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द्रौपदी मुर्मू: “राष्ट्रपति- राष्ट्रपत्नी” विवाद और “संसद”

देश को विकास के जिस रास्ते पर दौड़ पड़ना चाहिए उसकी जगह  “संसद” में राष्ट्रपति और राष्ट्रपत्नी का प्रयोजित विवाद, देश के लिए दुर्भाग्य जनक है. वस्तुत: संसद से बाहर कहे गए राष्ट्रपत्नी शब्द के लिए संसद के भीतर बवाल सत्ता पक्ष की देश के प्रति जवाबदेही पर प्रश्न चिन्ह है. जिस संसद का एक-एक मिनट देश के हित और भले के लिए खर्च होना चाहिए वहां सत्ता पक्ष जान समझ कर अगर वोट की राजनीति करने लगे राष्ट्रपति के आदिवासी समुदाय से जुड़े होने को लेकर के यह संदेश प्रसारित करने लगे कि कांग्रेस तो आदिवासी विरोधी है, यह कहने लगे कि जिस ने गलती की है उसकी जगह कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी माफी मांगनी चाहिए तो यह क्या कुतर्क नहीं है, गलत नहीं है.

कांग्रेस के एक नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का प्रयोग कर देने के जिस तरह संसद में जमकर हंगामा हुआ.वह देश की गिरती राजनीति का परिणाम है. भारतीय जनता पार्टी के मंत्री और सांसदों ने आखिर अपने  दिशा निर्देशक के संकेत पर इस मामले को पूरे देश में फैला देने का अपराध  किया है. दरअसल भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस और उसकी नेता श्रीमती सोनिया गांधी  आदिवासी समुदाय के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं और हम तो भाई आदिवासी समाज को सर आंखों पर बैठा रहे हैं. वस्तुतः देखा जाए तो एक छोटे से मसले को देशव्यापी बनाने का अपराध भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं ने किया है उसके लिए भाजपा को देश से माफी मांगी चाहिए.

क्या यह दुखद नहीं है कि बेवजह

हंगामे की वजह से राज्यसभा और लोकसभा में कोई कामकाज नहीं हुआ और दोनों सदनों को दो बार स्थगित करना पड़ा. इसके बाद भी हंगामा शांत नहीं हुआ तो पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और बाद में राज्यसभा के अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू ने सदन के जरूरी दस्तावेज पेश कराकर सदन को  स्थगित कर दिया. इस मौके का फायदा उठा कर के

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को आदिवासी, महिला और गरीब विरोधी करार देते हुए कहा कि इस मामले में मुख्य विपक्षी दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी को माफी मांगनी चाहिए.उधर कांग्रेस ने दावा किया कि लोकसभा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और कई भाजपा नेताओं ने सोनिया गांधी के साथ अपमानजनक व्यवहार किया, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माफी मांगनी चाहिए.

सच्चाई तो यह है कि

अधीर रंजन चौधरी ने अपनी सफाई में कहा कि चूकवश उनके मुंह से एक शब्द निकल गया था, जिसका भाजपा तिल का ताड़ बना रही है. रंजन ने संसद में कहा कि वे राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात कर माफी मांगेंगे.

मामले को ट्विस्ट करते हुए संसद परिसर में स्मृति ईरानी ने कहा कि इस मामले में सोनिया गांधी को भी माफी मांगनी चाहिए. जब इस मामले में सोनिया गांधी से पूछा गया कि क्या वे चौधरी से माफी मांगने के लिए कहेंगी, तो उन्होंने कहां की अधीर रंजन पहले ही माफी मांग चुके हैं .

देखा जाए तो इसके बाद मामला खत्म हो जाना चाहिए मगर भाजपा इसे देश के गांव-गांव तक पहुंचाना चाहती है और इसे अपने पक्ष में वोटों में तब्दील करना चाहती है भाजपा की यही रीति नीति उसे क्या रसातल में नहीं ले जाएगी. छोटा सा मामला गलती या चूक क्या इतना बड़ा विषय है कि संसद ठप हो जाए?

सदन से बाहर, सदन के अंदर

सदन के बाहर अगर कोई आपत्तिजनक बात कही जाती है तो उसके लिए कई संवैधानिक संस्थाएं हैं जहां संज्ञान लेकर के उन्हें दंडित किया जा सकता है. जैसा कि राष्ट्रपति राष्ट्र पत्नी मामले में भी महिला आयोग ने संज्ञान लिया है. ऐसे में संसद में एक जिम्मेदार मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी का मामले को तूल देना यह सिद्ध करता है कि भारतीय जनता पार्टी की मंशा क्या है संसद में आप स्वयं उन शब्दों का उपयोग कर रहे हैं बोल रहे हैं जो संसद से बाहर बोले गए हैं. संसद में बोल कर के आप उन्हें रिकॉर्ड में लेने का या देश के जन जन तक पहुंचाने का अपराध नहीं कर रहे हैं.

देखिए लोकसभा में भाजपा की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी ने कहा कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सदन से बाहर देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का प्रयोग कर के उनका अपमान किया है. स्मृति ने कहा कि यह इस देश का गौरव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 साल की आजादी में पहली बार किसी गरीब आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया.  कांग्रेस के पुरुष नेताओं ने द्रौपदी मुर्मू को ‘कठपुतली’ और ‘अमंगल का प्रतीक’ तक कहा.

संसद से बाहर हुई बेफिजूल की बातों को संसद में दोहराना सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी और उसकी प्रिय नेता स्मृति ईरानी की मंशा के स्पष्ट कर गया है.

गौर करने की बात यह है कि स्मृति ईरानी ने फिर वहीं, ऐसी ऐसी बातें कहीं जो भाजपा और उसके नेता पहले  संसद के बाहर बोल चुके  हैं.

उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी आदिवासी महिला का यह सम्मान पचा नहीं पा रही है. वह गरीब परिवार की बेटी का देश की राष्ट्रपति बनना बर्दाश्त नहीं कर पा रही. स्मृति ईरानी के साथ भाजपा के अनेक सांसदों ने इस टिप्पणी का विरोध किया और ‘माफी मांगो’ का नारा लगाते हुए अपनी सीट पर खड़े हो गए. हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बाद में सदन को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया .

मैं अपने पति के साथ फिजिकल रिलेशन बनाना चाहती हूं, पर वो थके होने के कारण जल्दी सो जाते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी शादी को 2 साल हो गए हैं. मेरे पति बहुत व्यस्त रहते हैं जिस कारण रात में अकसर थके हुए होते हैं. थकावट के चलते वे खाना खा कर सीधा सो जाते हैं. मेरा मन सैक्स करने का होता है पर उन के थके होने के कारण हम सैक्स नहीं कर पाते. मैं क्या करूं जिस से मेरी यह परेशानी हल हो?

जवाब

सैक्स जीवन की प्रक्रिया है और इस में कोई दोराय नहीं कि सैक्स पतिपत्नी के बीच प्यार को और मजबूत बनाता है. यदि आप के पति रात को थक कर जल्दी सो जाते हैं तो इस में टैंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है. सैक्स करने का कोई टाइम नहीं होता. जब समय मिले, आप पति के साथ जम कर सैक्स का लुत्फ उठाइए बशर्ते कि आप के पति को सैक्स में रुचि होनी चाहिए. इस के लिए आप को पहल करनी पड़ेगी. आप उन्हें दिन में या सुबह में ही सैक्स के लिए उकसाएं या फिर जब भी वक्त मिले. रात का चक्कर ही न पालें. ऐसा करने से धीरेधीरे इस समस्या से आप बाहर निकल आएंगी और पति से कोई शिकायत भी नहीं रहेगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

कार्डियक एरीथिमिया के संकेतों को समझें

सोनल एक दिन औफिस में एअरकंडीशंड हौल में काम कर रही थी. अचानक उसे पसीना आने लगा, चक्कर आया और वह थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गई. पिछले कुछ हफ्तों के दौरान उस ने कभीकभी चक्कर आना महसूस किया था पर इस का कारण समझ में नहीं आया. उसे लगा कि काम पूरा करने की चिंता और काम की अधिकता में ऐसा हुआ होगा. उस ने इन घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया. सप्ताहभर बाद उसे मृत पाया गया. नींद में ही उस की मौत हो गई थी. सवाल उठता है कि क्या उसे दिल का दौरा पड़ा था या फिर जानलेवा एरीथिमिया का हिस्सा था?

विशेषज्ञ कहते हैं कि कार्डियक एरीथिमिया के समय महिलाएं जो कुछ महसूस करती हैं उस की बात हो तो हमें वक्षस्थल में दर्द से आगे तक सोचने की जरूरत है. यह तथ्य कि महिलाओं का हृदय पुरुषों की तुलना में अलग है, आश्चर्य के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए. सांस लेने में असुविधा, थकान, अचानक पसीना आना, चक्कर आना, धड़कन बढ़ जाना और जी मिचलाना जैसे संकेतों को हर किसी को होने वाली चीज मान कर नजरअंदाज करने के बजाय इस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है. हृदय की धड़कन अनियमित होने से हर साल बड़ी संख्या में महिलाओं की मौत हो जाती है. हर साल होने वाली ऐसी घटनाओं की बढ़ती संख्या के कारण यह समझना जरूरी है कि महिलाओं में कार्डियक एरीथिमिया के लक्षण के रूप में किस चीज की तलाश की जाए. ठंड में भी अचानक पसीना आना, धड़कन बढ़ जाना, सोने में गड़बड़ी, लंबे समय तक असामान्य थकान और याददाश्त की समस्या कुछ असामान्य लक्षणों में हैं और महिलाएं आसन्न कार्डियक एरीथिमिया की शुरुआती चेतावनी के रूप में प्राप्त करती हैं.

समय के साथसाथ अपने हृदय की धड़कन पर नजर रखना आप को अपने हृदय के स्वास्थ्य की स्थिति तय करने और तदनुसार उपचार कराने में सहायता कर सकता है. एक्सटर्नल लूप रिकौर्डर यानी ईएलआर जैसे उपकरण हृदय की धड़कन को लंबे समय तक (7 से 30 दिन) स्क्रीन और रिकौर्ड करने में सहायता कर सकते हैं और इस से स्थिति का सही अनुमान लगाने में सहायता मिल सकती है. ईएलआर के बारे में : एक्सटर्नल लूप रिकौर्डर यानी ईएलआर एंबुलैटरी कार्डियक मौनिटर है और इस से कार्डियक एरीथिमिया के संदिग्ध मामलों का पता लगाने में सहायता मिलती है. इस के लिए कार्डियक एरीथिमिया के संदिग्ध मरीजों में रिमोट टैक्नोलौजी का उपयोग किया जाता है. इस सिस्टम में एक चैस्टपैच शामिल है जिसे मरीज के सीने पर पट्टी की तरह लगा दिया जाता है. यह नहाने जैसी मरीज की दैनिक गतिविधियों में किसी को भी बाधित नहीं करता है. मरीज को अपने साथ एक ट्रांसमीटर रखना होता है जो देखने में सैलफोन जैसा है. पैच इलैक्ट्रौनिक होता है जिसे इस तरह प्रोग्राम किया जाता है कि वह मरीज का ईसीजी रिकौर्ड करता है.

