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छुटकारा- भाग 2: पैंतरा पत्नी का

‘‘तोमैं क्या करूं?’’

‘‘मुझे बहुत घबराहट हो रही है… डर लग रहा है.’’

‘‘तुम अपने घर जाओरितु. मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि मैं तुम्हे बारबार समझाती रहूं.’’

‘‘प्लीजमैडम. मैं कुछ देर आप के साथ बैठ लूंगीतो मेरी तबीयत संभल जाएगी.’’

‘‘सौरी. तुम अकेले हीया मयंक के साथ मिल कर इस मसले को सुलझाओ. मुझे तंग करने की तुम्हें कोई जरूरत नहीं है,’’ ममता दरवाजा बंद करना चाहती थीपर रितु ने अचानक रोना शुरू कर दिया तो वह बहुत परेशान हो उठी.

ममता अपने पड़ोसियों की दिलचस्पी का केंद्र बन कर उन के उलटेसीधे सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी. उस ने मजबूरन जल्दी से रितु का हाथ पकड़ा और उसे ले कर ड्राइंगरूम में आ गई.

‘‘मैं मयंक को अपनी जान से भी ज्यादा चाहती हूंमैडम. अगर हमारे रिश्ते में कभी कोई दरार पैदा हो गईतो मैं आत्महत्या कर लूंगी. आप मेरी इस डायरी को पढ़ेंगीतो आप को फौरन पता लग जाएगा कि मैं उन्हें कितना ज्यादा चाहती हूं,’’ सुबक रही रितु ने अपने पर्स में से निकाल कर एक डायरी ममता को पकड़ा दी.

ममता उस डायरी को नहीं पढ़ना चाहती थीपर रितु ने हाथ जोड़ कर गुजारिश कीतो उस ने डायरी को बीचबीच में से पढ़ना शुरू कर दिया.

रितु ने अधिकतर पन्नों पर मयंक के प्रति अपने प्यार का इजहार किया था. उस के लिखे शब्दों को पढ़ कर कोई भी समझ सकता था कि वह मयंक के प्यार में पागल थी.

उस ने जो 2 दिन पहले लिखा थाउसे पढ़ कर ममता परेशान हो उठी. अगर मयंक ने उसे धोखा दियातो वह आत्महत्या कर लेगीइस वाक्य को रितु ने कई बार लिखा था.

उस दिन दोपहर को रितु ने लिखा था, ‘आज फोन करने वाली औरत ने अपने बेटे की कसम खा कर ममता और मयंक के बीच गलत संबंध होने की बात कही है. मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं. मयंक का किसी दूसरे विभाग में तबादला हो जाए तो अच्छा हो. मेरे मन ने उलटीसीधी कल्पना करना नहीं छोड़ातो मैं ना जाने क्या कर बैठूं.

डायरी के इस पन्ने से नजरें उठा कर ममता ने सिर झुका कर बैठी रितु की तरफ देखातो वो उन्हें सचमुच पागल सी नजर आई. उन्हें लगा कि ये अत्यधिक भावुक लड़की कैसा भी कदम उठाने में सक्षम थी.

उन्होंने गहरी सांस खींच कर रितु को फिर से समझाना शुरू किया. वह उन की बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी.

‘‘तुम ने इस मामले में ज्यादा समझदारी नहीं दिखाईतो तुम्हारे साथसाथ मयंक भी परेशान हो जाएगा. उस फोन करने वाली औरत की आवाज पहचानते ही तुम फोन काट दिया करो. परेशान करने वाली झूठी बातों को दिमाग में घुसाने का कोई फायदा नहीं है रितु,’’ अंत में ममता ने उस से ऐसा कहा और उठ खड़ी हुई.

वह चाहती थी कि रितु अब अपने घर चली जाएपर ऐसा हो नहीं सका.

‘‘मैं मयंक को कितना तंग कर रही हूं… वो आज फिर मुझे बहुत डांटेंगे,’’ रितु अचानक रोने लगीतो ममता का दिल किया कि वह उस का सिर फोड़ डाले.

रितु को शांत करने में ममता को घंटाभर लगा. उसे विदा करने के बाद वो देर तक अपनी कनपटियां मसलती रहीक्योंकि उस का सिर दर्द से फट रहा था.

अगले दिन मयंक को अपने कक्ष में बुला कर ममता ने उस से बहुत झगड़ा किया.

‘‘रितु का जब दिल करता हैवो मुझे परेशान करने मेरे घर चली आती है. क्या तुम्हारा बिलकुल भी कंट्रोल नहीं है अपनी पत्नी पर?’’ ममता गुस्से से फट पड़ी.

‘‘मैं आज जा कर उस की अच्छी तरह खबर लेता हूं,’’ ममता की नाराजगी दूर करने के लिए मयंक ने तेज गुस्से का प्रदर्शन किया.

‘‘उस के साथ मारपीट मत करनाप्लीज. वो पागलपन की हद तक भावुक है. उस ने कोई उलटासीधा कदम उठा लियातो हम दोनों के लिए ही समस्या खड़ी हो जाएगी.’’

‘‘कुछ ना कुछ सख्त कदम तो मुझे उठाना ही पड़ेगा.’’

‘‘गुस्से से कम और समझदारी से ज्यादा काम लेनाप्लीज,’’ ममता ने ऐसी हिदायत दे कर उसे कक्ष से बाहर भेज दिया.

निर्णय: भाग 1- सुचित्रा और विकास क्यों दुविधा में पड़ गए

‘‘यह आप क्या कह रहे हैं? जय के बारे में तो जरा सोचिए. और फिर इस सब का सुबूत क्या है?’’ उस ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘जो कुछ कह रहा हूं, वह पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही कह रहा हूं. जिस लड़की को तुम मांबेटे अपनी कुलवधू बनाने को बेताब हो उठे हो, उस के उजले चेहरे के पीछे कैसा काला अतीत है, उसे सुन कर मैं हैरत में पड़ गया था. वह सुलतानपुर के चौधरी की भानजी जरूर है पर जिन मांबाप के लिए तुम्हें कहा गया था कि वे मर चुके हैं, यह सत्य बात नहीं है. पिता का तो पता नहीं पर मां किसी रईस की रखैल है.’’

‘‘कहीं कोई भूल…?’’

‘‘फिर वही दुराग्रह…सुलतानपुर जा कर मैं उस के मामा से मिला, सबकुछ तय कर के लौट रहा था कि मेरे कालेज के जमाने का एक साथी ट्रेन में मिला. उस से जब मैं ने सुलतानपुर आने की वजह बताई तो मालूम हुआ कि जूही की मां ही अपने ‘पेशे’ से कमा कर बेटी को बड़ीबड़ी रकमें भेजती रहती है. चौधरी ने तो मुफ्त में भानजी के पालनपोषण का नाम कमाया है.

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‘‘इस पर भी मुझे विश्वास नहीं हुआ तो पहुंचा देहरादून, जहां उस की मां के होने की सूचना मिली थी. और तब सबकुछ मालूम होता चला गया. देहरादून के एक प्राइवेट संस्थान में कभी टाइपिस्ट का काम करने वाली वंदना जूही की मां है. अब वह उस संस्थान के मालिक रंजन की रखैल है,’’ आवेश से विकास का मुख तमतमा उठा.

सुचित्रा ठगी सी उन्हें देखती रह गई.

‘‘यह क्या हो गया? जय का तो दिल ही टूट जाएगा. कितने सपने सजा लिए थे उस ने, जूही को ले कर. अपनी स्वीकृति का रंग स्वयं मैं ने ही सहर्ष भरा था उन सपनों में, एक स्नेहमयी मां की तरह.’’

वैसे जय को कुछ कहना भी कहां पड़ा था. उस के जन्मदिन की पार्टी में जब उस के कालेज के साथियों के हुजूम में सुचित्रा ने जूही को देखा तो देखती रह गई. फूलों की तरह तरोताजा, युवतियों की उस माला का सब से आबदार मोती ही लग रही थी जूही. सुंदरसलोनी लड़की को देख कर ब्याह योग्य पुत्र की जननी स्वयं उस अलभ्य रत्न को तत्काल अपनी गांठ में बांध लेने को व्यग्र हो उठी.

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फिर जय का उस की तरफ झुकाव व नाटकीयता से कोसों दूर उस की आदतों और उस के सरल, सौम्य व्यक्तित्व ने मोह लिया था सब को. पर यह क्या हुआ? उस ने तो बताया था कि सुलतानपुर के चौधरी उस के मामा हैं, मांबाप बचपन में ही किसी हादसे का शिकार हो गए. मामा ने ही उसे पढ़ाया और पाला है.

दिल्ली के ऊंचे स्कूल व कालेज में पढ़ने व बचपन से ही होस्टल में रहने वाली जूही सिर्फ छुट्टियों में ही सुलतानपुर जाती थी. यही उस के पिछले जीवन का संक्षिप्त इतिहास था.

शाम को पिता का गंभीर चेहरा देख कर स्वयं जय ही मां के पास चला आया, ‘‘मां, पिताजी जूही के मामा से मिलने गए थे न. फिर?’’

GHKKPM: रील बनाते समय पाखी के साथ हुआ हादसा, देखें Video

गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की  पाखी (Pakhi) यानी ऐश्वर्या शर्मा (Aishwarya Sharma) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह अपने फैंस के साथ लगातार फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती है. हाल ही में पाखी ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो शेयर किया है जिसमें उनके साथ हादसा हुआ है. आइए बताते हैं क्या है पूरा मामला.

ऐश्वर्या शर्मा रील बना रही थी. तभी उनके साथ ये हादसा हुआ. पाखी एक रील कैमरे में रिकॉर्ड कर रही थीं तभी उनके साथ ये हादसा हो गया. इस हादसे का एक-एक पल कैमरे में रिकॉर्ड हो गया. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि पाखी को इस हादसे से बचाने के लिए उनके साथ उनके शो की एक को-स्टार भी नजर आ रही है.

