की हत्या उन के ही छोटे बेटे व बहू द्वारा गला दबा कर कर दी गई. हत्या की वजह जमीन का विवाद था. घटना के 15 दिन पहले भगवान प्रसाद ने अपनी जायदाद में से 3 कठा 10 धूर जमीन अपने बड़े बेटे हरिहर प्रसाद के इकलौते पुत्र राहुल कुमार के नाम रजिस्ट्री कर दी थी. जिस की जानकारी, उस ने अपने छोटे बेटे कंचन प्रसाद और उस की पत्नी लालती देवी को नहीं दी. जब इस बात की जानकारी कंचन प्रसाद और लालती देवी को हुई तो परिवार में काफी क्लेश बढ़ गया. कंचन प्रसाद और उस की पत्नी लालती देवी ने ही वृद्ध पिता की गला दबा कर हत्या कर दी.

पुलिस ने दोनों आरोपी कंचन प्रसाद व लालती देवी को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार कंचन प्रसाद व उस की पत्नी लालती देवी का आरोप है कि हरिहर प्रसाद व उस के परिवार के लोगों ने पिता की हत्या की है और साजिश के तहत उन्हें फंसा दिया है. कंचन प्रसाद 5 साल से गांव में है. इस के पूर्व वह विदेश में रहता था. विदेश में रहने के दौरान उस ने काफी संपत्ति भी अपने नाम बना ली थी, जिस को ले कर भी हरिहर प्रसाद व उस का परिवार मानसिक रूप से काफी परेशान रहा करता था. इसी विवाद में हरिहर प्रसाद ने एक दुकान भी अपनी पत्नी के नाम से सीवान में जेपी चौक के पास ले रखी थी.

घटनाएं आम हैं

इस तरह की घटनाएं पूरे देश में होती हैं. इन में गांव और शहर का भेद नहीं है. यही वजह है कि अब वृद्ध लोगों के लिए अपनी संपत्ति को अपने ही बेटों से बचाने के लिए सोचना पड़ रहा है. ‘पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय’ कहावत का अर्थ है कि बेटा अगर लायक है तो उस के लिए धन एकत्र करने की जरूरत क्या. वह अपनी जरूरत के हिसाब से धन कमा लेगा. अगर बेटा नालायक है तो भी धन एकत्र करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वह आप का एकत्र किया धन अपनी खराब आदतों से उड़ा देगा.

धार्मिक कथाओं में भी यह बताया ही गया है कि इंसान का जीवन 4 समूहों में बांटा गया है. मनुष्य के जीवन को बाल्यावस्था, युवावस्था, गृहस्थ और वानप्रस्थ हिस्सों में बांटा गया है. यहां भी धन के महत्त्व को समझाया गया है. इस में यह अपेक्षा की गई है कि बुढ़ापे के समय में धन का मोह त्याग देना चाहिए और अपना घरद्वार, राजपाट छोड़ कर वानप्रस्थ की ओर निकल जाना चाहिए. इतिहास में ऐसे तमाम मामले भरे पड़े हैं जब बूढ़े राजा ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में बेटे को राजपाट दे कर संन्यास ले लिया. कई उदाहरण ऐसे भी हैं जिन में गद्दी पर कब्जा करने के लिए अपने ही पिता को कैद करने का काम भी किया गया.

सीधेतौर पर देखें तो साफ पता चलता है कि वृद्ध लोगों की संपत्ति पर उन के अपने बेटों की निगाह गड़ी रहती है. कई बार तो बेटे जबरदस्ती जायदाद, घर और मकान पर कब्जा कर लेते हैं. कब्जा करने के साथ ही साथ वे वृद्ध लोगों की उपेक्षा भी करते हैं. उन को घर से निकाल देते हैं और वृद्ध लोगों को उन की ही कमाई से बेदखल कर देते हैं. अगर वृद्ध पैंशन पा रहे हैं तो वह भी जबरन छीन लेते हैं. हैल्पएज इंडिया की रश्मि मिश्रा बताती हैं, ‘‘हमारे पास मदद के लिए ऐसी तमाम कौल्स आती हैं जिन में वृद्ध लोग यह शिकायत करते हैं कि उन के ही बेटा या बेटी ने जायदाद से बेदखल कर दिया है. तमाम मामलों में देखा गया है कि वृद्ध लोगों से बेटा या बेटी जबरन या धोखाधड़ी से कागजात पर हस्ताक्षर करा कर जायदाद को अपने नाम करा लेते हैं.’’

कोर्ट के फैसलों में राहत

कानून ने बुजुर्गों को यह अधिकार दिया है कि यदि बच्चे उन से दुर्व्यवहार करें, समय पर ठीक भोजन न दें, उन से नौकर जैसा बरताव करें तो मातापिता बेटाबेटी व दामाद या कोई और, सभी को अपने घर से निकाल सकते हैं, वसीयत से बेदखल कर सकते हैं. यदि वसीयत बच्चों के नाम कर दी है तो उसे बदलवा कर अपनी संपत्ति बच्चों से छीन सकते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2016 में ऐसे ही एक मामले में आदेश सुनाया था कि बेटा केवल मातापिता की मरजी से ही उन के घर में रह सकता है. मातापिता न चाहें तो उसे उन के घर में रहने का कानूनी हक नहीं है. भले ही उस की शादी हुई हो या न हुई हो.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2017 में एक अन्य फैसले में कहा था कि जिन बुजुर्गों के बच्चे उन से खराब व्यवहार करते हैं, वे किसी भी तरह की प्रौपर्टी से, वसीयत से बच्चों को बेदखल कर सकते हैं. सिर्फ मातापिता की कमाई से बनी संपत्ति पर ही यह बात लागू नहीं होती, बल्कि यह प्रौपर्टी उन की पैतृक और किराए की भी हो सकती है जो बुजुर्गों के कानूनी कब्जे में हो.

कानून तो बना पर मदद नहीं मिल रही

मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण एवं कल्याण कानून में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने एवं उन के साथ दुर्व्यवहार करने पर 6 माह तक कारावास या 10 हजार रुपए जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है. इस कानून के तहत प्रत्येक जिले में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष पुलिस यूनिट का गठन करने, प्रत्येक थाने में वरिष्ठ नागरिकों के लिए शीर्ष अधिकारी नियुक्त करने तथा वरिष्ठ नागरिक हैल्पलाइन रखने की बात कही गई है. विधेयक में दुर्व्यवहार के रूप में शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार, गालीगलौच करना, भावनात्मक दुर्व्यवहार, आर्थिक रूप से दुर्व्यवहार, अनदेखी करना और परित्याग, हमला करना, चोट पहुंचाना, शारीरिक एवं मानसिक रूप से कष्ट देना शामिल किया गया है.

कानून के मुताबिक, राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए एक हैल्पलाइन स्थापित करेगी. इस के तहत पूरे देश में एकसमान नंबर होगा तथा जिसे स्वास्थ्य देखरेख, पुलिस विभाग और संबद्ध अभिकरणों से जोड़ा जाएगा. इस में कहा गया है कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी अस्पताल चाहे वे सरकार द्वारा पूर्णतया या अंशतया वित्तपोषित हों या निजी स्वास्थ्य संबंधी देखरेख संस्थाएं हों, वरिष्ठ नागरिकों को यथासंभव सुविधा प्रदान करेंगी. विधेयक में वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान भी किया गया है ताकि वे भरणपोषण और सहायता के दावों का निपटारा कर सकें.

अधिवक्ता राजेश तिवारी कहते हैं, ‘‘सरकार वृद्ध लोगों की मदद करने के लिए तमाम दिशानिर्देश और कानून बना चुकी है. परेशानी की बात यह है कि इस सब तरह से मदद के लिए वृद्ध लोग अपनी बात कहने को सरकारी औफिस या कोर्ट पहुंचें, यह व्यावहारिक नहीं है. कई बार वृद्ध लोग शरीर और पैसे से सक्षम नहीं होते. उम्र के इस दौर में वृद्ध लोगों को दूसरों पर आश्रित होना होता है. ये लोग परिवार के होते हैं. यही समस्या के कारण भी होते हैं. सरकार वृद्ध लोगों की परेशानी को सुने और उन की इस तरह मदद करे कि उन को सरकारी औफिस या कोर्ट में चक्कर न काटने पड़ें. तभी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो पाएगा.’’

बेटे को कर सकते हैं संपत्ति से बेदखल

१.    बेटा अपने पिता की संपत्ति का स्वाभाविक दावेदार होता है. संपत्ति के लिए कई बार विवाद भी होते हैं और ये अपराध की हद तक चले जाते हैं.

२.    कभीकभी मातापिता नहीं चाहते कि उन की संपत्ति उन के बेटे को मिले. कानून अलगअलग तरह से इस मामले में मदद करता है.

३.    यदि संपत्ति पैतृक है तो पिता अपने बेटे को उस से बेदखल नहीं कर सकता.

४.    यदि संपत्ति मातापिता द्वारा अर्जित की गई है तो उन्हें पूरा अधिकार है कि वे अपनी एक संतान या सभी संतानों को चाहे वह बेटा हो या बेटी, संपत्ति से बेदखल कर दें. इस के लिए कानून के तहत कार्यवाही कर के वकील के माध्यम से एक सार्वजनिक सूचना बनवा कर स्थानीय अखबारों में प्रकाशित कराया जाता है.

५.    यदि कोई पिता मरने के बाद बेटा या बेटी को अपनी निजी संपत्ति का कानूनी वारिस नहीं बनाना चाहते तो वे रजिस्टर्ड वसीयत बनवाएं जिस में स्पष्ट करें कि कुल कितने लोग प्रौपर्टी के कानूनी वारिस हैं. उन में से किसकिस को बेदखल कर रहे हैं या वारिस के अधिकार से हटा रहे हैं.

६.    अगर बच्चे अपने मांबाप की देखभाल नहीं करते तो ऐसी स्थिति में मांबाप संपत्ति का हस्तांतरण कर दोबारा संपत्ति के हकदार भी हो सकते हैं. मैंटीनैंस एंड वैलफेयर औफ पेरैंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट  2007 आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, नगालैंड, राजस्थान और त्रिपुरा में लागू है.

