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आजकल मार्केट में निक्की खान के नये रैप एलबम की धूम मची हुई थी. क्या जबरदस्त गाने थे. सुनते ही लोगों के पैर थिरकने लगते थे. आजकल पब्लिक को सिर्फ मसाला चाहिए. अंग्रेजी-हिन्दी मिले शब्दों की खिचड़ी पर अर्द्धनग्नता का मसाला छिड़क कर पेश कर दो और जम कर पब्लिक का पैसा और तारीफ लूटो.

निक्की खान का कोई एलबम तीन-चार सौ रुपये से कम का नहीं बिक रहा था. चारों ओर उसके गानों और डांस की धूम मची हुई थी. मुम्बई की कई बड़ी म्यूजिक कम्पनियां उसके साथ काम करने के लिए ललायित थीं. एक-एक स्टेज शो के वह लाखों रुपये लेती थी. उसका एक बड़ा म्यूजिक ग्रुप था, डांसर्स थे. चटकीले और उत्तेजक पाश्चात्य ड्रेस में वाद्य-यन्त्रों की धुन पर थिरकती निक्की खान अपने डांस ग्रुप के साथ जब स्टेज पर उतरती थी तो दर्शक उसकी खनकदार आवाज, गीत के हृदय में उतरते बोल और डांस मूवमेंट्स को देखकर मन्त्रमुग्ध हो जाते थे. निक्की की सम्मोहित कर देने वाली आवाज उन्हें घंटों अपनी जगह पर बंधे रहने के लिए मजबूर कर देती थी. अपने ही देश में नहीं, बल्कि विदेशों में भी यह ग्रुप कई परफौरमेंस दे चुका था.

‘आज तो इस शहर की किस्मत खुल गयी...’ मोनिका ने संजीव को दरवाजे से अन्दर आते देखा तो खुशी से चहकते हुए बोली.

‘वो कैसे...?’

‘डार्लिंग, तुम्हें नहीं पता...? शहर में हंगामा मचा हुआ है, आज होटल ताज में निक्की खान का म्यूजिकल ग्रुप आने वाला है...   शाम सात बजे से उसका शो है...’ मोनिका ने खुश होते हुए बताया.

‘अच्छा...!’ संजीव आश्चर्य से बोला.

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