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इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि पाखी इंस्टा रील बना रही होती हैं. आप वीडियो में देख सकते हैं कि म्यूजिक बजता है, अचानक पाखी की गर्दन मुड़ जाती है. पाखी लाख कोशिश करती है लेकिन उनकी गर्दन सीधे नहीं हो पाती.

 

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पाखी ने इस वीडियो को इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है. एक्ट्रेस ने वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, मैं इसी वजह से ट्रेंड फॉलो नहीं करती. फैंस इस वीडियो पर जमकर कमेंट कर रहे हैं. पाखी के असल लाइफ के पति नील भट्ट ने इस पर हंसने वाला इमोजी शेयर किया है.

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घरेलू नौकर, सावधान…!

आज के समय में ऐसा शायद ही कोई घर होगा जहां घरेलू नौकरानी ना हो और ना ही कोई ऐसा व्यवसाय अथवा दुकान जहां कामकाज के लिए सहयोगी अथवा नौकर की जरूरत न पड़ती हो.

मगर इसके साथ ही सबसे बड़ा प्रश्न है सावधानी का आज चाहे जितने भी सीसीटीवी कैमरे आ गया हों मगर इसके बावजूद इंसान तो इंसान है अतः सतर्कता जागरूकता दोनों ही आवश्यक है. क्योंकि जहां आप चुक जायेंगे वहां कहीं ना कहीं आपका बड़ा नुक्सान हो सकता है.

आइए! आज आपको ऐसे ही कुछ सच्ची घटनाओं से अवगत कराएं जिसके माध्यम से आप समझ सकते हैं कि घरेलू नौकर चकारों के प्रति भी निगाह रखना सतर्कता बरतना आवश्यक है. राजस्थान के जयपुर की मालवीय नगर की सीमा देवी के यहां लंबे समय से कुंती  नौकरानी का काम कर रही थी एक दिन घर से पांच लाख गायब हो गए आगे जब जांच पड़ताल हुई तो पुलिस ने कुंती को रुपयों के साथ धर दबोचा. सीमा देवी को विश्वास ही नहीं हुआ कि कुंती जो एक परिवार का सदस्य बन चुकी थी ऐसा कुछ सकती है.

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10 लाख की चोरी में नौकरानी का हाथ

ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ के स्टील सिटी के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध भिलाई नगर में घटित हुई. यहां के नेहरू नगर स्थित एक मकान में घरेलू कामकाज करने वाली नौकरानी ने मालकिन की सहजता और लापरवाही का फायदा उठाकर अपने पति के साथ मिलकर 10 लाख के गहने पार कर दिए. यही नहीं नौकरानी ने नगदी रकम पर भी हाथ साफ कर दिया.मकान मालिक को गहनों के चोरी होने की जानकारी लगी तब शिकायत दर्ज कराई. एएसपी संजय ध्रुव के मुताबिक नेहरू नगर ईस्ट निवासी मोहम्मद उस्मान अली ने गहने चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके घर से बेशकीमती जेवर गायब हो गए हैं. यह जेवर कुछ दिन पहले ही बैंक के लॉकर से लाकर घर में रखे थे. यही नहीं रोजाना घर से नगदी रकम भी गायब हो रही हैं. इस मामले में सुपेला, भिलाई पुलिस ने अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी.पुलिस ने शुरुआत से ही घर में आने जाने वाले लोगों व काम करने वाले पर फोकस किया. इस दौरान पुलिस को घर में काम करने वाली नौकरानी अंजना पाइक पर संदेश हुआ. पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की. शुरुआत में तो अंजना पाइक ने ऐसी किसी भी चोरी से इनकार किया. लेकिन कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने अपना अपराध कबूल कर लिया.पुलिस अधिकारी एएसपी ध्रुव के मुताबिक नौकरानी अंजना पाइप घर में काम करने के दौरान मालकिन की लापरवाही का फायदा उठाते हुए थोड़ा-थोड़ा कैश पर हाथ साफ करती थी. थोड़ा थोड़ा कैश गायब होने को घर वालों ने गंभीरता से नहीं लिया. इससे नौकरानी का हौसला बढ़ गया. एक दिन घर की मालकिन ने नौकर से गहने मंगवा कर अलमारी में रखे मकान मालकिन गहनों को इस्तेमाल करने के बाद अलमारी में रख चाबियां ऐसे ही कहीं भी रख देती थी. उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि घर की नौकरानी उनके गहनों पर नजरें गड़ाए बैठी है . मालकिन की इस लापरवाही की जानकारी उसने अपने पति विजय साहनी को दी.इसके बाद दोनों ने मिलकर गहने चुराने की योजना बनाई और मौके की तलाश में रहने लगे.  एक रात मकान मालिक और उसकी पत्नी टहलने चले गए तभी इसका फायदा उठाते हुए नौकरानी और उसके पति ने गहनों को गायब कर दिया.

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9 मार्च को मकान मालकिन कुछ तलाश कर रही थी तब उसे पता चला कि अलमारी से गहने गायब हैं. इसकी जानकारी उन्होंने अपने पति को दी और मामला पुलिस तक पहुंचा. पुलिस ने आरोपियों के पास से 16 तोला सोने के गहने बरामद किए हैं.

आरोपियों के पास से पुलिस ने एक जोड़ी सोने का कंगन, चार सोने के चैन, एक जोड़ी सोने का टॉप्स, दो जोड़ी डायमंड लगा सोने का टॉप, डायमंड लगी तीन अंगूठी, दो जोड़ी सोने की रिंग, सोने का हार, पांच नग सोने का लॉकेट आदि बरामद किया। यही नहीं आरोपियों ने चोरी की गई नगदी रकम से एक स्कूटी भी खरीद ली थी जिसे पुलिस ने जब्त किया है.  पुलिस ने कुल 11 लाख रुपए का सामान बरामद किए .

सरसों के प्रमुख कीट एवं रोग और नियंत्रण

डा. लखमा राम चौधरी, एसएमएस, कृषि विज्ञान केंद्र, नौलासर, नागौर

बिशना राम, शिवानी चौधरी,  स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर

अंजू चौधरी, सैम हिगिनबौटम कृषि विश्वविद्यालय, प्रयागराज

राजस्थान में रबी की यह मुख्य फसल है. सरसों में अनेक प्रकार के कीट व रोग समयसमय पर हमला करते हैं, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि इन कीटों व रोगों की सही तरीके से पहचान कर के समुचित रोकथाम का प्रबंध किया जाए.

पेंटेड बग

यह कीड़ा काले रंग का होता है, जिस पर लाल, पीले और नारंगी रंग के धब्बे होते हैं. इस कीड़े के शिशु हलके पीले व लाल रंग के होते हैं. दोनों ही प्रौढ़ व शिशु इन फसलों को 2 बार नुकसान पहुंचाते हैं. पहली बार फसल उगने के तुरंत बाद ही सितंबर से अक्तूबर महीने तक और दूसरी बार फसल की कटाई के समय फरवरीमार्च महीने में.

प्रौढ़ व शिशु पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसते हैं, जिस से पत्तियों का रंग किनारों से सफेद हो जाता है, इसलिए इस कीड़े को धौलिया भी कहते हैं.

फसल पकने के समय भी कीड़े के प्रौढ़ व शिशु फलियों से रस चूस कर दानों में तेल की मात्रा को कम कर देते हैं, जिस से दानों के वजन में भी काफी कमी आ जाती है.

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नियंत्रण : फसल में सिंचाई कर देने से प्रौढ़, शिशु व अंडे नष्ट हो जाते हैं.

इस की रोकथाम के लिए 25 किलोग्राम क्विनालफास 1.5 फीसदी या मैलाथियान

5 फीसदी चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह या शाम के समय में छिड़काव करें.

1200 मिलीलिटर मैलाथियान 50 ईसी को या 1,200 मिलीलिटर डाईमिथोएट 30 ईसी या 100 ग्राम थायोमिथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी को पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. अगर जरूरी हो, तो 15 दिन बाद फिर से छिड़काव दोहराएं.

चेपा या माहू

यह कीट हलके हरेपीले रंग का 1.0 से 1.5 मीटर लंबा होता है. इस के प्रौढ़ व शिशु पत्तियों की निचली सतह पर और फूलों की टहनियों पर समूह में पाए जाते हैं. इस का प्रकोप दिसंबर महीने के आखिरी हफ्ते में (जब फसल पर फूल बनने शुरू होते हैं) होता है व मार्च महीने तक रहता है.

प्रौढ़ व शिशु पौधों के विभिन्न भागों से रस चूस कर नुकसान पहुंचाते हैं. लगातार आक्रमण रहने पर पौधों के विभिन्न भाग चिपचिपे हो जाते हैं, जिन पर काला कवक लग जाता है.

नतीजतन, पौधों की भोजन बनाने की ताकत कम हो जाती है, जिस से पैदावार में कमी हो जाती है. कीटग्रस्त पौधे की बढ़वार रुक जाती है. इस के चलते कभीकभी तो फलियां भी नहीं लगती हैं और अगर लगती भी हैं तो उन में दाने पिचके व छोटे रह जाते हैं.

नियंत्रण : समय पर बिजाई की गई फसल (10-25 अक्तूबर तक) पर इस कीट का प्रकोप कम होता है. दिसंबर महीने के अंतिम या जनवरी महीने के पहले हफ्ते में, जहां इस कीट के समूह दिखाई दें, उन टहनियों के प्रभावित हिस्सों को कीट सहित तोड़ कर नष्ट कर दें.

