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निकहत को निक्की के रूप में देखकर संजीव की दशा बड़ी अजीब सी हो रही थी. उसके लिए अब होटल ताज के इस हौल में एक पल भी रुकना भारी हो रहा था. उसका जी चाह रहा था कि यहां से भाग जाए. उसने निकहत की तेज नजरें अपने अन्दर तक उतरते महसूस की थीं. स्टेज पर दूसरा गाना शुरू हो चुका था. संजीव उठ खड़ा हुआ. मोनिका उसे रोक पाती, इससे पहले ही वह तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ गया. पार्किंग से कार निकालकर वह सीधा घर आ गया. उसका मन अजीब सा हो रहा था, जैसे उसने कोई भयानक चीज देख ली हो. व्हिस्की का एक लार्ज पेग लेने के बाद ही उसे कुछ राहत मिली. वह चुपचाप सोफे पर पड़ गया. उसे बार-बार निकहत का ख्याल आ रहा था. वह शत-प्रतिशत निकहत थी. इतना ज्यादा परिवर्तन, सचमुच हैरत की बात थी. निकहत इतनी खूबसूरत भी हो सकती है, इसकी तो वह कभी कल्पना ही नहीं कर सकता था. न जाने कब तक वह अपने विचारों में गुम रहा.

रात काफी बीत चुकी थी कि अचानक दरवाजा खुलने की आवाज ने उसे चौंका दिया. मोनिका बड़बड़ाती हुई अन्दर दाखिल हुई.

‘वाट अ स्टूपिड फेलो यू आर...’ संजीव को सामने देखकर वह गुस्से से बोली, ‘मुझे वहां छोड़कर तुम कार लेकर चले आए, तुमको फोन कर कर के थक गई मगर फोन भी नहीं उठाया... अरे! कहीं तो मेरी इज़्जत रख लिया करो, जानते हो मुझे दूसरों से लिफ्ट मांगनी पड़ी....’ उसकी आवाज तेज हो गयी.

‘आई एम वेरी सौरी डार्लिंग...’ संजीव ने सोफे से उठते हुए कहा, ‘वो अचानक मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही थी, सिर घूम रहा था, सो मैं चला आया... प्रोग्राम कैसा रहा...?’ उसने बहाना बनाते हुए पूछा.

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