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Manohar Kahaniya: अपने ही परिवार की खूनी इंजीनियरिंग

नशे की लत इंसान के सोचने समझने की शक्ति ही नहीं छीनती, बल्कि उसे अपना गुलाम भी बना लेती है. नशे की लत में डूबा इंसान कभीकभी ऐसे खतरनाक कदम उठा लेता है, जिस के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. ऐसा ही कुछ सुमित के साथ भी हुआ.सुमित गाजियाबाद के इंदिरापुरम ज्ञानखंड-4 में अपने परिवार के साथ टू बैडरूम फ्लैट में रहता था. परिवार में उस की पत्नी अंशुबाला के अलावा 3 बच्चे थे. बच्चों में बड़े बेटे प्रथमेश के बाद 4 साल के 2 जुड़वां बच्चे आकृति और आरव थे.

प्रथमेश रिवेरा पब्लिक स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ रहा था. जबकि उस की पत्नी अंशुबाला इंदिरापुरम के मदर्स प्राइड स्कूल में टीचर थी. दोनों जुड़वां बच्चे इसी स्कूल में मां अंशु के साथ पढ़ने जाते थे. स्कूल से लौटने के बाद अंशुबाला घर पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी.

बिहार के सारण जिले के गांव अंजनी मकेर के रहने वाले बी.एन. सिंह सेना से रिटायर हो चुके थे. उन्होंने सन 2011 में बेटी अंशुबाला उर्फ पूजा की शादी झारखंड के सिंहभूम के गांव आदित्यपुर के रहने वाले सुमित के साथ की थी. सुमित ने बीटेक कर रखा था.

सुमित के पिता सर्वानंद सिंह व मां की सन 2012 में मृत्यु हो गई थी. परिवार में कुल 4 बहनभाई थे. बड़ा भाई अमित बेंगलुरु में एक आईटी कंपनी में इंजीनियर था और अपने परिवार के साथ वहीं रहता था. 4 बहनें थीं. बड़ी किरन व गुड्डी और 2 छोटी बेबी व रिंकी. 3 बहनों की शादी हो चुकी थी. सब से छोटी बहन रिंकी बड़े भाई अमित के साथ रह कर पढ़ रही थी.

अंशुबाला के परिवार में उस के मातापिता के अलावा 2 भाई थे पंकज और मनीष, दोनों ही शादीशुदा थे. पंकज गाजियाबाद वसुंधरा के सैक्टर 15 में अपने परिवार के साथ रहता था. जबकि छोटा भाई अपने परिवार के साथ दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहता था.

अंशुबाला के पिता बी.एन. सिंह और मां मीरा देवी पिछले 4 सालों से बेटी अंशुबाला के साथ रह रहे थे. इस की वजह यह थी कि सुमित का औफिस के काम से बाहर आनाजाना लगा रहता था.

सेना से रिटायर बी.एन. सिंह इंदिरापुरम की एक सिक्योरिटी कंपनी में सिक्योरिटी औफिसर की नौकरी कर रहे थे. हालांकि वह बेटी के पास रहते थे, लेकिन अपना व पत्नी का खर्च खुद उठाते थे. बेटी के पास रहने की वजह बस यही थी कि दामाद अमित अकसर घर से बाहर रहता था.

बच्चे छोटे होने के कारण बेटी को किसी की मदद की जरूरत थी. बेटी के पास रहते हुए बी.एन. सिंह व उन की पत्नी मीरा देवी दोनों बेटों के पास आतेजाते रहते थे. दोनों बेटे भी जब तब उन से व बहन अंशु से मिलने के लिए आते रहते थे.

अक्तूबर 2018 तक सुमित गुरुग्राम की आईटी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी पर था. इस के तुरंत बाद उस ने बेंगलुरु की अमेरिकन बेस आईटी कंपनी यूएसटी ग्लोबल में नौकरी शुरू कर दी थी. 14 लाख रुपए के पैकेज पर उस ने बतौर एप्लीकेशन मैनेजर जौइन किया था.

यूएसटी ग्लोबल कंपनी ने 2 महीने बाद अपना सिस्टम अपग्रेड किया तो सुमित काम नहीं कर पाया. नतीजतन बीती जनवरी में उस ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन घर वालों को इस बारे में पता नहीं था. परिवार को इस सब की जानकारी तब लगी जब वह मार्च में बेंगलुरु छोड़ कर हमेशा के लिए दिल्ली आ गया. बेंगलुरु में वह अपने भाई अमित के पास रहता था.

जनवरी में नौकरी छोड़ने के बाद से ही सुमित लगातार दूसरी नौकरी के लिए प्रयास कर रहा था. लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही थी. अंशुबाला का वेतन बहुत ज्यादा तो नहीं था, लेकिन वह अपने व बच्चों के छोटेमोटे खर्च पूरा करने लायक कमा ही लेती थी.

अब तक सुमित भी अच्छी कमाई कर रहा था. सासससुर भी घर के खर्चों में सुमित व अंशु की मदद करते थे, इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं था कि 3 महीने की नौकरी के कारण सुमित या परिवार के लोग परेशान होते. कुल मिला कर सब कुछ ठीक चल रहा था. इन दिनों बेरोजगारी के कारण सुमित भी पूरे दिन परिवार के साथ ही रहता था.

बिहार के सारण जिले में एक करीबी रिश्तेदार की बेटी की शादी थी, लिहाजा 7 अप्रैल, 2019 को बी.एन. सिंह अपनी पत्नी के साथ शादी में शामिल होने के लिए सारण चले गए थे.

सुमित के सभी भाईबहन दूरदूर व अलग रहते थे. सभी की खैरखबर मिलती रहे इस के लिए उन्होंने माई फैमिली नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बना रखा था. 21 अप्रैल की शाम करीब 6 बजे इस वाट्सऐप ग्रुप पर सुमित ने एक ऐसा वीडियो डाला जिसे देख कर पूरे परिवार में हाहाकार मच गया.

ये वीडियो सब से पहले सुमित की बिहार में रहने वाली बहन गुड्डी ने देखा था. वीडियो में सुमित जो कुछ बोल रहा था उसे सुन कर गुड्डी के पांव तले से जमीन खिसक गई.

दरअसल इस वीडियो में सुमित बता रहा था, ‘मैं ने पत्नी और बच्चों की हत्या कर दी है. मैं खुद भी आत्महत्या करने जा रहा हूं. ये मेरा आखिरी वीडियो है. मैं दुकान से पोटैशियम साइनाइड ले कर आया हूं. अब मैं परिवार पालने लायक नहीं रहा, इसलिए मैं ने सब को जान से मार दिया है. जाओ जा कर शव ले लो. 5 मिनट में मैं पोटैशियम साइनाइड खा लूंगा.’

वीडियो में ही उस ने बताया कि उस ने न्याय खंड के हुकुम मैडिकल स्टोर से 22 हजार रुपए में पोटैशियम साइनाइड खरीदा है, जिसे खा कर वह मरने जा रहा है. सुमित ने वीडियो में यह भी बताया कि वह नशे के लिए ड्रग्स भी हुकुम मैडिकल स्टोर से लेता था.

मैडिकल स्टोर के मालिक मकनपुर निवासी मुकेश ने ड्रग्स के नाम पर उसे काफी लूटा था, जिस के चलते उस पर लाखों का कर्ज हो गया था. उस ने भी मुकेश के खाते से मोबाइल बैंकिंग के जरिए एक लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए हैं.

2.40 मिनट के वीडियो में सुमित ने बताया कि वह इस समय काफी डिप्रेस है और उस ने अपने परिवार की हत्या कर दी है. ये पूरी वीडियो जैसे ही गुड्डी ने देखी तो उस ने बेंगलुरु में रह रहे अपने बडे़ भाई अमित को फोन पर सारी बात बताई तो वह भी बेचैन हो गया. अमित ने गुड्डी से बात करने के बाद खुद भी फैमिली ग्रुप पर डाली गई वह वीडियो देखी और गुड्डी से बात की.

अमित ने गुड्डी से कहा कि वह तुरंत अंशुबाला के भाई पंकज को बता दे. क्योंकि वही एक ऐसा शख्स था, जो सुमित के घर के सब से नजदीक रहता था. भाई की सलाह के बाद गुड्डी ने सुमित द्वारा ग्रुप में डाला गया वीडियो पंकज को भेज दिया और उस से फोन पर बात की. गुड्डी ने पंकज को सारी बात बताई तो पंकज का भी सिर घूम गया.

तब तक हकीकत किसी को मालूम नहीं  थी, इसलिए गुड्डी ने पंकज को सलाह दी कि वह तत्काल सुमित के घर जा कर देखे कि माजरा क्या है. तब तक किसी को यकीन नहीं हो रहा था, वे लोग सोच रहे थे कि सुमित ने कहीं मजाक तो नहीं किया.

हालांकि अमित, गुड्डी और पंकज सभी लोगों को जैसे ही इस वीडियो मैसेज के बारे में पता चला उन्होंने सुमित के मोबाइल फोन पर संपर्क करना चाहा ताकि उस से बात कर असलियत जान सकें. लेकिन सभी को उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. इस से सभी को शंका होने लगी.

लिहाजा उन्होंने अंशु बाला व घर के दूसरे मोबाइल फोन पर भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन दोनों फोन स्विच्ड औफ मिले तो पंकज का मन शंका से भर उठा.

पंकज ने यह सब सुनने के बाद अपने आसपड़ोस के एक दो लोगों को साथ लिया और ज्ञान खंड-4 में सुमित के मकान पर पहुंच गए. लेकिन वहां ताला लटका देख उन का दिल आशंका से भर गया. उन्होंने सुमित के पड़ोस में रहने वाले और कालोनी के कुछ लोगों को एकत्र कर उन्हें अपने बहनोई द्वारा भेजे गए वीडियो के बारे में बताया तो सभी ने सलाह दी कि घर का ताला तोड़ कर चैक किया जाए.