जब खेत में कीट का आक्रमण हो, तो 24 किलोग्राम क्विनालफास 1.5 फीसदी चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकें या 100 ग्राम थायामेथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी या 1,200 मिलीलिटर डाईमिथोएट 30 ईसी या 1,000 मिलीलिटर मोनोक्रोटोफास पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

साग के लिए उगाई गई फसल पर 250 से 500 मिलीलिटर मैलाथियान 50 ईसी को 250 से 500 लिटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

आरा मक्खी

इस कीड़े की मक्खी का धड़ नारंगी, सिर व पैर काले और पंखों का रंग धुएं जैसा होता है. सूंड़ी का रंग गहरा हरा होता है, जिन के ऊपरी भाग पर काले धब्बों की तीन कतारें होती हैं. पूरी तरह से विकसित सूंड़ी की लंबाई 1.5-2.0 सैंटीमीटर तक होती है.

इस कीड़े की सूंड़ी इन फसलों के उगते ही पत्तों को काटकाट कर खा जाती है. इस कीड़े का ज्यादा प्रकोप अक्तूबरनवंबर महीने में होता है. ज्यादा हमले के समय सूंड़ी तने की छाल तक भी खा जाती है.

नियंत्रण :  गरमियों में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए. साथ ही, आरा मक्खी की रोकथाम के लिए 25 किलोग्राम क्विनालफास 1.5 फीसदी या मैलाथियान 5 फीसदी चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह या शाम के समय में भुरकें.

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1,200 मिलीलिटर मैलाथियान 50 ईसी या 1,200 मिलीलिटर डाईमिथोएट 30 ईसी या 100 ग्राम थायामेथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी को पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. अगर जरूरी हो तो 15 दिन बाद पुन: छिड़काव दोहराएं.

सरसों का सफेद रोली रोग

(ह्वाइट रस्ट)

यह सरसों का अति भयंकर रोग है. यह बीज व भूमिजनित रोग है. इस रोग के चलते बोआई के 30-40 दिन के बाद पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले दिखाई देते हैं. फफोलों की ऊपरी सतह पर पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं.

उग्र अवस्था में सफेद रंग के उभरे हुए फफोले पत्तियों की दोनों सतह पर फैल जाते हैं. फफोलों के फट जाने पर सफेद चूर्ण पत्तियों पर फैल जाता है. पीले रंग के धब्बे आपस में मिल कर पत्तियों को पूरी तरह से ढक लेते हैं. पुष्पीय भाग व फलियां पूरी तरह से खराब हो जाती हैं, जिन में बीज नहीं बनते हैं.

नियंत्रण : सरसों की बोआई अक्तूबर महीने के पहले पखवारे में करें. रोग के लक्षण दिखाई देते ही 2 ग्राम मैंकोजेब या जिनेब प्रति लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. जरूरत के मुताबिक यह छिड़काव 20 दिन के अंतराल पर दोहराएं.

सफेद रोली के प्रभावी नियंत्रण के लिए लक्षण प्रकट होने पर 2 ग्राम रिडोमिल एमजैड प्रति लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें या 5 मिलीलिटर ट्राईकोडर्मा डिफ्यूज्ड प्रति लिटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करें. जरूरत के मुताबिक इसे दोबारा दोहराएं.

सरसों का स्केलेरोटीनिया

तना सड़न रोग

यह रोग आज के समय में सब से खतरनाक रोग है. यह भूमि व बीजजनित रोग है. तने पर लंबे पनिहल धब्बे बनते हैं, जिन पर कवक जाल रूई की तरह फैला रहता है. रोग के कारण पौधे मुर?ा कर सुखने लगते हैं और अंत में तना फट जाता है. ग्रसित तने की सतह पर या मज्जा में भूरीसफेद या कालीकाली गोल आकृति की संरचनाएं (स्केलेरोशिया) पाई जाती हैं.

नियंत्रण : प्रति हेक्टेयर बोआई से पूर्व खेत में 10 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा को 400 किलोग्राम गोबर की खाद में मिला कर भूमि उपचार करें.

खड़ी फसल में बोआई के 50-60 दिन बाद या रोग के लक्षण दिखाई देने

पर कार्बंडाजिम 12 फीसदी + मैंकोजेब

63 फीसदी के मिश्रण का 0.2 फीसदी के

घोल का छिड़काव करें और जरूरत पड़ने पर

10 दिन के अंतराल पर इस छिड़काव को दोहराएं. पौधे से पौधों व कतार से कतार की दूरी सही रखें.

सरसों का छाछया रोग

यह एक कवकजनित रोग है, जो शुरुआती अवस्था में पौधे की पत्तियों व टहनियों पर मटमैले सफेद चूर्ण के रूप में दिखाई देता है.  बाद में यह रोग पूरे पौधे पर फैल जाता है. इस के चलते पत्तियां पीली हो कर झड़ने लगती हैं.

नियंत्रण : इस रोग के नियंत्रण के लिए खड़ी फसल में 20-25 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से या 0.2 फीसदी घुलनशील गंधक का छिड़काव करें या केराथियान- एलसी का 0.1 फीसदी घोल का छिड़काव करें. जरूरत के मुताबिक 15 दिन बाद इस छिड़काव को फिर से दोहराएं.

प्यार की सौगात

सौजन्य: मनोहर कहानियां

2 बच्चों के पिता होने के बावजूद सुलभ मलहोत्रा को अपनी दुकान की सेल्सगर्ल किरण गुप्ता से प्यार हो गया. सुलभ की पत्नी अंजना को जब इस की जानकारी हुई तो उस ने पति को समझाया. सुलभ ने पत्नी की बात मान भी ली लेकिन इस दौरान ऐसा क्या हुआ कि अंजना को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा?

रात के 8 बज रहे थे. उस समय अंजना कानपुर के मोहल्ला कौशलपुरी स्थित अपने मकान के बरामदे में बैठी अपने

पति सुलभ मलहोत्रा के आने का इंतजार कर रही थी. सुलभ मलहोत्रा क्राकरी कारोबारी थे. गुमटी नंबर 5 के मेन मार्केट में उन की दुकान थी. रात 8 बजे दुकान बंद हो जाती थी. दुकान से घर आने में 20 मिनट का ही समय लगता था.

लेकिन इधर काफी दिनों से वह कभी समय पर घर नहीं लौट रहे थे. कभी रात के 10 बजे तो कभी 11 बजे और कभीकभी तो 12 बजा देते. जब भी घर लौटते, बहाने बना देते. कभी कहते दुकान में काम ज्यादा था तो कभी कहते कि तकादे के लिए निकल गया था. अंजना उस के इन बहानों पर विश्वास कर लेती थी.

लेकिन विश्वास की भी एक सीमा होती है. यह सीमा पार हो जाए तो आशंकाएं सिर उठाने लगती हैं. कुछ दिनों पहले अंजना ने इन बातों पर गौर करना शुरू किया तो उसे दाल में कुछ काला लगा था. फिर एक दिन उसे उड़तीउड़ती सी खबर मिली थी कि उस के पति सुलभ और किरण के बीच प्रेम का चक्कर चल रहा है.

25 वर्षीया किरण गुप्ता उस के पति सुलभ की क्राकरी दुकान पर काम करती थी, लेकिन यही किरण अब आस्तीन का सांप बन कर उसे डस रही थी. उस का मन हुआ कि किरण को बुला कर डांटेफटकारे और चेतावनी दे कि जिस रास्ते पर वह चल रही है, उस के हक में वह ठीक नहीं है.

लेकिन सुनीसुनाई बातों पर विश्वास कर किसी कुंवारी लड़की को लांछित करना उसे ठीक नहीं लगा. पति से पूछना ही ठीक रहेगा. यह सोच कर अंजना उस रात 8 बजे बरामदे में आ बैठी थी.

समय बड़ी तेजी से सरक रहा था पति के इंतजार में बैठेबैठे अंजना को 2 घंटे बीत गए थे. इस के साथ ही उस के चेहरे पर खीझ और गुस्से के भाव तैरने लगे थे. उस ने दीवार घड़ी पर नजर डाली. रात के 11 बजे रहे थे. अब सुलभ पर उसे गुस्सा आने लगा था.

वह उठ कर कमरे में आ गई. कमरे में आ कर उस ने दरवाजा बंद किया था कि कुछ पलों में दस्तक हुई. उस ने दरवाजा खोला. सामने सुलभ ही था. सुलभ अंदर आ गया तो वह फट पड़ी, ‘‘हद कर दी आप ने. आज भी देर से आए.’’

‘‘अरे भाई, सांस तो लेने दो जरा,’’ सुलभ ने सफाई देनी चाही. लेकिन अंजना ने मौका ही नहीं दिया. वह बोलती गई, ‘‘मैं इंतजार करतेकरते थक गई आप का. आप हैं कि अब आ रहे. कब तक चलेगा ऐसा? समय तो देखिए जरा, क्या बज रहा है?’’

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सुलभ सोफे पर बैठ गया और जूते उतारते हुए बोला, ‘‘तुम्हें तो पता ही है अंजना कि दुकान पर कितना काम रहता है. इस के अलावा मुझे कुछ उधारी वसूलने भी जाना पड़ता है. मैं तो पूरी कोशिश करता हूं कि काम निपटा कर जल्दी घर आ जाऊं. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. फिर आज तो हमारी

कार जाम में फंस गई. बड़ी मशक्कत के बाद निकल पाया.’’

‘‘झूठ बोलते हैं आप,’’ अंजना बिफर पड़ी, ‘‘दुकान पर पहले भी काम रहता था. तगादे पर भी जाते थे. तब भी आप क्या इतनी देर से आते थे. आप बहाना बनाते हैं. अपनी पत्नी से ही छल करते हैं. कुछ तो शर्म कीजिए.’’

सुलभ चकित रह गया. अंजना के इस बदले व्यवहार पर सकपका कर बोला, ‘‘अंजना, आज तुम कैसी बातें कर रही हो?’’

