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YRKKH: मनीष को आएगा हार्ट स्ट्रोक, क्या अक्षरा की जिंदगी में होगी नए शख्स की एंट्री?

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में दिलचस्प मोड़ आ चुका है. जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो के लेटेस्ट एपिसोड में आपने देखा कि अक्षरा और अभिमन्यु अपना पहला वैलेंटाइन मनाने की प्लानिंग करते नजर आ रहे हैं. तो दूसरी तरफ आरोही को जलन हो रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है.

शो में आपने ये भी देखा कि आरोही मनीष को अक्षरा और अभिमन्यु की वैलेंटाइन के बारे में जाकर बता देती है. मनीष यह सब सुनकर आगबबूला हो जाता है और अक्षरा को खींच कर घर ले आता है.

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तो दूसरी तरफ अभिमन्यु भी अक्षरा के पीछे-पीछे चला आता है. मनीष नहीं चाहता कि अक्षरा घर से बाहर निकले और अभिमन्यु से बात करे. अभिमन्यु अक्षरा को बचाने की कोशिश करता है.

 

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शो के अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि आरोही मनीष को अक्षरा के खिलाफ भड़काती है ऐसे में मनीष को हार्ट स्ट्रोक आ जाता है. अक्षरा को लगता है कि यह मनीष की हालत उसकी वजह से बिगड़ गई है. शो में आप ये भी देखेंगे मनीष अक्षरा को किसी और से शादी करने के लिए कहेगा. खबर आ रही है कि शो में नए शख्स की एंट्री होने वाली है.

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अक्षरा अपने बड़े पापा को ऐसे हालत में नहीं देख सकती है. और वह अपने प्यार को भी नहीं खोना चाहती है. अब ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि अक्षरा अपने बड़े पापा की बात मानती है या अपने प्यार को चुनती है?

 

हर्ष लिंबाचिया ने उड़ाया Bharti Singh के वजन का मजाक, देखें Video

मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह (Bharti Singh) अपके बेबाक अंदाज से फैंस का एंटरटेनमेंट करती रहती है. हाल ही में भारती की गोदभराई की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. इसे फैंस ने काफी पसंद किया था. भारती अक्सर अपने पति के साथ वीडियो शेयर करती रहती है. इसमें ये कपल खूब मस्ती करते नजर आते हैं.

भारती और हर्ष लिंबाचिया का एक वीडियो सामने आया है, इसमें वो दोनों एक-दूसरे का मजाक उड़ा रहे हैं. मजाक-मजाक में हर्ष ने भारती सिंह को बीन बैग तक कह दिया लेकिन भारती ने भी उन्हें करारा जवाब दिया.

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आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि हर्ष पत्नी भारती के मोटापे का मजाक उड़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में हर्ष लिंबाचिया कहते हैं, बीन बैग कितना भी आरामदायक हो लेकिन पूरी जिंदगी बीन बैग के साथ नहीं होता है. इसके बाद वह तुरंत कहते हैं, मैं मजाक कर रहा था बेबी. ये बस मजाक था. इस पर भारती सिंह कहती हैं, अरे! बहुत लोग तरसते हैं इस बीन बैग के ऊपर पर बैठने के लिए. लेकिन फिर भी मैं इस लकड़ी की कुर्सी पर बैठती हूं.

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दरअसल, ये वीडियो रिएलिटी डांस शो ‘इंडियाज बेस्ट डांसर’ का है जो इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. आपको बता दें कि भारती सिंह इन दिनों अपनी प्रेग्नेंसी को एंजॉय कर रही हैं. वह बहुत जल्द मां बनने वाली हैं. भारती बेबी बंप की फोटोशूट फैंस के साथ शेयर करती रहती है. भारती और हर्ष ने कुछ दिनों पहले ही माता-पिता बनने की खुशी शेयर की थी.

 

निर्णय: भाग 3- सुचित्रा और विकास क्यों दुविधा में पड़ गए

अपनी कहानी समाप्त कर वह सिसकने लगी थी. सुचित्रा का सिर शर्म से झुक गया था. वह सोचने लगी कि जो लोग अपनी जान के डर से अपनी आंखों के सामने अपनी स्त्रियों की बेइज्जती होती देखते रहे, उन्हें जीवित रहने का कोई अधिकार भी नहीं था. इस तरह की घटनाओं के बाद प्रशासन से सुरक्षा की मांग और उस की लापरवाही की निंदा करते लोग थकते नहीं. लेकिन क्या यह संभव है कि सरकार प्रत्येक नागरिक के साथ सुरक्षा के लिए एक बंदूकधारी लगा दे? क्या लोगों को थोड़ाबहुत प्रयास स्वयं नहीं करना चाहिए?

वंदना कुछ संयत हुई तो सुचित्रा ने उस से पूछा, ‘‘फिर क्या हुआ?’’

‘‘फिर क्या होना था, पति को तो मेरे सामने ही वे लोग गोली मार चुके थे. मैं किसी तरह गिरतीपड़ती अपने भाई के पास पहुंची. दुख व अपमान से घायल क्षतविक्षत हुआ मेरा तनमन अपने इकलौते भाई का स्नेह और आश्रय पा कुछ संभलता भी, पर जान छिड़कने वाला मेरा वही भाई मेरी आपबीती सुन कर पत्थर हो गया. मेरे साथ हुए बर्बर हादसे के कारण मुझे सांत्वना देने की जगह कोढ़ लगे अंग की तरह मुझे तुरंत वहां से दूर हटा देने को व्यग्र हो उठा.