पैच को जब एरीथिमिया का पता चलता है तो यह एरीथिमिया की घटना का ईसीजी ट्रांसमीटर के जरिए एक निगरानी केंद्र को भेजता है. वहां प्रमाणित ईसीजी तकनीशियन रहते हैं. निगरानी केंद्र में प्रशिक्षित कार्डियक तकनीशियन ईसीजी का विश्लेषण करते हैं और निगरानी अवधि के अंत में एक व्यापक रिपोर्ट भेजते हैं. गंभीर एरीथिमिया को ‘अर्जेंट एपिसोड’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. जैसे ही ऐसी एरीथिमिया का पता चलता है, एक रिपोर्ट भेज दी जाती है. जरूरी नहीं है कि हृदय की धड़कन से संबंधित समस्या, जिस में अचानक मौत का खतरा हो, बहुत ही नाटकीय तौर पर सामने आए. कभीकभी व्यक्ति को सिर्फ चक्कर आ सकता है या धुंधला लग सकता है या यह भी संभव है कि एक क्षण के लिए सबकुछ गायब हो जाए या कुछ समय के लिए उस का संतुलन खत्म हो जाए. हृदय की धड़कन तेज हो जाना इस के साथ का लक्षण हो सकता है. हालांकि, ऐसा अगर डाक्टर की उपस्थिति में न हो तो इसे समझना और इस का पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है. ईएलआर जैसा रोग निदान का नया साधन तब बेहद सहायक होता है, समस्या को सही ढंग से समझा जा सकता है और एक बहुमूल्य जान बचाई जा सकती है.

वैसे तो एकदूसरे से जुड़ी जटिल हृदय प्रणाली को स्वस्थ रखना मुख्यरूप से आप के नियंत्रण में है पर हृदय की कुछ समस्याएं स्वस्थ रहने के तमाम प्रयासों के बावजूद हो सकती हैं. इसलिए हमेशा कहा जाता है कि स्थिति को नियंत्रण में रखिए और अनजानी परिस्थिति आने से रोकिए.            

(लेखक फोर्टिस एस्कोर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली में कार्डियोलौजी विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर और डीन हैं)

मैं पापा बनना चाहता हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं 41 साल का हूं और मेरी बीवी 38 साल की है. मेरे वीर्य में शुक्राणु कम हैं. लिहाजा, बच्चे नहीं हो रहे. मैं क्या करूं?

जवाब

वैसे तो कम शुक्राणु होने पर भी औरतें देरसवेर पेट से हो जाती हैं, मगर आप ज्यादा इंतजार न करें. आजकल मौडर्न तकनीकों के जरीए बच्चा होना आसान हो गया है. आप शहर के नामी अस्पताल में जा कर इस बारे में पूरी सलाह व मदद ले सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

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Manohar Kahaniya: दिल को रंगीन बनाने की चाहत

राजधानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में दरगाह साबरी के पास बाइक रिपेयर की वर्कशाप चलाने वाला 50 वर्षीय मोइनुद्दीन कुरैशी 17 मई, 2022 की रात करीब 10 बजे वर्कशाप बंद करके घर जाने के लिए पैदल ही निकला था कि चंद कदम चलते ही उसे लघुशंका की जरूरत महसूस हुई.

कुछ आगे कालिदास मार्ग पर वह लघुशंका के लिए रुका कि तभी बाइक से उस के पीछे आए 2 बदमाशों ने काफी नजदीक से उसे गोली मार दी और फर्राटा भरते निकल गए.

मोइनुद््दीन अपने परिवार के साथ पटौदी हाउस, दरियागंज इलाके में ही रहता था. उस के परिवार में बुजुर्ग मां के अलावा पत्नी जेबा, 2 बेटे मुइज कुरैशी, गुल कुरैशी, 18 साल की बेटी व छोटा भाई रुकनुद्दीन हैं.

मोइनुद्दीन के परिवार की 50 साल से ज्यादा पुरानी दोपहिया वाहन की वर्कशाप दरियागंज में दरगाह साबरी के पास है. उस की दुकान पर कई लड़के काम करते हैं.

मोइनुद्दीन के पीछे से आए हमलावरों ने उस पर 2 गोलियां चलाईं. एक गोली उस के पेट में और दूसरी कमर में लगी. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगा और पल भर में खामोश हो गया. इस के बाद चारों तरफ हल्ला मच गया.

घटनास्थल के पास ही मौजूद मोइनुद्दीन का छोटा भाई रुकनुद्दीन व उस का दोस्त साजिद भागते हुए आए और मोइनुद्दीन को एलएनजेपी अस्पताल ले गए, जहां कुछ ही देर बाद मोइनुद्दीन को मृत घोषित कर दिया गया.

कुरैशी के परिवार वाले भी अस्पताल आ पहुंचे. हर तरफ मातम पसर गया. उस की बीवीबच्चे सिर पटकपटक कर रो रहे थे. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

कुछ देर में पुलिस घटनास्थल पर आई. आसपास के लोगों से पूछताछ की, मगर हमलावरों के बारे में कोई नहीं बता पाया. रात होने की वजह से लोग बाइक का नंबर भी नहीं देख पाए. बस पलक झपकते ही पूरा कांड हो गया.

मोइनुद्दीन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. दूसरे दिन मृतक के छोटे भाई रुकनुद्दीन के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया.

इस सनसनीखेज मामले की जांच के लिए एसीपी योगेश मल्होत्रा की देखरेख में कई थानों के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की एक टीम का गठन किया गया. वाहन चोरी निरोधक दस्ता टीम के इंचार्ज संदीप गोदारा और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर शैलेंद्र कुमार शर्मा को भी टीम में शामिल किया गया. यानी पुलिस की अलगअलग टीमें विभिन्न बिंदुओं पर काम करने लगीं.

पुलिस ने सब से पहले घटनास्थल का मुआयना किया और वहां दुकानों और घरों में लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई ताकि बाइक और हमलावरों की पहचान हो सके.

कई दिनों की मशक्कत के बाद पुलिस ने करीब 500 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले. इस छानबीन में हमलावर सफेद रंग की अपाची बाइक पर सवार दिखे. मगर उन के चेहरे हेलमेट से ढंके हुए थे. हां, बाइक का नंबर जरूर साफ नजर आ गया. पुलिस बाइक का पता कर ही रही थी कि तभी खबर आई कि वारदात में प्रयुक्त अपाची बाइक तारा होटल के नजदीक लावारिस हालत में पड़ी है.