वे बिंदु जिन पर गौर करना जरूरी

  • पिता अपनी खुद की बनाई संपत्ति से मातापिता बच्चे को बेदखल कर सकते हैं. जब तक वे न चाहें, बच्चे हकदार नहीं होंगे. पिता की मृत्यु बाद वे दावा कर सकते हैं अगर पिता ने किसी और को संपत्ति नहीं दी है तो. पैतृक उत्तराधिकार वाली संपत्ति के मामले में वे बच्चों को बेदखल नहीं कर सकते.
  • हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरा विवाह वैध नहीं माना जाता. लेकिन पहली पत्नी की मौत के बाद व्यक्ति दूसरी शादी करता है तो उसे वैध माना जाएगा. फिर उस के बच्चे भी विरासत में हकदार होंगे.
  • पिता ने जीवित रहते खुद खरीदी संपत्ति किसी को दे दी तो वारिसों को उस में हिस्सा नहीं मिलता. पिता की मौत के बाद भी वे हक नहीं मांग सकते. रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार, अचल संपत्ति का गिफ्ट डीड कराना जरूरी है. यदि पिता ने इसे रजिस्टर्ड नहीं कराया है तो कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

वजन भी कम करता है सेब का सिरका, ऐसे करें इस्तेमाल

सेब हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है इसे बताने की जरूरत नहीं है. दिन में एक सेब खाने से कई तरह की परेशानियों से आराम मिलता है. पर क्या आपको पता है कि सेब के सिरका हमारे लिए कितना फायदेमंद है. इस खबर में हम आपको सेब के सिरके से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे.

सेब का सिरका हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. सर्दियों में इसका इस्तेमाल खास तौर पर करना चाहिए. आपको जान कर हैरानी होगी कि एंटीऔक्सीडेंट्स, अमीनो एसिड और पोटैशियम जैसे खास गुणों से भरपूर होने के बाद भी इसमें कैलोरी की मात्रा बेहद कम होती है. सेब का सिरका शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और टौक्सिंस को नष्ट करने में बेहद कारगर होता है.

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अपनी इन तमाम खूबियों के अलावा मोटापे को कम करने में भी ये बेहद लाभकारी है. कई तरह  की स्टडीज में ये बत सामने आई है कि पेट की चर्बी को कम करने में सेब का सिरका बेहद असरदार होता है.

  • आपको बता दें कि 100 ग्राम सेब में करीब 22 कैलोरीज होती हैं. इसके नियमित सेवन से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है और पेट की चर्बी भी कम होती है.
  • इसमें असेटिक एसिड पाया जाता है जो पेट की चर्बी को कम करने में अहम योगदान निभाता है.
  • सेब में असेटिक एसिड के कारण लंबे समय तक भूख नहीं लगती. एक बात इसका सेवन कर लिया जाए तो लंबे समय तक पेट भरा रहता है. इससे आपका वजन कम होता है.
  • कई स्टडीज में ये बात सामने आई है कि सेब के सिरके के नियमित सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है. आपको बता दें कि कम वजन के लिए ब्लड शउगर का समान्य रहना बहुत जरूरी है.

जानिए सेब के सिरके के सेवन का सही तरीका

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  • कभी भी केवल सेब के सिरके का प्रयोग ना करें. हमेशा पानी में डाल कर इसका सेवन करें.
  • एक बार में ज्यादा सिरका पीने से बेहतर थोड़ी थोड़ी देर पर इसे लें. ऐसा करने से आपको ज्यादा फायदा होगा.
  • खाना खाने से पहले सिरके का सेवन करने की कोशिश करें.
  • ध्यान रखें कि सिरके का अधिक सेवन आपके गले के लिए हानिकारक हो सकता है. कम मात्रा में इसका सेवन करें.
    जरूरी है कि वजन कम करने के लिए इसका सेवन करने से पहले आप डाक्टर से सलाह जरूर लें.
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चूहा प्रबंधन: घर से खेत तक कैसे करें

लेखक-प्रो. रवि प्रकाश मौर्य, डा. सुमन प्रसाद मौर्य

हमारे यहां ग्रामीण क्षेत्रों में चूहे को विभिन्न नामों से जाना जाता है. कहीं चुहिया, कहीं मूस, तो कहीं मूसी कहते हैं. चूहा घर व खेतखलिहान तक हानि पहुंचाता है.

चूहे द्वारा हानि घरों में हानि : चूहे घरों में रखे सामान को खा जाते हैं. चूहों के काटने से मनुष्य में स्पाइरल मूसक दंश हो जाता है. म्यूसन टाइफस व टाइफस बुखार दोनों बीमारी चूहों द्वारा ही इनसान को होती हैं. जब चुहिया घरों के कपड़ों में पेशाब कर देती है तो वही कपड़े बिना धुले पहन लेने पर लैप्टो स्पाइरल पीलिया बीमारी इनसानों में हो जाती है. घरों में रखे अनाजों में जब चुहिया मलमूत्र कर देती है और उसी अनाज को बिना धुले हुए इस्तेमाल किया जाता है, तो उस में क्लोस्ट्रीडियम, नोटिलियम नामक बैक्टीरिया होता है, जिस से फूड पौयजनिंग हो जाता है.

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खेतों में हानि चूहे हमारी फसलों में विशेषकर गेहूं, धान, मूंगफली, चना, तिल, गन्ना, ज्वार, बाजरा और नारियल की फसलों को अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं. खेतों में बनी कच्ची नालियों को काट देते हैं, जिस से पानी का नुकसान हो जाता है. ज्यादा पानी बहने से फसलें डूब जाती हैं. फसलों को काट कर नुकसान करने के साथसाथ बालियों को बिलों में एकत्रित कर लेते हैं. फसल कटाई कर जब खलिहान में एकत्रित किया जाता है, तो रखे बंडल के नीचे इन का प्रकोप हो जाता है.

खाद्यान्न भंडार में क्षति खलिहान तक क्षति पहुंचाने के बाद खाद्यान्न भंडारों में/गोदामों/घरों में रखे अनाज को भी क्षति पहुंचाते हैं. उपरोक्त के अतिरिक्त कपड़ों, जूतों, विद्युत उपकरण के तारों को कुतर देते हैं. सभी जगह चूहों से हानि ही हानि होती है. स्वभाव चूहे बहुत ही चालाक व शक्की स्वभाव के होते हैं. जरा सा भी संदेह होने पर ये किसी विशेष वस्तु को खाना छोड़ देते हैं.

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इन के अगले दांत कुतरने वाले नुकीले व मजबूत होते हैं. ये अधिकतर रात के समय निकलते हैं. सूंघने, चखने और सुनने की शक्ति बड़ी तीव्र होती है. ये 50 सैंटीमीटर से एक मीटर तक ऊंची छलांग लगा सकते हैं. निवास स्थान चूहे सुविधानुसार बिलों में नीचे, मकान की छतों, दीवारों के अंदर बिल बना कर नालियों में, गोदामों, घरेलू सामग्री कूड़ाकरकट के ढेरों में रहते हैं. जीवनचक्र मादा चूहा संभोग के 21 दिन बाद बच्चा देती है, जिस के कान 2 दिन में और आंखें 5 दिन में ही खुल जाते हैं. इस के बाद चूहों में अगले दांत 8 दिन में और पिछले अंदर के दांत एक महीने में निकल आते हैं.

30 से 35 दिन में ये बच्चे दौड़ने लगते हैं. मादा चूहा साल में 10 बार प्रजनन करती है और एक बार में 6 से 12 बच्चे देती है. एक साल में इन की 4 पीढि़यां पाई जाती हैं. 3 महीने बाद मादा बच्चा पैदा करने योग्य हो जाती है. चूहा स्तनधारी होता है. मादा बच्चों को दूध पिलाती है. चूहों की जातियां चूहों की बहुत सी जातियां हैं, पर इन्हें 4 वर्गों में बांटा गया है : 1. घरेलू चूहा 2. खेत का चूहा 3. पड़ोसी चूहा 4. जंगली चूहा घरेलू चूहा : सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला चूहा है, जो घर में रहता है. यह नगरों, कसबों व गांवों में भंडारों में पाया जाता है. यह आबादी वाले क्षेत्रों में रहना पसंद करता है. इस का रंग गहरा भूरा और निचला हिस्सा हलके रंग का होता है. पूंछ शरीर से अधिक लंबी व वजन 350 ग्राम तक होता है. यह 10 ग्राम अनाज खाता है, पर कई गुना नुकसान करता है.

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खेत का चूहा : यह खेत में बिल बना कर मेंड़ों, नालियों, कूड़ा आदि के ढेरों में रहता है या फसलों का नुकसान करता है. 5-6 ग्राम अनाज प्रतिदिन खाता है. इस के बिलों में 6 किलोग्राम तक अनाज पाया गया है.

पड़ोसी चूहा : यह खेत और घर दोनों जगह पाया जाता है.

जंगली चूहा : यह जंगल में पाया जाता है. यह काट भी लेता है. चूहा प्रबंधन चूहों का प्रबंधन उन के रहने की जगह के अनुसार किया जा सकता है.

(अ) घरों में प्रबंधन : 1. चूहा अवरोधी भंडारगृह : भंडारगृह, निवास स्थानों, गोदामों, दुकानों आदि को पक्का और कंकरीट से बनवाना चाहिए.

2. बखारी का प्रयोग : अनाज की मात्रा यदि कम हो, तो लोहे या टिन के बखारियों में रखना चाहिए और खाद्य सामग्री को बक्से या लोहे की जालियों में रखना चाहिए.

3. अलमारी का प्रयोग : पहनने वाले कपड़े लोहे या लकड़ी की अलमारी या बक्सों में रखने चाहिए.

4. सफाई जरूरी : गांव, शहरों व खेतों के आसपास सफाई रखने से काफी कमी चूहों में काफी कमी आ जाती है.

5. चूहेदानी का प्रयोग : घरों, गोदामों में चूहेदानी यानी पिंजरे का प्रयोग करना चाहिए. चूहेदानी में चूहे पकड़े जाने के बाद उसे पानी में डुबो कर मार देना चाहिए. बाहर छोड़ने पर वह घर में आ जाएगा. चूहेदानी को पानी से साफ कर दोबारा प्रयोग में लाना चाहिए. बाजार में विभिन्न प्रकार की चूहेदानी मिलती है.

6. विषाक्त चारे का प्रयोग : रैटाफिन, बारफेरियम आदि नामों से विषयुक्त बिसकुट की तरह चूहामारक आता है. इसे ले कर जगहजगह चूहे के आनेजाने वाली जगहों पर रात में रख दिया जाता है. चूहे इसे खाने से मरते हैं. इन्हें सुबह उठा कर गड्ढा खोद कर गाड़ देते हैं.

(ब) प्रक्षेत्र व खेतों में चूहा प्रबंधन: यह अभियान समन्वित विधि द्वारा किया जाता है. फसल प्रक्षेत्र व खलिहान के लिए खरीफ में मईजून, रबी में सितंबरअक्तूबर महीने का समय चूहा प्रबंधन के लिए सही होता है. चूहा प्रबंधन अभियान गांव स्तर पर ही होना चाहिए. 40-50 की संख्या में लोग हों, साथ में मिट्टी और 1.5 फुट का डंडा होना चाहिए. इस के लिए एक हफ्ते का समय होना जरूरी है. गांव में बैठक कर तारीख तय करें. पहले दिन : बिलों का सर्वे कर उन्हें बंद करें व पहचान के लिए डंडा लगा दें. दूसरे दिन : बंद बिलों के पास का डंडा उखाड़ लें और शाम को बिलों के पास सादा चारा कुटा हुआ, भुना दाना 5 से 10 ग्राम अधखुले कागज की पुडि़या बना कर बिलों में रखें.