‘‘भाई के बदले तेवर का अंदाजा होते ही मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया. सवाल सिर्फ मेरा ही नहीं था. मेरे सामने मेरी मासूम बच्ची का समूचा भविष्य था.

‘‘जिस जूही को मेरे लाख मना करने पर भी मेरा भाई और भतीजे मेरे साथ भेजना नहीं चाहते थे, अब उसे ही आश्रय देने को मैं भिक्षुक की तरह उन के समक्ष गिड़गिड़ा रही थी लेकिन वे टस से मस न हो रहे थे. मैं ने जब आश्वासन दिया कि मैं अपनी शक्ल उन्हें कभी नहीं दिखाऊंगी और जूही पर होने वाला खर्च भेजती रहूंगी, वे जूही को संरक्षण दें और मुझे हादसे में मरा घोषित कर दें, तब बेमन से वे माने थे.

‘‘मैं जानती थी बहन, मेरी बच्ची अब उन के चरणों की धूल हो जाएगी… पर और उपाय ही क्या था?

‘‘एक दिन मैं इस शहर में चली आई. मैं ने कितनी ठोकरें खाईं, कितना अपमान और अभाव मैं ने झेला, उस की एक अंतहीन कहानी है. कुदरत ने सौंदर्य दान दे कर मेरा नाश ही तो कर डाला था. बच्ची की परवरिश के लिए पैसा चाहिए था, और उस के लिए मैं छोटे

से छोटा काम करने का संकोच छोड़ चुकी थी.

‘‘पर एक खूबसूरत जवान औरत से लोगों को रुपए के बदले काम नहीं, कुछ और चाहिए था. मैं ने वर्षों तक उस जानलेवा स्थिति का सामना किया था. धीरेधीरे जूही बड़ी हो रही थी. उस की पढ़ाई पर होने वाले खर्च बढ़ने लगे थे. उन्हीं दिनों रंजनजी से मुलाकात हुई थी. मुझे उन के दफ्तर में टाइपिस्ट के पद पर नौकरी मिल गई. एक दिन एक सहयोगी द्वारा छेड़खानी करने पर मैं उसे फटकार रही थी. रंजनजी ने केबिन में बैठेबैठे सब कुछ सुना और मुझे अंदर बुलाया.

‘‘मैं उस समय तक समय की मार और कामी पुरुषों की जलती नजरों के चाबुक से पूरी तरह टूट चुकी थी. सहानुभूति पा कर उन से सबकुछ कह बैठी.

‘‘एक दिन वे मुझे अपने घर ले गए जहां फालिज से अपाहिज, दुखी उन की पत्नी लंबे समय से बिस्तर पकड़े थीं. पति को दूसरी शादी के लिए स्वयं वे लंबे समय से विवश भी कर रही थीं. तब मैं ने एक कठोर निर्णय लिया. विश्वास कर सकें तो कीजिएगा कि उस निर्णय के पीछे भी मेरी किसी कमजोरी या इच्छा का जरा सा भी हाथ नहीं था. पर स्वयं को इस बेमुरव्वत दुनिया से बचा पाने व पुत्री को ऊंची शिक्षा दिला पाने में स्वयं को सर्वथा असमर्थ पा रही थी.

‘‘मैं सोचती थी कि कभी किसी से ठगी जा कर पहले की तरह लुटने से यही अच्छा है कि किसी एक के संरक्षण में रहूं. कम से कम अपनी जूही को तो वे सभी सुविधाएं दे सकूं जिन का सपना हर मां संतान के जन्म के साथ देखने लगती है.

‘‘रंजनजी की पत्नी की सहर्ष स्वीकृति मेरे साथ थी. जब तक वे रहीं, मैं ने सदैव बड़ी बहन समझ कर उन की सेवा की. उस अपाहिज स्त्री ने ही उदारता से मुझे सुरक्षा दी थी.

‘‘मुझे तो लोग ‘वेश्या’ भी कह देते हैं और ‘रखैल’ भी. पर एक औरत होने के नाते आप सच बताएं, क्या इन शब्दों की परिभाषा से मेरे जीवन की त्रासदी मेल खाती है?’’

‘‘माफ करना बहन, मैं ने भावावेश में बिना आप की आपबीती सुने ही आप को गलत कह दिया,’’ भावुक हो कर वंदना के हाथ थाम कर खड़ी हो गई सुचित्रा, ‘‘अब चलूंगी…देखती हूं, क्या कर सकती हूं.’’

‘‘क्या…सबकुछ सुन कर भी…?’’

‘‘हां, अब ही तो कुछ करना है. अच्छा, शीघ्र फिर मिलेंगे.’’

सुचित्रा आ कर गाड़ी में बैठ गई. गाड़ी वापस दौड़ पड़ी दिल्ली की तरफ.

सुचित्रा ने सबकुछ पति को बताया और अपना निर्णय भी सुना दिया,

‘‘जूही ही इस घर की बहू बनेगी.’’

‘‘तुम जो कहती हो वह सब ठीक है. पर सोचो, लोग क्या कहेंगे?’’