‘‘झूठ तो बोल नहीं रही हूं,’’ अंजना की आवाज तेज हो गई, ‘‘आज आप को बताना ही पड़ेगा कि इतनी देर तक कहां रहते हैं आप? दुकान बंद हो जाने के बाद कहां जाते हैं? किस के साथ गुलछर्रे उड़ाते हो? किरण से आप के क्या संबंध हैं? बताइए …बताइए वरना मैं अभी चीखचीख कर सब के सामने कहूंगी कि मेरे पति दुश्चरित्र हैं. किरण से उन के नाजायज संबंध हैं. दोनों घर से बाहर मिलते हैं. इसलिए घर लौटने में देर करते हैं.’’

यह सुन कर सुलभ चुप हो गया. सन्नाटे में आ गया था वह. उस ने अंजना का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा था. दयनीय स्वर में बोला, ‘‘अंजना, प्लीज अब चुप भी हो जाओ, वरना पड़ोसी इकट्ठे हो जाएंगे और हमारी इतने दिनों की इज्जत, मानमर्यादा सब मिट्टी में मिल जाएगी.’’

फिर उस ने अंजना से माफी मांगी और वायदा किया कि आइंदा किरण से बाहर नहीं मिलेगा.

अंजना ने उसे माफ कर दिया यह सोच कर कि पति कैसा भी हो, है तो अपना ही. उसे सुधरने का मौका मिलना ही चाहिए.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के नजीराबाद थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है कौशलपुरी. पंजाबी बाहुल्य मोहल्ले में ज्यादातर धनाढ्य कारोबारियों के मकान हैं.

इसी कौशलपुरी मोहल्ले में बिहारी लाल मलहोत्रा सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा बेटा सुलभ तथा बेटी पूजा थी. पूजा की शादी वह विक्रम कपूर के साथ कर चुके थे. वह पति के साथ दिल्ली में रहती थी.

बिहारी लाल मलहोत्रा चर्चित क्राकरी कारोबारी थे. गुमटी नंबर 5 के मेन मार्केट में उन की ‘मलहोत्रा क्राकरी’ के नाम से दुकान थी. क्राकरी का कारोबार वह स्वयं तथा उन का बेटा सुलभ संभालता था.

बिहारी लाल की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कौशलपुरी में उन का निजी आलीशान मकान था. उन के पास कार भी थी. जिसे सुलभ ड्राइव करता था. व्यापारी वर्ग में उन की अच्छीखासी पहचान थी.

सुलभ कारोबार संभालने लगा तो बिहारी लाल को उस के विवाह की चिंता सताने लगी. वह अपनी बिरादरी की पढ़ीलिखी लड़की से उस की शादी करना चाहते थे. वह कई लड़कियां देख भी चुके थे लेकिन सुलभ शादी को राजी नहीं हुआ.

मौल में हुई अंजना से मुलाकात

इन्ही दिनों एक रोज मौल में सामान खरीदते समय सुलभ की मुलाकात एक खूबसूरत युवती अंजना भदौरिया से हुई. वह भी मौल में सामान खरीदने आई थी.

पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. दोनों में बातचीत हुई फिर दोनों ने एकदूसरे को अपना मोबाइल फोन नंबर दे दिया. इस के बाद उन की मोबाइल फोन पर बातचीत होने लगी.

जल्द ही बातचीत प्यार में बदल गई और दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. प्यार की मंजिल आगे बढ़ी और सुलभ ने अंजना के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो वह राजी हो गई.

इस के बाद दोनों ने अपने घर वालों को बताए बिना आर्यसमाज मंदिर में प्रेम विवाह कर लिया. कुछ दिनों बाद घर वालों को उन के प्रेम विवाह की जानकारी हुई तो उन्होंने दोनों का सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह करने का निश्चय किया.

अंजना फेथफुलगंज में अपनी बड़ी बहन बबीता उर्फ बबली भदौरिया के साथ रहती थी. 3 बहनों में वह सब से छोटी थी.

बिहारीलाल मलहोत्रा ने अंजना की बड़ी बहन बबली से बातचीत की. फिर सहमति से 8 फरवरी, 2008 को सुलभ का विवाह अंजना के साथ सामाजिक रीतिरिवाज से कर दिया. अंजना सुलभ की दुलहन बन कर ससुराल कौशलपुरी आ गई.

ससुराल में अंजना को सास पूनम मलहोत्रा का भरपूर प्यार मिला. उन्होंने उसे बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. ससुराल में किसी चीज की कमी नहीं थी. सो अंजना पति के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने लगी.

सुलभ अंजना को भरपूर प्यार देता था और कभी किसी चीज की कमी का अहसास नहीं होने देता था. व्यापारिक बंदी के दिन वह अंजना को अपनी कार से सैरसैपाटे पर ले जाता था.

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किरण ने अंजना की बढ़ा दी चिंता

शादी के एक साल बाद अंजना ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने अयान रखा. बेटे के जन्म से पूरे परिवार में खुशियां छा गईं. सास पूनम भी खुश थी और ससुर बिहारीलाल भी.

अयान का जन्मदिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था. इस में नातेदारों को भी बुलाया जाता था. अयान के जन्म के 5 साल बाद अंजना ने दूसरे बेटे को जन्म दिया.

इस का नाम उस ने नभ रखा. नभ के जन्म से मलहोत्रा परिवार की खुशियां और भी बढ़ गईं.

शादी के बाद 10-12 साल तो बड़े आराम से बीते. अंजना भी खुश रहती और सुलभ भी. लेकिन फिर अचानक उन की खुशियों में ग्रहण लगना शुरू हो गया. दरअसल, अंजना के पति सुलभ के जीवन में किरण ने प्रवेश किया, जिस ने अंजना की रातों की नींद हराम कर दी और दिन का चैन छीन लिया.

किरण भन्नानापुरवा में रहती थी. उस के पिता रामदयाल गुप्ता ड्राइवर थे. वह भाड़े पर कार चलाते थे. उन की माली हालत ठीक नहीं थी. उस की बेटी किरण खूबसूरत व जवान थी. फैशनपरस्त भी थी. आधुनिक कपड़े पहनना और सजसंवर कर रहना, उस की आदत थी. वह महत्त्वाकांक्षी भी थी, अभावों से जीना उसे पसंद नहीं था.

किरण इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर चुकी थी और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नौकरी की तलाश में जुटी थी. जनवरी, 2020 में एक दिन उस की नजर अखबार में छपे इश्तहार पर पड़ी. जिस में लिखा था, ‘मलहोत्रा क्राकरी शौप गुमटी नंबर 5 में एक महिला सेल्स वर्कर चाहिए.’

इश्तहार पढ़ कर किरण सजधज कर मलहोत्रा क्राकरी शौप पहुंच गई. उस समय वहां कुछ अन्य महिलाएं भी मौजूद थीं. इन में से शौप मालिक सुलभ मलहोत्रा ने किरण गुप्ता को नौकरी पर रख लिया. इस के बाद किरण गुप्ता रोजाना समय से सुलभ मलहोत्रा की क्राकरी शौप पर काम पर जाने लगी.

वह मन लगा कर काम करती थी. सुलभ ने अहसास किया कि किरण दुकान में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों से अलग है. वह काम पर बहुत ध्यान देती है.

किरण को वहां काम करतेकरते एक महीना हो गया था. जिस दिन उसे तनख्वाह मिली, खुशी का ठिकाना न था, क्योंकि वह उस की पहली तनख्वाह जो थी. छुट्टी के बाद वह शौप से बाहर निकली और अपने घर की राह पकड़ ली.

किरण अपने घर की तरफ जा रही थी, तभी सुलभ की कार उस के पास आ कर रुकी. उस ने देखा, वह उस के मालिक सुलभ की कार थी. इस के पहले कि वह कुछ समझती, सुलभ ने कार का अगला गेट खोलते हुए कहा,‘‘बैठो, मैं भी इधर जा रहा हूं. तुम्हें घर के पास छोड़ दूंगा.’’

किरण और सुलभ की बढ़ीं नजदीकियां

किरण चुपचाप कार में बैठ गई. वह हैरान थी. उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि शौप मालिक उसे अपनी कार में लिफ्ट दे सकता है. सुलभ ने उसे उस के घर के कुछ दूर पर छोड़ दिया. किरण तेजी से घर की ओर चली गई.

अगले दिन किरण दोगुने उत्साह के साथ काम पर गई. शौप पहुंचते ही वह अपने काम में जुट गई. कुछ देर बाद सुलभ ने किरण को अपने पास बुलाया और कुछ इधरउधर की बात करने के बाद बोला, ‘‘किरण, मैं चाहता हूं कि आज तुम मेरे साथ डिनर पर चलो.’’

‘‘आप के साथ डिनर?’’ किरण चौंकते हुए बोली, ‘‘कहां?’’

‘‘किसी अच्छे होटल में चलेंगे. देखो किरण, मुझे कंपनी की जरूरत है. मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ खाना खाओ.’’

किरण कुछ समझ नहीं पा रही थी कि मालिक उस पर इतना मेहरबान क्यों है, पर वह उसे मना भी नही कर पाई. छुट्टी के बाद सुलभ उसे अपनी कार से एक अच्छे होटल में ले गया और वहां दोनों ने साथ में खाना खाया. इस के बाद सुलभ ने किरण को उस के घर छोड़ दिया.

किरण को अब सुलभ से सहानुभूति होने लगी थी. उस की अपनी महत्त्वाकांक्षाएं उसे सुलभ के करीब लाती जा रही थीं. सुलभ भी एक मकसद से किरण के करीब आ रहा था. यानी दोनों के स्वार्थ उन्हें एक पटरी पर ले आए थे और उन के बीच दोस्ती हो गई थी.

इस के बाद सुलभ किरण को महंगेमहंगे गिफ्ट देने लगा. उसे शौपिंग कराने भी ले जाता था.

किरण के पिता रामदयाल को जब पता चला तो उस ने समझाया, ‘‘बेटी, हमें अपनी औकात में रहना चाहिए. मालिक के साथ तुम्हारा मेलजोल ठीक नहीं. समाज में हमारी बदनामी हो रही है, तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करती?’’

