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‘सुना है यह जेलर रिटायर होने वाला है और इसकी जगह कोई लेडी जेलर आने वाली है’ मृणालिनी ने यूं ही बातों-बातों में बैरक के पास से गुजरते जेल अधिकारी से पूछ लिया.

‘हां, नई मैडम सर आने वाली हैं. परसों इनका विदायी समारोह है जेल नंबर चार में... शाम को तुम लोगों को भी उधर बुलाया जाएगा.’ जेल अधिकारी ने मृणालिनी के धुले-चमकीले जिस्म पर गहरी नजरें जमाते हुए कहा, ‘कुछ रंगारंग कार्यक्रम भी होगा... तुम लोग कुछ करना चाहो तो बताना’ जेल अधिकारी कामुक नजरों से देखता हुआ आगे बढ़ गया.

‘हां, हां... हम भी कुछ जरूर करेंगे...’ मृणालिनी ने पीछे से तेज आवाज में जवाब दिया. उसने पलट कर देखा तो मृणालिनी खड़ी मुस्कुरा रही थी. मृणालिनी को मुस्कुराते देख जेल अधिकारी अचम्भित हो गया. अब तक तो उसने मृणालिनी को सिर्फ गालियां बकते और लड़ते-झगड़ते ही देखा था. उसको मुस्कुराता देख वह भी मुस्कुरा दिया. मछली जाल में फंस गयी थी. अब बस तार खींचने की जरूरत है. मृणालिनी सोच कर हंस पड़ी और नोरा के बेटे को हवा में उछालते हुए खिलाने लगी.

दूसरे दिन मौका पाते ही वह उसी जेल अधिकारी के पास पहुंच गयी. दिसम्बर की 22 तारीख थी. ठंडी हवाएं जिस्म को काट रही थीं. वह अपने ऑफिस के बाहर कुर्सी डाले मजे से बैठा धूप सेंक रहा था.

‘उधर कल क्या-क्या होना है साहब?’ मृणालिनी सीधा सवाल दागते हुए उसके पास ही जमीन पर बिछी हरी-हरी घास पर पसर गयी. जेल अधिकारी ने उसके सुन्दर मुखड़े पर छायी लाली को निहारा. आज पहली बार मृणालिनी को इस तरह अपने पास देख उसे भयमिश्रित खुशी महसूस हो रही थी. वरना वह तो किसी अधिकारी को भाव ही नहीं देती थी. उसके सवाल पर वह जल्दी से बोला, ‘अधिकारी लोग भाषण-वाषण देंगे, कुछ नाचगाना होगा, एक छोटी सी नाटिका खेली जा रही है. चार नंबर वालों ने तैयार की है. फिर चाय-नाश्ता होगा.’

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