तीसरे दिन : दूसरे दिन की तरह शाम को सादा चारा रखें. चौथे दिन : विष चारा 10-15 ग्राम की पुडि़या बना कर बिलों में रख दें. नोट : विष चारा निम्न प्रकार बनाया जाता है : * सादा दाना (भुना चना/चावल आदि) – 46 ग्राम. * जिंक फास्फाइड (चूहानाशक विष) – 2 ग्राम. * सरसों का तेल – 2 ग्राम (50 ग्राम) बिलों की संख्या के अनुसार विष चारा 10-15 ग्राम प्रति बिल की दर से तैयार करें. दस्ताने पहन कर लकड़ी से सभी को मिला कर 10-15 ग्राम की पुडि़या बना लेते हैं और शाम को बिलों में रखते हैं. ध्यान रहे कि यह बहुत जहरीला होता है. इस का घरों में प्रयोग न करें. पाचवें दिन : सुबह बिलों का निरीक्षण करें और बचा हुआ विष चारा व मरे हुए चूहों को जमा कर गड्ढा खोद कर चूना डाल कर ढक दें. मरे चूहे बाहर रखने पर कुत्ता, बिल्ली या दूसरा कोई जानवर उन्हें खाएगा तो मर जाएगा. चूहा शक्की होता है, इसलिए 2 दिन सादा चारा दिया जाता है.

चूहा प्रबंधन प्रसार रणनीति प्रथम चरण : चूहा नियंत्रण करने के विषय में जनवरीफरवरी महीनों में प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित होना चाहिए. साथ ही, मार्च, मई और जून महीने में विद्यार्थी दल ग्रामीण समूह व युवक संघ को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. द्वितीय चरण : अप्रैल, मई, जून माह में आकाशवाणी, दूरदर्शन, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग और दूसरी प्रसार इकाई द्वारा समुदाय को चूहा नियंत्रण कार्यक्रम से अवगत कराना व प्रेरित करना चाहिए. तृतीय चरण : मूल्यांकन और आवश्यकतानुसार पुनरावृत्ति होने चाहिए. चूहा प्रबंधन अकेले के बस की बात नहीं है. अभियान चला कर ही चूहों का नियंत्रण किया जा सकता है.

बर्फ का तूफान-भाग 1: क्यों डर गए थे फ्लाइट में बैठे सभी यात्री

‘‘इस बार फ्लाइट में बहुत कम यात्री हैं,’’ कैप्टन अक्षय चौहान ने हवाई जहाज के कौकपिट में अपनी सीट पर बैठने के बाद अपनी साथी को-पायलट रंजन मेहरा को कहा.

‘‘इस रूट पर काफी कम यात्री होते हैं. अब सर्दियां शुरू हो गई हैं. यूरोप में भयंकर सर्दी पड़ती है. ऐसे मौसम में यूरोप से दक्षिण एशिया के गरम देशों में सैलानी आते हैं, यूरोप कोई नहीं जाता,’’ रंजन के इस लंबे जवाब को सुनते ही कैप्टन अक्षय चौहान ने डैशबोर्ड पर ध्यान से नजर डाली. सब सामान्य था.

‘‘कुल जमा 8 ही यात्री हैं इस बार. पिछले हफ्ते की फ्लाइट भी आधी से ज्यादा खाली थी,’’ चीफ एअरहोस्टेस रीना ने कौकपिट में आ कर कहा.

‘‘मैनेजमैंट इस रूट पर फ्लाइट को बंद क्यों नहीं कर देता,’’ रंजन ने कहा.

‘‘मैनेजमैंट कोई फैसला खुद नहीं ले सकता. फिनलैंड, नार्वे, डेनमार्क आदि कई मंत्रियों, बड़े अफसरों की पसंद की जगहें हैं. कितना भी घाटा हो, इन रूटों पर फ्लाइट चलती रहती हैं.’’

तभी कंट्रोल टावर से टेकऔफ का सिगनल मिला. हवाई अड्डे पर उतरने वाले हवाई जहाज एकएक कर के उतर चुके थे और रनवे पर निर्धारित लेन में नियत स्थानों पर खड़े हो चुके थे.

अब प्रस्थान करने वाले हवाई जहाजों को क्रमवार उड़ान भरनी थी.

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‘‘कृपया यात्री अपनी बैल्ट बांध लें. प्लेन टेकऔफ कर रहा है,’’ एअरहोस्टेस ने माइक से एनाउंस किया. प्लेन रनवे पर दौड़ा फिर एक हलका झटका लगा और आकाश में ऊपर उठता अपने गंतव्य की तरफ उड़ने लगा.

स्केनेवाडाई देश कहे जाने वाले फिनलैंड, डेनमार्क और नार्वे उत्तरी अमेरिका और कनाडा के पूर्व में स्थित हैं. यहां साल के बारहों महीने ठंड पड़ती है.

भारत से सीधी उड़ान फिनलैंड और नार्वे तक थी. नार्वे की राजधानी ओस्लो साल में बारहों महीने बर्फ से ढकी रहती है. बर्फ पर स्केटिंग, स्लेज की सवारी और बर्फबारी का आनंद लेने के शौकीन सैलानी यहां आते रहते हैं.

भारत से सप्ताह में एक बार एक ही फ्लाइट आती थी. 18 घंटे का सफर बीच में रूस के ताशकंद से हो कर जाता था. लगभग आधा यूरोप पार करने के बाद ही फिनलैंड आता था.

‘‘यात्री तो आधे भी नहीं मगर खाने के पैकेट पूरे सप्लाई हुए हैं. बचे खाने का क्या करेंगे?’’ किचन में नईनई भरती हुई एअरहोस्टेस ने अपने से सीनियर एअरहोस्टेस रीना से पूछा.

‘‘बचा खाना भी काम आ जाता है. कई बार फ्लाइट कहीं अटक जाती है तब यही खाना काम आता है.’’

‘‘8 ही यात्री हैं. इस से ज्यादा तो क्रू ही है.’’

‘‘कभीकभी एक भी यात्री नहीं होता. सारा प्लेन ही खाली वापस जाता है.’’

‘‘अच्छा, क्या भारत से भी खाली प्लेन रवाना होता है?’’

‘‘नहीं, यात्री न हों तो फ्लाइट कैंसिल हो जाती है.’’

यात्रियों को प्लेन के उड़ने से पहले चूसने के लिए टाफियां, खट्टीमीठी गोलियां दी गईं. फिर उन की पसंद से चायकौफी, ठंडा, जूस, शरबत आदि दिया गया.

प्लेन धीरेधीरे ऊपर उठता अपनी पूरी ऊंचाई पर स्थिर हो उड़ने लगा. यात्रियों को अब सुरक्षापेटी यानी सेफ्टीबैल्ट खोल देने को कहा गया.

प्लेन में 8 यात्रियों के साथ 4 एअर- होस्टेस, 2 पायलट और 4 अटैंडैंट यानी कुल 18 लोग थे. जहाज में एक ही क्लास थी और एक ही तल था.

खाने का समय हो चला. यात्रियों की पसंद और इच्छानुसार उन को उन की पसंद की शराब या अन्य पेय दिया गया. फिर खाना सर्व हुआ.

अब हवाई जहाज का स्टाफ यानी क्रू भी खानेपीने लगा. ढाई घंटे के सफर के बाद थोड़ी देर के लिए प्लेन ने ताशकंद रुक कर ईंधन भरवाया. फिर उड़ चला.

यात्रियों के साथसाथ अब स्टाफ भी नींद के आगोश में था. हवाई जहाज नए जमाने का था. नवीन प्रणाली और उपकरणों से लैस था. नेविगेटर और आटो पायलट को एक निर्धारित पौइंट पर सैट कर पायलट और को-पायलट भी नींद की झपकी ले सकते थे.

‘‘इस समय हम कहां हैं?’’ इस रूट पर अनेक बार आ चुकी चीफ एअरहोस्टेस रीना ने कौकपिट में आ कर पूछा.

‘‘एशिया का इलाका पार कर अब मध्य यूरोप के ऊपर हैं, चंद मिनटों में आल्प्स पर्वतमालाओं के ऊपर होंगे,’’ कैप्टन अक्षय चौहान ने कहा.

‘‘एक ही रूट पर लगातार आते रहने से रास्ता जानापहचाना हो जाता है,’’ नई आई एअरहोस्टेस की इस टिप्पणी पर कौकपिट में मौजूद सभी खिलखिला कर हंस पड़े.

बर्फ का तूफान-भाग 3 : क्यों डर गए थे फ्लाइट में बैठे सभी यात्री

‘‘पता नहीं, शायद आल्प्स पर्वत की पहाडि़यों पर हैं.’’

‘‘और बाकी सब कहां हैं?’’

‘‘पता नहीं. आओ उठो, देखते हैं.’’ सहारा दे कर उस ने रीना को खड़ा किया. फिर एकदूसरे का हाथ थामे एकदूसरे को सहारा दे चलने लगे. मगर किस तरफ जाएं. सब तरफ बर्फ की चादर बिछी थी.

सूरज आसमान के बीचोंबीच था. पूर्व दिशा, पश्चिम दिशा, उत्तर और दक्षिण दिशा किधर थी. सब तरफ बर्फ की चादर बिछी. दूर तक ऊंचेऊंचे पहाड़ बर्फ से ढके थे.

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पेड़पौधे, वनस्पति किसी का नामोनिशान नहीं था.

‘‘यहां भटकना ऐसा है जैसे किसी रेगिस्तान में भटकना,’’ रीना ने कहा.

‘‘आप का मोबाइल फोन कहां है?’’

रीना ने वक्षस्थल के बीच में हाथ डाला. छोटी पौकेट में उस का मोबाइल फोन था. वह भी जाम था. उस को सर्दी लग रही थी. साड़ीब्लाउज के ऊपर उस ने हलका स्वैटर डाला हुआ था. कैप्टन अक्षय चौहान सफेद पैंटशर्ट पर हलकी ऊनी जैकेट पहने था. उस ने रीना के शरीर की कंपकंपी को महसूस करते हुए अपनी जैकेट उतार कर उसे पहना दी.

‘‘यहां कहां और कब तक भटकेंगे?’’

‘‘एक जगह स्थिर बैठने के बजाय चलते रहना बेहतर है. बैठे रहने से शरीर सुन्न पड़ जाएगा.’’ कहते हुए कैप्टन ने अपना बायां बाजू उस की कमर में डाल दिया और उस को अपने साथ सटा धीरेधीरे चलने लगा.