‘‘पिताजी, ये तुम कैसी बातें कर रहे हो. मैं नौकरी कर रही हूं तो इस में बुराई क्या है? मेरी तरह तमाम लड़कियां नौकरी करती हैं. एक बात मैं कहना चाहती हूं कि इतनी अच्छी नौकरी को मैं नहीं छोड़ सकती.’’

रामदयाल गुप्ता समझ गए कि बेटी की हसरतें उड़ान भर रही हैं. अत: किरण किसी भी तरह उस की बात मानने वाली नहीं है. इसलिए वह चुप हो गए. किरण रोजाना ही काम पर जाती रही. सुलभ और किरण की दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ रहा था.

एक दिन शाम को सुलभ मलहोत्रा अपनी कार से किरण के घर पहुंचा. किरण उस समय घर में अकेली थी. उस के पिता भाड़े पर कार ले कर सरसौल गए थे. सुलभ किरण के पास जा कर बैठ गया और उस का हाथ पकड़ कर सहलाने लगा.

सुलभ ने जता दिया प्यार

किरण कोई नादान तो थी नहीं, जो ऐसे स्पर्श का मतलब न समझे. उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. तभी सुलभ ने कहा, ‘‘किरण मैं तुम्हें प्यार करने लगा हूं और तुम्हें अपना साथी बनाना चाहता हूं.’’

किरण ने गहरी नजरों से देखा और बोली, ‘‘आप शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता हैं.’’

‘‘जानता हूं, लेकिन इस से क्या होता है. हर आदमी की अपनी जिंदगी होती है और अपनी ख्वाहिशें. अपने सुख के लिए कोई कुछ भी कर सकता है. हम तुम्हें वह हर सुख व खुशी देंगे. जिस की तुम्हें ख्वाहिश है.’’

किरण को लगा कि जीवन में जो सहज रूप से मिल रहा है, उसे हासिल कर लेना चाहिए. अभावों की गर्दिश में वह जीना भी नहीं चाहती थी. अत: वह मर्यादा की सीमा लांघ गई और सुलभ के आगोश में समा गई.

अवैध रिश्ता एक बार बना तो फिर बढ़ता ही गया. किरण के पिता इस रिश्ते का विरोध न करे, सो वह उस की भरपूर आर्थिक मदद करने लगा. सुलभ जहां किरण का दीवाना था, वहीं किरण भी  सुलभ के लिए पागल सी हो गई.

दोनों अकसर मिलने लगे. सुलभ किरण को पार्क में घुमाता. कभी किसी होटल में जा बैठता और कभी सिनेमा देखने का प्रोग्राम बन जाता. कोशिश यह होती कि किसी को इस बात की भनक न लगे. न पड़ोसियों को और न सुलभ की पत्नी अंजना को.

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लेकिन प्यार तो कभी छिपता नहीं. अंजना को भी अंतत: इस बात की भनक लग ही गई थी. सुलभ को उस ने आड़ेहाथों लिया और माफी मंगवा कर यह वायदा भी कराया कि आइंदा वह किरण से वास्ता नहीं रखेगा.

सुलभ ने कुछ दिनों तक अपना वायदा निभाया. उस के बाद सुलभ का रवैया पहले जैसा हो गया. सुबह घर से निकलना और देर रात घर लौटना. अंजना का माथा फिर ठनका. आशंकाएं फिर उभरीं.

अंजना ने सुलभ की निगरानी शुरू कर दी. जल्द ही पता चल गया कि सुलभ और किरण फिर मिलने लगे हैं. अंजना के क्रोध की सीमा न रही.

एक शाम अंजना का गुस्सा सुलभ पर फट पड़ा, ‘‘आखिर मंशा क्या है तुम्हारी? घर की इज्जत खाक में क्यों मिलाना चाहते हो? ऐसा क्या है तुम्हारी किरण गुप्ता में, जो मेरे पास नहीं है? क्या वह मुझ से ज्यादा खूबसूरत है? मुझ से ज्यादा हौट है? मेरा पति किसी और की प्यास बुझाए और मैं प्यासी रहूं, यह नहीं हो सकता. इसे मैं सहन नहीं कर सकती.’’

फिर तो उस रोज किरण को ले कर अंजना और सुलभ में खूब तकरार हुई. नौबत मारपीट तक आ गई. गुस्से में सुलभ पैर पटकता हुआ घर से निकल गया. वह वापस घर आया तो नशे में धुत था. वह बिना किसी से बात किए कमरे में जा कर सो गया. सुबह अंजना ने किरण और सुलभ के नाजायज रिश्तों की जानकारी सास पूनम तथा ससुर बिहारीलाल को दी.

इस पर उन्होंने सुलभ का ही पक्ष लिया और किरण से नाजायज रिश्तों को नकार दिया. सासससुर ने साथ नहीं दिया तो अंजना ने अपनी बड़ी बहन बबली से अपनी व्यथा बताई. बबली ने बहन का दर्द समझ कर सुलभ को समझाने का प्रयास किया. लेकिन सुलभ ने अपना रवैया नहीं बदला.

किरण को ले कर पतिपत्नी में शुरू हुई कलह

किरण को ले कर अब अंजना और सुलभ में अकसर झगड़ा होने लगा था. कभीकभी तो झगड़ा इतना बढ़ जाता कि सुलभ अंजना को पीट भी देता था. अंजना भी कम न थी वह भी पति से भिड़ जाती और नोचखसोट करती. इस रवैए से सुलभ अंजना से नफरत करने लगा था.

इधर किरण और सुलभ के बीच प्यार गहराता जा रहा था. किरण अब सुलभ मलहोत्रा की पत्नी बनने का ख्वाब देखने लगी थी. लेकिन उसे यह भी पता था कि जब तक अंजना है, उस का यह ख्वाब पूरा नहीं हो सकता. अंजना के खिलाफ वह सुलभ को उकसाती रहती थी.

27 दिसंबर, 2021 की सुबह 10 बजे सुलभ मलहोत्रा थाना नजीराबाद पहुंचा. उस समय थाने में थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह मौजूद थे. चूंकि सुलभ मलहोत्रा की थाने में पैठ थी. अत: देखते ही थानाप्रभारी बोले, ‘‘आइए, मलहोत्रा साहब, बैठिए. कैसे आना हुआ?’’

‘‘सर, मेरी पत्नी अंजना 22 दिसंबर से घर से लापता है. पता नहीं कहां चली गई. मैं ने उस की हर जगह खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला. हमारे दोनों बच्चे अयान और नभ घर पर हैं. वे मां के लिए परेशान हो रहे हैं. आप मेरी गुमशुदगी दर्ज कर अंजना को खोजने का प्रयास करें.’’

थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने अंजना की गुमशुदगी दर्ज कर ली और सुलभ मलहोत्रा को भरोसा दिया कि वह अंजना को खोजने का प्रयास करेंगे. पुलिस ने गुमशुदगी तो दर्ज कर ली, उस के बाद हाथ पर हाथ रख कर बैठ गई.

इधर अंजना की बड़ी बहन बबली को अंजना की पड़ोसन से पता चला कि अंजना कई रोज से घर में दिख नहीं रही है. यह पता चलते ही बबली थाना नजीराबाद पहुंची तो वहां मौजूद दरोगा जयप्रताप सिंह ने बताया कि अंजना घर से लापता है. उस के पति ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई है.

बबली ने आरोप लगाया कि वह खुद गायब नहीं हुई है, बल्कि ससुरालीजनों ने उसे गायब किया है. संभव है कि उस के साथ कोई अनहोनी हुई हो. आप ससुराल वालों के खिलाफ उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करें.

एसआई जयप्रताप सुलभ मलहोत्रा का खास था. वह उस के साथ होटल में बैठ कर खातापीता था. इसलिए बबली द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने की बात सुन कर वह भड़क गया, ‘‘मलहोत्रा की पत्नी अंजना को तुम्हीं लोगों ने गायब किया है. उसे थाने ले कर आओ. वरना तुम सब को जेल भेजूंगा.’’

एसआई की बात सुन कर बबली सन्न रह गई. पुलिस ने उस की रिपोर्ट दर्ज नहीं की. वह पुलिस अधिकारियों के पास भी गुहार लगाने गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अत: वह वापस घर आ गई. बहन की खोज में वह जी जान से जुटी रही.

नहर में मिली नग्न महिला की लाश

इधर 7 जनवरी, 2022 को पनकी नहर में कुछ लोगों ने एक महिला की नग्न लाश उतराती देखी और पुलिस को सूचना दी. पनकी थाना पुलिस ने महिला के शव को नहर से बाहर निकलवाया और शिनाख्त हेतु अड़ोसपड़ोस के थानों में वायरलैस से सूचना भेज दी.

महिला का शव पनकी नहर में मिलने की सूचना जब नजीराबाद थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह को मिली तो उन का माथा ठनका. क्योंकि उन के थाने में 35 वर्षीया अंजना मलहोत्रा की गुमशुदगी दर्ज थी.

उन्होंने शव पाए जाने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी, फिर सहयेगी पुलिसकर्मियों के साथ पनकी नहर पहुंच गए. श्री सिंह ने मौके पर अंजना के मायके व ससुराल पक्ष के लोगों को भी बुला लिया.

सुलभ मलहोत्रा और उस के मातापिता ने शव को गौर से देखा और कहा कि यह शव अंजना का नहीं है. लेकिन जब बबली ने शव को देखा तो वह फूट कर रो पड़ी और बताया कि शव उस की बहन अंजना का ही है.

बबली ने पैर में चोट के निशान, नाक की बनावट और बालों में लगने वाले हेयर कलर से अंजना के शव की पहचान कर ली.