‘‘भाड़ में जाएं लोग, जूही का कोई दोष नहीं. मैं तो उस की मां का भी कोई दोष नहीं मानती. जब उसे रंजनजी अपना सकते हैं, पत्नी सा मान व प्यार दे सकते हैं तो हम जूही को क्यों ठुकरा दें? किस बात की सजा दें मांबेटी को?’’

‘‘मैं कब कहता हूं कि उन का कोई दोष है. लेकिन क्या…’’

‘‘लेकिन क्या? तूफानी वर्षा में तो बड़ीबड़ी पुख्ता इमारतें तक हिल जाती हैं. घनघोर हिमपात में तो बड़ेबड़े पर्वतशिखर भी भूस्खलन से नहीं बच पाते, जिस पर वह तो सिर्फ अकेली निहत्थी नारी थी. सच, कुछ लोग होते हैं जिन्हें जिंदगी क्रूरतापूर्वक छलती है, निर्दोष होने पर भी जिन्हें दंड मिलता है. पर उन की निरपराध संतान भी क्यों भोगे कोई कठोर सजा?’’

सुचित्रा के गंभीर स्वर की गूंज बापबेटे के अंतर में प्रतिध्वनित होने लगी. अपने पिता के पास खड़े जय ने आगे बढ़ कर मां के कंधे पर अपना सिर रख दिया. मां ने उस के विश्वास की रक्षा की थी, उस की जूही के साथ न्याय किया था.

मैं भोजपुरी फिल्मों में एक्टिंग करना चाहता हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं 9वीं जमात में पढ़ता हूं और भोजपुरी फिल्मों में हीरो बनना चाहता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

सब से पहले तो आप को अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए. इस के बाद किसी माहिर फोटोग्राफर से अपनी तसवीरें खिंचवा कर अपनी एक फाइल तैयार कर लें. किसी वीडियो फोटोग्राफर के जरीए डायलौग बोलते हुए अपनी सीडी तैयार करा लें और फिर भोजपुरी फिल्मों के फिल्मकारों से मिल कर बात करें और उन्हें अपनी तसवीरें वगैरह दिखाएं. अगर आप में हुनर होगा, तो आप को काम मिल सकता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

देश में सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनावों में बारबार जातिवादी पाॢटयों को कोस रही है कि वे कभी किसी का भला नहीं कर सकती. असल में अगर देश में आज सब से बड़ी जातिवादी पार्टी है तो वह भारतीय जनता पार्टी जिस ने पूरे देश में पौराणिक जातिवाद को हर पायदान पर बिना साफ किए लागू कर दिया है. यह जातिवादी तौरतरीकों का नतीजा है कि आज देश में भूखा ब्राह्मïण सुदामा सरीखा कहीं नहीं मिलेगा क्योंकि हर गांव में 5-6 मंदिर और हर शहर की हर गली में 5-6 मंदिर खुलवा दिए गए हैं जिन में ऋ षिमुनियों की संतानें ठाठ से ‘हमारे पास तो कुछ नहीं है’, ‘सब भगवान का है’ कह कर रेशमी कपड़ों में, एयरकंडीशंड हाथों में, हलवा पूरी रोज 4 बार खा रहे हैं.

सरकार को संविधान के हिसाब से 50 फीसदी नौकरियां पिछड़ों और दलितों को दे देनी थीं पर किसी भी सरकारी दफ्तर में घुस जाएं, वहां इक्कदुक्के ही सपाबसपा वाले नाम दिखेंगे. वहां काम कर रहे लोग ज्यादातर ठेलों पर काम कर रहे हैं और ठेकदार को जाति के हिसाब से रखने का कोई कानून नहीं है. ठेकेदार ऊंची जातियों का है और उस ने जिन्हें रखा होगा वे भी ऊंची जातियों के ही होंगे.

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भारतीय जनता पार्टी बारबार माफिया को नीची जातियों से जोड़ रही है. यह पुरानी तरकीब है. पुराणों में हर कहानी में दस्युओं को जो कहर ढाते थे नीची जाति का दिखाया गया है. रामायण में मारिच, ……, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ सब को माफिया की तरह दर्शाया गया है और पिछले 200 सालों से हर  शहर में रामलीला के दौरान उन्हें काल्य भुजंग बता कर दिखाया जाता है. जब अमित शाह कहते है कि कमल पर वोट नहीं दिया तो जातिवादी माफिया आ जाएगा उन का इशारा इन्हीं की ओर होता है. उन के लिए ये जातियां पौराणिक युग के दस्युओं, शूद्रों और अछूतों की संतानें हैं. शंबूक या एकलण्य जैसों के लिए भारतीय जनता पार्टी में कोई जगह नहीं है.

सरकार के 500 सब से ऊंचे 500 अफसरों में से मुश्किल से 60 अफसर उन जातियों के हैं जिन्हें रिजर्वेशन मिला हुआ है. भारतीय जनता पार्टी चुनचुन कर ऊंची जातियों के लोगों को ताकत दे रही है. वैसे भी हर पार्टी में चाहे वह समाजवादी हो या बहुजन समाज या तृणमूल कांग्रेस, ऊंची जातियों ेे ही लोग ऊंचे पदों पर है पर फिर भी कम से कम वे बात तो उन जातियों की करते हैं जिन के बच्चे आज पढ़ कर आगे आ गए हैं और हर बाधा पार करने को तैयार हैं.

