भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनावों में बारबार जातिवादी पाॢटयों को कोस रही है कि वे कभी किसी का भला नहीं कर सकती. असल में अगर देश में आज सब से बड़ी जातिवादी पार्टी है तो वह भारतीय जनता पार्टी जिस ने पूरे देश में पौराणिक जातिवाद को हर पायदान पर बिना साफ किए लागू कर दिया है. यह जातिवादी तौरतरीकों का नतीजा है कि आज देश में भूखा ब्राह्मïण सुदामा सरीखा कहीं नहीं मिलेगा क्योंकि हर गांव में 5-6 मंदिर और हर शहर की हर गली में 5-6 मंदिर खुलवा दिए गए हैं जिन में ऋ षिमुनियों की संतानें ठाठ से ‘हमारे पास तो कुछ नहीं है’, ‘सब भगवान का है’ कह कर रेशमी कपड़ों में, एयरकंडीशंड हाथों में, हलवा पूरी रोज 4 बार खा रहे हैं.

सरकार को संविधान के हिसाब से 50 फीसदी नौकरियां पिछड़ों और दलितों को दे देनी थीं पर किसी भी सरकारी दफ्तर में घुस जाएं, वहां इक्कदुक्के ही सपाबसपा वाले नाम दिखेंगे. वहां काम कर रहे लोग ज्यादातर ठेलों पर काम कर रहे हैं और ठेकदार को जाति के हिसाब से रखने का कोई कानून नहीं है. ठेकेदार ऊंची जातियों का है और उस ने जिन्हें रखा होगा वे भी ऊंची जातियों के ही होंगे.

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भारतीय जनता पार्टी बारबार माफिया को नीची जातियों से जोड़ रही है. यह पुरानी तरकीब है. पुराणों में हर कहानी में दस्युओं को जो कहर ढाते थे नीची जाति का दिखाया गया है. रामायण में मारिच, ......, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ सब को माफिया की तरह दर्शाया गया है और पिछले 200 सालों से हर  शहर में रामलीला के दौरान उन्हें काल्य भुजंग बता कर दिखाया जाता है. जब अमित शाह कहते है कि कमल पर वोट नहीं दिया तो जातिवादी माफिया आ जाएगा उन का इशारा इन्हीं की ओर होता है. उन के लिए ये जातियां पौराणिक युग के दस्युओं, शूद्रों और अछूतों की संतानें हैं. शंबूक या एकलण्य जैसों के लिए भारतीय जनता पार्टी में कोई जगह नहीं है.

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