सूचना पा कर डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी तथा जौइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी भी मौके पर आ गए थे. उन्होंने भी शव का निरीक्षण किया. शव 15 दिन पुराना लग रहा था और फूल गया था.

चूंकि बबली द्वारा शव की शिनाख्त हो गई थी. अधिकारियों ने जरूरी काररवाई कर शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया. डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी ने मृतका अंजना की बड़ी बहन बबली से पूछताछ की तो उस ने बताया कि सुलभ मलहोत्रा के किरण नाम की युवती से नाजायज संबंध हैं. वह उस की दुकान पर काम करती है.

अंजना उन के अवैध संबंध का विरोध करती थी. उसे शक है कि सुलभ ने ही षडयंत्र रच कर अंजना की हत्या की है. डीसीपी ने इस के बाद सुलभ को तत्काल हिरासत में लेने और कड़ाई से पूछताछ करने का आदेश थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह को दिया.

आदेश पाते ही 9 जनवरी, 2022 को उन्होंने सुलभ मलहोत्रा को हिरासत में ले लिया और थाना नजीराबाद ले आए. डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी की मौजूदगी में थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने सुलभ मलहोत्रा से अंजना की हत्या के संबंध में पूछताछ शुरू की.

सुलभ ने पत्नी की हत्या का किया खुलासा

साधारण पूछताछ में वह पुलिस को बरगलाता रहा, लेकिन जब सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने रोंगटे खड़ी कर देने वाली पत्नी अंजना की हत्या की दास्तां बयां की.

सुलभ द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार सुलभ और दुकान पर काम करने वाली किरण के बीच नाजायज रिश्ता बढ़ गया था, जिस का विरोध अंजना करती थी और उसे बेइज्जत करती थी.

22 दिसंबर, 2021 को समय 6 बजे सुलभ और उस का चचेरा भाई ऋषभ आपस में घर में बतिया रहे थे, तभी बड़ा बेटा अयान, अंजना से कोल्ड ड्रिंक पीने की जिद करने लगा. सर्दी की बात कह कर अंजना ने मना कर दिया. अयान तब रोने लगा. इस पर ऋषभ उसे ले कर कोल्डड्रिंक पिलाने तथा घुमाने मोतीझील की तरफ चला गया.

ऋषभ और अयान के जाते ही कोल्डड्रिंक पिलाने को ले कर झगड़ा शुरू हो गया. गुस्से में सुलभ ने अंजना की पिटाई कर दी. इसी बीच अंजना किरण को ले कर टीकाटिप्पणी करने लगी, तो सुलभ फिर से अंजना को पीटने लगा. पिटाई से अंजना खून से लथपथ हो गई.

गुस्से में अंजना भी सुलभ से भिड़ गई और उस का कालर पकड़ लिया. कालर पकड़ते ही सुलभ आपा खो बैठा और उस ने अंजना के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

सुलभ ने अंजना की हत्या की जानकारी ऋषभ को दी और शव को ठिकाने लगाने में उस की मदद मांगी. इस के बाद सुलभ ने खून से सना अंजना का शव ऋषभ की मदद से अपनी कार में डाला और रात 10 बजे भन्नानापुरवा स्थित अपनी प्रेमिका किरण के घर ले गया.

लाश ठिकाने लगाने में प्रेमिका के पिता ने भी दिया साथ

घर पर उस समय किरण व उस का पिता रामदयाल मौजूद था. अंजना का शव देख कर दोनों सकते में आ गए. इस के बाद चारों ने मिल कर रात में पैट्रोल डाल कर शव को जलाने का प्रयास किया. लेकिन धुआं उठने से वे घबरा गए. दूसरे रोज रामदयाल तेजाब लाया और शव को जलाने का प्रयास किया. पर असफल रहे.

23 दिसंबर, 2021 की शाम रामदयाल भाड़े की कार लाया, क्योंकि सुलभ की अल्टो कार खून से सनी थी. इस अल्टो कार में चारों ने अंजना का शव डाला और रात 10 बजे पांडव नदी में फेंक आए. इस के बाद सब ने मिल कर हत्या के सबूत मिटाए.

किरण ने अपने घर की धुलाई व पुताई भी करा दी. सुलभ ने भी घर से खून आदि साफ कर दिया. इस के बाद सुलभ ने पुलिस को गुमराह करने के लिए 27 दिसंबर, 2021 को अंजना की गुमशुदगी थाने में दर्ज करा दी.

सुलभ के बयानों के आधार पर थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह की टीम ने देर रात छापा मार कर सुलभ की प्रेमिका किरण, उस के पिता रामदयाल तथा सुलभ के चचेरे भाई ऋषभ को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया और थाना नजीराबाद ले आए. यहां सभी ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

सुबह उन चारों को पांडव नदी लाया गया और उन की निशानदेही पर अंजना की लाश की खोज की गई. लेकिन लाश बरामद नहीं हुई.

पुलिस को संदेह हुआ कि आरोपी गुमराह कर रहे हैं. अंजना की बहन बबली ने भी कहा कि पनकी नहर में मिली लाश ही उस की बहन की है. आरोपी जमानत पाने को संदेह का लाभ उठाना चाहते हैं. इधर हत्या के पर्याप्त सबूत जुटाने के लिए पुलिस और फोरैंसिक टीम ने सुलभ के कौशलपुरी स्थित मकान तथा उस की प्रेमिका किरण के भन्नानापुरवा स्थित घर की जांच की तो वहां पर कई जगह खून के निशान और बाल मिले. शव जलाने के निशान भी मिले.

किरण ने मकान में पुताई भी कराई, लेकिन निशान नहीं मिट सके. इस के साथ ही कैमिकल टेस्ट कराने पर सुलभ, किरण व ऋषभ के नाखूनों से खून के धब्बे मिले. शव लाने ले जाने की फुटेज किरण के घर के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.

इस फुटेज को पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. इस के अलावा पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त दुपट्टा, ब्लड लगा जैकेट, चप्पलें तथा शव को ठिकाने लगाने में प्रयुक्तकारें भी बरामद कर लीं.

चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और पुलिस ने हत्या के पर्याप्त साक्ष्य भी जुटा लिए थे, अत: थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने मृतका अंजना की बहन बबली की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत सुलभ मलहोत्रा, ऋषभ, किरण व रामदयाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

11 जनवरी, 2022 को नजीराबाद पुलिस ने हत्यारोपी सुलभ, ऋषभ, किरण गुप्ता व रामदयाल गुप्ता को कानपुर की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

त्यौहार 2022: खुशी के आंसू- भाग 1

 आनंद आजकल छाया के बदले ब्यवहार से बहुत परेशान था. छाया आजकल उस से दूरी बना रही थी, जो आनंद के लिए असह्य हो रहा था. दोनों की प्रगाढ़ता के बारे में स्कूल के सभी लोगों को भी मालूम था. वे दोनों 5 वर्षों से साथ थे. छाया और आनंद एक ही स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. वहीं जानपहचान हुई और दोनों ने एकदूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था.

दोनों की प्रेमकहानी को छाया के पिता का आशीर्वाद मिल चुका था. वे दोनों शादी के बंधन में बंधने वाले थे कि छाया के पिता को कैंसर जैसी भंयकर बीमारी से मृत्यु हो गई थी. विवाह एक वर्ष के लिए टल गया था. छाया की छोटी बहन ज्योति थी जो पिता की बीमारी के कारण बीए की परीक्षा नहीं दे पाई थी. छाया उसे आगे पढ़ाना चाहती थी. छाया के कहने पर आनंद उसे पढ़ाने उस के घर जाया करता था.

आजकल वह ज्योति के ब्यवहार में बदलाव देख रहा था. उसे महसूस होने लगा था कि ज्योति उस की तरफ आकर्षित हो रही है. उस ने जब से यह बात छाया को बताई तब से छाया उस से ही दूरी बनाने लगी. अब वह न पहले की तरह आनंद से मिलतीजुलती है और न बात करती है.

आनंद को समझ नहीं आ रहा था आखिर छाया  ने अचानक उस से बातचीत क्यों बंद कर दी. कहीं वह ज्योति की प्यार वाली बात में उस की गलती तो नहीं मान रही. नहींनहीं, वह अच्छी तरह जानती है मैं उस से कितना चाहता हूं. आखिर कुछ तो पता चले उस की बेरुखी का कारण क्या है?

आज 3 दिन हो गए एक स्कूल में रह कर भी हम न मिल पाए न उस ने मेरी एक भी कौल का जवाब दिया. आनंद छाया की गतिविधियों पर अपनी नज़र  जमाए हुए था. वह स्कूल आया जरूर, पर अंदर दाखिल नहीं हुआ. बस, छाया को स्कूल में दाखिल होते देखता रहा.

छुट्टी के समय छाया जैसे ही गेट से बाहर निकलने वाली थी, आनंद ने अपनी बाइक उस के सामने खड़ी कर दी और बोला, “पीछे बैठो, मैं कोई तमाशा नहीं चाहता.”

छाया ने उस की वाणी में कठोरता महसूस की, वह डर गई. वह चुपचाप बाइक पर बैठ गई. बाइक तेजी से सड़क पर दौड़ने लगी. थोड़ी देर बाल आनंद ने बाइक को एक छोटे से पार्क के पास रोक दिया. पार्क में और भी जोड़े बैठे थे. आनंद ने छाया का हाथ पकड़ा और छाया के साथ एक बैंच पर बैठ गया.

दो पल दोनों खामोश बैठे रहे, फिर आनंद ने कहा,  “छाया,  मैं ने तुम्हें कितनी कौल कीं, तुम ने न फोन उठाया, न मुझे कौल ही किया. आखिर क्या बात है, क्यों मुझ से दूर रह कर मुझे परेशान कर रही हो? मेरी क्या गलती है, मुझे बताओ? मैं ने ऐसा  क्या कर दिया?”

“आनंद, तुम्हारी कोई गलती नहीं है.”

“तब फिर, इस बेरुखी का मतलब?”