पुलिस ने बाइक के मालिक का पता किया तो उस के मालिक ने बताया कि उस की बाइक दिसंबर, 2021 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से चोरी हो गई थी, जिस की एफआईआर बाकायदा थाने में दर्ज है.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मोइनुद्दीन की हत्या करने वाले बेहद प्रोफेशनल थे. चलती बाइक से किसी पर निशाना लगाना आसान नहीं होता, मगर उन का निशाना बिलकुल सधा हुआ था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने अगर बाइक मेरठ से चुराई है तो जरूर उन का संबंध यूपी से ही होगा.

पुलिस के पास हमलावरों तक पहुंचने का यह रास्ता बंद हो गया तो उस ने घटनास्थल के आसपास के लोगों से और मृतक मोइनुद्दीन कुरैशी के घरवालों एवं दोस्तों से पूछताछ शुरू की.

एक दूसरी पुलिस टीम ने मृतक मोइनुद्दीन के परिवार के लोगों के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स और इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म को भी खंगालना शुरू किया.

मृतक की पत्नी, बच्चों और अन्य स्वजनों समेत 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई. पूछताछ में पता चला कि मृतक मोइनुद्दीन कुरैशी की पत्नी जेबा कुरैशी उस से उम्र में 10 साल छोटी है. मोइनुद्दीन से उस का निकाह करीब 25 साल पहले हुआ था.

मोइनुद्दीन और जेबा के 3 बच्चे हैं. 2 बेटे और एक बेटी. पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि मोइनुद्दीन अकसर जेबा को मारतापीटता था. 40 वर्षीय जेबा अपने पति के जुल्मों से काफी परेशान रहती थी. वह हर वक्त उस से डरीसहमी रहती थी. पता नहीं कब, किस बात पर मोइनुद्दीन खफा हो जाए और उस को रुई की तरह धुन कर रख दे, इस का कुछ पता नहीं होता था.

छोटीछोटी बात पर उस का पारा चढ़ जाता था और जवान बच्चों के सामने ही वह पत्नी की पिटाई शुरू कर देता था. उस की हरकतों से बच्चे भी डरेसहमे से रहते थे.

पुलिस ने मोइनुद्दीन की पत्नी जेबा से जब पूछताछ की तो वह काफी घबराई हुई थी. कई सवालों को घुमाफिरा कर पूछने पर उस ने अलगअलग जवाब दिए. इस से पुलिस को उस पर कुछ शक हुआ.

फिर जब जेबा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स पुलिस ने खंगाली तो पता चला कि वह लगातार मेरठ के एक नंबर के संपर्क में रहती थी. घटना के दिन भी उस ने इस नंबर पर कई काल किए थे.

अब पुलिस ने जेबा कुरैशी से सख्ती से पूछताछ की. शुरू में तो वह पुलिस को बरगलाती रही, मगर सख्ती के आगे वह जल्दी ही टूट गई. उस ने मोइनुद्दीन की हत्या करवाने का जुर्म स्वीकार कर लिया.

जेबा ने बताया कि वह शौहर से तंग आ चुकी थी, इसलिए उस ने अपने प्रेमी और उस के साथियों के हाथों उस जालिम शौहर को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया. जेबा 25 साल तक जिस आदमी के साथ रही, जिस के 3 बच्चों की वह मां बनी, उस के जुल्मों से वह इतनी आजिज आ चुकी थी कि उसे गोली मरवाने में उसे जरा भी झिझक नहीं हुई. आखिर क्यों जेबा के दिल में पति के लिए इतनी नफरत भर गई थी?

जेबा के 3 जवान बच्चे थे. उन की पढ़ाई, शादी सब होनी थी. मगर मानसिक और शारीरिक रूप से जेबा अपने पति के हाथों इस कदर प्रताड़ना सह चुकी थी कि उस ने एक बार भी इस बारे में नहीं सोचा.

वह तो बस जल्द से जल्द मोइनुद्दीन से मुक्ति पा लेना चाहती थी. और इस काम में उस का साथ दिया उस के प्रेमी शोएब ने, जो मेरठ का रहने वाला था और फेसबुक के जरिए उस का दोस्त बन गया था.

बीते 2 सालों में उन की दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदल चुकी थी. हालांकि शोएब जेबा से 11 साल छोटा था और शादीशुदा भी था, मगर वह जेबा के प्यार में ऐसा दीवाना हुआ कि उस के लिए कत्ल करने को भी तैयार हो गया. दरअसल, 25 साल पहले जब जेबा का निकाह मोइनुद्दीन कुरैशी से हुआ था, तब जेबा मात्र 15 साल की थी. उस वक्त मोइनुद्दीन की उम्र 25-26 साल थी.

जल्दी ही जेबा 3 बच्चों की मां बन गई. घरगृहस्थी और बच्चों की परवरिश में उस का बचपन और जवानी दोनों खलास हो गए. उधर मोइनुद्दीन बाइक रिपेयर के काम के अलावा प्रौपर्टी डीलिंग का काम भी करने लगा था. प्रौपर्टी के धंधे में उस की दोस्ती बड़े घरों के बिगड़ैल लड़कों से हो गई. उन के संगसाथ में वह शराब पीने लगा.

बीवीबच्चों की उस ने कभी परवाह नहीं की. उस का ज्यादातर समय पतंगबाजी और शराब पीने में बीतता था. शराब पी कर मोइनुद्दीन अकसर जेबा को पीटता था. बच्चों के सामने जेबा अपने पति की मार खा कर बुरी तरह टूट जाती थी.

साल गुजरते गए और पति की मार और दुत्कार सहतेसहते जेबा ने किसी तरह बच्चों को बड़ा किया. वह बच्चों में ही मन लगाने की कोशिश करती थी, मगर दिल का एक कोना किसी के प्यार के लिए बिलकुल खाली पड़ा था.

इसी दौरान उस ने अपने मोबाइल फोन पर फेसबुक और वाट्सऐप चलाना सीख लिया. इस ने उस के सूनेपन को थोड़ा कम किया. फेसबुक पर उस के काफी दोस्त बन गए, जिन से वह अपने दिल की बातें शेयर करने लगी.