फलस्वरूप सुमित के घर का ताला तोड़ दिया गया. दरवाजा खोल कर अंदर का नजारा देखा तो सभी दंग रह गए. अंदर ड्राइंगरूम से ले कर बेडरूम तक तीनों बच्चों और अंशुबाला के खून से लथपथ शव पड़े थे. जबकि सुमित का कहीं अतापता नहीं था.

घर में 4 हत्याएं होने की खबर जल्द ही पूरी कालोनी में फैल गई. सुमित के घर के बाहर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. इस बीच किसी के कहने पर पंकज ने पुलिस को सूचना दे दी थी. उस समय शाम के 7 बजे थे. पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना अभयखंड चौकी को दी गई. सुमित का घर इसी चौकी के क्षेत्र में आता था.

अभय खंड चौकीप्रभारी एसआई प्रह्लाद सिंह 2-3 सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घर में एक साथ 4 लाशें देखीं तो इंदिरापुरम थानाप्रभारी संदीप कुमार को फोन कर के जानकारी दी. वैसे तो हत्या की वारदात ही पुलिस के लिए बड़ी बात होती है लेकिन यहां तो एक साथ 4 हत्याओं की बात थी.

इंसपेक्टर संदीप कुमार ने इंदिरापुरम क्षेत्र की एएसपी अपर्णा गौतम, एसपी (सिटी) श्लोक कुमार व गाजियाबाद के एसएसपी उपेंद्र कुमार अग्रवाल को इस घटना से अवगत करा दिया.

8 बजतेबजते इंदिरापुरम का ज्ञान खंड 4 पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. जिले का हर छोटा बड़ा अधिकारी और फोरैंसिक टीम वहां पहुंच कर जांचपड़ताल में जुट गई.

पंकज ने अपने मातापिता के साथ दिल्ली में रहने वाले अपने भाई व अन्य रिश्तेदारों को इस घटना से अवगत करा दिया था. पंकज के मोबाइल फोन पर सुमित की बहनों व भाई अमित के भी लगातार फोन आ रहे थे, उन्होंने उन्हें भी वास्तविकता से अवगत करा दिया.

इंदिरापुरम पुलिस के साथ दूसरे तमाम अधिकारी जब घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि 2 कमरों के फ्लैट में अंदर ड्राइंगरूम में खून से लथपथ प्रथमेश का शव पड़ा था. अंशुबाला का शव बेडरूम में जमीन पर पड़ा मिला. जबकि दोनों जुड़वां बच्चों के शव बेड पर पड़े थे. ऐसा लगता था जैसे उन्हें सोते समय बेहोशी की अवस्था में मारा गया था.

फर्श व बैड पर तथा 1-2 जगह दीवारों पर खून के निशान थे. बिस्तर पर पड़ाखून सूख कर काला पड़ने लगा था. तीनों बच्चों और अंशु के गले पर धारदार हथियार के निशान थे. अंशुबाला के पेट और छाती के अलावा हाथ पर भी कई जगह धारदार हथियारों के निशान थे. शरीर पर कई जगह खरोंचे भी थीं और कपड़े भी अस्तव्यस्त थे.

इस से पहली नजर में प्रतीत होता था कि मरने से पहले कातिल से उस की झड़प हुई थी और उस ने अपने बचाव में काफी संघर्ष किया था. शव को सब से पहले देखने वाले पंकज ने पुलिस को बताया कि तीनों बच्चों के मुंह के ऊपर तकिए  रखे हुए थे.

सुमित ने शायद परिवार के सभी लोगों को खाने की किसी चीज में कोई नशा दे कर बेहोश कर दिया था. इसीलिए जब उन की हत्या की गई तो आसपड़ोस के किसी भी व्यक्ति ने कोई चीखपुकार नहीं सुनी.

थानाप्रभारी संदीप कुमार ने फोरेंसिक टीम के साथ जब घर की छानबीन शुरू की तो उन्हें रसोई घर में सहजन की सब्जी के टुकड़े मिले. कोल्ड ड्रिंक की 2 खाली बोतलें व नशे की गोलियों के कुछ खाली पैकेट भी मिले. सभी चीजों को पुलिस ने जांच के लिए अपने कब्जे में ले लिया. क्योंकि पुलिस को शक था कि सब्जी में नशीली गोली या पदार्थ मिलाया गया था.

घर की तलाशी में पुलिस को अलगअलग साइज के 5 चाकू भी मिले, जिन में 3 एकदम नए थे. जबकि 2 चाकुओं का इस्तेमाल हत्या में किया गया था, क्योंकि धोने या कपड़े से साफ करने के बावजूद उन पर कहीं कहीं खून के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद ये सभी सामान कब्जे में ले लिए.

कई घंटे की मशक्कत और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने तीनों बच्चों व अंशुबाला के शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिए. रात में पंकज के भाई मनीष व दूसरे रिश्तेदार भी गाजियाबाद पहुंच गए.

अंशुबाला के भाई पंकज की शिकायत के आधार पर इंदिरापुरम पुलिस ने 21 अप्रैल, 2019 को ही भादंवि की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज कर लिया था. जांच का काम खुद थानाप्रभारी संदीप कुमार कर रहे थे.

सुबह होते ही पुलिस ने सुमित की खोजखबर लेने के लिए चौतरफा कोशिशें शुरू कर दीं. चूंकि सुमित का मोबाइल नंबर बंद था. इसलिए उस तक पहुंचने का जरिया सिर्फ उस का मोबाइल नंबर ही था.

हैरानी की बात यह थी कि घर में सुमित के अलावा 2 मोबाइल फोन और थे. इन में एक फोन अंशुबाला का था और दूसरा घर में रहता था. वे दोनों फोन भी घर की तलाशी में पुलिस को नहीं मिले थे. यह भी नहीं पता था कि सुमित जिंदा है या मर चुका है.

इसलिए एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल से साइबर शाखा की टीम से सुमित व अंशुबाला के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए. इन मोबाइल नंबरों की लोकेशन के बारे में मिलने वाली पलपल की जानकारी इंदिरापुरम पुलिस को देने का काम सौंप दिया.

एसपी (सिटी) श्लोक कुमार व एएसपी अपर्णा गौतम ने थानाप्रभारी संदीप कुमार, एसआई प्रह्लाद सिंह और रामप्रस्थ चौकीप्रभारी इजहार अली के नेतृत्व में 3 टीमें बनाईं. पुलिस की टीमों ने सुबह होते ही सब से पहले घटनास्थल पर पहुंच कर आसपड़ोस के लोगों और सुमित कुमार के सभी रिश्तेदारों से बातचीत और पूछताछ करने का काम शुरू किया.

पड़ोसियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि मृतक परिवार काफी मिलनसार था. पड़ोसियों से अंशुबाला और सुमित का बहुत अच्छा व्यवहार था.

कालोनी के गार्ड इंद्रजीत ने बताया कि सुबह 3 बजे सुमित यह कह कर बाहर गया था कि वह थोड़ी देर में आ रहा है. वह किस काम से और कहां गया, इस के बारे में उसे पता नहीं था. गार्ड का कहना था कि सुमित के चेहरे से यह आभास नहीं हुआ कि उस ने 4 हत्याएं की हैं.

पड़ोसियों ने 21 अप्रैल की सुबह से सुमित के परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं देखा था. अलबत्ता 20 अप्रैल की शाम को अंशुबाला का बड़ा बेटा प्रथमेश अपनी मां के साथ बाहर जरूर देखा गया था. दोनों एकदम नार्मल थे. पता चला कि सुमित भी अकसर बच्चों के साथ बाहर खेला करता था.

22 अप्रैल की दोपहर तक पुलिस ने अंशुबाला व उस के तीनों बच्चों का पोस्टमार्टम करवा कर चारों के शव उन के परिजनों को सौंप दिए. 21 अप्रैल की रात में ही पंकज ने अपने पिता को फोन कर के इस हादसे की सूचना दे दी थी.

बेटी और नातीनातिन की हत्या की खबर सुनते ही अंशुबाला के मातापिता अगली सुबह बिहार के सारण से फ्लाइट पकड़ कर दोपहर तक दिल्ली और फिर दिल्ली से गाजियाबाद पहुंच गए. सुमित के भाई अमित व 2 बहनें भी दोपहर तक गाजियाबाद आ गए. दोनों परिवारों ने मिल कर चारों शवों का अंतिम संस्कार किया.

पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल चुकी थी, जिस में अंशु के गले के साथ शरीर के अन्य हिस्सों पर चाकू के 6 निशान पाए गए थे. वहीं, बच्चों की मौत गला रेतने से बताई गई थी. हत्या का समय 20 व 21 अप्रैल की रात 12 बजे के बाद का बताया गया. नशीले पदार्थ या नींद की गोली दिए जाने की पुष्टि नहीं होने के कारण चारों के बिसरा को सुरक्षित कर जांच के लिए भेज दिया गया.

अंतिम संस्कार के बाद अंशुबाला के मातापिता व परिवार के अन्य लोग इंदिरापुरम थाने पहुंचे और वहां उन्होंने थानाप्रभारी संदीप कुमार को बताया कि घर में कोई आर्थिक तंगी नहीं थी. सुमित ने सामूहिक हत्या कर घर में लूटपाट की है. वह गहने और नकदी ले कर फरार हुआ है.

परिजनों का तर्क था कि यदि उसे आत्महत्या करनी होती तो वह पत्नी और बच्चों के साथ ही जान दे देता. परिजनों ने हत्यारोपी सुमित के भाई और बहन को गिरफ्तार करने की मांग की.

परिजनों ने यह भी बताया कि 8 अप्रैल को ही आकृति व आरव का जन्मदिन हंसीखुशी मनाया गया था. अंशुबाला के पिता बी.एन. सिंह ने पुलिस को बताया कि वह चूंकि अपनी पत्नी मीरा सिंह के साथ बेटी अंशुबाला के साथ ही रहते थे, इसलिए उन्होंने देखा कि सुमित अकसर अंशु से लड़ाई करता था. वह उस से बारबार रुपए मांगता था. रुपए न देने पर पिटाई करता था.