“मैं खुद बहुत परेशान हूं,” छाया ने भीगे स्वर में कहा.

“तुम्हारी ऐसी कौन सी परेशानी है जो मुझे पता नहीं? मैं तुम्हारा साथी हूं, सुखदुख का भागीदार हूं. मुझे बताओ, हम मिल कर हर समस्या का हल निकाल लेंगे.”

छाया एकटक आनंद को देखे जा रही थी.

“ऐसे क्यों देख रही हो, तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है? तुम जानती हो,मैं झूठ नहीं बोलता, बताओ क्या बात है?” आनंद ने कहा.

“ज्योति मेरी छोटी बहन है.”

“जानता हूं, आगे?”

“मैं उसे बहुत प्यार करती हूं.”

“ठीक है, फिर?”

औरतों के लिए नौराते त्यौहार या अतिरिक्त बोझ

38 साल की मानुषी एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है. घर में पति, सासससुर और 2 बच्चे हैं. नवरात्रि से एक दिन पहले उस की तबीयत ठीक नहीं थी. सो वह सुबह ऑफिस नहीं गई. पैर में भी चोट लग गई थी. शाम में उस ने पति को जल्दी घर बुला लिया क्योंकि नवरात्रि की पूजा के लिए सामान लाने जाना भी जरूरी था. पति के स्कूटर पर बैठ कर वह किसी तरह बाजार पहुंची. बहुत सारा सामान खरीदना था. पूजा की सारी सामग्री, नए कपड़े और फिर व्रत का सारा सामान. सब कुछ लेतेलेते रात के 9 बज गए.

घर में घुसते ही खाने की तैयारी में लगना पड़ा. अगले दिन सुबह विशेष पूजा भी करनी थी. इसलिए वह सुबह 4 बजे का अलार्म लगा कर सोई. सुबह से फिर काम में जुट गई. घर में वह, पति और सास व्रत करते थे. सो तीन लोगों के लिए व्रत का खाना बनाना था. जब कि ससुर और दोनों बच्चों के लिए सामान्य खाना
बना.

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पूजापाठ करतेकरते 11 बज गए. ऑफिस में मीटिंग थी इसलिए ऑफिस जाना भी जरुरी था. किसी तरह तक भूखीप्यासी 12 बजे तक धूप में ऑफिस पहुंची. दोपहर के लिए साबूदाने की खीर और फल रख लिए थे. शाम को घर लौटी तब तक उस की तबीयत काफी खराब हो गई थी. उसे उल्टियां होने लगी और हल्का फीवर आ गया. यह एक उदाहरण है महिलाओं के लिए नवरात्रि के दिनों में होने वाली जद्दोजहद का.

नवरात्रि हर साल दो बार मनाया जाता है. इस त्योहार पर नौ दिनों तक दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी को कन्या पूजन करने की प्रथा है.  कन्या पूजन की तैयारी भी आसान नहीं होती. उस दिन सुबह से महिलाएं किचन में लगी रहती हैं. फिर घर की धुलाई और साफसफाई के बाद पूजापाठ निपटा कर नौ कन्याओं की पूजा कर, उन्हें खिलापिला कर, गिफ्ट दे कर विदा किया जाता है. यह सब देखनेसुनने में भले ही आसान लगे मगर जिन महिलाओं को भूखे प्यासे सब करना पड़ता है उन की हालत देखने लायक होती है. खासकर यदि महिला कामकाजी है तो उस की दौड़भाग दोगुनी हो जाती है.

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महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ

नवरात्रि के दौरान महिलाओं पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ जाता है जिस की वह शिकायत भी नहीं कर सकती क्योंकि शिकायत करते ही वह नास्तिक और घोर अधर्मी की श्रेणी में जो आ जायेगी. घरवाले उसे संस्कारहीन कह कर पुकारेंगे. इसलिए अपने कर्तव्यों का पुलिंदा उठाए, बिना उफ़ करे वह काम में लगी रहती है. वैसे भी ज्यादातर महिलाएं नवरात्रि की पूजा में खुद ही जरा सी भी कमी स्वीकार नहीं करतीं.

धर्म की मानें तो कोई भी पूजापाठ बिना व्रत पूरा नहीं होता. ऐसा लगता है जैसे कोई आ कर कह गया हो कि भूखे रहे बिना ऊपरवाला सुनेगा नहीं. नवरात्र के 9 दिन की पूजा भी अच्छी तरह व्रत करते हुए ही पूरी की जाती है. अच्छी तरह का अर्थ है व्रत के लिए नाना प्रकार के फलाहार तैयार कर भोग लगाना.
आजकल घर की स्त्रियों के साथसाथ पुरुष भी व्रत करने लगे हैं. जाहिर है वे व्रत करेंगे तो रोज नईनई चीजें बनाने की फरमाइश भी करेंगे. इधर घर के कुछ बुजुर्ग व्रत नहीं कर पाते. उन्हें रोजाना वाला खाना चाहिए होता है. बच्चे व्रत नहीं करते मगर व्रत के लिए बने मखाने की खीर, कुट्टू की पकौड़ी, तले हुए आलू आदि बहुत पसंद करते हैं.

इस तरह महिलाओं को एक तरफ पूजा करनी होती है तो दूसरी तरफ दो तरह का खाना बनाना होता है. इस के साथ पति और बच्चों के ऑफिस और स्कूल जाने की तैयारी. खुद भी ऑफिस जाना है तब तो और भी अधिक मारामारी हो जाती है. नवरात्रि की पूजा खास विधि और अलग तरह की पूजा  सामग्री के साथ संपन्न करने का विधान भी पंडितों ने बना रखा है. साथ ही अपनी जेब गर्म करने के लिए तरहतरह के कायदे कानून भी बनाए हैं.

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पूजा सामग्री के तौर पर बहुत सी चीज़ें इकट्ठी करनी होती है. लाल रंग का आसन और लाल चुनरी, कुमकुम, जौ, साफ की हुई मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते , नारियल, फूल माला , दीया जैसी बहुत सी चीजों की जरुरत पड़ती है. नवरात्रि में रोज हवन होता है सो इस के लिए हवन सामग्री भी खरीद कर लाना होता है, जिस में हवन कुंड, लौंग का जोड़ा , कपूर, सुपारी, गूगल, घी, पांच मेवा और अक्षत आदि का इंतजाम करना होता है.

नवरात्रि में घर की सफाई अच्छे से करनी होती है. सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना , कलश स्थापना की तैयारी, प्रसाद तैयार करना जिसे भोग लगाकर बांटने की तैयारी यह सब करने में महिलाएं पूरे दिन व्यस्त रहती हैं.

खाने पर पाबंदी

नवरात्रि के उपवास में आटा और अनाज खाने की अनुमति नहीं है. चावल और चावल का आटा, गेहूं का आटा, मैदा, सूजी, बेसन, मसाले , प्याज लहसुन दाल फलियां आदि खाना भी मना होता है. इन दिनों शराब और मांसाहारी भोजन भी सख्ती से मना होता है. इन की बजाए फल, सब्जियां  साबूदाना, कूटू का आटा, सामक के चावल, दूध, दही, पनीर, चाय , कॉफी और आलू आदि खाए जा सकते हैं.

खाने में ही नहीं बल्कि नौ दिनों के लिए नौ रंग के पोशाक भी तय किए हुए हैं. पहले दिन लाल रंग, दुसरे दिन रॉयल ब्लू , तीसरे दिन पीला, चौथे दिन हरा, पांचवे दिन ग्रे, छठे दिन नारंगी, सातवें दिन सफ़ेद, आठवें दिन गुलाबी और नवें दिन स्काई ब्लू पहनने का नियम है.

ये नवरात्रि गर्मियों में आती है इसलिए बहुत सी महिलाओं को डिहाइड्रेशन, एसिडिटी, थकान, ब्लड प्रेशर कम हो जाना जैसी गर्मियों में होने वाली सेहत संबंधी समस्याएं होने लगती है.

बहुत सी महिलाएं व्रत के दौरान सारा दिन भूखी रहती है और फिर एक ही बार में ज्यादा खा लेती हैं जिस से खाना जल्दी डाइजेस्ट नहीं हो पाता. एसिडिटी, कब्ज, सिर में भारीपन, घबराहट जैसी समस्या होने लगती है.

सामाजिक सोच में ये कैसी विसंगति

सोचने वाली बात है कि यह वही देश है जहां 9 दिन कन्याओं की पूजा करने का दिखावा करने वाले लोग बाकी दिन महिलाओं को न तो घर में सम्मान देते हैं और न ही बाहर सुरक्षा. अगर एक लड़की या बच्ची रात में सड़क पर अकेली निकल गई तो उसे लुटनेखसोटने के लिए तथाकथित मर्द पहुँच जाते हैं, घर से
छोटीछोटी बच्चियों को हैवानों द्वारा उठा लिया जाता है. घर की महिलाओं को छोटी छोटी बातों पर मारापीटा जाता है.

देश की महिलाओ के खिलाफ दिन-प्रतिदिन बढ़ते जघन्य अपराधों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. सामाजिक असुरक्षा का भाव हो या महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखने की साज़िश, दोनों ही स्थितियों में कोई खास बदलाव पिछले 75 वर्षो में नजर नहीं आता..

देशभर में बेटियां आज भी अनेक धार्मिक रीतिरिवाज़ों, कुरीतियों, यौन अपराधों, घरेलू हिंसा, अशिक्षा, दहेज़ उत्पीड़न, कन्या भ्रूण हत्या, उपेक्षा और तिरस्कार की जंजीरों में जकड़ी हुई हैं.

अगर हम एक आम दिन पर महिला को सम्मान , सुरक्षा और  समान अधिकार नहीं दे सकते , उस के रहने के लिए एक ऐसे समाज का निर्माण नहीं कर सकते हैं, जहां वह किसी भी समय, किसी भी हालात में बिना घबराए बाहर जा सके तो फिर ये दिखावा क्यों? केवल नौ दिनों का यह पाखंड क्यों?