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यह न भूलें कि देश चलता उन मजदूरों और किसानों के बल है जिन्हें भारतीय जनता पार्टी माफिया कहती है. यहां तक कि पुलिस और ठंडी हड्डियां जमाने वाली पहाड़ी सीमाओं पर यही लोग हैं. इन्हें माफिया के साथ होने की गाली देकर भारतीय जनता पार्टी जाति के नाम पर देश को बांट रही है. देश का बंटवारा ङ्क्षहदूमुसलिम के नाम पर तो 1947 में भी नहीं हुआ था क्योंकि जो लोग पिछले 500-600 सालों में मुलसमान बने थे उन में ज्यादातर उन जातियों के थे जिन्हें माफिया की गाली दी जा रही है.  इसी गाली को एकलण्य का सुनना पड़ा था, घटोतकक्ष्य को सुनना पड़ा था, हिरण्यकश्यष को सुनना पड़ा था, बाली को सुनना पड़ा था. आज नए दौर में नए नेता सुन रहे हैं.

जानिए गर्म पानी पीने के स्वास्थ्य लाभ

खाने के बनिस्बत पानी हमारे लिए अधिक जरूरी है. शरीर में पानी की कमी से कई तरह के रोग हो जाते हैं. स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि एक वयस्क दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पीए. पर पानी को हल्का गुनगुना कर के पीना सेहत के लिए और भी अधिक फायदेमंद होता है.

इस खबर में हम आपको गुनगुने पानी के पीने के फायदे बताएंगे. हम आपको बताएंगे कि गुनगुना पानी पीने से आपकी सेहत पर कौन से सकारात्मक प्रभाव होते हैं.

पीरियड्स बनाए आसान

पीरियड्स में महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. वो इस कदर इस दर्द से परेशान होती हैं कि उनके सारे काम पर ब्रेक लग जाता है. इस तरह की परेशानियों में गर्म पानी बेहद कारगर होता है. पीरियड्स के दर्द के दौरान इसे पीते रहें. इसके अलावा इसके आप अपनी सेंकाई भी कर सकती हैं. दोनों ही सूरत में ये आपके लिए लाभकारी होगा.

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उर्जा बढ़ाए

किसी अन्य ड्रिंक्स से बेहतर है कि आप गर्म पानी का सेवन नियमित तौर पर करते रहें. सौफ्ट ड्रिंक्स सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं. इन ड्रिंक्स की जगह गर्म पानी पीने से आपका पाचन तंत्र बढिया रहता है और बौडी एनर्जेटिक रहती है.

दूर करे जोड़ों का दर्द

जोड़ों के दर्द में गर्म पानी बेहद लाभकारी होता है. आपको बता दें कि हमारी मांसपेशियों का करीब 80 फीसदी हिस्सा पानी से बना होता है. मांसपेशियों के एठन में गर्म पानी काफी असरदार होता है. इससे ये परेशानियां दूर होती हैं.

सर्दी जुकाम में है कारगर

किसी भी मौसम में सर्दी जुकाम की परेशानी में गर्म पानी का पीना बेहद असरदार होता है. इससे आपका गला ठीक रहता है.

शरीर से विषैले तत्वों को निकाले

गर्म पानी पीने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. इससे शरीर की सारी अशुद्धियां बाहर हो जाती हैं. असल में गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है. इससे पसीना निकलता है. पसीने के रास्ते शरीर की सारी अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं.

कम करता है वजन

वेट लूज करने में गुनगुना पानी बेहद कारगर होता है. लाख कोशिशों के बाद भी अगर आप वजन घटा नहीं पा रहे हैं तो आपको गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिला कर पीना चाहिए. ऐसा करने से कुछ दिनों में ही आपको अंतर महसूस होगा. अगर आप नींबू और शहद नहीं पीना चाहते तो खाने के बाद केलन गुनगुना पानी पी लें. ये भी आपके लिए काफी असरदार होगा.

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अच्छा होता ब्लड फ्लो

शरीर को अच्छे से काम करने के लिए जरूरी है कि पूरे शरीर में खून का बहाव अच्छे से होता रहे. बौडी में ब्लड फ्लो को अच्छा करने में गर्म पानी बेहद कारगर उपाय है.

झुर्रियों के करे दूर

बढ़ती उम्र के साथ चेहरे पर झुर्रियां आने लगती हैं. इस परेशानी में गर्म पानी बेहद लाभकारी है. नियमित रूप से इसका प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में इसका असर आपको देखने को मिलेगा. गर्म पानी पीने से त्वचा में कसाव आता है और त्वचा चमक उठती है.

बालों के लिए है फायदेमंद

गर्म पानी बालों की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है. इससे बालों में चमक आती है. बालों के ग्रोछ के लिए भी ये काफी फायदेमंद होता है.

पेट की सेहत के लिए है फायदेमंद

गर्म पानी पीने से पाचन क्रिया अच्छे से होती है. जिन लोगों को गैस की समस्या होती है उन्हें खासतौर पर गर्म पानी का नियमित सेवन करते रहना चाहिए. खाने के पाचन में ये काफी सहायक होता है. पेट काफी हल्का रहता है.

परछाई- भाग 3: मायका या ससुराल, क्या था माही का फैसला?