आम हालत में अपने क्रू के किसी साथी या किसी अन्य को यों बांहों में लेना संभव नहीं था. मगर अब हालात जिंदगी और मौत के थे. रीना ने शरीर को ढीला छोड़ दिया.

लगभग एक फर्लांग चलने के बाद उन को हवाई जहाज का एक पंख बर्फ में धंसा मिला. इस से उन को आशा बंधी कि हवाई जहाज के बाकी हिस्से भी आसपास होंगे.

‘‘मुझे प्यास लगी है?’’ खुश्क होंठों पर जीभ फिराते रीना ने कहा.

कैप्टन ने इधरउधर देखा. बर्फ के रेगिस्तान में पानी कहां से मिलता. क्यों न बर्फ चूसी जाए. उस ने नीचे झुक कर बर्फ को हटाया, ऊपर की बर्फ कच्ची थी. नीचे की परत सख्त थी, जैसे जमी हुई सिल्ली हो. एक छोटा टुकड़ा उखाड़ कर उस ने रीना को थमा दिया, ‘‘इसे चूसो.’’

थोड़ा आगे हवाई जहाज की पूंछ का पंखा पड़ा था. उस से आगे छोटेबड़े टुकड़े, सीटें. कुछ सीटें सहीसलामत थीं. एक तरफ एक कार्टून पड़ा था. उस में खाने के पैकेट थे.

खाना देखते दोनों की आंखें चमक उठीं. बर्फ पर बैठ कर दोनों ने एकएक पैकेट खोल लिया. बर्फ से भी ठंडा चावल, रोटी, सब्जी, सलाद सब जमा हुआ. मगर पता नहीं कितने घंटों से भूखे थे.

ठंडा खाना दांत और मुंह को जमा रहा था मगर जैसेतैसे दांतों से कुचलकुचल कर गले से नीचे उतारा. खाना खा पानी के लिए इधरउधर देखा. थोड़ी दूर पर अनेक बोतलें यानी मिनरल वाटर, फ्रूट जूस, सब कुछ जमा हुआ.

‘‘इन सब को इकट्ठा कर लो. पता नहीं कब तक काम आए,’’ बिखरे पैकेट, बोतलें इकट्ठी कर एक तरफ ढेर लगा दीं.

‘‘हम दोनों के सिवा क्या और कोई…’’ रीना के कथन का मतलब समझते कैप्टन ने चारों तरफ देखा. पेट भर जाने से सुन्न पड़ा दिमाग भी चल पड़ा था.

पैरिस हवाई अड्डे के कंट्रोल टावर में भारत से आए अफसर फ्रांस के अन्य अफसरों से विचार कर रहे थे. प्लेन क्रैश होने से पहले लियारस एअरपोर्ट से  2 मिनट का संपर्क बना था. हवाई जहाज के कंप्यूटर सिस्टम ने फ्रांस के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते आमद दिखाई थी. चंद मिनटों बाद ही आपात स्थिति का रैड सिगनल भी दिया था. फिर इस के 2 मिनट बाद हवाई जहाज का संपर्क टूट गया था.

‘‘सैटेलाइट के कैमरे आल्प्स की पहाडि़यों में लगातार नजर डाल रहे थे. लेकिन लगातार जारी बर्फबारी के चलते साफ तसवीरें लेने में दिक्कत आ रही है,’’ एअर फ्रांस के डायरैक्टर शरीक फेरेस्टर ने कहा.

‘‘वहां हैलीकौप्टर से उतर कर देखा जाए तो?’’ अरविंद घोष, जो एअर इंडिया के आपात स्थिति कंट्रोलर थे, ने कहा.

‘‘प्लेन क्रैश होने से विस्फोट की भयंकर आवाज ने पहाड़ों पर जमी भारी बर्फ को थर्रा दिया, जिस से हिमस्खलन हो गया. भारी बर्फ में हवाई जहाज के टुकड़े दब गए हैं. मौसम लगातार साफ होने पर ही कुछ हो सकता है.’’

‘‘कितना समय लग सकता है?’’

‘‘लगभग 3 दिन.’’

3 दिन, इतनी भयानक ठंड में कौन बच सकता था. भारत से आया अधिकारियों का दल मायूसी से भर उठा.

‘‘दोपहर ढल रही है. सूरज भी बर्फबारी में छिप रहा है. यहां रात कहां बीतेगी,’’ कैप्टन ने कहा.

‘‘यहां कहां और क्या ठिकाना मिल सकता है?’’

‘‘जरा मोबाइल ट्राई करो.’’

दोनों ने अपनाअपना मोबाइल फोन फिर ट्राई किया, मगर नमी के कारण बैटरी जाम थी. धूप भी इतनी नहीं थी. बैटरी सुखाने के लिए साफ धूप भी जरूरी थी.

थोड़ा आगे एक बर्फ की पहाड़ी सी थी. हवाई जहाज के टूटे पंख का एक टुकड़ा उठा कर कैप्टन उस पहाड़ी के समीप पहुंचा.

‘‘क्या कर रहे हो?’’

‘‘रात बिताने के लिए ठिकाना बनाना है. इस बर्फ की पहाड़ी के अंदर गुफा बनाते हैं,’’ कहते हुए अक्षय चौहान ने पहाड़ी के तल को खोदना शुरू किया.

1 घंटे की कोशिश के बाद 2 व्यक्तियों के लेटने लायक अर्ध गोलाकार गुफा बन गई.

खाने के पैकेट और पेय की बोतलें ले दोनों अंदर जा लेटे. अभी तक एस्कीमों लोगों द्वारा ही ऐसे बर्फ से बने घर या झोंपड़े (इगलू) सुने थे. आज दोनों को ऐसा बचाव का ठिकाना बनाना पड़ा था.

‘‘बर्फ से बना कमरा भी गरम है. ऐसे कैसे?’’ रीना ने पूछा.

‘‘सर्दीगरमी हवा के चलने से होती है. बाहर बर्फ है, हवा है इसलिए ठंड है. अंदर हवा नहीं है इसलिए गरमी है.’’

‘‘अगर यह बर्फ हम पर पड़ जाए तो?’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. बर्फ ठोस है, डरो मत.’’

थोड़ी देर खामोशी छाई रही. शाम ढल रही थी अंधेरा धीरेधीरे छा रहा था.

‘‘आप के पास लाइटर है?’’

‘‘हां है, सिगरेट भी है लेकिन यहां लाइट जलाना खतरनाक है.’’

अंधेरा छा गया. दोनों एकदूसरे से सटे थे. सांस से सांस टकरा रही थी. शरीर को शरीर का छूना एकदूसरे के बारे में बता रहा था.

‘‘खाना खा लें,’’ अधलेटे ही दोनों ने खाना खाया, फिर पेय की बोतलें चूसने लगे. रात गहराने लगी. सर्दी बढ़ गई. शरीर ही शरीर को गरम रख सकता था.

‘‘एकदम नजदीक आ जाओ. सर्दी से बचाव का यही रास्ता है.’’

रीना समझ गई. कैप्टन ने उसे बांहों में ले लिया. कभी सैक्स आनंद के लिए होता है. यहां जान बचाने के लिए शरीर में गरमी बनाए रखने के लिए जरूरी था.

दोनों सारी रात एकदूसरे को उकसाते रहे. शरीर से शरीर मिलता रहा. बर्फ बाहर गिरती रही, ठंड बढ़ती रही. अंदर गरमी रही. रात को पता नहीं कब दोनों सो गए.

सुबह की धूप काफी तीखी थी. हैलीकौप्टर की गड़गड़ाहट से उन की नींद खुली. रेंग कर बाहर निकले मगर तब तक हैलीकौप्टर दूर चला गया था.

दोनों एकदूसरे का हाथ थामे आगे बढ़े. बर्फ के एक बड़े टुकड़े से कैप्टन का पैर टकराया. उस को बर्फ में दबा कुछ सख्त लगा. उस ने बर्फ को खुरचा. हवाई जहाज का कौकपिट बर्फ में दबा पड़ा था.

उत्साह से भर दोनों बर्फ हटाने लगे. कौकपिट का सारा केबिन सुरक्षित था. आधे से ज्यादा डैशबोर्ड चटक गया था. कैप्टन ने संचार प्रणाली को चैक किया. सिस्टम काम कर रहा था लेकिन टावर सप्लाई करने वाली बैटरी ठंड की वजह से जाम थी.

बाहर निकल कर दोनों आसपास कुछ तलाशने लगे. जल्द ही उन का उत्साह दुख में बदल गया. कौकपिट के पीछे को-पायलट रंजन की लाश पड़ी थी. उस के थोड़ा आगे क्रू के 2 अन्य साथियों की लाशें थीं. अधजली और ठंड से अकड़ी हालत में.

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रीना की आंखों से आंसू बहने लगे. कैप्टन ने उस को सीने से लगा कर दिलासा दिया.

‘‘आओ, आगे चलें. तलाश करता हैलीकौप्टर सुबह आगे निकल गया. बाहर रहने से शायद हम पर निगाह पड़ जाए.’’

भारी मन से रीना साथसाथ चलती गई.

क्रैश हुए प्लेन के भग्नावशेषों और मृतकों की लाशों को ढूंढ़ने में तकरीबन 1 महीना लगा. अगले कई महीनों तक एक भयानक सपने के समान यह हादसा रीना और कैप्टन को डराता रहा.

बर्फ का तूफान-भाग 2 : क्यों डर गए थे फ्लाइट में बैठे सभी यात्री

इस पर नई एअरहोस्टेस सकपका कर सब को देखने लगी, ‘‘इस में हंसने की क्या बात थी.’’

‘‘एअर रूट और समुद्र का रूट कभी जानापहचाना नहीं हो पाता. जरा विचार करो,’’ कैप्टन अक्षय चौहान ने कहा.

नई एअरहोस्टेस अनामिका इस पर सोचने लगी. सड़क मार्ग तो जानापहचाना हो सकता था मगर क्या हवाई मार्ग कभी जानापहचाना हो सकता था? उस ने सामने लगे बड़ेबड़े शीशों से बाहर देखा.

ऊपर काला आसमान था, नीचे चमकता समुद्र या बर्फ से ढकी ऊंचीनीची पहाडि़यां. इस तरह का समुद्री मार्ग भी कभी जानापहचाना हो सकता है?

फिर वह अपने भोलेपन पर हंस पड़ी. सभी फिर हंस पड़े. क्रू की नई साथी सब को पसंद आई.

‘‘लो, अब ऊंचाऊंचा आल्प्स पर्वत हमारे नीचे आ रहा है,’’ कैप्टन ने इशारा करते हुए कहा.

सब ने बाहर देखा. दूध जैसी बर्फ से ढका पर्वत समूह उन के नीचे से गुजर रहा था.