वह राह जिस की कोई मंजिल नहीं: भाग 3

उस ने एक बार फिर घड़ी देखी. बस, 2 ही घंटे बचे हैं. पहुंचते ही उस के कान पकड़ूंगी, ‘कहीं इस तरह लापरवाही की जाती है. एक तू ही नौकरी करता है.’ जब से उस की नौकरी लगी है, एक भी दिन मेरे पास नहीं बैठा. पूरे दिन नौकरी, घर आता है, तो लैपटाप और मोबाइल फोन. न खाने का ध्यान, न सोने का. यह भी कोई जिंदगी है. मुझे तो लगा था, एमबीए हो गया, पढ़ाई खत्म हो गई. पर राम जाने यह कितनी परीक्षाएं देता रहता है. और कंपनी वाले भी कैसे हैं. कहीं बाहर का कोई काम होगा, तो उसे ही भेजते हैं. अभी जल्दी ही 2 बार मुंबई भेजा. शायद उन्हें पता है कि अश्वित अकेला है. शादी नहीं हुई है. इसलिए उसे ही भेजते हैं. कहीं ऐसा होता है.

अब तो इसे खूंटे से बांधना ही पड़ेगा. लोग कहते होंगे कि मांबाप नहीं हैं, इसलिए छुट्टा सांड़ की तरह घूम रहा है. आखिर कौन ध्यान दे? पर जब भी उस से शादी की बात करो, वह सिर झटक देता है. रमाजी कई बार अपनी बेटी के लिए कह चुकी हैं. लड़की डाक्टर है. अच्छा घर है. फिर क्या दिक्कत है. पर ये महादेव माने तब न. 28 साल के हो गए हैं, पर अक्ल नहीं है. कभी घर का भी खयाल नहीं रहता. यह भी पता नहीं है कि रात को कितने ताले लगाने पड़ते हैं. इतना बड़ा घर और वह अकेला. रात में चार आदमी घुस आएं तो क्या कर लेगा? मैं भी बेकार उतावली हो कर के चली आई. उस की तो जिद करने की आदत है.

मुझे तो समझना चाहिए था. फोन भी नहीं लग रहा है. हे भगवान, रक्षा करना. आखिर यह बात पहले दिमाग में क्यों नहीं आई, वरना मैं कतई न आती. उस की अच्छी नौकरी के लिए ही तो मन्नत मांगी थी. उसे पूरी करने के लिए ही तो आप के धाम आई थी. अब घर पहुंच कर उस का मुंह देख लूंगी, तभी मन को शांति मिलेगी. 2, घंटे की ही तो बात है. किसी तरह ये भी बीत जाएं. नंदू ‘शिव शरणं मम’ का जाप करने लगी.

साढ़े 7 बजे के करीब बस दिल्ली पहुंची. आटोरिकशा घर के सामने आ कर रुका, तो दिल को कुछ तसल्ली मिली. धारती के एक छोर पर? कुछ गलत तो नहीं कहा. अभी तो वह सोता होगा. मैं आऊंगी उसे याद ही कहां होगा. मुझे देख कर चौंक जाएगा. क्या कहते हैं उसे, हां सरप्राइज. फिर वह खुश हो कर कहेगा, ‘‘अच्छा हुआ नंदू तुम आ गईं. तुम्हारे बिना तो यार मजा ही नहीं

आता था. चलो अब कड़क चाय और कुछ गरमागरम नाश्ता बनाओ. तुम्हारे जाने के बाद से तो कुछ अच्छा खाने को नहीं मिला. पर तुम गईं ही क्यों? मैं जो भी कहूं, तुम करने को तैयार हो जाती हो. मैं जिद्दी हूं, यह तो तुम्हें पता ही है.’’

इसी तरह अश्वित न जाने क्याक्या बड़बड़ाएगा. यही सोचतेसोचते नंदू ने गेट खोला. देखा तो पेड़ों में पानी तक नहीं डाला था. सारे गुलाब सूख रहे हैं. कितना कहा था कि माली को आने दो, अभी उसे पैसे मत दो. पेड़ों को देखते हुए नंदू ने डोरबेल पर उंगली रख दी. एक मिनट तक मधुर लय में घंटी बजती रही. थोड़ी देर में दरवाजा खुला. दरवाजे के बीच एक सुंदर युवती खड़ी थी. उस ने पूछा, ‘‘बहनजी, आप को किस से मिलना है?’’

‘‘अश्वित… और आप?’’ नंदू उसे देख कर हैरान रह गई. कि यह कौन है?

‘‘अश्वित तो… आप कौन?’’

‘‘मैं नंदू.’’

‘‘ओह, नंदूजी, आइए… आइए, अंदर आइए,’’ रास्ता देते हुए उस ने कहा.

वहीं खड़ेखड़े नंदू ने सामने कमरे में नजर दौड़ाई. उस का प्रिय पीतल की जंजीर वाला झूला, वह कढ़ाई वाला सोफा, रंजनाजी की आराम कुरसी, प्रबोधजी की बनाई पेंटिंग? अश्वित की बड़ी सी फोटो, कुछ दिखाई नहीं दे रहा? वह दरवाजे के पास खड़ी हो गई.

‘‘अंदर आइए नंदूजी, आप तो चारधाम की यात्रा पर गई थीं?’’ कहते हुए वह युवती अंदर गई. सकुचाते हुए नंदू कमरे में पड़े सोफे पर एक कोने में बैठ गईं. ‘यह क्या, यह लड़की कौन है, अश्वित कहां है? उसे कुछ पता नहीं.’ तभी वह युवती ट्रे में एक गिलास पानी और एक लिफाफा ले कर आई. ट्रे सेंट्रल टेबल पर रख कर उस ने कहा, ‘‘अश्वित तो पिछले शुक्रवार को ही चले गए हैं. आप उन के यहां काम करती थीं न?

उन्होंने बताया था. आप के लिए वह यह चिट्ठी छोड़ गए हैं,’’ इतना कह कर उस ने लिफाफा नंदू की ओर बढ़ाया.

लिफाफा ले कर नंदू ने कांपते हाथों से खोला. उस में लिखा था, ‘नंदू, मैं अमेरिका जा रहा हूं. मुझे वहां बहुत अच्छी नौकरी मिल गई है. मैं तुम से इसलिए बिना मिले जा रहा

हूं, क्योंकि मिलने पर तुम मुझे जाने न देती. अब कब वापस आऊंगा, यह निश्चित नहीं है. मकान की अच्छी कीमत मिल गई थी, इसलिए इसे बेच दिया है. तुम ने मेरी एमबीए की पढ़ाई के लिए 12 लाख रुपए दिए थे. उस में 7 लाख रुपए मिला कर 20 लाख रुपए तुम्हारे खाते में जमा कर दिए हैं. पासबुक चिट्ठी के साथ ही है. देख लेना. अमेरिका का मेरा पता और फोन नंबर मेरे दोस्त अमित के पास है. तुम उस से ले लेना. अगर कभी किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो जरूर कहिएगा. -अश्वित.’

दो पल के लिए नंदू वहां बैठी रही. फिर धीरे से उठी और अपना सामान ले कर गेट के बाहर आ गई. आगे बढ़ते हुए उस ने पलट कर देखा, क्या यही उस का घर था. वह उस राह पर बढ़ गई, जिस की कोई मंजिलनहीं थी.

होली से पहले बालों को दें स्पेशल Oil ट्रीटमेंट

होली आने में कुछ ही दिन रह गए हैं. इस होली अगर आप भी जमकर मस्ती करना चाहती हैं तो खुलकर कीजिए और खुद को रोकिए नहीं. बालों की चिंता भी हमपर छोड़ दीजिए.  क्योंकि हम आपको आज हौट औयल ट्रीटमेंट के बारे में बताने जा रहे हैं. जो रंगो के बाद हुए आपके बेजान, सूखे और उलझे हुए बालों को पहले जैसा सुंदर व खूबसूरत बना देगा. साथ ही यह हमारे बालों को बहुत मुलायम, चमकदार बनाता है. यकीन मानिये हौट औइल ट्रीटमेंट से आपके बालों में पहले जैसी ताकत और चमक देखने को मिलेगी.

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ऐसे दें बालों को हौट औयल ट्रीटमेंट

  • एक बोतल में शुद्ध नारियल तेल, जैतून का तेल और अंगूर के बीजों के तेल को मिलाएं. फिर इसे माइक्रोवेव में 10 सेकंड के लिए गर्म करें. या कड़ाही में थोडा गर्म पानी करे और बोतल उसमे डाल दें. फिर इसमें तीन बुँदे रोजमेरी और लैवेंडर सुगन्धित तेलों की कुछ बूंदे डाले और दो बूंदे सेज तेल की डालें. फिर इन तीनों तेलों को अच्छी तरह मिलालें.
  • अपने बालों को 4 हिसों में विभाजित करें. तेल ज्यादा गर्म न हो इसलिए पहले अपने हाथ पर थोडा सा डालकर देख लें. फिर थोडा सा तेल सर में डाले और मालिश करें. इसी तरह विभाजित किये गए सारे हिस्‍सों की मालिश करें.
  • अपने बालों को बांध कर प्लास्टिक कैप से ढक ले. 10 से 15 मिनट के लिए हौट कैप या बोनेट ड्रायर से अपने बालों को स्टीम दें. या गर्म तौलिये से अपने बालों को स्टीम दें, इस क्रिया को 2 बार दोहराये. फिर अपने पसंदीदा शैम्पू और कंडिशनर से अपने बाल धोलें.

अगर आप अपने बालों की कंडिशनिंग और भी बेहतर चाहती है, तो इसके लिए इसे रात में सोने से पहले करें, और अगले दिन अपने बाल शैम्पू और कंडिशनर से धोलें.

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