Vegan Diet : आजकल सोशल मीडिया पर नएनए वीगन बने लोगों का पशुप्रेम पागलपन की हद तक नजर आने लगा है. वीगनिज्म के नाम पर मांसाहारी लोगों को गालियां बकी जा रही हैं. वीगन लोगों का मानना है कि सभी लोग वीगन हो जाएं तो दुनिया की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी. क्या है सच, आइए जानते हैं.

वेजिटेरियन होना और वीगन होना दोनों में अंतर है. वेजिटेरियन होने का अर्थ है शाकाहारी होना और वीगन होने का अर्थ है शाकाहारवादी होना.

कोई भी आइडिया या विचार जब वाद की श्रेणी में आ जाता है तब वह विचारधारा बन जाता है. कुछ लोग ऐसी विचारधारा के गुलाम बन कर रह जाते हैं. यही नहीं, वे अपनी उस विचारधारा को दुनिया पर थोपना शुरू कर देते हैं. उन्हें लगता है कि उन की वह विचारधारा ही दुनिया का आखिरी सत्य है और उस से ही दुनिया को बदला जा सकता है. वीगनिज्म ऐसी ही एक विचारधारा है. लोग तेजी से इस विचारधारा के गुलाम होते जा रहे हैं.

मांस के उत्पादन और इस के उपभोग की प्रक्रिया से कई प्रकार की ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं, जैसे कार्बन डाईऔक्साइड, मीथेन, नाइट्रस औक्साइड वगैरह. इसे मांस का कार्बन फुटप्रिंट कहा जाता है. मांस का कार्बन फुटप्रिंट चूंकि पर्यावरण के लिए घातक साबित होता है इसलिए मांसभक्षण की आदतों को कम करना पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में दुनिया को शाकाहार के लिए प्रेरित करना एक समझदारी भरा कदम जरूर है लेकिन वीगनिज्म के नाम पर मांस उद्योग, डेयरी फार्म, अंडा उद्योग और पशुआधारित अन्य व्यवसायों व उत्पादों के विरुद्ध खड़े हो जाना ठीक नहीं है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...