2 साल पहले फेसबुक पर उस की दोस्ती मेरठ के शोएब से हुई. मेरठ के वेस्ट कुशल नगर, लिसाड़ी रोड निवासी 29 वर्षीय शोएब ने जेबा की फोटो देखी तो वह उस पर फिदा हो गया. शादीशुदा होते हुए भी शोएब प्यार की राह पर फिसल गया. उस को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ा कि जेबा उस से उम्र में 11 साल बड़ी है और 3 जवान बच्चों की मां है.

दोनों के बीच सारा सारा दिन फोन पर प्यारमोहब्बत की बातें होने लगीं. मौका पा कर दोनों एकदूसरे से मिलने भी लगे. जेबा के सूने दिल में खुशियों की कलियां चिटखने लगीं. अरमानों ने करवट ली और जेबा शोएब के प्यार में पूरी तरह डूब गई.

ऐसा प्यार और नजदीकी उसे अपने पति मोइनुद्दीन से कभी नहीं मिली थी. जेबा ने शोएब के साथ निकाह करने का मन बना लिया, मगर इस मिलन में सब से बड़ा बाधक था उस का जालिम पति मोइनुद्दीन, जिसे ठिकाने लगाए बिना जेबा और शोएब का मिलन संभव ही नहीं था.

आखिरकार जब भावनाएं पूरी उफान पर पहुंचीं तो मोइनुद्दीन को रास्ते से हटाने की योजना बनाई गई. जेबा ने शोएब पर दबाव बनाया कि वह जल्द से जल्द मोइनुद्दीन को खत्म कर दे. उस ने शोएब से कहा कि अब वह उस से तभी मिलेगी जब वह मोइनुद्दीन को ठिकाने लगा देगा.

मोइनुद्दीन को मारना किसी अकेले के बस की बात नहीं थी. लंबीतगड़ी कदकाठी के मोइनुद्दीन को कोई अकेला आदमी काबू में नहीं कर सकता था. शोएब ने मोइनुद्दीन को ठिकाने लगाने के लिए भाड़े के हत्यारों से संपर्क साधा जो सुपारी ले कर उस का यह काम निपटा सकते थे.

शोएब ने विनीत गोस्वामी नाम के अपराधी से संपर्क किया. बमहेटा, कविनगर, गाजियाबाद के रहने वाले विनीत पर पहले से हत्या के प्रयास समेत 3 आपराधिक मामले दर्ज हैं. 6 लाख रुपए की सुपारी ले कर विनीत ने मोइनुद्दीन की हत्या करने का 2 बार प्रयास किया, मगर वह सफल नहीं हुआ.

विनीत ने शोएब के साथ कई बार मोइनुद्दीन का पीछा किया. वह किस वक्त वर्कशाप खोलता है, किस वक्त बंद करता है, वर्कशाप के आसपास किस वक्त कितने लोग होते हैं, वह अकेले घर जाता है या किसी के साथ, ये सारी बातें दोनों ने नोट कीं. और फिर 17 मई की रात शोएब और विनीत के हाथ वह मौका लग गया.

रात 10 बजे जब मोइनुद्दीन अपनी दुकान बंद कर के पैदल ही घर चलने को हुआ तो उसे लघुशंका की जरूरत महसूस हुई और वह सड़क के किनारे रुक गया. कुछ दूर अंधेरे कोने में काफी देर से उस के निकलने का रास्ता देख रहे शोएब ने बाइक स्टार्ट की.

विनीत भरी पिस्तौल लिए उस के पीछे बैठा था. जैसे ही बाइक सड़क किनारे लघुशंका के लिए खड़े मोइनुद्दीन के करीब पहुंची, विनीत ने उस पर फायर झोंक दिया. गोली उसे भेदती हुई निकल गई. मोइनुद्दीन जमीन पर गिर कर तड़पने लगा और चंद सेकेंड बाद ही खामोश हो गया.

जेबा कुरैशी से सच उगलवाने के बाद पुलिस ने मेरठ से पहले 29 वर्षीय शोएब को गिरफ्तार किया और उस के बाद गाजियाबाद से 29 वर्षीय विनीत गोस्वामी को हिरासत में ले लिया.

गिरफ्तारी के वक्त आरोपियों के पास से पुलिस को एक पिस्टल, 2 कारतूस और सुपारी की रकम के 3 लाख रुपए बरामद हुए. वारदात में इस्तेमाल चोरी की बाइक पहले ही पुलिस अपने कब्जे में ले चुकी थी.

डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि सभी आरोपियों को हत्या और हत्या की साजिश रचने के आरोप में जेल भेजा जा चुका है. सभी ने अपने गुनाह कुबूल कर लिए थे.   द्य

सोयाबीन की खास किस्में

भारत में सब से ज्यादा सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान में होती है. मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 फीसदी हिस्सा है, जबकि सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र का 40 फीसदी है.

सोयाबीन एमएसीएस 1407  : यह नई विकसित किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल पैदावार देती है और प्रमुख कीटपतंगों के लिए प्रतिरोधी है.

सोयाबीन की यह किस्म पूर्वोत्तर भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. बिना किसी नुकसान के 20 जून से 5 जुलाई के दौरान बोआई के लिए यह अनुकूल है. इस किस्म को तैयार होने में लगभग 100 दिन लगते हैं.

सोयाबीन जेएस 2034 : इस की किस्म की बोआई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता है. इस किस्म में दाने का रंग पीला, फूल का रंग सफेद और फलियां फ्लैट होती हैं. यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है.

इस किस्म का उत्पादन तकरीबन एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल तक होता है. फसल की कटाई 80-85 दिन में हो जाती है.

सोयाबीन फुले संगम/केडीएस

726 : यह किस्म साल 2016 में महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय, राहुरी, महाराष्ट्र द्वारा अनुशंसित किस्म है. इस का पौधा अन्य पौधे के मुकाबले ज्यादा बड़ा और मजबूत है. 3 दानों की फली है. इस में 350 तक ही फलियां लगती हैं. इस का दाना काफी मोटा है.