बी.एन. सिंह का यह भी कहना था कि सुमित हर महीने एक लाख रुपए से अधिक कमाता था. उस ने नौकरी जरूर छोड़ दी थी लेकिन घरपरिवार चलाने के लिए उसे कोई परेशानी नहीं थी. जबकि सुमित ने वीडियो में आर्थिक तंगी के चलते पत्नी और बच्चों की हत्या करने का दावा किया था.

लेकिन पुलिस ने पूरी कालोनी के लोगों के अलावा किराना, कौस्मेटिक की दुकान और प्रैस वाले से पूछताछ की तो उन्होंने परिवार पर किसी प्रकार का उधार होने से साफ इनकार कर दिया. सभी का कहना था कि सामान खरीदने के बाद तुरंत भुगतान कर दिया जाता था.

सोसायटी में कपड़े प्रेस करने वाले रामलाल ने पुलिस को बताया कि सुमित के घर से उस के पास प्रतिदिन छह जोड़ी कपड़े प्रैस होने आते थे. शुक्रवार सुबह भी कपड़े प्रैस होने आए थे.

कपड़े प्रैस करने के एवज में प्रतिमाह सुमित के घर से 1500 रुपए मिलते थे. परिवार ने कभी रुपए उधार नहीं किए. सोसायटी के पास स्थित किराना दुकान संचालक ने बताया कि अंशुबाला प्रतिमाह 8 हजार रुपए का घरेलू सामान नकद ले कर जाती थी.

कपड़े प्रैस करने वाले धोबी रामलाल ने यह भी बताया कि सुमित जब भी यहां रहता था, घर के नीचे या सोसाइटी में घूम कर सिगरेट पीता था. वह सिगरेट पीने का इतना आदी था कि एक दिन में 3 से 4 डिब्बी सिगरेट पी जाता था. पूछने पर सुमित कहता था कि सिगरेट पर उस का महीने का खर्च 10 हजार रुपए से ज्यादा आता है.

इस पूरी पूछताछ से यह बात तो साफ हो गई कि आर्थिक तंगी की जो बात सामने आ रही थी, उस में बहुत ज्यादा दम नहीं था. इसलिए पुलिस ने अंशुबाला के परिजनों द्वारा हत्याकांड में सुमित के भाई और बहन के शामिल होने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग को दरकिनार कर दिया.

क्योंकि यह बात साफ हो चुकी थी कि परिवार न तो किसी आर्थिक मुसीबत में था न ही परिवार के दूसरे लोगों का सुमित के घर बहुत आनाजाना था. इसलिए पुलिस ने अब अपना सारा ध्यान सुमित की तलाश पर केंद्रित कर दिया.

पुलिस ने सुमित के मोबाइल नंबर की सीडीआर निकाल ली थी. उस में पुलिस को करीब आधा दरजन ऐसे नंबर मिले, जिन पर सुमित की बात होती थी. ये नंबर बिहार, बेंगलुरु, मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य कई स्थानों के थे. पुलिस ने संदिग्ध नंबरों की एकएक कर जांच पड़ताल शुरू कर दी.

सर्विलांस टीम को अचानक उस वक्त सुमित की लोकेशन मिल गई, जब उस ने कुछ देर के लिए अपना मोबाइल औन किया. उस वक्त उस की लोकेशन मध्य प्रदेश के रतलाम में थी. सुमित ने अपनी पत्नी के दोनों मोबाइल तो औन नहीं किए थे. हां, इस दौरान 1-2 बार उस ने अपने भाई अमित से बात करने के लिए अपना फोन खोला तो उस की लोकेशन ट्रेस हो गई.

उस की लोकेशन रतलाम की आ रही थी. सुमित ने जब भी अपने भाई से बात की तो उस ने यह तो नहीं बताया कि वह कहां है लेकिन उस ने बारबार यहीं कहा कि वह बहुत परेशान था, इसलिए उस ने इतना बड़ा कदम उठा लिया.

एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल ने इस दौरान मोबाइल की लोकेशन मिलने वाले स्थानों पर वहां की जीआरपी को सुमित के फोटो के साथ जानकारी भेजी ताकि वह किसी को दिखे तो उसे पुलिस हिरासत में लिया जा सके.

आननफानन में एसआई प्रह्लाद व इजहार अली और कांस्टेबल रवि कुमार की टीम को रतलाम रवाना कर दिया गया. साथ ही उन्होंने सर्विलांस टीम को उन के साथ बराबर संपर्क बना कर सुमित की लोकेशन का अपडेट देने के भी आदेश दिया.

चूंकि सुमित के कई रिश्तेदार व जानने वाले मध्य प्रदेश में रहते थे, इसलिए आशंका थी कि वह वहां पर अपनी पहचान छिपा कर कहीं छिपा होगा. भले ही उस ने वीडियो में कहा था कि वह 5 मिनट में आत्महत्या कर लेगा, लेकिन रतलाम में उस की लाकेशन मिलने और अभी तक की जांच से ऐसा नहीं लग रहा था कि वह मौत को गले लगा चुका होगा.

इस दौरान 22 अप्रैल, 2019 की शाम को अचानक इंदिरापुरम पुलिस ने औषधि विभाग के निरीक्षक वैभव बब्बर के साथ न्याय खंड 3 में स्थित हुकुम मैडिकल स्टोर पर छापा मारा. सुमित ने भेजे गए वीडियो में इसी मैडिकल स्टोर का जिक्र किया था.

पुलिस ने मैडिकल स्टोर के संचालक मुकेश जो मकनपुर का रहने वाला था, को गिरफ्तार कर लिया. छापा मार कर जब पड़ताल की गई तो पता चला कि उस ने 2 सालों से मैडिकल स्टोर के लाइसैंस का नवीनीकरण नहीं कराया था. उस से पूछताछ में पता चला कि सुमित 2 साल में एक लाख रुपए की नशीली दवाइयां खरीद कर खा चुका था.

सुमित कुमार ने वीडियो में बताया था कि वह पोटैशियम साइनाइड खा कर 5 मिनट में अपनी जिंदगी भी खत्म कर लेगा. मगर हुकुम मैडिकल स्टोर के संचालक मुकेश से जब पूछताछ हुई तो उस ने बताया कि उस के पास पौटैशियम साइनाइड नहीं था. सुमित काफी जिद कर रहा था, जिस की वजह से उस ने पोटैशियम साइनाइड बता कर उसे दूसरी दवा दे दी थी.

विश्वास दिलाने के लिए उस ने नशीली दवाओं के एवज में उस से 22,500 रुपए वसूले थे. पुलिस को भी तलाशी में उस की दुकान से पोटैशियम साइनाइड नहीं मिला, अलबत्ता उस की दुकान की तलाशी में कई नशीली व प्रतिबंधित दवाइयां जरूर बरामद हुईं. पुलिस ने मैडिकल स्टोर से ऐसी 2 पेटी दवाइयां कब्जे में लीं.

पुलिस ने औषधि निरीक्षक की शिकायत पर मुकेश के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर के उसे गिरफ्तार कर लिया और दुकान सील कर दी. लेकिन सुमित की गिरफ्तारी व उस के परिवार के चारों सदस्यों की मौत की गुत्थी अभी तक उलझी थी.

इस दौरान पुलिस को मिली फोरैंसिक रिपोर्ट से पता चला कि सुमित ने पत्नी व बच्चों की हत्या के लिए 2 चाकुओं का प्रयोग किया था. बाथरूम से जो चाकू बरामद हुए थे, उन्हें पानी से साफ किया गया था.

जांच पड़ताल में ये भी पता चला कि सुमित वारदात वाली रात 2 बजे तक वाट्सऐप पर औनलाइन था. यह बात पुलिस को उस ग्रुप से जुडे़ लोगों की मदद से पता चली. सुमित की लोकेशन ट्रेस करने के लिए पुलिस ने उस का फेसबुक अकाउंट खंगाला तो पता चला कि सुमित फेसबुक पर ज्यादा एक्टिव नहीं था.

इस दौरान पुलिस को अचानक एक सफलता  मिली. कर्नाटक के उडुपी शहर में रेलवे पुलिस के एक कांस्टेबल ने टीवी चैनलों पर गाजियाबाद में हुए चौहरे हत्याकांड से जुड़ी खबर देखी थी. इस खबर में हत्या के बाद लापता सुमित की तसवीर भी दिखाई गई थी.

उसी तसवीर के हुलिए से मिलतेजुलते एक शख्स को जब जीआरपी के जवान ने स्टेशन पर देखा तो संदिग्ध मान कर वह उसे थाने ले आया. उस की आईडी चैक करने पर जब उस का संबंध गाजियाबाद से जुड़ा पाया गया तो उडुपी जीआरपी ने इस की सूचना गाजियाबाद पुलिस को दी.

उडुपी पुलिस ने वाट्सऐप के जरिए उस की वीडियो गाजियाबाद पुलिस को भेजी. उस वीडियो को जब गाजियाबाद पुलिस ने पीडि़त परिजनों को दिखाया गया तो उन्होंने तसदीक कर दी कि वह सुमित ही है. इस के बाद तो पुलिस के लिए सब कुछ आसान हो गया. एसएसपी ने रतलाम में सुमित को खोज रही पुलिस टीम को फ्लाइट पकड़ कर उडुपी पहुंचने के आदेश दिए.

वहां पहुंच कर इंदिरापुरम पुलिस ने सुमित को अपनी कस्टडी में ले लिया. सुमित कुमार को उसी दिन उडुपी की कोर्ट में पेश कर पुलिस ने उस का ट्रांजिट रिमांड लिया और उसे ले कर अगले दिन यानी 24 अप्रैल को गाजियाबाद लौट आई. सुमित को अदालत में पेश करने के बाद पुलिस ने 2 दिन के रिमांड पर लिया जिस के बाद खुलासा हुआ कि सुमित ने किस वजह से और क्यों इस वारदात को अंजाम दिया था.

