Bridge Collapse : भारत के ज्यादातर राज्यों में बरसात के मौसम में अकसर पुल ढहने की घटनाएं घटती हैं. इन्हें आपदाओं का हिस्सा मान लिया जाता है जबकि ये प्राकृतिक कम व मानवनिर्मित घटनाएं ज्यादा होती हैं.
भारत में बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से तो हो रहा है लेकिन हाल के वर्षों में बारबार होने वाली पुल ढहने की घटनाएं इस प्रगति पर सवाल उठाती हैं. ये हादसे न केवल जानमाल के नुकसान का कारण बनते हैं, बल्कि निर्माण गुणवत्ता, रखरखाव और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करते हैं. बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में हाल की घटनाएं, जैसे 2025 में पुणे और वडोदरा में हुए हादसे, इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करते हैं. वहीं, असम में बना देश का सब से पुराना पुल ‘नामदांग ब्रिज’ आज भी मजबूती से खड़ा है और लोगों व वाहनों के प्रयोग में है.
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यह पुल (नामदांग ब्रिज) 1703 में अहोम राजा रुद्र सिंह द्वितीय द्वारा नामदांग नदी पर बनवाया गया था. इस की खासीयत यह है कि इसे एक ही पत्थर के टुकड़े से बनाया गया है. वहीं, इस के निर्माण में चावल, अंडे, काली दाल और नीबू जैसी सामग्रियों का उपयोग किया गया था. यह पुल 3 शताब्दियों से अधिक समय तक भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को सहन कर आज भी मजबूत स्थिति में है और उपयोग में है. यही नहीं, इस के अलावा कुछ अन्य ऐतिहासिक पुल, जैसे जौनपुर का शाही पुल (1568-69 में बादशाह अकबर द्वारा निर्मित) और इलाहाबाद का नैनी ब्रिज (1865 में अंगरेजों द्वारा निर्मित) भी उपयोग में हैं.
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