तभी एक घरघराहट की आवाज हुई. कैप्टन ने चौंक कर डैश बोर्ड पर देखा. दोहरे इंजन पर आधारित हवाई जहाज का एक इंजन किसी तकनीकी खराबी से बंद हो गया था. दूसरा इंजन समवेत चालू हो चुका था.

तभी हलकेहलके हिचकोले ले हवाई जहाज डोलने लगा.

‘‘लगता है दूसरा इंजन भी खराब हो रहा है,’’ कैप्टन ने चिंतातुर स्वर में कहा.

सब के चेहरे पर भय छा गया. अब क्या होगा? क्या प्लेन क्रैश हो जाएगा? और सब…

अभी सभी हंसतेहंसते बातें कर रहे थे. और अब सब के मस्तिष्क पर मौत का भय छा गया था.

कैप्टन डैश बोर्ड पर झुका, कभी यह स्विच, कभी दूसरा बटन दबा रहा था. हवाई जहाज का कंट्रोल पैनल कंप्यूटर औपरेटेड था, एक तरह से स्वचालित था.

खतरे में आते ही कंप्यूटर ने नजदीकी हवाई अड्डे के कंट्रोल टावर को आपात संदेश भेज दिया. चंद क्षणों बाद कैप्टन के कानों में लगे इयर प्लग में कंट्रोल टावर के आपात स्थिति नियामक की आवाज गूंजी :

‘‘हैलो, आप इस समय फ्रांस के ऊपर हैं. क्या इमरजैंसी है?’’

‘‘एक इंजन फेल हो गया है, दूसरा भी खराब होता दिख रहा है.’’

‘‘इमरजैंसी लैंडिंग की कोशिश करें.’’

तभी हवाई जहाज हिचकोले खाने लगा. उस की ऊंचाई घटने लगी. सब के चेहरे पर भय छा गया.

‘‘पैराशूट बांध कर कूद जाएं,’’ पायलट रंजन मेहरा ने कहा.

इस से आगे अभी कोई कुछ बोलता, हवाई जहाज एकदम नीचे को झुका और फिर एक जोरदार धमाका हुआ.

कैप्टन अक्षय चौहान की आंखें खुलीं. उस ने आंखें मिचमिचा कर देखा. उस का सारा शरीर बर्फ से ढका था. हाथपैर बर्फ में दबे थे.

चमकते सूरज की तीखी किरणें उस की आंखों को चुभ रही थीं. उस ने हाथपैर हिलाने की कोशिश की. हलकीहलकी हलचल हुई. कई टन बर्फ मानो उस के ऊपर थी. धीरेधीरे उस की एक बांह थोड़ी सरकी, फिर दूसरी.

थोड़ी कोशिश से उस की एक बांह बर्फ के शिकंजे से आजाद हुई, फिर दूसरी. फिर उस ने धीरेधीरे बर्फ हटाते हुए सारा शरीर मुक्त कर लिया. मगर उठ कर बैठने की ताकत कहां थी?

रूई के नर्म फाहों के समान हलकीहलकी बर्फबारी लगातार हो रही थी. अगर वह उठ कर खड़ा नहीं हुआ तो दोबारा उस का शरीर बर्फ में दब जाएगा और उस की जिंदा समाधि बन जाएगी.

मौत के सामने आने की कल्पना ने उस को उत्तेजित कर दिया. उस ने पहले दोनों बांहें झटकीं, फिर टांगें और उचक कर बैठ गया.

तीखी धूप में बर्फ शीशे के समान चमक रही थी. उस ने सामने देखा, फिर इधरउधर नजर फिराई. हर तरफ बर्फ की चादर सी बिछी थी.

उस ने उठ कर खड़ा होना चाहा. दर्द से उस की चीख निकल गई. उस के पैर एकदम सुन्न थे. पता नहीं कितने अरसे से बर्फ में दबा रहा था. उस ने टांगें सीधी कर फैला दीं और पहले एक टांग पर अपनी दोनों हथेलियां रगड़नी शुरू कीं, फिर दूसरी टांग भी रगड़ी.

रक्त संचार होते दर्द दूर होने लगा. वह उठ खड़ा हुआ. पहले लड़खड़ा रहा था, फिर संभला, फिर चलने लगा. उस के पांव बर्फ में धंसते गए. एक पैर को उठा कर आगे रखना ऐसा था मानो रूई के बड़ेबड़े ढेर से गुजरना. कहींकहीं बर्फ काफी सख्त थी. बर्फ पर पड़ती सूर्य की किरणें परावर्तित हो कर उस की आंखों से टकरातीं.

उस की आंखें चुंधियाईं. उस ने अपनी जेब टटोली. मोबाइल फोन हाथ से टकराया. सुन्न पड़ी हाथ की उंगलियों ने किसी तरह फोन को पकड़ा. फोन निकाला तो डैड था. बर्फ में घंटों दबा होने से जाम हो गया था.

वह आगे चला. एक तरफ एक हाथ की उंगलियां बर्फ में दबी थीं. उस ने बढ़ कर उस पर से बर्फ हटाई. पूरी बांह बाहर आई, फिर पूरा शरीर.

चेहरा बर्फ से दबा था. बर्फ हटाते ही एअरहोस्टेस रीना का चेहरा सामने आया. उस की नाक के समीप अपना चेहरा ले गया. हलकीहलकी सांसें उस के चेहरे से टकराईं. वह जिंदा थी. उत्साह से भर उठा. दोनों हथेलियों से उस का चेहरा, गला, माथा सब रगड़ने लगा, फिर उस की बगलों में हाथ डाल कर उस की पीठ, वक्षस्थल, टांगें, बांहें सब रगड़ीं.

शरीर में रक्त प्रवाह तेज होते ही सांस भी जोर से चलने लगी. अभी भी वह आधी बेहोशी में थी. धीरेधीरे सांस की गति तेज होने लगी. कैप्टन ने उस के कानों से होंठ सटा धीमे से पुकारा, ‘‘रीना, रीना.’’

उस की पलकें फड़फड़ाईं. आंखें धीरे से खुलीं, फिर बंद हो गईं, फिर खुलीं. कैप्टन को देखते ही उस के होंठ थरथराए. बांहों के घेरे में ले कैप्टन ने उस को उठा कर बिठा दिया.

हलके हाथों से उस का शरीर मसलने लगा. रक्त प्रवाह सामान्य होते ही उस के चेहरे पर जान लौटने लगी.

‘‘हम कहां हैं?’’ क्षीण स्वर में उस ने पूछा.

 

Crime Story: प्यार या लव जिहाद

लेखक- कस्तूर सिंह भाटी, (सौजन्य- सत्यकथा)

राजस्थान का बीकानेर वैसे तो भुजिया पापड़ के लिए मशहूर है. लेकिन पिछले दिनों बीकानेर का कथित लव जिहाद का मामला सुर्खियों में रहा. हाल ही में युवती मनीषा डूडी के पिता और दादा ने हिंदू समाज से न्याय के लिए गुहार लगाई. उन का आरोप था कि उन की बच्ची मनीषा डूडी का अपहरण किया गया और इस के बाद मुसलिम लड़के मुख्तयार खान पुत्र मुन्ने खान ने उस के साथ शादी कर ली.

मामला बीकानेर जिले की कोलायत तहसील के बज्जू क्षेत्र का था. वहीं के रहने वाले मनीषा डूडी के दादा हरीराम और पिता सत्यनारायण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिस में उन्होंने समाज के लोगों से बेटी मनीषा को छुड़वाने की अपील की थी. साथ ही यह भी धमकी दी थी कि अगर उन की बेटी नहीं आएगी तो वह आत्महत्या कर लेंगे. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने इस मामले की जांच की और इसे लव जिहाद का मामला नहीं माना.

सोशल मीडिया पर वीडियो वार छिड़ गई. प्रेम विवाह करने वाली युवती मनीषा डूडी जहां बिना किसी दबाव के अपनी मरजी से मुख्तयार खान से शादी करने की बात कह रही थी, वहीं बीकानेर पुलिस भी मनीषा के प्रेम विवाह करने की बात का समर्थन कर रही थी.

तथाकथित लव जिहाद के मामले ने तूल पकड़ा तो 17 जनवरी, 2021 रविवार को केसरिया हिंदू वाहिनी संगठन सहित सर्वसमाज के संगठनों ने लव जिहाद के मामले का विरोध किया. बीकानेर कलेक्ट्रेट पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की.

लव जिहाद का मामला सोशल मीडिया में आने और इसे बढ़ावा देने पर सामाजिक कार्यकर्ता अंबेडकर कालोनी निवासी अकबर अली ने 17 जनवरी, 2021 को नया शहर थाने में सत्यनारायण डूडी और उस के पिता हरीराम डूडी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

अकबर अली की शिकायत पर पुलिस ने समाज में आपसी शत्रुता बढ़ाने, 4 वर्गों में वैमनस्यता पैदा करने और अशांति का माहौल बनाने का मामला दर्ज कर लिया.

22 वर्षीय मुख्तयार खान पुत्र मुन्ने खान, निवासी गांव बीठनोक, तहसील कोलायत, जिला बीकानेर का रहने वाला था. वहीं 18 वर्षीय मनीषा डूडी गांव आरडी-860 बांगड़सर, जिला बीकानेर के रहने वाले सत्यनारायण डूडी की बेटी थी.

मुख्तयार खान और मनीषा ने प्रेम विवाह किया था. इस अंतरधार्मिक शादी को ले कर बीकानेर में खूब बवाल मचा कट्टरपंथी इसे लव जिहाद बनाने पर तुले थे. थाने में दिए गए सर्टिफिकेट के अनुसार दोनों ने बीकानेर के एफसीआई गोदाम के पास स्थित बंगला नगर में 10 दिसंबर, 2020 को शादी की थी.

जांच में पुलिस को पता चला कि मुख्तयार खान और मनीषा के परिवार के न केवल घनिष्ठ संबंध थे बल्कि दोनों के पिता मुन्ने खान और सत्यनारायण बिजनैस पार्टनर थे. इसी वजह से मुख्तयार का मनीषा के घर आनाजाना था, जिस के चलते दोनों करीब आए और फिर शादी का निर्णय लिया.

मनीषा ने अपील की कि उस के प्रेम के नाम पर राजनीति न की जाए. उस ने कहा कि उस से पहले क्या किसी हिंदू लड़की ने मुसलिम युवक से शादी नहीं की. ऐसी बहुत शादियां हुई हैं तो हमारा विरोध क्यों?

एसपी बीकानेर प्रीति चंद्रा ने कहा, ‘यह मामला लव जिहाद का नहीं है. युवकयुवती ने अपनी शादी के कागजात भी दिखाए. इस में कहीं भी लव जिहाद नहीं है. हम मामले पर नजर रखे हुए हैं. मनीषा के पास हमारा कौन्टैक्ट नंबर है, अगर वह हम से सुरक्षा की मांग करेगी तो हम आगे की काररवाई करेंगे.’