सुमित ने अपने कनफेशन वीडियो में भी इस सच को स्वीकार किया था कि उसे ड्रग्स की लत है. दरअसल, सुमित बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही ड्रग्स की लत का शिकार हो गया था. लेकिन उस के परिवार को ये बात कभी पता नहीं चली.

बीटेक की पढ़ाई के दौरान जब सुमित हौस्टल में रहता था तब उसे दोस्तों की संगत में ड्रग्स लेने, चरस की सिगरेट पीने और शराब पीने की आदत पड़ गई थी. इसी दौरान जब उस की शादी हो गई तो उस की नशे की लत कुछ कम जरूर हो गई, मगर उस के बाद भी चोरीछिपे वह ड्रग्स लेता रहता था.

1-2 बार उस की पत्नी अंशुबाला को उस पर शक हुआ तो उस ने इधरउधर की बात बना कर पत्नी को बहका दिया. डेढ़ साल पहले सुमित की नशे की लत उस वक्त फिर बढ़ गई जब वह गुरुग्राम की आईटी कंपनी में नौकरी करता था. वहां उस के 1-2 साथी भी नशा करते थे.

एक साल पहले अंशु ने सुमित के कपड़ों की जेब से नशे की गोलियां पकड़ीं तो दोनों के बीच पहली बार इस बात को ले कर झगड़ा हुआ था. अंशुबाला ने तब ये बात सुमित की बड़ी बहन गुड्डी को बताई थी. गुड्डी ने भी सुमित को डांटते हुए नशा न करने की हिदायत दी थी.

चूंकि सुमित अच्छा कमाता था और पैसे की कोई कमी नहीं थी इसलिए उस ने सोचा ही नहीं कि जब नशा करने के लिए उस के पास पैसा नहीं होगा तो वह क्या करेगा. जनवरी में जब सुमित की नौकरी चली गई तो एक महीना तो सब ठीक रहा. लेकिन जैसेजैसे वक्त बीतने लगा, उस का डिप्रेशन और नशे की लत दोनों बढ़ते गए. जाहिर है नशे की लत के साथ खर्चा भी बढ़ने लगा. जबकि आमदनी कुछ थी नहीं.

सुमित को खुद भी और परिवार को भी ठाठ की जिंदगी जीने की आदत थी. धीरेधीरे उसे लगने लगा कि आने वाले दिनों में पैसे के अभाव में उस की जिंदगी बेहद मुश्किल भरी हो जाएगी. इस बात को ले कर वह चिड़चिड़ा रहने लगा. अब पत्नी से भी उस की बातबात पर झड़प हो जाती थी.

अंशु भी बारबार उसे नशा करने को ले कर ताने देती थी कि नशे में अपना वक्त खराब करने से अच्छा है कि वह नौकरी तलाश करने में वक्त लगाए. दूसरी ओर भरी हुई सिगरेट पीने और नशे की गोलियां लेने की सुमित की क्षमता भी बढ़ चुकी थी.

वह हुकुम मैडिकल स्टोर से ही लाखों रुपए की नशे की दवाएं ले कर खा चुका था. अब धीरेधीरे वहां भी उस का उधार खाता शुरू हो गया था.

इस दौरान 8 अप्रैल, 2019 को आरव व आकृति का जन्मदिन मनाने के अगले दिन जब सुमित के सासससुर किसी शादी के लिए बिहार गए तो एकदिन अंशु ने सुमित पर ऐसा तंज कसा कि बात उस के दिल पर लगी. अंशु ने सुमित से कह दिया कि अगर ऐसा नशेड़ी पति ही किस्मत में लिखा था तो भगवान उसे कुंवारी ही रहने देता.

सुमित को उस दिन लगा कि उस के इतना करने के बावजूद घर में अगर उस की यही कदर है तो ऐसे परिवार से परिवार का न होना बेहतर है. उस दिन की बात सुमित के दिल में ऐसी बैठ गई कि वह दिनरात नशा करता और एक ही बात सोचता कि ऐसे परिवार की फिक्र करने से क्या फायदा जहां इंसान की कदर न हो, इस से तो अच्छा है कि बिना परिवार अकेले रहो और मस्ती से जियो.

एक बार दिमाग में इस विचार ने घर कर लिया तो बस वह इसी बात पर सोचने लगा. उस ने इरादा कर लिया कि वह पूरे परिवार को खत्म कर देगा और अकेला ऐश की जिंदगी जीएगा.

अंशु सुमित को नशे की हालत में देख कर उसे ताने मारती थी. इस से सुमित का इरादा और भी ज्यादा मजबूत होता चला गया. सुमित के पास जमापूंजी भी खत्म होने लगी थी, इसलिए वह और ज्यादा तनाव में रहने लगा था. उस ने परिवार को खत्म करने का पूरा मन बना लिया था.

18 अप्रैल, 2019 को वह अपनी नशे की दवा और पोटैशियम साइनाइड लेने के लिए मुकेश के मैडिकल स्टोर पर गया. दवा लेने के बाद उस ने पेमेंट की. वहां मुकेश के कहने पर उस ने किसी दवा व्यापारी को औनलाइन पेमेंट करने में उस की मदद की. उसी दौरान उस ने मुकेश के खाते से एक लाख रुपए अपने खाते में भी ट्रांसफर कर लिए.

वह जानता था कि 1-2 दिन में मुकेश को यह बात पता चल जाएगी कि चोरीछिपे उस ने उस के खाते से एक लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए हैं. लिहाजा उसी दिन सुमित ने चाकुओं का एक सेट भी खरीद लिया. घर आ कर उस ने जब अंशु को चाकुओं का वह सेट दिया तो उस ने इस बात पर भी सुमित को फटकारा कि जिस चीज की जरूरत नहीं थी उसे वह क्यों लाया.

फिर 20 अप्रैल की वो रात आ गई जब उस ने परिवार को खत्म करने की ठानी. रात को उस ने पहले परिवार के सभी लोगों को खाने के बाद पीने के लिए कोल्डड्रिंक दी जिसमें उस ने नींद की दवा मिला रखी थी. बच्चों पर दवा का असर जल्दी हो गया और वे कोल्डड्रिंक पी कर बेसुध हो गए. लेकिन अंशु पर नशे का असर धीरेधीरे हो रहा था.

सुमित ने सब से पहले अपने बड़े बेटे प्रथमेश का गला काटा. क्योंकि वह प्रथमेश को सब से ज्यादा प्यार करता था. उसे मालूम था कि अगर उस ने प्रथमेश की हत्या पहले कर दी तो वह परिवार के दूसरे सदस्यों को आसानी से मार देगा. क्योंकि सब से ज्यादा प्यारी चीज को खत्म करने के बाद इंसान के लिए कम महत्व की चीजों को मिटाना ज्यादा आसान होता है.

प्रथमेश की हत्या के बाद सुमित अंशुबाला की हत्या करने के लिए उस के पास पहुंचा तो संयोग से तब तक अंशुबाला के ऊपर कोल्डड्रिंक में मिली दवा का असर कम हो चुका था. इसलिए उस ने सुमित का प्रतिरोध शुरू कर दिया.

यही कारण था कि सुमित ने उस का गला काटने से पहले चाकू के कई वार गले के अलावा शरीर के दूसरे अंगों पर भी किए. इस से अंशुबाला के शरीर पर कई जगह खरोचों के निशान आ गए थे. आखिर वह पत्नी की हत्या करने में सफल हो गया. इस के बाद उस ने बारीबारी से जुड़वां बेटाबेटी आरव और आकृति का भी गला काट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.

हत्या करने के बाद उस ने हत्या में इस्तेमाल चाकुओं को बाथरूम में जा कर धो दिया. उस ने अपने खून से लथपथ कपड़ों को बाथरूम में जा कर बदला और रात भर घर में बैठ कर अपने किए पर सोचताविचारता रहा.

उस के मन में विचार आया कि वह खुद भी आत्महत्या कर ले. लेकिन कई घंटे सोचविचार के बाद सुमित ने सुबह करीब 3 बजे एक बैग में कपड़े और घर में रखे गहने व नकदी रखे और घर का ताला लगा कर घर से निकल गया.

रास्ते में उसे गार्ड मिला तो सुमित ने उस से कह दिया कि वह थोड़ी देर में वापस लौट आएगा. घर के बाहर आ कर उस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए ओला कैब बुक की और वहां से स्टेशन पर पहुंच कर तत्काल टिकट ले कर त्रिवेंद्रम जाने के लिए तैयार खड़ी राजधानी एक्सप्रेस में चढ़ गया.

घर से चलते वक्त सुमित अपने घर के दोनों फोन भी साथ ले गया था. उस ने उन दोनों फोनों को ट्रेन में चढ़ते ही बंद कर दिया था. ट्रेन में ही सुमित ने अपना कनफेशन वीडियो बनाया और उसे अपने परिवार के वाट्सगु्रप में डाल दिया. 6 बजे ये वीडियो भेजने के बाद उस ने अपना फोन भी बंद कर दिया था.

सुमित ने बताया कि पहले तो वह आत्महत्या करना चाहता था, लेकिन जब ट्रेन में बैठ गया तो उस का इरादा बदल गया. उस ने तय किया कि वह कहीं दूर जा कर अपनी पहचान छिपा कर साधु संत बन कर जिंदगी गुजार लेगा ताकि उस की नशे की लत भी पूरी होती रहे. पुलिस ने पूछताछ के बाद सुमित को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया.द्य

— कथा पुलिस की जांच और आरोपी से पूछताछ पर आधारित

हिंदी में बात करने में शर्म कैसी: यश टोंक

सोनीपत हरियाणा में जन्में यश टोंक तो फौज में जाना चाहते थे  लेकिन उनकी तकदीर ने उन्हें अभिनेता बना दिया पिछले 25 वर्ष के अभिनय कैरियर में यश टोंक जस्ट मोहब्बत, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कुंडली, कर्म अपना अपना जैसे दो दर्जन से अधिक सीरियल और किस-किस से प्यार करूं, जय हे, मणिकर्णिका सहित कई फिल्मों में अभिनय कर शोहरत बटोर चुके हैं. इन दिनों वह फिल्म हरियाणा को लेकर चर्चा में हैं.