यह किस्म महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में अधिकतर लगाई जाती है. यह किस्म लीफ स्पौट और स्कैब के लिए भी प्रतिरोधी है. 5 राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस किस्म की खेती के लिए सिफारिश की जाती है. यह किस्म  100 से 105 दिनों में तैयार होती है.

बीएस 6124  : सोयाबीन की इस किस्म की बोआई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता है. इस किस्म की बोआई के लिए बीज की मात्रा 35-40 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त होती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में तकरीबन 20-25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. सोयाबीन की यह फसल 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है.

प्रताप सोया-45 (आरकेएस-45) : यह किस्म 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है. सोयाबीन की इस वैरायटी की बढ़वार काफी अच्छी होती है. इस के फूल सफेद होते हैं. यह किस्म राजस्थान के लिए खास है. यह किस्म 90-98 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. यह पानी की कमी को कुछ हद तक सहन कर सकती है. वहीं सिंचित क्षेत्र में उर्वरकों के साथ अच्छी प्रतिक्रिया देती है. यह किस्म यलो मोजैक वायरस के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधी है.

जेएस 2069 : इस किस्म की बोआई का उचित समय 15 जून से 22 जून तक का होता है. सोयाबीन की बोआई करने के लिए

40 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की जरूरत होती है. यह फसल 85-86 दिनों में तैयार हो जाती है.

जेएस 9560 : इस किस्म की बोआई का उचित समय मध्य जून के बाद तक है. इस की बोआई के लिए तकरीबन एक एकड़ में 40 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.

इस किस्म से एक हेक्टेयर में तकरीबन 25-28 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है. इस किस्म से सोयाबीन की फसल 80-85 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.

जेएस 2029 : सोयाबीन की इस किस्म की बोआई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता है. इस किस्म की बोआई करने के लिए प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.

सोयाबीन जेएस 2029 किस्म का उत्पादन तकरीबन एक हेक्टेयर में 25-26 क्विंटल तक होता है. इस किस्म से सोयाबीन की बोआई करने पर फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म में पत्ती नुकली, अंडाकर और गहरी हरी होती है, वहीं शाखाएं 3 से 4 रहती हैं. बैंगनी रंग के फूल आते हैं, पीले रंग का दाना होता है और पौधों की ऊंचाई 100 सैंटीमीटर रहती है.

एमएयूएस 81 (शक्ति) : यह किस्म 93-97 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म से 33 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

इस किस्म के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं, फूलों का रंग बैंगनी होता है और इस के बीज पीले आयताकार होते हैं. यह किस्म मध्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त पाई गई है.

सेहत के लिए कितना फायदेमंद है शहद, जानिए यहां

शहद एक मीठा और स्वादिष्ठ खाद्य पदार्थ है, जो रसोई के अलावा औषधि के रूप में भी सालों से प्रयोग किया जाता है. इसे खाने और लगाने से त्वचा में निखार आ जाता है, साथ ही शरीर पर हुए किसी जख्म पर लगाने से यह प्राकृतिक रूप से घाव भर देता है. विज्ञान भी इस की गुणवत्ता को मानता है.

आज के दौर में शहद वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है और पिछले कई सालों से शहद में वि-मान ऐंटीमाइक्रोबियल, ऐंटीऔक्सीडैंट और ऐंटीइन्फ्लैमेटरी आदि गुणों पर अनुसंधान चल रहा है ताकि कई प्रकार के कैंसर और दिल की बीमारियों को कुछ हद तक काबू में किया जा सके.

ऐपीस इंडिया के हैल्थ ऐक्सपर्ट, अमित आनंद कहते हैं कि शहद ऊर्जा, खूबसूरती, और पोषण का अच्छा स्रोत है. यह अल्सर और बैक्टीरियल बीमारियों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. इतना ही नहीं यह त्वचा में चमक बनाए रखने के लिए भी खास है. इसलिए अधिकतर ब्यूटी प्रोडक्ट्स मेकर इस का प्रयोग अपने उत्पाद में करते हैं.

इस के अलावा भी शहद के कई फायदे हैं. मसलन:

– शहद की शैल्फ लाइफ बहुत लंबी होती है, क्योंकि मधुमक्खियां इसे इकट्ठा करते समय इस में एक खास ऐंजाइम मिला देती हैं. यह आंखों की दृष्टि, बांझपन, वजन कम करने, यूरिन संबंधी बीमारियों, अस्थमा, खांसी आदि के लिए बेहद लाभप्रद है.

– शहद में मौजूद चीनी आम चीनी की तरह नहीं होती, यह फु्रक्टोज और ग्लूकोज का मिश्रण होती है और खून में शुगर के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है.

– काफी समय पहले से खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए ऐथलीट्स शहद का सेवन करते रहे हैं, क्योंकि यह शरीर में ग्लाइकोजन के स्तर को सामान्य बनाए रखने में सहायक होता है.

– शहद त्वचा के लिए क्लींजर का काम करता है. इसे नियमित खाने और लगाने से त्वचा मुलायम और चमकदार बनी रहती है.

– जई (ओट्स) में मिला कर इसे लगाने से यह ऐक्सफोलिएशन का काम करता है. यह मृत कोशिकाओं को आसानी से साफ कर नई कोशिकाओं को पैदा होने में मदद करता है.

– शहद के नियमित इस्तेमाल से ऐग्जिमा की रोकथाम में सहायता मिलती है.

– यह क्षतिग्रस्त त्वचा को भी बहुत हद तक ठीक कर सकता है.

– शहद में ऐंटीऔक्सिडैंट बहुत अधिक मात्रा में होता है, इसलिए इस का नियमित सेवन करने से त्वचा को यूवी किरणों के प्रभाव से बचाया जा सकता है.

– शहद रूसी से छुटकारे के लिए अच्छा घरेलू उपचार है. यह सूखे बालों को पोषण प्रदान कर उन्हें चमकदार और मुलायम बनाता है.

– ठंड के दिनों में गरम दूध में 1 चम्मच शहद मिला कर पीने से अनिद्रा की समस्या कम हो जाती है.