मां उसे पहले भी यह बात कई बार समझाना चाहती थीं, उस के प्यार का बहाव ससुराल की तरफ मोड़ना चाहती थीं पर माही समझना ही नहीं चाहती थी. पर आज पता नहीं क्यों मां की बात समझने का दिल कर रहा था. उन की बातें उस के अंतर्मन को छू रही थीं. मां चली गईं तो वह अपनेआप में गुमसुम सी हो गई. जब उस का गाल ब्लैडर की पथरी का औपरेशन हुआ था तब भी कैसे सास व जेठजेठानी ने दिनरात एक कर दिया था और भैयाभाभी ने बस एक फोन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी. जेठजेठानी ने तनमनधन लगा दिया था. ननद भी औपरेशन के समय 2 दिन के लिए उस के पास आ गई थी.

आज पिछली सारी बातें जैसे साफ हो रही थीं, उस की आंखों पर पड़ा भ्रम व मोह का परदा हट रहा था. आज पहली बार वह समझ रही थी कि जो उसे अपनाना चाह रहे थे उन्हें वह ठुकरा रही थी और जो उसे ठुकरा रहे थे उन रिश्तों के पीछे वह भाग रही थी. सच वे भी तो भैयाभाभी हैं जिन से उसे प्यार मिलता है, उस के न सही उस के पति के हैं तो उस के भी हैं. वे रिश्ते भी तो उस के अपने हैं.

वह उठ कर चुपचाप सामान पैक करने लगी तभी मां कमरे में आ गई, ‘क्या कर रही है माही?’ उसे सामान पैक करते देख कर मां बोलीं.

‘अपने घर जा रही हूं मां. अपने भैयाभाभी के पास.’

मां चुप हो गईं. दोनों मांबेटी बिना शब्दों के कहे भी एकदूसरे के दिल की बात समझ गईं थीं. दूसरे दिन माही ससुराल लौट आई. उसे वापस आया देख कर घर में सास, पति, जेठजेठानी सभी खुश हो गए. किसी ने उस से नहीं पूछा कि वह इतनी जल्दी क्यों लौट आई.

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धीरेधीरे समय कुछ साल आगे सरक गया. उस के बच्चे थोड़े बड़े हो गए. फिर उन का तबादला दिल्ली से कानपुर हो गया. समय धीरेधीरे सरकता रहा. मातापिता व सास का साथ समय के साथ छूट गया. मां के जाने के बाद मेरठ जाना बंद हो गया. लेकिन दिल्ली जेठजेठानी के पास त्योहार व छुट्टियों में आनाजाना बना रहा. तभी घंटी की आवाज सुन कर वह चौंक गई, शायद विभव औफिस से लौट आए थे. वह वर्तमान में लौट आई उस ने उठ कर दरवाजा खोल दिया.

‘‘क्या बात है माही… बहुत गमगीन सी लग रही हो… तबीयत ठीक नहीं है क्या? विभव उसे इस कदर उदास देख कर बोले.’’

‘‘नहीं कुछ नहीं सब ठीक है… दिल्ली से सोनिया की शादी का कार्ड आया है. जाने की तैयारी करनी है. रिजर्वेशन कराना है, यही सब सोच रही थी,’’ वह उत्साहित होते हएु बोली.

‘‘और यह दूसरा किस का है?’’ विभव दूसरा कार्ड उठाते हुए बोले.

‘‘यह मेरठ से आया है.’’ माही लापरवाही दिखाते हुए बोली, ‘‘आप बैठ कर देख लो मैं चाय बना कर लाती हूं,’’ कह कर माही उठ कर किचन में चली गई. थोड़ी देर बाद 2 कप चाय बना कर ले आई.

‘‘अरे यह तो साले साहब की बेटी की शादी का कार्ड है. वहां भी तो जाना होगा. तुम वहां चली जाओ मैं…’’

‘‘नहीं…’’ माही बीच में बात काटती हुई बोली, ‘‘वहां आप उपहार भेज दो, हम दोनों ही दिल्ली जाएंगे… और थोड़े दिन पहले जाएंगे. क्योंकि शादी में मदद भी तो करनी है,’’ माही पूरे आत्मविश्वास से बोली और शांत भाव से चाय पीने लगी.

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विभव ने चौंक कर उस की तरफ देखा, सब कुछ समझा और चुपचाप चाय पीने लगे. समझ गए कि प्यार व स्नेह के रिश्ते खून के रिश्तों पर भारी पड़ गए हैं. आपस में प्यार और विश्वास नहीं है तो खून के रिश्तों के धागे भी कच्चे पड़ जाते हैं. इसलिए परछाइयों के पीछे भागने के बजाय हकीकत को अपनाना चाहिए.

Anupamaa: शूटिंग जाने से पहले अनुज कपाड़िया को घर पर करना पड़ता है ये काम, देखें Video

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में अनुज कपाड़िया (Anuj Kapadia) यानी गौरव खन्ना अपने किरदार से फैंस के दिलों पर राज कर रहे हैं. फैंस अनुज और अनुपमा की जोड़ी को काफी पसंद करते हैं. शो में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि अनुपमा अपने दिल की बात अनुज से वैलेंटाइन डे के मौके पर कहने वाली है. इसी बीच अनुज की असली जिंदगी की अनुपमा के साथ एक वीडियो सामने आया है. जिसमें अनुज शूटिंग पर जाने से पहले बीवी को कैसे मनाते हैं. आइए बताते हैं इस वीडियो के बारे में.