प्रस्तुत है यश टोंक से हुई बातचीत के अंश

छोटे शहर से मुंबई आकर संघर्ष करने से लेकर अब तक के कैरियर के संदर्भ में क्या कहना चाहेंगें

मेरी पैदाइश सोनीपत हरियाणा की है मगर मेरी शिक्षा व परवरिश हिसार हरियाणा में हुई. वह फौज में थे लेकिन उन्होंने वहां से रिटायरमेंट ले ली उसके बाद वह हरियाणा अग्रीकल्चरल युनिवर्सिटी हरियाणा में चीफ सिक्यूरिटी ऑफिसर के रूप में कार्य करने लगे बचपन मेरा हिसार में बीता, 12वीं तक की पढ़ाई मैने वहीं पर की. उसके बाद बीकाम की पढ़ाई करने के लिए मैं दिल्ली अपनी मौसी के पास चला गया मैंने दिल्ली में रहकर बीकाम ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के साथ कालेज में मनाए जाने वाले फेस्टिवल में हिस्सा लिया करता था फिक एक दिन पता चला कि पिलानी ए राजस्थान में फैशन शो होता है जहां भारत के सभी कालेज हिस्सा लेते हैं तो हम भी अपने कालेज की टीम बनाकर पिलानी गए और फैशन शो में हिस्सा लिया उससे पहले हमारे कालेज से कभी कोई गया नहीं था लेकिन हमने पहली बार कोशिश की वहां मुझे सर्वश्रेष्ठ मॉडल का पुरस्कार मिला मुझे लगता है कि वहीं से एक शुरूआत हुई थी वास्तव में सर्वश्रेष्ठ मॉडल का पुरस्कार मिलने से एक पहचान मिली हर जगह चर्चा हुई कि हरियाणा के छोटे शहर के लड़के ने कमाल कर दिया इधर दिल्ली के कालेज में हर कोई मुझे पहचानने लगा उसके बाद कुछ अन्य फैशन शो किए पोर्टफोलियो भी बनवाया इसके बाद मैं प्रोफेशनल मॉडल के रूप में फैशन शो करने लगा तब कहीं मेरे पिता जी को लगा कि शायद बेटे में कुछ प्रतिभा है तो उन्होने स्वयं एबीसीएल का फार्म मंगवाकर कहा कि भर दो एबीसीएल ने टैलेंट हंट शुरू किया था एबीसीएल में टॉप पचास में मेरा चयन हो गया फिर दस दिन के लिए मुझे मुंबई बुलाया गया था तब मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि मुंबई ही रहे हो तो वहां कोशिश करना मैं तुम्हे दो वर्ष का समय दे रहा हूं यदि दो वर्ष मुंबई में कुछ नहीं कर पाए तो वापस आ जाना फिर मैं जो कहॅूंगा वह करना मैं मुंबई आया और तकदीर ने साथ दिया. मैं दो वर्ष के अंदर अभिनय करने लगा था.

कैसे शुरूआत हुई थी

मुंबई आने के दस बारह दिन में ही समझ में आ गया था कि एबीसीएल से कुछ नहीं होना है तो एक माह के अंदर ही मैं मकरंद देशपांडे के नाट्य ग्रुप से जुड़कर पृथ्वी थिएटर पर नाटक करने लगा था इससे कला की जानकारी मुझे मिलने लगी धीरे धीरे निर्माताओं तक मेरी तस्वीरें पहुंचने लगी थीं. लोग मुझे बुलाकर काम देते रहे.

आपके अब तक के कैरियर में टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे

मेरे कैरियर में रूकावटें बहुत कम आयी सब कुछ बहुत ही स्मूथली होता रहा है मैं खुद ही नहीं समझ पाया कि यहां इतना समय कैसे निकल गया पहले मैंने दिया टोनी सिंह, रवि राय आदि बेहतरीन सर्जकों के साथ साप्ताहिक रूप से प्रसारित होने वाले धारावाहिकों में काम करता रहा इससे बतौर अभिनेता मेरी अच्छी पहचान बनने लगी. सीरियल जस्ट मोहब्बत काफी लोकप्रिय हुआ था ण्रवि राय के साथ ष्टीचरष् सहित कई सीरियल किए इसी बीच बालाजी टेलीफिल्मस से बुलावा आ गया बालाजी के साथ क्योंकि सास भी कभी बहू थी सहित दर्जन भर से अधिक सीरियल किए डेली सोप के साथ ही फिल्मों में काम करने लगा मैं खुशनसीब हॅूं कि मेरे सभी सीरियल व फिल्में सफल होते रहे मुझे काम मिलता रहा.

आपके लगभग सभी सीरियलों को जबरदस्त शोहरत मिली और आपको भी शोहरत मिली पर फिल्मों में वैसी पहचान नही बन पायी

सच कहॅूं तो मुझे लगातार काम मिलता रहा मुझे काम मांगने के लिए किसी के पास जाने की जरुरत ही महसूस नहीं हुई जिस फिल्म के लिए मुझे बुलाया गया मैंने उस फिल्म में अभिनय किया फिल्म हो या टीवी कभी कहीं किसी भी कैंप में घुसने की मैंने अपनी तरफ से कोशिश ही नही की.

आपने फिल्म हरियाणा के निर्देशक संदीप बसवाना के साथ कई सीरियलों में अभिनय कर चुके हैं तो क्या इसी कारण आपने फिल्म हरियाणा से जुड़ने का निर्णय लिया

देखिए संदीप बसवाना से मेरे काफी पुराने संबंध हैं वह मेरे भाई जैसा है हम दोनों ही हरियाणा से हैं लेकिन इस फिल्म से जुड़ने की वजह इसकी कहानी रही संदीप बसवाना ने जिस बारीकी से इसकी कहानी लिखी है कि न करने का सवाल ही नहीं उठता संदीप लंबे समय से इस विषय पर काम कर रहे थे उन्होंने इस पर काफी शोध किया है उसी आधार पर कहानी में काफी बदलाव भी किए.

फिल्म हरियाणा किस तरह की फिल्म है

यह बहुत साधारण व यथार्थ परक पारिवारिक फिल्म है इसका एक भी किरदार लाउड या फिल्मी नजर नहीं आएगा फिल्म में किसी भी किरदार ने ठेठ देसी यानी कि हरियाणवी भाषा नही बोली है. टच हरियाणा का रखते हुए सभी ने हिंदी ही बोली है. इसमें हमने कई मुद्दे उठाए हैं मगर बहुत ही हल्के से ससलन पहले गांवो में संयुक्त परिवार हुआ करते थे संयुक्त परिवार में एक दूसरे के प्रति जो जुड़ाव है उनमें एक प्रेम होता है वह दिखाने का प्रयास है. तीनों भाइयों के प्रेम को दिखाया है अब आधुनिकता की बातें हो रही है इस आधुनिकता के चक्कर में ही संयुक्त परिवार की जगह एकाकी परिवार आ गए पर इससे हम कितना अकेले हो गए हैं पहले सभी भाई बहन एक जगह इकट्ठा हुआ करते थे पर अब एक एक फ्लैट में दो तीन लोग रह रहे हैं इसमें भाषा को लेकर भी बात की गयी है हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है मगर छोटे शहर या गांव से आने वाले इंसान को हिंदी बोलने में शर्म आती हैं और सामने वाला जिसे हिंदी आती है वह भी हिंदी की बजाय अंग्रेजी ही झाड़ता है जबकि भाषा तो एक दूसरे को समझने और अपनी बात एक दूसरों से सहजता से कहने के लिए होती है हमारी फिल्म कहती है कि अगर किसी को हिंदी नही आती है तो कोई बात नहीं पर यदि हिंदी आती है तो फिर हिंदी में बात करने में शर्म कैसी इस मुद्दे को बहुत अच्छे से फिल्म में उठाया गया है बहुत ही यथार्थ परक फिल्म है

फिल्म हरियाणा के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे

मैंने इसमे तीन भाईयों मे सबसे बड़े भाई महेंद्र का किरदार निभाया है परिवार के हर सदस्य से उसका अच्छा संबंध है सभी साथ में रहते हैं महेंद्र कर्मठी है एअपने भाईयों का ख्याल रखता है फिल्म में मेरा महेंद्र का किरदार कहीं न कहीं सूत्रधार है जब भाई मुसीबत में फंसता हैएतो महेंद्र उसकी मदद के लिए पहुंचता है.

हरियाणा की अपनी एक अलग पहचान है कहा जाता है कि हरियाणा के लोग उद्दंड होते हैंण्जब आप मुंबई आए तो इस पहचान के चलते किस तरह की समस्या आपको आयी थी

.देखिए ऐसा नही है हरियाणा में सभी बदतमीज नही है जो लोग हरियाणवी भाषा व कल्चर से वाकिफ नही है उन्हें ऐसा लगता होगा हकीकत में हरियाणा के लोग बहुत साधारण हैं पर मेरी राय में जैसा देश वैसा भेष होना जरुरी है तो हमें कुछ चीजें अपनानी चाहिए मान लीजिए कोई मुंबई से हरियाणा के गांव जाता है तो जब तक वह वहां की कुछ बारीक चीजों को सीखेगा नहीं एतब तक वह वहां अपनाया नहीं जाएगा तो जब मैं मुंबई पहुंचाए तो एक ही बात सीखी कि अब भेष बदलना पड़ेगा पर जड़े तो मेरे अंदर ही रहेगी बाकी चीजें अपना ली खुद की ग्रूमिंग करना बहुत जरुरी है जो भी हरियाणा ही नहीं कहीं किसी भी गांव या छोटे शहर से मुंबई महानगरी में फिल्म या टीवी में काम करने के लिए आना चाहते हैं उन सभी से कहूंगा कि जो आपके अंदर है उसे खत्म किए बगैर जो नही है उसे भी अपनाओ.