लड़की और लड़का प्रेम विवाह बता रहे थे. पुलिस भी यही कह रही थी. जबकि लड़की के परिजन इसे लव जिहाद बता रहे थे. इस घटना ने बीकानेर में सर्दी के मौसम में भी गरमी पैदा कर दी. सोशल मीडिया पर लोग अपनाअपना राग अलाप रहे थे.

जाट जाति के हरीराम डूडी का परिवार काफी समय पहले बांगड़सर से बीकानेर शहर में आ बसा था. बीकानेर में आ कर सत्यनारायण ने कामधंधे की तलाश शुरू की. उन्हीं दिनों सत्यनारायण की जानपहचान प्रौपर्टी का धंधा करने वाले मुन्ने खान से हो गई. वह गांव बीठनोक, जिला बीकानेर का रहने वाला था.

मुन्ने खान जाति से मांगणहार था. वह बीकानेर में रहता था. उन दिनों सत्यनारायण का परिवार बीकानेर की मुक्ताप्रसाद कालोनी में रह रहा था. मुन्ने खान से दोस्ती गाढ़ी हुई तो सत्यनारायण ने मुन्ने खान के साथ पार्टनरशिप में धंधा शुरू कर दिया.

वैसे मांगणहार जाति के लोगों का पेशा गायनवादन है. मांगणहार जाति के लोग अपने यजमानों के घर पर बच्चे के जन्म, शादी एवं तीजत्यौहार पर जा कर गानाबजाना करते हैं. यजमानों द्वारा दिए गए रुपएपैसों, अनाज, कपड़े वगैरह से इन के परिवारों का पालनपोषण होता है.

मुन्ने खान ने अपने पुश्तैनी काम की जगह गांव बीठनोक से बीकानेर आ कर प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया और उस का काम चल निकला था.

प्रौपर्टी डीलिंग में अच्छी आमदनी थी. सत्यनारायण को भी उस ने अपना पार्टनर बना लिया. दोनों ने पार्टनरशिप में एक होटल भी खोला और साथ में काम करने लगे.

सत्यनारायण जहां सीधासादा था, उस के उलट मुन्ने खान दबंग प्रवृति का व्यक्ति था. सत्यनारायण को यह पता नहीं था. खैर, दोनों साथ काम करते थे और दोस्ती भी पक्की थी तो मुन्ने खान का सत्यनारायण के घर आनाजाना शुरू हो गया. थोड़े ही दिनों में मुन्ने खान ने सत्यनारायण की पत्नी को अपनी धर्मबहन बना लिया.

मुन्ने का बेटा मुख्तयार खान अकसर सत्यनारायण के घर आता और ज्यादा से ज्यादा समय मनीषा के इर्दगिर्द मंडराता रहता था. धीरेधीरे दोनों प्यार के रंग में रंगते गए. दोनों की प्रेम कहानी का मनीषा के घर वालों को पता तक नहीं था. सत्यनारायण और उस के परिजन समझते थे कि धर्म के रिश्ते की वजह से मनीषा व मुख्तयार भाईबहन हैं.

बाद में किसी वजह से मुन्ने और सत्यनारायण के बीच थोड़ी खटास आई तो दोनों ने होटल की पार्टनरशिप खत्म कर दी. सत्यनारायण ने मुन्ने खान से पार्टनरशिप खत्म कर के अपना धंधा अलग कर लिया.

मुन्ने खान को गुस्सा तो बहुत आया, मगर वह कुछ कर नहीं सका. सत्यनारायण ने सुमेरराम पूनिया, जो बीकानेर में ही खाद, बीज का काम करते थे, के साथ धंधा शुरू कर दिया. सुमेर पूनिया जाति से जाट थे और दबंग प्रवृत्ति के थे. वह शादीशुदा और 4 बेटियों के पिता थे.

मुन्ने जानता था कि सुमेर पूनिया से वह पार नहीं पा सकता, मगर उस ने अपनी योजनानुसार एक दिन सत्यनारायण पर अज्ञात बदमाशों से हमला करवा दिया.

इस हमले में सत्यनारायण के हाथपैर तोड़ दिए गए. वह अस्पताल में कई महीने इलाज कराने के बाद ठीक हुए. मुन्ने खान ने सत्यनारायण की देखभाल भी की ताकि उस पर कोई शक न करे. हुआ भी यही. मुन्ने खान पर किसी ने शक नहीं किया.

सत्यनारायण के पिता हरीराम डूडी की बांगड़सर गांव में खेतीबाड़ी थी और बीकानेर में सत्यनारायण का खाद बीज का कारोबार था.

पूनिया सत्यनारायण के कंधे से कंधा मिला कर चलते थे. पूनिया का उन के घर भी आनाजाना था.

मुन्ने सुमेर पूनिया से इस कारण रंजिश रखता था क्योंकि वह सत्यनारायण के साथ काम करते थे. जबकि इन दोनों को पता नहीं था कि मुन्ने खान उन्हें बरबाद करने का जाल बुन रहा है.

अब तक मनीषा डूडी 18 साल की बालिग हो चुकी थी. उसे पता था कि उस के परिजन उस की शादी मुख्तयार से कभी नहीं करेंगे.

ऐसे में मुख्तयार और मनीषा ने बालिग होने पर 10 दिसंबर, 2020 को कोर्ट में विवाह कर लिया. मनीषा के परिजनों को इस की भनक तक नहीं लगी थी.

नववर्ष 2021 का आगमन हो चुका था. मनीषा की मां बीमार हुईं तो उन्हें अस्पताल में भरती कराया गया.

अस्पताल में सत्यनारायण, हरीराम, सुमेर पूनिया, मनीषा और सारे परिजन थे. सत्यनारायण के लिए खाना बना कर लाने के लिए दोपहर में मनीषा और सुमेर पूनिया घर गए.

मनीषा ने खाना बना कर सुमेर पूनिया को टिफिन दिया. टिफिन ले कर सुमेर पूनिया अस्पताल चले आए. उन्हें आए एकाध घंटा ही हुआ था कि नयाशहर थाने की पुलिस आई और सुमेर पूनिया को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने गिरफ्तारी का कारण बताया कि थोड़ी देर पहले मनीषा ने दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई है.

यह बात 4 जनवरी, 2021 की है. यह सुन कर डूडी परिवार सकते में आ गया. मनीषा के पिता, दादा और अन्य परिजन नयाशहर थाने पहुंचे और इस बारे में मनीषा से बात की.

उन्होंने मनीषा को समझाया कि उस ने गलत रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई. तब मनीषा ने कहा कि ऐसे ही रिपोर्ट दर्ज करा दी. चूंकि रिपोर्ट दर्ज हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने सुमेर पूनिया को छोड़ने से इनकार कर दिया.

अगले दिन मनीषा के कोर्ट में बयान कराए गए. बयान दे कर मनीषा कोर्ट से बाहर आई तो करीब 100-150 लोगों की भीड़ ने एक राय हो कर मनीषा का एक गाड़ी में अपहरण कर लिया. हरीराम ने पोती को छुड़ाने की कोशिश की तो आरोपियों ने गाड़ी उन पर चढ़ाने की कोशिश की. हरीराम के पैर में चोट लगी. होहल्ला करने पर पुलिस ने भी अपहरण कर के ले जा रही गाड़ी का पीछा किया और पुलिस सब को पकड़ कर थाने ले आई.

वहां पर मुख्तयार खान और मनीषा डूडी ने विवाह के कागज दिखा कर कहा कि वे बालिग हैं और उन्होंने 10 दिसंबर, 2020 को कोर्ट में शादी कर ली है. इस पर पुलिस ने मुख्तयार खान और मनीषा को जाने दिया. तब मनीषा के घर वाले माथा पीट कर रह गए.

मुन्ने खान ने योजना के तहत सुमेर पूनिया को बलात्कार के मुकदमे में फंसा दिया था ताकि वह सत्यनारायण को सपोर्ट न कर सके. थाने में विवाह के कागजात दिखा कर वह बेटेबहू को घर ले आया था.

हरीराम डूडी और सत्यनारायण की इज्जत पर आन पड़ी थी. उन की समझ में अब सारी कहानी आ गई थी. मगर बहुत देर हो चुकी थी. बेटी ने उन्हें धोखे में रखा और मुख्तयार खान के साथ साजिश की शिकार हो कर उस की बहू बन गई थी.

हरीराम और सत्यनारायण एसपी प्रीति चंद्रा, नयाशहर थानाप्रभारी गोविंददान चारण और अन्य से मिल कर बेटी मनीषा को वापस दिलाने की गुहार की, मगर मनीषा बालिग थी और उस ने मुख्तयार खान के साथ कोर्ट में शादी कर ली थी. इसलिए पुलिस ने इन की मदद नहीं की.

तब बापबेटे ने सोशल मीडिया पर वीडियो में सर्वसमाज से बेटी मनीषा के लव जिहाद का शिकार बनाने और बेटी वापस दिलाने की गुहार लगाई. तब सर्वसमाज ने 17 जनवरी को बीकानेर में प्रदर्शन कर पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की मांग की.

इस के बाद 18 जनवरी, 2021 को नयाशहर थाने में मनीषा की मां ने मुन्ने खान के खिलाफ अपने साथ दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करा दिया.

पुलिस को दी गई रिपोर्ट में उस ने बताया कि 2015 में वह अपने परिवार के साथ मुक्ताप्रसाद कालोनी में रहती थी. वहीं पर उस के पति का बिजनैस पार्टनर मुन्ने खान आता था. मुन्ने खान जब भी घर आता तो कोल्डड्रिंक लेकर आता.

जुलाई 2015 में उस के पति व बच्चे घर पर नहीं थे. तब मुन्ने घर आया. उस ने कोल्डड्रिंक पिलाई, जिस से वह बेहोश हो गई. तब मुन्ने खान ने उस के साथ दुष्कर्म किया और वीडियो बना लिया. बाद में वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर बारबार दुष्कर्म किया.

जब पीडि़ता ने किराए का मकान बदल लिया तब भी आरोपी उस के पास आता रहा. पीडि़ता ने आरोप लगाया कि बाद में आरोपी अपने दोस्तों को साथ ले कर आने लगा और उन्होंने भी उस के साथ दुष्कर्म किया. मुन्ने खान का साथी गडि़याला के मोटासर निवासी शेरू खान और एक अन्य ने भी उस के साथ दुष्कर्म किया.

वीडियो वायरल करने और परिजनों को जान से मारने की धमकी दे कर आरोपी मुन्ने खां उस के साथ लगातार दुष्कर्म करता रहा. पीडि़ता ने आरोप लगाया कि मुन्ने खान ने अपने बेटे मुख्तयार को उस की बेटी के पीछे लगाया और प्रेम में फंसा लिया.

पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म का मामला थाना नयाशहर में दर्ज कर लिया. मामला संदिग्ध था, इसलिए इस की जांच सीओ सिटी सुभाष शर्मा को सौंप दी गई. इसी मामले को ले कर सर्वसमाज ने बीकानेर में कलेक्ट्रैट पर प्रदर्शन किया था.

उसी समय मनीषा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर और डाला. इस वीडियो में मनीषा ने जो कुछ कहा, उसे सुन कर लोग आश्चर्यचकित रह गए.

मनीषा ने एक वीडियो वायरल कर कहा कि मैं ने 4 जनवरी, 2021 को जिस सुमेर पूनिया पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया, उसी के साथ मेरी मां के अवैध संबंध हैं. सुमेर पूनिया दूर के रिश्तेदार हैं और पिता के कामधंधे में पार्टनर. सुमेर पूनिया अकसर हमारे घर आते थे और मुझ से गलत हरकतें करते थे.

मनीषा ने आगे कहा कि उस की और मुख्तयार की शादी का मेरे घर वालों को पता था. वे हमारी शादी से खुश थे. मगर बाद में वे किसी के कहने में आ कर लव जिहाद का राग अलापने लगे.

अगर मनीषा के ये आरोप सही हैं तो सुमेर पूनिया को उस के अपने परिजन क्यों बचा रहे हैं? क्या उन पर किसी का दबाव है? या फिर मनीषा ने झूठे आरोप लगाए थे.

सवाल यह भी है कि मनीषा ने सुमेरराम पूनिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई तो उस के परिजनों ने बेटी की बातों के बजाए उस व्यक्ति की पैरवी क्यों की, जिस पर उन की बेटी छेड़छाड़, दुष्कर्म का आरोप लगा रही थी.

वहीं मनीषा ने यह भी कहा कि अगर घर वाले बाहरी लोगों को घर के अंदर आने की छूट नहीं देते तो आज डूडी परिवार की इज्जतआबरू मिट्टी में नहीं मिलती.

अब तो पुलिस जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी होगा. तभी पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा.

—कथा पुलिस सूत्रों, मीडिया रिपोर्ट्स और लेखक की जांच पर आधारित है

दूध के दाम दोगुना करेंगे किसान

केंद्र सरकार ने जिस तरह कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर आंदोलनरत किसानों की उपेक्षा करके, उनको प्रताड़ित करके अपनी मनमानी और ढीठपना दिखाया है, उससे नाराज़ किसानों ने आंदोलन और ज़्यादा तेज़ करने का ऐलान कर दिया है. किसानों की महापंचायतें अब जगह-जगह हो रही हैं और इन महापंचायतों में सरकार को घेरने की नयी-नयी रणनीतियां भी बन रही हैं. हाल ही में किसान नेताओं द्वारा दिए गए कुछ बयान सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड कर रहे हैं, जिन्होंने आमजन की चिंता बढ़ा दी है. इन्ही में से एक बयान भारतीय किसान यूनियन से ताल्लुक रखने वाले मलकीत सिंह का आया था, जिसमें उन्होंने किसानों द्वारा पहली मार्च से दूध के दाम दोगुने कर देने का ऐलान कर डाला था.

हालांकि किसानों द्वार दूध के दाम बढ़ाने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख योगेंद्र यादव इसे किसान आंदोलन के लिए एक आत्मघाती कदम बता रहे हैं. वहीँ दूसरी किसान यूनियनें भी मलकीत सिंह के बयान को उनका निजी विचार बताते हुए उससे सहमति ना रखने की बात तो कह रही हैं, लेकिन दबे स्वरों में कुछ किसान नेताओं का यह भी कहना है कि जिस दर से मंहगाई बढ़ रही है, किसानों को भी अपने उत्पादों के दामों में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए.

संयुक्त किसान मोर्चा के मीडिया प्रभारी दीपक लाम्बा कहते हैं – ये मलकीत सिंह की निजी राय हो सकती है. लेकिन किसान आमजन को कतई परेशान नहीं करना चाहता है. हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन चला रहे हैं. हमारी तरफ से कोई ऐसा ऐलान नहीं होगा जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़े.

वहीँ भारतीय किसान यूनियन के मीडिया कोऑर्डिनेटर धर्मेन्द्र मलिक का भी कहना है – ‘ये मलकीत सिंह का निजी बयान है, अभी इस पर कोई एकराय नहीं बनी है, लेकिन सरकार अगर इसी तरह का उपेक्षापूर्ण व्यवहार किसानों के साथ करती रही तो ये पहल भी अच्छी है. जब सारी चीज़ों के दाम बढ़ रहे हैं तो इससे किसान भी प्रभावित हैं, वो भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने के अधिकारी हैं. लेकिन दूध के दाम बढ़ाने से पहले कई बातों को देखना होगा. अगर ज़्यादा दाम पर दूध डेयरियां किसान का दूध खरीदने पर राज़ी नहीं होती हैं तो एक तरफ किसान का दूध खराब जाएगा वहीँ दूसरी तरफ बाज़ार में दूध की किल्लत हो जाएगी, ऐसे में नकली दूध बनाने वालों को आसानी से अपना बाज़ार मिल जाएगा, वहीँ अमेरिका सहित कई देश पाउडर दूध बनाते हैं और चाहते हैं कि भारत में उनको बाज़ार मिल जाए. ये दूध पाउडर रसायनों से बनाया जाता है, ये हमारे स्वास्थ के लिए ज़हर है, लेकिन इस सरकार का कोई भरोसा नहीं, वो कहीं उसके लिए आयात का रास्ता ना खोल दे. इन तमाम बातों को देखते हुए और सबकी एकराय से ही हम कोई फैसला करेंगे.

वहीँ मलकीत सिंह अपनी बात पर जमे हुए हैं. उनका कहना है –  ‘किसान दूध के दामों में बढ़ोतरी करेंगे, जिसके बाद 50 रुपये लीटर बिकने वाला दूध दोगुनी कीमत यानी 100 रुपये लीटर बेचा जाएगा. अगर सरकार तब भी न मानी तो आने वाले दिनों में आंदोलन को शांतिपूर्वक आगे बढ़ाते हुए किसान सब्जियों के दामों में भी वृद्धि करेंगे. केंद्र सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाकर किसानों को चारों तरफ से घेरने का प्रयास किया है, अब किसान दूध-सब्ज़ी के दाम बढ़ाएंगे. जब जनता 100 रूपए का डीज़ल पेट्रोल खरीद सकती है तो 100 रूपए का दूध भी खरीदेगी.’

अब किसानों की इन धमकियों का असर सरकार की सेहत पर भले ना हो, मगर इससे आमजन में भारी बेचैनी है, खासकर घर की गृहणियों में. छोटे बच्चों की खुराक में दूध की कटौती की कल्पनामात्र से माओं का दिल थर्रा उठा है. दो साल के अनुज की मां नेहा राठौर कहती हैं – आखिर ये सरकार चाहती क्या है? क्या इनके राज में अब हमारे बच्चों को दूध तक नसीब नहीं होगा? यही मोदी के अच्छे दिन हैं?

दूध के दाम में वृद्धि की खबर पर स्पोर्ट से जुड़े नियाज़ अहमद कहते हैं – ‘किसान यूनियन का दूध के दाम दोगुना करने का निर्णय आम लोगों को नाराज़ कर सकता है जिससे धीरे-धीरे किसान आंदोलन के प्रति बढ़ रहे जन-समर्थन पर विराम लगा सकता है. किसान नेता का यह कहना वाजिब हो सकता है कि लोग मंहगे होते जा रहे पेट्रोल डीज़ल के खिलाफ भी तो आवाज नहीं उठा रहे हैं, लेकिन यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि बहुत से लोगों के लिए पेट्रोल डीज़ल का उपभोग जरूरत नहीं है, लेकिन दूध तो सबकी जरूरत है, खासतौर पर नन्हे बच्चों की.’

पनीर के ट्रेडिंग व्यवसाय से जुड़े सुबोध कुमार कहते हैं – बीते एक माह में पनीर के दाम तीन बार बढ़ चुके हैं. अब अगर दूध के दाम में बढ़त हुई तो नकली पनीर या सोयाबीन के पनीर से बाजार भर जाएगा और लोगों की सेहत खराब करेगा. दूध मंहगा होने का मतलब है पनीर, दही, खोया, छाछ, लस्सी सभी कुछ महंगा हो जाएगा. और इनके व्यवसाय से जुड़े लोग दूसरे विकल्प ढूंढेंगे. हलवाई नकली खोया का इस्तेमाल करेंगे. छोटे-बड़े रेस्टोरेंट नकली पनीर का इस्तेमाल करेंगे. इससे नुकसान तो जनता का ही होगा. किसानों को अपनी मांगे मनवाने के लिए जनता की सेहत से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए.

45 से 55 रूपए लीटर बिकने वाले पैकेट वाले दूध का दाम बढ़ने से आम जनता निश्चित ही त्राहिमाम कर उठेगी तो वहीँ हर गली-नुक्कड़ पर चाय का ठेला लगा कर दो वक़्त की रोटी कमाने वालों का धंधा भी चौपट हो जाएगा. उन्हें या तो अपनी चाय के दाम दोगुने करने पड़ेंगे अथवा धंधा समेटना पड़ेगा. जो चतुर होंगे वो नकली दूध का इस्तेमाल करके जनता की सेहत से खिलवाड़ करेंगे.

दूध के दाम दोगुने होने पर हलवाई भी दूसरे विकल्पों की ओर मुड़ेंगे. मिठाइयां बनने में नकली खोया, नकली पनीर, नकली दूध का इस्तेमाल धड़ल्ले से होने लगेगा. कोरोना की वजह से लगे लॉक डाउन के कारण आर्थिक मार से टूटे व्यवसाई जैसे तैसे उबरने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में वे धंधे को बंद तो नहीं करेंगे बल्कि कोशिश करेंगे कि धंधा चलता रहे, भले इसके लिए नकली सामान इस्तेमाल करने का जोखिम उठाना पड़े.