अनुज कपाड़िया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वह अपनी पत्नी आकांक्षा खन्ना का मनाते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में आप देख सकते हैं कि आकांक्षा बेड पर बैठी हुई हैं. गौरव खन्ना उनके लिए खाने पीने का समान लाकर उन्हें बेड पर दे रहे हैं. गौरव आकांक्षा से कहते हैं कि अब मैं शूटिंग पर जा रहा हूं, आकांक्षा उन्हें रोकती हैं.

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इसके बाद गौरव बर्गर आकांक्षा के सामने रखते हैं और कहते है कि सुनो मुझे बेकार के फोन मत करना. इसके बाद फ्रेंच फ्राइज रखते हैं और कहते हैं कि मुझे बिना बात के मैसेज मत करना. इसके बाद गौरव एक बड़ी सी ट्रे लेकर आते हैं जिसमें खाने पीने की कई चीजें होती हैं. जिसे बेड पर रखकर गौरव कहते हैं कि फालतू वीडियो कॉल शूट के बीच में मत करना. अनुज कपाड़िया ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा है, क्या क्या करना पड़ता है…ये भी कोई बात हुई.

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एक रिपोर्ट के अनुसार, वैलेंटाइन्स डे के मौके पर अनुज और अनुपमा रोमांटिक होते हैं. अनुपमा सोचती है कि वह अपने दिल की बात आज अनुज से कह देगी. लेकिन, वह कहते-कहते रुक जाती है. शो में अब ये देखना होगा कि क्या अनुपमा अनुज से अपने दिल की बात कह पायेगी?

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नहीं रहे डिस्को किंग बप्पी लहरी, मुंबई के अस्पताल में ली अंतिम सांस

बॉलीवुड के डिस्को किंग यानी बप्पी लहरी (Bappi Lahiri) का निधन हो गया है. जिससे इंडस्ट्री और फैंस के बीच शोक की लहर छायी हुई है. कुछ दिन पहले ही बप्पी लहरी की तबियत खराब हो गई थी. उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. आज सुबह ही खबर आई कि बप्पी लहरी का निधन हो गया है.

दरअसल बप्पी लहरी का एक महीने तक इलाज चला. रिपोर्ट के अनुसार बप्पी लहरी को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था. घर आने के बाद उनकी तबियत खराब हो गई. फिर बप्पी लहरी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. इलाज के दौरान बप्पी लहरी ने दम तोड़ दी.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बप्पी लहरी एक साथ कई बीमारियों से जूझ रहे थे. उनके गले में भी इंफेक्शन था, फेफड़ों में भी दिक्कत आ रही थी. ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया) के कारण बप्पी लहरी का निधन हो गया.

 

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बप्पी लहरी का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था. खबरों के मुताबिक मुंबई में बप्पी लहरी के रिश्तेदारों के आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सोशल मीडिया पर फैंस और सेलिब्रिटी लगातार पोस्ट के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

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अजय देवगन ने बप्पी लहरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा, बप्पी दा व्यक्तिगत रूप से बहुत प्यारे थे, लेकिन उनके संगीत में एक धार थी. उन्होंने चलते-चलते, सुरक्षा और डिस्को डांसर के जरिए हिंदी फिल्म को समकालीन शैली से रूबरु करवाया. शांति दादा, आप हमेशा याद किये जाओगे.

तो वहीं अक्षय कुमार ने बप्पी लहरी के निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा, आज हमने म्यूजिक इंडस्ट्री का एक और अनमोल रत्न खो दिया. बप्पी दा आपकी आवाज लाखों लोगों के डांस करने की वजह थी, जिसमें मैं भी शामिल हूं. उन सभी खुशियों के लिए आपका शुक्रिया, जो आप अपने म्यूजिक के जरिए लेकर आए थे.

त्यौहार 2022: खुशी के आंसू- भाग 3

छाया की एक सहेली तबस्सुम, जो पहले इसी स्कूल में मनोविज्ञान की शिक्षिका थी, विवाह के बाद हैदराबाद चली गई थी. उस ने अचानक से खबर  किया कि वह दिल्ली आई है और उस से मिलने के लिए आना चाहती है. छाया ने उसे दिन के खाने पर बुला लिया.

उस दिन छाया को जल्दी घर आना था, पर देर हो रही थी. तबस्सुम अपनी 3 महीने की खुबसूरत बेटी नूर को ले कर  छाया के घर आ गई थी. ज्योति नूर को बहुत प्यार कर रही थी.

“दीदी, जी करता है, मैं आप की बेटी को  रख लूं,”   ज्योति ने नूर को पुचकारते हुए कहा.

“रख लो,”  तबस्सुम ने हंस कर कहा.

तबस्सुम ज्योति से पहली बार मिल रही थी. “अगर अंकलजी नहीं गुजरते तब, अभी तक तेरी छाया दीदी को भी मुन्ना या मुन्नी हो गई होती. आनंद और छाया, मम्मी और पापा बन गए होते. अंकलजी अपने सामने शादी नहीं देख पाए पर, उन का आशीर्वाद तो  इन दोनों को मिल ही चुका  है.”

“क्या कहा आप ने तबस्सुम दी?” ज्योति ने हैरत से पूछा.

“यही कि शादी हो गई होती, अब तक छाया और आनंद, मम्मीपापा बन गए होते,”

तबस्सुम ने सच्ची बात कह दी.