हमने देखा है कि हिंदी भाषी अंग्रेजी जानते हुए भी हिचकिचाता है ऐसा क्यों

मैं अपनी बात बताना चाहूंगा हिसार हरियाणा में हमने अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़ाई की लेकिन हम आपस में बातें हमेशा हिंदी में करते थे यानी कि अंग्रेजी माध्यम में पढ़ते हुए भी अंग्रेजी में बातें करने का चलन नही था हमें अंग्रेजी आती थी मगर जब तक हम एक दूसरे से उस भाषा में बात नही करेंगे तब तक एक हिचक सी बनी रहती है जब मैं दिल्ली युनिवर्सिटी में पढ़ने गया तो वहां सभी अंग्रेजी में बातें करते थे उस वक्त मुझे शर्म आती थी लेकिन जहां चाह हो वहां राह अपने आप निकल आती है मैं सिर्फ छह माह के अंदर अंग्रेजी में बातें करने लगा थाएमगर मैं अपनी हिंदी भाषा को भी भूला नही था

आपके अनुसार आधुनिकता के चलते एकाकी परिवार के आनेके बाद किस तरह की समस्याएं आ रही हैं क्या संयुक्त परिवार होने चाहिए

इस संबंध में मुझे कुछ कहने की जरुरत नही हैण्एकाकी परिवार के रूप में रह रहे सभी लोग खुद अपने अंदर झांक कर देख लें तो उनकी समझ में आ जाएगा कि एकाकी परिवार से तकलीफ बढ़ी हैं अपनापन खत्म हुआ है संयुक्त परिवार में हर छोटी बड़ी समस्या के वक्त सभी एक दूसरे के साथ खड़े नजर आते हैं मगर एकाकी परिवार में रह रहे लोगों को अहसास होता है कि अरेए मेरे साथ तो कोई नही है इसलिए हर इंसान को अपने अंदर झांकने की जरुरत है कि हम आधुनिकता के चक्कर में आगे बढ़ तो जाते हैं पर यह नहीं सोचते कि हम अच्छे के लिए आगे बढ़ रहे हैं या बुरे के लिए इस पर तो हर इंसान को खुद ही आकलन करना होगा

इसके अलावा कोई दूसरी फिल्म कर रहे हैं

मैंने एक वेब सीरीज की शूटिंग पूरी की है जो कि सितंबर माह में एमएक्स प्लेअर पर आएगी सोनीपत या हिसार यानी कि हरियाणा में कला का कोई माहौल क्यों नही है वहां पर लोग सेना में जाना या खेलकूद में हिस्सा लेना पसंद करते हैं सच कहॅूं तो मैं भी फौज में जाना चाहता था या क्रिकेटर बनना चाहता था लेकिन पिलानी के फैशन शो के बाद किस्मत ने पलटा खायाण्एक के बाद एक कड़ी जुड़ती चली गयी और अब लोग मुझे अभिनय करते हुए देख ही रहे हैं

देखिए हरियाणा के सभी लोग सामान्य साधारण लोग हैं  हरियाणा में सभी के पास खेती ही मुख्य साधन है मेरे दादाजी भी किसान ही थे वह साधारण जिंदगी जीते हैं फिल्में वगैरह देखने का भी ज्यादा चलन नहीं रहा लेकिन मेरी पीढ़ी तक चीजे बदलने लगी थी और अब जो नई पीढ़ी है उसमें तो काफी बदलाव आ गया है अब तो हरियाणा से कई प्रतिभाशाली कलाकारए निर्देशक व तकनीशियन आ रहे हैं.

शमिता शेट्टी और राकेश बापट का हुआ ब्रेकअप, सोशल मीडिया पर किया ऐलान

बिग बॉस की मशहूर जोड़ी शमिता शेट्टी (Shamita Shetty) और राकेश बापट (Raqesh Bapat) अपने लवलाइफ को लेकर सुर्खियों में छाये रहते हैं. अब सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि उन दोनों का ब्रेकअप हो चुका है. आइए बताते है, क्या है पूरा मामला…

शमिता शेट्टी और राकेश बापट ने खुद ही सोशल मीडिया पर जानकरी दी है कि दोनों ने अपनी-अपनी राहें अलग कर ली हैं. दरअसल राकेश बापट और शमिता शेट्टी ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर बताया है कि वो दोनों अब एक साथ नहीं हैं और इस बात को दोनों सोशल मीडिया पर क्लियर करना चाहते थे.

 

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राकेश बापट ने ब्रेकअप को लेकर इंस्टाग्राम स्टोरी शेयर की. एक्टर ने लिखा, मैं आप लोगों से यह बताना चाहूंगा कि मैं और शमिता एक साथ नहीं हैं. किस्मत ने हमारे रास्ते बहुत ही अजीब परिस्थितियों में मिलाए थे. मैं इस बात को सार्वजनिक तौर पर नहीं बताना चाहता था. आप सभी के प्यार और सपोर्ट के लिए शुक्रिया.

 

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राकेश बापट ने आगे लिखा,  मुझे पता है कि यह आपका दिल तोड़ेगा लेकिन उम्मीद करता हूं कि आप लोग अपना प्यार हमारे लिए यूं ही बनाए रखेंगे. आप सभी के प्यार का इंतजार रहेगा. यह वीडियो आप लोगों के लिए ही है.

 

तो वहीं शमिता शेट्टी ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर बताया कि वह और राकेश अलग हो चुके हैं. शमिता शेट्टी ने इस बारे में बात करते हुए लिखा,  मुझे लगता है कि यह साफ करना जरूरी है कि मैं और राकेश अब एक साथ नहीं हैं.

 

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लेकिन यह म्यूजिक वीडियो उन सभी प्यारे फैंस के लिए है, जिन्होंने हमें खूब प्यार दिया और हमारा खूब सपोर्ट भी किया. हमें ऐसे ही अपना प्यार देते रहें.

Anupamaa: दुनिया की सबसे लपरवाह मां बनी अनुपमा, देखें Video

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ की लीड एक्ट्रेस  रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह अक्सर फोटोज और वीडियोज फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. अब उन्होंने एक ऐसा वीडियो शेयर किया है, जिसमें आप देख सकते हैं कि एक्ट्रेस ने अपने बेटे को भूखा रख दिया है.

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि रूपाली गांगुली जमकर मेकअप करती दिखाई दे रही हैं. मेकअप करने के चक्कर में रूपाली गांगुली अपने बेटे के लिए खाना बनाना ही भूल गईं. बेटे ने आते ही रूपाली गांगुली के सामने खाली थाली रख दी. जिसके बाद रूपाली गांगुली को अपनी गलती का अहसास हुआ. फैंस अनुपमा के इस वीडियो का खूब मजाक बना रहे हैं.

 

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शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि वनराज पाखी को लेने के लिए कपाड़िया हाउस पहुंच जाता है और पाखी को जबरदस्ती अपने साथ ले जाता है. जिससे पाखी अपने घरवालों से नाराज हो जाती है.

 

शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा और अनु बापूजी और बा से मिलने शाह हाउस जाते हैं. उन्हें देखते ही पाखी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है. वह अनुपमा से कहती है कि आप मेरे घर में क्यों आई हैं, आपने अपने घर में तो मुझे रहने नहीं दिया.

 

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अनुपमा पाखी को समझाती है और कहती है कि वह उसकी मां है. इस बात पर पाखी जवाब देती है, ये मां-मां का रोना मत शुरू कीजिए, आप मां के नाम पर कलंक हैं और कुछ नहीं.शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा पाखी को सही रास्ते पर कैसे लाती है?

जैविक खेती का महत्त्व

हमारे देश में जैविक खाद आधारित खेती पुराने समय से की जा रही है. आजादी के बाद हरित क्रांति के दौर में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का शीघ्रता से प्रयोग हुआ, जिस के परिणामस्वरूप खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई, परंतु अधिक मात्रा में रासायनिक खादों के प्रयोग से वातावरण दूषित हुआ, जिस से मानव जीवन प्रभावित हुआ.

जैविक खेती के लिए किसान निम्नलिखित तकनीकी को प्रयोग में लाएं :

* मिट्टी संरक्षण के लिए पलवार प्रयोग.

* मिट्टी में पोषक तत्त्व संतुलन के लिए दलहनी फसलों की एकल, मिश्रित और अंतरासस्यन.

* मिट्टी में कृषि अवशेष, वर्मी कंपोस्ट, जीवाणु खाद और बायोडायनामिक कंपोस्ट का प्रयोग.

* जैविक उर्वरकों के प्रयोग का महत्त्व है, जिस में राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, पीएसबी एवं बीजीए प्रमुख हैं. जैविक उर्वरकों के प्रयोग का मुख्य आकर्षण है उन के उत्पादन और उपयोग की सफलता एवं कम लागत.

* पौध सुरक्षा के लिए खरपतवार की सफाई और जैविक कीटनाशियों का प्रयोग.

* फसल चक्र, हरित खाद, भूपरिष्करण और खाद प्रबंधन द्वारा फसलों में खरपतवार प्रबंधन.

* उपरोक्त तकनीकी द्वारा जैविक किसान अपने फसलों में पोषक तत्त्व और कीट व रोग प्रबंधन करते हैं.

* पोषक तत्त्व प्रबंधन के लिए देश के विभिन्न भागों में समाहित देशी तकनीक.