– वर्कआउट या व्यायाम के बाद इसे पीने से तुंरत ऊर्जा मिलती है.

– मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी शहद एक दवा के रूप में काम करता है. खासकर वृद्धावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को सही रखता है. इस में उपस्थित प्राकृतिक शर्करा याद्दाश्त और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होती है.

– शहद एक प्राकृतिक कामोत्तेजक है और इस के नियमित सेवन से शरीर में लिपिड्स को बढ़ाने में मदद मिलती है.

– रोजाना शहद का सेवन करने से शरीर में कैल्सियम, पोटैशियम और विटामिन बी मिलता है. इस में कोलैस्ट्रौल नहीं होता.

– इस में ग्लूकोस, फु्रक्टोस और अन्य लवण जैसे मैग्नीशियम, पोटैशियम, सल्फर, आयरन और फास्फेट होते हैं, जो काफी हद तक शरीर में जरूरी पोषक तत्त्वों को बनाए रखने में सहायक होते हैं.

– शहद शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है, साथ ही पाचनतंत्र में सुधार ला कर स्वस्थ बने रहने में सहायक होता है.

पारस कलनावत के बाद ‘अनुपमा’ छोड़ेंगे सुधांशु पांडे? पढ़ें खबर

टीवी सीरियल अनुपमा के समर यानी पारस कलनावत का शो से छुट्टी हो चुकी है. इस खबर ने फैंस के साथ साथ शो के कलाकारों को भी हैरत में डाल दिया है. हाल ही में वनराज यानी सुधांशु पांडे ने पारस कलनावत को लेकर बड़ा बयान दिया है. आइए बताते है, क्या कहा है सुधांशु पांडे ने..

बताया जा रहा है कि राजन शाही ने पारस कलानवत पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट तोड़ा है. पारस कलनावत ने मेकर्स को बिना बताए झलक दिखला जा 10 को साइन कर लिया है. ऐसे में प्रोडक्शन हाउस ने पारस कलनावत के खिलाफ एक्शन लिया है.

 

इसी बीच खबर आ रही है कि वनराज का किरदार निभाने वाले सुधांशु पांडे ने इस बात का ऐलान कर दिया है कि वो भी पारस कलनावत के बाद शो छोड़ सकते हैं.

 

एक इंटरव्यू  के अनुसार, सुधांशु पांडे ने कहा, पारस कलानवत को लेकर  अनुपमा की पूरी टीम शॉक में है. कुछ देर पहले ही मैंने पारस कलनावत से बात की थी. मुझे लगता है कि किसी बड़े कारण के चलते पारस कलनावत को शो से बाहर किया गया है.

 

उन्होंने आगे ये भी कहा कि कभी कभी लोग कुछ ऐसे फैसले ले लेते हैं जो कि आपको नुकसान पहुंचाते हैं. समय के साथ मेकर्स को भी इस बात का अंदाजा हो जाएगा. सुधांशु पांडे ने ये भी कहा कि वे अनुपमा के सेट पर पारस कलनावत को काफी मिस करने वाले हैं.

 

मुख्यमंत्री, राज्यपाल पद बिक रहे हैं बोलो खरीदोगे!

आजादी के बाद संवैधानिक रूप से देश में नेताओं का एक ऐसा समूह उत्पन्न हुआ जो आम जनता के बीच से निकलकर के देश सेवा के नाम पर  सत्ता का संचालन करने लगा. देश सेवा के नाम पर नेताओं का यह जत्था देशभर में किस तरह माफिया गिरी और लूट का पर्याय बन गया है यह आज दक्षिण की फिल्मों में विशेष रुप से फिल्मांकन किया जा रहा है. दरअसल, देश में राजनीति कितना नीचे गिर गई है इसकी आम जनता कल्पना भी नहीं कर सकती.

विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री पद तो बिकते हम देख रहे हैं सारी दुनिया  देख रही हैं यह सब संविधान की आड़ में होता रहा है, परिणाम स्वरूप आम जनता भी देख कर के मौन रह जाती है और देश का उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट भी, क्योंकि इस मर्ज का इलाज किसी के पास नहीं है.

मगर, अब तो हद हो गई है राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद भी बिकने लगे हैं, मूर्खता की हद देखिए की  करोड़ों खर्च करने के लिए धनपति इसके लिए तैयार हैं. इनमें इतनी भी समझ नहीं है कि राज्यपाल जैसा पद जो सीधे-सीधे केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के निर्णय पर ही नवाजा जाता है. किसी भी हालात में रुपए पैसे देकर के प्राप्त नहीं किया जा सकता. यह एक ऐसा पद है जो कोई भी पार्टी अपने वरिष्ठ चेहरों को ही देती आई है .

ऐसे में राज्यपाल पद के लिए रुपए लुटाना और ठगी का शिकार हो जाना, उदाहरण है हमारे यहां कैसे कैसे लोग हैं, जिन्हें न तो कानून का  ज्ञान है और न ही जनरल नालेज, साधारण ज्ञान.

ऐसा एक मामला देश में पहली दफा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राज्यसभा सीट और राज्यपाल पद दिलाने का झूठा वादा कर लोगों से कथित तौर पर सौ करोड़ रुपए की ठगी की कोशिश करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ कर इसके चार बदमाशों को गिरफ्तार किया है. सीबीआई ने इस मामले में  दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सात स्थानों पर छापेमारी की आरोपियों को धर दबोचा है.

अधिकारियों के मुताबिक  सीबीआई ने महाराष्ट्र के लातूर जिले के रहने वाले कमलाकर प्रेमकुमार बंदगर, कर्नाटक के बेलगाम निवासी रवींद्र विट्ठल नाइक और दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले महेंद्र पाल अरोड़ा तथा अभिषेक बूरा को गिरफ्तार कर लिया. कार्यवाही के दौरान मोहम्मद एजाज खान नामक एक आरोपी फिल्मी स्टाइल में सीबीआइ अधिकारियों पर हमला कर फरार होने में कामयाब हो गया . फरार आरोपी के खिलाफ जांच एजंसी के अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में स्थानीय थाने में एक अलग प्राथमिकी दर्ज  कराई गई है और उसे ढूंढा जा रहा है.