ज्योति ने यह सुना तो सन्न रह गई. जो उस ने सुना वह सच है या तबस्सुम दी ने ऐसे ही यह बात कह दी. पर वे आनंद का नाम क्यों ले रही हैं वे किसी और का भी तो नाम ले सकती हैं. इस का मतलब है, दीदी और आनंद जी… ज्योति को कुछ समझ नहीं आ रहा था. उस ने जैसेतैसे खुद को संभाला और अपने चेहरे के भाव को सामान्य कर कर लिया.

तबस्सुम दिनभर रही और रात होने से पहले वापस घर चली गई. पर ज्योति के मन में हलचल मचा गई. मतलब साफ है, पापा भी इन लोगों के बारे में जानते थे, वह कैसे नहीं जान पाई. पापा की बीमारी में अस्पताल में आनंदजी आते रहते थे. उस समय की परिस्थिति ऐसी थी जिस में इन सभी विषयों पर सोचने की फुरसत भी नहीं थी. जब पापा के कैंसर का पता चला तब हम सभी पापा में लग गए. एक बात तो स्पष्ट है कि आनंद और दीदी का प्यार बहुत गहरा है. एकदूसरे के प्रति अटूट विश्वास है. इसी कारण इन्हें किसी को दिखाने की जरूरत नहीं पडी. उसी प्यार में दीदी ने आनंदजी को मुझ से विवाह करने के लिए मना भी लिया. दीदी ने ऐसा क्यों किया? काश, एक बार मुझे सब सच बता दिया होता. यह तो अच्छा हुआ कि तबस्सुम दी ने मुझे सच से अवगत करा दिया वरना…

स्कूल की परीक्षा समाप्त होने के बाद छाया ने ज्योति से कहा, “ज्योति, पापा की बरसी के बाद  मैं तेरे विवाह की सोच रही हूं. बरसी को 2 महीने रह गए हैं. तब तक मैं धीरेधीरे शादी की तैयारियां भी करती रहूंगी.”

“इतनी जल्दी क्या है दीदी,”  ज्योति ने कहा.

“नहीं ज्योति, शुभकार्य में विलंब ठीक नहीं,”  छाया को जैसे हड़बड़ी थी.

“हां, तो ठीक है. अगले सप्ताह 27 तारीख को तुम्हारा जन्मदिन है, उस दिन कुछ कार्यक्रम कर लो,”    ज्योति ने कहा.

“धत, मेरे जन्मदिन के समय ठीक नहीं है, किसी और दिन रखूंगी.” छाया ने मना कर दिया.

“दीदी, मुझे कुछ कहना है,” ज्योति ने आग्रह किया.

“हां, बोलो,” छाया ज्योति को देखते हुए बोली.

“दीदी, इस बार  मैं तुम्हारा जन्मदिन अपनी पसंद से सैलिब्रेट करना चाहती हूं,” ज्योति ने बहुत लाड़ से कहा.

“अरे, मेरा जन्मदिन क्या मनाना,” छाया ने टालना चाहा.

“मैं ने कहा न, इस बार मैं तुम्हारा जन्मदिन सैलिब्रेट करूंगी, फिर तो मैं ससुराल चली जाऊंगी, तुम तो मेरी हर इच्छा पूरी करती हो, इतनी सी बात नहीं मानोगी,” ज्योति  छाया से मनुहार करने लगी.

“अच्छा बाबा, तुम सैलिब्रेट करना, पर भीड़भाड़ नहीं, समझीं,” छाया ने अपनी बात रख दी.

“ठीक है, मैं समझ गई,” ज्योति खुश हो गई.

छाया स्कूल में आनंद से, बस, काम की बात किया करती थी. वह कोशिश करती कि आनंद से उस का सामना कम हो. उस ने आनंद को छोड़ने का फैसला तो कर लिया पर जैसेजैसे दिन बीत रहे थे, उस का मन बोझिल होता जा रहा था. अपने जन्मदिन के दिन उस का मन खिन्न हो उठा क्योंकि हर जन्मदिन पर सब से पहले आनंद का ही फोन आता था. इस रास्ते को तो वह स्वयं ही बंद कर आई है.

छाया का मन बेचैन था, इंतजार करता रहा, आनंद का फोन नहीं आया. छाया ने ज्योति से काम का बहाना बनाया और आनंद से मिलने के लिए स्कूल चली आई. स्कूल आ कर पता चला आनंद ने 2 दिनों की छुट्टी ले रखी है. थोड़ी देर स्कूल में रुकने के बाद वह घर आ गई.

ज्योति उस की बेचैनी समझ रही थी. पर वह चुप थी. ज्योति ने पूरे घर को छाया की पसंद के फूलों से सजाया था. उस ने सारा खाना अपने हाथों से बनाया, यहां तक कि केक भी उस ने बडे प्यार से बनाया. छाया ने कहा था इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत है, केक मंगा लेते हैं. पर वह तैयार नहीं हुई.

ज्योति ने छाया को मां की साड़ी दे कर कहा, “दीदी, शाम को यही पहनना.”

“मां की साडी, क्यों?” छाया ने अचरज से पूछा.

“पहन लो न. बस, ऐसे ही. आज तो मेरी हर बात माननी है, याद है न,” ज्योति ने और्डर से कहा.