* देश के विभिन्न भागों में मिट्टी में पोषक तत्त्व प्रबंधन के लिए किसानों द्वारा अपनाई जा रही तकनीकियों का अवलोकन करें, तो पता चलता है कि देश के अधिकतर हिस्से में किसान स्थानीय रूप से उपलब्ध पोषक तत्त्वों के जैविक श्रोतों का ही प्रयोग करते हैं.

* ऐसे स्थानीय खाद, जीवांश अथवा जैविक अवशिष्ट का प्रयोग किसानों के एक लंबे प्रयोग का परिणाम है.

* ये कृषि क्रियाएं क्षेत्र विशेष के किसानों की सामाजिक परंपराओं और मान्यताओं को भी अहमियत देते हैं.

बंगले वाली: नेहा को क्यों शर्मिंदगी झेलनी पड़ी?

नेहा का तो पढ़ाई में मन नहीं लगा, परंतु कांची पढ़ने में होशियार थी. नेहा की जल्दी ही शादी कर दी गई. नेहा के सामने वाले बंगले में जब कांची रहने आई तो वह मिलने से कतराने लगी. पर एक दिन अचानक सुनार की दुकान से काम करवा कर लौट रही थी तभी कांची ने नेहा को पहचान लिया और उसे अपने साथ बंगले पर ले आई. बंगले पर नेहा ने ऐसी कौन सी गड़बड़ की कि उसे शर्मिंदगी झेलनी पड़ी?

Monsoon Special: बच्चों की इम्यूनिटी को बढ़ाएं ऐसे

छोटे बच्चों में इम्यूनिटी कम होने के चलते अधिक इन्फैक्शन होने का खतरा बना रहता है. इस कारण आजकल पेरैंट्स के सामने सब से बड़ा प्रश्न बच्चों की हैल्दी डाइट को ले कर रहता है. सो यहां जानते हैं कि बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं. 4 साल का रोहन बहुत ही दुबला है क्योंकि वह खाना ठीक से नहीं खाता. उस की मां कोमल उसे 2 से 3 घंटे घूमघूम कर हर रोज उसे खाना खिलाती है. वह बेटे को बहुत बार डाक्टर के पास भी ले गई पर डाक्टर की दवाई का कुछ खास फायदा नहीं हुआ. उसे चिप्स, बिस्कुट, चौकलेट और बाजार के जंकफूड पसंद हैं. उसे दाल, चावल, सब्जी खाना पसंद नहीं है.

परेशान हो कर मां ने डाक्टर के पास जाना बंद कर दिया और वह जो भी खाता है उसी में संतुष्ट रहने लगी. यह सही है कि आज छोटा बच्चा हो या शिशु, उसे सही पोषण के लिए सही मात्रा में खाना खिलाना बहुत मुश्किल है. घरेलू मां घंटों बैठ कर खाना खिलाती है जबकि वर्किंग वूमन को केयरटेकर के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है. अगर बच्चा खाना न खाए तो खुद खा लेती है या फिर फेंक देती है. इस का सही इलाज न तो पेरैंट्स के पास है और न ही डाक्टर के. ऐसे बच्चे हमेशा बीमार रहते हैं और उन की इम्यूनिटी कम होती जाती है. इस बारे में एंड्रौयड बायोमेड लिमिटेड की प्रमुख डा. सुनैना आनंद कहती हैं, ‘‘पिछले कुछ सालों में चेचक, पोलियो और स्पैनिश फ्लू जैसी कई महामारियों से इम्यूनिटी बढ़ा कर ही नजात पाई गई है. यही बात कोरोना वायरस के साथ भी लागू होती है.

हालांकि यह नया वायरस है और मानव में इस की इम्यूनिटी नहीं है. इसलिए यह सब के लिए घातक सिद्ध हो रहा है. रोग प्रतिरोधक क्षमता ही शरीर को किसी संक्रमण से बचाती है.’’ डा. सुनैना आगे कहती हैं, ‘‘छोटे बच्चों में इम्यूनिटी कम होने की वजह से वे किसी भी इन्फैक्शन के लिए अति संवेदनशील होते हैं. इन्फैंट को मां से ब्रैस्ट फीडिंग द्वारा इम्यूनिटी ट्रांसफर होती रहती है लेकिन समय से पहले अगर बच्चे का जन्म हुआ हो तो उस की इम्यूनिटी अधिकतर कम होती है क्योंकि उसे पूरा पोषण पेट में रहते हुए नहीं मिला है जिस से उस में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है. इसलिए ऐसे बच्चों की देखभाल बहुत ही अच्छे तरीके से की जानी चाहिए.

इम्यूनिटी बढ़ाने के कुछ सु झाव द्य अगर बच्चा छोटा है तो उसे स्तनपान नियमित कराएं. इस से उस की इम्यूनिटी बढ़ती है क्योंकि मां के दूध में प्रोटीन, वसा, शर्करा, एंटीबौडी, प्रोबायोटिक्स आदि होते हैं जो बच्चे के लिए खास जरूरी होते हैं. द्य छोटे बच्चों का टीकाकरण निर्देशों के अनुसार करवाते रहना चाहिए क्योंकि यह गंभीर बीमारी से बच्चे को बचाने का एक प्रभावी व सुरक्षित तरीका है. हालांकि कोरोना संक्रमण के दौरान बहुत सारे पेरैंट्स ने इन्फैक्शन के डर से बच्चों का टीकाकरण समय से नहीं करवाया जो बच्चों के लिए ठीक नहीं रहा. बच्चे अधिकतर फर्श पर पड़ी वस्तुओं को हाथ लगाते या मुंह में डालते रहते हैं जिस से उन्हें कई बार खतरनाक बीमारी लग जाती है.

इसलिए समयसमय पर उन के हाथों को धोते रहना भी बहुत जरूरी है ताकि यह उन की आदतों में शामिल हो जाए, खासकर भोजन से पहले और भोजन के बाद. द्य पर्याप्त नींद भी बच्चों की इम्यूनिटी को बढ़ाती है. अपर्याप्त नींद शरीर में साइटोकिंस नामक प्रोटीन के उत्पादन करने की क्षमता को सीमित करती है जो संक्रमण से लड़ने व उस के प्रभाव को कम करने में मदद करती है. बच्चों को एक दिन में कम से कम 8 से 10 घंटे की नींद लेनी चाहिए. द्य बच्चे की इम्यूनिटी उम्र के साथसाथ लगातार बदलती रहती है. इस में खाने की आदतों से उन्हें प्राकृतिक रूप से इम्यूनिटी मिलती है जो किसी भी इन्फैक्शन से लड़ने में सक्षम बनाती है. संतुलित भोजन और पूरक आहार बच्चों को हमेशा संक्रमण से दूर रखते हैं. बच्चे को संतुलित और पोषक आहार देना आज की मांओं के लिए समस्या है क्योंकि अधिकतर बच्चों को घर का बना खाना पसंद नहीं होता. पर इस से मायूस होने की कोई बात नहीं.

जब आप किचन या मार्केट में जाएं तो बच्चे को भी साथ ले कर काम करें और बच्चे से भी उस के अनुसार काम करवाएं. इस से उस की खाना खाने में रुचि बढ़ती है. इस बारे में डा. अनीश देसाई कहते हैं कुछ पोषक तत्त्व नियमित देने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरेधीरे बढ़ती जाती है, जैसे- द्य स्कार्बिक एसिड के रूप में जाना जाने वाला विटामिन सी है जो खट्टे फल, जामुन, आलू और मिर्च में पाया जाता है. इस के अलावा यह टमाटर, मिर्च, ब्रोकली आदि प्लांट के स्रोतों में भी पाया जाता है. विटामिन सी एंटीबौडी के गठन को एक्साइट कर इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है. द्य विटामिन ई एक एंटीऔक्सिडैंट के रूप में काम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. फोर्टिफाइड अनाज, सूरजमुखी के बीज, बादाम तेल (सूरजमुखी या कुसुम तेल) हेजलनट्स और पीनटबटर के साथ बच्चे के आहार में विटामिन ई जोड़ने से इम्यूनिटी को बढ़ावा देने में मदद मिलती है.

जिंक इम्यूनिटी को प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करता है. इस के लिए जिंक के स्त्रोत पोल्ट्री, दूध, साबुत अनाज, बीज और नट्स हैं. द्य प्रोटीन बच्चे की इम्यूनिटी को बढ़ाता है जो किसी बीमारी से लड़ने में मदद करती है. इस के लिए अंडे, बीन्स, मटर, सोया उत्पाद, अनसाल्टेड नट्स, बीज आदि प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करना अच्छा रहता है. द्य प्रोबायोटिक्स भी इम्यूनिटी को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होता है जो दही, किमची, फरमैंटेड सोया प्रोडक्ट आदि में होता है. ये हानिकारक बैक्टीरिया को दूर रखते और उन्हें आंत में बसने से रोकते हैं. द्य विटामिन ए, डी, बी12, फोलेट, सैलेनियम और आयरन सहित अन्य पोषक तत्त्व भी बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं.

मैं 27 वर्षीय युवक हूं मैं अपने ऑफिस के कलीग को बहुत ज्यादा पसंद करने लगा हूं क्या करुं?