एक तरफ केंद्र सरकार की मनमानी और दूसरी तरफ किसानों के ऐलान आम लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं. लेकिन सरकार इन बातों से बेखबर बस चारों हाथों पैरों से धनउगाही में लगी नज़र आ रही है. रसोई गैस के दामों में एक महीने में तीन बार इजाफा हो चुका है. घरेलू एलपीजी सिलिंडर की कीमत में फिर 25 रूपए बढ़ा दिए गए हैं. दिल्ली में बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 769 रुपए से बढ़कर 794 रुपए हो गई है. बढ़े हुए दाम 25 फरवरी 2021 से लागू हो गए हैं.
उल्लेखनीय है कि फरवरी महीने में तीन बार गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए गए हैं. सरकार ने 4 फरवरी को एलपीजी के दाम में 25 रुपए का इजाफा किया था. उसके बाद 15 फरवरी को एक फिर से सिलेंडर के दाम 50 रुपए बढ़ाए गए और अब यह तीसरी बार है जब 25 रुपए की बढ़ोतरी फिर की गई है. जिससे इसकी कीमत 794 रुपए पर आ गयी है. यह आम गृहणी के लिए बड़ा धक्का पहुंचाने वाली बात है. गैस और पेट्रोल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं जबकि आय नहीं बढ़ रही है. पहले रसोई गैस सस्ती थी और उस पर सब्सिडी भी मिलती थी, अब गैस महंगी हो गई और सब्सिडी भी बंद हो गयी है ऐसे में आम आदमी के घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. अब अगर किसानों ने भी सरकार की उपेक्षा से परेशान होकर अपने मन की करने की ठान ली और सब्ज़ी-दूध के दाम बढ़ा दिए तो आम आदमी तो कहीं का नहीं रहेगा.

किसान भी मजबूर है

गौरतलब है कि  देश की सबसे ज्यादा भैंसों की आबादी उत्तर प्रदेश में है और दूसरी सबसे ज्यादा पशुधन आबादी भी वहीं है. राज्य में अधिकांश ग्रामीण आबादी पशुधन और डेयरी में लगी हुई है. राजस्थान देश में दूध का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. राजस्थान की लगभग 75% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. इनमें से आधी आबादी डेयरी या मवेशी पालन में शामिल है जो आखिरकार इस राज्य को देश में दूसरे सबसे ज्यादा दूध उत्पादक राज्य बनाती है. दूध उत्पादन के मामले में तीसरा राज्य गुजरात है जो भारत के कुल दूध उत्पादन में लगभग 7.75% हिस्सेदारी का योगदान करता है. राज्य में कई सहकारी डेयरी दूध संघ, निजी डेयरी संयंत्र, और प्राथमिक दूध सहकारी समितियां हैं जो राज्य में दूध के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

अन्य दूध उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और बिहार हैं.
पिछले 15 वर्षों से भारत दूध उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे है, सरकार इसे अपनी कामयाबी में गिनाती है. उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब, ये तीन प्रदेश दूध उत्पादन में सबसे आगे हैं. इस व्यवसाय से देश के सात करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. लेकिन इन्हें दूध की वो कीमत नहीं मिल पा रही जो मिलनी चाहिए. इसकी एक वजह डेयरी मालिकों का मनमानापन है तो दूसरी वजह है मिलावटखोरी और नकली दूध का निर्माण. देश में डेयरी उद्योग जिस तेज़ी से बढ़ रहा है उसकी तुलना में किसानों की आमदनी बढ़ने की बजाए लगातार घट रही है.

दूध की कीमत तय कैसे होती है?

  1. डेयरी कंपनियां लोकल पशुपालकों से करार करती हैं.उनसे एक तय कीमत पर दूध खरीदा जाता है. बाजार में जितने का दूध मिलता है, पशुपालकों को उसका साठ फीसदी ही मिलता है.यानी अगर 60 रुपए लीटर दूध है, तो उसमें से 36 रुपए उत्पादक/किसान को मिलेंगे.2. ये तो बात हुई कि कितना पैसा मिलता है. लेकिन ये 60 प्रतिशत कैसे तय होता है? ये रेट तय होता है सप्लाई, डिमांड और प्रॉडक्शन कॉस्ट से.किसान को अपनी गाय-भैंस की देखभाल यानी उसके चारे, उसके रहने, उसकी मेडिकल जांच और लेबर पर कितना खर्च करना पड़ रहा है? मशीन, बिजली पर आने वाला खर्च, इन सबको ध्यान में रखते हुए कीमत तय की जाती है. चारे की कीमत बारिश और फसल पर निर्भर करती है.

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों पर विपक्ष हमलावर

पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र आजकल ममता बनर्जी काफी सक्रीय हैं. केंद्र की भाजपा सरकार को घेरने का वो कोई मौक़ा चूकना नहीं चाहतीं. देश में पेट्रोल-डीज़ल की आसमान छूती कीमतों को लेकर ममता ने विरोध का अनूठा तरीका निकाला. कार की सवारी छोड़कर मुख्यमंत्री स्कूटर से दफ्तर पहुंची. उनका स्कूटर मंत्री फिरहाद हकीम चला रहे थे, जबकि मुख्यमंत्री उनके पीछे बैठी थीं. ये साधारण स्कूटर नहीं बल्कि बैटरी से चलने वाला ग्रीन स्कूटर था. इस दौरान हेलमेट पहनीं ममता बनर्जी मुंह पर मास्क लगाए हुए थीं और उन्होंने गले में एक पट्टा लटका रखा था, जिस पर अंग्रेजी में लिखा था, “आपके मुंह में क्या है, पेट्रोल की कीमत बढ़ाना, डीजल की कीमत बढ़ाना और गैस की कीमत बढ़ाना”.

बंगाल की मुख्यमंत्री के स्कूटर पर दफ्तर जाने का पूरा कार्यक्रम सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारित किया गया. उल्लेखनीय है कि चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में इस महीने पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है.

कुछ दिन पहले बिहार में किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विरोध प्रदर्शन का अनोखा तरीका निकाला था. तेजस्वी यादव  ट्रैक्टर चलाकर विधानसभा पहुंचे थे. उनके साथ कुछ लोग ट्रैक्टर पर सवार थे. इस दौरान तेजस्वी ने कहा था कि सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है. ये सरकार का तानाशाही रवैया है. सरकार किसान विरोधी काम कर रही है. ईंधन की कीमत बढ़ाना भी किसानों पर हमला है. पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. आम जनता परेशान है लेकिन सरकार चुप बैठी है.

पेट्रोल डीज़ल के दाम में लगातार वृद्धि से आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीँ ट्रांसपोर्ट की कमी से सब्ज़ियों में आग लगी हुए है. इसका सीधा असर घर की रसोई पर पड़ रहा है. ट्रक चालक कहते हैं इतना मंहगा डीज़ल है इसलिए माल ढुलाई कम कर रहे हैं. डीजल के दाम में कमी नहीं आयी तो महंगाई की मार पड़ सकती है. डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी के चलते ट्रांसपोर्टरों ने कुछ सेक्टरों में मालभाड़े में 20 फीसदी तक बढ़ोत्तरी कर दी है. ट्रांसपोर्टरों के अनुसार अभी इंफ्रा सेक्टर, माइनिंग और कच्चे माल समेत कुछ सेक्टरों की मालभाड़े में बढ़ोत्तरी की गई है. अगर सरकार ने डीजल के दाम कम नहीं किए तो सभी सेक्टरों में मालभाड़ें में बढ़ोत्तरी की जाएगी. इससे दैनिक इस्तेमाल की चीजों और खाद्य वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगेंगे. खाद्य वस्तुएं महंगी होंगी, तो आम आदमी के किचन का बजट प्रभावित होगा. दूसरे खरीदारी कम होने से जीडीपी ग्रोथ पर भी इसका सीधा असर होगा.

तेल की बढ़ती कीमतों पर विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तो बाकायदा पत्र लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तेल की कीमतें घटाने का अनुरोध किया है. सोनिया ने अपनी चिठ्ठी में लिखा है – मैं यह पत्र आपको आसमान छूती तेल व रसोई गैस की कीमतों से हर नागरिक के लिए उत्पन्न गहन पीड़ा एवं संकट से अवगत कराने के लिए लिख रही हूँ. एक तरफ, भारत में रोजगार खत्म हो रहा है, कर्मचारियों का वेतन घटाया जा रहा है और घरेलू आय निरंतर कम हो रही है वहीं दूसरी तरफ, मध्यम वर्ग एवं समाज के आखिरी हाशिए पर रहने वाले लोग रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

तेजी से बढ़ती महंगाई और घरेलू सामान एवं हर आवश्यक वस्तु की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने इन चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है. खेद इस बात का है कि संकट के इस समय में भी भारत सरकार लोगों के कष्ट व पीड़ा दूर करने की बजाय उनकी तकलीफ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है. ईंधन के दाम इस समय ऐतिहासिक रूप से अधिकतम ऊंचाई पर हैं, जो पूरी तरह अव्यवहारिक हैं. यह वृद्धि ऐसे समय पर की जा रही है, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें मध्यम स्तर पर ही हैं. कच्चे तेल की ये कीमतें यूपीए सरकार के कार्यकाल से लगभग आधी हैं, इसलिए पिछले 12 दिन में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गई वृद्धि, विशुद्ध रूप से दुस्साहसिक मुनाफाखोरी का उदाहरण है. मैं यह नहीं समझ पा रही कि कोई सरकार लोगों की कीमत पर उठाए ऐसे बेपरवाह और असंवेदनशील उपायों को कैसे सही ठहरा सकती है.

आपकी सरकार ने डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को 820 फीसदी और पेट्रोल को 258 प्रतिशत बढ़ाकर पिछले 6.5 साल में 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर वसूली की है. ईंधन के दामों पर करों के रूप में की गई इस मुनाफाखोरी का देश के लोगों को कोई लाभ नहीं मिला.विडंबना यह है कि आपकी सरकार पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक एक्साइज ड्यूटी लगाने में अनुचित रूप से अति उत्साही रही है. आपकी सरकार पेट्रोल पर 33 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 32 रुपये प्रति लीटर की अत्यधिक एक्साइज ड्यूटी लगाकर उनके आधार मूल्य से भी अधिक कर थोप रही है.

गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में नब्बे पार तो राजस्थान और मध्यप्रदेश के अन्नुपुर में पेट्रोल सेंचुरी मार चुका है. वहीं प्रीमियम पेट्रोल की कीमत 105 रुपये प्रति लीटर के आस पास पहुंच गई है. तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से भारत-नेपाल बॉर्डर पर पेट्रोल डीज़ल की तस्करी होने लगी है. गौरतलब है कि भारत नेपाल सीमा कई किलोमीटर तक जुड़ी है जहाँ पुलिस सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं है. कई जगह गाँव की सीमाएं भी आपस में जुड़ी हैं और लोग बिना किसी व्यवधान के इधर-उधर आ जा सकते हैं.

इन दिनों नेपाल में पेट्रोल डीज़ल की कीमत भारत से काफी कम है, लिहाज़ा तस्कर नेपाल से पेट्रोल-डीज़ल के बड़े बड़े गैलन भर कर साईकिल या मोटरसाइकिल पर ला रहे हैं और यहाँ ज़्यादा दाम में बेच कर मुनाफ़ा कमा रहे हैं. नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में बने पेट्रोल पम्पों में भारतीय वाहनों की लम्बी लाइन देखी जा रही है. इससे देश की फजीहत तो हो ही रही है, राजस्व को भी नुकसान पहुंच रहा है.

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