USA : भारत की ही तरह अमेरिका में भी राजनीतिक ध्रुवीकरण गहराता जा रहा है. लगातार वहां की संवैधानिक संस्थाओं पर मागावाद का प्रहार हो रहा है, जिस की लगाम खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में है और वे वहां लोकतंत्र को लगातार कमजोर करने की जुगत में रहते हैं.
भारत की तरह अमेरिका में भी राजनीतिक ध्रुवीकरण गहराता जा रहा है. यह धु्रवीकरण कई स्तरों पर दिखाई दे रहा है- राजनीतिक विचारधाराओं, मीडिया, सामाजिक मुद्दों और यहां तक कि वैज्ञानिक तथ्यों पर भी गहरी असहमति दिखाई दे रही है.
जिस तरह भारत में 2 बड़ी राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच वैचारिक मतभेद, नफरत और एकदूसरे पर आरोपोंप्रत्यारोपों की बौछार करने की प्रवृत्ति चरम पर है, उसी तर्ज पर अमेरिका में भी दोनों प्रमुख सियासी पार्टियों रिपब्लिकन और डैमोक्रेट्स के बीच वैचारिक दूरी बढ़ रही है.
रिपब्लिकन और डैमोक्रेटिक पार्टियों के बीच विचारधारा का फासला पिछले कुछ दशकों में बढ़ा है, जिस के चलते देश को सफलतापूर्वक चलाने का उन का आपसी सहयोग चरमरा गया है, खासकर, डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में दोबारा आने के बाद गन कंट्रोल, अबौर्शन, माइग्रेशन, वोटिंग राइट्स आदि मुददों पर विपक्ष ही नहीं, आम अमेरिकी भी ट्रंप सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं.
ट्रंप की बयानबाजी
अमेरिका में नस्लीय असमानता, पुलिस की बर्बरता और श्वेत बनाम गैरश्वेत मुद्दे काफी गर्म हैं. उस पर ट्रंप की शैली और बयानबाजी ने अमेरिकी राजनीति में ध्रुवीकरण को और तेज किया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नीत रिपब्लिकन पार्टी ध्रुवीकरण की बदौलत उसी तरह सत्ता में मजबूती बनाए रखना चाहती है जैसे भारत में भारतीय जनता पार्टी. दोनों ही देशों में ध्रुवीकरण का खेल शैक्षिक स्तर पर सब से अधिक नजर आने लगा है.
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