सवाल
मैं 27 वर्षीय युवक हूं. औफिस की कलीग को बहुत पसंद करने लगा हूं. हमारी काफी अच्छी दोस्ती है. जब मैं ने उसे अपनी फीलिंग्स बताईं तो उस का कहना था कि वह मुझे अच्छा दोस्त मानती है,
मुझसे प्यार नहीं करती और न ही शादी करना चाहती है. मैं उस से दूर नहीं जा पा रहा. दिमाग में वह ही छाई रहती है. क्या करूं, समझ नहीं आ रहा?
जवाब
देखिए हम तो यही सलाह देंगे कि यदि वह लड़की आप से प्यार नहीं करती और शादी नहीं करना चाहती तो उस का खयाल अपने मन से निकाल देने में समझदारी है. आप किसी पर अपना प्यार थोप नहीं सकते.
जौब चेंज करना पौसिबल हो तो ठीक है अन्यथा औफिस में उस की तरफ ध्यान देना छोड़ दें. उस के सामने बिलकुल न जाएं. शादी के लिए ऐसी लड़की ढूंढें जो आप से प्यार करे.
हरेक को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार है. उस लड़की पर किसी तरह का दबाव न बनाएं. अगर उस के मन में आप के लिए प्यार पनपा तो वह खुद आप के पास आएगी या पास आने के बहाने ढूंढे़गी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

अहंकार और चुप्पी छोड़ ऐसे निबटाएं घरेलू झगड़े

एक रिटायर्ड सरकारी अफसर के 4 बेटों के बीच कई सालों से बोलचाल नहीं थी. सब का अलगअलग चूल्हा था, किसी का किसी से कोई लेनादेना भी नहीं था. इस के बाद भी सभी भाई एकदूसरे के दुश्मन बने हुए थे. हर कोई एकदूसरे को नीचा दिखाने और बेइज्जत करने का कोई मौका नहीं गंवाता था.

दरअसल, रसोई से शुरू हुआ विवाद धीरेधीरे इतना बढ़ गया कि एक दिन भाइयों में हाथापाई की नौबत आ गई और मामला पुलिस थाने में जा पहुंचा. थाने के चक्कर में फंसने और महल्ले व रिश्तेदारी में फजीहत होने के बाद आखिर सभी भाइयों ने बैठ कर बात की कि वे लोग आपस में क्यों लड़ रहे हैं. बातचीत के दौरान यह बात उभर कर सामने आई कि सब की बीवियों में तनातनी की वजह से भाई एकदूसरे के दुश्मन बन गए हैं. सभी भाइयों के बीच बातचीत शुरू हो गई और सारे गिलेशिकवे खत्म हो गए.

इस मिसाल से यह सबक मिलता है कि सच में बात करने से ही बात बनती है. किसी भी मसले पर अगर शांति के साथ बैठ कर बातचीत की जाए तो कोई न कोई हल निकल ही आता है. समाजविज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि हर समस्या का कोई न कोई समाधान होता है, अगर इस के लिए कोशिश की जाए. पुरानी बातों और विवादों को दरकिनार कर सुलह का रास्ता निकाला जा सकता है. ज्यादातर पारिवारिक झगड़ों में देखा गया है कि झूठे अहं और आपसी बातचीत बंद होने से ही फसाद की जड़ें गहरी होती जाती हैं.

रांची का रहने वाला दिनेश सिंह पारिवारिक झंझट में फंस कर पिछले 5 साल से कोर्ट, वकील और थाने का चक्कर लगा रहा है. दिनेश बताता है कि कोर्ट और थाने के चक्कर में लाखों रुपए बरबाद हो गए और प्राइवेट कंपनी की नौकरी भी छूट गई. छोटेमोटे घरेलू मामलों में अगर दोनों पक्ष जल्दी कोई फैसला चाहें तो हाईकोर्ट के मैडिएशन सैंटर यानी मध्यस्थता केंद्र में जाना चाहिए.

मुकदमों का बढ़ता बोझ

पटना हाईकोर्ट के वकील उपेंद्र प्रसाद कहते हैं कि ज्यादातर परिवारों में ‘मूंछ’ की लड़ाई की वजह से निचली अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है. ये मुकदमे जीतने के लिए नहीं बल्कि एकदसूरे को नीचा दिखाने, बरबाद करने की नीयत से लड़े जाते हैं. यह मुकदमेबाजी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है. ऐसे झगड़ों और मुकदमों को कम करने के लिए बनाए गए मध्यस्थता कानून, ग्राम कचहरी, उपभोक्ता फोरम, ट्रिब्यूनल आदि कारगर तरीके से जनता के बीच पैठ नहीं बना सके हैं.

मुकदमों की बढ़ती संख्या, जजों और न्यायिक अफसरों की कमी की वजह से मुकदमों का निपटारा जल्द नहीं हो पाता है. कई ऐसे मुकदमे हैं जिन का फैसला आने में 40-45 साल लग जाते हैं. साल 1968 में दायर 1 केस (केस नंबर-562/1961) सहदेव तिवारी बनाम कपिल मुनि और चिंतामणि बनाम राज्य सरकार (केस नंबर-426/1965) जैसे सैकड़ों मुकदमे ऐसे हैं जिन का कोई पक्ष फैसला जानने के लिए जिंदा बचा ही नहीं है.

मध्यस्थता के जरिए आम लोगों के आपसी विवादों को सुलझाया जा सकता है. यह तभी मुमकिन है जब लोग इस के बारे में जानेंगे. मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले वकील और न्यायिक अधिकारी को इस के लिए स्पैशल ट्रैनिंग देने की दरकार है. आम लोगों को इस के लिए जागरूक करने की जरूरत है.

मध्यस्थता केंद्र

कानून के जानकारों का मानना है कि हर तरह के पारिवारिक विवादों को मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है. जजों के पास ऐसे मामलों के लिए समय दे पाना मुमकिन नहीं होता है, इसलिए ऐसे मामलों को मध्यस्थता केंद्र के पास भेजना चाहिए. मध्यस्थता एक ऐसा ताकतवर जरिया है जिस से अदालत के बाहर दोनों पक्षों की रजामंदी से समस्या का हल किया जा सकता है. जिस तरह से बच्चों के झगड़ों को मांबाप सुलह कराते हैं, यह तकरीबन उसी का बड़ा रूप है.

पारिवारिक झगड़ों को सुलझाने में वकीलों की अहं भूमिका हो सकती है. मध्यस्थता से न सिर्फ दोनों पक्षों की जीत होती है, बल्कि समय और पैसे की बचत भी होती है. मध्यस्थता केंद्र में विवाद निबटाने पर वादी कोर्ट फीस ऐक्ट 1870 की धारा 16 के तहत पूरा न्यायालय शुल्क वापस पाने का हकदार भी होता है. आज समय की मांग है कि मध्यस्थता केंद्र के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए और उन्हें बेवजह अदालतों के चक्कर लगाने से बचाया जाए.

‘‘तब्बार’’ फेम अभिनेता साहिल मेहता को मिला जान्हवी कपूर और आनंद एल राय का साथ

मूलतः दिल्ली निवासी 24 वर्षीय साहिल मेहता ने ‘‘तब्बार’’ और ‘‘गिल्टी’’ में अपने उत्कृष्ट अभिनय से लोगों को मंत्रमुग्ध कर चुके हैं.जिसके चलते ही उन्हे जान्हवी कपूर व आनंद एल राय का साथ मिला है. आनंद एल राय निर्मित और जान्हवी कपूर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘‘गुड लक जेरी’’ में साहिल मेहता अति महत्वपूर्ण किरदार में नजर आने वाले हैं. यह फिल्म डिज्नी़हॉटस्टार पर 29 जुलाई 2022 को रिलीज होगी.

फिल्म ‘‘गुड लक जेरी में साहिल मेहता पंजाब के 20 वर्षीय सिख लड़के जिगर की भूमिका में नजर आने वाले हैं, जिसकी वर्तमान समय के पंजाब के ज्यादातर युवा लड़कों की ही तरह ड्रग्स और अपराध के व्यवसाय से जुड़ने में रूचि है.

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खुद ‘‘गुडलक जेरी’ की चर्चा चलने पर साहिल बताते हैं ‘‘मैने इसमें जिगर का किरदार निभाया है, जो कि ड्रग्स और अपराध की दुनिया से ताल्लुक रखता है.वह बहुत ही ज्यादा जुनूनी और ऊर्जा वाला एक युवा किशोर है. वह एक सिख है. इसलिए मैंने अपने बाल नहीं काटे, सिर्फ दाढ़ी ही नहीं बल्कि उस शरीर पर कहीं भी, ताकि मैं उसके साथ न्याय कर सकूं. मोनोब्रो जो हमचरित्र पर देखते हैं वह वास्तविक है, मैं अपने पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाता था और प्राकृतिक धूप में भिगोकर एक तनी हुई रंगत प्राप्त करता था,जो मेरे चरित्र को वह जंग लगा रंग देता है जैसा कि वह पंजाब के एक गाँव से है. हमें मेकअप भी करना था,इसलिए मैं स्वाभाविक रूप से बहुत अधिक तना हुआ नहीं हो सकता था.

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जान्हवी कपूर के साथ काम करने के अपने अनुभव सा-हजया करते हुए साहिल मेहता ने कहा ‘‘वह बहुत प्यारी व प्रतिभावान हैं.मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा.हम उम्र जान्हवी कपूर मु-हजये और भी कठिन काम करने के लिए प्रेरित करती थीं.’’

तो वहीं वह ग्यारह अगस्त को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली आनंद एल राय निर्देशित फिल्म ‘‘रक्षा बंधन’’ में अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर के साथ अहम किरदार में नजर आएंगे.

शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री ऑनर्स में विज्ञान स्नातक साहिल मेहता लंबे समय से दिल्ली में स्कूल व कालेज दिनों से ही थिएटर करते रहे हैं.बचपन से ही अभिनय के शौकीन साहिल मेहता अंततः अपने अभिनय कौशल का तराशने के लिए ‘‘पुणे फिल्म संस्थान’’ से जुड़े. फिर प्रोफेशनल थिएटर करना शुरू किया. उसके बादवह बौलीवुड से जुड़ गए. अभिनय के अलावा साहिल साइकिलिंग, स्कूबा डाइविंग, बास्केटबॉल, रोलर स्केटिंग और बैडमिंटन जैसे खेलों में बहुत सक्रिय हैं.अंग्रेजी, पंजाबी और हिंदी भाषा में उन्हें महारत हासिल है.साहिल मेहता इन दिनों इस बात से भी अति उत्साहित हैं कि उनकी नई लघु फिल्म ‘‘बिरहा’’ को हॉलीवुड शॉर्टस फिल्म फेस्ट 2022’’ में प्रदर्शन के लिए चुना गया है.

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