कांग्रेस का लगातार घटता जनाधार किसी सुबूत का मुहताज नहीं रह गया है. 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों ने तो उस के खात्मे की तरफ इशारा कर दिया है. कांग्रेस के दिग्गज बैठकों में कुछ ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. लगता है उन्हें पार्टी के भविष्य की परवा ही नहीं. कांग्रेस और इस का भविष्य क्या होगा, जानिए आप भी.

कभी किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि देश की सब से बड़ी राजनीतिक पार्टी रही कांग्रेस इतनी दुर्गति का शिकार होगी कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित तरीके से महज 2 सीटें और 2.×× फीसदी वोटों पर सिमट कर रह जाएगी. 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के 10 मार्च को आए नतीजों ने फौरीतौर पर एहसास करा दिया है कि कांग्रेस कहीं गिनती में ही नहीं थी.

मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा में भी उस का प्रदर्शन गयागुजरा रहा. सब से ज्यादा चौंकाया उस के गढ़ पंजाब ने, जहां सत्ता उस की हथेली से बालू की तरह फिसल गई जिसे आम आदमी पार्टी ने बड़ी आसानी से समेट लिया.

इन नतीजों ने साबित यह भी कर दिया है कि कभी देश के चारों कोनों पर एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस के पास अब खोने को कुछ बचा नहीं है. वह हर लिहाज से टूटफूट का शिकार हो चली है जिस में गैरों के साथसाथ अपनों का रोल भी अहम है. कांग्रेस खत्म हो गई है या उस के अभी और भी खत्म होने की संभावना है, इस से ज्यादा सोनिया, प्रियंका और राहुल गांधी के सामने यह सवाल मुंहबाए खड़ा है कि वे इस दुर्दशा में खुद को फिट करें या नहीं और कुछ करने के नाम पर अब करें तो क्या करें.

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