लगता फिल्म स्क्रिप्ट, मगर है सच

किसी को सांसद बनाने का मामला तो समझ में आता है, जाने कितने लोग सांसद बनाने की लालच में लुटे भी जा चुके हैं. मगर देश में शायद यह पहला मामला है जब किसी राज्य के राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठाने या नियुक्ति के नाम पर ठगी हुई है.

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मामले के सिलसिले में  पांच आरोपियों को प्राथमिकी में नामजद किया है. लेकिन यह भी तथ्य सामने है कि इतनी बड़ी ठगी के बाद भी सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने एजंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी चार लोगों को जमानत दे दी है.

सवाल है क्या सीबीआई की जांच अधूरी है, क्या इस जांच पर राजनीतिक नजर है, क्या सीबीआई ऐसे बड़े लोगों पर हाथ डाल चुकी है जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है या वे निर्दोष है. यह सब तो निष्पक्ष जांच से ही सामने आएगा मगर जो तथ्य आज हमारे सामने हैं उनकी बिनाह पर हम कह सकते हैं कि

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि बंदगर खुद को एक वरिष्ठ सीबीआइ अधिकारी के रूप में पेश करता था और उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ अपने ‘संबंधों का हवाला देते हुए बूरा, अरोड़ा, खान और नाइक से कोई भी ऐसा काम लाने को कहता था, जिसे वह भारी-भरकम रकम के एवज में पूरा करवा सके.

प्राथमिकी के मुताबिक, आरोपियों ने ‘राज्यसभा की सीट दिलवाने, राज्यपाल के रूप में नियुक्ति करवाने और केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों के अधीन आने वाली विभिन्न सरकारी संस्थाओं का अध्यक्ष बनवाने का झूठा आश्वासन देकर लोगों से भारी भरकम राशि ऐंठने के गलत इरादे से साजिश रची.’ प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि आरोपी सौ करोड़ रुपए के एवज में राज्यसभा की उम्मीदवारी दिलवाने के झूठे वादे के साथ लोगों को ठगने की कोशिशों में जुटे थे. प्राथमिकी के मुताबिक, सीबीआइ को सूचना मिली थी कि आरोपी वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीतिक पदाधिकारियों के नाम का इस्तेमाल करेंगे, ताकि किसी काम के लिए उनसे संपर्क करने वाले ग्राहकों को सीधे या फिर अभिषेक बूरा जैसे बिचौलिए के माध्यम से प्रभावित किया जा सके.

प्राथमिकी के अनुसार-  बंदगर ने खुद को सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में पेश किया था और विभिन्न पुलिस थानों के अधिकारियों से अपने परिचित लोगों का काम करने को कहा था तथा विभिन्न मामलों की जांच को प्रभावित करने की कोशिश भी की थी.

सच तो यह है कि ऐसे मामलों में सीबीआई या अन्य जांच एजेंसियां अपनी सफलता की बड़ी-बड़ी बातें मीडिया के माध्यम से देश के सामने रख देती हैं और अपनी छवि बनाने का काम कर लेती है मगर अंत में परिणाम यह आता है कि सबूत न होने के कारण आरोपियों को अदालत निर्दोष मान कर रिहा कर देती है.

ऐसे में आवश्यकता यह है कि जो सच है सांसद, राज्यपाल, मंत्री, मुख्यमंत्री यह पद आज देश में बिक रहे हैं इन्हें रोकने के लिए कानून के साथ-साथ सीबीआई जैसी एजेंसियों को निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए और चाहे यह काम सत्तापक्ष करें या विपक्ष उसे जेल की सीखचों में भेज देना चाहिए.

शाह हाउस में शिफ्ट होगी राखी दवे, पाखी को सबक सिखाएगी अनुपमा

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में  इन दिनों लगातार बड़ा ट्विस्ट दिखाया जा रहा है. ‘अनुपमा’ लगातार टीआरपी लिस्ट में टॉप पर बना हुआ है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि पाखी को वनराज समझाने की कोशिश करता है और बाद में उसे मना लेता है.  तो दूसरी तरफ अनुज, बरखा और अधिक की क्लास लगाता है. और कहता है कि वो दोनों पाखी के साथ ऐसी हरकत न करे. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए जानते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि किंजल से मिलने देखने राखी दवे शाह हाउस आती है. वह किंजल की डिलीवरी के लिए सारी तैयारियां खुद करने का फैसला लेती है. जिससे उसके और वनराज के बीच बहस हो जाती है.

 

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तो दूसरी तरफ किंजल अपनी मां से कहती है कि वह डिलीवरी शाह हाउस में कराना चाहती है. ये सुनकर राखी दवे कहती है कि वह भी शाह हाउस में शिफ्ट हो रही है.

 

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शो में ये भी दिखाया जाएगा कि किंजल से मिलने के लिए अनुपमा और छोटी अनु शाह हाउस पहुंचते हैं. पाखी उन्हें देखते ही गुस्सा हो जाती है. पाखी अनुपमा से कहती है कि आपने मुझे अपने घर में नहीं रुकने दिया तो आप मेरे घर क्या करने आई हैं. वह अनुपमा को मां के नाम पर ‘कलंक’ कहती है. इस बात पर वनराज-काव्या पाखी को डांटते हैं. पर पाखी किसी की नहीं सुनती, वह काव्या को सौतन का टैग दे देती है.

 

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इतना ही नहीं, पाखी ये भी कहती है, जब तक उसके पास कुछ नहीं था, वह एक अच्छी मां, बेटी और बहू थी. लेकिन कपाड़िया बनते ही उसके अंदर घमंड आ गया है. अनुपमा भी इस बात का करारा जवाब देती है और कहती है कि हां तुम जैसी औलादों के लिए मां केवल वही है जो हमेशा रोती रहे. जरा सा अपने लिए सोच लिया तो मां बुरी हो जाती है.

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