कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मृणालिनी ने नोरा को बहुत अच्छी तरह समझा दिया था कि ग्रुप में महिला कैदियों के साथ गाना गाते-गाते उसे उठ कर लोकनृत्य के स्टेप्स करते हुए जेलर मैडम के पास जाना है और उनके गले में माला पहना कर चुपके से एक खत उनके हाथ में पकड़ा देना है. यही एक तरीका है बड़ी मैडम तक अपनी बात पहुंचाने का. वही कुछ रास्ता निकालेंगी ऐसा मृणालिनी को विश्वास था. वरना यहां के सेवादार और दूसरे अधिकारी कैदियों को कभी भी बड़े अधिकारी के सम्पर्क में नहीं आने देते हैं और गरीब कैदी सालों कोर्ट की कार्रवाई शुरू होने की बाट ही जोहते रह जाते हैं.

मृणालिनी के कहने पर नोरा ने अपनी पूरी आपबीती एक खत में लिख कर रख ली थी, साथ ही बड़ी मैडम से निवेदन किया था कि वह उसके लिए कोई अच्छा वकील कर दें, जो उसका पक्ष कोर्ट में ठीक से रख सके और उसे किसी तरह जमानत मिल सके.

दूसरे दिन जेल नम्बर चार में काफी गहमागहमी थी. नई जेलर के स्वागत का शानदान इंतजाम कैदियों और जेल अधिकारियों ने मिलजुल कर किया था. कई तख्त जोड़ कर एक बड़ा मंच बना था, जिस पर बड़े अधिकारियों के बैठने के लिए कुर्सियां डाली गयी थीं. सामने भाषण देने के लिए एक माइक भी लगा था. पूरे मंच को फूलों से सजाया गया था. मंच के आगे रंगारंग कार्यक्रम के लिए जगह बनायी गयी थी और उसके पीछे दूर तक शामियाना लगाया गया था. कैदियों के बैठने के लिए जमीन पर दरियां बिछायी गयी थीं. सब कुछ अनुशासित तरीके से हो रहा था. एक तरफ मेजों पर नाश्ते का इंतजाम था. कुछ कैदियों को वहां की ड्यूटी दी गयी थी. वे मुस्तैदी से ग्लास, प्लेटें वगैरह सजाने में लगे थे. मृणालिनी और नोरा के साथ बीस कैदी औरतें उधर से आयी थीं. बाकी अन्य बैरकों से आये कैदी थे. सभी जमीन पर कतारों में बिठाये जा रहे थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...