“अच्छा, हां.”  छाया ने कहा. छाया का मन हो रहा था वह ज्योति से पूछे कि आनंद को बुलाया है या नहीं. पर उस की हिम्मत नहीं हुई. “तुम क्या पहन रही हो?”  छाया ने प्यार से पूछा.

“आज तुम ने जो पीला सूट दिया था न, वह वाला पहनूंगी. ठीक है न?”  ज्योति खुशी से बोली.

शाम को दोनों बहनें तैयार हो रही थीं, तभी बाई ने बताया कि आनंद बाबू आए हैं. छाया का दिल जोर से धड़कने लगा. उसे लगा, वह गिर जाएगी. उस ने अपनेआप को संभाला.

“आ गए आप, मैं ने तो आप को और पहले से आने को कहा था. आप इतनी देर में क्यों आए?” ज्योति का आनंद से बेतकल्लुफ़ हो कर बोलना आनंद और छाया दोनों ने गौर किया.

“वह कुछ काम था, इसलिए देर हो गई, हैप्पी बर्थडे छाया,” आनंद ने रजनीगंधा का एक खुबसूरत बुके देते हुए छाया से सकुचाते हुए कहा.

छाया ने “थैक्स” कह बुके को झट से अपने कलेजे से लगा लिया और अंदर कमरे में जाने लगी.

“दीदी, कहां जा रही हो, केक नहीं काटोगी,” ज्योति ने छाया का हाथ पकड़ा और उसे खींचती हुई आनंद के पास ला कर सोफे पर बिठा दिया और फिर बोली, “मैं केक ले कर आ रही हूं.”

छाया को बड़ी बेचैनी हो रही थी. आनंद से मिलना भी चाह रही थी, जब आनंद सामने आया तब घबराहट सी होने लगी. तभी ज्योति केक ले आई, “हैप्पी बर्थडे टू यू डीयर दीदी, हैप्पी बर्थडे टू यू.”

ज्योति का उत्साह देखते बन रहा था. दोनों बहनों ने एकदूसरे को केक खिलाया फिर आनंद को केक दिया.”केक तो बहुत अच्छा है,” आनंद ने कहा.“ज्योति ने बनाया है,” छाया ने बड़े गर्व से कहा, “आज का सारा इंतजाम मेरी ज्योति ने किया है.”

“ओह, और गिफ्ट क्या दिया?”

“नहीं दी हूं, अभी दूंगी,” ज्योति ने तपाक से कहा, फिर ज्योति ने आनंद के दिए हुए रजनीगंधा के बुके से एक फूल की डंडी निकाल कर छाया को देते हुए कहा,

“त्वदीयं वस्तु दीदी तुभ्यमेव समर्पये.” यानी, “ तुम्हारी चीज तुम्हें ही सौपती हूं दीदी.”

“क्या बोल रही है,” छाया हड़बड़ा गई.

“सही बोल रही हूं दीदी, तुम्हारी चीज मैं तुम्हें वापस लौटा रही हूं,” ज्योति ने आनंद की ओर अपना हाथ दिखाते हुए कहा.

“मुझे पता चल चुका है दीदी आप दोनों के बारे में. आप दोनों की तो शादी होने वाली थी, पर पापा के असमय मौत से टल गई. सब जानते हुए आप ने कैसे मेरी शादी आनंदजी से तय कर दी. मैं नहीं जानती आप ने आनंदजी को किस तरह मुझ से शादी के लिए मजबूर किया होगा, लेकिन यह सब करते आप ने एक बार भी नहीं सोचा कि जिस दिन मुझे इस सच का पता चलेगा, उस दिन मुझ पर क्या बीतेगी. यह सच जान कर मैं तो आत्महत्या ही कर लेती दीदी.”

“ज्योति, ऐसा मत बोल,” छाया ने उस की बात काटते हुए तड़प कर उस के मुंह पर अपना हाथ रख दिया.

“मैं ने, बस, तेरी खुशी चाही, और कुछ नहीं.”

“ऐसी खुशी किस काम की दीदी, जिस में बाद में पछताना पडे. आप को क्या लगा, अगर आप सच बता देतीं, तब मैं आप से नफरत करने लगती, आप से दूर हो जाती? नहीं दीदी, मैं आप से कभी नफरत कर ही नहीं सकती दीदी, लेकिन आप ने मुझे अपनी ही नजरों में गिरा दिया,” यह सब  बोल कर ज्योती हांफने लगी.

“बस कर ज्योति, बस कर. मैं ने इतनी गहरी बात कभी सोची ही नहीं. मैं बहुत बडी गलती करने जा रही थी, मुझे माफ कर दे. कभीकभी बड़ों से भी नादानियां हो जाती हैं. बस, एक बार मुझे माफ कर दे मेरी बहन.”

“एक शर्त पर,” ज्योति ने कहा.”मैं तेरी हर शर्त मानने को तैयार हूं, तू बोल कर तो देख,” छाया ने कहा.”आप अभी यह केक मेरे होने वाले आनंद जीजाजी को खिलाइए,” ज्योती ने आनंद की ओर इशारा करते हुए  कहा.

“ओके.” छाया ने केक का टुकड़ा आनंद के मुंह में डाला. उस की आंखें, उस का तनमन, उस का रोमरोम  उस से क्षमायाचना कर रहा था. तीनों की आंखें भरी थीं, पर ये आंसू खुशी के थे.

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