देश को विकास के जिस रास्ते पर दौड़ पड़ना चाहिए उसकी जगह  "संसद" में राष्ट्रपति और राष्ट्रपत्नी का प्रयोजित विवाद, देश के लिए दुर्भाग्य जनक है. वस्तुत: संसद से बाहर कहे गए राष्ट्रपत्नी शब्द के लिए संसद के भीतर बवाल सत्ता पक्ष की देश के प्रति जवाबदेही पर प्रश्न चिन्ह है. जिस संसद का एक-एक मिनट देश के हित और भले के लिए खर्च होना चाहिए वहां सत्ता पक्ष जान समझ कर अगर वोट की राजनीति करने लगे राष्ट्रपति के आदिवासी समुदाय से जुड़े होने को लेकर के यह संदेश प्रसारित करने लगे कि कांग्रेस तो आदिवासी विरोधी है, यह कहने लगे कि जिस ने गलती की है उसकी जगह कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी माफी मांगनी चाहिए तो यह क्या कुतर्क नहीं है, गलत नहीं है.

कांग्रेस के एक नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए 'राष्ट्रपत्नी' शब्द का प्रयोग कर देने के जिस तरह संसद में जमकर हंगामा हुआ.वह देश की गिरती राजनीति का परिणाम है. भारतीय जनता पार्टी के मंत्री और सांसदों ने आखिर अपने  दिशा निर्देशक के संकेत पर इस मामले को पूरे देश में फैला देने का अपराध  किया है. दरअसल भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस और उसकी नेता श्रीमती सोनिया गांधी  आदिवासी समुदाय के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं और हम तो भाई आदिवासी समाज को सर आंखों पर बैठा रहे हैं. वस्तुतः देखा जाए तो एक छोटे से मसले को देशव्यापी बनाने का अपराध भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं ने किया है उसके लिए भाजपा को देश से माफी मांगी चाहिए.

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